फेनर की स्थिति बुरी थी । वह घुटनों के बल बैठा था, उसका बायाँ हाथ उसकी पीठ की तरफ मुड़ा था और पलंग उसकी कमर पर मौजूद था। इस स्थिति से निकलने का उसके पास केवल यही तरीका था कि वह एक बार फिर पलंग को उठाए। वह पलंग को पीठ पर लादे जैसे ही खड़ा हुआ कि तभी रीगर ने उस पर लात चला दी। रीगर का वार फेनर के घुटने के पीछे वाले हिस्से पर जाकर लगा और फेनर झटका खाकर आगे हो हुआ। फेनर को ऐसा लगा जैसे उसके कैद हो रखी बाँह की माँसपेशियों ने आग पकड़ ली हों। दर्द के अतिरेक से गुस्से में पागल हो चुके फेनर ने पलंग उठाकर ही रीगर पर पटक दिया। पलंग के ऊपरी सिरे पर मौजूद लोहे के हेडबोर्ड के नीचे अब रीगर का गला फँस चुका था और फेनर पूरी जान लगाकर बिस्तर को दबा रहा था। रीगर की आँखें अब उसकी आँखों की कटोरियों से बाहर निकलने को हो रही थीं और वह अपने हाथों को हिलाता किसी जल बिन मछली की तरह तड़प रहा था। फेनर तब भी पूरी ताकत से पलंग को नीचे दबाता रहा था।
तभी मिलर ने फेनर पर छलाँग लगाई और उसके सिर पर वार करने लगा। लेकिन तब भी फेनर ने बिस्तर से दबाव नहीं हटाया। वह जानता था कि रीगर फँस चुका है और एक बार रीगर इस लड़ाई से बाहर हो गया तो बाकी दोनों से पार पाना उसके लिए आसान था। रीगर अब नीला पड़ने लगा था और उसके हाथ बेजान होने लगे थे। उसकी इहलीला अब किसी भी वक्त समाप्त हो सकती थी कि तभी कार्लोस दौड़कर आया और उसने पलंग को रीगर से परे धकेल दिया। रीगर फड़फड़ाकर अपने हाथों और घुटनों के सहारे बैठा और किसी बीमार कुत्ते की तरह आवाजें निकालने लगा।
मिलर के वारों से फेनर के भौं के ऊपर का हिस्सा कट चुका था और उससे बहते खून की धारा से फेनर को परेशानी होने लगी थी। फेनर ने अब अपने दायें हाथ से पीछे को टटोला और मिलर के पेट को पाकर उसमें अपनी उँगलियाँ गाढ़ दीं। मिलर पतली-सी आवाज में चीखा और उसने दूर जाने की कोशिश की लेकिन फेनर ने पकड़ बनाये रखा और जोर लगाकर बिस्तर उठाया अपने और मिलर के ऊपर गिरा दिया।
अब वह दोनों पलंग के नीचे दबे पड़े थे। कार्लोस उन्हें पलंग के बीच से देख जरूर पा रहा था लेकिन उन तक पहुँच नहीं पा रहा था। उसने पलंग हटाने की कोशिश जरूर की थी लेकिन फेनर ने पलंग को अपनी बाँह से दबाए रखा था। फेनर की उँगलियाँ अभी भी मिलर के पेट में गड़ी हुई थी जो अब दर्द के कारण चीखे जा रहा था और अपने पाँव पटकते जा रहा था। मिलर ने फेनर के चेहरे पर घूसे मारने की कोशिश की फेनर ने खुद को थोड़ा और मोड़ा, अपने चेहरे को उसने अपनी छाती से टिकाया और अपनी उँगलियों का दबाव बनाए रखा।
कार्लोस ने जब देखा कि वह कुछ कर नहीं पा रहा है तो वह बाहर की तरफ भागा और फेनर को उसके स्पैनिश भाषा में चिल्लाने की आवाज सुनाई दी। तभी मिलर ने अचानक से जोर लगाया और फेनर को कुछ फटता हुआ सा महसूस हुआ। फेनर ने जल्दी से अपनी पकड़ छोड़ दी। वह जानता था उसने मिलर को चोटिल कर दिया है। मिलर के चेहरे का रंग उड़ चुका था और वह बेजान होकर जमीन पर पड़ा हुआ डरी हुई आँखों से फेनर को घूरे जा रहा था। “तूने मुझे खत्म कर दिया है”, वह बोला। उसके मुँह के किनारों पर थूक के छोटे छोटे बुलबुले उभर आए थे।
फेनर ने मुस्कराने की कोशिश की लेकिन वह कामयाब न हो पाया। उसने लात मारकर मिलर को परे धकेला और पलंग को धीरे-धीरे ऐसे घुमाने लगा कि उसका बँधा हुआ हाथ मुड़ा न रहे। फिर किसी जुनूनी की तरह लगकर उसने लोहे के बेड पोस्ट को उसके सॉकेटों से निकाला और खड़ा हो गया। उसकी स्थिति अभी भी बुरी तो थी लेकिन पहले जितनी बुरी नहीं रही थी। वह अब दरवाजे की तरफ बढ़ने लगा। जब वह रीगर के बगल से गुजरा तो रीगर दीवार की तरफ पीठ करके अपने गले पर दोनों हाथ रखकर घुटनों के बल झुका हुआ था। फेनर ने गुजरते हुए पोस्ट का एक वार रीगर पर किया तो रीगर अपनी बाँहों से अपने सिर को ढककर एक तरफ को लुढ़क गया।
