पॉला डोलन ने जैसे ही अधखुले दरवाजे की भीतर झाँका तो फेनर ने अपनी मुंदी हुई आँखों में से एक आँख खोली। पॉला एक निहायत ही खूबसूरत चेहरे और करिश्माई बदन की मल्लिका थी। फेनर ने कुछ देर तक पॉला को देखा और फिर अपनी कुर्सी पर पसर गया। उसके विशालकाय पैर मेज पर मौजूद सफेद रंग के ब्लोटिंग पेपर पर टिके हुए थे और उसकी कुर्सी पैंतालीस डिग्री की कोण में पीछे को मुड़ी हुई बस पलटने का इंतजार कर रही थी।
उनींदी आवाज़ में वह बोला, “अभी नहीं, जानेमन! मैं तुम्हारे साथ बाद में खेलूँगा। फिलहाल मैं कुछ सोच रहा हूँ।”
अब की अधखुले दरवाजे से पॉला के कुछ और उभार नुमाया हुए और वह मेज तक पहुँची।
“उठ जाओ, कुंभकरण!” वह बोली, “एक ग्राहक आया है।”
फेनर आलस से कराहा, “उसे जाने को बोलो यार! उससे कहो हमने अपनी दुकान बंद कर दी है। मैं मशीन थोड़े न हूँ। मुझे थोड़ा-बहुत नींद भी चाहिए होती है।”
“फिर तुम्हारा बिस्तर किस काम आता है ?” पॉला अधीरता से बोली।
“अब ऐसे सवाल मत पूछा करो।” फेनर कुर्सी पर और पसरता हुआ बड़बड़ाया।
“नखरे छोड़ो, डेव!” पॉला मनुहार करती हुई-सी बोली, “बाहर एक बेहद खूबसूरत शख्सियत खड़ी है और मुझे ऐसा लग रहा है कि वह तुमसे अपने दुखड़े साझा करना चाहती है।”
फेनर ने फिर से अपनी एक आँख खोली और कहा, “वह कैसी दिखती है ? हो सकता है, वो कोई चंदा माँगने वाली हो ?”
पॉला परेशान होकर मेज के किनारे पर बैठ गयी और फिर बोली, “कभी-कभी तो मैं सोचती हूँ कि तुमने यह जगह ले क्यों रखी है ? क्या तुम्हें काम नहीं करना है ?”
फेनर ने अपने सिर को दाएँ-बाएँ हिलाते हुए कहा, “अगर काम किये बिना रहा जा सकता है, तो कौन कमबख्त काम करना चाहेगा। जहाँ तक मेरा ख्याल है, हमारे पास काफी पैसा पड़ा है। ऐसे में मारे-मारे फिरने की क्या जरूरत है ?”
“तुम्हें पता नहीं, तुम किस चीज से हाथ धो रहे हो। लेकिन जब तुमने कुछ न करने का फैसला कर ही लिया है तो फिर मैं भी कौन होती हूँ।” कहकर पॉला मेज से उतरकर दरवाजे की तरफ जाने को मुड़ी।
“अरे सुनो।” फेनर ने पॉला को जाते हुए देखा तो वह सीधा हुआ। अपनी टोपी को उसने अपनी आँखों से पीछे को धकेला और फिर बोला, “क्या वह सच में बेहद खूबसूरत है ?”
पॉला ने सिर हिलाकर सहमति दर्शाई।
“लेकिन मुझे लगता है, वह बहुत बड़ी मुसीबत में है, डेव!”
“ठीक है, ठीक है। भेजो उसे अंदर।” फेनर हार मानता हुआ-सा बोला।
पॉला ने दरवाजा खोलकर बाहर झाँका और कहा, “क्या आप अंदर आएँगी ?”
