उस वक्त केवल मैं ही नहीं, बल्कि हॉल में मौजूद सभी व्यक्ति चकित एवं अवाक् से रह गए जब स्ट्रेचर सहित पुलिस-दल के बाहर जाते ही विभा बड़ी तेजी से मेरे नजदीक आई और बोली- "मेरे पीछे उस कमरे में आओ वेद ।"
मैं सकपका-सा गया, जबकि वह एक क्षण के लिए मेरे पास बिना ठिठके आगे बढ़ गई। उसका रूख उस कमरे की तरफ था जिसमें उसने आई. जी. से बातें की थीं। कई पल तक तो मैं हक्का-बक्का-सा खड़ा रहा, दिमाग को झटका–सा लगा तो किंकर्त्तव्यविमूढ़ - सा खड़ा उसके पीछे लपका पड़ा। इस वक्त वह मुझे उसी मूड में नजर आ रही थी, उस मूड में साथ के छात्र की हत्या की तफ्तीश करते वक्त थी ।
उसके पीछे लपकता हुआ-सा मैं कमरे में पहुंच गया।
उसने घूमकर कहा-“दरवाजा अंदर से वोल्ट कर दो वेद।"
मैं जैसे विभा के हुक्म का गुलाम था, दरवाजा वोल्ट करके घूमने पर मैंने उसे अपनी ओर ही देखते पाया, विधवा विभा को अकेले में अपने इतने नजदीक पाकर मैं अपनी भावनाओं को काबू में न रख सका। न चाहते हुए भी मेरी आंखे भरती चली गई ।
"क्या तुम जानते हो वेद, कि मैंने तुम्हें इस कमरे में क्यों बुलाया है ?"
मैं चाहकर भी कुछ न बोल सका, सिर्फ डबडबाई आंखों से उसे देखता रहा।
"तुम्हें यह बताने के लिए कि उनकी जेबों में क्या तलाश रही थी ?"
मेरे चेहरे पर शायद जिज्ञासा के भाव उभर आए ।
"उस वस्तु के बारे में मैं सिर्फ तुम्हें बता रही हूं किसी अन्य को बताने से हाथ आया हुआ एक सूत्र बेकार जा सकता है, यहां इस वक्त शायद एक तुम ही हो जिस पर मैं सबसे ज्यादा यकीन कर सकती हूं, मैं जानती हूं कि तुम उस बारे में किसी से कुछ नहीं कहोगे और साथ ही मेरी मदद करोगे ।”
"मैं तुम्हारे हर आदेश का पालन करने के लिए तैयार हूं।"
कुछ कहने के लिए विभा ने अभी होठ खोले ही थे कि किसी ने कमरे के बंद दरवाजे पर दस्तक दी। हम दोनों का ध्यान भंग हो गया। विभा ने कहा- "दरवाजा खोल दो।"
मैंने आगे बढ़कर दरवाजा खोल दिया ।
दरवाजे पर एक अधेड़ आयु का सूटेड-बूटेड और आकर्षक सा नजर आने वाला व्यक्ति खड़ा था, उसने सम्मानित ढंग से विभा का अभिवादन किया ।
"कहिए सावरकर अंकल ?" विभा ने प्रश्न किया ।
"ब...बहूरानी, मालिक का कहीं भी पता नहीं लग रहा है।"
विभा उछल-सी पड़ी-"क... क्या मतलब ?"
“हम सब हैरान हैं, वे मंदिर में कहीं भी कही नहीं हैं। हालांकि हर फैक्ट्री बंद हो चुकी है फिर भी मैंने प्रत्येक
फैक्ट्री के ऑफिस में फोन किया, वे कहीं भी नहीं हैं। शायद वे जिन्दल पुरम् में ही नहीं है, वर्ना अभी तक मंदिर में पहुंच चुके होते, मैंने सभी से पूछा कोई ऐसा व्यक्ति नहीं मिला, जिसने उन्हें पिछले छह-सात घंटे से देखा हो।"
विभा का मुंह खुला का खुला रह गया । मैं समझ सकता था कि यह सावरकर नाम का व्यक्ति इस परिवार का काई खास कर्मचारी है और ये बाते अनूप के पिता गजेन्द्र बहादुर के बारे में हो रही है, सावरकर की बातों ने मेरा माथा भी उनका दिया ।
विभा बड़बड़ा-सी उठी- "अजीब बात है, बाबूजी भला कहां चले गए ?"
