कांस्टेबिलों के साथ भट्ट इकबाल के चेले-चपाटों को पकड़ने निकल पड़ा और हम कमरा नंबर पैंतीस की तरफ बढ़ गए।
कमरे के बाहर ताला लटका हुआ था ।
आई. जी. की इजाजत लेने के बाद विभा ने उसे हेयर पिन से खोल लिया, कमरा वैसा ही था जैसा एक छड़े थर्ड क्लास गुंडे का हो सकता है, विभा सामान को उलट-पलट करके निरीक्षण में जुट गई ।
पलंग पर मैला बिस्तर पड़ा था, किंतु बेडशीट और तकिए के गिलाफ के किनारे पर कढ़े' गुलाब के फूल' ने विभा के साथ ही साथ मेरा ध्यान भी खींचा। उसने मेरी तरफ देखा था और उस वक्त उसकी आंखों में बड़ी ही विशेष चमक थी, मैं सोचता ही रह गया कि सुधा पटेल का जोगा से क्या संबंध हो सकता है ?
विभा ने कमरे में पड़ी एक मेज की दराज खोली ।
उसमें मेकअप का सामान था, वैसी ही लिपिस्टक जैसी शीशी मैंने सुधा पटेल के कमरे में लुढ़की देखी थी, वही विदेशी तेल 'ऐमिक्स' की शीशी | अब इसमें कोई शक नहीं रह गया था कि सुधा पटेल और जोगा का कोई-न-कोई संबंध जरूर था, वह यहां आती रहती थी। संबंध भी इतना घनिष्ठ कि उसके मेकअप तक का सामान यहां, था, कमरे से यही एक काम की बात हाथ लग सकी, बाकी कुछ नहीं । विभा को शायद उसकी चार साल पहले की जिंदगी की तलाश थी, जिस पर यह कमरा कोई प्रभाव नहीं डाल सका।
विभा के निवृत्त होने तक 'भट्ट ' तीन ऐसे व्यक्तियों को पकड़ लाया था जो शक्ल-सूरत से ही गुंडे लगते थे उनमें से दो मवालियों के ग्रुप के थे और तीसरा चाल का मालिक यानी - शेरू । "
विभा ने उनसे सवाल करने शुरू किए।
उनमें से यह तो कोई भी नहीं बता सका कि यहां से पहले इकबाल कहां रहता और क्या करता था, किंतु जब विभा ने कहा कि वह मर चुका है तो 'कालू' नामक गुंडा जिसे इकबाल के ज्यादा नजदीक समझा जाता था, आवेश में बोला- "ओह, उसे जरूर बिरजू ने मारा होगा, इस दुनिया में वही इकबाल का सबसे बड़ा दुश्मन था । "
अपनी कर्मठता दिखाने के लिए बड़ी फुर्ती से झपटकर भट्ट ने कालू का गिरेबान पकड़ लिया और गुर्राया -"कौन बिरजू। जल्दी बता, बिरजू कौन है ?”
कालू सकपका-सा गया ।
विभा ने भट्ट से उसे छोड़ देने के लिए कहा, बोली- " देखो कालू फिक्र मत करो, डरने जैसी कोई बात नहीं है, ये हत्या का मामला है । हम तुम्हारे दोस्त के हत्यारे की तलाश में घुम रहे है, उसे गिरफ्तार करके ही दम लेंगे । अगर तुम सच बोलकर हमारी मदद करोगे तो तुम पर कोई खतरा आने वाला नहीं है।"
कालू चुप रहा।
"सच सच बताओं । बिरजू कौन है?" -
"मैं... मैंने उसे देखा नहीं है। मगर.... ।”
"हां - हां, बोलो । डरो नहीं, तुम अपने दोस्त के हत्यारे को पकड़वाने में मदद कर रहे हो ।"
"इकबाल के पास अक्सर एक औरत आती थी।"
विभा ने उसे सुधा पटेल का हुलिया बताने के बाद पूछा- "क्या वह इसी हुलिए की औरत थी ?"
कालू ने चकित दृष्टि से विभा की तरफ देखकर स्वीकारा, बोला- "मैंने कई बार इकबाल से उस औरत के बारे में पूछा, क्योंकि पहनावे और बनाव- श्रंगार से वह किसी अच्छे घर से ताल्लुक रखने वाली महसूस देती थी और इकबाल से उसका संबंध मेरी समझ में बिल्कुल नहीं आता था, उसके बारे में चर्चा छिड़ने पर अक्सर इकबाल बात को टाल जाता, किंतु एक बार नशे में उसने उसका नाम बता दिया । "
"क्या उसने औरत का नाम रजनी चतुर्वेदी बताया था ?"
