7."अंजली की अन-जली ख़्वाहिश"

भागो ! भागो! भागो! आग, आग, आग लगी है पास वाली बिल्डिंग में आग लग गईं है।

आस पास के कुछ लोग आग बुझाने की कोशिश कर रहे थे तो कुछ लोग अपने ज़रूरी काग़ज़ात को सुरक्षित जगह में पहुंचाने की कोशिश कर रहे थे।

तभी आग से लिपटी एक लड़की दूसरे फ्लोर से कूद गई लोगों ने उसको बचाने की कोशिश की लेकिन वह आग की लपटों और जलते शरीर से ख़ुद को बचाने की कोशिश में इधर से उधर भाग रही थी लोगों ने उसके ऊपर कंबल फेकने तो कभी पानी डालने की बहुत कोशिश की लेकिन उसको बचा नहीं पाये और उस लड़की ने तड़पते हुए वहीं दम तोड़ दिया।

थोड़ी देर में एक एम्बुलेंस और फायरब्रिगेड की गाड़ी हॉर्न बजाते हुए घटना स्थल पर पहुंचे और जल्द ही आग पर काबू पा लिया।

एम्बुलेंस और फायरब्रिगेड  की ये चंद लम्हों कि लापरवाहीं ने करीबन 12 बच्चो की जान ले ली वे सभी आईआईटी की कोचिंग करने कोटा, रजिस्थान अपने और अपने घरों से मीलों दूर आये हुए थे।

सन् 1995 -

"कोटा जीनियस क्लासेस " ,आईआईटी , यूपीटीयू, ऐम्स, नीट जैसे  सभी विश्वस्तरीय प्रवेश परीक्षा की तैयारी कराने के लिए फेमस था।

दूर दूर से लोग यहां अपने बच्चो का दाखिला करवाने आते थे इस कोचिंग संस्थान के बारे में जितना भी कहां जाएं कम था इनका पढ़ाने का तरीक़ा अन्य सभी लोगो से भिन्न था यहां से हर साल तकरीबन 10 बच्चों का चयन हर एक प्रवेश परीक्षा में होता था।

सन् 1996 -

अंजली अपने ख्वाबों को पंख देने के लिए कोटा अाई थी पर किसे पता था यहां उसे ख्वाबों के नहीं बल्कि मौत के पंख मिलने वाले है।

सितम्बर का महीना था और गर्म हवाएं ठंड की चादर ओढ़ने को बेताब थी।

'कोटा जीनियस क्लासेस' की सबसे ऊपरी फ्लोर से पूरे रजिस्थान का नज़ारा बहुत ही खूबसूरत नज़र आता था वीकेंड के साथ मंथ एंड की वजह से अधिकांश बच्चे अपने घर गए हुए थे।

इस वक़्त हॉस्टल में गिनती के मात्र बारह बच्चे थे जिसमे चार लड़कियां और आठ लड़के थे जिन्होंने अभी एडमिशन लिया था, हॉस्टल चार माले का बना था पहले माले में ऑफिस और उससे जुड़े सारे काम होते थे, दूसरे माले में कोचिंग क्लासेस चलती थी, तीसरे माले में गर्ल्स हॉस्टल और चौथे माले में ब्वॉयज हॉस्टल था, हॉस्टल की छत सभी के लिए कंबाइन थी।

आज सारी क्लास सुबह ही रख दी गई थी सभी बच्चे पढ़ रहे थे और रमेश सर पढ़ा रहे थे रूम कागज और रजिस्टर से भरा हुआ था कहीं बोर्ड में कागज लगे कहीं मोटिवेशनल कोट्स तो कहीं कैलेंडर लगे हुए थे 6 बाई 6 के इस कमरे में लकड़ी कागज़ अधिक मात्रा में थे तभी कमरे के गेट पर लगे बायोमैट्रिक अटेंडेंस भी एक शॉर्ट सर्किट हुआ और उस शॉर्ट सर्किट से निकली चिंगारी पर्दे पर लगी और नीचे से आग पकड़ ली।

क्लास में मौजूद सभी लोगो को आग का पता तब चला जब उसने विकराल रूप ले लिया था।

सभी उस 6 बाई 6 के कमरे में खुद को बचाने की जगह ढूंढ रहे थे लेकिन कोई भी बच नहीं सका इसी भागदौड़ में खुद को बचाने के लिये अंजली दूसरे माले से कूद गई।

