" अगर भीतर पड़ी लाश कैलाश भार्गव की नहीं है" रमण बोला- "तो इसका मतलब है कि किसी ने जानबूझ कर ऐसी स्टेज सैट की है कि लाश कैलाश भार्गव की समझी जाए।"
"किसी ने क्या" - प्रभुदयाल बोला - "ऐसा जरूर कैलाश भार्गव ने किया होगा । उसने पुलिस का ध्यान अपनी ओर से हटाने के लिए ही यह चाल चली मालूम होती है । वह चाहता होगा कि हम उसे मरा समझ लें और केस क्लोज कर दें । "
"भीतर पड़ी लाश के साथ भार्गव का कोई रिश्ता हो, ऐसा मुझे मुमकिन नहीं लगता । भार्गव एक छोटे अपराध से बचने के लिए इतना बड़ा अपराध नहीं कर सकता । वह कत्ल नहीं कर सकता, प्रभु । मुझे पूरा विश्वास है कि भीतर किचन में मरे पड़े आदमी का कातिल कैलाश भार्गव नहीं । प्रभु, तुम्हें इस आदमी के कातिल का पता लगाना चाहिए ।”
"लेकिन लाश के जिस्म पर कपड़े तो कैलाश भार्गव के हैं। यह बात निर्विवाद रूप से साबित हो चुकी है कि वे कपड़े कैलाश भार्गव के हैं। "
"मुमकिन है कत्ल से पहले मरने वाले को कैलाश भार्गव के कपड़े जबरदस्ती पहनाये गए हों।"
"लेकिन अगर मरने वाला कैलाश भार्गव नहीं है तो वह कौन है ?"
"तुम मालूम कर सकते हो । पुलिस के पास ऐसी बातें मालूम करने के बड़े साधन होते हैं। देर सवेर तुम्हें पता लग कर रहेगा ।"
"लेकिन अगर लाश कैलाश भार्गव की नहीं है तो उसकी बीवी ने झूठ क्यों बोला ? उसने शिनाख्त में लाश को अपने पति की लाश क्यों बताया ?"
“यह तो वही जाने । क्या पता उस खूबसूरत चेहरे के पीछे कौन से खतनाक इरादे छुपे हुये हैं ?"
प्रभुदयाल खामोश रहा ।
'अब मुझे इजाजत है ?" - सुनील बोला- "कल सुबह कैलाश भार्गव के चक्कर में मैंने अदालत में भी जाना है।"
" तुम्हें उम्मीद है कि कल सुबह वह अदालत में पेश हो जायेगा ?" - प्रभुदयाल ने पूछा ।
"उम्मीद तो पूरी है । वह न पेश हुआ तो ज्वाला प्रसाद का तो हार्ट फेल हो जायेगा ।"
"ज्वाला प्रसाद ?"
"हां ! उसने कैलाश भार्गव की एक लाख रुपये की नकद जमानत भरी हुई है ।"
"ओह !"
