नूओलन का दफ्तर एक दुकान के ऊपर था। दफ्तर के दरवाजे तक पहुँचने के लिए फेनर को काफी सारी सीढ़ियाँ चढ़नी पड़ी थीं। दरवाजा मोटे काँच का था जिसके आर-पार देख पाना मुश्किल था। वह दरवाजा खोलकर भीतर दाखिल हुआ तो उसे वहाँ एक चपटी छाती वाली लड़की दिखी, जो कि तीस की उम्र के करीब बड़ी तेजी से बढ़ रही थी। टाइपराइटर के पीछे से वह फेनर को शक भरी निगाहों से देख रही थी।

“नूओलन है ?” वह मुस्कराता हुआ बोला। उसे लगा था कि शायद ही कोई मर्द उसे देखकर मुस्कराता हो और इसका उस पर अच्छा असर पड़ेगा।

“वह अभी तो व्यस्त हैं।” वह बोली, “उनसे क्या कहूँ, कौन मिलने आया है ?”

“मैं ? उनसे कहो रॉस, डेव रॉस। यह भी कहना, मैं कुछ बेच नहीं रहा हूँ और मैं उन्हें जल्द-से-जल्द मिलना चाहता हूँ।”

वह उठी और अपने पीछे मौजूद एक दरवाजे की तरफ बढ़ गयी। फेनर ने उसे आगे बढ़ने दिया और फिर दो लंबे कदम भरकर उसके पीछे-पीछे ही कमरे में दाखिल हो गया।

नूओलन एक काले बालों वाला अधेड़ उम्र का आदमी था, जिसकी तोंद निकली हुई थी। मोटापे से ठोढ़ी एक की दो हो गयी थी और नाक तोते जैसी मुड़ी हुई थी। उसकी आँखें चेहरे में धँसी हुई थी, जो उसके क्रूर होने की चुगली करती थी। उसने एक नजर फेनर पर मारी और फिर औरत को देखा।

“ये कौन है ?” वह लड़की पर भड़का।

लड़की मुड़ी तो उसकी आँखें हैरत से बड़ी हो गईं।

“बाहर इंतजार करो! तुम बिना इजाजत अंदर कैसे आ गए।” वह फेनर पर चिल्लाई।

फेनर, लड़की के बगल से होता हुआ बड़ी मेज तक पहुँच गया। उसे नूओलन की कमीज पर कई दाग दिखाई दिये थे। फिर उसने नूओलन के गंदे नाखूनों और मैले हाथों को देखा। नाइटेंगल सही था। नूओलन सही में एक चुका हुआ कारतूस था।

“नाम रॉस है। कैसे हो ?” फेनर बोला।

नूओलन ने लड़की को सिर झटककर इशारा किया तो वह तेजी से दरवाजा भिड़ाते हुए बाहर निकल गयी।

“तुम्हें क्या चाहिए ?” वह नाक-भौंह चढ़ाकर बोला।

फेनर ने अपनी हथेलियों को मेज पर रखा और आगे को झुकते हुए बोला, “मैं इस शहर में काम की तलाश में आया हूँ। अभी कार्लोस से मिला लेकिन बात नहीं बनी। लिस्ट में अगला नाम तुम्हारा था तो अब यहाँ हूँ।”

“किसने भेजा है ?” नूओलन ने अगला प्रश्न दागा।

“क्रोटी।”

नूओलन अपने गंदे नाखूनों को कुछ देर तक देखता रहा।

“तो कार्लोस के पास तुम्हारे लायक कोई काम नहीं था ? उसे क्या हो गया ?” वह कटाक्ष करता हुआ-सा बोला।

“कार्लोस मुझसे नहीं मिला। मैंने उसके गुर्गे देखे और वही काफी था। उन्हें देखकर मुझे घिन आ रही थी, तो मैं वहाँ से चला आया।”

“फिर मेरे पास क्यों आये ?”

फेनर ने अपने दाँत दिखाए।

“उन्होंने मुझे कहा था कि तुम एक चुका हुआ कारतूस हो। मुझे लगा, हम दोनों मिलकर इसके बारे में कुछ कर सकते हैं।”

एक हल्की-सी लाली नूओलन के चेहरे पर फैल गयी।

“तो उन्होंने ऐसा कहा ?”

“बिल्कुल। मेरे साथ मिलकर तुम उन लोगों से काफी मजे ले सकते हो।”

“मतलब ?”