“शुक्रिया!” एक आवाज आयी। कुछ देर बाद उस आवाज की मालकिन ने भीतर कदम रखा और पॉला के बगल से होते हुए वह फेनर के समक्ष खड़ी हो गयी। वह एक जवान लड़की थी जो अब अपनी हल्की नीली बड़ी-बड़ी आँखों से फेनर को देख रही थी।
वह औसत से थोड़ी लंबी थी और छरहरे बदन की मालकिन थी। उसकी टाँगे बहुत लंबी, हाथ और पैर पतले और उसका शरीर किसी डाली-सा तना हुआ था। उसके बादल से काले बाल उसकी हैट के नीचे से दिख रहे थे। उसने एक बेहद खूबसूरत टू-पीस ड्रेस पहनी हुई थी और इसमें वह परी चेहरा बेहद जवान और डरी हुई लग रही थी।
पॉला उसे देख ऐसे मुस्कराई जैसे उसे हौसला दे रही हो और फिर कमरे से बाहर चली गयी। जाते-जाते वह दरवाजा बंद कर गयी थी।
फेनर ने अपने पैरों को मेज से हटाया और खड़ा होते हुए कुर्सी की तरफ इशारा करके बोला, “बैठ जाइए और मुझे बताइए कि मैं आपकी क्या मदद कर सकता हूँ।”
उसने इनकार में अपना सिर हिलाया और फिर हाँफती हुई-सी बोली, “नहीं, मैं खड़ी ही ठीक हूँ। वैसे भी मैं इधर ज्यादा देर तक नहीं रुकने वाली हूँ।”
फेनर वापस बैठा और फिर बोला, “आप इधर पूरी तरह से सुरक्षित हैं। लेकिन जैसा आपको ठीक लगे, आप वैसा ही करिए। इसे ऑफिस न समझकर किसी जानकार का घर ही समझिए।”
कुछ एक मिनट तक वह एक-दूसरे को देखते रहे। फिर फेनर ही आगे बोला, “मुझे लगता है, यह आपके लिए ही बेहतर होगा। आप थकी हुई लग रही हैं और मुझे ऐसा अंदेशा है, आपको मुझसे ढेर सारी बातें करनी हैं।”
फेनर को उसे देखकर यह तो अंदाजा हो गया था कि उसकी घबराहट का कारण वह नहीं था। कोई दूसरी ही चीज थी, जिसने उसे इस कदर डराया हुआ था। कुछ ऐसा, जिसके विषय में फेनर अभी नहीं जान पाया था। अपनी आँखों में घबराहट लिए उसके खड़े होने का अंदाज कुछ ऐसा था, जैसे मौका लगते ही वह बाहर की तरफ भाग पड़े।
उसने दोबारा इनकार में सिर हिलाया और हाँफते हुए बोली, “मैं चाहती हूँ, आप मेरी बहन को ढूँढें। मुझे उसकी बहुत फिक्र है। आप बताइए कि उसे ढूँढ़ने में कितना खर्च आएगा ? मेरा मतलब है कि आपकी फीस क्या होगी ?”
फेनर ने अपने हाथ के निकट मौजूद स्याही की बोतल की ओर घूरकर देखा।
“अभी के लिए आप कीमत की फिक्र मत करिए। परेशान न हों और मुझे पूरी बात बताइए।” वह बोला, “सबसे पहले तो मुझे यह बताइये कि आप कौन हैं ?”
वह कुछ बोलती कि तभी फेनर के मेज पर पड़ा फोन घनघना उठा। लड़की पर इसका असर चौंकाने वाला था। वह तेजी से फोन से दो कदम पीछे हुई और उसकी आँखें खौफ से ऐसी बड़ी हो गयीं जैसे फोन, फोन न होकर कोई जंगली जानवर हो, जो उसे खा जाने को तैयार हो।
फेनर उसकी तरफ देखकर मुस्कराया और प्यार से बोला, “यह इतनी तेज बजता है कि मैं भी कई बार घबरा जाता हूँ।” फिर रिसीवर को अपनी तरफ खींचता हुआ वह बोला, “जब मैं कुर्सी पर सो जाता हूँ और यह इस तरह बजता है तो यकीन मानो, मेरे भी होश फाख्ता हो जाते हैं।”
वह घबराई हुई-सी दरवाजे के नजदीक खड़ी उसे देख रही थी।
फेनर रिसीवर को उठाकर कान में लगाते हुए लड़की से बोला, “माफ करना! मैं ज़रा बात करके देख लेता हूँ कि कौन है।”
“हाँ कौन ?” फेनर फोन पर बोला।
फोन की लाइन साफ नहीं थी और कड़कड़ाहट की ध्वनि उधर से आ रही थी। फिर एक आदमी की आवाज उधर से आयी जिसका लहजा बहुत स्पष्ट था, “फेनर ?”