"आपको इस अजीब बात की सूचना देनी मैंने जरूर समझी । "
कुछ देर विभा चेहरे पर चिंता के ढेर सारे भाव लिए जाने क्या सबको बाबूजी की तलाश में लगा दें सावरकर अंकल, और पुलिस को भी उनके गुम होने की सूचना दे दें।"
"जो हुक्म बहूरानी।" कहने के बाद सावरकर ने मुड़ना ही चाहा था कि..!
"ठहरिए सावरकर अंकल !" विभा ने कहा ।
सावरकर ठिठक गया।
विभा ने प्रश्न किया- "क्या आपने कभी अपने अनूप बाबू के साथ ऐसे व्यक्ति को देखा है, जिसका कद करीब साढ़े छह फिट लंबा हो, पतला-दुबला, काले मोटे और भद्दे होठों वाला ऐसा व्यक्ति जिसकी आंखें अक्सर किसी तरह नशा करने की वजह से लाल रहती हों ?"
"जी नहीं बहूरानी, मैं इस हुलिए के किसी व्यक्ति को नहीं जानता, लेकिन..!"
"लेकिन ?”
"अनूप बाबू द्वारा आत्महत्या की खबर सुनकर मैं आज फिर भौंचक्का रह गया । "
"फिर ?" चौंकती हुई विभा ने पूछा- "फिर से क्या मतलब ?"
"ऐसी ही आज से चार साल पहले हुआ था, जबकि मैंने इसी तरह अचानक ऑफिस में बैठे अलका बेटी द्वारा आत्माहत्या करने की खबर सुनी थी ।"
‘‘हां। फिर भी, मैंने और मेरी तरह ही शायद दूसरे कुछ लोगों ने भी मन ही मन यह सोचा कि अलका बेटी जवान थी, सुंदर थी। संभव है उसे किसी युवक से प्यार हो गया हो। अपने प्यार की बात उसने मलिक और छोटे मालिक को बताई हो ओर उन्होंने उस युवक से अलका की शादी करने से इंकार कर दिया हो और इसी गम में अलका ने आत्महत्या कर ली हो ।”
"क्या आपके ऐसे सोचने के पीछे कोई आधार था ?”
" ऐसा कोई आधार नहीं था, जिसे सुबुत कहा जा सके।"
"क्या मतलब ?"
"बुरा न मानिएगा बहूरानी जी ।" सावरकर ने अपने दिल की बात कह दी- "जब कोई जवान लड़की आत्महत्या कर ले और पुलिस तथा जासूसों की लाख कोशिश के बाद भी वजह पता न लगे तो लोग अक्सर या सोचने लगते हैं कि प्यार - मुहब्बत का चक्कर रहा होगा, उस वक्त ऐसा सोचकर बहुत लोगों ने अपनी जिज्ञासा शांत कर ली थी, मैं भी उन्हीं में से एक था। मन को यह सोचकर समझ लिया था कि बड़े मालिक और छोटे मालिक अलका की आत्महत्या की वजह जानते होगें । केवल अपनी इज्जत की खातिर उसे प्रचारित नहीं होने दे रहे हैं ।"
"हां, वैसी घटना आप लोगों के दिल में ऐसी धारणा बना ही देती है।"
म... मगर आज !"
"आज क्या ?"
"अनूप बाबू ने आत्महत्या करके मेरी और शायद मेरे जैसे ही सैकड़ों लोगों की उस धारणा को बिखेर कर रख दिया है।"
थोड़ी चौंकती-सी विभा ने पूछा- "इस घटना का संबंध आप उस आत्महत्या से कैसे जोड़ रहे हैं ?"
"लगता है कि जिन्दर परिवार के लोगों को आत्महत्या करने का जुनून सवार हो गया है।"
"क्या मतलब ?" विभा पहले से कहीं ज्यादा बुरी तरह चौंकी ।
"आत्महत्या लोग क्यों करते है, जिन्दगी से निराश होकर। लोग निराश क्यों होते हैं, किसी अभाव की वजह से या अचानक लगे किसी शॉक से। जिन्दल परिवार के लोगों को भला क्या अभाव है ? क्या शॉक से । जिन्दल परिवार के लोगों को भला क्या अभाव है ? क्या शॉक लग सकता है ? और विशेष रूप से यदि छोटे मालिक की जिंदगी के बारे में सोचा जाए तो दूर-दूर तक भी आत्महत्या की कोई वजह नजर नहीं आती। दुनिया की हर चीज उनके सिर्फ एक इशारे पर उनके कमरे में हाजिर हो सकती थी, आप जैसी पत्नी थी उनकी, और सुना है कि सात-आठ महीने बाद नन्हें मालिक भी आने वाले है। ऐसी ढ़ेर सारी खुशियों से घिर व्यक्ति भला आत्महत्या क्यों करेगा ? नहीं बहूरानी, दूर-दूर तक भी कोई वजह नहीं है, जिसे सोचकर हम उसी तरह खुद को भ्रमित कर लें जिस तरह अलका बेटी के आत्महत्या कर लेने पर कर लिया था, अब तो ऐसा लगता है कि जिन्दल परिवार के लोगों को आत्महत्या करने की बीमारी हो गई हैं।"
"ओह नो, आप जाने क्या-क्या सोच रहे है, सावरकर अंकल ।" विभा ने खुद को भावुक होने से रोकते हुए कहा- "खेर, आप जाइए और जल्दी से बाबूजी का पता लगाने की कोशिश कीजिए । "
सावरकर चला गए ।
विभा जाने किन ख्यालों में गुम हो गई, शून्य में आंखें स्थिर किए जाने वह क्या सोच रही थी, जबकि मैं चुपचाप खड़ा उसकी तरफ देखता रहा। सावरकर की बातों ने मेरे दिमाग को भी झकझोरर-सा डाला था, उसके बोलने से दूसरी बातों के अलावा मुझे यह भी पता लगा था कि विभा अनूप के बच्चे की मां बनने वाली है। यह बात मुझे पता भी लगी तो कैसे वातावरण में ?
