होटल से दूर जाकर फेनर टेलीफोन बूथ में दाखिल हुआ और उसने फेडरल बिल्डिंग में फोन लगाया। कुछ देर बाद ही हॉसकिस फोन पर था।
“क्या तुम्हीं ने मेरी नाव में बम फेंका था ?” वह फेनर से गुस्से में बोला था।
“इस बात को रहने दीजिए।” फेनर जवाब में बोला, “आपके लोग चाह ही रहे थे कि कोई ऐसा करे। वो पुराने खयालातों के लग रहे थे। कार्लोस काफी आधुनिक विचारों वाला है। मुझे तो लगता है जल्द ही वह जहरीली गैस का प्रयोग भी करने लगेगा।”
हॉसकिस गुर्राकर कुछ कहने लगा था कि फेनर उसकी बात काटते हुए बोला, “मुझे एक बड़ी काली रंग की सेडान की तलाश है। उसकी लाइसेन्स प्लेट में तीन सी हैं और दो सात मौजूद है। क्या आप इसका पता जरा जल्दी लगा सकते हो ?”
“बेहतर होगा कि तुम मेरे से मिलने यहाँ पर आ जाओ। मुझे तुमसे काफी बातें करनी हैं।” हॉसकिस जवाब में बोला।
फेनर ने गर्दन मोड़कर बूथ के गंदे काँच के पार नजर मारी।
“देखिए, मैं फिलहाल कोई रिस्क नहीं ले सकता।” वह बोला, “इसलिए मैं आपके दफ्तर तो नहीं ही आने वाला हूँ। हाँ, ऐसा हो सकता है कि हम लोग बाद में किसी दूसरी जगह पर मिल लें। अब उस सेडान के बारे में बताइए ?”
“लाइन पर रहो।” हॉसकिस बोला और काम पर लग गया।
फेनर बूथ की दीवार पर टिककर खड़ा और सफेद पेंट पर घसीटी गयी चीजों को पढ़ने लगा। जब हॉसकिस वापस लाइन पर आया तो वह बोला, “इस शहर को सफाई की जरूरत है। बूथों पर आप लोग क्या-क्या लिखते ...”
“उसकी फिक्र छोड़ो।” हॉसकिस उसकी बात काटते हुए बोला, “मुझे लगता है, मुझे गाड़ी का पता लग गया है। क्या वो हैरी थेलर की हो सकती है ? क्या सोचते हो ?”
फेनर ने अपनी आँखें सिकोड़ ली।
“हाँ।” वह बोला, “हो तो सकती है।”
“वैसे लिस्ट में दूसरे नाम भी हैं लेकिन थेलर ही मुझे वो आदमी लगता है जिसकी तुम्हें तलाश है।”
“बाकी लोगों की चिंता मत करिए। इससे मेरा काम हो जायेगा। अच्छा, हॉसकिस अगर मैं आपको कार्लोस और उसके आदमियों के खिलाफ सारे सबूत लाकर दूँ तो क्या आप मेरे लिए कुछ काम कर सकते हो ?”
हॉसकिस ने काम करने की सहमति दे दी।
“मुझे इस थेलर के बारे में वो सब कुछ जानना है जिसका पता आप लगा सकते हो। मुझे ग्लोरी लीडलर नाम की लड़की और उसकी बहन मेरियन डेली के बारे में भी सब जानना है। फिर एक नूओलन नाम का आदमी इधर है। मुझे उसकी भी जन्मपत्री चाहिए। इसके बाद मुझे ग्लोरी के पूर्व पति लीडलर के बारे में भी जानना है। अगर आपको इन सबकी कुंडली मिल जाए तो एक लड़की है कर्ली रॉबिन्स जो कि नाइटेंगल के फ्यूनरल पार्लर में काम करती है। मुझे इस लड़की के बारे में तो जानना ही है, साथ ही ये भी जानना है कि थेलर को इसके बारे में क्या पता है।”
हॉसकिस यह सब सुनकर परेशान-सा हो गया।
“अरे यार!।” वह बोला, “ये तो बहुत सारा काम है। ऐसी जानकारी निकलवाने के लिए पैसे भी खर्च करने होंगे।”
