अगले रोज दोपहर तक पुलिस की जानकारी में कई तरीकों से इजाफा हुआ ।
मसलन :
ये निर्विवाद रूप से स्थापित हो गया कि सूद की कोठी से बरामद गम बूट्स और बरसाती मकतूल पवन गुप्ता की मिल्कियत थे । उसकी विधवा मां ने जिसके साथ कि वो अकेला रहता था- दोनों चीजों की बेहिचक शिनाख्त की । -
तीन गोलियां कितने फासले में चलाई गयी थीं और उनका जिस्म में दाखिले का कोण ऐंगल आफ एन्ट्री - क्या था, इस बाबत डॉक्टर और बैलेस्टिक एक्सपर्ट की सामूहिक रिपोर्ट थाने पहुंच गयी । -
पवन गुप्ता के बारे में ये मालूम हुआ कि वो पेशे से डायमंड मर्चेंट था, अविवाहित था और अपनी विधवा मां के अलावा उसका दुनिया में कोई नहीं था ।
पुलिस लैबोरेट्री से उन पैराफीन टैस्ट्स की रिपोर्ट प्राप्त हो गयी जो कि मनमोहन सूद और शिल्पा सूद पर किये गये थे ।
"ये तो दोनों पाजिटिव हैं !" - एस.एच.ओ. बलवान सिंह सकपकाया सा बोला- "इसका मतलब तो ये हुआ कि दोनों ने फायरआर्म्स को हैंडल किया था और उनसे गोली चलाई थी ।”
“पैराफिन टैस्ट आजकल पहले जैसा प्रामाणिक नहीं माना जाता" - ग्रोवर बोला- "क्योंकि जो नाइट्रेट बारूद के कणों में होता है, वो खाद में भी होता है, सिगार में भी होता है । पैराफिन के जरिये किसी के हाथ में नाइट्रेट के कणों की मौजूदगी ये ही नहीं बताती कि उसने गोली चलाई थी बल्कि उसने देर तक सिगार पिया हो सकता था या अपने घर के बगीचे में खाद को हैंडल किया हो सकता था ।”
"बात तो तुम्हारी ठीक है ।"
“ऊपर से जैसी गन से पवन गुप्ता का कत्ल हुआ था वो इस प्रकार की बनी हुई है कि उसमें से फायर किये जाने पर नाइट्रेट के कण बाहर नहीं छिटकते ।"
"फिर नाइट्रेट टैस्ट का क्या फायदा हुआ ?"
"ये बातें मुलजिम को नहीं मालूम होंगी, इसके सदके मुलजिम को हड़काया जा सकता है ।”
"हूं।"
"केस की बाबत आपने कोई राय कायम की ?"
"की तो सही ।"
"क्या ?"
“वो औरत अपने खाविन्द से बहुत मुहब्बत करती है इसलिये उसके लिये खुद कुर्बानी कर रही है, उसकी बला अपने सिर लेने की कोशिश कर रही है ।"
" यानी कि असल में कातिल मनमोहन सूद है ? "
"मुझे तो ऐसा ही जान पड़ता है। बाकी, दोनों में से कोई कुछ बके तो जानें ।”
"ठीक ।"
“आओ देखते हैं कि कल से उनके मिजाज में कोई तब्दीली आयी है या नहीं ?"
