6."शापित कब्रिस्तान"

बुधवार की रात सन् 2000, इक्कीसवीं सदी कलयुग!!

दाफनाओ ! दफनाओं! जल्दी ,जल्दी करो , अरे ! हटो किनारेे, तुम लोगो से एक छोटा सा काम भी नहीं हो सकता, शायद ये दिन देखने के लिए ही तुम लोगो को खिला पिला के बलवान बनाया था मैंने..

सुरेश, तुम बायी ओर नज़र रखना कोई आ तो नहीं रहा, रमेश तुम दायी ओर देखना , कल्लू तू सामने देख कोई आ न जाए, तब तक मैं इन तीनों को ठिकाने लगाता हूं।

अभिवंश ने उस रात तीन जिंदा इंसान को उस ज़मीन में दफना दिया कहा जाता है उन तीनों की आत्मा बुधवार के दिन महीने कि  दूसरी तारीख़ को आज भी वहां भटकती है और उस ज़मीन को खोदने की गुहार लगाती हैं और तीन लोगों के सुर एक साथ कहते है -

हम तीन जिंदा मानस,

बिना किसी अपराध,

दफ़न किये गए उस रात।।

अभिवंश के इस अपराध को कोई नही जान पाया और कुछ साल बाद अभिवंश की एक कार ऐक्सिडेंट में मौत हो गई।

सुरेश , रमेश और कल्लू को लगा अभिवंश के उस कार एक्सिडेंट के पीछे उन तीनों का ही हाथ था क्योंकि जब वे घटना स्थल पर पहुंचे तो कार के पीछे डिग्गी में लिखा था, चार में एक गया बचे तीन, कौन? 

खाली पड़े उस मैदान को ईसाई कम्युनिटी के कुछ लोगों ने, खरीद लिया और वहां पर पूजा पाठ करके एक कब्रिस्तान का निर्माण करवाया।

कुछ समय बीत गया लोगों को पता चला कि ये कब्रिस्तान शापित बन चुका है लेकिन इसके पीछे का कारण किसी को भी नहीं पता था। लोगों ने उस रास्ते से गुजरना बंद कर दिया।

20 साल गुज़र गए उस बात को और आज है दिन बुधवार अगस्त की दो तारीख़।

सुरेश की मौत आज से 5 साल पहले बिजिली गिरने के कारण हो गई थी।

रमेश और कल्लू जब उसे देखने गये तो वहां लिखा था-

चार में दो गए बचे 2 कौन?

इसको पढ़ते ही रमेश और कल्लू को पता चल गया कि उनकी भी मौत ऐसे ही निश्चित है अतः रमेश और कल्लू अपने परिवार के लिए पैसा जुटाने के लिए हर तरह के बुरे काम करने लगे।

न जाने कितने लोगो की सुपारी ली और कितनो को लूट लिए और बन गए  गांव के रहीश जमींदार।

उनके पोते और परपोते भी दुनिया में आ चुके थे दोनों ही परिवार एक दूसरे को बहुत मानते और इज्जत देते थे।

एक दिन रमेश का पोता कारण और सुरेश का सबसे छोटा बेटा आकाश जो हमउम्र थे एक दोस्त की पार्टी में जा रहे थे उनको बहुत देर हो गई उन्होंने कब्रिस्तान वाला शॉर्टकट लेने की सोची जिसके बारे में कारण को उसके दादा ने बताया था और साथ ही हिदायत दी थी कि वो उस रास्ते से कभी न गुज़रे क्योंकि वो रास्ता सिर्फ उसके परिवार के लिऐ सेफ नहीं है।

करण ने आकाश को वो शॉर्टकट लेने को बोला, आकाश आर यू ओके?  उस रास्ते के बारे में तुझे सब पता है न फिर भी उधर टर्न लेने को बोल रहा हैं।