“हाँ कौन ?”
“मेरी बात ध्यान से सुनो फेनर! कुछ ही देर में एक लड़की तुम्हारे पास आएगी। मैं चाहता हूँ, मेरे वहाँ पहुँचने तक तुम उसे थामकर रखो। मैं बस तुम्हारे दफ्तर के लिए निकल चुका हूँ। तुम समझ गये न, तुम्हें क्या करना है ?” फोन पर बोला गया।
फेनर ने लड़की को देखा और उसे देखकर दिलासा देता हुआ-सा मुस्कराया। फिर वह फोन पर बोला, “तुम क्या कह रहे हो, मेरी समझ में नहीं आ रहा है।”
“ठीक है। ध्यान से सुनो और इस बार समझो। एक लड़की तुम्हारे पास आएगी और तुम्हें अपनी गुमशुदा हुई बहन की कहानी सुनाएगी। उस लड़की को तुम्हें अपने पास रखना है। उसे कहीं जाने नहीं देना है। वह लड़की मतिभ्रम की शिकार है। कल वह मानसिक अस्पताल से भागी थी और मुझे पता है कि वह तुम्हारे दफ्तर की तरफ आ रही है। बस मेरे पहुँचने तक उसे बातों में उलझाकर रखो।”
फेनर ने अपनी टोपी को अपनी नीचे की ओर खींचा और फिर बोला, “पहले ये बताओ, तुम बोल कौन रहे हो ?”
फोन में थोड़ी कड़कड़ाहट की आवाज हुई और फिर उधर से बोला गया - “तुम्हारे सभी सवालों का जवाब मैं उधर पहुँचकर दूँगा। मैं पाँच मिनट में उधर पहुँच रहा हूँ। तुम्हें यह जहमत उठाने के लिए बड़ी फीस भी अदा की जाएगी। तुम इस बात की फिक्र मत करना।”
“ठीक है, तुम आओ।” कहकर फेनर द्वारा फोन काट दिया गया।
“क्या उसने कहा कि मैं पागल हूँ ?”, लड़की फोन कटते ही बोली। सवाल करते हुए घबराहट के मारे वह अपने खाली हाथ से अपनी स्कर्ट के किनारे को ठीक करती जा रही थी।
फेनर ने फोन के रिसीवर को क्रेडल पर रखा और सिर हिलाकर सहमति दर्शाई।
उस लड़की ने अपनी आँखें एक पल को बंद कीं और फिर उसकी पलकें किसी अचानक से बैठाई गयी गुड़िया की तरह ऊपर की ओर पलट गईं। उसने बेबसी से कहा, “उस पर विश्वास करना इतना मुश्किल काम नहीं है।” फिर उसने अपने बैग को मेज पर रखा, अपने दस्तानों को उतारा और तेजी से अपने कोट को अपने बदन से अलग किया।
फेनर का हाथ अभी भी फोन पर मौजूद था और वह जड़-सा बैठा उसे देख रहा था। वह धीमे से सुबकी और फिर काँपते हुई उँगलियों से वह अपनी कमीज उतारने लगी।
फेनर इस अप्रत्याशित हरकत से हैरान होते हुए अपनी जगह पर थोड़ा हिला और फिर बोला, “आपको यह सब करने की आवश्यकता नहीं है। मैं वैसे भी आपकी मदद करने लिए तैयार हूँ।”
वह एक बार फिर सिसकी और फिर फेनर की तरफ पीठ करके खड़ी हो गयी। उसने अपनी कमीज पूरी तरह से निकाल दी थी। इस दौरान फेनर का हाथ मेज पर रखी घंटी की तरफ बढ़ चुका था। शायद यह लड़की पागल थी और उस पर किसी तरह का आरोप लगा सकती थी। लेकिन उसकी कमर पर नजर जाते ही वह थम-सा गया और उसने अपने हाथ को घंटी से दूर हटा दिया।
उसकी कपूर-सी गोरी पीठ पर चोटों के निशान साफ देखे जा सकते थे। इन निशानों में से कुछ निशान उँगलियों के निशानों की तरह दिखाई दे रहे थे। उसने अपना ब्लाउज दोबारा पहन लिया और उसके बटन लगाने लगी। फिर उसने अपना कोट चढ़ा लिया। इसके बाद वह पलटी और फेनर ने देखा कि अब उसकी आँखें पहले से काफी बड़ी हो गयी थीं। वह किसी हिरणी-सी फेनर को अपनी उन आँखों से देख रही थी।
“क्या अब आपको विश्वास हुआ कि मैं मुसीबत में हूँ ?” उसने पूछा।
फेनर ने अपना सिर हिलाकर सहमति जताई और बोला, “आपको यह सब करने की जरूरत नहीं थी। आप मेरे पास मदद माँगने आईं थीं। अब आपको कहीं और जाने की जरूरत नहीं है। ठीक है ? अब आपको घबराने की भी जरूरत नहीं है।”
वह उधर खड़ी हुई अपने निचले होंठ को अपने चमचमाते हुए दाँतों से काटती रही। फिर उसने अपना बैग खोला और बैग से नोटों की एक गड्डी निकाली। नोटों की इस गड्डी को मेज उसने मेज पर रखा और बोली, “क्या यह एडवांस के तौर पर काफी रहेगा ?”
