मैंने अपनी कलाई में बंधी रिस्टवॉच में समय देखा, उस समय रात का एक बज रहा था, जब विभा ने कार मंदिर की पार्किंग में रोकी। चौकीदार के साथ ही ढेर सारे कर्मचारियों ने कार को और कार से निकलने पर विभा को घेर-सा लिया था, परंतु विभा कार को गैराज में खड़ी करने को हुक्म देती हुई मुख्यद्वार की तरफ गई। मैं लपकता हुआ-सा उसके पीछे था ।


विभा उसी कमेरे की तरफ बढ़ गई। जिसमें सावरकर के आने से पहले वह मुझे हेयरपीन के बारे में बताने वाली थी, मुझे अपने साथ ही कमरे में आने का संकेत दिया था उसने। कमरे में पहुंचने पर पुनः वही दरवाजा अंदर से बंद करने की आज्ञा ।


मैं दरवाजा बंद करके विभा की तरफ घूमा।


"अब मैं तम्हें उस हेयरपिन के बारे में बताने वाली हूं वेद।" बिना किसी भूमिका के कहती हुई वह कमरे के एक कोने में पड़ी मेज की तरफ भूमिका के कहती हुई वह कमरे के एक कोने में पड़ी मेज की तरफ बढ़ गई, एक झटके से उसने दराज खोली। उसमें से कुछ निकाला और वापस मेरे करीब आकर बोली- "वह ऐसा हेयर पिन है।"


मैंने अपने सामने फैली उसकी हथेली देखी।


हथेली पर सचमुच एक हेयरपिन था, बिल्कुल अलग और अनोखा हेयरपिन | वैसा पिन मैंन पहले कभी नहीं देखा था, हेयरपिन तीन इंच लंबा मगरमच्छ के आकार का था । देखने से ही लगता था कि वह सोने का बना है और उसमें से निकनती झिलमिलाहट ने मुझे बता दिया कि उसमें जगह-जगह कीमती हीरे जड़े हुए हैं । मेरी नजर हेयरपिन पर जमकर रह गई थी।"


विभा ने पूछा- "क्या तुम इस पिन की कीमत का अंदाजा लगा सकते हा वेद ?"


"क... काफी कीमती है, सोने का हीरों से जड़ा ।"


"छह महीन पहले वे कपड़ा मिल के लिए नई मशीनें खरीदने जापान गए थे, वही से मेरे लिए हेयरपिन का ये जोड़ा लाए थे। इस जोड़े की कीमत एक लाख है । "


"एक लाख ?" मैं चकित रह गया।


"हां।" विभा ने कहा- "सोने का बना, मगरमच्छ के आकार का ये हीरों से जड़ा हेयरपिन पूरे भारत में दूसरा मिलना बहुत मुश्किल है और जिन्दल पुरम् में मिलना तो बिल्कुल नामुमकिन ।”


"ऐसी मंहगी चीज किसी करोड़पति पर ही मिलेगी ।"


"इसीलिए इसके जरिए हत्यारे को ढूंढ निकालना बहुत आसान है।”


"मैं समझा नहीं, इसका भला हत्या से... ।”


"वेद !” वह मेरी बात बीच ही में काटकर बोली- "कथित जोगा के आने से पहले हम तुम्हारे लिए गिफ्ट की शापिंग करने बाजार जाने वाले थे, उस वक्त ये दोनों हेयरपिन मैंने अपने बालों में लगा रखे थे, जोगा के आने से पहले वे मेरे सिर पर हाथ फेर रहे थे, बालों को छेड़ रहे थे। तब उस वक्त उनका हाथ एक हेयरपिन पर था, जब अचानक ही जोगा आ गया उसे देखते ही वे हक्के-बक्के रह गए । तन-बन तक की सुध न रही थी उन्हें, और उस वक्त मैंने अनजाने में ही स्वाभाविक रूप से उनके उस हाथ को जिसमें हेयरपिन था, उनकी कोट की जेब में जाते देखा।"