आकाश तुझे पता है न मै ये सब नही मानता तू टर्न ले वरना मुझे

इधर ही उतार दे मै पैदल निकल जाऊंगा।

आकाश आरे भाई है तू मेरा तुझे अकेले कैसे छोड़ सकता हूं चल तेरे लिए ये भी ट्राइ करते है।

जैसे ही करण और आकाश कब्रिस्तान के पास पहुंचे वहां तीन सुर में एक ही आवाज़ आने लगी -

हम तीन जिंदा मानस,

बिना किसी अपराध,

दफ़न किये गए उस रात।।

आकाश घबरा गया और गाड़ी उसके हाथ से बेकाबू होकर एक पेड़ से टकरा गई।

करण और आकाश एक दूसरे के ऊपर गिर गए जल्दी है करण ने खुद को संभाला और आकाश से पूछा तू ठीक है ना?

आकाश घबराते हुए अभी तक तो  ठीक था पर लगता है अब नहीं रहूंगा !!!

करण आरे यार तू डर मत मै हूं ना तेरे साथ।

आकाश- जो डर से पसीना पसीना हो गया हो वो मुझसे ये बोल रहा है। डर के मारे आकाश पागलों की तरह हसने लगा।

तीन सुर वाली आवाज़ लगातार आ रही थी आकाश पीछे मुड़ा तो देखता है वे दोनों कब्रिस्तान के बीच में आ गए है चारों तरफ घुप अंधेरे है आगे की लाइट फुट गई है बैंक लाइट से कार के पीछे उजाला है ।

करण और आकाश के दोस्तो ने उन्हें कॉल करने की कोशिश की तो दोनों के ही मोबाइल आउट ऑफ रिच जा रहे है।

और जब ये दोनों किसी को कॉल करते तो उधर से आवाज़ आती थे नंबर यू हैव डायल इस करंटली बी सी।।

गाड़ी स्टार्ट नहीं हो रही थी आकाश पागलों सी हरकाते करने लगा करण हिम्मत करके गाड़ी से बाहर निकला तभी उसके पांव के नीचे से ऐसी आवाज़ अाई जैसे कोई दरवाज़ा खटखटा रहा हो और बोल रहा हो जल्दी से ये ज़मीन खोदो और मुझे बचा लो मै जिंदा हूं।

ठक! ठक! ठक ठक ठक खोलो खोलो जल्दी जल्दी मै यहां तुम्हारे पैंर के नीचे हूं मुझे बचा लो।

तभी अचानक से तीन लोग रोने लगे और वहीं तीन बातें दौहराने लगे -

हम तीन जिंदा मानस,

बिना किसी अपराध,

दफ़न किये गए उस रात।।

डर के मारे करण की पैंट गीली हो गई और कारण वहीं बेहोश होकर गिर गया कुछ देर बाद आकाश भी हस्ते हास्ते थक के बेहोश हो गया।

सुबह होते ही आकाश उठा अपने पास करण को न पाकर उसने  आवाज़ लगाई करण करण कोई जवाब नहीं आया आकाश कार से बहर निकला तो देखता है करण ज़मीन पर पड़ा है, उसने तुरंत करण को उठाया तो देखता है उसके नीचे की ज़मीन पर चेतावनी लिखी है।

तुम दोनों से हमारा कोई वास्ता नहीं है हम तो बस रमेश और कल्लू को मारना चाहते हैं जब उनके शरीर को हम इस कब्र में दफन नहीं कर देते  हम भटकते रहेंगे।

अंधेरा होने से पहले निकल जाओ यहां से रात में प्रेत आत्माएं अच्छा और बुरा कुछ नहीं देखती ।

कल रात हम तीनो तुम दोनों की रक्षा करते रहे वरना तुम यहां जीवित नहीं रहते यहां तुम्हारे पिता के कई कुकर्म  दफ़न है और आत्माओं ने ये प्रण लिया है जबतक तुम्हारे पूरे परिवार का विनाश नहीं कर देते इस कब्रिस्तान को छोड़कर कहीं नहीं जाएंगे।।

