पॉला बाल्टीमोर लाउन्ज में तीन बजे के बाद तक बैठी रही। जैसे-जैसे वक्त गुजर रहा था, वैसे-वैसे उसका तनाव बढ़ता चला जा रहा था। ऐसे में सवा तीन बजे जब उसे फेनर तेजी से लाउन्ज पार करता हुआ दिखा तो उसकी जान में जान आई।
फेनर की भौंहें गहरी सोच में डूबे होने के कारण आपस में मिली हुई थीं और उसकी आँखें सर्द और कठोर थीं। वह पॉला की बगल वाली कुर्सी पर रखा कोट उठाने तक के लिये रुका और फिर बोला, “यहाँ से चलो, बेबी। मुझे तुमसे बहुत जरूरी बात करनी है।”
पॉला उसके पीछे-पीछे कॉकटेल लाउन्ज में पहुँची, जो कि उस वक्त तक लगभग खाली था। फेनर उसे कमरे के आखिर में मौजूद एक खाली टेबल तक लेकर गया, जो वहाँ के एंट्रेंस के बिल्कुल सामने थी। उसने बैठने से पहले मेज को दीवार से थोड़ा परे इस तरह हटाया कि वह सामने मौजूद स्विंग डोर (दरवाजे) पर नजर रख सके।
“तुम क्या आजकल परफ्यूम की जगह शराब का इस्तेमाल करने लगी हो”, कुर्सी पर बैठते हुए फेनर बोला, “या फिर यहाँ पर पीने के लिए शराब भी मिलती है ?”
“अच्छा कटाक्ष था”, पॉला बोली, “लेकिन एक लड़की ऐसी जगह पर रहकर कर भी क्या सकती है। मैंने केवल तीन मार्टीनी ही ली हैं। वैसे मामला क्या है ? मैं यहाँ पिछले तीन घंटे से अपना पिछवाड़ा टिकाए हुए हूँ।”
फेनर ने वहाँ मौजूद वेटर को इशारा किया और पॉला से बोला, “पिछवाड़ा मत कहो। वाहियात लगता है।”
वेटर आया तो उसने दो डबल स्कॉच और एक जिन्जर एल का ऑर्डर दिया। इसके बाद वह पॉला की तरफ पीठ करके बैठा और वेटर को उनके ड्रिंक्स ऑर्डर करते और फिर उन्हें लाते देखता रहा। जब वेटर ने उनकी टेबल पर उनका ऑर्डर रख दिया था, तो फेनर ने एक डबल स्कॉच को दूसरे गिलास में डाला और फिर उसने गिलास को जिन्जर एल से भरकर पौला की तरफ खिसकाया।
“तुम्हें अपनी ख्याल रखने की जरूरत है, टल्ली।” वह बोला और उसके स्कॉच का लगभग आधा गिलास गटक दिया।
पॉला ने टल्ली पुकारे जाने पर एक गहरी साँस छोड़ी और बोली, “अब तो बताओ, हुआ क्या है ? इन तीन घंटों में क्या-क्या हुआ, यह जानने के लिए मैं मरी जा रही हूँ।”
फेनर ने एक सिगरेट जलायी और फिर कुर्सी पर आराम से पसरते हुए बोला, “तुम्हें पूरा यकीन है कि मिस डेली अपनी मर्जी से ही यहाँ से गयी थीं ?”