फेनर यह सुन उपहास उड़ाते हुए बोला, “इतनी बड़ी संस्था होने का क्या ही फायदा जब आप इतना-सा काम भी न कर पाएँ ? आप मेरे लिए ये जानकारी खोजिए और मैं वादा करता हूँ कि आपको कार्लोस तो दूँगा ही साथ में आपके पसंद के समूह को पाँच सौ-सौ की पत्तियाँ भी दान कर दूँगा।”
“ठीक है, मैं देखता हूँ। लेकिन इसमें वक्त लग जाएगा।” हॉसकिस बोला।
“मैं समझता हूँ। आपको इन सबके जन्म से लेकर अब तक की ज़िंदगी के बारे में पता लगाना होगा। मुझे सारी जानकारी चाहिए होगी। आधी-अधूरी जानकारी से बात न नहीं बनेगी।”
“अब उस बम की बाबत सुनो।” हॉसकिस ने पुराना राग अलापना शुरू किया ही था कि फेनर ने फोन काट दिया। वह टेलीफोन बूथ से बाहर निकला, अपने हाथों को उसने रुमाल से पोंछा और डुवल स्ट्रीट की तरफ बढ़ गया। चलते हुए वह इस नई जानकारी के विषय में सोचे जा रहा था।
तो वह गाड़ी थेलर थी। अगर ऐसा था तो ये उसे सोचने के लिए काफी कुछ दे रहा था। इस सारे मामले में ही बहुत झोल था। ये ग्लोरी लीडलर भी कोई तगड़ा खेल खेल रही थी। क्या उसका कार्लोस के साथ कोई संबंध हो सकता था ? उसने ग्लोरी का एक झूठ तो पकड़ ही लिया था तो क्या गारंटी थी कि बाकी बातें सच्ची ही हों ? उसकी बहन ने कहा था, ‘भगवान् जाने बारह चीनियों से उसे क्या काम हो सकता है ?’ उसका यह बात कहने के पीछे तब तक कोई कारण नहीं था जब तक कि ग्लोरी ने ही उसे इस बारे में न बताया हो। फिर वह चिट्ठी भी थी। वह समझता था ग्लोरी ने वह नहीं लिखी थी तो सवाल था कि किसने लिखी थी ? यह तो तय था कि वह चिट्ठी जानबूझकर उधर छोड़ी गयी थी ताकि वह यहाँ तक पहुँच सके और इस गुत्थी को सुलझाए। यह भी तय था कि लिखने वाली एक औरत ही थी। अब इस पूरे मामले में जो दूसरी इकलौती लड़की थी वह कर्ली ही थी। तो क्या कर्ली ने वह चिट्ठी लिखी थी ? या फिर...।
और इसके बाद जो विचार उसके मन में आया उसने उसे चलते-चलते रुकने पर मजबूर कर दिया।
क्या ऐसा हो सकता था, उसने सोचा, कि चिट्ठी खुद मेरियन ने ही लिखी हो ?
उसके इस तरह अचानक रुकने से एक मोटा आदमी उससे टकराया। वह उसके बगल से निकला और अपनी गर्दन घुमाकर उसे गुस्से से देखता हुआ आगे निकल गया। फेनर अब नाइटेंगल की दुकान की तरफ चले जा रहा था।
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फेनर ने दुकान का दरवाजा खोला तो बजर बजने लगा। तभी परदों के पीछे से अचानक ही कार्लोस निकलकर आया। उसके कपड़ों से गाँजे की हल्की-सी बदबू आ रही थी और उसकी आँखें उसके सफेद चेहरे पर काँच के टुकड़ों के समान खाली दिख रही थीं।
फेनर को उसे देखकर हल्का-सा झटका लगा ।
“अपना कॉफिन चुनने आये हो क्या ?” वह खुद को संभालकर हँसते हुए बोला।
“तुम्हें कुछ चाहिए ?” कार्लोस ने प्रश्न किया।
फेनर थोड़ी देर कमरे में टहला।
“ओह! मैं तो यहाँ नाइटेंगल से गपियाने आता हूँ।” फिर वह लापरवाही से बोला, “अगर उससे जान-पहचान हो जाए तो वह अच्छा आदमी है। तुम यहाँ इतने नहीं दिखते। कर्ली को खुश करने आये हो क्या ?”
