एक घंटे बाद फेनर ने नहा-धोकर और कपड़े बदलकर अपनी हालत सुधार ली थी। उसने एक टैक्सी रुकवाई और उसमें बैठकर डाउनटाउन के एक पते की तरफ बढ़ गया। शाम के ट्रैफिक को चीरते हुए उसकी टैक्सी आगे बढ़ रही थी और वह किसी लकड़ी के बुत की तरह बैठा सामने की तरफ ताके जा रहा था। उसके घुटनों पर रखी उसकी भिंची हुई मुट्ठियाँ ही उसके मन में चल रहे तूफान की तरफ इशारा कर रही थीं।

कैब ने सेवन्थ ऐवेन्यू से एक तीव्र मोड़ काटा और ऐसी गली में दाखिल हुई जहाँ शोरगुल मचा हुआ था। एक पल बाद कैब अपनी मंजिल पर आकर रुक चुकी थी। फेनर गाड़ी से बाहर निकला और ड्राइवर की तरफ एक डॉलर उछालता हुआ आगे बढ़ गया। फुटपाथ पर बच्चों का समूह आपस में लड़ रहा था जिससे बचते हुए उसने फुटपाथ पार किया और एक इमारत में दाखिल हो गया।

पुरानी घिसी-पिटी सीढ़ियों को उसने भागकर पार किया और एक दरवाजे की घंटी बजाई। घंटी बजने के कुछ देर बाद एक बूढ़ी और शक्ल से काइयाँ दिखने वाली औरत ने दरवाजे को चेन से अटकाकर खोला और आँखें सिकोड़कर उसे देखने लगी थी।

“आइक है क्या ?” फेनर ने पूछा।

“कौन मिलना चाहता है ?”

“फेनर।”

बुढ़िया ने दरवाजे पर मौजूद चेन हटाई और दरवाजा खोलते हुए बोली, “ध्यान से जाना, मिस्टर! आइक आज बेचैन लग रहा है।”

फेनर उसके बगल से होते हुए जीने पर चढ़ने लगा। आगे बढ़ते ही बासी खाने की बदबू और गंदगी ने फेनर का स्वागत किया। सीढ़ियाँ खत्म हुईं तो उसके सामने जो दरवाजा था उसे फेनर ने खटखटाया। उसके दरवाजा खटखटाते ही फेनर को लोगों के फुसफुसाने की आवाज़ सुनाई दी और फिर अचानक से सब शांत हो गया। कुछ देर बाद धीरे से दरवाजा खुला तो उसके समक्ष एक पतला पर मजबूत शरीर वाला लड़का खड़ा था, जिसकी ठोढ़ी किसी जंगली सुअर की तरह आगे को निकली हुई थी।

उसने एक बार फेनर का ऊपर से नीचे तक मुआयना किया और बोला, “क्या चाहिए ?”

“आइक से कहो, मुझे उससे मिलना है। फेनर नाम है।”

लड़के ने दरवाजा बंद कर दिया। फेनर को अंदर उसे कुछ कहने की आवाज आयी। फिर उसने दरवाजा खोला और सिर झटककर फेनर से बोला, “अंदर आ जाओ।”आइक बुश चार लोगों के साथ एक टेबल पर बैठा हुआ पोकर खेल रहा था।

फेनर टहलते हुए आया और आइक के पीछे जाकर खड़ा हो गया। दूसरे लोगों ने संदिग्ध नज़रों से उसे देखा जरूर लेकिन उन्होंने अपना खेल जारी रखा। बुश बड़े गौर से अपने पत्ते देख रहा था। वह एक लंबा-चौड़ा मोटा आदमी था, जिसका फूला हुआ चेहरा लाल था और भौं के अंतरवर्धित बालों के कारण भौं सूजी हुई थी। उसकी मोटी उँगलियों में मौजूद पत्ते डोमीनोस[10] सेट तरह लग रहे थे।

फेनर उसे कुछ मिनटों तक खेलता हुआ देखता रहा और फिर झुककर उसके कान में फुसफुसाया, “तुम अब बुरी तरह से पिटने वाले हो।”

बुश ने कुछ देर अपने पत्तों को गौर से देखा और फिर अपना गला साफ करते हुए फर्श पर थूका। उसने घृणा से अपने कार्ड नीचे रख दिए। उसने अपनी कुर्सी पीछे की और उठ खड़ा हुआ। फिर वह फेनर को लेकर कमरे की दूसरी तरफ गया और गुर्राया, “तुम्हें क्या चाहिए ?”

