4."वर्णिका द वैम्पियर"

वर्णिका, रुद्र, वैशाली और दिव्यांश चार दोस्त थे जो एक ही कॉलेज में पढ़ते थे।

वर्णिका शुरू से ही चारो दोस्तो में सबसे अलग थी, वो न तो किसी से ज्यादा बात करती और न ही दोस्तो के साथ कहीं घूमने जाया करती थी, कॉलेज के बाद सीधे घर निकला जाया करती थी।

वर्णिका देखने में बहुत खूबसूरत तो नहीं थी शायद इसलिए वह जहां भी जाती उसका उपहास ही हुआ करता था, उसके ये जो तीन दोस्त थे बस उन्होंने है कभी उसके रंग रूप का मजाक नहीं उड़ाया था, इसलिए ही वर्णिका जब तक कॉलेज में रहती तो इनके साथ ही रहना पसंद करती थी और कॉलेज खत्म होने के बाद वह सीधे घर चली जाया करती थी।

कई बार दोस्तो ने उसे समझाया," घूमने और मौज मस्ती करने चला कर जिससे तू खुश रहेगी और जो तू इतना सोचती है न वो भी कम हो जायेगा।"

एक बार सारे दोस्तो ने कहा वर्णिका से कहा, " देख हम नहीं जानते तुझे घर में क्या काम करना होता है जो तू कॉलेज खत्म होते ही चली जाती है, लेकिन हम इतना जानते है तू हमारी दोस्त है और हम सब कल घूमने जा रहे है, तो तुझे कल तैयार रहना है मै तेरे घर से तुझे लेने आ जाऊंगा।"

वर्णिका ये सुनते ही न जाने क्यों घबरा गई और बोली , रुद्र मै आ जाऊंगी टाइम से तू मेरे घर मत आना, मै चलूंगी तुम सब के साथ घूमने....

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दूसरे दिन सारे दोस्त तैयार थे पर वर्णिका अभी तक नहीं आयी थी..

रुद्र ने वैशाली को बोला , एक काम कर तू कॉलेज की कैंटीन में वेट कर , मै और दिव्यांश जाकर वर्णिका को लाते है।

वैशाली - ठीक है जल्दी आना मै तुम दोनों का इंतज़ार करूंगी...

दिव्यांश और रुद्र वर्णिका के घर पहुंचे, गेट नॉक किया एक बूढ़ी औरत ने गेट खोला, रुद्र और दिव्यांश एक साथ बोल बैठे, " नमस्ते दादी, क्या वर्णिका घर पर है?

इसपर वह बूढ़ी औरत बोली, "वर्णिका तो आज सुबह ही यह बोल कर चली गई की वो तुम दोनों के साथ घूमने जा रही है।"

रुद्र और दिव्यांश एक दूसरे की सकल देखने लगे थोड़ा रुककर बोले, अच्छा ठीक है दादी हो सकता है वह वैशाली के घर में हमारा इंतज़ार कर रही होगी और हमने तो वैशाली को एक बार पूछा भी नहीं और सीधे आपके पास आ गए...

उस बूढ़ी औरत ने कहा, " अरे बेटा, देखो बातो बातो मै तुम्हे अंदर बुलाना तू भूल ही गई।"

अरे, ठीक है दादी कोई बात नहीं हमें देर हो रही है शाम को वर्णिका के साथ आयेंगे तब आप से ढेर सारी बाते करेंगे।

बूढ़ी औरत," बेटा पानी तो पीते जाओ इतनी गर्मी और धूप में तुम चले आ रहे हो।"

बूढ़ी औरत ने उन्हें अंदर आने को कहा, दोनों चले गए अंदर जाते ही दीवार पर एक तस्वीर टंगी थी, रुद्र और दिव्यांश उस तस्वीर को देख ही रहे थे, तभी वह औरत पानी लेकर अाई दोनों की नजरें तस्वीर पर देख कर बोली, " बेटा वर्णिका हमारी बेटी नहीं है हमने उसे गोद लिया था, तभी उसकी सकल हमसे नहीं मिलती - जुलती नही है।

बच्चो वर्णिका ने मुझे तुम दोनों के बारे में बहुत कुछ बताया," वह कहती है की कॉलेज के सभी बच्चे हर रोज उसकी सकल का मजाक उड़ाते है, लेकिन तुम लोगो ने हमेशा उसे इन बातो को अनदेखा करने की सलाह दी और हमेशा उसके साथ रहे।"

वर्णिका को घर आने में अक्सर देर हो जाती है, पूछने पर कहती है तुम तीनों के साथ पढ़ रही थी, इतना सुनते ही, रुद्र और दिव्यांश एक दूसरे को देखने लगे उनके चहरे पर एक ही सवाल था और घबराहट से पसीजा हुआ चेहरा, बेटा वर्णिका का इस दुनिया में मेरे सिवा कोई नहीं है, तुम लोग उसका ऐसे ही ख्याल रखना।।

