“वह कैसे?"


"अगर सुधा को बीच से समय में यहां किसी ने पहुंचाया है तो फ्लैट पर लौटने पर उसे यहां देखकर त्रिवेदी की खोपड़ी घुम जाएगी और फौरन ही फोन पर हमें अपने फ्लैट की स्थिति बताएगा। यदि वह फोन नहीं करता है तो स्पष्ट है कि सुधा को यहां उसी ने कैद कर रखा है और इसका मतलब है कि वह हत्यारा है।"


मुझे विभा के आईडिया जमा, बोला- "सुधा पटेल उसे हमारे आगमन के बारे में बता भी तो सकती है ?"


"अगर त्रिवेदी मुजरिम है तो ये निश्चित है कि सचिन उसकी गिरफ्तारी में नहीं है, यदि होता तो वह उसे कभी मुजरिम नहीं कह सकती थी और जब वह सच बोलने की स्थिति में है तो किसी भी हालत में विदी को उसके लाभी की सूचना नहीं देगी" कहने के साथ ही विभा तिपाई पर रखे फोन से रिसीवर उठाया, नंबर डायल किए। संबंध स्थापित होने पर बोली- "तुम पन्द्रह मिनट के अंदर इस पते पर पहुंच जाओ श्रीकान्त ।"


विभा ने पता बताने के बाद रिसीवर रख दिया।


अब वह पुनः दरवाजा खोलकर उस कमरे में पहुंची जिसमें सुधा कैद थी, हम उसके साथ ही थे। सुधा पटेल की कुर्सी के पास जाकर वह बोली- "मुझे तुमसे हमदर्दी है सुधा बहन, जानती हूं कि इस वक्त तुम कितने कष्ट में हो। दिल तो चाहता है कि तुम्हें एक क्षण भी गवाए बिना इसी समय इस कैद से मुक्त करके अपने साथ ले जाऊं परंतु..!"


उसके भावों को समझकर विभा ने कहा- "यह जानने के बाद भी कि मुजरिम त्रिवेदी, दरअसल हमारे पास उसके खिलाफ कोई ठोस सुबूत नहीं है और वे ही ठोस सुबूत जुटाने के लिए अभी तुम्हें इसी अवस्था में रहकर कुर्सी के साथ जकड़ी रहने के कष्ट सहना होगा।"


सुधा पटेल के चेहरे पर अभी तक संतुष्टि के भाव नहीं थे।


"अभी तक हमें मालूम नहीं था कि तुम यहां कैद हो, परंतु अब मालूम हो गया है, अब इस फ्लैट पर पूरी नजर रखी जाएगी और उसके द्वारा तुम्हें कोई भी अतिरिक्त नुकसान नहीं पहुंचाने दिया जाए। दरअसल किसी भी तरकीब से हम उसे यहां भेजेंगे, उसे बिल्कुल पता नहीं लगेगा कि उसकी अनुपस्थिति में हम यहां आए थे, उसे तुम पर कोई नया जुल्म करने के लिए प्रेरित करक उसे पर पूरी नजर रखेंगे और जैसे ही वह तुम पर जुल्म करने के लिए आगे

बढ़ेगा, न सिर्फ उसे नाकामयाब कर दिया जाएगा, बल्कि रंगे हाथों पकड़ भी लिया जाएगां रंगे हाथों पकड़े जाना ही उसके खिलाफ हमारे पास ठोस सुबूत होगा ।"


सुधा पटेल के चेहरे पर संतुष्टि के भाव उभरे, जो इस बात का सुबूत थे कि वह विभा की बात को समझ गई है, फिर विभा ने पूछा- "तुम तो उसे हमारे आगमन के बारे में कुछ नहीं बताओगी।”


सुधा पटेल ने इंकार में सिर हिला दिया ।


वैरी गुड और थैंक्यू सुधा ! विभा की आंखें चमकने लगीं।" हत्यारे के खिलाफ सुबूत जुटाने में, जो कष्ट सहने के लिए तुम तैयार हुई हो, मैं तुम्हारी उस कुर्बानी को हमेशा याद रखूंगी" कहने के तुरंत बाद विभा बड़ी फुर्ती से मेरी तरफ घूमकर बोली- "हमें इस फ्लैट में ऐसा कोई भी चिन्ह बाकी नहीं छोड़ना है वेद, जिससे त्रिवेदी को हमारे यहां आगमन का हल्का-सा भी इल्म हो । इस काम में तुम मेरी मदद करो । हर वह चिन्ह मिटा डालो जो हमारे आगमन का प्रतीक हो ।"


कहने के साथ ही वह उस संदूक की तरफ बढ़ गई, जिसमें से रायतादान मिला था। पहले तो कुछ भी न समझने की स्थिति में मैं हक्का-बक्का की खड़ा रह गया लेकिन शीघ्र ही विभा का अर्थ समझकर बैडरूम की लाईट-ऑफ करने के लिए वहां से निकल पड़ा।


तब तक विभा फर्श पर पड़ा संदूक का सामान संदूक में रखने लगी थी।


मुश्किल से दस मिनट में हम उस काम से फारिग हो गए। दो मिनट विभा ने एक बार फिर सारे फ्लैट को चैक करने में लगाए, संतुष्ट होने पर विभा मुझसे बोली- "आओ वेद, बाहर चलें ।"


"य.... ये रायतादान ?" मैंने टोका ।


रायतादान उसके हाथ में था जिसे मैंने उसे संदूक में न रखने के लिए टोका था, बोली- "इसे मैं यहां नहीं रख सकती, वैसे भी यह कोई खात बात नहीं है। आते ही त्रिवेदी संदूक खोलने वाला नहीं है।"


सुधा पटेल का हौंसला बढ़ाने के लिए विभा ने उसे दो-चार शब्द और कहे तथा उसके बाद हम फ्लैट से बाहर आ गए दरवाजा बंद करके हेयरपिन से विभा ने ताला पूर्ववत बंद किया ही था कि लगभग भागता हुआ - सा वहां श्रीकान्त पहुंच गया ।


विभा ने श्रीकान्त को संक्षेप में सब कुछ समझाकर मुस्तैदी के साथ फ्लैट की निगरानी करने के लिए कहा, श्रीकान्त को वहीं नियुक्त करके हम तेजी के साथ इमारत से बाहर निकलने के लिए बढ़ गए।