‘आपको गलतफहमी हुई है। मेरा नाम बिरजू नहीं हैं मैं तो इस नाम के किसी आदमी को जानता तक नहीं हूं'


अच्छा नाटक कर लेता है।' उसने कहा- 'खैर, तेरे इस नाटक से मुझ पर कोई विशेष फर्क नहीं पड़ना है, मुझे तो केवल वह 'हेयरपिन' चाहिए।'


'हेयरपिन ?' मैं उछल पड़ा- 'कौन सा हेयरपिन ?'


'ज्यादा नाटक मत कर कुत्ते !' गुर्राने के साथ ही हाथ बढ़ाकर उसने मेरा गिरेबान पकड़ लिया- 'तू अच्छी तरह जानता है कि मैं कौन से हेयरपिन की बात कर रहा हूं ?'


‘स...सच्चाई तो यह है कि जिंगारू भाई, कि तुमने मुझे किसी की गलतफहमी में पकड़ लिया है, तुम्हारी हर बात मेरी समझ से परे है ।'


'मैं बहूरानी के हेयरपिन की बात कर रहा हूं। जिसके डुप्लीकेट पिन से तूने जोगा की हत्या की थी।


'ड... डुप्लीकेट पिन, जोगा की हत्या ?' मेरी खोपड़ी घूम गई, आंखों के सामने जोगा की लाश और आपका हेयरपिन नाच उठा- 'म । मैंने जोगा की हत्या नहीं की है।'


'तेरी इस बकवास पर पुलिस या बहूरानी ही विश्वास कर सकती है।' वह बोला- 'मैं नहीं, मैं तुझे आज से नहीं तब से जानता हूं जब तेरा नाम बिरजू था । तूने ही जोगा की हत्या की है, मेरे पास सुबूत भी है, चाहूं तो उन्हें पुलिस के सामने पेश करके तुझे फांसी के तख्ते पर पहुंचा दूं, लेकिन नहीं, मैं ऐसा नहीं करूंगा क्योंकि ऐसा करने से मुझे कोई फायदा नहीं होगा। मुझे सिर्फ हेयरपिन चाहिए, जानता हूं कि असली पिन अभी तक तेरे पास है, नकली पिन से जोगी की हत्या करके बेशक तूने सारी दुनिया को खूबसूरत धोखा दिया। पचास हजार का हेयरपिन भी कमाया और यह भी सिद्ध कर दिया कि लाश किसी और ने तेरे फ्लैट में रखी ।'


'पता नहीं आप क्या-क्या कहते चले जा रहे हैं?'


'जानता हूं कि तू सब समझ रहा है, मेरे पास ज्यादा समय नहीं है, जल्दी से हेयर पिन निकालकर मेरे हवाले कर दे, वर्ना... ।'


'आप यकीन क्यों नहीं करते, मैं बिल्कुल निर्दोष हूं। मैं तो जानता भी नहीं कि लाश के पास से मिलने वाला हेयरपिन नकली था ।'


'तो तू इस तरह नहीं मानेगा' कहने के साथ उसने जेब से टेप का टुकड़ा निकाला और मेरे कुछ समझने से पहले ही टेप मेरे मुंह पर चिपका दिया, फिर अजीब-सी, जुनूनी अवस्था में वह रिवॉल्वर जेब में रखकर मुझ पर पिल पड़ा। उसके वार बड़े ही सख्त थे। टेप के कारण मेरे मुंह से चींखे नहीं निकल रही थीं। वह मुझे इतनी फुर्ती से मार रहा था कि उसका मुकाबला करना तो दूर, मुंह पर लगे टेप तक को छुड़ाने का मुझे मौका न रहा। उसके फौलादी घूंसों, टक्करों और ठोकरों ने मुझे बेहोश कर दिया । "


"ओह !” सोनी का विचित्र बयान सुनकर मेरे मुंह से बरबस ही निकल पड़ा।


"फिर क्या हुआ?" विभा ने पूछा ।


"होश आया तो मैं अपने कमरे के फर्श पर पड़ा हुआ था।" सोनी ने बताया -"कलाई में बंधी रिस्टवॉच देखकर जाना कि मुझे एक घंटे बाद होश आया है। सारा कमरा बूचड़खाना-सा बना हुआ था, फ्लैट की अवस्था बता रही थी कि किसी ने पागलपन की स्थिति तिलाशी ली है। जिंगारू नदारद था।"


"क्या तुम दुबार देखने पर उसे पहचान सकते हो सोनी ?"