फेनर ने अपनी टाँग से एक कुर्सी खींची और बैठ गया। वह आगे को झुका और उसने मेज पर पड़ा एक पतला हरा सिगार उठा लिया। फिर वह उसे आराम से बिना जल्दबाजी दिखाए सुलगाने लगा। इस दौरान नूओलन उसे गौर से देखता रहा। उसकी आँखों में एक तरह की उत्सुकता और एक चमक-सी देखी जा सकती थी।

“देखो, बात ये है।” फेनर कुर्सी पर पसरता हुआ बोला, “कि मैं क्रोटी के कहने पर यहाँ आया हूँ। मुझे तुम सभी की तरह एक मौका चाहिए जिससे मैं कम-से-कम मेहनत करके ज्यादा से ज्यादा पैसे कमा सकूँ। क्रोटी ने मुझे कार्लोस या तुम्हारे पास जाने को कहा। कार्लोस के गुर्गे क्योंकि हवा में उड़ रहे हैं तो उन्हें मेरी कद्र नहीं है। मैं कार्लोस को मिल भी नहीं पाया था। लेकिन तुम्हारे पास मैं आया तो मुझे रोकने के लिए कौन था ? बाहर बैठी वो लड़की। यह मुझे सोचने पर मजबूर करता है कि आखिर क्रोटी ने तुम्हारा नाम क्यों लिया ? हो सकता है, पहले कभी तुम्हारी यहाँ धाक रही हो और क्रोटी को अभी के हालत की खबर न हो। या फिर तुम अभी भी कुछ हो और ये सब दूसरों की आँखों में धूल झोंकने का जरिया हो। इसे किसी भी ऐंगल से देखूँ तो मुझे लगता है कि तुम और मैं मिल जाएँ तो दोनों का फायदा होगा।”

नूओलन ने यह सुन अपने कंधों को हल्के से उचकाया और अपना सिर इनकार में हिलाया।

“अब मेरी सुनो।” वह बोला, “मैं किसी क्रोटी को नहीं जानता। न ये नाम कभी सुना और न ये मानता हूँ कि तुम्हें उसने भेजा है। मुझे लगता है कि तुम कोई मवाली हो जो केवल झूठ बोलकर काम पाना चाहता है। मुझे तुम्हारी जरूरत न अभी है और न आगे पड़ने वाली है।”

फेनर खड़ा हुआ और उसने एक जम्हाई ली।

“ठीक है।” वह बोला, “आज काफी भागदौड़ हो गयी और अब मैं थोड़ा आराम करूँगा। जब तुम्हारी जाँच-पड़ताल हो जाए तो मुझे हावर्थ होटल में मिलना। नाइटेंगल को जानते हो तो उससे बात कर लेना। उसे लगता है, मैं बहुत ऊँची चीज हूँ।”

फेनर ने अभिवादन में अपने सिर को थोड़ा हिलाया और दफ्तर से बाहर चला गया। सीढ़ियों से उतरकर उसने एक टैक्सी रोकी और अपने होटल की तरफ चल दिया।

☐☐☐

टैक्सी से उतरकर वह रेस्तराँ में दाखिल हुआ और उसने अपने लिए टर्टल स्टेक ऑर्डर किया। जब वह अपना खाना खाने में मगन था तभी नाइटेंगल भी उधर पहुँचा और उसके सामने आकर बैठ गया।

उसे आया देख फेनर भरे हुए मुँह से ही बोला, “क्या तुम्हें कोई ताबूत नहीं बनाना या आजकल धंधा मंदा चल रहा है ?”

नाइटेंगल चिंतित दिख रहा था।

“क्या पागलपन करते हो यार! उधर से ऐसे ही निकल आये।”

“हाँ। जब मुझे जीभ चिढ़ाई जाती है तो मैं चले जाना पसंद करता हूँ। फिर वहाँ रहकर मैं करता भी क्या ?”

“देखो, रीगर बहुत टेढ़ा आदमी है। उससे ऐसे बर्ताव करना ठीक नहीं है।”

“अच्छा। फिर क्या करूँ ?”