कुछ ही कदम आगे बढ़ने पर फेनर कमरे के बाहर पहुँच चुका था। उसे ऐसा लग रहा था जैसे जमीन पर गोंद हो और वह उसके बीच से निकल रहा हो। गलियारे तक पहुँचते हुए उसके कदम धीमे होते चले गए थे और अचानक से वह अपने हाथों और घुटनों के बल गिर गया। उसका सिर बहुत तेजी से घूम रहा था और उसकी छाती दर्द से फट रही थी। वह कुछ देर तक हाथों और घुटनों के बल ही बैठा रहा। उसका मन वहीं पर लेटने का हो रहा था लेकिन वह जानता था कि उसे आगे बढ़ते ही रहना होगा। उसने अब अपना एक हाथ दीवार पर टिकाया और उसका सहारा लेकर उठने की कोशिश की। इस कोशिश में उसके हाथों ने खून का एक लंबा-सा निशान उस दीवार पर लगे गंदे पीले रंग के वॉलपेपर पर छोड़ दिया था।
‘लगता नहीं मैं यहाँ से निकल पाऊँगा।’ उसने खड़े होकर एक बार सोचा और फिर किसी कच्ची इमारत-सा ढह गया।
नीचे से अब काफी चीखने-चिल्लाने की आवाजें आने लगी थीं और उसने वापस कमरे में जाने की कोशिश की। उसे सीढ़ियों से ऊपर भागकर आते आदमियों की आवाज सुनाई दे रही थी। ‘ये पोस्ट भी क्या आफत है।’ उसने झल्लाते हुए सोचा और एक बार फिर अपने हाथ को छुड़ाने की कोशिश की। ऐसा लग रहा था जैसे उस पोस्ट को किसी ने उसके हाथों के साथ वेल्ड कर दिया था। जैसे ही उसे दो क्यूबन बहुत जोश से उसकी तरफ आते दिखाई दिए वैसे ही उसने खड़े होने की कोशिश की लेकिन वह कामयाब नहीं हो पाया। वह लोग आकर उससे टकराए और वह तीनों एक साथ जमीन पर गिर गए। अब उनमें से एक ने उसके गले को पकड़ लिया था और एक उसकी टाँगों से जूझ रहा था। ये ठिगने मवाली काफी ताकतवर थे। उनसे जूझते हुए उसके मन में यही ख्याल आया।
जिस क्यूबन ने उसका गला पकड़ा हुआ था फेनर ने उस पर पोस्ट से वार किया और उसकी पकड़ से आजादी पायी। इसके बाद उसने झूमते दूसरे क्यूबन पर अपनी मुट्ठी का प्रहार किया। उसे वार क्यूबन पर लगने का अहसास तो हुआ लेकिन उसने पाया कि क्यूबन पर इसका कोई खास असर नहीं हुआ था। फेनर अचानक से काफी थका हुआ महसूस कर रहा था। इस सब का कोई फायदा नहीं था। उसकी हिम्मत अब जवाब देने लगी थी। उसने दोबारा वार करने की कोशिश की और उसे कार्लोस की आवाज सुनाई दी, “ज्यादा जोर से नहीं, संभलकर।” फिर कोई चीज उसके सिर से टकराई और वह औंधे मुँह गिर पड़ा। उसकी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा था। इस अँधेरे के बीच में उसके हाथ को किसी चेहरे का अहसास हुआ तो उसने उस पर वार करने की एक कमजोर-सी कोशिश की लेकिन फिर उसकी आँखों के आगे एक तेज रोशनी हुई और एक घुटन भरे अंधकार ने उसको अपनी आगोश में ले लिया।
☐☐☐
फेनर ने होश में आते ही सोचा, “मेरी बहुत ज्यादा ठुकाई की गयी होगी और अब उन्हें लग रहा है कि मैं अब उनके लिए कोई दूसरी परेशानी खड़ी नहीं कर सकता हूँ।” ऐसा इसलिए था क्योंकि फेनर को पता चल गया था कि उसे दोबारा बांधा नहीं गया था। उन्होंने पलंग हटवा दिया था और उसे ऐसे ही फर्श पर पटक दिया था। उसने उठने से पहले खुद को थोड़ा वक्त दिया लेकिन जब उसने हिलने की कोशिश की तो पाया कि वह शरीर को बस हल्का-सा झटका ही दे पा रहा था।
“ये आखिर मुझे हो क्या गया है ?” फेनर ने सोचा। उसे मालूम था कि वह बँधा हुआ नहीं था क्योंकि कोई रस्सी उसे महसूस नहीं हो रही थी लेकिन वह हिल नहीं पा रहा था। फिर उसे अहसास हुआ कि कमरा तो रोशन था लेकिन चूँकि उसकी आँखें सूज चुकी थीं तो उसे केवल धुँधली-सी रोशनी ही दिख रही थी। जब उसने अपने सिर को हिलाया तो दर्द की असहनीय लहर उसके शरीर से होकर गुजरी और वह वापस स्थिर हो गया। तुरंत ही वह दोबारा नींद के आगोश में समा चुका था।
किसी ने फेनर की पसलियों पर लातें मारी तो फेनर की नींद खुली। इन लातों में ज्यादा जान नहीं थी बस भारी धप-धप की आवाज उससे हो रही थी लेकिन फिर भी दर्द से फेनर का शरीर बिलबिलाने लगा था।
“उठ जा भई!” रीगर उसे लगातार लात मारता हुआ बोला, “क्या हो गया ? अब कहाँ है तेरी अकड़ ?”