"शायद, लेकिन गारंटी से नहीं कह सकता, क्योंकि मैंने उसका सारा चेहरा नहीं देखा था । "


विभा ने तत्काल कोई प्रश्न नहीं किया, शायद इसलिए कमरे में कुछ देर के लिए खामोशी छा गई। महेन्द्रपाल सोनी के साथ मैं और मधु भी काफी बेचैनी के साथ उसके बोलने की प्रतीक्षा कर रहे थे ।


उसके चेहरे पर कुछ सोचने के भाव थे और उन्हीं भावों को लिए वह बड़बड़ाई- "तो वह तुम्हें बिरजू कह रहा था। तुम्हें जोगा का हत्यारा समझता है और यह भी कि तुम्हारे पास पिन है।”


"यह उसका वहम हैं बहूरानी।" सोनी ने जल्दी से कहा ।


"मगर इसमें मैं तुम्हारी क्या मदद कर सकती हूं ?"


"मुझे उससे आप ही बचा सकती हैं बहूरानी, मेरा दिल कहता है कि अभी उसका वहम दूर नहीं हुआ है। वह मेरे पास फिर आएगा, मुझे मारेगा। मुझे उससे बहुत डर लग रहा है बहूरानी।”


"ये मनगढ़ंत कहानी बनाकर तुम हमें सुनाने किसके कहने पर आए हो ?"


“म...मनगढ़ंत कहानी ?" सोनी चौंक पड़ा-"क्या आपको मेरी बातों पर यकीन नहीं है बहूरानी ?"


विभा ने कड़ी दृष्टि से महेन्द्रपाल सोनी को देखा और फिर किसी खतरनाक नागिन के समान फुंफकारी—“हमने पूछा है कि तुम किसके कहने पर यहां आए हो, ये झूठी वारदात तुम्हें किसने गढ़ कर दी है ?"


"अ... आप यकीन कीजिए बहूरानी, मैं बिल्कुल सच कह रहा हूं। उफ्, मेरी तो समझ में ही नहीं आ रहा है कि क्या करूं । पता नहीं जिंगारू कौन है, मेरे लिए उसके दिमाग में इतने वहम कहां से आ गए हैं और अब आप | आप भी मुझे झूठा समझ रही हैं। आखिर मेरी बात पर कोई भी यकीन क्यों नहीं करता है ?"


विभा ध्यान से उसे देखती रही, जैसे चेहरा पढ़कर पता लगाने की कोशिश कर रही हो कि महेन्द्रपाल सोनी झूठ बोल रहा है या सच । एकाएक विभा ने पूछा- "क्या तुम यह सब इंस्पेक्टर त्रिवेदी के कहने से नहीं कर रहे हो ?"


"..... त्रिवेदी, वह भला मुझसे ऐसा करने के लिए क्यों कहेगा ?"


"उसने तुमसे दीनदयाल से बातें करने के लिए भी तो कहा था ?"


"हां, कहा था, यह कहकर कि उसे दीनदयाल पर हत्यारा होने का शक है, उसने मुझसे मदद मांगी थीं और अनूप बाबू के हत्यारे को पकड़वाने में मैं कुछ मदद कर सकूं इसे मैंने अपने लिए गौरव की बात समझा था।"


"त्रिवेदी से तुम्हारा क्या संबंध है ?"


"महानगर डिग्री कॉलिज में आज से पांच साल पहले वह मेरा क्लासफैलो रहा था, फिर हम बिछड़ कर अपने-अपने रास्तों पर निकल गए। मेरी यहां सर्विस लगी तो एक दिन त्रिवेदी से मेरी भेंट हो गई, उसने बताया कि वह इंस्पेक्टर बन चुका है और आजकल जिन्दल पुरम् में ही है। उसके रूप में, जिन्दल पुरम् में मुझे भी कोई दोस्त कहने के लिए मिल गया।"


"क्या तुमने उसके कहने के बाद दीनदयाल से कुछ बातें की थीं?”


"जी हां ।"


"क्या और किस नतीजे पर पहुंचे ?"


"मैं इसी केस के बारे में टोह लेने के-से अंदाज में उससे बातें करता रहा, परंतु कोई खास नतीजा नहीं निकला, मुझे त्रिवेदी का शक बेबुनियाद ही लगता है। दीनदयाल ने एक बात भी ऐसी नहीं की जिससे अपराधी होने का संकेत मिलता हो ।”


"क्या तुम यह रिपोर्ट त्रिवेदी को दे चुके हो ?"


"जी हां ।"


"कब और कैसे ?"