"ओह !" मेरे मस्तिष्क में से एक गांठ खुली ।


“इसमें शक नही कि उन्होंने अनजाने में ही, हेयरपिन अपनी जेब में डाल लिया था, मैंने साफ देखा था, किंतु क्योंकि उस वक्त तक मैं भौचक्की-सी उन्हें और जोगा को देखती रह गई थी इसलिए 'पिन' के बारे में कुछ भी न कह सकी। वे जोगा के साथ चले गए। उनके वापस आने से पहले ही मुझे यह अहसास हो गया था कि मेरे बालों में एक ही पीन रह गया है अतः उसे उतार कर मैंने यहां दराज में रख दिया। उनके लौटने पर भी पिन का ख्याल न रहा, रहता भी कैसे, सारा माहौल और वे स्वयं इतने रहस्यमय हो उठे थे। दिमाग उन्हीं सवालों में उलझकर रह गया, उसके बाद जो हुआ वह तुम जानते ही हो ।”


"म... मगर इस पिन से हत्यारे का पता कैसे लग सकता है ?"


"पिन का ख्याल मुझे उस वक्त आया जब पोस्टमार्टम वाले उन्हे ले जा रहे थे, तुमने देखा कि तलाशी में पिन मुझे नहीं मिला। इसका मतलब है कि पिन हत्यारे ने निकाला ।"


"ओह, तो क्या तुम यह कहना चाहती हो कि जोगा ने अनूप बाबू को यहां भेजने से पहले... ।”


"हां, मैं अच्छी तरह अनुमान लगा सकती हूं कि क्या हुआ होगा ?" विभा सभी कड़ियों को जोड़ती हुई बोली,-"हालांकि उनकी हत्या से किसी भी किस्म का आर्थिक लाभ उठाना हत्यारे का मकसद बिल्कुल नहीं थी, लेकिन इस पिन पर उसकी दृष्टि उस क्षण पड़ी होगी जब उसने पैन उन्हें लौटाया, तुम्हें याद होगा । बाबूजी के बयान के मुताबिक जोगा ने पैन उनके सामने नहीं लौटाया था, जबकि जब वे यहां आए तो पैन उनके पास था, मतलब ये कि योगा ने दीनदयाल के फ्लैट के दूसरे कमरे में पहुंचकर पैन 'इनकी' जेब में डाला। तभी, उसकी नजर पिन पर पड़ी। पिन को देखते ही उसने उसकी कीमत का अंदाजा लगा लिया, कीमत का अंदाजा होते ही उसे लालच आ गया और उसने पिन रख लिया।"


"ओह, अब वह जरूर पिन को बेचने की कोशिश करेगा।"


"गुड, अब तुम समझ रहे हो। इस पिन को तुम अपने पास रख लो वेद, जिन्दल पुरम् में छोटा-सा सर्राफा है। कल तुम्हें वहीं रहकर ऐसे व्यक्ति की तलाश करनी है, जो इसके साथ का पिन बेचने आए ।”


"म... मगर, हत्यारा पिन को जिन्दल पुरम् में बेचने का रिस्क क्यों लेगा ?"


"क्योंकि वह नहीं जानता कि हेयरपिन बेचने की कोशिश जैसी साधारण घटना उसे पकड़वा सकती है।"


"क्या मतलब ?"


"हत्या करने के बाद हत्यारा पूरी तरह चौकस रहता है, किसी-न- - किसी स्रोत से वह खबर रखता है कि पुलिस या हत्या की तफ्तीश करने वाले किसी भी व्यक्ति के हाथ क्या सुबूत लगे हैं और वे क्या सोच तथा कर रहे हैं। जोगा को भी किसी-न-किसी स्रोत से सारी सूचनाएं मिल रही होगी। सारी तफ्तीश के बीच, मेरे और तुम्हारे अलावा पिन का जिक्र तक किसी तीसरे व्यक्ति के सामने नहीं आया है। यानी कोई नहीं जानता कि इस हत्या से संबंधित कोई हेयरपिन भी है अतः हत्यारा समझ जाएगा कि पिन के बारे में न तो किसी को कुछ जानकारी ही है और न ही इस तरफ किसी ध्यान है और इसीलिए पिन को बेचता वह खतरनाक नहीं समझेगा ।"


"ओह, तो इसलिए तुमने कार में सावरकृ आपने मुझे छेक, हिसा, था?"