कार्लोस काउंटरके सहारे टिककर खड़ा हो गया। माहौल अब नाजुक हो चुका था।
“मिलर ने बताया कि तुमने उसे नाव में पीटा था।” कार्लोस बोला, “मुझे अपनी गैंग में लड़ाई पसंद नहीं है।”
फेनर ने अपनी भौंहें उठा दी।
“नहीं पसंद है ? ये तो बुरी बात है क्योंकि जब भी मिलर मेरी मौजूदगी में किसी लड़की से जबरदस्ती करने की कोशिश करेगा तो वो पिटेगा।”
कार्लोस ने अपनी पलकें झपकाई।
“रीगर को भी तुम्हारा काम इतना पसंद नहीं आया था।” वह बोला।
फेनर ने अपना सिर हिला दिया।
“ये भी बुरी बात है। लेकिन फिर मैं हैरान भी नहीं हूँ। रीगर और मेरी बनती नहीं हैं।”
“ऐसा लग रहा है तुम्हारे लिए दिक्कत-ही-दिक्कत है। अच्छा, कैसा रहे कि कुछ दिनों तो तुम मेरे लिए काम करो ही न ?” कार्लोस अपने नाखूनों का मुआयना करते हुए बोला।
फेनर चलते हुए उसके नजदीक आ चुका था।
“ठीक है।” वह बोला, “मुझे इससे कोई परेशानी नहीं है।”
कार्लोस ने अपने मुँह को कुछ टेढ़ा किया। शायद यह उसके लिए हँसी का पर्याय था।
“शायद तुम्हें अपने लिए एक कॉफिन चुन लेना चाहिए। मुझे ये जानकर अच्छा लगेगा कि मरने के बाद तुम्हारी इच्छा पूरी हुई।”
फेनर अब कार्लोस के काफी नजदीक पहुँच गया था।
“मतलब अब मेरे साथ कुछ भी हो सकता है ? कोई दुर्घटना या ऐसा ही कुछ ?”
कार्लोस ने अपने कंधे उचकाये।
“तुम अब काफी कुछ जान चुके हो, है न ?” वह बोला, “वैसे इससे पुलिस की कोई मदद नहीं होने वाली है। मैंने अपना अड्डा बदल लिया है और तुम्हें ये भी नहीं पता कि चीनियों को कहाँ से उठवाकर कहाँ पर छोड़ा गया था। लेकिन फिर भी तुम्हें कुछ-न-कुछ तो पता ही है।”
“अगर मैं तुम्हारी जगह होता तो ऐसी कोई कोशिश नहीं करता। मुझे लगता है कि ऐसी कोई भी हरकत बेवकूफी ही होगी।” फेनर बोला।
कार्लोस ने अपनी टाई को ठीक किया।
“तुम्हें क्या लगता है, मुझे इस बात से कुछ फर्क पड़ता है कि तुम इस बारे में क्या सोचते हो ?” कार्लोस बोला और मुड़ गया। तभी फेनर ने आगे बढ़कर उसे पकड़ा और उसे अपनी दिशा में घुमा दिया।
“सुन भई नशेड़ी, लगता है मुझे बताना ही होगा कि मेरी बात का क्या मतलब था।” बोलकर फेनर ने एक घूसा कार्लोस के गाल पर रसीद कर दिया। वार इतना तेज नहीं था लेकिन इससे कार्लोस के पैर उखड़ गए और वह जमीन पर गिर गया।
कार्लोस जमीन पर पीठ के बल अपनी कोहनी के सहारे लेटा हुआ था। उसके चेहरे पर चोट का निशान दिखने लगा था। वह अब अपने दाँतों के बीच से साँसें लेता हुआ फुफकार रहा था। फेनर ने उसे देखा और उसके मन में घोंघे का ख्याल आये बिना न रह सका। वह ऐसे ही लग रहा था।
फेनर उससे बोला, “अब तुम्हें पता चला कि मुझे पसंद नहीं कि कोई मुझे मारने की बात करे। इससे मैं बेचैन हो जाता हूँ। अगर अब भी तुम कुछ करना चाहते हो तो कोशिश कर लेना। लेकिन ये याद रखना कि अगर तुम चूक गए तो फिर मैं तुम्हारे पीछे पड़ जाऊँगा। फिर तुम्हारी ये गुंडों की फौज भी तुम्हें मुझसे नहीं बचा पाएगी। मैं उन पर ध्यान भी नहीं दूँगा। याद रखना, मेरा टारगेट केवल तुम होगे और यकीन जानो जब मैं तुम्हें पकड़ूँगा तो तुम्हारी हड्डी-पसली एक कर दूँगा। तुम्हें बर्बाद कर दूँगा।”
कार्लोस धीरे-धीरे अपने पैरों पर खड़ा हुआ। जब उसने अपने चेहरे पर हाथ लगाया तो उसका हाथ किसी पतंगे सरीखा काँप रहा था।
“अपने कपड़े झाड़ो।” फेनर बोला, “घर जाओ और थोड़ी शराब पी लेना। तुम्हें उसकी जरूरत है।”
बिना कुछ कहे कार्लोस दुकान से बाहर निकल गया। जाते-जाते वह अपने पीछे दरवाजा बंद कर गया था।
“ये बहुत खतरनाक काम किया है तुमने।” नाइटेंगल, फेनर से बोला।
फेनर नहीं जानता था कि वह कितनी देर से उधर खड़ा उनकी बातें सुन रहा था। नाइटेंगल के चश्मों पर पड़ती रोशनी के कारण उसकी आँखें तो देखना मुश्किल हो रहा था लेकिन फेनर उसके माथे पर उभरी पसीने की बूँदें देख पा रहा था।
“अगर तुम्हें उस मवाली की इतनी ही फिक्र थी तो तुमने उसकी मदद क्यों नहीं की ?” फेनर बोला।
नाइटेंगल ने अपने पैने सफेद दाँत दिखाए।
“मेरे लिए वो मायने नहीं रखता।” वह बोला। उसकी आवाज आखिर तक आते-आते एक किकियाहट में बदल गयी थी, “लेकिन फिर भी तुमने बहुत खतरनाक...।”
“छोड़ो यार।” फेनर ने उसकी बात काटी, “मुझे लगता है कि वक्त आ गया है कि कोई उस नशेड़ी को दो-चार हाथ लगाकर असलियत से वाकिफ कराए। वो समझता है जैसे वो इस दुकान का राजा है।”
“असल में वो है।”
“तुम कहाँ तक उससे मिले हुए हो ?”