“दो क्यूबन।” फेनर धीमे से बोला, “दोनों ने ही काले कपड़े, काली हैट, सफेद कमीज और चमकीली टाई पहनी हुई थी। उन्होंने काले जूते पहने थे और दोनों ही मवाली हैं। दोनों के पास बंदूकें थीं।”

“नहीं जानता। यहाँ के लड़के नहीं लग रहे हैं।” आइक इनकार में गर्दन हिलाता हुआ बोला।

फेनर ने उसे रूखेपन से घूरा और फिर बोला, “तो पता करो, ये लड़के कौन हैं ? मुझे जल्द-से-जल्द उन तक पहुँचना है।”

आइक ने अपने कंधे उचकाये और बोला, “उन्होंने ऐसा क्या किया है ? मैं वापिस खेलने जाना चाहता...।”

आइक की बात पूरी होती, उससे पहले ही फेनर उसे अपने चेहरे की चोट दिखाते हुए फुफकारा, “वो दोनों मेरे ठिकाने में आए और ये तोहफा दिया, पॉला के साथ बदतमीजी की और फिर भाग गये।”

आइक की आँखें हैरत से बड़ी हो गईं।

“रुको।” वह बोला और कमरे की दूसरे तरफ मौजूद उस छोटी टेबल की तरफ बढ़ा, जिस पर फोन रखा था। उसने फोन उठाया और फिर काफी देर तक फोन पर फुसफुसाता रहा। बात पूरी होने पर उसने फोन रखा और फिर उसने सिर झटक कर फेनर को अपने पास आने का इशारा किया।

“पता चला ?” फेनर ने उस तक पहुँचकर पूछा

“हाँ।” आइक ने अपने पसीने से लथपथ चेहरे को अपने हाथ की उलटी तरफ से पोंछा, “वो पाँच दिनों से यहाँ पर हैं। किसी को नहीं पता कि वो कमबख्त कौन हैं। ब्रुकलिन की तरफ उन्होंने ठिकाना बनाया हुआ है। पता ये रहा। लगता है जैसे उन्होंने एक फर्निश्ड घर लिया है। वो पैसे वाले हैं और कोई नहीं जानता कि उनका धंधा क्या है ?”

फेनर ने आगे बढ़कर वह कागज का पुर्जा उठाया जिस पर आइक ने पता लिखा था। इसके बाद वह जाने के लिए     पलट ही रहा था कि आइक उससे बोला, “तुम लड़ने जा रहे हो ? एक-दो लड़के चाहिए ?”

फेनर खूँखार लहजे में मुस्कराकर बोला, “न, मैं संभाल लूंगा।”

आइक ने आगे बढ़कर एक गहरे रंग की बिना लेबल लगी बोतल उठाई। फेनर को सवालिया नजर से देखते हुए उसने पूछा, “जाने से पहले एक लेना चाहते हो ? वन फॉर द रोड।”

फेनर ने इनकार में सिर हिलाया, आइक के कंधे को थपथपाया और फिर कमरे से बाहर चला गया।

☐☐☐

फेनर बिल्डिंग से बाहर आया तो उसने टैक्सी को अपना इंतजार करते हुए पाया। फेनर जब सीढ़ियाँ उतर रहा था तो ड्राइवर खिड़की से सिर निकालते हुए बोला, “मुझे लगा था कि यह आपका घर नहीं है तो सोचा इंतजार ही कर लूँ। अब कहाँ को ?”

फेनर दरवाजा खोलते हुए बोला, “तुम काफी दूर तक जाओगे। काम क्या किसी मेल ऑर्डर कोर्स से सीख रहे हो ?”