"हां, पिन का जिक्र मैं किसी तीसरे व्यक्ति के सामने बिल्कुल नहीं करना चाहती थी, पिन का नाम बीच में लाकर ही हाथ में आए इस सुबूत को बेकार कर देना था। इसी वजह से आई. जी. साहब के बार-बार पूछने पर भी मैंने नहीं बताया ।"


वह घूमी, अब उसकी पीठ मेरी तरफ थी । हेयरपिन मैंने जेब में रखा लिया, अब वह मुझ से दूर कमरे की एक खिड़की की तरफ बढ़ती हुई कह रही थी- "फिलहाल यहां मुझे तुम ही पर भरोसा...अरे !”


वह बुरी तरह चौंक पड़ी ।


उसे चौंकती और कोई वजह न समझकर में भी चौंक पड़ा, मैंने देखा कि उसकी दृष्टि खिड़की पर चिपकी हुई थी, वह लपकती- सी खिड़की के समीप पहुंची।


"क्या हुआ विभा ?" मैंने पूछा ।


बड़ी तेजी से घूमकर उसने अपने होठों पर उंगली रखकर मुझे चुप रहने के लिए कहा, अचानक ही उसकी इस मुद्रा और चेहरे के भावों ने मेरी बुद्धि को चकराकर रख दिया, मुंह फाड़े में हक्का-बक्का सा खड़ा रह गया था, मेरी समझ में कुछ भी नहीं आ रहा था, जबकि मुझ पर से दृष्टि हटाकर वह कमरे में फर्श को बहुत ध्यान से देखने लगी और उस वक्त तो मैं भौंचक्का रह गया, जब वह मेज की तरफ झपटी ।


एक झटके में उसने दराज खोली ।


अगले ही पल उसके हाथ में रिवॉल्वर देख मैं सकपका गया, किंतु मेरी तरफ लेशमात्र भी ध्यान दिए बिना वह कमरे के एक कोने में रखी सेफ के सामने पहुंचकर गुर्राई- "बाहर निकालो।"


मेरी खोपड़ी 'भक्क' से उड़ गई ।


कहीं विभा का मानसिक संतुलन तो नहीं गड़बड़ा गया ?"


"मैं कहती हूं बाहर निकलो।" सेफ की तरफ रिवॉल्वर ताने वह बड़े ही खतरनाक स्वर में गुर्राई-"जानती हूं कि तुम सेफ के पीछे छुपे हो ।”


उस वक्त मेरे दिमाग की नसें बुरी तरह झनझना रही थीं जब दोनों हाथ हवा में उठाए वह व्यक्ति सेफ के पीछे से प्रकट हुआ, वही जिसका सिर्फ एक झलक मैंने हैडलाईट में देखी थी ।


"द... दीनदयाल ।" मेरे कंठ से चीख-सी निकल गई। रिवॉल्वर ताने विभा अपनी आग उगलती हुई आंखों से उसे घूर रही थी, जबकि बुरी तरह कांपता हुआ दीनदयाल गिड़गिड़ा उठा- "न... नहीं बहूरानी । गोली मत चलाइएगा, म...मैंने कुछ नहीं किया । "


मैं किंकर्त्तव्यमूढ़-सा देख रहा था ।


"त...तुम दीनदयाल हो न ?" विभा ने पूछा ।


"हां बहूरानी, लेकिन सच, आपकी कसम- मैं, निर्मला और बंटी बेकसूर हूं।"


"त... तुम यहां कैसे पहुंच गए ?"


"प... पुलिस मेरे पीछे लगी है बहूरानी, बड़ी मुश्किल में पीछा छुड़ाकर मंदिर के लॉन में पहुंचा। संयोग से इस

कमरे की खिड़की खुली हुई थी। मैं अंदर आ गया।"


" और अंदर आने के बाद खिड़की बंद कर दी है न ?" विभा ने कटुस्वर में पूछा। ।


बुरी तरह सहमे हुए दीनदयाल के मुंह से निकला - "ज... जी हां । "


"उसी बन्द खिड़की को देखकर मैं चौंक पड़ी थी, उसने मुझे बता दिया था कि उसके माध्यम से जरूर कोई कमरे में आया है, क्योकि अंतिम बार जब मैं इस कमरे से गई थी तो यह खुली हुई थी ।"