पॉला ने सहमति में सिर हिलाया और बोली, “सब कुछ वैसे ही हुआ जैसा मैंने तुम्हें बताया था। मैं जब रिसेप्शन पर बात करने गयी तो वह मेरे पीछे ही खड़ी थी। मैंने रजिस्टर में साइन करने के लिए दस्ताने उतारे और फिर मुझे लगा जैसे मैं वहाँ पर अकेली ही हूँ। मैंने इधर-उधर देखा तो पाया कि वह दरवाजे से निकलकर बाहर सड़क पर पहुँच गयी थी। वह अकेली थी और बहुत तेज चल रही थी। मैं जब तक उस रिवॉल्विंग डोर से बाहर निकलती तब तक वह गायब हो चुकी थी। ऐसे जैसे कपूर हवा में हो जाता है। सच बताऊँ डेव, मुझे तो बड़ा झटका लगा था। सबसे ज्यादा घबराने वाली बात ये थी कि मेरे पास वो सब पैसा उस वक्त भी पड़ा हुआ था । तुम पागल थे, जो तुमने मुझे उतना सारा पैसा दिया।”
फेनर ने यह सुन अपने दाँत दिखाए। “तुम्हें पता नहीं, मैं कितना समझदार था, बेबी!” वह बोला, “मुझे लगता है, मैंने तुम्हें वह माल देकर खुद पर बड़ा अहसान किया था। खैर, आगे की बात बताओ।”
“मैं वापिस होटल में गयी और मैंने एक लिफाफा माँगा। मैंने उसमें पैसे डाले और फिर उस लिफाफे को कैशियर को संभालकर रखने के लिए दिया। इसके बाद मैं वापिस बाहर की सड़क की तरफ भागी और मैंने आस-पास उसे ढूँढ़ा। जब वो मुझे नहीं मिली तो आखिर में मैंने तुम्हें फोन लगाया।”
फेनर ने सहमति में अपना सिर हिलाया। “ठीक है, अगर तुम्हें लगता है कि वह अपनी मर्जी से ही इधर से गयी थी, तो फिलहाल के लिए हम इसमें कुछ नहीं कर सकते हैं।”
“मुझे पूरा यकीन है ।”
“अब मेरी बात सुनो। मुझे लगता है, इस मामले में कहीं कोई बड़ी गड़बड़ तो जरूर है। तुम्हारे जाने के बाद ऑफिस के बाहर वाले कमरे में किसी ने एक चीनी की लाश प्लांट की थी और फिर पुलिस को खबर कर दी।”
पॉला झटके से सीधे बैठते हुए बोली, “एक चीनी की लाश ?”
फेनर मुस्कराया लेकिन उस मुस्कुराहट में खुशी का नामोनिशान नहीं था।
“हाँ। इस चीनी आदमी का गला रेता गया था और उसे मरे हुए कुछ वक्त हो गया था। अगर वह वहाँ पर मिलता तो हमें लेने के देने पड़ते। जैसे ही मैंने उसे देखा, मेरे जेहन में बस यही ख्याल आया था कि उसे उधर क्यों रखा गया था ? क्या कोई हमें फँसाना चाहता था या कोई हमें सावधान कर रहा था ? चूँकि मेरा फँसने का कोई इरादा नहीं था, तो मैंने उसे किसी तरह उठाया और हमारे फ्लोर के आखिर में मौजूद एक खाली दफ्तर में डाल दिया। जल्द ही मुझे पता लग गया कि लाश को लेकर जो मैंने सोचा था वह सही था। किसी ने उसे उधर प्लांट ही किया था, क्योंकि मुझे उस लाश को ठिकाने लगाकर ऑफिस लौटे हुए कुछ ही वक्त हुआ होगा कि तीन पुलिस वाले दफ्तर में आ गए। वह बहुत गुस्से में लग रहे थे और वो उसी चीनी को ढूँढ़ रहे थे। उन्होंने उसे ढूँढ़ने की कोशिश भी की लेकिन उनके हाथ कुछ भी नहीं लगा। यकीन जानो, उनको देखकर मुझे हँसी आ रही थी लेकिन बड़ी मुश्किल से मैंने हँसी रोकी थी।”
“लेकिन उन्होंने ऐसा क्यों किया ?” पॉला की आँखें आश्चर्य से बड़ी हो गयी थीं।
“मान लो कि वह लाश उन्हें वहाँ मिल जाती तो क्या होता ? मुझे थाने ले जाया जाता और वहाँ रोक कर रखा जाता। मुझे लगता है लाश प्लांट करने का यही मकसद था। वह मुझे केवल इतनी देर तक ही फँसाकर रखना चाहते थे कि वह डेली को थाम सकें। जब उन पुलिस वालों को मेरे ऊपर चिल्लाने के लिए कुछ नहीं मिला तो वह थोड़ा शांत हुए लेकिन फिर भी उन्होंने दोनों दफ्तरों की तलाशी ली। मैं उस वक्त बस यही उम्मीद कर रहा था कि उन्हें कुछ न मिले। उस वक्त अगर उन्हें वहाँ पर वो छः हजार डॉलर मिलते तो मुझे उन पैसों के स्रोत को समझाने में काफी परेशानी आती।”
“लेकिन इस सबका मतलब क्या हुआ ?” पॉला बोली।
“क्या पता। ये सब रोचक तो है लेकिन फिलहाल इन सबका कोई अर्थ मुझे नहीं समझ आ रहा। तुम्हें मिस डेली से क्या पता चला ?”