ड्राइवर ने यह सुना तो संजीदगी से बोला, “आजकल धंधा मंदा है, साहब! दिमाग इस्तेमाल करना पड़ता है। कहाँ चलेंगे ?”

“ब्रुकलिन पुल के दूसरी तरफ। बाकी रास्ता पैदल ही तय करूँगा।”

फेनर का यह कहना था कि टैक्सी सड़क के किनारे से निकली और सेवन्थ ऐवेन्यू में मौजूद जगमगाहट की तरफ बढ़ गयी।

“किसी के साथ लड़ाई-झगड़ा हुआ क्या आपका ?” ड्राइवर ने उत्सुकतावश पूछा।

“नहीं रे! मेरी आंटी फ़ैनी जो हैं, वो जरा नाराज हो गयी थीं।” फेनर ने बात टालते हुए कहा।

“बड़ी सख्त मिजाज औरत हैं।” ड्राइवर ने बस इतना कहा और फिर अपने काम से काम रखने लगा।

जिस वक्त उन लोगों ने ब्रुकलिन पुल पार किया तब तक अंधेरा घिर आया था। फेनर ने टैक्सी वाले को किराया दिया और सबसे नजदीकी बार में दाखिल हो गया। उसने एक क्लब सैंडविच और एक 80 एमएल राई का पैग लिया। जब तक वह नाश्ता खत्म कर रहा था तब तक उसने अपनी वेट्रेस से यह पता लगाने को कहा कि वह घर कहाँ था। लड़की ने काफी मेहनत की और वह घर कहाँ था यह फेनर को नक्शे में दिखा दिया। फेनर ने अपना बिल भरा, राई का एक छोटा-सा पैग और लिया और फिर बाहर आ गया।

☐☐☐

दस मिनट बाद वह अपनी मंजिल के सामने खड़ा था। यहाँ तक पहुँचने में उसे न किसी से दिशा पूछनी पड़ी थी और न ही वह कहीं पर रास्ता भटका था। वह बहुत ही सावधानी से गली में आगे बढ़ता रहा था। जिस घर में उसे जाना था वह गली के कोने में मौजूद था। वह एक दो मंजिला मकान था। उसके आगे झाड़ियों का ऐसा बाड़ा बना था कि जिसने आगे के दरवाजे को पूरी तरह से ढक लिया था। घर की कोई भी खिड़की रोशन नहीं थी। फेनर ने गेट को धक्का दिया। गेट से घर तक के रास्ते में थोड़ा चढ़ाई थी। फेनर घर की ओर बढ़ने लगा। चलते हुए उसकी आँखें किसी भी हलचल का पता लगाने के लिए इमारत की स्याह खिड़कियों पर टिकी हुई थीं। चलते हुए वह सामने के दरवाजे पर न रुककर घर के पीछे की तरफ बढ़ गया था। वहाँ भी उसे कोई चीज रोशन न दिखाई दी। वहाँ एक खिड़की जरूर थी, जो कि ऊपर से कुछ इंच खुली हुई थी। उसने एक छोटी-सी टॉर्च से खिड़की के अंदर रोशनी डाली, तो उसे वह कमरा दिखा। वहाँ कुछ भी नहीं था। फर्श लकड़ी का बना हुआ था और उस पर मौजूद धूल भी वह आसानी से देख पा रहा था। खिड़की को पूरी तरह खोलने में और अंदर दाखिल होने में उसे कुछ ही सेकंड का वक्त लगा। वह इस बात का खास ख्याल रख रहा था कि ज्यादा शोर न हो और इस कारण वह फर्श पर फूँक-फूँककर अपने कदम रख रहा था।