नाइटेंगल ने अपने लिए ब्राउनब्रेड, चीज और दूध का एक गिलास मँगवाया। जब तक वेट्रेस उसका ऑर्डर न दे गयी तब तक वह टेबल पर बिछे सफेद कपड़े को ही घूरता रहा। वेट्रेस जब चली गयी तो वह बोला, “देखो, ये मेरे लिए चीजें मुश्किल कर देता है।”

फेनर ने अपने चाकू और कांटे को नीचे रखा। वह नाइटेंगल को देखकर मुस्कराया।

“देखो, तुम मुझे पसंद हो।” वह बोला, “यहाँ तुम ही इकलौते आदमी हो जिसने अब तक मेरी मदद की है। अगर तुम मेरे साथ रहोगे तो हो सकता है, मैं तुम्हारा कुछ फायदा कर दूँ।”

नाइटेंगल ने यह सुन अपनी हैट के नीचे से आँखें उठाकर फेनर को देखा। खिड़की के ब्लाइन्डस की पट्टियों के बीच से आ रही रोशनी उसके चश्मे से प्रतिबिंबित हो रही थी।

“तुम मुझे नुकसान भी पहुँचा सकते हो।” वह तंज कसते हुए बोला।

फेनर वापस अपना नाश्ता करने लगा।

“साला! ये क्या बेकार शहर है, है न ?” वह नाइटेंगल से बोला।

जब उन्होंने अपना खाना खत्म कर दिया था तो फेनर खड़े होते हुए बोला, “अच्छा यार! मैं तुम्हें बाद में मिलता हूँ।”

“हम आगे कभी बात करेंगे ?” नाइटेंगल इस तरह बोला जैसे वह इस बात की उम्मीद कर रहा हो।

फेनर ने अपनी हैट उतारी और उसने अपने बालों में हाथ फिराया।

“पता नहीं।” वह अनिश्चित रूप से बोला, “मुझे सच में पता नहीं।”

उसने नाइटेंगल को देख अभिवादन में सिर झुकाया और रिसेप्शन की तरफ बढ़ गया। होटल मैनेजर अपनी मेज पर व्यस्त था। फेनर उधर से गुजरा तो वह फेनर को देख व्यवसाय सुलभ तरीके से मुस्कराया।

“मैं सोने जा रहा हूँ। इस जगह ने मेरा जीना हराम कर दिया है।” वह मैनेजर से बोला और बिना उसके जवाब की प्रतीक्षा किये अपने कमरे को जाती सीढ़ियों पर चढ़ गया। कमरे में दाखिल होकर उसने दरवाजा बंद किया और फिर ताला लगा दिया। फिर अपना कोट और हैट उतारकर बिस्तर पर लेट गया। कुछ ही देर में वह सो चुका था और उसके चेहरे पर एक मीठी मुस्कान व्याप्त थी।

फोन की बजती घंटी ने उसकी नींद तोड़ी और वह झटके से बिस्तर पर बैठ गया। उसने घड़ी पर नजर मारी तो पाया कि उसे सोते हुए दो घंटों हो गए थे। उसने फोन उठाया।

“फ्लैगलर होटल में अभी-के-अभी आ जाओ। बॉस तुमसे मिलना चाहते हैं।” एक आवाज ने कहा।

फेनर ने अपनी आँखें सिकोड़ीं और बोला, “बॉस को कहो कि मैं सुबह वहाँ आया था और मैं एक ही जगह दो बार नहीं जाता।” फिर उसने फोन कट कर दिया।

वह वापस बिस्तर पर लेटा और उसने अपनी आँखें बंद कर लीं। उसे लेटे हुए एकाध मिनट ही गुजरा होगा कि फोन फिर से घनघनाने लगा।

“बेहतर होगा, तुम जल्द-से-जल्द आ जाओ। कार्लोस को पसंद नहीं है कि कोई उन्हें इंतजार करवाए।” एक बार फिर वही आवाज बोली।

“कार्लोस को कह देना कि या तो मुझसे मिलने के लिए यहाँ आये या फिर भाड़ में जाए।” फेनर ने जवाब दिया। इसके बाद उसने बहुत ज्यादा सावधानी से रिसीवर को रख दिया।

इसके बाद जब फोन बजा तो उसे उठाने की जहमत फेनर ने नहीं उठाई। वह कमरे में मौजूद छोटे से बाथरूम में गया और वहाँ उसने मुँह धोया। फिर उसने स्कॉच का एक शॉट लगाया, अपनी हैट और कोट को पहना और फिर कमरे से निकलकर नीचे चला गया।

दोपहर की चिलचिलाती गर्मी शरीर को झुलसा रही थी। लॉबी वीरान थी। वह गया और एन्ट्रेंस के नजदीक जाकर बैठ गया। उसने अपनी हैट अपने बगल पर जमीन पर रखी और बाहर गली में देखने लगा। वह जानता था कि अगर उसे मेरियन डेली की बहन नहीं मिली तो वह इस मामले में ज्यादा दूर नहीं जा पाएगा।

क्या पुलिस वालों को वह दो क्यूबन और मेरियन डेली के अवशेष मिल गए होंगे ? अभी पॉला क्या कर रही होगी ?

