अगले दिन सुनील को उम्मीद थी कि भार्गव उससे सम्पर्क स्थापित करेगा । जब ऐसा न हुआ तो सुनील ने उसके ऑफिस में फोन किया। वहां से उसे मालूम हुआ कि वह ऑफिस नहीं आया था। सुनील ने उसके फ्लैट पर फोन किया लेकिन उसे वहां से भी कोई उत्तर नहीं मिला ।
कहां चला गया था वह ?
फिर सुनील को उसके कथित दोस्त प्राइवेट डिटेक्टिव महेश कुमार का ख्याल आया ।
उसने डायरेक्ट्री में उसका नम्बर देख कर उस पर फोन किया ।
तुरन्त उत्तर मिला ।
"महेश कुमार ?" - सुनील ने पूछा ।
"कौन बोल रहा है ?" - पूछा गया ।
"मेरा नाम सुनील है । मैं कैलाश भार्गव का दोस्त हूं।"
"मैं महेश कुमार बोल रहा हूं । क्या चाहते हो ?"
"तुम्हें कैलाश भार्गव की कोई खोज खबर है ?”
"मैं कल मिला था उससे ।"
"आज मुलाकात नहीं हुई उससे ?"
"नहीं ।"
"फोन पर भी बात नहीं हुई ?"
"नहीं।"
" यानी कि तुम्हें उसकी कोई खोज खबर नहीं ।"
"हां"
“क्या तुम उसके लिये काम कर रहे हो ?"
"हां"
" तो वह देर सवेर तुमसे सम्पर्क जरूर स्थापित करेगा । अगर वह तुमसे मिले तो उसे कहना कि वह जरूर जरूर मुझसे बात करे ।"
"अच्छा ।"
सुनील ने फोन रख दिया ।
शाम तक वह ‘ब्लास्ट' के ऑफिस में व्यस्त रहा । छुट्टी होने तक कैलाश भार्गव का फोन न आया ।
अगले दिन भी उसे कैलाश भार्गव की कोई खोज खबर न लगी ।
उससे अगले दिन भी जब वह पूर्ववत गायब ही रहा तो सुनील आशंकित हो उठा । उसने फिर उसके घर और ऑफिस फोन किया । वह कहीं नहीं था । उसके ऑफिस वालों ने बताया कि वे भी भार्गव को तलाश कर रहे थे ।
कहां चला गया था भागर्व ?
फिर दोपहर बाद ज्वाला प्रसाद बगोले की तरह सुनील के 'ब्लास्ट' के ऑफिस में स्थित एक एक छोटे से केबिन में दाखिल हुआ ।
“वो कहां है, सुनील ?" - आते ही वह कहर भरे स्वर में बोला - "कहां है कैलाश भार्गव ? फूट गया क्या वह ?"
"बैठो, ज्वाला प्रसाद ! दम तो लो ।"
'अरे क्या दम लूं ? दम तो मेरा निकला जा रहा है । कहीं फरार तो नहीं हो गया तुम्हारा दोस्त ? तुम्हें कोई खोज खबर है उसकी ?"
" पिछले दो दिनों से तो कोई खोज खबर नहीं है । " सुनील ने स्वीकार किया ।
"हे भगवान !"
"क्या हो गया ? तुम यूं मरे क्यों जा रहे हो ?"
"अरे, मेरे साथ सोमवार को उसने अदालत में पेश होना है। आज शुक्रवार है और अभी तक मुझे उसकी हवा भी नहीं मिल रही । अगर वह सोमवार सुबह अदालत में पेश न हुआ तो मेरी एक लाख रुपये की नकद जमानत जब्त हो जायेगी । मेरा एक लाख रूपया डूबा जा रहा है और तुम पूछ रहे हो कि मैं मरा क्यों जा रहा हूं। सुनील, मैंने तुम्हारे कहने पर उसकी जमानत भरी थी । तुम्हीं उसको कहीं से पैदा करो ["
"अरे, वह खुद हो आ जायेगा। सोमवार की सुबह आने में अभी बहुत वक्त बाकी है ।"
"लेकिन वो है कहां? मुझे पता तो लगे । और जिसका अभी तक पता नहीं लग रहा, क्या गारंटी है कि उसका सोमवार तक पता लग जायेगा ? सुनील, मैं यूं एक लाख रुपये का गच्चा खाने को तैयार नहीं हूं । अगर मेरी रकम डूबी तो उसके सरासर जिम्मेदार तुम होंगे। "
“सुनो, सुनो..."