एक बार फिर विभा की बुद्धि की तीव्रता और याद्दाश्त पर चकित रह गया, वह ठीक ही कह रही थी। उस वक्त मैंने भी खिड़की खुली देखी थी, किंतु इस वक्त भी देखकर चौंका नहीं था, दरअसल उस तरफ मैंने कोई विशेष ध्यान नहीं दिया था, जबकि विभा ने उस पर सोच लिया था ।


वह कहती ही चली गई- "दुःख है कि कमरे में आते ही मेरा ध्यान खिड़की की तरफ नहीं गया, उसे बन्द देखते ही मैं चौंक पड़ी और फिर फर्श पर बने पद-चिन्हों ने बता दिया कि तुम सेफ के पीछे छुपे हो, खैर, मुझे तुमसे बहुत से सवालों का जवाब चाहिए, सबसे पहले ये बताओ कि तुम्हारी ये हालत कैसे हुई ?”


दीनदयाल ने अपने ही जिस्म को देखा, बोला- "पुलिस से बचने के चक्कर में मैं भाग रहा था, उसी कोशिश में कई जगह गिरा। कपड़े फट गए, मैं जख्मी हो गया । "


"तुम पुलिस से क्यों डर रहे थे ?"


"अनूप बाबू की आत्महत्या का समाचार सुनते ही मैं भी बाजार के दूसरे लोगों की तरह अपनी दुकान बंद करके मंदिर की तरफ दौड़ पड़ा था, मेरे दिल में भी जिन्दल पुरम् के दूसरे लोगों की तरह देवता जैसे अनूप बाबू के लिए सम्मान और श्रद्धा है, मैं उस वक्त मंदिर के बाहर लगी भीड़ में था। आप वहां पहुंच चुकी थीं, दूसरे साधारण नागरिकों की तरह मैं भी अस्पताल के अंदर दाखिल न हो सका, बाहर ही खड़ा रहा। थोड़ी देर बाद आई•जी• साहब के साथ वहां के निकल गईं, उस वक्त मैं या भीड़ में मौजूद कोई भी दूसरा यह नहीं जान सका था कि आप कहां गई हैं, किंतु कुछ ही देर बाद भीड़ में जाने कैसे यह समाचार फैल गया कि आपने उस फ्लैट का पता लगा लिया है, जहां मालिक कैद थे और अब पुलिस के साथ वहीं गई हैं। किसी को उस फ्लैट का पता नहीं था जहां, आप गई थीं, कुछ ही देर बाद मैं एक थ्रीव्हीलर के माध्यम से अपने फ्लैट की तरफ रवाना हो गया, इमारत के बाहर ही लगी भीड़ देखकर मैं चौंक पड़ा और उस वक्त तो मेरे पैरों तले जमीन ही खिसक गई, जब लोगों से अपने फ्लैट का नंबर सुना, यह सुनकर मैं भौंचक्का रह गया था कि मालिक को मेरे ही फ्लैट में कैद रखा गया था और अब पुलिस को मेरी तलाश है।"


ध्यान से सुनती हुई विभा ने प्रश्न किया- "फिर ?"