पॉला ने इनकार में अपना सिर हिलाया और बोली, “वो कुछ बोलने को राजी ही नहीं थी। मैंने उसे अपने रिकॉर्ड के लिए कुछ आम सवाल भी पूछे लेकिन उसने कहा कि वह केवल तुमसे ही बात करेगी।”
फेनर ने अपनी स्कॉच खत्म की और सिगरेट का टोटा बुझाया। “तहकीकात रुकने के कगार पर लग रही है।” फेनर बोला, “लगता है, हमारे पास छः हजार डॉलर हैं और काम के नाम पर कुछ भी करने को नहीं है।”
“लेकिन तुम हाथ-पर-हाथ रखकर बैठने वाले नहीं हो न ?”
“क्यों नहीं बैठूँ ? उसने पैसे तो दे ही दिये हैं न। फिर जब मैंने उसका ऐसी जगह जाने का इंतजाम किया, जहाँ वो बिना डरे बात कर सकती थी तो वह खुद ही भाग गयी। अब मैं उसके लिए परेशान क्यों होऊँ ? अगर उसे मेरी जरूरत पड़ी, तो वो जानती है कि उसे कहाँ आना है ?”
तभी एक बुजुर्ग आदमी लाउन्ज में दाखिल हुआ और उनकी टेबल से कुछ टेबल दूर मौजूद एक खाली टेबल पर जाकर बैठ गया। बुजुर्ग का चेहरा पतला था और उसकी नाक और ठोड़ी ही चेहरे पर देखी जा सकती थी। उसके होंठ इतने पतले थे कि उनका होना-न-होना बराबर था।
पॉला ने उसे उत्सुकता से देखा। उसकी आँखें देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह काफी देर से रो रहा था। ऐसा क्यों रहा होगा ? पॉला के मन में यह ख्याल आए बिना न रह सका।
फेनर के अगले सवाल ने पॉला के विचारों की इस शृंखला को तोड़ा।
“तुम्हें ये डेली कैसी लगी थी ?” फेनर ने अचानक से पूछा।
पॉला समझती थी फेनर का क्या मतलब है। उसने कहना शुरू किया, “वह पढ़ी-लिखी लग रही थी। उसके कपड़े भी क्लासी और महंगे थे। वह किसी चीज को लेकर परेशान दिख रही थी। मैं उसकी उम्र के बारे में अंदाजा लगा सकती हूँ, लेकिन मुझे यकीन है कि वह अंदाजा गलत ही होगा। अगर फिर भी लगाना ही होगा तो मैं कहूँगी कि वो 24 साल की हो सकती है। लेकिन मैं 6 साल इधर-उधर भी हो सकती हूँ। अगर वो शरीफ लड़की नहीं थी तो इस बात की गारंटी है कि वह बहुत अच्छी एक्ट्रेस थी, क्योंकि शरीफ लड़की की एक्टिंग उसने बहुत अच्छे से की थी। उसने हल्का-सा मेकअप किया हुआ था और ऐसा लग रहा था जैसे वह धूप में काफी वक्त बिता रही है। वह शर्मीली...।”
फेनर ने सहमति में सिर हिलाया और पॉला को रोकते हुए बोला, “मैं तुम्हारे यही बोलने का इंतजार कर रहा था। अगर वह इतनी ही शर्मीली थी तो फिर मुझे अपनी चोटें दिखाने के लिए इतनी आसानी से उसने अपने कपड़े कैसे उतार दिये ?”