दोनों अफसरान हवालात में पहुंचे। वहां उसके पहलू में एक छोटा सा कमरा था, जनाना लाकअप में से निकाल कर जहां शिल्पा सूद को लाया गया ।
ग्रोवर ने बड़े अरमान से नोट किया कि रात लाकअप में गुजरी होने के बावजूद वो हसीन लग रही थी ।
"आपकी जानकारी के लिये" - बिना किसी औपचारिकता के ग्रोवर बोला- "वो बरसाती और गम बूट्स मकतूल पवन गुप्ता के थे।"
“होंगे।" - वो लापरवाही से बोली- "मैंने कहा था किसी मेहमान के थे । वो भी मेहमान था जो कि अपनी पिछली किसी विजिट के दौरान उन्हें वहां छोड़ गया होगा ।"
"नहीं।" - मजबूती से इनकार में सिर हिलाता ग्रोवर बोला - "वो उन्हें कल पहने था जबकि वो बरसात में आपके घर आया था । इसका मतलब है कि उन्हें मिस्टर सूद पहने नहीं हो सकते थे । इसका आगे मतलब है कि कल रात बारिश शुरू होने के बाद वो घर से निकले ही नहीं थे । कल के वक्त वो ऐन घर में मौजूद थे।"
"ये बेमानी बातें हैं जिनका ढोल पीटना पता नहीं क्यों तुम बन्द नहीं कर रहे हो । मानीखेज बात एक ही है और वो ये है कि मैंने कत्ल किया है । "
"पता नहीं आप ऐसा क्यों कह रही हैं, जबकि आपके दावे को हमारे बैलेस्टिक एक्सपर्ट की रिपोर्ट भी साफ झुठला रही है । "
"कैसे ? कैसे झुठला रही है ? "
"जो गोली चेहरे से टकराई थी, वो यूं चली थी जैसे कि गोली चलते वक्त गन की नाल चेहरे के लैवल में - ऐन उसके सामने - हो । जैसे आप गोली चली बताती हैं, उसके लिहाज से गोली नीचे से ऊपर को, ऐंगल पर, चली होनी चाहिये थी लेकिन, बैलेस्टिक एक्सपर्ट की रिपोर्ट कहती है कि, चेहरे से टकराई गोली के साथ ऐसा नहीं था ।”
"ये बातें मेरी समझ से बाहर हैं । "
" पुलिस की समझ से बाहर नहीं है । हमारा कहना ये है कि जब पवन गुप्ता वहां पहुंचा था तब आपके पति घर में थे, घर के ड्राईगरूम के अलावा किसी दूसरे कमरे में थे । पवन गुप्ता ने आपको घर में अकेला समझने की नादानी की और उसने आपको दबोच लिया। चीख पुकार, उठा पटक की आवाजें आपके पति के कानों में पहुंची तो वो गन लेकर दौड़े हुए ड्राईगरूम में पहुंचे, उन्होंने वहां का नजारा देखा और फिर क्रोध में आग बबूला होकर पवन गुप्ता को शूट कर दिया |"
"झूठ ! मेरे पति ने कुछ नहीं किया, जो किया, मैंने किया ।"
ग्रोवर ने असहाय भाव से अपने सीनियर की तरफ देखा "मैडम" - बलवान सिंह बोला- "आपकी ये ढिठाई आपको फांसी के फंदे पर ले जाकर मानेगी ।"
"आई डोंट केयर ।”
"अच्छी बात है ।"
फिर शिल्पा को वहां से रुख्सत कर दिया गया ।
"इस औरत को फांसी के फन्दे का खौफ दिलाना बेमानी है ।" - पीछे बलवान सिंह बोला - "इसका कुछ नहीं बिगड़ सकता । अदालत में इसके पहली बार ये कहते ही कि इसने आत्मरक्षा के लिये, अपनी इज्जत बचाने के लिये गोली चलाई थी, मैजिस्ट्रेट इसकी बात का यकीन कर लेगा । उसे भी अपनी इस ताकत का अहसास है । इसलिये कुछ दिनों की गिरफ्तारी की वक्ती जहमत उठाना वो अफोर्ड कर सकती है ।"
“यानी कि अपने मर्द के लिये कोई खास बड़ी कुर्बानी वो नहीं कर रही ?"
"कैसे करेगी ? क्यों करेगी ? ये कलयुग है, भाई । यहां कौन दूसरे के लिये अपनी जान देता है। अपने पति के लिये जो कुछ वो कर रही है इस गारन्टी के तहत कर रही है कि उसका कुछ नहीं बिगड़ने वाला, चन्द ही दिनों में वो हवा की तरह आजाद होगी।"
"आप ठीक कह रहे हैं । "
फिर मनमोहन सूद को तलब किया गया ।
सूद अपनी पत्नी द्वारा खाली की गयी कुर्सी पर ढेर हुआ, अपने चश्मे में से पलके झपकाते हुए उसने एक बार सामने मौजूद पुलिस अफसरान की तरफ देखा और फिर सिर झुका लिया ।
“कैसे आदमी हैं आप" - ग्रोवर तिरस्कारपूर्ण स्वर में बोला- “जो इरादतन अपनी बला अपनी बीवी के सर पे मढ़ रहे हैं!"