"बन्दा चला ।”
प्रभु दयाल ने सहमती में सिर हिला दिया
सुनील इमारत से बाहर निकल आया और वापिस अपने फ्लैट पर पहुंचा ।
बाकी की तमाम रात बड़े-बड़े डरावने सपने देखता रहा । रह-रहकर उसकी आंखों के सामने कैलाश भार्गव की सूरत उभर आती थी । फिर उसकी सूरत का स्थान वह क्षत-विक्षत सिर वाली लाश ले लेती थी जो उसने कैलाश भार्गव के फ्लैट की किचन के फर्श पर पड़ी देखी थी । कभी उसे दिखाई देता था कि रूही कैलाश भार्गव की चिता के सामने खड़ी कोई मातमी गीत गा रही थी और उसके पीछे खड़ा टोनी प्यानो एकार्डियन पर कोई रूही के गीत से ही मिलाती जुलती मातमी धुन बजा रहा था ।
उसने नींद में ही अपने सिर को झटका तो वह दृश्य गायब हो गया और उसके स्थान पर सुनील के मानस पटल पर ज्वाला प्रसाद का चेहरा उभरा । उसे दिखाई दिया कि ज्वाला प्रसाद अदालत में जोर-जोर से अट्टहास कर रहा था और एक विशाल सूटकेश में से कैलाश भार्गव के शरीर का एक-एक अंग बारी-बारी निकाल कर जज के सामने पेश कर रहा था ।
***
अगली सुबह कैलाश भार्गव अदालत में पेश न हुआ । वह अदालत की इमारत में कहीं भी सुनील को दिखाई न दिया।
फिर जज के आदेश पर अदालत में कैलाश भार्गव के स्थान पर उसके जामिन ज्वाला प्रसाद को पेश होना पड़ा । जज ने उसे कहा कि या तो वह अभियुक्त को अदालत में पेश करे या फिर वह उसकी जमानत की रकम की जब्ती का हुकम सुना देगा ।
ज्वाला प्रसाद जज से सम्बोधित हुआ - "योर ओनर ! मुझे खेद है कि अभियुक्त का अदालत में पेश हो पाना सम्भव नहीं है । अभियुक्त की कल रात मौत हो गई है । उसने आत्महत्या कर ली है और उसकी लाश इस वक्त मोर्ग में मौजूद है। मौजूदा हालत में क्योंकि अब जमानत की जरूरत नहीं रह गई है इसलिये मैं दरख्वास्त करता हूं कि मेरी जमानत की रकम मुझे वापिस दिलवा देने का हुकम सुना दिया जाये ।"
"यह गलत बयानी है योर ओनर ।" - सरकारी वकील एकाएक बोल पड़ा- "इनका ख्याल गलत है कि अभियुक्त की मौत हो चुकी है। कल रात पहले लाश की शिनाख्त ठीक से नहीं हो पाई थी इसलिये लाश को कैलाश भार्गव की लाश समझ लिया गया था, लेकिन अब पुलिस को पूरा विश्वास हो चुका है कि कल रात जिस आदमी की लाश बरामद हुई थी वह कैलाश भार्गव नहीं था । कहने का मतलब यह है, योर ओनर, कि कैलाश भार्गव जिन्दा है और अदालत में पेश नहीं हो पाया है। मेरे ख्याल से वह फरार हो गया है । इसलिये में अदालत से दरख्वास्त करता हूं कि उसकी जमानत जब्त कर ली जाये।"
"योर ओनर" - बदहवास हाल ज्वाला प्रसाद ने आर्तनाद किया - "यह बात अभी निर्विवाद रूप से स्थापित नहीं की गई है कि वह लाश कैलाश भार्गव की नहीं । कैलाश भार्गव की पत्नी ने खुद लाश की शिनाख्त की है और कहा है कि लाश उसके पति की है । "
"लेकिन योर ओनर !" - सरकारी वकील बोला - "सुनील नाम के एक अन्य गवाह ने, जो कि कैलाश भार्गव का पुरान दोस्त भी है, स्थिति से उसके उतना ही करीब था जितना कि उसकी पत्नी, शिनाख्त नहीं की है। उसके कथनानुसार लाश कैलाश भार्गव की नहीं है।"
जज ने जमानत जब्त किये जाने का हुक्म सुना दिया ।
ज्वाला प्रसाद की दाद - फरियाद की कोई सुनवाई न हुई । वह अपनी तकदीर को कोसता और सुनील को हजार-हजार गालियां देता हुआ वहां से कूच कर गया ।
सुनील भी अदालत से बाहर निकल आया ।
उसने एक पब्लिक काल से पुलिस हैडक्वार्टर फोन किया । प्रभुदयाल के पूछने पर उसने उसे बताया कि कैलाश भार्गव अदालत में पेश नहीं हुआ था ।
फिर उसने पूछा - “पोस्ट मार्टम की रिपोर्ट आई ?”