आकाश ने गाड़ी से पानी निकाला, पानी के छिटे कारण के मुंह में डाले, कारण होश में  आते ही हकलाते हुए - क्क क्व कौन,

कौन है नीचे, म्म्म मैंने, मैंने कुछ नहीं किया ,छोड़ दो  छोड़ दो मुझे, मै तो तुम्हे जनता ही नहीं मै ये ज़मीन कैसे खोदूं।

आकाश चिल्लाते हुए करण मै हूं होश में आ आ आकश तू ठीक है न देख इस ज़मीन के नीचे कोई है तू हट हट ज यहां से।

आकाश ने कारण को एक कांटाप मरा करण होश में आ गया  आकाश ! चल भाई यहां से निकल जाल्दी सच में यहां कोई है।

आकाश ने ज़मीन कि तरफ़ इशारा किया करण ने पढ़ा तो उसके रोंगटे खड़े हो गए।

वो दोनो गाड़ी छोड़कर पैदल ही वहां से भाग निकले और जैसे ही घर पहुंचे तो पता चलता है कि करण के दादा रमेश स्वयं की ही निर्माणधीन बिल्डिंग से गिर गए और उनकी मौक़े पर ही मौत हो गई।

जब करण और आकाश उनके शव को देखने और पोस्टमार्टम हाऊस में पहुंचाने के लिए घटना स्थल पहुंचे तो देखते है ज़मीन लिखा है

चार में तीन गए बचा एक कौन?

आकाश की नजर कल्लू काका पर गई देखा वो लाइन पढ़कर वो पसीना पसीना हो गए है उसने करण को कोहनी मारी ताकि वह भी कल्लू काका को देख सके करण ने देखा उनका चेहरा बिल्कुल लाल हो गया था।

कल्लू सुरेश और रमेश दोनों परिवारों के साथ ही रहता था और उनके घरेलू समान लाने में मदद करता था उसको भी पता था कि एक दिन उसकी भी मौत होनी है लेकिन इतनी दर्दनाक की इंसान सोच कर ही अधा मर जाए।

क्रियाकर्म की सारे काम करके करण और आकाश कल्लू काका के घर में गए जहां स्वयं वह महीने में एक बार ही जाया करते थे।

गेट खुला था और काका किसी गहन विचार में खोए हुए थे तभी करण ने आवाज़ लगाई काका, कल्लू चौक गए और कारण को पकड़ के फूट फूट कर रोने लगे मै इतनी दर्दनाक मौत नहीं मरना चाहता मुझे बचा लो आकाश ने उन्हें संभला और बोला काका पहले आप हमें बताइए की उस कब्रिस्तान से रमेश ताऊ का क्या लेना देना है।

बेटा मै सब बता दूंगा पहले तू वादा कर मुझे अपने हाथों से साधारण मौत देगा मै अभिवंश, सुरेश, रमेश  की तरह नहीं मारना चाहता।

हां मै आपको बाकी सब की तरह मरने नहीं दूंगा बस आप मुझे सारी बात बताइए।

कल्लू आज - से करीबन 30 साल पहले  मै ,रमेश , सुरेश और अभि वंश जिग्री दोस्त हुआ करते थे गांव में हमारा नाम हुआ करता था वैसे ही जैसे करण अभी तुम्हारे दादा जी का था  फर्क इतना था कि आज का पैसा हमने गलत काम करके कमाया था और तब का पैसा हमारे खून पसीने का था।

हम लोगो को पैसे का घमंड आ गया था हमको लगा हमें अब कभी कोई मना नहीं कर सकता ।

हमारी उम्र लगभग 20 से 25 साल के बीच हुआ करती थी अभिवंश

25 साल का गबरू जवान हुआ करता था और हम उसके अंडर काम किया करते थे।

हमारे गांव में ही विलास का परिवार रहता जिनसे अक्सर हमारी अनबन हुआ करती थी ।

विलास सिर्फ तीस साल का था उसने खुद का बंगला गाड़ी बैंक बैलेंस सब बना लिया था, उसकी एक बहन एक बेटा और पत्नी थी घर में बस ये तीन सदस्य रहते थे।

