मेरे धड़कते हुए दिल की चितां किए बिना विभा ने टॉर्च मुझे पकड़ा दी, विभा बेहद सतर्क थी, मैं भी सतर्क हो गया और साथ ही मधु को भी चौकस रहने का इशारा कर दिय था, शायद इसलिए कि कहीं दरवाजा खुलते ही कोई हम ही पर आक्रमण न कर दे ।


विभा ने आहिस्ता से दरवाजा को धकेला ।


दरवाजा खुला, धड़कनें बेकाबू हो गई, मगर सिर्फ एक क्षण के लिए, क्योंकि अगले ही क्षण हम चकित रह गए थे, कमरे की स्थिति हमारे सामने थे । मगर वह सारा कमरा पूरा बूचड़खाना बना हुआ था, जिसे शायद > बेडरूम के रूप में इस्तेमाल किया जाता था, मैं वहां पड़े डबल - बैड की वजह से ही उसे बेडरूम कह रहा हूं।


हमने चारों तरफ देखा ।


हर चीज अस्त-व्यस्त थी ।


शहनील के खोल वाला लिहाफ फर्श पर पड़ा था, तिपाया स्टूल बिल्कुल औंधा फोन का रिसीवर कहीं और, क्रेंडिल कहीं। ड्रेसिंग टेबल मुंह के बल पड़ी थी, सारे कमरे में कांच बिखरा हुआ था, साथ ही श्रंगार में इस्तेमाल होने वाली वस्तुएं, जो शायद घटना से पहले ड्रेसिंग टेबल पर रखी थीं । "


कमरे की स्थिती को देखकर कोई मूर्ख भी बता सकता था कि वहां दो या इससे अधिक व्यक्तियों के बीच संघर्ष हुआ है, हमें वहीं ठहरने का आदेश देकर विभा आगे बढ़ गई । कुछ देर तक वह बड़े ध्यान से फर्श को घूरती हुई सारे कमरे में चहलकदमी करती रही ।


पलंग के पीछे से उसने कोई वस्तु उठा ली।


हम नहीं देख सके कि वह क्या था ?


फिर वह बेड पर बिछी चादर को ध्यान से देखती रही, चादर भी अस्त-व्यस्त थी, फिर वह चादर के एक कोने पर आकर्षित हो गई, हमने देखा कि वह चादर के कोने पर कढ़े गुलाब के फूलों को देख रही थी ।


मुझे याद आया कि सुधा पटेल को गुलाब का फूल बहुत प्रिय था ।


चादर पर 'सुर्ख रेशम’ से किसी ने अपने हाथ से 'गुलाब' काढ़ा था । विभा वहां से हटी, फर्श पर डनलप का एक तकिया पड़ा था, तकिए को उठाकर उसने सूघां कई बार ! 


सूंघने के बाद तकिया उसने बैड पर डाल दिया ।


हम पति-पत्नि चकित - से उसके क्रिया-कलापों को देख रहे थे, एकाएक ही वह कमरे के एक कोने में खड़ी सेफ की तरफ आकर्षित हो गई, सेफ लॉक्ड थी जिसे विभा ने अपने बालों से हेयर पिन निकाल कर बड़े आराम से खोल लिया, काफी देर तक उसके अंदर मौजूद कपड़ों को देखती रही ।


फिर घूमी।


लाईट ऑन करके बाहर वाला कमरा भी चैक किया, विशेष रूप से भीतरी कमरे के दरवाजे से फ्लैट के मुख्य द्वार तक जाने के मार्ग को चैक करती रही थी वह, और वहीं से उसे एक टूटी हुई नीले रंग की चूड़ी का टुकड़ा मिला वह टुकड़ा उठाकर भी उसने मुट्ठी में दबा लिया ।


पन्द्रह मिनट तक वह पूरी तरह खामोश अपने काम में जुटी रही और उसके बाद हमारे नजदीक आकर बोली- "चलो, अब यहां कुछ नहीं "


"त... तुम किस नतीजे पर पहुंची विभा?" मैंने पूछा ।


"गाड़ी में बात करेंगे । ।" कहने के साथ ही वह आगे बढ़ गई, जब हम फ्लैट से निकले तो फ्लैट उसी स्थिति में था, जिसमें वह हमें मिला था, बाहरी कमरे की लाईट ऑफ दोनों दरवाजे ढुके हुए।