फेनर ने यह सुन अपने शरीर के पोर-पोर से ताकत इकट्ठा की, आवाज की तरफ लुढ़का और अपने हाथों से रीगर के पैरों को ढूँढ़ने की कोशिश करने लगा। रीगर की टाँगे उसके हाथों में आयी तो वह उससे लिपटकर रीगर को नीचे खींचने लगा। रीगर के गले से घुटी-घुटी-सी गुर्राहट निकली, उसने खुद को बचाने की कोशिश की और इसी चक्कर में वह पीछे की तरफ हुआ तो उसका संतुलन बिगड़ गया। वह इतने जोरों से गिरा कि फेनर को कमरा हिलता-सा महसूस हुआ। फेनर दृढ़ता से उसकी तरफ रेंगते हुए बढ़ने लगा तो रीगर ने उसे लात मारी और घिसटते हुए दूर जाकर किसी तरह खड़ा हुआ। रीगर का चेहरा अब गुस्से से सिकुड़कर कुरूप हो चुका था। वह फेनर के ऊपर झुका और उसने फेनर के उठे हुए हाथों को बेरहमी से झटकते हुए उसका कॉलर थाम लिया। उसने उसे ऊपर की तरफ खींचा और फिर जोर से फर्श पर पटक दिया। फेनर ने उस पर वार करने की कोशिश की लेकिन रीगर ने फिर उसे फर्श से खींचा और जोर से एक बार उसे पटका। रीगर ने फिर लगातार चार बार उसे ऐसे ही पटका। फेनर अब बेदम हो चुका था। रीगर अब दूर खड़ा होकर हाँफने लगा।
तभी कार्लोस अंदर आया और ठिठककर खड़ा हो गया।
“तुम क्या उसके मजे ले रहे हो ?” उसने पूछा। उसकी आवाज में हल्की-सी खरखराहट मौजूद थी।
रीगर, कार्लोस की तरफ मुड़ा।
“सुनो, पिओ।” वह दाँत किटकिटाते हुए बोला, “इस आदमी के अंदर काफी अकड़ बची है। मैं जरा इसकी अकड़ को कम कर रहा हूँ।”
कार्लोस, फेनर तक पहुँचा और उसने नीचे देखा। उसने पैरों से फेनर को हिलाया और फिर रीगर की तरफ देखकर बोला, “मैं नहीं चाहता ये मर जाए। मुझे इससे काफी बातें उगलवानी है। मुझे जानना है यह न्यूयॉर्क से यहाँ आकर हमारी गैंग में शामिल क्यों हुआ ? इस सब में कहीं कोई गड़बड़ जरूर है और मुझे ये पसंद नहीं है।”
“ठीक है।” रीगर बोला, “तो फिर क्या इसकी जबान खुलवाई जाए ?”
कार्लोस ने नीचे पड़े फेनर को देखा और बोला, “अभी ये सख्ती बरतने लायक हालत में नहीं है। थोड़ा वक्त गुजरने दो, तब हम इसके होश ठिकाने लाएँगे।”
वह दोनों फिर बाहर चले गए और फेनर बेहोश हो गया।
कुछ देर बाद फेनर को होश आया तो उसे ऐसा लगा जैसे उसके सिर में कई घंटियाँ बज रही हों। उसने आँखें खोली तो उसे लगा जैसे कमरे की दीवारें उसकी तरफ बढ़ रही थीं। डर के मारे उसने अपनी आँखें बंद की और दिमाग पर काबू पाने की कोशिश करने लगा।
कुछ देर तक यूँ ही पड़े रहने के बाद उसने अपनी आँखें खोल ली। दीवारों की उसकी तरफ आने की गति कम हो गयी थी और उसे अब डर नहीं लग रहा था। उसने हाथों और घुटनों के बल रेंगते हुए कमरा पार किया और दरवाजे का हैंडल घुमाया। दरवाजा बाहर से बंद था। अब उसके मन में केवल यही ख्याल था कि वह उन्हें कुछ नहीं बताने वाला है। । उन्होंने उसके सिर पर इतने वार किए थे कि सोचने-समझने की उसकी शक्ति अब खत्म-सी हो गयी थी। अपने शरीर में हो रहे असहनीय दर्द का अहसास भी उसे नहीं था।
“मुझे जल्द-से-जल्द इस सब से पार पाना होगा। अगर ऐसा नहीं किया तो वो मेरे मरने तक मुझे यातनाएँ देंगे।” उसने सोचा। उसे उस चीनी वृद्ध की याद आयी और एक सिहरन-सी उसके शरीर से गुजर गयी, “मैं वो सब नहीं झेल सकता।” उसने सोचा। तभी उसकी आँखों में धूर्तता की एक चमक उभरी और उसने अपने हाथों को अपनी बेल्ट के बकल पर रख दिया। उसने बेल्ट खोली और उसे निकाल दिया। फिर किसी तरह लड़खड़ाते हुए वह अपने पैरों पर खड़ा होने लगा। उसकी हालत इतनी खराब थी कि उसे अपने एक हाथ को दीवार पर लगाकर सहारा लेना पड़ा था।
अब बहुत ही ज्यादा सावधानी से उसने बेल्ट को बकल के बीच से निकाला और फिर जब उसका फंदा-सा बन गया तो उसने उसे अपने गले में डालकर उसे कस दिया।