फेनर ने अपनी मोटी उँगली से उस गड्डी को छुआ। वैसे तो बिना गिने वह निश्चित तौर पर कुछ नहीं कह सकता था लेकिन वह यह शर्त लगाने को तैयार था कि गड्डी में कम से कम छः हजार डॉलर थे। वह तेजी से उठा, उसने मेज पर पड़ी गड्डी उठाई और दरवाजे की तरफ बढ़ गया। “आप इधर ही रुकिए।”, वह लड़की से बोला और बाहर के कमरे की तरफ बढ़ गया।
पॉला टाइपराइटर के सामने बैठी हुई थी। उसके हाथ उसकी गोद में रखे हुए थे और उसकी आँखें आदेश की अपेक्षा से फेनर को देख रही थीं।
“अपनी हैट उठाओ और इस लड़की को बाल्टीमोर होटल ले जाओ।”, फेनर उससे बोला। “ वहाँ उसके लिए उधर एक कमरा बुक करो और उसे वहीं कमरे में रुकने के लिए कहो। ये गड्डी भी ले जाओ और जब उस लड़की का इंतजाम हो जाए, तो इसे बैंक में जमा कर देना। इस लड़की के बारे में जो कुछ हो सके, उसका पता लगाना। लड़की से कहना, मैं उसका ख्याल रखूँगा। उसे अच्छी तरह से यह बात समझा दो। उससे प्यार के दो शब्द कहो। वो घबराई हुई है, मुश्किल में है और इतनी जवान है कि उसे किसी माँ जैसे सहारे की जरूरत भी है। तुम वह सहारा बनो।”
वह फिर भीतर गया और लड़की से बोला, “आपका नाम क्या है ?”
लड़की ने अपने दोनों हाथों को आपस में जोड़ा और फेनर से विनती की, “मुझे यहाँ से दूर ले चलो।”
फेनर ने अपने हाथ को उसकी बाँह पर रखा और उसे समझाते हुए कहा, “देखिए, मैं आपको अपनी सेक्रेटरी के साथ बाहर भेज रहा हूँ। वो आपका ख्याल रखेगी। एक व्यक्ति है जो कि आपके कारण इधर आने वाला है। मैं उसे संभालता हूँ। आपका नाम क्या है ?”
“मेरियन डेली।” वह बोली। उसका गला सूख रहा था। उसने थूक गटका और फिर तेजी से बोली, “मुझे कहाँ जाना चाहिए ?”
तभी पॉला अपने दस्तानों को पहनते हुई भीतर दाखिल हुई। फेनर ने उसे देखकर सिर हिलाया और लड़की से बोला, “आप मिस डोलन के साथ जाइए। जब नीचे जाओगे तो पीछे के रास्ते जाना। आपको कुछ नहीं होगा। अब आपको घबराने की कोई जरूरत नहीं है।”
मेरियन डेली ने उसे एक कातर सी मुस्कान दी और बोली, “मुझे ख़ुशी है कि मैं आपके पास आई। देखिये, मैं बहुत मुसीबत में हूँ। मेरी बहन भी बहुत मुसीबत में है। भगवान जाने! बारह चीनियों से उसे क्या काम हो सकता है ?”