वह दरवाजे तक पहुँचा और उसने जितना हो सकता था उतना बेवाज होकर दरवाजे को परखा। दरवाजा खुला हुआ था। उसने दरवाजा खोला और एक छोटे से हॉल में दाखिल हुआ। टॉर्च की रोशनी में उसने देखा कि हॉल में कालीन बिछा हुआ था और एक बड़ी अलमारी भी हॉल में मौजूद थी। उसके सामने ऊपर को जाती सीढ़ियाँ थीं। वह खड़े होकर कुछ सुनने की कोशिश करने लगा लेकिन बाहर से आती ट्रैफिक की हल्की-सी गुनगुनाहट के अलावा उसे कुछ और सुनाई न दिया।

उसकी अड़तीस कैलिबर की रिवॉल्वर उसके हाथ में आ चुकी थी और वह सीढ़ियाँ चढ़ने लगा था। उसके मुँह के कोने खींचे हुए और चेहरे की माँसपेशियाँ तनी हुई थीं। सीढ़ियों के खत्म होने पर वह एक बार फिर थमा और कुछ सुनने की कोशिश करने लगा। उसे कुछ सुनाई तो नहीं दिया लेकिन वहाँ खड़े होने पर एक हल्की-सी जानी-पहचानी बदबू उसके नथुनों से टकराई। उसने अपनी नाक को सिकोड़ा और सोचने लगा कि यह बदबू किस चीज की हो सकती थी।उसके सामने अब तीन दरवाजे मौजूद थे। उसने सबसे पहले बीच वाले में जाने की सोची। उसने धीमे से हैंडल घुमाया और धीरे-धीरे दरवाजे को खोलने लगा। अंदर से आती बदबू अब तेज हो गयी थी। वह उसे किसी कसाई की दुकान की याद दिला रही थी। दरवाजे को आधा खोल चुकने के बाद वह थमा और उसने कुछ सुनने की कोशिश की। जब उसे कमरे के खाली होने का यकीन हो गया तो वह अंदर आया और फिर उसने अपने पीछे दरवाजा बंद कर दिया। अपनी टॉर्च की मदद से उसने बिजली का बटन खोजकर उसे ऑन कर दिया।

उसकी उंगली ट्रिगर दबाने को तैयार थी और उसकी नजरे उस कमरे के चारों कोनों का जायजा ले रही थी। कमरे में रहने के लिये के लिए जरूरी सभी साज-सामान मौजूद थे। कमरे में फिलहाल कोई नहीं था। वह मुड़ा और उसने चाबी को घुमाकर ताले को बंद कर दिया। वह किसी भी तरह की असावधानी नहीं बरतना चाहता था। इसके बाद वह सोच में डूबा हुआ कमरे में टहलने लगा।

यह एक औरत का कमरा था। ड्रेसिंग टेबल पर वह आम चीजें थीं जिसकी जरूरत एक औरत को हो सकती थी। बिस्तर छोटा था और बड़ा नाइटड्रेस केस, जो दिखने में किसी सुनहरे बालों वाली गुड़िया की तरह था, उस पर पड़ा हुआ था।

वहाँ एक कपड़ों की अलमारी थी जिसकी तरफ अब फेनर बढ़ रहा था। उसने अलमारी खोली तो पाया कि उसके अंदर केवल एक ही ड्रेस मौजूद थी जो कि एक खूँटी पर टंगी हुई थी। इसके सिवा उधर और कुछ भी नहीं था। लेकिन फेनर को किसी और चीज की जरूरत भी नहीं थी। उस अलमारी के अंदर वही कपड़े मौजूद थे जो मेरियन डेली ने तब पहने थे जब वह उससे मिलने उसके दफ्तर आई थी।