“मुझे अब एक कील या हुक ढूँढ़ना है।” वह खुद से बोला, “मुझे दूसरे हिस्से को कहीं पर फँसाना होगा।”
बड़बड़ाते हुए वह खाली दीवारों पर नजर मारते हुए कमरे के चक्कर काट रहा था। उसने कमरे का एक पूरा चक्कर मारा और फिर दरवाजे के सामने आकर रुक गया।
“कुछ नहीं मिला! कुछ भी तो नहीं मिला! अब मैं क्या करूँगा ?” वह कातर भाव से बोला।
वह वहाँ पर खड़ा था, उसका सिर उसकी छाती पर झुका हुआ था और बेल्ट गर्दन से झूल रही थी। उसने एक और बार कमरे का चक्कर मारा लेकिन उसे दीवारें खाली ही मिलीं। उधर न कोई खिड़की थी, न कोई हुक था। एक बिजली का बल्ब ऊपर जरूर जल रहा था लेकिन वह उसकी पहुँच से बाहर था।
‘क्या बेल्ट के दूसरे सिरे को अपने पैरों के नीचे दबाकर और उल्टी दिशा में दम लगाकर वह खुद को फाँसी लगा सकता था ?’ उसने यह सोचा लेकिन निर्धारित किया कि ऐसा मुमकिन नहीं था। वह वापस फर्श पर बैठ गया और सोचने लगा। घंटियाँ अभी भी उसके सिर के भीतर बज रही थीं और वह दोनों हाथों से सिर को थाम उन घंटियों की धुन पर हिले जा रहा था।
तभी उसे एक रास्ता सूझा।
“लगता है अब मैं पहले जितना समझदार नहीं रहा हूँ।” वह खुद से ही बोला। वह घुटनों और हाथों के बल रेंगते हुए दरवाजे तक गया और उसने दरवाजे के हैंडल के चारों तरफ बेल्ट के दूसरे सिरे को बाँध लिया। अब नीचे की तरफ लेटे-लेटे वह खुद को फाँसी लगा सकता था। इसमें वक्त जरूर लगता लेकिन उसे लगता था कि अगर वह कुछ देर तक ऐसे रहा तो पक्का मर जाएगा।
उसने बेल्ट को हैंडल के इर्द-गिर्द बाँधने में कुछ वक्त लगाया और फिर बेल्ट की लंबाई इतनी छोटी थी कि अब उसकी गर्दन पीतल के हैंडल से कुछ ही इंचों की दूरी पर मौजूद थी। फिर उसने पैरों को तब तक फिसलाया जब तक उसके गले में खिंचाव न पड़ने लगा। अब उसके शरीर का सारा भार उसके हाथों ने ले रखा था।
अपनी मौत को लेकर उसके मन में कोई और विचार नहीं थे। वह केवल यह सोच रहा था कि वह ऐसा करके कार्लोस को मात दे रहा है। वह कुछ देर तक अपने हाथों के सहारे रहा और फिर उसने अपने हाथ हटा दिए। उसके शरीर का बोझ उसकी गर्दन पर आ चुका था। बेल्ट का बकल अब उसकी गर्दन पर धँसते जा रहा था और बेल्ट का चमड़ा उसकी गर्दन को काटने लगा था।
‘आखिर मैं कामयाब हो जाऊँगा।’ उसने जीत की खुशी महसूस करते हुए सोचा। खून अब उसके सिर की धमनियों से टकराने लगा था। साँस न ले सकने के कारण उसके फेफड़ों में पीड़ा होने लगी थी। एक पल को उसका मन हाथ टिकाने का हुआ लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। वह अब बेल्ट में झूल रहा था और उसके आगे अँधकार छाने लगा था। तभी दरवाजे का हैंडल टूटा और फेनर धड़ाम से फर्श पर किसी पके फल की तरह गिर गया।
वह जमीन पर घबड़ाया हुआ-सा पड़ा था और तेजी से साँसे ले रहा था। उसके गले में जहाँ बकल चुभा था वहाँ से खून रिसने लगा था। उसके थके हुए शरीर का पोर-पोर दर्द से कराह रहा था। उसकी हालत बुरी थी लेकिन इस सबसे अधिक बुरा उसे वह हार का भाव लग रहा था जो कि उसके मन में घर करता जा रहा था।
बेल्ट के फंदे को गर्दन से निकाल वह जमीन पर पीठ के बल लेटा। वह मैली छत को देखे जा रहा था। गर्दन से निकलते खून ने उसे सोचने पर मजबूर कर दिया था। उसका दिमाग अभी कुछ सोचने-समझने की हालत में नहीं था लेकिन वह यह भी जानता था कि अगर वह कोशिश करता रहा तो आखिर में समाधान तक पहुँच ही जाएगा।