नाइटेंगल ने अपने दोनों हाथों को खोल दिया। उसने कमरे के चारों तरफ अपने हाथ हिलाए और कंधों को उचका दिया।
“ये सब जो इधर देख रहे हो वो उसी का है। मैं तो केवल उसका फ्रंट हूँ।”
फेनर ने एक हुंकार भरी।
“तो तुम ये इसलिए करते हो क्योंकि तुम्हारे पास करने के लिए कुछ और नहीं है ?”
नाइटेंगल ने सहमति में सिर हिलाया।
“हाँ।” वह बोला, “ज़िंदगी तो जीनी है।”
“कर्ली, वो इसमें कहाँ फिट होती है ?”
चश्मे के भीतर से दिखने वाली कमजोर आँखें गुस्से से दहकने लगी थी।
“तुम उसे इस सब से दूर रखो।”
“वो कार्लोस पर लट्टू हो चुकी है।” फेनर बोला।
नाइटेंगल घिसटते हुए दो कदम आगे आया और उसने बायें हाथ का एक तेज वार फेनर पर कर दिया। वह घूसा फेनर के ठुड्डी पर जाकर लगा था। वार ऐसा था जिससे लगने वाले के होश उड़ जाने चाहिए थे लेकिन नाइटेंगल में इतनी जान नहीं थी। फेनर उस घूसे को खाकर अपनी जगह से हिला तक नहीं था।
“यार, अपने और मेरे में फर्क देखो। तुमसे मैं लड़ूँगा क्या ? छोड़ो ये सब।” फेनर बोला।
नाइटेंगल एक बार फिर घूसा मारने के लिए हुआ लेकिन बीच में ही पैंतरा बदल कर उसका हाथ उसके जेब की तरफ बढ़ गया। लेकिन तभी फेनर ने एक वार नाइटेंगल की पसलियों पर किया। असर प्रत्याशित हुआ। हवा निकले गुब्बारे की तरह आवाज निकालते हुएनाइटेंगल घुटनों के बल गिरा, लुढ़कर एक तरफ को हुआ और फिर उसने अपनी बंदूक निकाल ली। इससे पहले कि वह बंदूक तानता फेनर ने आगे बढ़कर उसकी कलाई पर वार कर दिया। वह बंदूक छिटककर पहले फर्श से टकरायी औरफिर उछलकर कालीन पर गिर गयी। फेनर तभी घुटनों के बल झुका और नाइटेंगल का कोट पकड़कर उसे जोर से झटका दिया।
“मैंने कहा न कि छोड़ो वो सब।” वह नाइटेंगल को हिलाते हुए बोला, “तुम्हें मेरी बात नहीं माननी तो कोई बात नहीं। आगे जाकर किसी और की माननी पड़ेगी। लेकिन एक लड़की के लिए मैं तुमसे नहीं लड़ने वाला हूँ।”
नाइटेंगल ने गुस्से में अपने दाँत दिखाए और कुछ बोलने को हुआ ही था कि वह रुका और फेनर के पीछे मौजूद किसी को देखने लगा। उसका गुस्सा अचानक से घबराहट में बदल गया था। फेनर ने अपने पीछे खड़े हुए एक मर्द को देखा। उसे नाइटेंगल के चश्मों में उसकी झलक दिखाई दी थी। उसने एक बाँह उठते हुए देखी और उसने मुड़ने की कोशिश की मगर तभी उसे लगा जैसे उसके सिर में कोई धमाका हुआ था। वह आगे की ओर गिरता चला गया। उसकी नाक नाइटेंगल के कोट के बटनों से टकराकर छिलती चली गयी थी।
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होश में आते ही फेनर को छत से लटके बल्ब से आती तेज रोशनी का अहसास हुआ। यह बल्ब छत से तारों की बनी टोकरी नुमा होल्डर में फिट था। फिर उसने नोट किया कि वह इस वक्त ऐसे कमरे में था जिसमें कोई खिड़की नहीं थी। इसके बाद उसने अपनी आँखें बंद की और अपने सिर में हो रही धपधपाहट में खो गया। बल्ब की रोशनी उसकी पलकों के बंद होने पर भी उसे चुभ रही थी। उसने पलटने की कोशिश की तो पाया कि वह पलट नहीं पा रहा था। उसने सिर उठाकर देखने की कोशिश की तो उसके आँखों और सिर में दर्द की तेज लहर-सी उठ गयी और उसे फिर लेट जाना पड़ा। कुछ देर बाद उसके सिर में उठ रही धपधपाहट शांत हुई तो उसने एक बार सिर उठाने की कोशिश की।