"शाम, उसकी फ्लैट पर फोन करके ।"


हम बिल्कुल खामोश बैठे वे सब बातें सुन रहे थे, एकाएक ही विभा तेजी से चलती हुई अपनी मेज के करीब पहुंची, रिसीवर उठाकर कोई नंबर डॉयल किया, संबंध स्थापित होने पर बोली- "अभिक, तुम इसी वक्त मंदिर आकर हमसे मिलो।"


बस, इतना कहकर उसने संबंध विच्छेद कर दिया। दूसरी तरफ से बोलने वाले का जवाब सुनने की उसने कोई कोशिश नहीं की थी। फुर्ती से महेन्द्रपाल सोनी की तरफ घुमकर बोली- "तुम हॉल में बैठो सोनी, चिंता करने की जरूरत नहीं है, कुछ ही देर बाद एक युवक आएगा । तुम्हारी सुरक्षा के लिए वह तुम्हारे साथ रहेगा।"


“क्या अब भी आप मुझको झूठा ही समझ रही हैं बहूरानी ?"


"मैं जब तक किसी के बयान की पुष्टि न कर लूं तब तक न उसे झूठा समझती हूं न सच्चा, फिलहाल जो कार्यवाही मैं कर रही हूं वह तुम्हें सच मान कर ही कर रही हूं मैं सही हूं या गलत इसका फैसला वक्त और तथ्य करेंगे।”


महेन्द्रपाल कमरे से बाहर चला गया ।


"मैंने पूछा- "क्या तुम्हें सचमुच महेन्द्रपाल सोनी के बयान पर शक है विभा ?”


"यकीन करने का फिलहाल कोई कारण नहीं है । "


“क्या उसकी हालत और सूजा हुआ चेहरा भी नहीं ?"


"ऐसी कहानियां सुनने के लिए आने वाले इस किस्म की तैयारियां करके आते हैं।" कहने के साथ ही विभा ने घूमकर पुनः रिसीवर उठाया, नंबर डॉयल किए और बोली।" क्या मैं डॉक्टर सान्याल से बात कर सकती हूं


"जी, फरमाइए। मैं सान्याल ही बोल रहा हूं, आप...।"


"मंदिर से विभा ।"


"ओह, बहूरानी, क्या हुक्म है ?"


"क्या आपने हेयरपिन पर लगे जहर का परीक्षण कर लिया है ?"


"जी हां, पिन की दोनों नोकों पर 'पॉटेशियम पॉयजम' पाया गया है, यह बहुत खतरनाक किस्म का जहर है, मक्तूल की गर्दन में पिन चुभोकर उसके जिस्म जहर पहुंचाया गया।"


"हम उस पिन को एक नजर देखना चाहते हैं, सान्याल ।"


"जरूर, क्या मैं उसे लेकर अभी मंदिर में हाजिर हो जाऊं ?"


"कुछ देर के बाद मैं स्वयं ही वहां आपसे मिलने आ रही हूं।" कहने के साथ विभा ने रिसीवर रख दिया, उसके घूमते ही मैंने पूछा- "क्या तुम्हें पिन के नकली होने का संदेह हो रहा है विभा ?”


"नहीं।"


"फिर ?"


"सोनी के बयान ने एक नया प्रश्न खड़ा कर दिया है, हालांकि पिन को मैंने गौर से देखा था और उसी आधार पर कह सकती हूं कि पिन असली ही है। फिर भी क्योंकि उस वक्त पिन के असली-नकली होने की तरफ ध्यान नहीं था, केवल उसके सिरों पर लगे जहर की तरफ ही ध्यान था इसलिए संभव है कि चूक हो गई हो, केवल पुष्टि करने के लिए ही मैं एक बार पिन को इस नजरिए से देखना चाहती हूं।"


विभा की बात खत्म होने तक कमरे में अभिक ने प्रवेश किया। विभा ने उसे आदेश दिया- "बाहर महेन्द्र पाल सोनी बैठा है अभिक, ये समझो कि उसकी जान खतरे में है, तुम उकसे साथ चले जाओ, साथ ही रहकर तुम्हें उसकी हिफाजत करनी है, तुम यहां से सीधे उसके फ्लैट पर जाओगे और ध्यान रहे, फ्लैट जैसी अवस्था में पड़ा हो, उसी में पड़ा रहने देना। न खुद किसी वस्तु को छेड़ना और न ही किसी अन्य को छेड़ने देना। कुछ देर बाद मैं खुद वहां पहुंचूंगी !”