वह कुछ देर तक यूँ ही पड़ा रहा और फिर उठकर बैठ गया। एक बार फिर धूर्तता उसकी आँखों में दिखाई देने लगी थी। उसने टटोलकर बेल्ट उठाई और फिर उसके बकल को देखने लगा। उसमें बेल्ट की छेद में फँसाने के लिए लोहे की एक छोटी-सी सींक थी। उसे इतना ज्ञान था कि उसकी बाँहों में कहीं पर उसकी मुख्य धमनियाँ थीं। वह उन्हें इस सींक से छेद सके तो खून बहने से ही मार सकता था।
“ये एक अच्छी मौत होगी।।” वह बड़बड़ाया, “साला, मैं भी पागल हूँ जो मुझे ये ख्याल पहले नहीं आया।”
वह अब पूरी लगन के साथ अपनी धमनियों को खोजने लगा थ। जब उसे लगा कि उसने धमनी ढूँढ़ ली है तो उसने बकल निकाला और उसकी सींक से नस को दबाया।
खून की एक बूँद उभरी और उसने अपना दबाव बढ़ा दिया। अब उसकी नस थरथराने लगी थी। तभी अचानक से वह सींक बाँह में गहरे से धँस गयी और खून उफनने लगा। उसके चेहरे पर एक मुस्कान उभर आयी। इस मेहनत ने उसे इतना थका दिया था कि उसके शरीर ने उसका साथ छोड़ दिया और वह पीछे की ओर लुढ़क गया। उसका दर्द से फट रहा सिर जब दीवार से टकराया तो उसकी आँखों के आगे एक तेज रोशनी उभरी और वह अपने होश खो बैठा।
☐☐☐
एक चमचमाती धुँध से उभरकर एक साया उसके सामने आ चुका था। फेनर ने उसे देखा तो एक पल को उसे लगा कि वह कोई परी थी। लेकिन ऐसा नहीं था। वह कर्ली थी। उसने फेनर के ऊपर झुककर कुछ ऐसा कहा जो वह सुन न सका और धीमे से बुदबुदाया, “हैलो, बेबी।”
धीरे-धीरे फेनर को कमरा दिखने लगा था और वह तेज चमचमाती धुँध अब गायब होने लगी थी। कर्ली के पीछे एक छोटे कद और बकरे की शक्ल का आदमी खड़ा था। एक धीमी-सी आवाज कहीं दूर से आती उसे सुनाई दी, “अब वह ठीक हो जाएगा। बस उसे वहीं लेटे रहने देना। अगर मेरी जरूरत महसूस हो तो मुझे बुला लेना। मैं आ जाऊँगा।”
“पानी देना।” फेनर बोला और फिर सो गया।
जब वह दोबारा जागा तो पहले से बेहतर महसूस कर रहा था। उसके सिर में बजती घंटियाँ अब रुक चुकी थी और कमरा भी स्थिर खड़ा था। कर्ली उसके नजदीक रखी एक कुर्सी पर बैठी हुई थी। उसकी आँखें ऐसे भारी लग रही थी जैसे उसे नींद की सख्त जरूरत हो।
“भगवान के लिए...।” फेनर ने बोलना चाहा लेकिन कर्ली जल्दबाजी में उठी और उसकी चादर ठीक करने लगी।
“अभी बात मत करो।” वह बोली, “तुम अब ठीक हो। बस अब सो जाओ।”
फेनर ने अपनी आँखें बंद करी और उसने सोचने की कोशिश की। सोचने का कोई फायदा नहीं हुआ। पलंग उसे अच्छा लग रहा था और उसके शरीर से उठता दर्द भी अब कहीं गायब हो चुका था। उसने अपनी आँखें फिर से खोल लीं।
कर्ली उसके लिए पानी लेकर आ चुकी थी।
“क्या इससे कड़क कुछ मिलेगा ?” फेनर उसे देख बोला।
“बेवकूफों जैसी बातें मत करो। तुम्हें पता है न तुम बीमार हो और फिलहाल पिटाई के कारण सोचने-समझने की हालत में नहीं हो। इसलिए जो दिया जा रहा है वो चुपचाप ले लो।”
कुछ देर तक चुप रहने के बाद फेनर बोला , “वैसे मैं हूँ कहाँ पर ?”
“तुम व्हाइट स्ट्रीट से थोड़ा दूर मौजूद मेरे कमरे में हो।”
“प्लीज बेबी, ये खेल खेलना बंद करो और मुझे बताओ कि मैं यहाँ तक कैसे पहुँचा ?”
“अभी बहुत देर हो गयी है।” कर्ली बोली, “इसलिए तुम अभी सो जाओ। मैं कल तुम्हें सब बता दूँगी।”
फेनर ने खुद को कोहनी के बल ऊपर उठाया। उसे लगा था कि उसे दर्द होगा लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ। वह कमजोर जरूर महसूस कर रहा था लेकिन बस यही बात थी।
“मैं तब से सो ही तो रहा हूँ। मुझे अभी जानना है।” वह कर्ली से बोला।
कर्ली ने आह भरी।
“ठीक है, ठीक है।” वह बोली, “तुम मवाली लोग हमेशा से ही मुझे परेशान करते आए हो।”
फेनर चुप रहा। वह वापस लेटा और इंतजार करने लगा।
कर्ली के माथे पर शिकन पड़ चुकी थी।
“पहले ये बताओ तुमने नाइटेंगल के साथ क्या किया ? वह तुमसे इतना नाराज क्यों है ?”