"मैं चकरा गया, बुद्धि घूम गई । निश्चय नहीं कर सका कि मुझे क्या करना चाहिए, वहां मुझे किसी के भी द्वारा खुद को पहचान लिए जाने का डर था, अतः जल्दी से वहां से दूर हो गया । मैं बुरी तरह परेशान, हैरान और घबराया हुआ था, समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब कैसे हो गया। मालिक को कैद करे जाने से मेरे फ्लैट का क्या संबंध | मुझे एक मुजरिम की तरह तलाश किया जा रहा था और मैं बिल्कुल नहीं सोच पा रहा था कि इस मुसीबत से बचने के लिए क्या करना चाहिए। हरेक की जुबान पर अनूप बाबू के हत्यारे के रूप में मेरा ही नाम था और मुझे डर था कि इस मुसीबत से बचने के लिए क्या करना चाहिए। मुझे डर था कि कहीं कोई मुझे मेरा परिचित न मिल जाए, जानता था कि कोई भी परिचित मिलते ही मुझे धर दबोचेगा, मेरे और अपने संबंधों की बिल्कुल परवाह या लिहाज नहीं करेगा, क्योंकि अनूप बाबू को सभी देवता समान मानते थे। परिचितों के बारे में सोचते ही सोचते मेरा ध्यान राम अवतार की तरफ गया, पनाह के लिए और इसी मुसीबत से निकलने का रास्ता पूछने के लिए मैं वहीं पहुंचा, जानता था कि जब तक कोई मुझे अपनी स्थिति स्पष्ट करने के लिए पर्याप्त समय नहीं देगा, तब तक कोई मुझे समझ भी नहीं पाएगा। राम अवतार के यहां पहुंचकर सबसे पहले यह महसूस करके मैंने संतोष की सांस ली कि अभी तक राम अवतार को यह नहीं मालूम कि पुलिस मुझे तलाश कर रही है, राम अवतार को यह नहीं मालूम कि पुलिस मुझे तलाश कर रही है, राम अवतार को सब कुछ सच-सच बताकर मैंने सलाह लेने का निश्चय किया, एक गिलास पानी पीने के बाद उसे बताने के लिए अभी मैंने मुंह खोला ही था कि वहां पुलिस पहुंच गई। घबराकर वहां से भागा । एक ईख में घुसकर बड़ी मुश्किल से खुद को बचाने में कामयाब रहा। अब मैं समझ गया था पुलिस मुझे देखते ही मेरी कोई बात सुने बिना गोली मार देगी। मैं यह भी समझ गया था कि अब जिन्दल पुरम् के किसी भी मकान में मुझे कोई पनाह मिलने वाली नहीं है। उस वक्त मैं मंदिर के समीप था और अचानक मुझे ख्याल आया कि इस मुसीबत से सिर्फ आप ही निकाल सकती हैं, आपके कदमों से लिपटकर सब कुछ बता देना ही मेरी रक्षा कर सकता है, सो, मंदिर की पिछली बाउंड्रीवॉल फर्लांगकर लॉन में पहुंच गया, किसी तरह छुपते- छुपाते यहां तक और...


" हमारे इस कमरे में आते ही तुम सेफ के पीछे से क्यों नहीं निकल आए ?"


"इनकी वजह से।" उसका इशारा मेरी तरफ था ।


विभा ने गंभीर स्वर में पूछा- "इनकी वजह से, क्या मतलब ?"


"मैं सब कुछ आपको अकेले में बताना चाहता था, इनके इस कमरे से निकल जाने की इंतजार कर रहा था । मैं इन्हें नहीं जानता, लेकिन लोगों से सुना है कि ये आपके दोस्त हैं । "


विभा एकदम कुछ नहीं बोली। मैं भी चुपचाप ही खड़ा था, मुझे लग रहा था कि दीनदयाल ठीक ही कह रहा है, जबकि विभा ने उससे सवाल किया- "इसका मतलब ये कि तुम नहीं जानते कि तुम्हारे फ्लैट पर किसने क्या किया ?"


"म.... मैं तो सारे दिन दुकान पर था बहूरानी, सुबह नौ बजे ही फ्लैट से निकल पड़ा था।"


"क्या तुम लंच लेने भी अपने फ्लैट पर नहीं जाते थे ?"


"जाता था बहूरानी, लेकिन केवल तब, जब निर्मला फ्लैट पर हो । आजकल वह मायके गई है, फ्लैट पर खाना तैयार करने वाला कोई भी नहीं है, अतः लंच दुकान पर ही ढाबे से मंगा लेता हूं।"


"देहली गए तुम्हारी पत्नी को कितने दिन हुए


"बीस दिन ।”


"इसका मतलब ये कि बीस दिन से तुम्हारा यही रूटीन है, इस बात के पूरे सबूत मिले है दीनदयाल, कि जो कुछ हुआ, तुम्हारे फ्लैट ही में हुआ है, मरने से पहले उन्होंने तुम्हारे ही नंबर पर फोन भी किया था । "


"मैं कुछ नहीं जानता बहूरानी, सच, मैं खुद हैरान हूं कि यह सब कैसे हो गया?”


"तुम्हारे बयान पर यदि यकीन कर लिया जाए तो उसका अर्थ है कि हत्यारे ने तुम्हारी गैर-हाजिरी में जुर्म करने के लिए तुम्हारा फ्लैट चुना ?"


"उस कम्बख्त को सारे जिन्दल पुरम् में मेरा ही फ्लैट मिला था ?"


"यही सवाल महत्वपूर्ण है दीनदयाल, यह कि हत्यारे ने तुम्हारा हा फ्लैट क्यों चुना, किसी और का क्यों नहीं ? अच्छा जवाब दो । तुम्हारे फ्लैट की चाबी आज सारे दिन कहां रही?"