" मैं कुछ नहीं सुनता । तुम सुनो और उसकी तलाश करो। उसको फौरन तलाश करो । सोमवार सुबह से पहले उसे जिन्दा या मुर्दा कहीं से भी खोद कर निकालो।"
सुनील स्थिति की गम्भीरता से प्रभावित हुए बिना न रह सका ।
उसने टेलीफोन का रिसीवर उठाया और महेश कुमार को फोन किया । उसके लाइन पर आ जाने पर उसने पूछा - "कैलाश भार्गव की कोई खबर लगी ?"
"कौन बोल रहे हो ?"
"सुनील । देखो, मेरा उससे फौरन मिलना बहुत जरुरी है। इस सिलसिले में अगर तुम मेरी कोई मदद कर सको तो बहुत मेहरबानी होगी तुम्हारी । "
"सॉरी ! मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकता ।”
"लेकिन तुम उसके लिए काम कर रहे हो । रिपोर्ट के लिये उसने तुमसे तो जरूर सम्पर्क स्थापित किया होगा । "
"नहीं किया ।"
"कोई अंदाजा कि वह कहां हो सकता है ?"
"कोई अंदाजा नहीं । "
सुनील ने झुंझला कर रिसीवर क्रेडिल पर पटक दिया । महेश कुमार की बातों से उसे ऐसा लगा था कि वह कैलाश भार्गव के बारे में जानता तो जरूर था लेकिन वह सुनील को कुछ नहीं बताना चाहता था। साला जो कुछ भी जानकारी रखता था, वह उस पर सांप की तरह कुंडली मार कर बैठा हुआ था ।
"कुछ पता लगा ?" - ज्वाला प्रसाद ने व्यग्र भाव से पूछा।
"नहीं।" - सुनील आश्वासनभरे स्वर में बोला - "लेकिन चिंता की कोई बात नहीं । उसे मालूम है सोमवार सुबह उसने अदालत में पेश होना है । वह पेश हो जायेगा ।"
"लेकिन वह है कहां ?" - ज्वाला प्रसाद ने आर्तनाद किया।
"वह कहीं छुपा हुआ है। जिन लोगों ने उसे फंसाया है, उन की तलाश में वह छुप कर काम कर रहा है । ज्वाला प्रसाद हौसला रखो । मैं भार्गव को खूब जानता हूं । वह फरार होने वाला आदमी नहीं ।"
"अरे, किन्हें छुपकर तलाश कर रहा है वो ? वह अकेला आदमी क्या कर सकता है ? अगर जाली नोट बनाने वाले किसी गैंग ने उसे फंसाया है तो वह अकेला उस पूरे गैंग का क्या बिगाड़ लेगा ? अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता मेरे भाई । उन लोगों को अगर भार्गव के इरादों का पता लग गया तो वे उसे मक्खी की तरह मसल कर रख देंगे । और क्या पता उस अक्ल के अंधे का पहले ही यह अंजाम हो चुका हो ? क्या पता इस वक्त उसकी लाश किसी गटर में या समुद्र में पड़ी हुई सड़ रही हो ?"
"वह आ जायेगा ।" - सुनील खोखले स्वर में बोला ।
“आ जायेगा !” - ज्वाला प्रसाद हाथ नचाकर बोला "तुम्हारे कहने भर से आ जायेगा । रिपोर्टर साहब, उसे ढूंढो । उसे नहीं तो उसकी लाश को ढूंढो वरना भवानी कसम, तुम्हारी खैर नहीं ।”
और वह जैसे हथगोले की तरह वहां पहुंचा था वैसे ही वहां से कूच कर गया ।
सुनील चिंतापूर्ण मुद्रा बनाये पीछे बैठा रहा । उसे भार्गव पर बहुत गुस्सा आ रहा था । उसे यूं एकाएक गायब नहीं हो जाना चाहिए था । उसे अपनी कुछ तो खोज खबर सुनील को देनी चाहिए थी ।
सुनील ने पुलिस को कन्ट्रोल रूम से पूछताछ की। वहां से उसे मालूम हुआ कि पिछले दो दिनों में ऐसी कोई भी लाश बरामद नहीं हुई थी जिसकी कि कोई शिनाख्त न हो सकी हो और न ही गुमशुदा व्यक्तियों में कैलाश भार्गव का नाम था ।
सुनील और भी चिंतित हो उठा।
क्या कैलाश भार्गव वाकई में फरार हो गया था ? क्या वह वाकई गुनहगार था और अपने जमानत पर छूट जाने को क्या उसने अपने लिए फरार हो जाने के लिए सुनहरा मौका समझा था ?
कहां था कैलाश भार्गव ?