फेनर ने सोच में डूबे हुए उस ड्रेस को छुआ और मेरियन डेली की कल्पना करने की कोशिश करने लगा। उसने वह ड्रेस खूँटी से उतारी और उसे बिस्तर पर डाल दिया। अब जब उसने दराजों की तलाशी ली तो उसके अंदर एक नये तरह का जोश भर गया था। सबसे ऊपर के दराज में उसे वह टोपी दिखी जो कि वह लड़की पहनकर आई थी। उसने उसे भी निकालकर बिस्तर पर फेंक दिया। दूसरे दराज में उसे कुछ अंदरूनी कपड़े, एक सस्पेंडर गर्डल, स्टॉकिंग्स और कुछ जूते मिले। उसने ये सब भी निकालकर बिस्तर पर डाल दिए। इसके बाद वह ड्रेसिंग टेबल के सामने गया और उसने शीशे के नीचे लगे छोटे से दराज को झटके से खोला। उसमें उस लड़की का हैंडबैग ठुँसा हुआ था। उसे निकालने में उसे थोड़ी परेशानी जरूर हुई लेकिन आखिरकार उसे निकालकर वह कमरे को पार कर बिस्तर की तरफ को बढ़ गया। बिस्तर पर बैठकर उसने उस हैंडबैग को अपनी खुली हथेली पर पटका और फिर कालीन को घूरते हुए मौजूदा हालात का आकलन करने लगा। मामला काफी गड़बड़ था।

पर्स खोलकर उसने अंदर के सामान को बिस्तर के ऊपर बिखेर दिया। औरतें परसों में अक्सर जो कूड़ा लेकर चलती है वह अब एक छोटे से ढेर के रूप में उधर मौजूद था। उसने उस ढेर को उँगली से थोड़ा हिलाया और फिर दोबारा बैग के भीतर कुछ तलाशने लगा। बैग उसे बिल्कुल खाली दिखा तो उसने भीतर दो उँगलियाँ डालकर बैग को टटोला। एक जगह पर उसे सिलाई कुछ उधड़ी हुई लगी तो उसने वहाँ उँगलियाँ डालकर उसे पूरी तरह फाड़ दिया। अंदर एक मुड़ा-तुड़ा कागज का टुकड़ा उसे मिला। या तो इसे इधर छिपाया गया था या वह सिलाई की उधड़ी हुई जगह से अंदर चला गया था। उसने उस कागज के टुकड़े को निकालकर फैलाया तो पाया कि वह एक खत था जो कि नोटबुक के किसी पन्ने पर बड़ी बेतरतीबी से घसीटा हुआ था। उसमें यह दर्ज था:

की वेस्ट

प्यारी मेरियन,

घबराना नहीं। नूओलन ने मेरी मदद करने का वादा किया है। पिओ को अभी कुछ भी पता नहीं चला है। मुझे लगता है सब कुछ अच्छा ही होगा।

खत में लिखने वाले का नाम मौजूद नहीं था।

फेनर ने खत को सावधानी से मोड़ा और उसे अपने सिगरेट केस के हवाले कर दिया। वह कुछ देर तक वह बिस्तर पर बैठा सोचता रहा। की वेस्ट और दो क्यूबन। चीजों के तार अब जुड़ने लगे थे। वह खड़ा हुआ और फिर उसने उस कमरे की ढंग से तलाशी ली लेकिन उसे कुछ और काम का नहीं मिला। उसने दरवाजा खोला, लाइट बंद की और फिर दरवाजा बंद करके चुपके से गलियारे में आ गया।

अब वह सावधानी से बाईं तरफ मौजूद कमरे में गया। उसने टॉर्च की रोशनी में देखा कि वह एक ठीक-ठाक आकार का गुसलखाना था। यह सुनिश्चित करके कि खिड़की के पर्दे खिंचे हुए हैं, वह बिजली के स्विच की तरफ बढ़ गया। कमरे में फैली बदबू से उसे उबकाई आने जैसा हो रहा था। वह उस बदबू को पहचान चुका था और इसलिए बत्ती जलाने की हिम्मत अपने अंदर बटोर रहा था। उसने अत्यधिक सावधानी से बटन दबाया और गुसलखाना रोशन हो गया।

दिन खत्म होने पर एक बूचड़खाना जैसा दिखता है, वैसा ही वह गुसलखाना रोशनी में दिख रहा था। बाथटब दीवार से सटकर लगा हुआ था और उसे ढकने वाली चादर पर खून के धब्बे मौजूद थे। पूरी दीवार खून से लाल थी और टब के बगल में मौजूद फर्श भी पूरी तरह से लाल हुआ पड़ा था। बाथटब के नजदीक एक मेज थी जिसके ऊपर खून से तर हुआ एक तौलिया पड़ा था। फेनर देख सकता था कि तौलिए के नीचे कुछ-न-कुछ मौजूद अवश्य था।