उसने पाया कि वह एक पुराने से गद्दे में लेटा हुआ है और उसके हाथ जंग लगी चारपाई के साथ बँधे हुए थे। उस कमरे में उस चारपाई के अलावा और कुछ भी मौजूद नहीं था। कमरे के फर्श पर सिगरेट के टोटे और राख फैली हुई थी। सतहों पर धूल की एक मोटी परत जमी हुई थी और अखबारों के कई पन्ने यहाँ-वहाँ फैले हुए थे। कमरे में एक फायरप्लेस भी मौजूद थी जिसके अंदर राख का एक बढ़ा ढेर पड़ा था जैसे कई कागजों को उधर जलाया हो। वह एक घटिया कमरा था जिसमें सड़ांध, सीलन और बासी पसीने की बदबू ही व्याप्त थी।
फेनर आराम करने लगा। अपने हाथों को छुड़ाने की कोई कोशिश उसने नहीं की। वह शांति से लेटा, उसने अपनी आँखों को बल्ब की चमक से बचाने के लिए थोड़ा-सा घुमाया और धीमी-धीमी साँसें लेने लगा। वह अब ध्यान से आस-पास होती आवाजों को सुनने की कोशिश करने लगा। ऐसे लेटकर उसने जो आवाजें सुनी पहले तो वह उनका कोई अर्थ ही न निकाल पाया लेकिन बाद में उसने उन्हें कदमों, बातचीत की गुनगुनाहट और लहरों के तट से टकराने की आवाज के रूप में चिन्हित कर लिया था।
आखिर में वह सो गया क्योंकि वह जानता था की इसके अलावा वह कुछ और नहीं कर सकता था। वह समझता था कि वह अभी इस कैद से निकलने की हालत में नहीं था। उसे समय तक का कोई अहसास नहीं था इसीलिए जब वह उठा उसे बस यही पता था कि क्योंकि उसे अच्छा लग रहा था तो उसे नींद अच्छी आई थी। उसके सिर में हल्का-सा दर्द था लेकिन उसका दिमाग उसे पहले की तरह खोपड़ी में हिलता-सा नहीं लग रहा था। वह उठा भी इसलिए था क्योंकि उसने दरवाजे के बाहर मौजूद गलियारे में किसी के कदमों की आवाज सुन ली थी। उसे ताला खुलने की आवाज आई और फिर लात मारकर दरवाजा खोल दिया गया। उसने अपनी आँखें बंद कर ली थीं। उसे अभी यह जानने की जरूरत नहीं थी कि आने वाले लोग कौन थे।
कोई उसके नजदीक आकर खड़ा हुआ तो उसकी आँखों पर पड़ती रोशनी चली गयी। अब वह व्यक्ति बल्ब और उसके बीच मौजूद था। काफी देर तक वहाँ पर चुप्पी छायी रही।
“हम्म।” फिर कोई गुर्राया और रोशनी दोबारा फेनर की आँखों को परेशान करने लगी। कदम अब दरवाजे की तरफ जाने लगे थे। फेनर ने अपनी आँखें खोली तो उस छोटे आकार के आदमी की चौड़ी पीठ और छोटी टाँगें बाहर जाती दिखी। यह सब उसकी पहचान जाहिर करने के लिये नाकाफ़ी था लेकिन उसके घने चिपचिपे काले बालों और भूरे रंग की त्वचा ने यह बता दिया था की वह कोई क्यूबन ही था। क्यूबन कमरे से बाहर निकला और फिर दरवाजे में ताला लगाकर चला गया।
फेनर के एक गहरी साँस ली और अपने हाथों को छुड़ाने की कोशिश करने लगा। उसने पाया कि जिन रस्सियों से उसे बाँधा गया था वह कसी हुई तो थी लेकिन बहुत ज्यादा नहीं। वह अपने हाथ हिला सकता था। वह अपने निचले होंठ को दबाता हुआ जोर लगाकर रस्सियों को खींचने लगा। ऐसा करने पर जब उसकी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा तो उसे रुक जाना पड़ा। वह स्थिर लेट गया और धीरे-धीरे हाँफने लगा। कमरे में हवा के आने-जाने का एक मात्र साधन दरवाजे के ऊपर बना एक छोटा-सा रोशनदान ही था। वह कमरा अभी भट्टी-सा तप रहा था और फेनर को वहाँ घुटन हो रही थी। वहीं पसीने के कारण उसकी कमीज पीठ पर चिपक-सी गयी थी। उसने धीरे से अपनी कलाइयों को हिलाया।