रुद्र थोड़ा घबराते हुए बोला ,दादी अच्छा अब हम चलते है, हाँ बेटा.. मैं भी पानी पिलाने के बहाने कहाँ की कहाँ ले ग्सई, अच्छा तुम लोग ध्यान से जाना  और एक दूसरे का ध्यान भी रखना।

रुद्र और दिव्यांश सीधे वैशाली के पास गए और बोले चलो आज हम तीन ही घूमने चलते है वर्णिका की तबियत ख़राब है, उसने आने से मना कर दिया और फिर तीनो घूमने चले गये रुद्र और दिव्यांश पूरे टाइम यही सोचते रहे आखिर वर्णिका करती क्या है? न तो वो हमारे साथ रहती है और न ही और न ही घर जाती है।

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अगले दिन वर्णिका कॉलेज आयी, दिव्यांश वर्णिका से सारी बाते पूछने ही वाला था की रुद्र ने उसका हाथ दबाकर उसे रुक दिया।

रुद्र, वर्णिका और बता कैसी है, तू कल आई क्यो नही? हम बहुत देर तक तेरा इंतज़ार करते रहे, वर्णिका हाँ वो अचानक से मेरी तबियत बहुत ज्यादा ही खराब हो गई, मैं आना चाहती थी लेकिन नही आ पाई।

सॉरी यरर... तुम लोगो का घूमने जाने का मजा खराब कर दिया मैंने, तभी वैशाली वहाँ आई और बोली वर्णिका अब तेरी तबियत कैसी है,वर्णिका तुझे कैसे पता मेरो तबियत खराब थी?

तीन साल से हम साथ हैं, अब क्या मुझे ये भी नही पता की वर्णिका दो कारण से ही कॉलेज नही आती, "एक तब जब दूसरे दिन एग्जाम हो और दूसरा तब जब उसकी तबियत खराब हो।"

रुद्र और दिव्यांश अगर तुम लोगो की बातें खत्म हो गई हो तो क्लास ले ले अब? हाँ चलो न, हमारी बाते तो होती ही रहेगी।।

क्लास खत्म होते ही वर्णिका बाहर निकली और दोस्तो को अलविदा कह कर चली गई , तभी दिव्यांश और रुद्र वैशाली से बोले, "आज हमे थोड़ा काम है, जल्दी जाना होगा, चल तुझसे कल कॉलेज में ही मिलते है।"

दिव्यांश और रुद्र, वर्णिका का पीछा करते करते एक अंडर कंस्ट्रक्शन बिल्डिंग में पहुँचे, उन्होंने देखा की वर्णिका एक बूढ़े आदमी के साथ बैठी है और अपने साथ घाटी सारी घटना को बता रही है, " दो महीने पहले मेरे कॉलेज के एक लड़के ने मुझे बड़े दाँतो वाली चुड़ैल कहकर बेईज्जत किया था, आप अभी तक उस लड़के को नही लायें, उसके इतना कहते ही वह आदमी पास के एक कमरे में गया और एक बेहोश लड़के को खींचते हुए वर्णिका के सामने ले आया।

रुद्र और दिव्यांश ये सब अपनी आँखों से देख रहे थे, तभी वर्णिका उस अधमरे लड़के के ऊपर लेट गई उसके नाख़ून अचानक से बहुत बड़े हो गए, उसके दाँत सामान्य व्यक्ति के दाँतो से चार गुना लंबे थे,वह नाखूनों से उस लड़के का मांस हटाती और दाँतो से खून पीती जा रही थी... साथ ही बोल रही थी, चुड़ैल बोला था न तूने अब उठ और देख चुड़ैल क्या होती है...उस दिन मेरे दोस्त मेरे साथ थे, उनके कहने पर ही मैंने तुझे अनदेखा कर दिया...वरना उसी दिन तेरा कल्याण कर देती, और वह ज़ोर ज़ोर से हँसने लगी और कहने लगी एक एक से बदला लूँगी, मुझे कमजोर समझते हो न तुम लोग, किसी को नही छोडूँगी।

यह सब देखकर रुद्र और दिव्यांश के पाँव तले ज़मीन ही खिसक गई, उन्हें कुछ समझ नही आ रहा था क्या करे क्या नही, उनकी एक बहुत अच्छी दोस्त वैम्पियर निकली...

वह अपनी जान बचाते हुए वहाँ से निकल ही रहे थे, तभी बिल्डिंग के बाहर उन्हें एक साइन बोर्ड लगा दिखाई दिया, उसमे लिखा था, '' इस बिल्डिंग का निर्माण किसी वैम्पियर के यहाँ मौजूद होने की आशंका से रुक दिया गया है, आज तक लोगो ने किसी को यहाँ देखा तो नही है,लेकिन यहाँ हर रोज एक जवान लड़के की डेडबॉडी मिलती है, जिसके पूरे शरीर में नाखूनों और जबड़ो के निशान रहते है,पुलिस इन मौतों के पीछे के कारणों का आज तक पता नही लगा पायी है।।

स्वाति की कलम से- "वर्णिका द वैम्पियर"

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