फेनर ने कर्ली को देखा और फिर बोला, “मुझे याद नहीं है।”
कर्ली ने तिरस्कार से उसे देखा।
“नाइटेंगल ने बताया कि पिओ तुम पर हमला करके तुम्हें अपने वाटरफ्रंट वाले अड्डे पर ले गया था। मुझे जानना था कि तुम्हारे साथ क्या हो रहा है। वहीं जब नाइटेंगल का गुस्सा शांत हुआ तो वह भी बेचैन हो गया। उसे लगा तुम्हारी मदद न करके वह क्रोटी को निराश कर रहा था। इसलिए मुझे उसे तुम्हारे बारे में पता लगाने के लिये ज्यादा मनाना नहीं पड़ा था। जब वह वापस आया तो उसके साथ तुम ऐसी हालत में थे जैसे किसी ने तुम्हारी सही से मरम्मत की हो। उसी ने फिर मुझे डॉक्टर बुलवाने और तुम्हारा ख्याल रखने को कहा।”
फेनर को उसकी बात पर विश्वास नहीं हो रहा था।
“वो मरियल-सा आदमी मुझे कार्लोस के अड्डे से अकेला लेकर आया ? क्या कार्लोस ने उसे कुछ नहीं कहा ?”
कर्ली ने एक जम्हाई ली। “होता तो करता न। वो सभी के सभी उस समय होटल में मौजूद थे।”
“अच्छा।” फेनर बोला। वह कुछ देर तक स्थिर लेटा सोचता रहा और फिर बोला, “आज तारीख क्या है ?” जब कर्ली ने उसे तारीख बताई तो उसने पूछा, “मई ही है न ?”
उसने सहमति में सिर हिलाया तो फेनर ने हिसाब लगाया कि वह चार दिनों से ग्लोरी से दूर था। हालाँकि उसे यह समय चार दिन से ज्यादा का लग रहा था।
“कार्लोस को मेरा पता चला ?” फेनर ने अगला प्रश्न किया।
कर्ली ने दोबारा जम्हाई ली।
“हाँ... पता तो लगा लेकिन उसने अभी तक नाइटेंगल या मेरा संबंध तुम्हारे गायब होने से नहीं जोड़ा है। शायद कुछ देर बाद उसे इस बात का अहसास हो जाए। वह शातिर आदमी है, सब कोणों पर विचार कर ही लेता है।”
फेनर ने खुद को थोड़ा एडजस्ट किया और बालों में अपनी उँगलियों को फिराया। उसकी खोपड़ी में अभी भी काफी दर्द हो रहा था, “अगर उसे पता चला तो शायद वह तुम्हें पसंद न करे।”
कर्ली ने अपने कंधे उचका दिया, “तुम ठीक कह रहे हो।” वह बोली और उसने एक जम्हाई ली, “तुम्हारे बिस्तर में काफी जगह है। अगर मैं इधर ही सो जाऊँ तो तुम्हें कोई दिक्कत तो नहीं होगी न ?”
फेनर मुस्कराया, “मुझे क्या दिक्कत हो सकती है, भला।”
कर्ली मुस्कराई और कमरे से बाहर चली गयी। जब वह लौटकर आई तो उसने एक गुलाबी रंग का ऊनी ड्रेसिंग गाउन डाला हुआ था।
“वाह! बहुत घरेलू है, है न ?” फेनर उसे देखकर बोला।
वह आयी और बेड के दूसरे सिरे पर बैठ गयी।
“हो सकता है, लेकिन ये गर्म है।” वह बोली। इसके बाद उसने चप्पलों को झटककर निकाला और ड्रेसिंग गाउन को उतार दिया, “तुम्हें शायद यकीन न हो लेकिन मुझे बिस्तर में हमेशा ठंड लगती है।” वह बोली। उसने ऊन का बना पतला सा नाइट सूट पहना हुआ था।
फेनर ने उसे बिस्तर में उसके बगल में आते हुए देखा तो बोला, “ये सूट भी अनरोमांटिक ही लग रहा है, है न ?”
कर्ली ने तकिये पर अपने सिर को टिका दिया।
“तो क्या हुआ ? ऊन से तुम्हें कुछ उलटे सीधे ख्याल नहीं आएँगे।” कहकर उसने एक जम्हाई ली और अपनी आँखों को झपकाया, “वैसे भी मैं थक चुकी हूँ।” वह बोली, “तुम जैसे आदमी का ख्याल रखना मेहनत का काम है।”
फेनर ने बहुत धीरे से कहा, “सही कहा। सो जाओ। क्या मैं तुम्हें लोरी गाकर सुनाऊँ ?”
“पागल कहीं के।” कर्ली नींद में बोली और फिर सो गयी।
फेनर अब अँधेरे में लेटा कर्ली की गहरी साँसों को सुन रहा था और सोचने की कोशिश कर रहा था। वह अभी भी घबड़ाया हुआ महसूस कर रहा था और उसका दिमाग इधर-उधर भटक रहा था। कुछ देर की मशक्कत के बाद वह खुद भी सो गया।
सुबह के उजाले ने उसे नींद से जगाया। उसने अपनी आँखें खोली और कमरे में अपनी नजरें फिराईं। उसे अहसास था कि अब वह सही ढंग से सोच पा रहा है और उसका शरीर भी दर्द नहीं कर रहा है। वैसे तो बिस्तर पर हिलने पर उसने पाया था कि उसके शरीर में अभी भी थोड़ी अकड़न है लेकिन वह काफी अच्छा महसूस कर रहा था।
कर्ली धीरे-धीरे उठकर बिस्तर पर बैठी और पलकें झपकाते हुए इधर-उधर देखने लगी।
“अब कैसा महसूस कर रहे हो ?” वह फेनर को देख बोली।
फेनर दाँत दिखाता हुआ मुस्कराया। मुस्कराने में उसे परेशानी जरूर हो रही थी लेकिन खुशी उसकी आँखों में देखी जा सकती थी। उसने हाथ बढ़ाकर कर्ली को छुआ।
“तुम मेरी अच्छी दोस्त साबित हुई हो।” वह कर्ली से बोला, “तुमने ऐसा क्यों किया, बेबी ?”