पॉला ने यह सुन अपना गिलास नीचे मेज पर रखा और फेनर को घूरने लगी।
“ये तो मुझे नयी बात पता चल रही है।” वह आगे बोली।
“ओह, फिर तो तुम्हें पूरी बात बतानी पड़ेगी।” फेनर ने कहा और फिर उसने अपना गिलास हिलाकर वेटर को इशारा किया। “तुम्हें उस आदमी के बारे में नहीं पता जिसका फोन तब आया था जब मैं उससे बात कर रहा था।
उसने मुझे कहा कि वो लड़की पागल है। लड़की को न जाने कैसे अंदाजा हो गया कि फोन पर कौन था ? उसने तभी बिना किसी झिझक के अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिये। यह चीज मुझे खटक रही है। यह हरकत उसके किरदार से मेल नहीं खाती। उसने सीधे अपना कोट और ब्लाउज उतारा और अपनी ब्रा में ऑफिस में खड़ी हो गयी। यह चीज फिट नहीं बैठती है।”
“किसी ने उसे मारा-पीटा था ?”
“हाँ, मारा तो सच में था। उसकी कमर के घाव इतने गहरे थे कि उन्हें देखकर ये लग रहा था कि जैसे किसी ने वहाँ उन्हें लाल रंग से पेंट किया हो।”
पॉला कुछ देर तक सोचती रही और फिर बोली, “हो सकता है, उसे डर हो कि तुम भी उसे पागल न समझो। इसलिए उसने सोचा होगा कि अगर वो अपने घाव तुम्हें दिखा देती है तो कम-से-कम तब तुम्हें उसकी बात पर यकीन आएगा।”
फेनर ने सहमति में सिर हिलाया लेकिन आगे बोला, “हो सकता है कि ऐसा ही हो लेकिन फिर भी मुझे कुछ तो गड़बड़ लग रही है।”
जब वेटर उधर आकर फेनर का गिलास भर रहा था, तो पॉला ने एक बार फिर बुजुर्ग की तरफ नजर मारी। फिर वह फेनर से बोली, “अभी पीछे मत देखना, लेकिन वहाँ पर एक व्यक्ति हैं जो कि तुम्हारे में बहुत रुचि ले रहे हैं।”
“तो क्या हो गया ?” फेनर अधीरता से बोला। “हो सकता है, उसे मेरा चेहरा पसंद हो।”
“ऐसा तो शायद नहीं होगा। मेरा अंदाजा है कि उसे लग रहा होगा कि तुम फिल्मों में काम करने के लिए बने हो।”
तभी अचानक वह बुजुर्ग आदमी उठा और उनकी टेबल तक आ गया। वह कुछ देर तक उनके सामने अनिश्चित-सा खड़ा था। वह इतना दुखी लग रहा था कि पॉला उसे प्रोत्साहित करने के लिए मुस्कराई। शायद इसका असर पड़ा और वह फेनर से बोला, “माफ कीजिएगा, लेकिन क्या आप मिस्टर फेनर हैं ?”
“सही पहचाना।” फेनर ने रूखा-सा जवाब दिया।
“मेरा नाम लिंडसे है। एंड्रू लिंडसे। मुझे आपकी मदद की जरूरत है।”
फेनर ने बेचैनी से अपनी कुर्सी पर पहलू बदला और उसे देखते हुए बोला, “मुझे आपसे मिलकर खुशी हुई मिस्टर लिंडसे! लेकिन मैं शायद आपकी कोई मदद नहीं कर पाऊँगा।”
लिंडसे अब घबराया हुआ-सा लग रहा था। उसकी याचना करती आँखें पहले पॉला की तरफ और फिर फेनर की तरफ घूमीं।
पॉला को उस पर दया आयी तो बोली, “क्या आप हमारे साथ बैठना चाहेंगे ?”
फेनर ने पॉला को देख आँखें तरेरी लेकिन उसने उसे नजरंदाज कर दिया।
लिंडसे थोड़ा झिझका और फिर उनके साथ बैठ गया।
लिंडसे के बैठते ही पॉला इतनी तमीज से बोली कि एक पल को तो फेनर भी शर्मिंदा हो गया था।
“मिस्टर फेनर बहुत व्यस्त जरूर रहते हैं लेकिन जहाँ तक मैं जानती हूँ, वो कभी किसी परेशान व्यक्ति की मदद के लिए न नहीं करते हैं।”
‘इसे तो मैं तब देखूँगा जब यह मेरे साथ अकेली रहेगी।’ फेनर ने पॉला की अप्रत्याशित हरकत पर सोचा। लेकिन फिलहाल चूँकि वह कुछ कर नहीं सकता था तो उसने लिंडसे को देख सहमति में अपना सिर हिलाया और बोला, “ठीक है। आपको क्या तकलीफ है ?”