15 साल गुज़र गए इस घटना को, कई लोगो ने चाहा उस हॉस्टल की फ़िर से मरम्मत करके चालू किया जाए, लेकिन जब भी इस जली हुई  इमारत में कदम रखता तो एक पल भी ठहर नहीं पाता चारों तरफ से बचाओ! बचाओ! की आवाज़ इतनी तेज़ से आती की आदमी अंदर से बाहर बहरा होकर ही निकलता था, इसलिए उस जली हुई इमारात को नाम दे दिया गया चीखने वाला हॉस्टल और उसके बाहर चेतावनी बोर्ड में पूरी कहानी लिख दी गई।

2 साल बाद पास के हॉस्टल में नये बच्चे आए उनमें से एक थी मीनू सकल अंजली से मिलती जुलती थी एक दिन हॉस्टल के सामने से गुज़री तो उसे ऐसा अहसास हुआ कोई उसे बुला रहा है वह पीछे गई और बहुत देर तक उस जली इमारत और चेतावनी बोर्ड में लिखी कहानी पढ़ने लगी फ़िर न जाने क्या हुआ उसके क़दम उस हॉस्टल के अंदर ख़ुद ब ख़ुद बढ़ने लगे ऑफिस का केबिन पूरी तरह से राख हो चुका था वो दूसरे माले में गई तो उसे एक अाई कार्ड मिला जो आधा जला था उसमे सिर्फ एक लड़की की फ़ोटो और जली लिखा हुआ नज़र आ रहा था बाकी का हिस्सा काला हो चुका था, जैसे ये अाई कार्ड इस बिल्डिंग में लगी आग की दूसरी कहानी बयां कर रहा था।

मीनू को किसी भी प्रकार की चीखने की आवाजे नहीं सुनाई दी वह गर्ल्स हॉस्टल के बेड रूम में पहुंच गई दीवारें काली हुई, खिड़की टूटी हुई, लोहे के फोल्डिंग और उसपर पड़े आधे जले हुए गद्दे।

एक डायरी जिसके ऊपर लिखा था अंजली कि अन जली ख्वाहिश कुछ शब्द थे जो उस आग में जल गए और डायरी का मतलब ही बदल दिया।

मीनू को एक आवाज़ सुनाई दी वह आवाज़ ऐसी थी जैसे किसी का गला बहुत ज्यादा चिल्लाने की वजह से फट जाता है-
आ गई तुम सत्राह साल बीत गए तुम्हारा इंतज़ार करते हुए चलो अब आ ही गई हो तो अब यही रुक जाओ कहीं मत जाओ हम इंसाफ के लिए भटक रहे है ऊपर से न जाने कितने बार बुलावा आया पर हम गए नहीं क्योंकि हमें उस आदमी से बदला लेना था।
मीनू ने चारों तरफ देखा वहां कोई नहीं था तो यह आवाज़ कहां से आई मीनू डर गई और हड़बड़ा के भागते हुए वहां से बाहर निकल आई ।।
सामने एक चाय वाले की दुकान थी वह यह सब देख रहा था उस बिल्डिंग के बाहर या अगल बगल ऐसी किसी घटना के बारे में ने तो सुनने को मिला और न ही देखने को।
मीनू डायरी और वो आधा जला अाई कार्ड अपने साथ ले आई थी उसने उसे साफ किया तो क्या देखती है एक लड़की कि फोटो जो उससे हूबहू मिलती जुलती है।
उसने यह बात अपनी रूम मेट वैशाली को बताई वैशाली पूर्व जन्मों को मानने वाली थी ।
संत बचपन से ही इस तरह की कहानियां और किताबे पढ़कर बड़ी हुई थी।