अभीवंश को पता ही नहीं चला कब वह विलास की बहन को मन ही मन  चहाने लगा।

विलास की बहन को लड़के वाले देखने आयें थे उस दिन अभीवंश ने हमें उसके बारे में बताया कि वह विलास की बहन को प्यार करता है और उसके बिना नहीं रह सकता मैंने पूछा क्या विलास की बहन तुम्हें चाहती है तो अभीवंश ने बोला पता नहीं मैंने कभी उसको बोला नहीं हमारी बात भी तो नहीं होती कभी मै उसको तभी देखता हूं जब वह मेरे और अपने भाई के बीच बचाओ में आती है।

खैर छोड़ो मै खुश हूं उसकी शादी हो रही है रमेश और सुरेश की अलग ही खिचड़ी पक रही थी , मै तीनो को बहुत अच्छे से जनता था कभी कभी छोटी मोटी बात को लेकर सुरेश और अभीवंश का झगड़ा हो जाता था ।

सुरेश ने अंदर ही अंदर अभीवंश को अपना दुश्मन बना लिया और उसे बदला लेना का इससे अच्छा मौका नहीं मिलता।

उसने अभीवंश को भड़काया मैंने सुरेश और रमेश को समझाने की कोशश की लेकिन दोनों ने मेरी एक न सुनी...

दोनों अभी से बोले अरे तू निराश क्यों होता है भाई है न तेरे हम उस लड़की को तेरी दुल्हन बना कर ही रहेंगे और अगर विलास बीच में आया तो उसको आज ही खत्म कर देंगे।

दोनों लोग गए विलास के घर विलास घर पर नहीं था।

भाभी हमारे अभी को तुम्हारी नन्द पसंद है हमारा अभी उसे दुल्हन बनाना चाहता है दोनों ने इतनी ज्यादा शराब पी रखी थी की उन्हें होश भी नहीं था कि क्या बोल रहे है।

तभी विलास घर में दाख़िल हुआ बोला क्या चल रहा है ये सब और तुम तुम दोनों यहां क्या कर  रहे हो ?

अभी तेरी बेहन से शादी करना चाहता और हम तेरी बहन को लेने आए है विलास को गुस्सा आ गया उसने बोला बाहर निकल जाओ वरना जिंदा वापस नहीं जाओगे।

सुरेश क्या बोला जिंदा नहीं जायेंगे रुक साले जिंदा अब तू नहीं जायेगा पास में रक्खा पीतल का गमला उसके सिर में मार दिया , वह गश खाकर वहीं गिर गया फ़िर दोनों विलास की बहन को लेकर जाने लगे विलास की पत्नी चाकू से दोनों को धमकाने लगी दोनों ने उसे भी धक्का से दिया और विलास की बहन को साथ ले गए।

विलास की बहन ने अभी से बोला मै तुझसे प्यार नहीं करती मुझे तुझसे शादी नहीं करनी ।

सुरेश पूरी प्लैनिंग में था क्या तू भाई को मना करेगी तुझे पता नहीं है अगर भाई को गुस्सा आया तो तुझे जिंदा दफ़न कर देंगे ।

अभी ने भी पी रखी थी बोला बता क्या रहा है इसको पास वाले मैदान में जाके जिंदा गाड़ दो अगर ये मेरी नहीं तो किसी कि नहीं होगी सुरेश ने उसे बेहोश किया और मैदान में ले गया पहले मैंने मना कर दिया था फिर लगा दोस्त को अकेले कैसे छोड़ दूं लेकिन मैंने उन दोनों को बहुत समझाया बोलते हुए कल्लू आकाश को पकड़ कर रोने लगा और बोला हमारी मौत तो उस दिन ही  तय हो गई थी लेकिन सोचा नहीं था हम सब कुत्ते की मौत मरेंगे