कर्ली उसकी तरफ घूमी।
“इस चीज पर इतना सिर मत खपाओ।।” वह बोली, “मैं पहली दफा तुम्हें मिली थी तभी मैंने तुमसे कहा था कि तुम मुझे अच्छे लगे हो।”
फेनर ने अपनी बाँह से उसकी कमर को घेर लिया। कर्ली ने अपनी आँखें बंद करीं और अपना मुँह ऊपर को उठा दिया। फेनर ने उसे चूम लिया।
“शायद मैं सामान्य आदमी नहीं हूँ। मुझे ये सब नहीं करना चाहिए।”
“सच में ? खैर, मैं तो कहीं भाग के नहीं जा रही।”, कर्ली बोली। वह बेहद प्यार से उसके साथ पेश आ रही थी।
“क्या सोच रही हो ?” कुछ देर बाद फेनर ने उनींदी हालत में पूछा।
जवाब में कर्ली ने अपना हाथ फेनर के चेहरे पर हौले से रखा और बोली, “मैं बस सोच रही थी कि बहुत देर हो जाने के बाद तुम्हारे जैसे व्यक्ति से टकराना कितना मुश्किल हो जाता है ?”
फेनर उससे दूर हो गया।
“तुम्हें इसे इस तरह नहीं देखना चाहिए।।” वह संजीदगी से बोला।
वह अचानक से हँस पड़ी पर उसकी आँखें अभी भी गंभीर ही थीं।
“मैं नाश्ता लेकर आती हूँ। तुम्हें रेजर गुसलखाने में ही मिल जाएगा।”
जब तक नाश्ता टेबल पर रखा गया तब तक फेनर ने शेव कर लिया था। वह बाहर निकला और टेबल पर बैठ गया।
“मज़ा आ गया।” वह खाने की तरफ देखता हुआ बोला।
उसे अलमारी में जो ड्रेसिंग गाउन मिला था, उसने अंदाजा लगाया कि वह नाइटेंगल का था। वह उसके टखने तक आ रहा था और उसे थोड़ा टाइट भी हो रहा था।
कर्ली उसे देख खिलखिलाकर हँस पड़ी।
“तुम बड़े अजीब से लग रहे हो।”
फेनर जल्दी-जल्दी खाने लगा। कर्ली को बाहर जाकर उसके लिए और अंडे फ्राई करने पड़े।
“मुझे लगता है तुम तेजी से ठीक हो रहे हो।” वह बोली।
फेनर ने सहमति में सिर हिलाया और बोला, “मैं बहुत अच्छा महसूस कर रहा हूँ। अच्छा, मुझे एक चीज बताओ बेबी। क्या नाइटेंगल भी तुम्हारे लिए मायने रखता है ?”
कर्ली ने फेनर के कप में और कॉफी उड़ेली।
“वो मेरी एक आदत-सी है। मैं कुछ सालों से उसके साथ हूँ। वह मेरे साथ अच्छे से पेश आता है और शायद मेरे पर लट्टू भी है।।” कहकर उसने अपने कंधे उचकाये। वह आगे बोली, “तुम जानते होंगे कि यह चीजें कैसी होती हैं। चूँकि मुझे कोई ऐसा नहीं मिला है जो उससे अधिक अच्छा लगता हो तो मुझे लगता है कि उसे ही खुश कर लिया जाए।”
फेनर ने सहमति में सिर हिलाया, पसरकर बैठा और फिर उसने एक सिगरेट सुलगा ली।
“और थेलर ? उसकी क्या अहमियत है ?”
कर्ली का चेहरा सर्द हो गया। उसकी आँखों से हँसी गायब हो चुकी थी।
“बंदर गुलाटी मारना कभी नहीं भूलता, है न ?” वह खड़े होते हुए कड़वाहट के साथ बोली, “मुझे तुमसे कुछ भी नहीं कहना, मिस्टर जासूस।”
“तो तुम्हें पता है ?”
कर्ली प्लेटों को उठाने लगी।
“सभी को पता है।”
“नाइटेंगल को ?”
“उसे भी।”
“लेकिन नाइटेंगल ने मुझे मुसीबत से बचाया।”
“उसके ऊपर क्रोटी का कोई अहसान है।” कर्ली बोली और प्लेट लेकर चली गयी।
फेनर बैठा हुआ सोचता रहा। जब कर्ली वापिस आयी तो वह बोला, “ऐसी बातें मत करो, बेबी। तुम और मैं काफी आगे जा सकते हैं।”
कर्ली उसकी तरफ को झुकी तो फेनर ने पाया कि उसका चेहरा कठोर हो चुका था और वहाँ फेनर के प्रति संदेह साफ दिख रहा था।
“ऐसी लाइन मारकर तुम अपना काम नहीं निकलवा पाओगे।” वह बोली, “इसलिए कोई ऐसा ख्याल है तो उसे भूल जाओ।”
“ठीक है, हम सब कुछ भूल जाएँगे।” फेनर ने दो टूक जवाब दिया।
कर्ली ने उस वक्त खुद को गुसलखाने में बंद कर दिया था जबकि नाइटेंगल भीतर दाखिल हुआ। वह फेनर को गुस्से से देखता हुआ खड़ा रहा।
“शुक्रिया दोस्त।” फेनर बोला, “तुमने मुझे एक बड़ी मुसीबत से बाहर निकाला है।”
नाइटेंगल अपनी जगह पर खड़ा रहा।
“अब चूँकि तुम ठीक हो तो यहाँ से रफूचक्कर हो जाओ।” नाइटेंगल बोला, “ये शहर तुम्हारे और कार्लोस के लिए काफी छोटा है।”
“छोटा तो शर्तिया है।” फेनर बोला।
“क्रोटी तुम जैसे पुलिसवाले के साथ क्यों है ?” नाइटेंगल ने प्रश्न किया, “आखिर मामला क्या है ?”