फेनर ने एक गहरी साँस छोड़ी और उसे दरवाजे की तरफ ले जाता हुआ बोला, “इस बारे में मैं क्या कह सकता हूँ। हो सकता है, उसे चीनी पसंद हों। कइयों की वह पसंद होते हैं। खैर, आप अभी परेशान मत होइये। आज रात जब तक मैं आपसे मिलने नहीं आऊँ तब तक अपना ख्याल रखिए।”
फेनर गलियारे में आया और उन्हें लिफ्ट तक जाते हुए देखता रहा। जब लिफ्ट का दरवाजा बंद होकर नीचे को बढ़ गया तो वह लौटकर अपने दफ्तर की ओर चल दिया। उसने अपने दफ्तर का दरवाजा हौले से बंद किया और फिर अपनी मेज की तरफ बढ़ा। अपनी मेज में मौजूद सबसे ऊपरी दराज को उसने खोला और अड़तीस कैलिबर की पुलिस स्पेशल रिवॉल्वर निकाली। उसे कुछ गलत होने का अंदेशा था। बंदूक अपने कोट की जेब में डालकर वह अपनी मेज के पीछे मौजूद कुर्सी पर जाकर बैठ गया। फिर उसने अपने पैर वापस मेज पर रखे और अपनी आँखों को मूँद लिया।
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वह लगभग दस मिनट तक ऐसे ही बैठा रहा। उसके दिमाग में इस मामले से जुड़ी कई थ्योरियाँ चल रही थीं। ऐसी तीन बातें थीं जो उसे दिलचस्प लगीं थीं:
लड़की द्वारा दिए गये छः हज़ार डॉलर, लड़की की पीठ पर बने चोटों के निशान और लड़की द्वारा अचानक किया गया बारह चीनियों का जिक्र। उसे केस पर रखने के लिए क्यों इतना पैसा एडवांस के तौर पर दिया गया था ? क्यों उसने सीधे-सीधे अपनी चोटों के बारे में नहीं बताया था ? ऐसे नाटकीय तरीके से अपनी चोटों को दिखलाने के पीछे उसका क्या मकसद था ? और ये बारह चीनियों का क्या मामला था ? उसने सीधे यह क्यों नहीं बताया कि वह इन चीनियों से क्या चाहती थी ? और फिर इस संख्या बारह के पीछे क्या चक्कर था ?
फेनर कुर्सी पर खुद को सहज करने के लिए थोड़ा-सा खिसका।
फिर वह फोन वाला आदमी भी था। क्या वह युवती सचमुच एक मानसिक अस्पताल से भागकर आ रही थी ? उसे इस बात पर संदेह था। यह बात सही थी कि वह बेहद बुरी तरह डरी हुई थी लेकिन मानसिक रूप से वह असामान्य नहीं लगती थी। उसने अपनी टेबल पर मौजूद एक छोटी-सी घड़ी पर नजर डाली। लड़की को गये हुए बारह मिनट हो गये थे। न जाने उस आदमी के आने में अभी और कितना समय लगने वाला था।
इन सभी बातों को सोचते-सोचते उसे अचानक यह अहसास हुआ कि वह उतनी तल्लीनता से सोच नहीं पा रहा था जितना कि उसे सोचना चाहिए था। उसका आधा ध्यान न चाहते हुए भी बाहर गलियारे से आती सीटी की आवाज पर चला जाता था। वह चिढ़कर अपनी जगह पर हिला और फिर उसने दोबारा से अपना ध्यान मौजूदा समस्या पर लगाया।
आखिर यह मेरियन डेली कौन थी ? यह बात तो जाहिर थी कि वह ऊँचे तबके की अमीर लड़की थी। जो कपड़े उसने पहने हुए थे उन्हें खरीदने में अच्छा-ख़ासा पैसा खर्च हुआ होगा।
बाहर सीटी का बजना बदस्तूर जारी था। ‘काश, वह व्यक्ति सीटी बजाना बंद कर दे।’ उसने सोचा। वैसे भी वह कौन-सी धुन बजा रहा था, उसने खीजकर सोचा। उसने धुन को ध्यान से सुना और फिर वह भी सीटी बजाने वाले के साथ ‘क्लोई’ नाम के गीत की उदास धुन बजाने लगा।