और जब हम उस दफना रहें थे तभी विलास और उसकी बीबी भी वहां आ गए और पीछे से अभी उनको पकड़ने की कोशिश करता हुआ विलास और अभी के बीच बहुत हता पाई हुई आखिर में विलास के सर में एक पत्थर लग गया और वह फ़िर से बेहोश हो गया।

अभी बोला बहुत हो गया अब तीनो को यही दफना दो रोज का झगड़ा

भी आज ही खत्म कर दो...

पहले सुरेश और रमेश दफना रहे थे फिर अभीवंश ख़ुद ही दफनाने लगा और हम चारों ने उन तीनों को जिंदा दफ़न कर दिया ।

किसी को भनक न लगे हमने विलास के एक दोस्त को पैसे देकर गांव में फ़ैला दिया कि विलास अपना घर बार बेचकर चला गया।

इस घटना के पांच साल बाद अभीवंश की एक कार ऐक्सिडेंट में मौत हो गई उसके आगे पीछे कोई नहीं था सुरेश और रमेश ने उसकी प्रोपर्टी आपस में बांट ली मेरा भी हिस्सा था उस प्रॉपर्टी में पर मैंने लेने से मना कर दिया।

कार एक्सिडेंट के बाद हम सब को पता चल गया था कि हमारी मौत निश्चित है क्योंकि जो भी मरता गया उसके पीछे एक लाइन ज़रूर लिखी रहती थी जैसे इस बार लिखी थी

चार में तीन गए बचा एक कौन?

वो ज़मीन सुरेश ने ख़रीद ली और फिर ईसाई कम्युनिटी को बेच दी ताकि कभी कई इस रहस्य को जान न साके।

कुछ सालो बाद उन्हें मुहल्ले के लोगों ने बताया कि वहां अजीब आवाजें आती है जैसे कोई बचाने कि गुहार लगा रहा हो।

मै समझ गया था ये वहीं तीन लोग है जो हर महीने की दो तारीख़ को चीखते है और कहते है -

हम तीन जिंदा मानस,

बिना किसी अपराध,

दफ़न किये गए उस रात।।

आकाश और कारण को सारा मामला समझ में आ गया और ये भी की अगली बारी कल्लू काका की नहीं उस दोस्त की जिसने विलास के साथ गद्दारी की है लेकिन उन्होंने इस बात को कल्लू काका से नहीं कहा और बोला आप चिंता न करो हम आपको बचा लेंगे।

आप सबसे पहले विलास अंकल के दोस्त को यहां कुछ दिन रहने के लिए बुलाओ।

कल्लू ने वैसा ही किया घर ने छोटी सी पार्टी रखी और विलास के दोस्त को बुलाया 2 तारीख़ थी उस दिन भी विलास घर जा रहा था तभी उसकी कार खाई में गिर गई और उसकी भी मौत हो गई इस बात का पता जब करण और आकाश को चला तो पुलिस के साथ उनको देखने गए वहां लिखा था।

4 में 4 गया जीरो।

वो एक दूसरे को देख कर मुस्कुराए और फिर पंडित जी के पास गए और उनसे किसी पुरानी आत्मा का श्राद्ध करने का तरीका पूछा पंडित जी ने बोला उनके शरीर को निकाल कर उनका अंतिम संस्कार करो और जितना ज्यादा हो दान - पुणं करो आकाश और कारण ने ऐसा ही किया कल्लू काका की मदद से उनका शरीर निकलवा कर अंतिम संस्कार किया और अपनी पुश्तैनी जायदाद का एक तिहाई भाग गरीबों को दान दे दिया।।

इस तरह से वो शापित कब्रिस्तान एक साधारण कब्रिस्तान बन गया।

स्वाति की क़लम से - शापित कब्रिस्तान।।

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