उसने सलह दी कि तुम वो डायरी पढ़ो ज़रूर ही उस लड़की की कोई इच्छा रह गई होगी य फिर बेमौत मारे जाने के कारण उनकी आत्म को शांति नहीं मिल रही है।
मीनू ने डेयरी पन्ने पलटने शुरू किए जो आधे जले थे करीबन आधे घंटे तक पहेली को सुलझाती रही।
अंजली की डायरी से एक बात समझ आयी की वह बहुत एंबिशियस लड़की थी बचपन से आज तक हर एक एग्जाम में अव्वल आने वाली थी और आईआईटी क्रैक करना उसका जुनून था वहां आईआईटी का भी जिक्र था जो फट चुका था।
उसने डेट भी लिखी थी 6 मार्च 1997 ✓ और आगे एक टिक लगा था।
वैशाली समझ गई वह आईआईटी पूरा किए बिना ही  इस दुनिया से चली गई अतः उसकी अन जाली ख्वाहिश हैं आईआईटी की प्रवेश परीक्षा निकालने का।
मीनू लेकिन मै तो मेडिकल पढ़ने अाई हूं यहां मै उसकी मदद कैसे कर सकती हूं?
वैशाली कर सकती है तू याद आज से तीन साल पहले एक लड़के ने आईआईटी और मेडिकल दोनों की प्रवेश परीक्षाएं दी थी और सफल भी हो गया था बस आगे उसे जो कोर्सेट ज्यादा अच्छा लगा उसने उसमे ही एडमिशन ले लिया।
मीनू सही तो है पर मेरा मैथ्स में तो क्या हाल वो मेरी फिजिक्स की प्रॉब्लम सॉल्विंग स्किल तो तू देख ही चुकी है।

और मेरे एग्जाम देने से अंजली एग्जाम कैसे दे लेगी वैशाली तू भी न उल्टी सीधी किताबे पढ़ के तेरा दिमाग भी टेडा ही गया है। फालतू की किताबे मत पढ़ा कर वरना खुद भी एक दिन भूत बन जाएगी।।

चल गुड नाइट, मै थक गई हूं आज ऑनलाइन टेस्ट नहीं दूंगी सोने जा रही मै तू भी सो जाना जल्दी।

रात के 12 बजते ही अंजली  आंखे खुली तो वह डर के चिल्लाने लगी वैशाली उठो बोली क्या हुआ अंजली मैंने एक आधी जली  लड़की को वहां सीसे के पास खाड़े देखा ।

वैशाली ने पानी दिया और बोली ये लड़की ज़रूर अंजली होगी अपनी डायरी लेने अाई होगी, मीनू ने स्टडी टेबल पर देखा वह डायरी और जला हुआ अाई कार्ड अब उस जगह नहीं था।

मीनू सब समझ गई जब तक अंजली कि आत्मा को शांति नहीं मिलेगी तब तक वह ऐसे ही भटकती रहेगी।

माथे पर आयें पसीने को पोछा और सोने कोशिश करती रही पर उस नींद न आई और कब सुबह हो गई पता ही नहीं चला।

वैशाली - मीनू तू सोई नहीं क्या पूरी रात ये क्या हाल बना रक्खा है तूने उठ जाके ब्रश कर ब्रेकफास्ट करने के बाद पढ़ते है साथ में बैठ कर।

रात भर सोचती रही मीनू आख़िर कर बोली मै अंजली की मदद करूंगी, बोल वैशाली क्या करना होगा मुझे।

वैशाली उसको दोपहर में एक तांत्रिक के पास ले गई बोली ये बाबा आत्माओं से बात करने में महारथ हासिल कर चुके है तेरी भी मदद करेंगे।

मीनू। पर तुझे ये सब कैसे पता है, अरे तू अभी इस बात को छोड़ काम के मुददे पर आते है ये बातें तो हम हॉस्टल में इत्मीनान से कर सकते है ।

मीनू और वैशाली उस तांत्रिक के पास पहुंच गई , बोलो बेटी क्या मदद करूं तुम्हारी ?

वैशाली ने कल की सारी घटना बताई और आखिरी में बोली हम उस आत्मा के बार जानकारी इक्कठा करके उसके अधूरी ख्वाहिश को पूरा करना चाहते हैं।

तांत्रिक तुम्हें पता है तुम क्या बोल रही हो ?

अगर मैंने उसे बस मे कर भी लिया तो उसको एक देह चाहिए मीनू तुरंत बोली मै दूंगी देह, तांत्रिक पागल है क्या लड़की यदि उस आत्मा को क्रोध आया तो तेरी जान भी ले सकती है।

मीनू गुस्सा आएगा सिर्फ़ तभी मेरी जान को ख़तरा है न  बाक़ी तो मै ठीक रहूंगी न ?

तांत्रिक - हां!