तब, जबकि मैं उसे मुबारकबाद भी नहीं दे सकता था।
"वि... विभा !" मैंने उसे धीरे से पुकारा।
" आं... हां...!" वह जैसे किसी स्वप्न से जागी हो, अगले ही पल संभलकर बोली-"सॉरीदेर के लिए मैं - माफ करना वेद, कुछ भूल गई थी कि कमरे में तुम भी मौजूद हो ।"
"क्या सोचन लगी थीं ?"
"सावरकर अंकल को अलका बहन जी द्वारा चार साल पहले की गई आत्महत्या से जोड़कर ये मेरे दिला- दिमाग में अजीब-सी खलबली मचा गए।
"मैं अलका के बारे में कुछ भी नहीं जानता।"
"वे कभी भावुक नहीं होते थे, किंतु अक्सर तब भावुक हो उठते थे जब अलका बहन जी का जिक्र आ जाता था, शायद वे अपनी बहन से बहुत प्यार करते थे। हमारी शादी के तीन साल पहले ही अलका बहन जी ने आत्महत्या कर ली थी। मैं पूछा करती कि बहन जी ने ऐसा क्यों किया तो बड़े मायूस से वे कहा- करते थे-काश, वे जान सकते। काश, कोई जान सकता कि उस बेवकूफ न ऐसा क्यों किया । कोई भी तो उसके दिल का दर्द नहीं जान सका था।"
मैं चुप रहा जबकि विभा कहती चली गई-"सावरकर अंकल ठीक ही कह रहे थे। किसी जवान लडकी के आत्महत्या का कारण पता न लगाने पर लोग अक्सर ऐसा सोच ही लेते है मगर उस घटना को उन्होंने इस आत्म हत्या से क्यों जोड़ा ?"
"क्या मतलब ?"
"मैं इसे आत्महत्या नहीं मानती वेद, यह हत्या का मामला है। उनकी मेज पर रखे फोन का रिसीवर क्रेडिल पर नहीं रखा था, जाहिर है कि मरने से कुछ ही क्षण पूर्व उन्होंने किसी से बात की थी, सवाल ये उठते हैं कि किससे और क्या ?"
"संभव है कि किसी ने अनूप को फोन किया हो ?”
"नहीं, ऐसा नहीं था । हम कमरे के बाहर हॉल ही में बैठे थे, अगर किसी ने उन्हें फोन किया होता तो वैल की आवाज हमें जरूर आती। हमने वैल की कोई आवाज नहीं सुनी जाहिर है कि किसी ने उन्हें नहीं बल्कि खुद उन्होंने ही किसी को फोन किया था।"
मैं लाजवाब हो गया ।
"इस सारे झमेले में मैं कुछ इस तरह फंसी कि बाबूजी की तरफ मेरा ध्यान ही नहीं गया, क्या ये कम आश्चर्यजनक बात है वेद, कि ऐसे समय में बाबूजी गायब हैं ?”
"आश्चर्यजनक ही नहीं, बल्कि रहस्यपूर्ण भी । "
"निःसंदेह, और मैं दावे से कह सकती हूं कि यह मामला बहुत गहरा है। बाबूजी का गायब होना वाकई मुझे चिंतित किए दे रहा है। संभव है कि इस वक्त वे किसी होना वाकई मुझे चिंतित किए दे रहा है। संभव है कि इस वक्त वे किसी किस्म के खतरे में फंसे हुए हों।"
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