इन्हीं बातों को सोचते हुए वह बाहर दिख रही गली को ताक रहा था। धूप से तपती वह गली फिलहाल सुनसान थी। तभी एक बड़ी टूरिंग कार अचानक से सड़क पर गर्जना करते हुए तेजी से होटल की तरफ बढ़ी और चरमराते हुए एंट्रेंस के सामने आकर खड़ी हो गयी।

फेनर आराम से बेंत की उस लंबी कुर्सी पर पसर गया। उसने नीचे से अपनी हैट उठाई और फिर उसे पहन लिया।

गाड़ी में चार लोग थे। ड्राइवर को छोड़ बाकी तीनों गाड़ी से उतर गए।

फेनर ने रीगर और मिलर को तो पहचान लिया था लेकिन तीसरा आदमी उसके लिए अनजान था। वह तेजी से सीढ़ियाँ चढ़ते हुए भीतर आये और अंदर आकर वहाँ मौजूद हल्के अँधेरे में इधर-उधर देख पलकें झपकाने लगे। रीगर ने लगभग घुसते ही फेनर को पहचान लिया था और वह उसके करीब आया।

फेनर ने उसे देखकर सिर हिलाया।

“किसी से मिलना चाहते हो ?” वह लापरवाही से बोला, “क्लर्क तो जा चुका है।”

“कार्लोस तुमसे मिलना चाहता है। चलो।” रीगर बोला।

“अभी बहुत गर्मी है।” फेनर इनकार में सिर हिलाते हुए बोला, “उसे कहो किसी और वक्त उससे मिलूँगा।”

तब तक बाकी दो भी आकर उसे घेर चुके थे। वह क्रूर लग रहे थे। रीगर धीरे से बोला, “अपने पैरों पर चलोगे या तुम्हें उठाकर ले जाएँ।”

फेनर धीरे-धीरे खड़ा हो गया।

“अगर ऐसा ही है तो...।” वह बोला और फिर वह उनके साथ कार की तरफ बढ़ गया। वह जानता था कि रीगर उसे मारने का मौका तलाश रहा था और इसलिए राई का पहाड़ बनाकर उसे फिलहाल कोई फायदा नहीं होने वाला था। वह वैसे भी कार्लोस से मिलना चाहता था लेकिन उन्हें ये दिखाना चाहता था कि उसे इसमें रुचि नहीं है।

☐☐☐

फ्लैगलर होटल तक कोई कुछ न बोला। फेनर, रीगर और मिलर के बीच में बैठा हुआ था। वह तीसरा आदमी, जिसे वह बग्सी बुला रहे थे, ड्राइवर के बगल में बैठा था।

वह सभी एक छोटी-सी लिफ्ट में चढ़े और कमरा नंबर 47 की तरफ बढ़ गए। वह कमरे में दाखिल हुए तो फेनर बोला, “सुबह ही मेरी बात मान लेते तो इस दौड़-भाग से बच गए होते।”

रीगर ने उसकी बात को अनसुना किया और कमरा पार कर दूसरे कमरे का दरवाजा खटखटाकर भीतर चला गया। बग्सी, फेनर के पीछे-पीछे उस कमरे में दाखिल हुआ।

कार्लोस एक बड़ी-सी खिड़की के बगल में रखे एक सोफ़े पर पसरा हुआ था। उसने रेशम का हल्के पीले रंग का ड्रेसिंग गाउन पहना हुआ था जिस पर लाल रंग के बड़े-बड़े फूल बने हुए थे। रेशम का एक सफेद रुमाल उसकी गर्दन पर बंधा हुआ था और उसके पैरों में लाल रंग की जूतियाँ मौजूद थीं।

वह लेटे हुए गाँजे का कश लगा रहा था और उसकी भूरे बालों से भरी हुई कलाई में सोने का ब्रेसलेट लटक रहा था।