वह बिल्कुल स्थिर खड़ा, कमरे के चारों तरफ नजर फिरा रहा था। उसका चेहरा सफेद पड़ चुका था और वह अगला कदम उठाने की हिम्मत बटोर रहा था। धीमे से एक कदम आगे बढ़ाकर उसने अपनी बंदूक की नाल से तौलिए को टेबल से गिराया तो एक सफेद कटी हुई सुडौल बाँह टेबल से लुढ़कर उसके पैरों के सामने गिर गयी।

फेनर की कँपकँपी-सी छूट गयी। उसे उबकाई आती-सी लगी लेकिन उसने किसी तरह अपने पर काबू पाया। उसने गौर से उस बाँह को देखा लेकिन वह उसे छूने का ताब अपने अंदर न ला पाया। वह एक पतली लंबी बाँह थी जिसके हाथ की उँगलियों को मैनीक्योर से तराशा गया था। इस बात में कोई संदेह न था कि वह एक लड़की की बाँह थी।

उसने सिगरेट जलाया तो उसे अपने हाथों में हल्का-सा कंपन महसूस हुआ। उसने एक लंबा कश लिया और धुएँ को फेफड़ों तक पहुँचाकर उसने नथुनों से उसे बाहर फेंका। वहाँ मौजूद बदबू से खुद को उभारने के लिए उसे ऐसा करना जरूरी था। फिर वह आगे बढ़ा और उसने टब पर फैली उस चादर को हटाया।

फेनर खुद को एक मजबूत दिल का आदमी समझता था। उसने कई सालों तक अखबार में काम किया था और इसलिए अकाल मृत्यु उसके लिए कोई नई बात नहीं थी। हिंसा उसके लिए बस एक दूसरी खबर बनकर रह गयी थी लेकिन टब में जो दिखा उसने उसके सारे कस बल ढीले कर दिए थे। शायद इसलिए भी उसे झटका लगा था क्योंकि वह किसी अंजान की लाश नहीं थी। वह उसकी क्लाइंट थी और कुछ ही घंटों पहले वह एक जीती जागती लड़की हुआ करती थी।

बाथटब पर पड़ी लाश ने उसे बता दिया था कि वह लाश की पहचान को लेकर गलती नहीं कर रहा था। उसके शरीर पर अभी भी वह चोटें मौजूद थीं जो उस लड़की ने सुबह उसे दिखाई थी।

फेनर ने चादर छोड़ दी और गुसलखाने से बाहर निकल आया। उसने बहुत धीमे से दरवाजे को खींचा और उस पर टेक लगाकर खड़ा हो गया। अभी एक पैग के लिए वह बहुत कुछ दे सकता था। वह फिलहाल कुछ सोचने-समझने की स्थिति में नहीं था। वह तब तक दरवाजे से टेक लगाकर खड़ा रहा जब तक कि वह अभी झटके से थोड़ा उभर न गया। फिर उसने अपने चेहरे को रुमाल से एक बार पोंछा और सीढ़ी के मुहाने की तरफ बढ़ने लगा।

ग्रोसेट को इस चीज की जानकारी देना जरूरी हो गया था। वहीं उसके लिए अब उन दो क्यूबन मवालियों को पकड़ना भी बहुत जरूरी हो गया था। वह कुछ देर तक खड़ा रहकर इस बारे में सोचता रहा और फिर उसे यह बात सूझी। लाश की एक बाँह और एक टाँग गायब थीं। उसका सिर भी गायब था। यह सब इतना भारी बोझ था कि वह एक साथ ले जाने की जुर्रत नहीं कर सकते थे। करते तो लोगों की नज़रों में आ जाते। तो उसका सोचना सही था। वह लोग इस लाश के टुकड़ों को भी कहीं ठिकाने लगा रहे थे और वो बाकी के हिस्से लेने के लिए भी लौटने वाले थे।