***
रविवार की रात तक भी कैलाश भार्गव की कोई खोज खबर न मिल सकी । अगली सुबह उसे अदालत में पेश होना था ।
रविवार की रात को सुनील को बड़ी मुश्किल से नींद आयी।
रात के दो बजे टेलीफोन की बजती घन्टी की आवाज सुन कर ही सुनील की नींद खुली । उसने रिसीवर उठा कर कान से लगाया तो उसके कान में पुलिस इंस्पेक्टर प्रभुदयाल की आवाज पर वह हड़बड़ा कर उठ बैठा ।
"कैसे फोन किया इंस्पेक्टर साहब ?" - सुनील ने संशक स्वर में बोला ।
"तुम कैलाश भार्गव के बारे में पूछताछ कर रहे थे न ?" - प्रभुदयाल बोला ।
"हां !" - सुनील व्यग्र स्वर में बोला- "कुछ खबर लगी उसकी ?"
"कुछ क्या, पूरी खोज खबर लग गई है ।”
"कहां है वह ?"
"उसकी लाश उसके फ्लैट की किचन में पड़ी है। "
"क... क्या ?"
“वह मर चुका है । आत्महत्या की है उसने । मैं इस वक्त उसके फ्लैट से ही बोल रह हूं।"
"आत्महत्या ?"
“हां । उसने अपना सिर गैस के ओवन में रख कर गैस चालू कर दी थी। फिर किसी प्रकार गैस आग पकड़ गई और एक गगन भेदी धमाके के साथ ओवन फट गया । भार्गव का सिर उसके कंधों पर से लगभग उड़ ही गया है। हमें लाश की शिनाख्त के लिए तुम्हारी जरूरत है।”
"हे भगवान !" - सुनील आतंकित स्वर में बोला - "मैं आ रहा हूं।"
वह अपने फ्लैट से निकला और एक टैक्सी पर सवार हो कर पुलिस हैडक्वार्टर को रवाना हो गया ।
सुनील भार्गव की आत्महत्या की खबर सुन कर आतंकित तो हुआ ही था, हैरान भी हुआ। उसकी निगाह में भार्गव आत्महत्या कर लेने वाली किस्म का आदमी नहीं था । आत्महत्या करना कायरों का काम था और भार्गव कायर नहीं था ।
वह भार्गव के फ्लैट वाली इमारत के सामने टैक्सी से उतरा । उसने किराया चुकाया और लपकता हुआ उसके फ्लैट पर पहुंचा ।
वहां कई लोग मौजूद थे। रूही एक कोने में पड़ी एक कुर्सी पर खामोश बैठी थी । टोनी उसके पीछे खड़ा था और उसने बड़े अधिकार और आश्वासन पूर्ण ढंग से अपना एक हाथ उसके कन्धे पर रखा हुआ था ।
इंस्पेक्टर प्रभुदयाल कमरे के बीचों बीच सी. आई.डी. अधिकारी रमण के साथ खड़ा बातें कर रहा था ।
सुनील प्रभुदयाल के समीप पहुंचा ।
“कहां है वो ?" - सुनील ने फंसे स्वर में पूछा । प्रभुदयाल ने किचन की ओर संकेत कर दिया ।
सुनील किचन की चौखट तक पहुंचा ।
किचन का बुरा हाल था । गैस का विस्फोट इतना भयंकर हुआ था कि दीवारों से प्लास्तर उधड़ गया था और वहां पर मौजूद सारा सामान चकनाचूर हो गया था । फर्श पर पड़े हुए कबाड़ के बीच में लाश पड़ी थी। सुनील को उसके कन्धों के ऊपर एक मांस का लोथड़ा-सा दिखाई दिया ।
सुनील ने एक जोर की उबकाई ली और लाश की तरफ से आंखें फेर ली ।
"इस हालत में मैं लाश की कैसे शिनाख्त कर सकता हूं ?" - सुनील बोला ।
“अब इसकी जरूरत नहीं।" - प्रभुदयाल बोला "तुम्हारे से पहले मिसेज भार्गव यहां पहुंच गई थीं । वे अपने पति को तुमसे बेहतर जानती हैं। उन्होंने लाश की शिनाख्त कर दी है ।"
"लेकिन कैसे ?" - सुनील बोला- "उसका चेहरा तो..."
"उसकी बाई टांग देखो। उसकी बाई टांग पर घुटने से ऊपर एक काला-सा निशान है जिसे मिसेज भार्गव खूब पहचानती हैं ।"
सुनील ने रूही की तरफ देखा ।
रूही का चेहरा एकदम भावहीन था ।
प्रभुदयाल तनिक आगे बढा और रूही के सामने जा खड़ा हुआ ।
"आप कहती हैं" - वह बोला- "कि आप अपने पति के साथ यहां नहीं रहती थीं । "
“जी हां । " - रूही धीरे से बोली ।
“और आप अपने पति से तलाक हासिल करने की कोशिश कर रही थीं ?"