कार्लोस जवान था। शायद बीस या चौबीस साल का रहा होगा। उसके चेहरे का रंग किसी पुराने पार्चमेंट की तरह पीलापन लिए था और उसके होंठ बेहद सुर्ख थे। उसके होंठ इतने पतले और इतने लाल थे कि ऐसा लगता था जैसे किसी ने ब्लेड से उसका गला रेतकर उसके घावों को ठोढ़ी के ऊपर पहुँचा दिया हो। उसकी नाक छोटी थी और नाक के छेद काफी चौड़े थे। उसके कान उसके सिर से चिपके हुए थे। उसकी आँखें बड़ी और पलकें गहरी काली और घुमावदार थीं। यह आँखें भावहीन थीं और ऐसा लगता था जैसे आँखों की जगह धुंधले काले काँच के टुकड़े लगे हुए हों। उसके काले चमकीले घुमावदार बाल उसकी कनपट्टियों से पीछे की तरफ जाते थे। पहली नजर में वह बेहद आकर्षक दिखता था लेकिन दोबारा देखने पर आपकी नजर उसके मुँह और कान पर पड़ती और तब आपको अपने आकलन पर शक हो जाता। फिर जब आप उसकी आँखों तक पहुँचते तो आपको यकीन हो जाता कि वह किसी शैतान से कम नहीं है।

“ये रॉस है।” रीगर बोला और फिर बग्सी के साथ कमरे से बाहर चला गया।

फेनर ने कार्लोस को देखकर सिर हिलाया और गाँजे की सिगरेट से निकलते बदबूदार धुएँ से थोड़ा अलग हटकर बैठ गया।

कार्लोस ने उसे अपनी भावहीन आँखों से देखा और बोला, “क्या दिक्कत है ?” उसकी आवाज कर्कश और बेसुरी थी।

“आज सुबह मैं तुमसे मिलने यहाँ आया था। उस वक्त तुम्हारे गुर्गों ने कहा कि तुम कहीं बिजी-विजी हो। लोग मेरे साथ इस तरह से पेश आए मुझे ये पसंद नहीं है इसलिए मैं अपने ठिकाने पर चला गया। अब मुझे नहीं लगता कि मैं तुमसे कोई बात करना चाहता हूँ।”

कार्लोस ने अपनी एक टाँग को सोफ़े से फर्श पर फिसल जाने दिया।

“मैं सतर्क रहना पसंद करता हूँ। ।” वह बोला, “इस धंधे में जरूरी भी है। । मैंने जब सुना तुम आए हो तो मैंने क्रोटी को फोन लगाया। मैं तुमसे मिलने से पहले तुम्हारे बारे में कुछ और चीजें जानना चाहता था। इसमें कोई बुराई तो नहीं है, है न ?”

यह सुन कार्लोस की आँखें सिकुड़ गयी थीं।

“ठीक ।” वह बोला।

“क्रोटी कहता है, तुम भरोसे के लायक हो।”

“फिर ?” फेनर ने कंधे उचकाकर कहा।

“तुम्हारे लिए मेरे पास काम हो सकता है लेकिन उससे पहले तुम्हें मुझे दिखाना होगा कि तुम्हारी मेरे साथ सही पटेगी।”

“मुझे यहाँ कुछ देर के लिए टिकने दो। हो सकता है तब तक मुझे ही ये लग जाये कि तुम्हारी मेरे साथ नहीं पटेगी।”

यह सुन कार्लोस सर्द लहजे में मुस्कराया।

“तुम्हारे अंदर काफी आत्मविश्वास है। एक तरह से यह अच्छा भी है।”

फेनर खड़ा हो गया।

“बस काम चल जाता है।” वह रूखेपन से बोला, “खैर, ये बताओ कि आगे क्या करना है ?”

कार्लोस भी सोफ़े से उठा और फेनर से बोला, “बाहर जाओ और लड़कों से बातें-वातें करो। फिर हम लोग वाटरफ्रन्ट तक जाएँगे। वहाँ मुझे एक छोटा-सा काम करना है। साथ चलना, तुम्हारे मतलब का ही है।”

“क्या मुझे काम पर रख रहे हो ?” फेनर बोला।

“जब तक के लिए हम एक-दूसरे तो समझ न लें तब तक के लिए सौ डॉलर कैसा रहेगा ?”