फेनर की आँखें सिकुड़ गयी थीं। अब उसे केवल उनके लौटने का इंतजार करना था और फिर उनकी ऐसी-तैसी फेरनी थी। वह अभी इस चीज को लेकर अपना मन भी न बना पाया था कि उसे फोन ढूँढकर ग्रोसेट को कॉल करना है या फिर रुककर इस मामले से खुद जूझना है, कि तभी उसे बाहर किसी गाड़ी के चरमराकर रुकने और फिर दरवाजा बंद होने की आवाज सुनाई दी।

वह चुपचाप वापस बेडरूम में चला गया। उसकी बंदूक उसके हाथ में आ गयी थी और वह कमरे के अंदर दरवाजे को कुछ इंच खोलकर खड़ा था।

उसे सामने के दरवाजे के खुलने और बंद होने की आवाज आई। इसके बाद हॉल में एक बल्ब जलाया गया। वह कमरे से थोड़ा बाहर निकला और रेलिंग से नीचे को झाँकने लगा। वह दोनों क्यूबन नीचे हॉल में खड़े थे। वह दोनों ही तनकर खड़े थे और कुछ सुनने की कोशिश कर रहे थे। फेनर जहाँ पर था, वहीं पर खड़ा हो गया। उन दोनों क्यूबनों के ही हाथ में एक एक बड़ा सूटकेस मौजूद था। उसने उन्हें एक-दूसरे को देख कुछ इशारा करते देखा। फिर छोटे वाले ने दूसरे से धीमे से कुछ कहा तो दूसरे ने अपना सूटकेस नीचे रखा और तेजी से सीढ़ियाँ चढ़ने लगा। वह इतनी तेजी से ऊपर आया था कि फेनर को पीछे होने तक का मौका नहीं मिला था।

सीढ़ी के मोड़ पर जैसे ही वह क्यूबन मुड़ा तो उसकी नजर फेनर पर पड़ गयी। उसने तेजी से अपने कोट की जेब में हाथ डाला लेकिन उसकी इच्छा, इच्छा ही रह गयी। फेनर ने बिना कोई वक्त गवाएँ तीन गोली उसके शरीर में दाग दी थी। उस शांत से घर में गोली की आवाज किसी तोप के जैसी थी। गोली लगते ही उस क्यूबन ने एक सिसकारी-सी ली और सीढ़ियों पर ही झुक-सा गया। फेनर बिना कोई देरी किये आगे बढ़ा और उसने उसे धक्का देकर किनारे को कर दिया। इसके बाद वह सीढ़ी से उस छोटे क्यूबन पर ऐसे कूदा जैसे कोई गोताखोर पानी में छलाँग लगा रहा हो।

छोटे वाले के बचने की कोई संभावना ही नहीं थी। गोली की आवाज ने उसे जड़ कर दिया था। हालाँकि उसका हाथ उसके कमर की तरफ जरूर गया लेकिन पैर अपनी जगह पर ही मौजूद रहे।

फेनर के अट्ठासी किलो का शरीर किसी गोले की तरह उस क्यूबन से टकराया। अब वह दोनों ही जमीन पर मौजूद थे। फेनर क्यूबन के ऊपर था और वह क्यूबन नीचे चित हो गया था। क्यूबन ने जब फेनर को अपनी तरफ आते देखा था तो वह घबराकर बारीक-सी आवाज में चीखा जरूर था लेकिन उसके कुछ करने से पहले ही फेनर उससे आकर टकरा चुका था। 

टक्कर इतनी जबरदस्त थी कि फेनर का सिर कुछ देर तक घूमता रहा था और एक-दो सेकंड तक वह केवल लेटा ही रहा था। वहीं दूसरी तरफ वह क्यूबन, फेनर के नीचे कुचला पड़ा था। टकराने के दौरान फेनर की बंदूक उसके हाथ से छिटककर दूर जा चुकी थी और जब वह खड़ा होने की कोशिश करने लगा तो उठते हुए उसे अपने हाथों में तेज दर्द का अहसास हो रहा था।