आप पूजा कि तैयारी कीजिए बाकी मै और मीनू संभल लेंगे।

 तांत्रिक ने दो तीन मंत्र पढ़े और अचानक से आग की लपटें बेकाबू हो गई और किसी के चीखने की आवाज़ें अाने लगी ये सब करीबन आधे घंटे तक चला और फिर अंजली की आत्मा जो दिख तो नहीं रही थी ज़ोर ज़ोर से चीख रही थी नहीं छोडूंगी किसी को नहीं छोडूंगी ये उस बिल्डिंग में  जो भी आएगा मौत के घाट उतार दूंगी।

तांत्रिक ए आत्मा खुद को शांत करो और मुझे बताओ उस दिन क्या हुआ था तुम्हारे साथ ?

क्या किसी ने तुम्हारी और उन 12 लोगों की हत्या की थी क्या तुम्हारी मौत महज़ एक हादसा नहीं थी।

या फ़िर तुम्हारी कोई अपूर्ण इच्छा है जिसे तुम पूरी किए बिना मर गई।

भारी आवाज़ में किसी के ज़ोर ज़ोर से हसने की आवाज़ अाई और कुछ देर बाद मीनू अजीब सी हरकते करने लगी।

ऐसा लग रहा था उसने अपनी बात कहने के लिए अंजली कि देह का सहारा लिया है। अंजली हसने लगी जोर जोर से और बोली वो आग लगाई गई थी महेंद्र कोचिंग इंस्टी्यूट के अभय सर ने एक आदमी कि मदद से इस घटना को अंजाम दिया था क्योंकि वो कोटा जीनियस  क्लासेस की इस सफ़लता से जलता था उसको एक ही रास्ता सूझा की इस हॉस्टल को ही जला देता हूं।

अभय और उस आदमी को तो मै मौत को घाट उतार चुकी हूं लेकिन फ़िर भी मुझे मुक्ति नहीं मिली मेरी इच्छा है कि मै आईआईटी का एग्जाम क्वालीफाई करके ऊपर जाऊं वहां मेरे पिता जी और माता जी दोनों है उनको अपना रिज़ल्ट दिखना है और उनको मुस्कुराते हुए देखना चाहती हूं।

जिस दिन कोचिंग संस्थान में आग लगाई गई थी उस रात मुझे अजीब स सपना आया था उस सपने में मैंने अपने जैसे दिखने वाली इस लड़की को देखा था जो मेरी जगह एग्जाम दे रही थी और मै गेट के बाहर खड़ी थी अंदर जाने की कोशिश करती तो मेरे और गेट के बीच आग की  लपटें मुझे रुक देती , मै  उस सपने का मतलब अपनी मौत के बाद जानी तब से में इसका इंतजार कर रही थी।

अब मीनू आ गई है मेरी अन जली ख्वाहिश पूरी हो जाएगी और उस हॉस्टल को जिसने मैंने  होंटेड बना दिया है मै छोड़ कर चली जाऊंगी।

लेकिन मेरी एक शर्त है तुम दोनों को उसी हॉस्टल में रहकर पढ़ना होगा मै बहुत अकेली हो गई हूं उन जली दीवारों से और उस जले हुए बिस्तर से मुझे उस दिन की याद आ जाती है।

मीनू हसने लगी बहुत ज़ोर ज़ोर से और थोड़ी देर में बेहोश हो गई  जब मीनू को होश आया तो वह पूछने लगी क्या हुआ था मुझे क्या हुआ था।

वैशाली ने सारी बात बताया और हॉस्टल जाने के बाद अपना समान लेकर उस जले हॉस्टल में शिफ्ट हो गई आस पास के लोगों ने मना किया पर उन्होंने किसी की एक न सुनी....

अनिल चाय वाला सब देख रहा था जब वो दोनो अंदर ज रही थी मीनू एक बार पीछे मुड़ी और उसने मीनू की तरफ़ देखकर मुस्कुरा दिया।

मीनू ने भी मुस्कुराकर उसका अभिवादन किया जैसे दोनों एक दूसरे को बहुत पहले से जानते हो।

मीनू और वैशाली ने अंजली का कमरा ठीक किया और वह तीनो वाहं रहने लगी कुछ महीने बीत गए और एग्जाम का टाइम आ गया मीनू और वैशाली पढ़ने में बहुत अच्छी थी अतः वैशाली की मदद से मीनू ने एग्जाम क्वालीफाई कर लिया।

और इस तरह से अंजली की अन जली ख्वाहिश को भी मुक्ति मिल गई और वह वो हॉस्टल छोड़कर चली गई।।

स्वाति की कलम से - अंजली की, "अन- जली ख्वाहिश" 

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