गैलरी बिल्कुल सुनसान पड़ी थी और जिस खामोशी के साथ हम वहां पहुंच थे, उसी खामोशी के साथ गाड़ी में बैठ भी गए, विभा ने गाड़ी स्टार्ट करके आगे बढ़ा दी और हममें से किसी को भी सवाल करने का मौका न देती हुई खुद ही बोली । "इस फ्लैट में रहने वाली महिला का नाम रजनी चतुर्वेदी होना चाहिए।”


“क... क्या ?" मैं उछल पड़ा -"हम तो सोच रहे थे कि यह फ्लैट सुधा... ।


"तुम ठीक समझ रहे हो, वह सुधा पटेल ही है।"


"क.... क्या कह रही हो तुम कभी रजनी कभी सुधा?”


"सीधी-सी बात है, सुधा पटेल यहां अपना नाम बदलकर यानि रजनी चतुर्वेदी बन कर रह रही थी ।"


"नाम बदलने की उसे क्या जरूरत थी?"


"यह तो वही जाने, लेकिन सेफ से 'गुडलक ड्राईक्लीनर्स' की रसीद मिली है, वहां एक शॉल ड्राईक्लीन के लिए दिया गया है, ग्राहक का नाम रजनी चतुर्वेदी है । "


"यह भी तुमने खूब कही विभा, संभव है कि शॉल किसी अन्य ने दिया हो ?”


“रसीद पर ‘कस्टमर’ के विभा तो साईन होते हैं, वहां रजनी चतुर्वेदी लिखा है, परंतु उसी हाथ ने जिसने कभी अनूप के लिए पत्र लिखे थे । "


"ओह!"


"इसके अलावा फ्लैट में रहने वाली को गुलाब का फूल इस हद तक पसंद है कि बेड शीट से लेकर सेफ में मौजूद ज्यादातर कपड़ों पर गुलाब काढ़ा गया है, सेफ में या तो साड़ियां थी या किसी चार साल के बच्चे के कपड़े, किसी वयस्क पुरूष का एक भी कपड़ा नहीं था । "


"मतलब ये कि फ्लैट में उसके साथ केवल चार साल का बच्चा ही रहता था।"


“बच्चा नहीं, लड़का। वे कपड़े लड़के ही के हैं और यह वही बच्चा होगा, जिसका जिक्र अनूप की सेफ से मिले पत्रों में था, फ्लैट में सुधा पटेल बिना किसी पुरुष के सहारे के रहती है । "


मुझे यह सोवकर बड़ा अजीब-सा लगा कि वह लड़का अनूप का होगा।


"तकिये को सूंघकर मैंने जाना कि सुधा पटेल 'एमिक्स' नामक विदेशी तेल का इस्तेमाल होने वाला सामान भी काफी कीमती था, साड़ियां और बच्चे के कपड़े भी, यानी फ्लैट में जो भी सामान था वह सब कीमती था और जांच के बाद मैं यह भी दावे से कह सकती हूं कि सुधा पटेल कहीं सर्विस नहीं करती थी ।" . 


"फिर उस पर खर्च करने के लिए इतना धन कहां से आता था?”


"यह भी उन कई सवालों में से एक है, जिनका हमें जवाब तलाश करना है।"


"कई सवाल?"


“अचानक ही सुधा पटेल ने मुझे फोन किया । वह बेहद घबराई हुई थी। उसे अपनी जान का खतरा था और मरने से पहले मुझे कुछ बताना चाहती थी, सवाल ये है कि वह क्या बताना चाहती थी । अपनी जान का खतरा उसे क्यों और किन लोगों से था। अपनी तरफ से हम यही कम-से-कम समय में पहुंच गए फिर भी दुर्घटना हो ही गई, कमरे की हालत देखकर कोई भी कह सकता है कि वहां संघर्ष हुआ है और वे जो भी लोग थे, सुधा पटेल का अपहरण करने में कामयाब हो गए।"


"अपहरण उन्होंने किस उद्देश्य से किया होगा ?"


"अभी इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता है।"


मैंने संभावना व्यक्ति की "कहीं सुधा पटेल की हत्या कर देने के उद्देश्य से तो नहीं।"


"नहीं, फिलहाल वे हत्या करने की स्थिति में नहीं है।"


"क्या मतलब ?"