“मिस्टर फेनर, मैंने अखबार में पढ़ा है कि कैसे जब ब्लैंडिश नाम की लड़की[1] का अपहरण हुआ था तो आपने उसे ढूढ निकाला था। मैं भी इसी तरह की परेशानी में हूँ। मेरी बच्ची कल से गायब है।” यह बात कहते-कहते बुजुर्ग की आँखों से दो आँसू निकलनकर उसके पिचके हुए गालों में बहने लगे थे। फेनर ने देखा तो उसने अपनी नजरें फिरा ली। बुजुर्ग अपनी बात आगे बढ़ाते हुए बोला, “मिस्टर फेनर, मैं चाहता हूँ कि आप उसे ढूँढ़ने में मेरी मदद करें। इस दुनिया में उसके सिवा मेरा कोई और नहीं है और भगवान जाने मेरी बच्ची पर अभी क्या बीत रही होगी।”
फेनर ने व्हिस्की खत्म की और अपने ग्लास को टेबल पर खट की आवाज के साथ रखा। फिर वह बुजुर्ग से बोला, “आपने पुलिस को बताया ?”
लिंडसे ने हाँ में सिर हिलाया।
“‘अपहरण’ एक फेडरल अपराध है। मैं इसमें एफबीआई से बेहतर काम नहीं कर सकता हूँ। आपको धैर्य रखना होगा। वह लोग उसे ढूँढ लेंगे।”
“लेकिन मिस्टर फेनर... “
बुजुर्ग ने कुछ कहना चाहा लेकिन फेनर ने इनकार में अपना सिर हिलाया। वह खड़ा हुआ और बोला, “मैं माफी चाहूँगा लेकिन मैं इस मामले में आपकी कोई मदद नहीं कर सकता हूँ।”
लिंडसे का चेहरा किसी निराश बच्चे-सा सिकुड़ गया। उसने हाथ बढ़ाकर फेनर के कोट की आस्तीन पकड़ी और गिड़गिड़ाते हुए बोला, “मिस्टर फेनर, मेरे लिए यह कर दीजिए! आपको यह करके कोई पछतावा नहीं होगा। आप जो भी फीस कहें, मैं देने को तैयार हूँ। मुझे पूरा यकीन है कि आप मेरी बच्ची को किसी से भी जल्दी ढूँढ लेंगे। मैं आपसे भीख माँगता हूँ। आप मेरी बच्ची को बचा लीजिए।”
फेनर की आँखें बर्फ-सी सर्द हो चुकी थीं। उसने कोमल लेकिन दृढ़ तरीके से बुजुर्ग के हाथ को अपने कोट की आस्तीन से हटाया और बोला, “देखिए, मैं अपनी मर्जी का मालिक हूँ। मैं किसी के लिए काम नहीं करता हूँ। इसलिए अगर कोई काम मुझे करना है तो वो मैं करूँगा और अगर कोई काम मुझे नहीं करना है, तो उसे मैं नहीं करूँगा। फिलहाल के लिए मेरे पास एक काम है, जो मैं करना चाहता हूँ। मुझे दुख है कि आपकी बच्ची ने खुद को परेशानी में डाल दिया है लेकिन मैं इसमें कुछ नहीं कर पाऊँगा। एफबीआई इतनी बड़ी है कि वह आपकी और आपके जैसे कई लोगों की बच्चियों को ढूँढ़ सकती है। मैं माफी चाहता हूँ लेकिन मैं ये काम नहीं करने वाला हूँ।”
उसने पॉला को गर्दन झटककर चलने का इशारा किया और बिना उसका इंतजार करे लाउन्ज से बाहर चला गया। लिंडसे ने बेबसी से अपने हाथ अपनी बगल में गिरा दिए और बिना कोई आवाज किए रोने लगा। पॉला को समझ नहीं आ रहा था कि वह क्या करे। उसने लिंडसे का हाथ थपथपाया और फिर वह भी खड़ी हुई और लाउन्ज से बाहर को निकल गयी। फेनर बाहर खड़ा उसका इंतजार कर रहा था। जब वह उसके नजदीक पहुँची तो वह गुर्राया।
“तुम्हें तो क्रिमपिंग[2] करनी चाहिए। तुम्हें आखिर क्या लगता है कि हम लोग क्या यहाँ कोई रैन-बसेरा चला रहे हैं ?”