"जी हां । लेकिन मेरा पति तलाक में बहुत अड़ंगे लगा रहा था ।"
प्रभुदयाल ने एक उडती निगाह टोनी पर डाली और बोला - " अपने पति से तलाक हासिल हो जाने के बाद आप टोनी से शादी करने का इरादा रखती थीं ?"
"यह कोई राज की बात नहीं है इंस्पेक्टर" - टोनी कठिन स्वर में बोला - "हम दोनों एक दूसरे से प्यार करते हैं इस बात की खबर सारी दुनिया को है। अगर कैलाश भार्गव तलाक में खामखाह के अड़ंगे न अड़ाता होता तो हम कब के शादी कर चुके होते ।”
"ठीक है । ठीक है ।" - प्रभुदयाल बोला - "ताव खाने की जरूरत नहीं है ।"
“और फिर सी. आई.डी. आफीसर रमण के मुंह से आप सुन ही चुके हैं कि कैलाश जाली नोट छापने वाले एक गिरोह से ताल्लुक रखता था । वह जाली नोटों के साथ रंगे हाथों पकड़ा गया था और इस सिलसिले में अदालत में उस पर मुकदमा भी चल रहा है । वह इससे नावाकिफ नहीं था कि वह किस बुरी तरह फंस चुका था । उसको अदालत लम्बी सजा सुना सकती थी और वह जेल जाने के ख्याल से भयभीत था । उसकी बीवी उसे पहले ही छोड़कर जा चुकी थी । उसके सामने कोई भविष्य नहीं था । ऐसे आदमी का पस्त हो जाना कोई बड़ी बात नहीं । पस्ती के इस आलम में अगर उसने आत्महत्या कर ली तो इसमें हैरानी की कौन-सी बात है ?"
"कोई बात नहीं ।" - प्रभुदयाल बोला ।
“मिसेज भार्गव इस वक्त बहुत परेशान हैं। पुलिस को जितना सहयोग देना मुमकिन था, ये दे चुकी हैं । अब अगर आप इजाजत दें तो इन्हें यहां से ले जाऊं ?"
सुनील ने रूही की तरफ देखा । कम-से-कम उसे रूही के चेहरे पर कोई परेशानी न दिखाई दी । सुनील को तो वह वैसे ही इत्मीनान से वहां बैठी लगी जैसे कि वह फोर स्टार क्लब में बैठती थी ।
"ठीक है।" - प्रभुदयाल बोला- “अगर ये जाना चाहती हैं तो जा सकती हैं । "
रूही अपनी कुर्सी से उठ खड़ी हुई । टोनी के बड़े तत्पर ढंग से उसकी कोहनी के पास से बांह थाम ली और उसे फ्लैट से बाहर को ले चला ।
रमण ने असहाय भाव से गहरी सांस ली और बोला -
" और मैं उम्मीद कर रहा था कि हमें कैलाश भार्गव से जाली नोट छापने के धन्धे में उसके साथ शरीक और लोगों की खोज खबर लगेगी । हम उससे कुछ पूछ ही नहीं पाए कि इसने आत्महत्या कर ली ।" - वह सुनील की तरफ घूमा - "तुम उसके दोस्त थे । उसकी किसी बात से या उसके किसी एक्शन से तुम्हें ऐसा कोई इशारा नहीं मिला कि वह जाली नोटों का धन्धा करता था ?"
"नहीं।" - सुनील बोला- "और प्रभु मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूं।"
"कैसी बात ?" - प्रभुदयाल गौर से उसके गंभीर चेहरे को देखता हुआ बोला ।
"किचन में पड़ी लाश कैलाश भार्गव की नहीं है । "
"क्या ?"
"मैं ठीक कह रहा हूं।"
"लेकिन उसकी बीवी ने उसकी शिनाख्त की है । "
"वह झूठ बोल रही है । मैं कैलाश भार्गव को बहुत पुराना जानता हूं । वह मेरे साथ टेनिस खेला करता था और क्लब में गेम के बाद हम कई बार एक ही शावर में इकट्ठे नहाये हैं। इंस्पेक्टर साहब, मुझे खूब याद है कि उसकी बाई टांग पर वैसा कोई काला निशान नहीं था जैसा कि लाश की टांग पर देखकर रूही ने उसे अपने पति की लाश बताया है |"
प्रभुदयाल सोच में पड़ गया ।
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