"यदि उन्हें हत्या करनी होती तो फ्लैट में हमें सुधा पटेल की लाश ही मिलती ।”


"फिर भला वे सुधा पटेल से क्या चाहते होंगे?"


"शायद उसके बेटे का पता ।"


"बेटे का पता?"


"हां, सेफ में चार साल के लड़के के कपड़े थे तो जरूर लेकिन बहुत कम। चार साल का बच्चा पढ़ने लगता है, जबकि सारे फ्लैट में कहीं भी कोई किताब-कॉपी नहीं थी, इसका मतलब ये कि लड़का सुधा के साथ फ्लैट में नहीं, बल्कि किसी हॉस्टल में रहता है और हत्यारे सुधा पटेल से उसी का पता चाहते हैं।"


"तुम प्वाईंट में से प्वाईंट निकालती हुई कितनी दूर तक पहुंच जाती हो?"


" प्राप्त सुबूतों के आधार पर मैंने सिर्फ अनुमान लगाया है जो कि गलत भी हो सकता है, सुधा पटेल के साथ यह दुर्घटना शायद इसलिए घटी है, क्योंकि हत्यारे के बारे में वह कुछ-न-कुछ जानती है और मुझे बताना चाहती थी, इस परिवेश में सुधा की जान खतरे में है वेद । नकाब में रहने के लिए हत्यारा किसी ऐसे व्यक्ति को जीवित नहीं रहने देता, जो उसे बेनकाब कर सके।"


"म... मगर इसमें हम कर ही क्या सकते हैं?"


विभा चुप रह गई, शायद वह यही सोच रही थी कि सुधा को बचाने के लिए क्या करे । अचानक ही मधु ने पूछा- "तुम्हें पलंग के पीछे कुछ मिला था विभा बहन, जिसे हम नहीं देख सके।"


“वह एक बुन्दा है, शायद सुधा पटेल का जो संघर्ष को कौरान वहां गिर गया होगा। परंतु सबसे ज्यादा आश्चर्य की बात तो ये है कि फ्लैट में कहीं भी सुधा पटेल या उसके लड़के का फोटो भी नहीं मिला । "


"हम दोनों चुप रहे, बोलने के लिए जैसे कुछ था नहीं । विभा भी खामोशी के साथ कार ड्राईव करती रही, कुछ ही देर बाद हम 'मंदिर ' पहुंच गए। वहां पहुंचते ही उसने इंस्पेक्टर त्रिवेदी को फोन किया, उसे सुधा पटेल के फ्लैट का पता बताया और कहा कि वहां रजनी चतुर्वेदी नाम की एक महिला रहती थी, जिसे कुछ देर पहले किन्हीं अज्ञात लोगों ने किडनैप कर लिया है, विभा ने उससे रजनी चतुर्वेदी के बारे में ज्यादा-से-ज्यादा सूचनाएं जुटाने के लिए कहा। त्रिवेदी पूछता ही रह गया कि रजनी के बारे में विभा को इतना सब कुछ किस तरह मालूम है, जबकी विभा ने बिना बताए संबंध विच्छेद कर दिया ।


उसके बाद विभा ने एक और नंबर डायल किया, कुछ देर तक दूसरी तरफ वैल बजती रही और उघर से रिसीवर उठाए जाने पर विभा बोली- "मैं विभा बोल रही हूं आई. जी. साहब ।"


"ओह बहूरानी ।"


"इतनी रात गए तकलीफ देने के लिए माफी चाहती हूं।"


"तकलीफ जैसी कोई बात नहीं है बहूरानी, कहो हम क्या सेवा कर सकते हैं?"


"इकबाल गजनवी से संबंधित फाइल लेने आप स्वयं ही महानगर जा रहे हैं न?”


"हां, कल सुबह ही।"


"अगर कष्ट न हो तो मंदिर की तरफ होते निकल जाइएगा,


दरअसल मैं भी इकबाल गजनवी के बारे में कुछ ज्यादा जानकारियां जुटाने के मकसद से आपके साथ महानगर जाना चाहती हूं।"


"इसमें कष्ट जैसी कोई बात नहीं है।"


"थैंक्स ।"कहकर विभा ने रिसीवर रख दिया।