पॉला उसे गुस्से से देखकर बोली, “उस आदमी की लड़की खो गयी है। क्या तुम्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ता ?”
“मेरे लिए वो केवल सिरदर्दी है।” फेनर गुस्से में फुफकारा, “सीधा ऑफिस आ जाओ। हमें अभी काफी काम करना है।”
“कभी-कभी मुझे लगता है तुम अच्छे हो।” पॉला रिसेप्शन हॉल की तरफ जाते हुए कड़वाहट से बोली, “लेकिन फिर तुम ऐसी कोई हरकत कर देते हो कि दिमाग घूम जाता है। सच बताऊँ तो अभी कोई मुझे फूटी कौड़ी और तुम में से कुछ चुनने को कहेगा, तो मैं फूटी कौड़ी लेना चाहूँगी।”
तभी एक लंबा युवक एक बड़े लाउन्ज से बाहर को निकल कर खड़ा हुआ और फेनर के नजदीक आकर बोला, “मेरा नाम ग्रोसेट है और मैं डी ए (डिस्ट्रिक्ट अटर्नी) के ऑफिस से हूँ। मुझे आपसे कुछ बात करनी है।”
“हम्म”, फेनर घूरघुराया। “मैं अभी किसी जरूरी काम के लिए निकल रहा हूँ, यार!”, वह फिर ग्रोसेट को टालता हुआ सा बोला, “कल मेरे दफ्तर में तब आना, जब मैं वहाँ नहीं रहूँगा।”
ग्रोसेट ने झिझकते हुए बाहर के दरवाजे पर खड़े पुलिस वालों की तरफ इशारा करते हुए शालीनता से कहा, “हम लोग या तो यहाँ पर बात कर सकते हैं या फिर मेरे दफ्तर में। फैसला आपको करना है।”
“अच्छा, तो ऐसी बात है। चलो फिर यहीं पर बात करते हैं। जल्दी बताओ, इतना क्या जरूरी काम आ गया ?” फेनर बत्तीसी दिखाता हुआ बोला।
“मैं अंदर कुछ भूल आई हूँ। अभी आती हूँ।”, पॉला फेनर को व्यस्त देखकर उससे बोली।इसके बाद वह उन्हें छोड़कर वापिस कॉकटेल लाउन्ज में चली गयी। लिंडसे अभी भी वहाँ पर सिर झुकाकर बैठा हुआ था। वह उसके बगल में बैठी और उसे दिलासा देते हुए बोली, “ऐसा मत समझिएगा कि मिस्टर फेनर आपका दर्द नहीं समझते हैं। बात यह है कि वह एक जरूरी मसले के चलते परेशान हैं और कई बार चिड़चिड़े हो जाते हैं। उनका इरादा आपका दिल दुखाने का नहीं था।”
पॉला की बात सुनकर लिंडसे ने अपनी गर्दन उठाकर उसे देखा।
“शायद मुझे उन्हें परेशान ही नहीं करना चाहिए था। लेकिन मैं भी क्या करता। मेरी बेटी मेरे लिए मेरी सब कुछ है।” वह बेबस-सा होकर बोला।
पॉला ने अपना बैग खोला और उसमें से एक नोट-बुक निकालते हुए बोली, “मुझे सभी तथ्य बताइये। मैं वादा तो नहीं करती लेकिन हो सकता है कि मैं उन्हें मना लूँ।”
यह सुनकर ही उस बुजुर्ग की बुझी हुई आँखों में उम्मीद की एक चमक नजर आने लगी।
“मैं ये कर सकता हूँ ।” वह भर्राये गले से बोला, “बताइये, आपको क्या तथ्य जानने हैं ?”