"मेरी जेब में, इस वक्त भी मेरे पास है ।"


"फिर हत्यारे ने तुम्हारे फ्लैट पर लगा ताला कैसे खोल लिया ?”


" मैं कुछ नहीं जानता बहूरानी।"


"याद करो दीनदयाल तुम्हारे इर्द-गिर्द ऐसे कितने लोग हैं जो तुम्हारी पत्नी के मायके जाने और उसी दिन से बने तुम्हारे रूटीन के बारे में जानते हैं ?"


"यह बात तो मेरे लगभग सभी परिचित जानते हैं।"


"नकली चाबी या 'मास्टर की' की मदद से जिसने भी तुम्हारे फ्लैट का दुरूपयोग किया हे वह निश्चय ही जानता था कि सुबह के नौ बजे जाकर तुम दुकान से रात साढ़े आठ बजे लौटते हो, तुम्हारी पत्नी मायके गई हुई है और सारे दिन फ्लैट पर ताला लगा रहता है और इतनी जानकारी तुम्हारी किसी परिचित को ही हो सकती है, वही ऐसे खतरनाक काम के लिए इतने आराम से फ्लैट का इस्तेमाल कर सकता है। दिमाग पर जोर डालो दीनदयाल, सोच कर जवाब दो तुम्हारे परिचितों में से ऐसा कौन है, जो यह काम कर सके ?"


"मैं तो किसी को ऐसा नहीं समझता बहूरानी।"


"हत्यारे ने जो कुछ किया है उससे तुम बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गए हो दीनदयाल, और तुम्हें इस मुसीबत में फंसाने के लिए ही उसने यह सब कुछ किया है, तुम्हें इस तरह फंसाने वाला निश्चय ही कोई तुम्हारा दुश्मन होगा। ऐसा दुश्मन जो दोस्त का मुखौटा चढ़ाकर तुम्हारे आस-पास रहता है।"


"म... मेरी भला किसी से क्या दुश्मनी हो सकती है बहूरानी, व्यापारी आदमी हूं। कोई गाली भी देता है तो विनम्रता से उसके हाथ जोड़ लेता हूं, मैंने तो कभी किसी को अलिफ से बे भी नहीं कहा ।”


विभा जाने क्या सोचती रह गई, मैं एक लफ्ज भी नहीं बोला था। हां, दीनदयाल के बयान ने इस सारे मामले को कुछ और ज्यादा उलझा - सा दिया था। हालांकि उसका बयान काबिले यकीन था, ऐसा नहीं लगता था कि वह झूठ बोल रहा है। शक की कहीं कोई गुंजाइश थी भी नहीं1। परंतु हत्यारे द्वारा जुर्म करने के लिए किसी अन्य का फ्लैट इस्तेमाल करना भी कम विचित्र बात नहीं थी ।


"जो सच था वह मैंने आपको बता दिया है बहूरानी, अब यह आप पर निर्भर है कि आप यकीन करें या नहीं, मैं आपके हवाले हूं अगर आप मुझे, सच्चा महसूस करें तो माफ कर दें और अगर अनूप बाबू का हत्यारा महसूस करें तो अपने हाथों से मेरा गला दबा दें, मैं चूं भी नहीं करूंगा।"


"सिर्फ हमारे कुछ महसूस करने से कुछ नहीं होगा दीनदयाल, सुबह नौ बजे के बाद मुजरिम ने तुम्हारे फ्लैट का इस्तेमाल किया है, फ्लैट के ताले, रिसीवर और फ्लैट क अंदर मुजरिम की उंगलियों के निशान होंगे, तुमने कहा है कि तुम फ्लैट पर नहीं गए, लिहाजा ताले पर तुम्हारी उंगलियों के निशान नहीं होंगे। ताले पर से मिले निशानों से तुम्हारी उंगलियों के निशान मिलाए जाएंगे, अगर नहीं मिले तो तुम्हारा बयान प्रमाणित हो जाएगा और यदि मिल गए तो ?" 


"म.... मैं अपनी उंगलियों के निशान देने के लिए तैयार हूं बहूरानी।" दीनदयाल का चेहरा चमक उठा।