"नहीं, इकबाल ने कहा था कि उसका नाम सुधा है।"
"ओह! " विभा की आंखों में उभरने वाली चमक बहुत गहरी हो गई, बोली- " खैर, आगे कहो । सुधा के बारे में इकबाल ने क्या बताया?"
"उस दिन के बाद वह सुधा के संबंध में मुझसे काफी खुल गया था, अक्सर हमारे बीच उसकी चर्चा छिड़ जाती । कालू कहता चला गया- "उसने बताया कि सुधा उससे और वह सुधा से बहुत प्यार करता है, वह जिन्दल पुरम् में रहती है, समाज की नजरों में भले ही उनकी शादी न हुई हो, किंतु एक तरह से वे पति-पत्नि हैं औ...।"
"और...?"
"इकबाल ने कहा था कि उन दोनों का एक बच्चा भी है। "
मैं उछल पड़ा, विभा ने भी बुरी तरह चौंकते हुए पूछा- "
"हां, अपने बच्चे का नाम उसने सचिन बताया था । "
क्या, इकबाल ने ऐसा कहा था?"
मेरा दिलो-दिमाग जैसे काबू में नहीं रहा था, निश्चय ही इस वक्त विभा भी बुरी तरह चकराई हुई थी, फिर भी उसने खुद को काफी हद तक सामान्य दर्शाते हुए पूछा- " क्या तुमने कभी इकबाल से यह नहीं पूछा था कि जब उनके संबंध इस हद तक हैं तो शादी करके साथ क्यों नहीं रहते?"
"पूछा था।"
"इकबाल ने क्या जवाब दिया ?"
"कहने लगा कि ऐसा करने में उनकी कुछ मजबूरियां हैं, सबसे बड़ी मजबूरी है, बिरजू । मैंने पूछा कि यह बिरजू कौन है तो बोला कि बिरजू मेरे और सुधा के बीच में विलेन है, वह भी सुधा से प्यार करता है जबकि सुधा उससे नहीं करती, बिरजू को इकबाल और सुधा का संग एक आंख नहीं सुहाता था, इकबाल का कहना तो ये था कि अगर बिरजू को उसके संबंधों की जानकारी हो जाए तो वह दोनों का ही खून तक कर सकता है।"
"अजीब बात है, इकबाल बिरजू को देख लेंगे, लेकिन....।"
"लेकिन?"
"कहने लगा कि इसके लिए सुधा तैयार नहीं हागी। मैंने चकित होकर वजह पूछी तो कहने लगा कि सुधा कहती है कि यदि हमने ऐसा किया तो बिरजू हमारे सचिन को मार डालेगा।"
"तुम्हें ये शक कैसे हुआ कि इकबाल को बिरजू ने ही मारा होगा?”
"पिछले हफ्ते उसने मुझे बताया था कि जिन्दल पुरम् ही बुलाया था, वह उसी दिन चला गया। उसके बताए मुताबिक बिरजू भी जिन्दल पुरम् में ही रहता है, तब से इकबाल लौटा नहीं । आज आप ही उसके मरने की खबर लेकर आएं हैं, बिरजू ने उसे जरूर सुधा के साथ देख लिया होगा । उसने कहा ही था कि बिरजू कत्ल तक कर सकता है।"
विभा ने बड़ा ही अजीब-सा सवाल पूछा । "क्या इकबाल बिरजू का कत्ल नहीं कर सकता था?"
जवाब देने के स्थन पर कालू ने बड़ी ही सहमी-सी दृष्टि से भट्ट और आई. जी. साहब की तरफ देखा, विभा उसकी मानसिक स्थिति को पढ़ती हुई बोली- " तुम बिल्कुल मत डरो कालू, तुम्हें कुछ नहीं होगा।"
“एक दिन मैंने उसे सलाह दी थी, इस काम में उसकी पूरी मदद करने की पेशकश भी की थी, मगर वह इंकार करता रहा, तब मैं तैश में आकर बोला कि उसके बस का ही कुछ नहीं है। जवाब में वह भी जोश में आ गया, गुर्राया, 'मेरे जमीर को मत ललकार कालू । तू नहीं जानता, मैं सब कुछ कर चुका हूं। डकैती भी, खून भी । एक भरे-पूरे परिवार को मौत के घाट उतार दिया था मैंने, लेकिन बिरजू का खून.... नहीं । मैं नहीं कर सकता, मजबूर हूं। सुधा मुझे इसकी इजाजत नहीं देती कहती है कि अगर मैंने ऐसी बेवकूफी की तो वह मुझसे कभी नहीं मिलेगी ।” । "
"कैसी डकैती की थी इकबाल ने, किस परिवार को मारा था ?”