"म... मेरी... मेरी बला ?"
"कातिल आप और इल्जाम आपकी बीवी के सिर ! नतीजा जानते हैं क्या होगा ?"
"क... क्या होगा ?"
“जैसे आपको मालूम नहीं । औरत होने की वजह से फांसी से तो बच जायेगी आपकी बीवी लेकिन उम्र कैद यकीनन होगी ।"
उसके चेहरे पर हवाईयां उड़ने लगीं ।
फिर ग्रोवर ने उसे भी गम बूट्स और बरसाती की शिनाख्त के बारे में और बैलेस्टिक एक्सपर्ट की रिपोर्ट के बारे में बताया ।
"अब बात को समझिये ।" - वो बोला- "हकीकत को पहचानिये । इन बातों से साफ जाहिर होता है कि कातिल आप हैं । कल रात आप घर से बाहर नहीं थे । भरी हुई गन कोई ड्राईगरूम में नहीं रखता, वो भी ऐसी जगह जहां कि ताला न लगता हो । पवन गुप्ता को पांच फुट से ज्यादा के फासले से शूट किया गया था, लिहाजा जब उसकी जान गयी थी तब वो आपकी बीवी से बलात्कार की कोशिश करता नहीं हो सकता था । इसलिये गोली आपकी बीवी ने चलाई नहीं हो सकती । इन बातों से साफ जाहिर होता है कि वो कलयुग में एक सतयुग जैसी पतिव्रता स्त्री होने की मिसाल कायम करने की कोशिश कर रही है, आपकी खातिर खुद को शहीद होने देने की कोशिश कर रही है, आपकी खातिर खुद को शहीद होने देने की कोशिश कर रही है । वो आपसे मुहब्बत करती है इसलिये आपकी खातिर ऐसा करना अपना फर्ज मानती है । अब जवाब दीजिये, क्या आप उससे मुहब्बत नहीं करते ? क्या आपका कोई फर्ज नहीं ?"
"मैं अपनी बीवी को दिल से चाहता हूं।" - वो भये कण्ठ से बोला ।
"ऐसा है तो मर्द बनिये और उसके माथे पर लगा कत्ल का कलंक धो डालिये । "
जवाब में उसका पहले से झुका सिर और ज्यादा उसकी छाती पर लटक गया ।
“हम जानते हैं" - बलवान सिंह बोला - "जो हुआ, वो क्योंकर हुआ ? आपने अपनी बीवी का आर्तनाद सुना, आप लपक कर ड्राईगरूम में पहुंचे तो आपने पवन गुप्ता को आपकी पत्नी के साथ जोर जबरदस्ती करते पाया । आपने । गन निकाली और बलात्कारी को शूट कर दिया । लिहाजा आपने जो कुछ किया अपनी पत्नी के शील की रक्षा के लिये किया इसलिये जायज किया । मुल्क का कायदा कानून ऐसे वाकयात को समझता है और उन्हें हमदर्दी की निगाह से देखता है । इसलिये आपको सच बोलने में, हकीकत बयान करने में कोई खतरा नहीं है । अब बोलिये क्या कहते हैं आप ?"
उसने कुछ न कहा । न उसने सिर उठाया ।
अगला आधा घन्टा दोनों एस. एच. ओ. बन्धुओं ने उसकी जुबान खुलवाने की हरचन्द कोशिश की लेकिन नाकाम रहे ।
आखिरकार आजिज आकर बलवान सिंह ने उसे वापिस लॉकअप में भिजवा दिया ।
- “तौबा !” - पीछे वो वितृष्णापूर्ण स्वर में बोला- “साफ जाहिर हो रहा है कि कातिल खाविन्द है जो कि गूंगा बना बैठा है - बीवी नहीं लेकिन क्योंकि जुर्म का इकबाल बीवी कर रही है इसलिये समझ में नहीं आता कि कैसे हम इस कम्बख्त खाविन्द के खिलाफ पुख्ता केस खड़ा कर सकते हैं !"
"कुछ तो हमें करना ही पड़ेगा।" - ग्रोवर बोला ।
मान ली । " "तुम करो, भाई । तुम नौजवान हो, मैंने तो समझो हार
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