“क्रोटी के लिए कार्लोस कोई मायने नहीं रखता। मैं कार्लोस को खत्म करना चाहता हूँ और क्रोटी भी यही चाहता है।”
नाइटेंगल अब कमरे के और भीतर आ गया।
“तुम्हारा यहाँ से जल्द-से-जल्द निकलना बहुत जरूरी है।” वह फेनर से बोला, “अगर कार्लोस को पता चल गया कि तुम्हारी मदद मैंने की है तो पता है वो मेरा क्या हश्र करेगा ?”
फेनर की आँखों में दृढ़ता देखी जा सकती थी। वह नाइटेंगल को घूरते हुए बोला, “मैं कार्लोस को बर्बाद करने वाला हूँ। अच्छा यही रहेगा कि तुम जीतने वालों की तरफ हो जाओ।”
“अच्छा! मैं जीतने वालों की ही तरफ हूँ, मेरे भाई। तुम जल्दी यहाँ से निकलो वर्ना मुझे निकलने में तुम्हारी मदद करनी होगी।” नाइटेंगल बहुत गंभीर और चुप दिख रहा था।
फेनर जान चुका था कि वह समझने वाला नहीं है।
“जैसा तुम ठीक समझो।” वह बात को खत्म करते हुए बोला।
नाइटेंगल झिझका और फिर उसने एक .38 स्पेशल अपनी जेब से निकाली और उसे मेज पर रख दिया।
“ताकि तुम बिना किसी परेशानी के यहाँ से निकल जाओ।” वह बोला, “क्रोटी ने कभी मेरे लिए बहुत कुछ किया था। अब अगर आज रात तक भी तुम यहीं रहे तो अगली बार मुझे देखो तो मुझ पर गोली चलाने से मत झिझकना। समझ रहे हो न ?” वह बोला और बिना फेनर के जवाब की प्रतीक्षा किये वहाँ से निकल गया। जाते हुए आराम से दरवाजा भी भिड़ा गया था।
फेनर ने बंदूक उठाई और उसे अपने हाथों में ढीला पकड़ लिया।
“ये भी ठीक रही।” वह बड़बड़ाया।
कर्ली बाथरूम से निकली। उसने बंदूक देखी तो बोली, “नाइटेंगल आया था क्या ?”
फेनर ने बेख्याली में सिर हिलाया।
“दोस्ताना लहजा था ?”
“लगभग तुम्हारे जितना।”
“हम्म।” वो बोली, “तुम जाने को तैयार हो ? मैं अपनी गाड़ी ला रही हूँ। तुम जहाँ चाहो वहाँ तुम्हें छोड़ दूँगी।”
“ठीक है।” फेनर बोला। वह सोचों में डूबा हुआ था। उसने एक बार फिर कर्ली को देखा और बोला, “देखो, कार्लोस अब बर्बाद होने वाला है। तुम अभी बात बता दो, बेहतर होगा।”
कर्ली ने बुरा-सा मुँह बना दिया।
“क्या पागलपन है!” वह बुदबुदाई, “तुम्हारे कपड़े अलमारी में रखे हैं। उनसे होटल तक तो पहुँच ही जाओगे।” उसने कहा और दरवाजे तक चली गयी, “मैं गाड़ी ले आती हूँ।”
फेनर जितनी जल्दी हो सकता था उतनी जल्दी तैयार हो गया। उसके कपड़े देखकर ऐसा लग रहा था जैसे वह किसी सड़क दुर्घटना का शिकार हुआ हो पर उसे इस चीज की फिक्र नहीं थी। तैयार होकर वह दरवाजे तक गया और फिर गलियारे में आ गया। उसका इरादा नीचे जाकर कर्ली से मिलने का था। वह धीरे-धीरे सीढ़ियों के मुहाने की तरफ बढ़ने लगा। उसे अहसास होने लगा था कि उसकी हालत उतनी भी अच्छी नहीं हुई थी जितनी वह समझ रहा था। उसे एक–एक कदम उठाने में बड़ी मेहनत लग रही थी। सीढ़ियों के मुहाने पर जब वह पहुँचा तो ठिठकने पर मजबूर हो गया। कर्ली नीचे लैंडिंग पर पड़ी हुई थी।
फेनर जड़-सा खड़ा होकर घूरने लगा। फिर उसने अपनी पिछली जेब से बंदूक निकाली और सावधानीपूर्वक सीढ़ियाँ उतरने लगा। वहाँ पर कोई और नहीं था। जब वह कर्ली के नजदीक पहुँचा तो उसे चाकू की मूठ उसकी कमर से बाहर निकलती दिखी। उसने उसे पलटा दिया। कर्ली की गर्दन पीछे को लुढ़क जरूर गयी थी लेकिन उसकी साँसें अभी भी चल रही थीं।
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