“तब तो हमें जल्द-से-जल्द एक-दूसरे को समझने की जरूरत है।” फेनर बात खत्म करते हुए बोला, “सौ डॉलर तोऊँट के मुँह में जीरे जैसा है।”

फिर वह अपने पीछे दरवाजा भिड़ाते हुए कमरे से बाहर निकल गया।

☐☐☐

एक घंटे बाद फेनर, कार्लोस, रीगर और बग्सी एक कॉफी-शॉप में घुस रहे थे। वह जगह ग्राहकों से खचाखच भरी हुई थी और कई उत्सुक आँखों ने उन्हें पीछे की तरफ मौजूद एक पर्दे लगे दरवाजे के अंदर घुसते हुए देखा।

अब तक फेनर जान चुका था कि बग्सी उससे दोस्ती करने को तैयार था। वह एक छोटे कद के गठीले बदन का मालिक था जो कि मोटापे की तरफ अग्रसर था। उसके गोल चेहरे पर कई तरह के दाग मौजूद थे। उसकी हल्के रंग की आँखें बड़ी थी और हँसती हुई-सी लगती थीं। वहीं उसके होंठ किसी सॉसेज के तरह मोटे-मोटे थे।

वहीं रीगर, फेनर को नापसंद करता था और दोनों ही यह बात जानते थे। रीगर, कार्लोस के साथ आगे-आगे चल रहा था और फेनर तथा बग्सी उनके पीछे-पीछे ही थे। वह एक छोटे से गलियारे से होते हुए नीचे को जाने वाली सीढ़ियों तक आए। वह गलियारा अँधेरे में डूबा हुआ, बदबूदार और सुनसान था। सीढ़ियाँ उतरकर एक दरवाजा आता था। कार्लोस ने इस दरवाजे को खोला और भीतर चले गया।

दरवाजे के पीछे मौजूद कमरा बहुत विशाल था। वहीं जब बग्सी ने दरवाजे को धकेला था तो फेनर ने यह नोट किया था कि बग्सी को उसे खोलने में बहुत ताकत लगी थी। दरवाजा काफी मजबूत था और एक भारी आवाज के साथ बंद होता था।

अगर कमरे के दूसरे छोर में चमकते हुए बल्बों को छोड़ दिया जाए तो बाकी सारा कमरा अँधकार में डूबा हुआ था। कार्लोस और रीगर अब उन जलती रोशनियों की तरफ बढ़ने लगे थे लेकिन फेनर अपनी जगह पर ही खड़ा था। उसने सवालिया निगाहों से बग्सी को देखा।

“ये उसका दफ्तर है।” बग्सी इशारा समझ होंठ सिकोड़कर बुदबुदाया।

“अब हम क्या करें ? बस यहीं कहीं खड़े हो जाएँ ?”

बग्सी ने सहमति में सिर हिलाया।

कार्लोस जाकर उस टेबल पर बैठ गया जो कि एक रोशन बल्ब के नीचे लगाई हुई थी। उसने रीगर को देखा और ऑर्डर दिया, “उसे ले आओ।”

रीगर यह सुन एक अँधेरे कोने में गया और उधर से एक दरवाजे का ताला खुलने की आवाज आई। एक आध मिनट बाद ही वह एक आदमी को घसीटते हुए ला रहा था। उसने उस आदमी को कोट के सहारे ऐसे पकड़ा था जैसे वह आदमी न होकर कोयले का बोरा हो। रीगर की नजर आगे को थी और ऐसा लग रहा था जैसे वह इस बात से अवगत ही न हो कि वह किसी को खींच रहा है। वह उस आदमी को घसीटते हुए कार्लोस के नजदीक मौजूद एक कुर्सी तक लाया और उसे उधर पटक दिया।

फेनर उनके थोड़ा-सा नजदीक आ गया। वह आदमी एक चीनी था। उसने काले रंग का मैला-कुचैला काला कोट पहना था और वह कुर्सी पर सिकुड़कर बैठा हुआ था। उसकी बाहें उसकी काँख के नीचे थी और वह खुद अपने घुटनों की तरफ झुका हुआ था।

फेनर ने एक बार फिर बग्सी की तरफ देखा तो उसने अपने होंठ सिकोड़े जरूर लेकिन इस बार कुछ बोला नहीं।

रीगर चीनी के पीछे आया और उसने मारकर चीनी की हैट को सिर से गिरा दिया। फिर उसने चीनी की गुलटी हुई चुटिया को पकड़ा और चीनी के सिर को झटके से पीछे की तरफ खींचा।