‘आहा! इन्हें हिला दिया है।’ उसने सोचा, ‘चलो, कुछ तो आगे बढ़ा। अब बस ये सिर दर्द जरा थम जाए तो गाड़ी और आगे खिसकेगी। चल भाई, एक बार और।’ फेनर ने खुद को प्रोत्साहित किया। उसने फिर से रस्सी के साथ जोर आजमाइश शुरू की और नतीजा सुखद निकला। उसका दायाँ हाथ पसीने के कारण चिकना हो गया था और इस कारण वह रस्सी से बाहर निकल ही गया। लेकिन मुसीबत अभी टली नहीं थी। उसका बायाँ हाथ अभी भी बँधा हुआ था और वह उसे छुड़ा नहीं पा रहा था।
धीरे-धीरे वह बिस्तर पर बैठा और अपनी उँगलियों से अपने सिर को परखने लगा। उसके सिर के पिछले हिस्से पर दर्द जरूर था लेकिन न तो वहाँ कोई गूमढ़ था और न किसी तरह की कोई खरोंच ही उधर थी। उसके चेहरे पर एक नाउम्मीद मुस्कान उभर आई। फिर वह मुड़ा और उसने उस गाँठ को जाँचा जिसने उसका हाथ जकड़ रखा था। वह गाँठ बिस्तर के नीचे कुछ इस तरह थी कि वह उसे छूकर महसूस कर सकता था लेकिन देख नहीं सकता था। उसने उस गाँठ को खोलने की बहुत कोशिश की लेकिन वह थोड़ी भी ढीली नहीं हुई। आखिरकार थककर वह गाली बड़बड़ाता हुआ बिस्तर पर पसर गया।
लेटे-लेटे वह खुद की स्थिति पर विचार करने लगा। उस पर वार किसने किया होगा ? उसने सोचा, क्या कार्लोस ने ? वह कर तो सकता था। बहुत मुमकिन था की बाहर निकलने के बाद वह दरवाजे से देखता रहा हो और जब नाइटेंगल से उसकी बहस चल रही थी तो चुपके से भीतर आ गया हो ? या फिर हमलावर कोई और था ? कुछ और प्रश्न उसके जेहन में उठ रहे थे जैसे वह अभी कहाँ पर था और सबसे जरूरी यह कि उसके साथ आगे क्या होने वाला था ?
वह एक बार फिर बिस्तर पर बैठा और अपने पैरों को घुमाकर उसने जमीन पर रख दिया। फिर वह काँपते हुए उठने लगा। उसका बँधा हाथ उसे एकदम सीधे खड़ा होने से रोक रहा था। वह खड़ा हुआ था तो उसका सिर दर्द से फटा जा रहा था लेकिन जब वह बिस्तर को घसीटते हुए दरवाजे की ओर बढ़ने लगा तो दर्द भी कम होने लगा। यह सुनिश्चित करके कि ताला लगा हुआ है वह बिस्तर को धकेलते हुए वापस दीवार तक ले गया और उस पर बैठ गया।
वह यह बात जानता था कि उसे किसी तरह अपने हाथ को छुड़ाना होगा। वह लेटा और किसी जुनूनी की तरह उस गाँठ को खोलने की कोशिश करने लगा। उसकी गीली उँगलियाँ रस्सी पर फिसल रही थी और गाँठ पर कोई असर नहीं डाल पा रही थीं।
तभी कदमों की आहट ने उसे ठिठकने पर मजबूर कर दिया और उसने बिना कोई वक्त गँवाएँ पलंग पर लेटकर अपने खुले हाथ को रस्सी के फंदे में दोबारा फँसा दिया। हाथ फंदे में गया ही था कि तभी कमरे का दरवाजा खुला और कार्लोस भीतर आया। उसके साथ रीगर और मिलर भी मौजूद थे जो कि दरवाजे के थोड़ा-सा भीतर आकर ही रुक गए थे। कार्लोस चलते हुए फेनर के बिस्तर तक पहुँच गया। फेनर ने अपनी नजरे उठाई और कार्लोस की आँखों में आँखें डाली।
“तो, मवाली जाग चुका है।” कार्लोस बोला।
रीगर ने दरवाजा बंद किया और वह और मिलर चलकर फेनर के बिस्तर के इर्द-गिर्द खड़े हो गए। फेनर ने एक नजर तीनों पर मारी और लापरवाही से बोला, “तो अब क्या इरादा है ?”