उस उदास धुन का फेनर के दिल पर असर होने लगा था। उसने वह धुन गुनगुनानी बंद कर दी थी और अब केवल उस बाँसुरी-सी बजती आवाज को सुन रहा था। इसके साथ-साथ उसकी तर्जनी उंगली उसके हाथ के पिछले हिस्से को धुन की लय के साथ खटखटा रही थी। अचानक से फेनर को अपने शरीर में एक झुरझुरी-सी महसूस हुई। जो भी यह धुन बजा रहा था, वह अपनी जगह से हिल नहीं रहा था। उस धीमी मगर तीखी सीटी की ध्वनि का स्तर इस तरह एक समान था, जैसे कोई व्यक्ति उसके दरवाजे के बाहर खड़ा होकर उसके लिए ही यह धुन बजा रहा हो।
फेनर अब सतर्क हो चुका था। उसने धीमे से अपने पैर मेज से हटाए और कुर्सी को आराम से पीछे को खिसकाया। वह मातमी धुन अभी भी बज रही थी। उसने अपने कोट के अंदर वाली जेब में हाथ डाला और वहाँ मौजूद अड़तीस कैलिबर की बंदूक के हत्थे को छूकर देखा। वैसे तो उसके केबिन के भीतर घुसने का एक ही रास्ता था, जो कि बाहर से आता था लेकिन उसने अपने दफ्तर से बाहर जाने के लिए भी एक रास्ता तैयार करवाया हुआ था। फेनर अक्सर इस दरवाजे को ताला लगाकर बंद रखता था। यह दरवाजा इस ब्लॉक के पीछे की तरफ को खुलता था। इसी दरवाजे के बाहर से वह सीटी की धुन लगातार आती जा रही थी।
फेनर बेआवाज दरवाजे तक गया और उसने हौले से ताले को खोला। उसने इस बात का खास ख्याल रखा था कि दरवाजे के मोटे शीशे के पैनल पर उसकी छाया न पड़ने पाए। दरवाजे के हैंडल को आराम से नीचे करते हुए उसने धीमे से दरवाजा खोलना शुरू किया ही था कि बाहर से आती सीटी की आवाज अचानक से बंद हो गयी। उसने झटके से दरवाजा खोला और फिर गलियारे में आकर इधर-उधर नजर फिराई। उसे वहाँ कोई भी नजर नहीं आया। वह तेजी से भागते हुए सीढ़ी के मुहाने पर गया लेकिन उसके हाथ कुछ न लगा। नीचे झाँकने पर भी उसे कोई व्यक्ति उतरता हुआ न दिखा। जगह एकदम सुनसान थी। फिर वह घूमा और गलियारे के अंत तक गया। वहाँ मौजूद सीढ़ियों से नीचे उसने झाँका। नतीजा सिफर निकला।
फेनर ने अपनी टोपी नाक के ऊपरी सिरे तक नीचे खींची और फिर खड़ा होकर आस-पास की आवाजों को सुनने लगा। उसे नीचे सड़क से आती गाड़ियों की बहुत धीमी आवाज, इमारत में मौजूद लिफ्ट की आवाज और अपने सिर के ऊपर मौजूद बड़ी-सी घड़ी की लगातार होती टिक-टिक के अलावा कुछ और नहीं सुनाई दिया।
वह धीरे-धीरे चलते हुए अपने दफ्तर तक पहुँचा। दरवाजे पर खड़े रहकर उसने थोड़ी देर इंतजार किया। वह सतर्क था लेकिन कहीं कोई हलचल नहीं हुई। वह दफ्तर में दाखिल हुआ और उसने दरवाजा बंद कर दिया। दरवाजा बंद होते ही सीटी फिर से बजने लगी।