यह देख फेनर थोड़ा आगे को हुआ लेकिन फिर रुक गया। उस तेज रोशनी में उस आदमी का चेहरा चमक रहा था। उसकी त्वचा उसके चेहरे पर इस तरह से खिंची हुई थी कि वह चेहरा खोपड़ी सरीखा लग रहा था। उसके होंठ पीछे को इस तरह खींचे हुए थे कि उनका होना-न-होना बराबर था और जहाँ आँखें थीं वहाँ केवल काली छायाएँ दिखाई दे रही थीं।

“क्या अब वो चिट्ठी लिखोगे ?” कार्लोस बोला।

चीनी बस चुप्पी साधकर बैठा रहा। रीगर ने चीनी की चोटी को पीछे झटका दिया खींचा जिससे उसकी गर्दन पीछे को हुई और फिर रीगर ने चीनी के सिर को आगे को धकेला।

कार्लोस यह देख मुस्कराया।

“हरामी बहुत ढीठ है, है न रीगर ?” वह बोला। फिर उसने दराज खोलकर उससे कुछ बाहर निकाला और उसे मेज पर रख दिया, “इसके हाथ जरा मेज पर रख दो।” वह रीगर से बोला।

आदेश सुन रीगर ने चीनी की पतली-सी कलाई को थाम लिया और उसे खींचने लगा। वह आदमी अभी भी अपनी कलाई को अपनी काँख के नीचे दबाए हुए था और फेनर देख सकता था कि वह उन्हें वहाँ पर रखने के लिए अपनी पूरी जान लगाए हुए था। रीगर काफी देर तक उसके हाथ को निकालने की कोशिश करता रहा और तब तक उधर एक लंबी चुप्पी व्याप्त थी। रीगर की ताकत के सामने उसकी चल नहीं पा रही थी। धीरे-धीरे करके उसका हाथ काँख से बाहर को आ रहा था। चीनी के चेहरे पर पसीने की कुछ बूँदें उभर आई थी और उसके मुँह से रह-रहकर कराह-सी उभर रही थी।

“ये क्या बकवास चल रही है ?” फेनर ने बग्सी से पूछा।

बग्सी ने जवाब में हाथ को हिलाया लेकिन कुछ बोला नहीं। वह मेज पर मौजूद तीनों लोगों को ऐसे घूर रहा था जैसे सामने चल रहे दृश्य ने उसकी जबान पर ताला लगा लिया हो।

अब वह पतला पंजे-जैसा हाथ धीरे-धीरे दिखाई देने लगा था। रीगर के चेहरे पर अपने को सफल जान एक मुस्कान उभर आई थी और आखिरकार उसने उस चीनी का हाथ सामने रखी टेबल पर पटक ही दिया। फेनर अब उस चीनी के हाथ की प्रत्येक उँगली पर बँधे लाल रंग से सने चिथड़ों को देख सकता था।

कार्लोस ने एक सस्ता सा नोटपैड, स्याही की छोटी-सी बोतल और एक कूची उस चीनी की तरफ बढ़ाई और बोला, “लिख भई।”

चीनी न कुछ बोला और न ही उसने कुछ करने की कोशिश की।

कार्लोस ने रीगर की तरफ देखा। रीगर ने इशारा समझ अपने दूसरे हाथ से चीनी की उँगलियों पर बँधे चिथड़ों को हटा दिया। फेनर की नजर चीनी की उँगलियों पर तो उसने जोरों की साँस ली। उस चीनी की खून से तरबतर उँगलियाँ क्षत विक्षित हो रखी थी और उनके आगे से माँस गूदे की तरह बाहर निकल रहा था।

“भगवान के लिए!” कार्लोस बोला।

कार्लोस ने चौंककर फेनर की तरफ देखा और फिर बोला,”इधर आ जाओ। मैं चाहता हूँ, तुम ये देखो।”

“मैं जहाँ हूँ वहाँ से देख रहा हूँ।” फेनर ने सपाट लहजे में कहा।

कार्लोस ने यह सुन अपने कंधे उचकाये। फिर उसने वह चीज उठाई जो उसने दराज से निकाली थी और लापरवाही से उसमें चीनी की एक उँगली फँसा दी। चीनी ने अपनी उँगली हटाने की कोई कोशिश नहीं की। वह अभी भी झुककर बैठा हुआ था और किसी कुत्ते की तरफ दर्द से कराह रहा था। उसके हाथ को रीगर द्वारा पकड़ा हुआ था।