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बाहर लाउन्ज में फेनर, ग्रोसेट के पीछे-पीछे आकर एक शांत कोने में मौजूद एक टेबल पर बैठ चुका था। फेनर को ग्रोसेट विश्वास के काबिल न लगा था इसलिए फिलहाल वह चौकन्ना था।
ग्रोसेट, फेनर को काफी शिष्ट लगा था। जरूरत से इतना ज्यादा शिष्ट कि उसे किसी गड़बड़ के होने का अहसास हो गया था। ग्रोसेट ने सोने का एक पतला-सा सिगरेट केस बाहर निकाला और फेनर को एक सिगरेट पेश की। उसने फिर अपने सोने के लाइटर से दोनों सिगरेटों को जलाया।
“तुम लोग ऐश कर रहे हो।” फेनर कटाक्ष करता हुआ-सा बोला।
ग्रोसेट उसकी बात को नजरंदाज कर बोला, “मुझे नहीं लगता कि हमारा पहले कभी पाला पड़ा है।” उसने अपनी एक टाँग को दूसरे के ऊपर इस तरह से रखा कि उसके सफेद और काले चेक वाले जुराब अब दिखाई देने लगे थे।
“मैंने आपका लाइसेंस चेक किया है।”, वह बोला। “आप वही हैं जिसने उस ब्लैंडिश किडनैपिंग केस से काफी पैसा कमाया था। उस समय आप इस धंधे में नये ही थे और जहाँ तक मेरी जानकारी है, आपकी माली हालत भी कुछ ज्यादा अच्छी नहीं थी। आपकी किस्मत अच्छी थी। आपको एक मौका मिला जिसे आपने भुनाया और फिर केन्सास से सीधा यहाँ आकर अपना काम जमा लिया। क्यों, मैं सही कह रहा हूँ न ?”
फेनर ने धुएँ की एक लंबी धार अपने नथुनों से बाहर फेंकी और बोला, “अब तक की कहानी तो ठीक ही है।”
ग्रोसेट समझ रहा था कि फेनर क्या कर रहा है। उसने अपनी बात आगे बढ़ाई, “आप पिछले छः महीने से न्यू यॉर्क में हैं और इन छः महीनों में आपने ज्यादा कुछ नहीं किया है।”
फेनर ने एक जम्हाई ली और भावहीन लहजे में बोला, “मुझे जो काम पसंद आता है, मैं वही करता हूँ”।
“आज सुबह हमारे पास आपके बारे में एक बड़ी तगड़ी टिप आई थी।”
“सच में ?” फेनर के चेहरे पर एक व्यंग्यात्मक मुस्कान उभर आई। वह आगे बोला, “इतनी तगड़ी कि तुमने कुछ पुलिसवालों को मेरे यहाँ भेजा और उन्हें अपना-सा मुँह लेकर वापिस जाना पड़ा।”
ग्रोसेट मुस्कराता हुआ बोला, “उसके बाद से हमने उस पूरे ब्लॉक की तलाशी ली है।” वह थोड़ी देर रुका और ऐसे बोला जैसे कोई राज की बात बता रहा हो, “और जानते हैं, हमें क्या मिला ? एक चीनी व्यक्ति जिसका खून किया गया था। और जानते हैं, वो कहाँ था ? वो जो आपके दफ्तर के नजदीक में खाली ऑफिस हैं न, उधर ही। हैरत की बात है न ?”
फेनर ने अपनी भौंहें उठाईं और बोला, “तो तुम मेरा भेजा क्यों चाट रहे हो ? क्या चाहते हो ? मैं उसके कातिल का पता लगाऊँ!”
“हमें जो टिप मिली थी उसके हिसाब से वह लाश आपके दफ्तर में मिलनी चाहिए थी।”
“दुख की बात है न ? क्या हुआ ? क्या उन्होंने उसे गलत कमरे में डाल दिया ?”