कार्लोस थोड़ा सा काँप रहा था। वह नशे में बुरी तरह से चूर था। फेनर उसकी आँखों की सिकुड़ी हुई पुतलियाँ तक देख सकता था।
कार्लोस बोला, “अब हम लोग थोड़ा बातें करेंगे।” फिर उसने एक मुठ्ठी बनाई और पीछे होकर एक तेज प्रहार फेनर की नाक के नीचे किया। फेनर ने वार होते देख बचने के लिए सिर घुमाना शुरू तो किया था लेकिन वह इससे उसके असर को थोड़ा ही कम कर पाया। उसे अपने दाँत हिलते हुए से लगे।
“ये तुम्हारा मुझ पर उधार था।” कार्लोस उससे बोला।
फेनर चुप रहा। उसका मन तो अभी कार्लोस का कचूमर निकालने का कर रहा था लेकिन वह जानता था एक हाथ बँधे होने के कारण वह उन तीनों से निपट नहीं सकेगा।
कार्लोस आगे बोला, “तो तुम एक प्राइवेट जासूस हो ?” फिर उसने अपनी जेब से फेनर के कागजात निकाले और उन्हें बिस्तर पर फैला दिया, “तुम सच में हमारे आँखों में धूल झोंकने में कामयाब हो गए थे।”
एक पल उधर सब शांत रहा। फिर कार्लोस बिस्तर पर बैठ गया। फेनर जानता था कि वह कार्लोस को अब दबोच सकता था। अगर बाकी दोनों कमरे से अभी चले जाते तो वह कार्लोस से हिसाब चुकता कर सकता था। क्या पता वे चले ही जाएँ ? फेनर ने सोचा। अभी इंतजार करने के अलावा कोई चारा नहीं था।
कार्लोस आगे को झुका और उसने फेनर को एक झापड़ रसीद किया। फिर उसने एक के बाद एक जोर से दो और झापड़ फेनर के गाल पर मारे। फेनर ने अपनी आँखें झपकाई लेकिन न वह हिला और न ही कुछ बोला। कार्लोस वापस पीछे होकर बैठ गया। उसके शरीर के कंपन से बिस्तर अब दीवार से टकरा कर खड़खड़ाहट रहा था। फेनर को वह थोड़ा पागल-सा नजर आ रहा था।
“तुम यहाँ क्यों आए हो ?” कार्लोस बोला, “तुम क्या पता लगाने की कोशिश कर रहे हो ?”