“मैं तुझसे अब तंग आ गया हूँ। तू वो चिट्ठी लिखता है या नहीं ?”, कार्लोस ने घृणा से कहा।

चीनी अब भी कुछ नहीं बोला। कार्लोस ने अब उसकी फँसी उँगली के ऊपर मौजूद स्क्रू को घुमाया और चीनी की उँगली को कुचल दिया। चीनी गला फाड़ कर चिल्लाया। रीगर ने तभी चीनी का वह चोटिल हाथ पकड़ा और उसे कई बार मेज पर जोरों से पटका। हर चोट के साथ चीनी बिलबिला रहा था।

फेनर ने धीरे-धीरे उन तीनों की तरफ अपनी पीठ फिराई और बग्सी की बाँह को जकड़ लिया।

“अगर तुमने मुझे नहीं बताया कि ये चल क्या रहा है तो मैं ये सारा नाटक रोक दूँगा।” वह गुर्राया।

बग्सी के चेहरा का रंग यह सुनकर उड़-सा गया था।

“उस बुड्ढे के गाँव में तीन लड़के हैं।” वह सारी बात बताते हुए बोला, “और कार्लोस चाहता है कि वह उन तीनों को इधर बुलाए ताकि उन्हें अपने धंधे के लिये फाँस सके। उनमें से हर एक आदमी कार्लोस के लिए चार हजार डॉलर का है। “

तभी कमरे के दूसरी तरफ से एक तेज-सी आवाज हुई तो फेनर ने गर्दन घुमाकर देखा। वह चीनी लिखने लगा था। कार्लोस अब कुर्सी से उठ गया था और उस आदमी को कूची चलाते हुए देख रहा था। हर एक अक्षर पर वह अपनी आँखें टिकाए हुए था। आखिरकार खत लिखा गया और वह आदमी निढाल हो कुर्सी पर पसर गया। “इसे निकाल दो। इसे निकाल दो।”, वह पतली सी मरी सी आवाज में बड़बड़ाता जा रहा था।

चीनी की उँगली से थंबस्क्रू अभी भी लटक रहा था। कार्लोस बहुत प्यार से बोला, “बिल्कुल निकाल दूँगा। तुम्हें इतनी जिद्द नहीं करनी चाहिए थी, बेवकूफ।” फिर उसने थंबस्क्रू के ऊपर हाथ रखा और झटके से उसे खींच दिया। फेनर को लगा जैसे उसे उलटी आ जाएगी और उसने अपनी नजरें फिरा लीं। चीनी ने एक हल्की सी चीख मारी और अपने घुटनों की ओर आगे को गिर गया।

कार्लोस ने उस थंबस्क्रू को घृणा से टेबल पर उछाल दिया जो की सफेद लकड़ी पर खून का लाल दाग छोड़ते हुए थोड़े दूर तक घिसटता हुआ चले गया। फिर बिना किसी की ओर देखे उसने अपने कोट की जेब में हाथ डाला और एक पच्चीस कैलिबर की बंदूक निकाल ली। बला की तेजी से एक कदम ले वह चीनी के पीछे जाकर खड़ा हुआ और फिर उसने बंदूक को चीनी के सिर के पीछे सटाकर घोड़ा दबा दिया। उस कमरे में गोली की आवाज किसी तोप के समान प्रतीत हुई थी।

कार्लोस ने बंदूक को वापस रखा और फिर मेज तक आराम से चलकर गया। उसने वह चिट्ठी उठाई और उसे सावधानी से मोड़कर अपने पर्स में डाल दिया।

“नाइटेंगल से कहकर इसको ठिकाने लगा देना।” कार्लोस, रीगर से बोला और फिर चलते हुए वह सीधे फेनर के करीब आकर रुक गया। उसने फेनर को गौर से देखा और बोला, “मेरा धंधा पसंद आया ?”

फेनर का मन तो कर रहा था कि वह उसकी ऐसी-तैसी फेर दे लेकिन अपने जज़्बातों पर काबू पाते हुए उसने बहुत आराम से जवाब दिया, “हो सकता तुम्हारे अपने कारण रहे हो लेकिन अभी मुझे यही लगता है कि इसकी जरूरत नहीं थी।”

फेनर की बात सुनकर कार्लोस ने एक ठहाका लगाया और फिर बोला, “चलो, ऊपर चलते हैं। मैं उधर तुम्हें सब कुछ बताता हूँ।”

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