ग्रोसेट ने सिगरेट के टोटे को ऐश-ट्रे में डाला और फिर फेनर को समझाता हुआ-सा बोला, “देखिए फेनर, हमें आपस में लड़ने की जरूरत नहीं है! मैं अपने सारे पत्ते आपके सामने खोलने को तैयार हूँ। उस चीनी की हत्या छत्तीस घंटे पहले की गयी थी। जिस तरह से वह टिप आई थी, उसी से हम जानते थे कि वह किसी को फँसाने के लिये किया गया काम है। फिर भी हमें देखना तो था ही। अब बात ये है कि हमारी इस चीनी में रुचि है। हम उसके बारे में कुछ चीजें जानना चाहते हैं। अगर आप इस मामले से अपने रिश्ते के बारे में बता दें तो कैसा रहेगा ?”
फेनर ने अपनी नाक खुजाई। “मेरे भाई।” वह आगे बोला, “इस भाषण के बाद तो मेरा मन सैलवेशन आर्मी में जाकर ड्रम बजाने को करने लगा है। मेरी बात का यकीन करो। अगर मुझे कुछ पता होता तो मैं तुम्हें बता देता। अगर मेरे किसी मसले का उस चीनी से कोई रिश्ता होता, तो वो भी मैं तुम्हें बता देता लेकिन अफसोस ऐसा कुछ है ही नहीं। मेरे दफ्तर में कोई चीनी कभी आया ही नहीं। जहाँ तक रही बात मरे हुए चीनी की तो मैंने किसी मरे हुए चीनी को आज तक देखा ही नहीं है और भगवान से यही दुआ रहेगी कि आगे भी कभी न देखना पड़े।”
ग्रोसेट ने फेनर को गौर से देखा। फिर वह उदास लहजे में बोला, “मैंने सुना था कि आप ऐसे ही हैं। अपने हिसाब से चीजों को करना चाहते हैं। जब सभी गुत्थियाँ सुलझा लेते हैं तभी उसे हम लोगों तक आने देते हैं। चलिए, आप अगर ऐसा ही चाहते हैं तो ऐसा ही सही। अगर हम आपकी कुछ मदद कर सकें तो जरूर करेंगे। लेकिन एक बात ध्यान में रखिएगा। अगर आपने कोई गलत-सलत हरकत की तो हम लोग आपकी ऐसी हालत कर देंगे कि आप उस दिन को कोसेंगे जब न्यूयॉर्क आने का ख्याल आपके मन में आया था।”
फेनर ने यह सुन अपने दाँत दिखाए और खड़ा होते हुए बोला, “चलो, सारी बातें साफ हो गयी, है न ? अगर कुछ रह नहीं गया है तो मैं चलता हूँ। कुछ जरूरी काम निपटाने हैं।”
ग्रोसेट ने सहमति में सिर हिलाया।
“आप अपना ख्याल रखिए, फेनर! मैं आपसे जल्द ही दोबारा मिलूँगा।” ग्रोसेट बोला और फिर उसने खड़े हुए उन दोनों पुलिस वालों को इशारा किया। वह तीनों फेनर को उधर छोड़कर लॉबी से बाहर निकल गए।
फेनर एग्जिट की तरफ बढ़ने ही लगा था कि तभी पॉला भी कॉकटेल लाउन्ज से तेजी से चलते हुए आई और उस तक पहुँच गयी।
“तुम कहाँ थीं ?” फेनर उसे देख हैरान होता हुआ बोला।
“मेरी बात ध्यान से बिना गर्म हुए सुनना, डेव।” पॉला, फेनर को समझाते हुए बोली, “मैं अंदर मिस्टर लिंडसे से बातें कर रही थी। उनकी बेटी के साथ क्या-क्या हुआ था, इसकी जानकारी मैंने ले ली है। तुम्हें उस पर एक नजर मारनी चाहिए।”
फेनर ने पॉला पर एक सर्द नजर मारी और बोला, “मेरी बात ध्यान से सुनो। मैं अब लिंडसे या उसकी बेटी के बारे में एक भी शब्द नहीं सुनना चाहता। मेरी उनमें न कोई रुचि थी, न कोई रुचि है और न आगे कभी होने वाली है। मेरे दिमाग में अभी इतना कुछ चल रहा है कि वह मेरी आगे आने वाली ज़िंदगी के लिए काफी है।”
“जितना तुम्हारा दिमाग है, उसके हिसाब से यह कोई हैरत की बात नहीं है।” पॉला ने फेनर को दो टूक जवाब दिया और फिर उसके पीछे-पीछे बाहर सड़क पर आ गयी।
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