फेनर होंठों को सिकोड़कर बोला, “मैंने कहा था मुझसे पंगे मत लेना। अब भगवान की कसम, मैं तुम्हें छोड़ने वाला नहीं हूँ। मैं तब तक तुम्हारा पीछा नहीं छोड़ूँगा जब तक तुम्हें बर्बाद न कर दूँ।”
तमिलर यह सुन एक तीखी आवाज में हँसने लगा।
“ये साला पागल है।” वह बोला, “ये तो पूरा पागल हो गया है।”
कार्लोस के हाथ अब इतने हिलने लगे थे कि उसे उन्हें अपनी जेब में रखना पड़ा था, “सुन, जो मैं जानना चाहता हूँ वो मुझे बता दे।” वह बोला, “जल्दी बता वरना हमनें उगलवाना शुरू किया तो बहुत परेशानी होगी तुझे।”
फेनर उनका उपहास उड़ाता हुआ मुस्कराया। वह अब अपने हाथ को फंदे से धीरे-धीरे बाहर निकालने लगा था ताकि उनको कुछ पता न चले। प्रत्यक्षतः वह बोला, “मेरी एक सलाह मानो, मुझे यहाँ से जाने दो।”
कार्लोस खड़ा हो गया। उसने रीगर को आने का इशारा किया और बोला, “इसके होश जरा ठिकाने लगाओ।”
रीगर का पलंग के पास पहुँचना था कि फेनर का हाथ भी फंदे से निकल गया। फेनर ने बिजली की गति से टाँग घुमाई और रीगर के घुटने के ठीक नीचे एक जोरदार वार किया। असर प्रत्याशित था। रीगर दोनों हाथों से अपने घुटने को थामे जमीन पर धराशायी हो गया। दर्द के मारे उसकी आँखें बड़ी-बड़ी हो गईं और वह गालियाँ बकने लगा। मिलर जैसे ही यह देख फेनर पर झपटा तो फेनर बिस्तर पर बैठ गया। मिलर के हाथों में फेनर के बाल आए और उसने उन्हें जकड़कर ऊपर की तरफ खींचा ही था कि फेनर का दायें हाथ का घूसा मिलर के पेट पर पड़ा। फेनर ने अपनी पूरी जान इस घूसे में लगा दी थी।
मिलर किसी आटे की बोरी की तरह फर्श पर अपने बड़े से पेट को अपने दोनों हाथों से पकड़े हुए गिर गया। उसकी साँसें अटक चुकी थी और साँस लेने को जैसे वह जमीन पर लोटने लगा तो उसके चेहरे पसीने से चमचमाने लगा।
कार्लोस यह देख तेजी से पीछे को हुआ। वह साफ तौर पर डरा हुआ था। फेनर खड़ा हुआ और पलंग को खींचते हुए उसकी तरफ बढ़ने लगा। तभी रीगर ने पलंग की एक टाँग पकड़ ली थी और उसे खींचने लगा था। फेनर ने पूरी ताकत से पलंग को खींचा और कार्लोस की तरफ जाने को हुआ। कार्लोस इस वक्त डर के मारे दरवाजे के नजदीक जाने के बजाय उससे दूर हो चुका था। पलंग फेनर की तरफ थोड़ा-सा बढ़ा लेकिन फिर जैसे ही रीगर ने उसे अपनी तरफ खींचा तो वह पीछे को हो गया।
“कमबख्तों, खड़े हो और उसको संभालो!” कार्लोस चिचियाते हुए बोला। उसने अब अपनी बंदूक निकाल ली थी और उसे फेनर पर तान दिया था, “जहाँ हो वहीं खड़े रहो। अगर तुम अब एक इंच भी हिले तो मैं तुम्हें भूनकर रख दूँगा।” वह फेनर को धमकाते हुए बोला।
फेनर ने पलंग और उसके साथ रीगर को आगे घसीटते हुए एक और कदम आगे बढ़ा दिया।
“चलाओ गोली।” वह बोला, “अब यही तुम्हें मुझसे बचा पाएगी।”
तब तक मिलर घुटनों के बल बैठ चुका था और अब वह किसी पागल सांड की तरह फेनर की तरफ झपटा। उसका भारी मोटा शरीर जब फेनर से टकराया तो फेनर अपना संतुलन खोकर सीधे पलंग पर ऐसे गिरा कि उसका दायाँ हाथ उसके खुद के नीचे दब गया। मिलर को अब मौका मिल गया था और वह फेनर पर वार करते जा रहा था। जब तक फेनर ने अपनी टाँग का वार कर मिलर को पलंग से धकेला तब तक वह कुछ तगड़े वार फेनर पर कर चुका था। फेनर एक बार फिर खड़ा हो चुका था। तभी रीगर ने पीछे से आकर फेनर की गर्दन पर पकड़ जमा ली। मिलर उठकर सामने आया और उसने फेनर को तीन-चार घूसे जमा दिए। मिलर थुलथुला जरूर था लेकिन उसने अपनी पूरी जान इन घूसों में झोंक दी थी और फेनर दर्द से दोहरा हो गया था। लेकिन फेनर को इस वक्त मिलर की चिंता नहीं थी। उसका ध्यान रीगर पर केंद्रित था जिसने उसके गले को लोहे की-सी पकड़ में दबोच रखा था। फेनर को अब अपना सिर घूमता-सा महसूस होने लगा था । फेनर ने खुद को छुड़ाने के लिए अपने पैरों को फर्श पर जमाया, अपने शरीर को कड़ा किया और फिर पीछे की तरफ को धक्का लगाया। जैसा सोचा था वही हुआ। फेनर उसका बिस्तर और रीगर तीनों ही धड़ाम से पीछे की ओर गिरे। रीगर ने अपनी पकड़ छोड़ी और अब वहाँ से निकलने की कोशिश करने लगा।
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