विभा की उस छोटी-सी कहानी ने हमें बुरी तरह हैरान कर दिया । भौंचक्के से काफी देर तक हम विभा के सुंदर मुखड़े को देखते रह गए। हम इतने ज्यादा चकित थे कि चाहकर भी थोड़ी देर तक कुछ बोल नहीं सके। विभा की कहानी के मुताबिक जो सवाल संतरे वाले आदमी के आने के बाद से उभरे थे उनका जवाब सिर्फ अनूप ही दे सकता था और वह कमरे में बंद था।


साढ़े तीन घंटे के लिए।


मेरी नजर अनायास ही वॉल-क्लाक की तरफ उठ गई ।


सात बजकर चालीस मिनट हो चुके थे। पर्दा उठने में सिर्फ बीस मिनट रह गए थे मगर वे बीस मिनट हमें बीस युगों से लगने लगे । शायद मैंने तुममें एक अद्भुत गुण देखा था, किसी भी व्यक्ति को देखते ही उसके पेशे, आर्थिक स्थिति और उसकी आदतों आदि के बारे में सही-सही बता देती थीं।"


"तो ?"


"क्या तुमसें अब भी वह अद्भुत क्षमता है ?"


"वह अद्भुत क्षमता नहीं थी वेद, किसी भी व्यक्ति को ध्यान से देखकर उसके चाल-ढाल, रंग-रूप के बारे में सोचकर काफी कुछ बातया जा सकता है।"


क्या तुम आज भी ऐसा कर सकती हो ?"


"तो उस संतरे वाले आदमी के बारे में कुछ बताओ विभा, उसे तुमने देखा था। वह क्या था, उसकी आर्थिक स्थिति, पेशा, आदतें। क्या तुम बता सकती हो कि वह क्या काम करता था ?"


"उसके बारे में सोचकर ही तो मैं ज्यादा चिंतित हूं।"


हां ।”


"क्या मतलब ?"


"निश्चित रूप से वह कोई गुंडा था, बहुत ही निम्न स्तर का। वह किसी भी लूट में शामिल होने से लेकर कत्ल तक कर सकता था।"


"ओह !” मेरे मस्तक पर चिंता की लकीरें उभर आईं।


मधु ने चिंतित स्वर में पूछा- "म... मगर तुम यह कैसे कह

सकती हो विभा बहन ?"


"उसके चेहरे पर मौजूद कठोरता कहती थी कि वह कत्ल कर सकता है । चाल बता रही थी कि वह गुंडा है। अनूप को धमकाते वक्त उसके होठों पर जो मुस्कान उभर रही थी वह सिर्फ पेशेवर ब्लैकमेलर के होठों पर ही उभर सकती है। उसने कीमती काला सूट पहन रखा था, जो उसके धनवान होने को सबूत था।”


"ओह !" मधु की आंखों में विभा के लिए प्रशंसा के भाव उभर आए ।


"मगर, असल में वह धनवान नहीं था।"


"क्या मतलब ?" मैं चौंक पड़ा।


"बेशक, वह कीमती सूट पहने हुए था किंतु उसके बाएं हाथ में जो घड़ी थी वह बेहद सस्ती थी। इससे जाहिर होता है कि असल में उसकी आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। केवल अच्छे कपड़े पहनकर वह ऐसा दर्शाने की चेष्टा कर रहा था। उसके हाथ-पैर देखकर मैं जान गई थी कि वह कोई शारीरिक मेहनत का काम नहीं करता। दिमाग उसमें था नहीं, अतः दिमागी काम भी नहीं कर सकता। इसका मतलब ये है कि वह किसी भी तरह की मेहनत नहीं करता। हराम की कमाई खा रहा है।"


"कमाल है विभा बहन, आप किसी भी व्यक्ति को देखकर इतना सब कुछ बता सकती है ?" मधु का स्वर हैरत में डूबा हुआ था।


मैं ही नहीं मधु बहन, कोई भी किसी व्यक्ति को देखते ही इतना सब कुछ, बल्कि इससे भी ज्यादा बता सकता है। जरूरत केवल किसी को भी देखकर उसके बार में गहराई से सोचने की होती है। एक मजदूर यदि करोड़पति सेठ के कपड़े पहनकर तुम्हारे सामने आ खड़ा हो तो उसे देखकर तुम थोड़ा-सा सोचते ही बता सकती हो कि वह सेठ नहीं है, उसी तरह एक सेठ मजदूर नहीं बन सकता । "


"म... मगर इंसान इस नजरिए से सोचता कहां है विभा बहन ?"


"यहीं तो चूक जाता है, यदि सोचे तो सामने वाला खुली किताब के समान बन जाता है, जरूरत सिर्फ उसे पढ़ने वाली आंखों की होती है। जिन चीजों को हम साधारण या अर्थहीन समझकर छोड़ देते है, दरअसल वही चीजें किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को खुली किताब बना देते है।"


"क्या तुम यह भी बता सकती हो विभा कि मिस्टर अनूप उसे देखकर आतंकित क्यों हो गए थे ?"


"ज़ाहिर है कि वे उस व्यक्ति से पूर्व परिचित थे और संतरे वाला व्यक्ति उनके जीवन के किसी ऐसे भेद से वाकिफ है, जिससे वे किसी अन्य को नहीं करना चाहते ।"


"और उस भेद का संबंध किसी न किसी रूप में संतरे से है।"


"हां" 


"संतरे से किसी भेद का क्या संबंध हो सकता है ?"


"यह तो वे ही बता सकते है ।" कहने के साथ ही विभा की नजरें बंद कमरे की तरफ उठ गई, मैं वॉल-क्लाक की तरफ देखने लगा।


पौंने आठ बजे थे। मुझे यह देखकर दुःख-सा हुआ कि अभी सिर्फ पांच मिनट ही गुजरे है।


हमारे बीच सन्नाटा छा गया।


इतना जबरजस्त सन्नाटा था कि वॉल क्लॉक की 'टिक-टिक' स्पष्ट सुनाई देने लगी । हम तीनों ही अपने-अपने विचारों में गुम हो गए थे। सबके दिमाग में शायद सवाल एक जैसे ही थे।


घड़ी की सुइयां बहुत ही मंथर गति से रेंग रही थी ।


हमारे दिल घड़ी तेजी से धड़कने लगे थे।


घड़ी की रेंगती हुई सुइयों के साथ ही हमारे दिलो-दिमाग पर हावी उत्तेजना और जिज्ञासा बढ़ने लगी। हम कभी वॉल-क्लॉक की तरफ देखते, कभी कमरे के बंद दरवाजे को। धड़कनें और बेचैनी बढ़ती चली गई। समय सरक रहा था ।


अनूप को उस कमरे में बंद हुए साढ़े तीन घंटे गुजरने वाले थे।


किसी तरह वे तनावपूर्ण क्षण गुजरे तो साढ़े तीन घंटे भी गुजर गए और वॉल-क्लॉक ने टनटनाना शुरू कर दिया। घंटा आठ बजे का संदेश दे रहा था ।


बड़ी उम्मीद भरी नजरों से हमने कमरे के बंद दरवाजे हुई थी कि सारे मन्दिर में फायर की एक जोरदार आवाज गूंज गयी–फायर की आवाज बंद कमरे के अंदर से उभरी थी।