लगभग चीखकर विभा ने पूछा ।
"यह बात वह केवल जोश में कह गया था, कहने के तुरंत बाद ही होश में आ गया और उसके बाद मेरे लाख पूछने पर भी उसने इस बारे में एक लफ्ज नहीं बताया, वह यही कहता रहा कि उसने कभी ऐसा कुछ नहीं किया है, वह सब कुछ तो वह जोश में केवल अपनी डींग मारने के लिए कह गया था।”
"क्या तुमने कभी सचिन को देखा था?"
"नहीं, सुधा उसे लेकर यहां कभी नहीं आई।"
"बिरजू को?”
"इकबाल के मुंह से सिर्फ उसका नाम ही सुना था, देखा कभी नहीं।"
कुछ देर तक विभा उससे और इसी विषय पर बातें करती रही, लेकिन वह करीब-करीब उपरोक्त बातों का ‘रिपीटेशन' ही था, उपरोक्त के अलावा ऐसी कोई नई बात पता नहीं लग सकी, जो उल्लेखनीय हो, किंतु मैंने जो कुछ सुना था उसी को सुनकर खेपड़ी घूम रही थी। हर अगले कदम पर केस कुछ और उलझ ही जाता था।
आई. जी. साहब महानगर में ही रूक गए थे, इसलिए गाड़ी में मुझे और विभा को अकेले ही लैटना पड़ा गाड़ी इस बार भी विभा ही ड्राईव कर रही थी, मेरी दिमाग में बहुत से सवाल उमड़-घुमड़ कर रहे थे और मैं उन्हीं में उलझा हुआ था कि एकाएक विभा ने पूछा- " कालू के बयान के बाद तुम किस नतीजे पर पहुंचे वेद?"
"मेरा तो दिमाग घूम रहा है, रहस्य खुलने की बजाय बढ़ते ही जा रहे हैं।"
"तुम्हारे ख्याल से क्या रहस्य बढ़ गया है ?"
"सबसे ज्यादा रहस्यमय तो सुधा पटेल का चरित्र ही हो गया है,
समझ में नहीं आता कि वह क्या है, जब सेफ मे से उसके पत्र मिले थे तो मुझे उससे सहानुभूति हुई थी, कुर्बानी कर देने वाली एक आदर्श प्रेमिका लगी थी वह मुझे । उसके बाद फोन करके फ्लैट पर बुलाया जाना, वहां की हालत, तुम्हारे इस अनुमान ने मुझे उलझा दिया कि अपहरण का ड्रामा खुद उसका रचाया हुआ था और अब, जोगा या इकबाल के कमरे में मिले सुबूतों तथा कालू के बयान ने तो उसके चरित्र को बिल्कुल बदल दिया है, पत्रों के जरिए वह अनूप कहती है कि उसका बच्चा है, जोगा को विलेन बताकर उससे सचिन को जोगा का बच्चा कहकर किसी बिरजू को विलेन बताती है, सतर्क रहने की हिदायत देती है। यहां भगवान ही जाने आगे क्या-क्या तमाशे देखने को मिलेंगे।"
"इसके अलावा जोगा और सुधा में एक समानता भी है। यह कि वे दोनों अपना-अपना नाम बदलकर रह रहे थे।"
"इससे क्या नतीजा निकलता है?"
"किसी वजह से वे दोनों अपना भूतपूर्व परिचय वर्तमान से छुपाना चाहते थे।”
"क्यों?"
"शायद किसी डकैती और भरे-पूरे परिवार की हत्या के मुजरिम होने के कारण ।”
मैं चौंकता हुआ बोला- "क्या मतलब ?"
"क्या तुम कालू के बयान का वह हिस्सा भूल गए?"
"न...नहीं, भूला तो नहीं हूं, लेकिन क्या तुम यह कहना चाहती हो कि उन अपराधों में सुधा पटेल भी जोगा के साथ थी?”
"फिलहाल ऐसा ही लगता है, उस परिवार का कोई बचा हुआ सदस्य इनसे बदला ले रहा है।”
"इसका मतलब तो ये हुआ कि अनूप बाबू भी उस अपराध में शामिल थे?"
विभा ने कुछ कहने के स्थान पर बड़ी ही गहरी दृष्टि से मेरी तरफ देखा, जबकि मैं थोड़ा उत्तेजित - सा होकर दृढ़ स्वर में बोला- "बेवकूफी से भरी इस कहानी पर तुम यकीन कर सकती हो विभा, मैं नहीं, एक करोड़पति अरबपति आदमी भला डकैती क्यों करेगा, अनूप को मैंने भी देखा है। किसी भरे-पूरे परिवार को तो दूर उसके बस का अपनी नाक पर बैठी मक्खी तक को मारना नहीं था। क्या तुम बता सकती हो कि वैसी हैसियत का कोई व्यक्ति जोगा और सुधा पल्ट जैसे हर के लोगों के साथ डकैती किसलिए करेगा?”
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