"हां !" - प्रभुदयाल का गम्भीर स्वर सुनाई दिया “तुम्हारा ख्याल सही निकला है, सुनील । यह आत्महत्या का केस नहीं । मरने वाले के फेफड़ों में से बहुत कम गैस बरामद हुई है। डॉक्टर का कहना है कि पहले उसकी एक भीषण प्रहार द्वारा चेतनाहीन कर दिया गया था और फिर उसका सिर ओवन में जबरन धकेलकर गैस खोल दी गई थी । लेकिन डॉक्टर का कहना है कि वह गैस का विस्फोट होने से पहले ही मर चुका था।”
"पता चला वह कौन था ?"
"अभी नहीं लेकिन यह अब निर्विवाद रूप से स्थापित हो चुका है कि वह कैलाश भार्गव नहीं था ।”
ओह !" - सुनील बोला। उसने प्रभु दयाल का शुक्रिया अदा किया और फोन बन्द कर दिया ।
अब अगला कदम प्राइवेट जासूस महेश कुमार से मुलाकात का था ।
सुनील एक टैक्सी पर सवार होकर मैजिस्टिक सर्किल पहुंचा। वहां की एक कई मंजिला इमारत की चौथी मंजिल पर महेश कुमार का छोटा सा ऑफिस था ।
वहां से उसे मालूम हुआ था कि महेश कुमार सुबह से न खुद ऑफिस आया था और न ही उसकी कोई खोज खबर आई थी । जबकि साधारणतया जब वह ऑफिस में नहीं आता था तो फोन जरूर करता था । मुमकिन था कि वह काफी अस्वस्थ हो और घर ही हो ।
सुनील ने उसके घर का पता हासिल किया और दफ्तर कूच कर गया ।
वह धर्मपुरे में रहता था ।
सुनील धर्मपुरे पहुंचा ।
एक इमारत की तीन मंजिल चढकर वह महेश कुमार के फ्लैट पर पहुंचा । उसने फ्लैट की घन्टी बजाई, लेकिन भीतर से कोई जवाब नहीं आया। उसने दरवाजे को धक्का दिया तो खुला पाया ।
वह भीतर दाखिल हुआ । वह एक बेहतरीन-सा फ्लैट था । उसने महेश कुमार को नाम लेकर पुकारा, कोई उत्तर न मिला ।
सुनील सारे फ्लैट में फिर गया । फ्लैट उजाड़ पड़ा था । कहीं कोई नहीं था ।
वह वहां से लौटने ही वाला था कि एकाएक बैठक में रखे टेलीफोन की घन्टी बज उठी। सुनील पहले तो फोन के पास खामोश खड़ा रहा। फिर उसने रिसीवर उठाकर कान से लगा लिया और माउथपीस में मुंह लगाकर खरखराती आवाज में कुछ बुदबुदाया ।
दूसरी ओर से उसे जो आवाज सुनाई दी उसे सुनकर उसका हाथ रिसीवर पर कस गया । वह आवाज उसकी जानी पहचानी थी । आवाज में गुस्से का पुट था - "महेश कुमार, आज सुबह तुम मुझसे मिलने आने वाले थे । तुम आये क्यों नहीं ?"
"मैं व्यस्त था ।" - सुनील घरघराती आवाज में बुदबुदाया।
"मेरे काम से ज्यादा कोइ काम तुम्हारे लिए कोई नहीं है । मै आज ही यह बखेड़ा निपटा हुआ देखना चाहता हूं। मैं चाहता हूं कि तुम फौरन इस नगर से बाहर कहीं कूच कर जाओ। तुम कहीं भी जाओ, तुम्हारे रहन-सहन, मौज मेले का सारा खर्चा मैं दूंगा । समझ गये ?" - एक क्षण खामोशी रही फिर आवाज एकाएक बड़ी गम्भीर और अर्थपूर्ण हो उठी "वैसे तुम भी अपने दोस्त की तरह जल समाधि लेना चाहते हो तो मर्जी तुम्हारी ।"
"नहीं।" - सुनील बोला ।
“समझदार आदमी हो, बीस मिनट के अन्दर - अन्दर मेरे पास पहुंच जाओ, महेश कुमार वर्ना अन्जाम वही होगा जो तुम्हारे दोस्त का हो चुका है। "
सम्बन्ध विच्छेद हो गया। सुनील ने धीरे से रिसीवर यथा स्थान पर रख दिया । उसका दिल बडी जोर से धडकने लगा था । अब सारी कहानी उसकी समझ में आती जा रही थी । अब रहस्य पर से पर्दा उठता जा रहा था । उस एक फोन काल ने सुनील को सारी कहानी समझा दी थी ।
सुनील ने रिसीवर फिर उठा लिया और प्रभुदयाल को फोन किया ।
" "प्रभू" - सम्बन्ध स्थापित होने पर वह बोला- "मैं..