फेनर की आँखें अब सर्द हो चली थीं। उसने अपनी गन निकाली और दफ्तर के बाहरी कमरे की तरफ बढ़ गया। वह ड्योढ़ी पर पहुँचकर रुका और गुर्राया। बाहर मौजूद विज़िटर चेयरों में से एक कुर्सी पर एक छोटे कद का व्यक्ति बैठ हुआ था। उसने काले रंग का गंदा सा कोट डाला हुआ था। उसकी हैट उसके चेहरे पर इतनी नीची खिंची हुई थी कि उसका चेहरा देखना लगभग असंभव था। फेनर उसे देखकर ही समझ गया था कि वह जो कोई भी हो पर वह अब ज़िंदा नहीं था। उसने अपनी बंदूक को अपने पीछे वाले जेब में डाला और उस आदमी के नजदीक पहुँचा।
फेनर ने उसके छोटे-छोटे पतले पीले हाथों को देखा जो कि बेजान से उसकी गोद में रखे हुए थे। फिर वह आगे को झुका और उसने उस आदमी के चेहरे पर झुके हुए हैट को हटा दिया।
वहाँ उसे एक खौफनाक मंजर दिखाई दिया। वह एक चीनी ही था, जिसका गला एक कान से दूसरे कान तक रेता गया था। घाव को बाद में सिल जरूर दिया गया था लेकिन सिलने के बाद भी उसकी वीभत्सता खत्म नहीं हुई थी। वह दृश्य किसी की भी रूह कँपा देने के लिए काफी था।
फेनर ने अपने चेहरे पर उभर आए पसीने को अपने रुमाल से पोंछा।
“न जाने आज उठने के बाद किसकी शक्ल देखी थी ?” वह बुदबुदाया।
वह सीधा हुआ और अभी अपने अगले कदम के बारे में सोच ही रहा था कि उसके दफ्तर में रखा फोन घनघनाने लगा। फेनर एक्स्टेन्शन तक गया, उसने प्लग को अंदर डाला और रिसीवर को उठाकर कान में लगाया।
दूसरी तरफ पॉला थी और वह बहुत परेशान लग रही थी।
“वो गयी डेव।” पॉला बोली, “हम लोग बाल्टीमोर तक गए और फिर वह गायब हो गयी।”
“क्या किसी ने उसे अगवा कर लिया ?” फेनर ने उत्तेजित होकर पूछा । “नहीं। वो मुझे चकमा देकर भाग गयी। मैं होटल के रिसेप्शन पर उसके लिए एक कमरा बुक करा रही थी। मैंने सिर घुमाकर देखा तो पाया कि वह दरवाजे से बाहर निकल रही है। मैं उसके पीछे भागी लेकिन जब तक मैं गली में पहुँची तब तक वह गायब हो चुकी थी।”
“माल का क्या हुआ ? क्या वो वो भी ले गयी ?” फेनर ने अगला सवाल किया।
“नहीं, वो तो हमारे पास ही है। अभी वह बैंक में है। लेकिन मुझे बताओ कि अब मैं क्या करूँ ? क्या मैं वापस दफ्तर आ जाऊँ ?”
फेनर ने अपने सामने मौजूद चीनी को देखा और बोला, “नहीं, तुम बाल्टीमोर में ही रुको और उधर ही लंच करो। मैं यहाँ किसी क्लाइंट के साथ थोड़ा व्यस्त चल रहा हूँ। यहाँ से फ्री होता हूँ तो तुम्हें उधर ही आकर मिलता हूँ।”
“लेकिन डेव, उस लड़की का क्या होगा ? क्या तुम्हारा यहाँ आना जरूरी नहीं है ?”
फेनर की हालत ऐसी थी कि वह अपनी झल्लाहट को काबू न कर पाया, “ बॉस तुम हो या मैं ?क्या जरूरी है और क्या नहीं ये मैं तय करूँगा। मेरे सामने जो क्लाइंट है उसे मैं इंतजार करते नहीं रख सकता। अगर ऐसा किया तो हमें काफी नुकसान हो जाएगा और मैं ऐसा नुकसान नहीं उठा सकता हूँ।”
अपनी बात कहकर फेनर ने रिसीवर क्रेडल पर पटक दिया। इसके बाद वह सीधा हुआ और उस चीनी को देखते हुए भावनाहीन लहजे में बोला, “चल भाई, थोड़ा टहलने चलते हैं।”
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