क्यूबन अभी तक हिला नहीं था। फेनर सावधानीपूर्वक खड़ा हुआ और उसने क्यूबन को अपने पैर से टहोका। क्यूबन नहीं हिला। तब फेनर ने उसकी गर्दन पर ध्यान दिया। जिस विचित्र कोण में वह मुड़ी हुई थी उसने फेनर को वह सब कुछ बता दिया था जो फेनर जानना चाहता था। फेनर ने उसकी गर्दन तोड़ दी थी।

फेनर घुटने के बल बैठा और क्यूबन की तलाशी लेने लगा लेकिन उसे कुछ नहीं मिला। उसने वहाँ मौजूद एक सूटकेस को देखा तो उसे वह खाली मिला। सूटकेस के अंदर मौजूद अस्तर पर खून के दाग उसे दिखे जिसने इस बात की पुष्टि कर दी कि वह लोग लाश को टुकड़ों में ठिकाने लगा रहे थे।

उसने अपनी बंदूक तलाश की और फिर सतर्कतापूर्वक दूसरे क्यूबन की तरफ बढ़ा। उसने पाया कि वह भी कब का ठंडा हो चुका था। वह कोने में मुड़ा-तुड़ा-सा बैठा हुआ था और उसके होंठ दर्द के कारण इस तरह से खिंचे हुए थे कि उसके दाँत दिखाई दे रहे थे। फेनर को वह किसी पागल कुत्ता सरीखा लगा। उसकी तलाशी में भी फेनर को कुछ नहीं मिला तो वह फिर नीचे हॉल में आ गया। फेनर समझता था कि वहाँ से जितना जल्दी हो सके उतनी जल्दी निकलने में ही उसकी भलाई थी। उसने हॉल की लाइट बंद की और सामने का दरवाजा खोलकर घर के बाहर आ गया।

बाहर गाड़ी अभी भी खड़ी थी। उसमें कोई नहीं था लेकिन फेनर ने उसे नहीं छेड़ा। वह चलकर बाहर गली तक गया और फिर छाया में रहकर आगे बढ़ने लगा। वह इस दौरान काफी सावधानी बरत रहा था और जब वह फुलटन स्ट्रीट में मौजूद भीड़ के पास पहुँचा तो ही उसने राहत की साँस ली।

☐☐☐ 

“मुझे भी।” फेनर बुरा-सा मुँह बनाते हुए बोला, “मेरे बारे में उससे बात करो। उससे कहो कि डेव रॉस नाम का आदमी अगली फ्लाइट से वहाँ आएगा और वह लोगों से मिलना-जुलना चाहता है। उसे मेरे बारे में ऐसा कुछ बताना जिससे उस पर तगड़ा प्रभाव पड़े। मैं पॉला से कहूँगा कि इस काम के एवज में पाँच सौ डॉलर का चेक काटकर तुम्हें दे।”

“बिल्कुल, बिल्कुल। मैं तुम्हारे लिए सारा बंदोबस्त कर दूँगा।” पैसे की बात सुन आइक जी हुजूरी-सा करता बोला और फिर उसने फोन कट कर दिया।

फेनर ने फिर एक दूसरा नंबर मिलाया।

“पॉला ?”, वह बोला। “एक काम करो, तुम जल्दी सामान पैक करो। मैं 12:30 बजे की फ्लाइट पकड़ूँगा, तो तुम जितना जल्दी हो सके उतनी जल्दी मुझे एयरपोर्ट पर मिलना।”

फिर फेनर ने दराज खोला, चेकबुक निकाली और जल्दी से पाँच ब्लैंक चेक काटकर अपने पास रख लिए। उसने फिर अपनी टोपी और अपना कोट पहना और एक बार ध्यान से अपने दफ्तर पर नजर फिराई। हर चीज से संतुष्ट होकर उसने बत्ती बंद की और दरवाजा पटक कर बंद करते हुए बाहर को निकल गया।

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