“अच्छा हुआ तुम्हारा फोन आ गया । तुम्हारी जानकारी के लिये लाश की शिनाख्त हो गई है । "
“अच्छा ! कौन है वो ?"
"महेश कुमार नामक एक प्राइवेट जासूस ! हमारे रिकार्ड में मौजूद उंगलियों के निशानों से तथा लाश की उंगलियों के निशान से ही हमें पता लगा है कि मरने वाला कौन था।”
"ओह !"
"तुमने फोन कैसे किया था ! तुम क्या कहने जा रहे थे ?"
"मैं यह कहना चाहता था कि जाली नोटों के भुगतान के चक्कर में जो कहानी फोर स्टार क्लब से शुरू हुई थी, वह वहीं खत्म होने वाली है । क्या तुम मुझे वहां मिल सकते हो ?"
"लेकिन कहानी क्या है ?"
"वह मैं मुलाकात पर बताऊंगा ।"
"ठीक है । मैं एक घन्टे में वहीं पहुंचता हूं।"
"ओ.के. ! लेकिन कोशिश इससे जल्दी पहुंचने की करना। "
“अच्छा।”
सुनील ने सम्बन्ध विच्छेद किया और फिर ज्वाला प्रसाद का नम्बर डायल किया। सुनील की आवाज सुनते ही वह सुनील को गालियां बकने लगा। सुनील ने बड़ी मुश्किल से उसे चुप कराया और बोला- "ज्वाला प्रसाद, कम से कम यह तो सुन लो कि मैंने तुम्हें फोन क्यों किया है । "
"बको।"
“मैं तुम्हारा जमानत वाला एक लाख रूपया डूबने से बचा सकता हूं।"
वह तुरन्त गम्भीर हो गया ।
“कैसे ?” - उसने पूछा ।
"मैं बीस मिनट में फोर स्टार क्लब में पहुंच रहा भी फौरन पहुंचो । कैसे का जवाब तुम्हें वहीं मिलेगा ।" तुम
और सुनील ने उसे दोबारा बोलने का मौका दिये बिना सम्बन्ध विच्छेद कर दिया । उसने ज्वाला प्रसाद को लाख रूपया वापिस दिलवाने की उम्मीद दिलवाई थी लेकिन उसे यह नहीं बताया था कि इसी चक्कर में वह जेल भी पहुंचने वाला था ।
पैसे के लालच ने ज्वाला प्रसाद को पर लगा दिये थे । सुनील के क्लब पहुंचने से पहले ही वह वहां मौजूद था । वह बाहर ही खड़ा सुनील का इन्तजार कर रहा था । सुनील के टैक्सी से उतरते ही वह लपक कर उसके पास पहुंच गया और उत्तेजित स्वर में बोला- "क्या चक्कर है, सुनील ? मेरा रूपया...'
“भीतर चलो।" - सुनील बोला - "सब बताता हूं।"
दोनों भीतर दाखिल हुए । उस वक्त क्लब उजाड़ पड़ा था । कुर्सियां मेजों के ऊपर पड़ी थी। और अभी-अभी धोया गया होने की वजह से फर्श गीला था । स्टेज पर अपने बैंड के अन्य सदस्यों के साथ टोनी मौजूद था और किसी नई धुन के रिहर्सल में मग्न था ।
एक ओर एक कुर्सी पर बैलबाटम और हाईनैक का पुलोवर पहने रूही बैठी थी ।
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