मुजरिम और जाली नोट बनाने वालों के गिरोह का सरदार साबित करने की कोशिश की। उसने कहा कि अभी केवल बीस हजार के नोट बरामद हुये थे । अगर उसे आजाद कर दिया गया तो वह फरार भी हो सकता था और जाली नोटों के उस स्टाक को नष्ट भी कर सकता था जो कि अभी पुलिस के हाथ लगना था ।


जज ने सरकारी वकील के कथन से इत्तफाक तो जाहिर किया लेकिन फिर भी उसने जमानत की स्वीकृति दे दी और जमानत की रकम मुकर्रर की एक लाख रूपया नकद।


भार्गव के वकील ने बहुत जिरह की कि वह रकम बहुत ज्यादा थी लेकिन जज टस से मस न हुआ । हार कर वकील ने हथियार डाल दिये ।


अब एक लाख रुपये की नकद जमानत का इन्तजाम करना सुनील का काम था। खुद उसके पास इतनी मोटी रकम होने का सवाल ही नहीं पैदा होता था । उसने ऐसी मोटी रकम अदालत में जमा करवाने में समर्थ अपने दो चार मित्रों को फोन किया - रमाकांत भी जिनमें शामिल था । लेकिन संयोगवश कोई भी तुरन्त उपलब्ध नहीं था ।


शाम तक बड़ी कठिनाई से सुनील ज्वाला प्रसाद को भार्गव की जमानत देने के लिए तैयार कर पाया ।


ज्वाला प्रसाद पेशेवर जमानत देने वाला आदमी था जो पैसा कमाने के लिए वेश्याओं, काल गर्ल्स, जुआरियों, ठगों वगैरह की जमानतों का इन्तजाम किया करता था ।


एक लाख रुपये की नकद जमानत की बात सुन कर वह भी सकपकाया ।


“चार्ज क्या है ?" - उसने उसने पूछा ।


"मेरे दोस्त भार्गव के पास जाली नोट बरामद हुए हैं।" - सुनील ने बताया ।


"इस मामूली अपराध की एक लाख रूपया जमानत ।”


"हां !"


"यह तो बहुत ज्यादा है।"


"है, लेकिन क्या किया जाये ? रकम जज ने फिक्स की है।” 


“तुम्हारे इस दोस्त के पास कोई जमीन जायदाद है ? कोई सिक्योरिटीज या शेयर हैं। जमानत की जमानत के तौर पर वह कोई चल या अचल सम्पति पेश कर सकता है ?"


“अगर वह ऐसा कुछ कर सकता होता तो मैं तुम्हारे पास क्यों आया होता ज्वाला प्रसाद ?"


ज्वाला प्रसाद कुछ क्षण सोचता रहा और फिर बोला - "तुम इस आदमी को अच्छी तरह जानते हो ?"


"हां ! वह मेरा दोस्त है । "


"दोस्त तो हुआ । लेकिन वह आदमी भरोसे का है या नहीं । जमानत पर रिहा होते ही वह कहीं फरार तो नहीं हो जायेगा ? कहीं वह मेरा लाख रूपया डुबाने का सामान तो नहीं कर देगा?"


"नहीं यार । वह एक जिम्मेदार नागरिक है।”


"इतना जिम्मेदार कि वह अपने नोट खुद छापता है !”


"यह उस पर इल्जाम लगा है, ज्वाला प्रसाद ! अभी हकीकत में कुछ साबित नहीं हो सका है।"


"फिर भी..."


"मैं उसका जामिन हूं । वह फरार नहीं होगा ।”


"अच्छी बात है । तुम कहते हो तो मैं जमानत भर देता हूं।" 


ज्वाला प्रसाद ने एक लाख रूपया भार्गव की जमानत के तौर पर जमा करा दिया । भार्गव रिहा कर दिया गया ।


सुनील उसे अपने साथ ले आया ।


“अब सच-सच बोलो, क्या किस्सा है ?" - सुनील ने पूछा। 


भार्गव ने उत्तर नहीं दिया ।


"देखो, तुम बहुत झमेले में फंसे हुए हो । जो इलजाम तुम पर लगाया गया है, उसे तुम मामूली मत समझो। और खामोश रहने से काम नहीं चलेगा । जब तक सारी बात नहीं बताओंगे, तब तक मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर सकूंगा ।"


"अब मैं आजाद हूं।" - वह धीरे से बोला - " अब मैं भी खुद काफी कुछ कर सकता हूं।" 


"क्या कर सकते हो ?"


"मैं यह पता लगाने की कोशिश कर सकता हूं कि जाली नोटों के इस झमेले में मुझे किसने फंसाया है ।"


"कैसे ?"


"तुम महेश कुमार को जानते हो ?"


"वह प्राईवेट जासूस "


"हां, वही ।"


"तुम उससे मदद हासिल करने की फिराक में होगे । "


"क्या हर्ज है ? वह मेरा दोस्त है । "


"वह बेकार का आदमी है । तुम्हारे लिए कुछ कर तो वह पायेगा नहीं उलटे तुम्हें किसी और झमेले में जरूर फंसा देगा वह । "


 "तुम उसे अच्छी तरह से नहीं जानते हो । वह बहुत उस्ताद है।"


"वह बहुत बदमाश है । "


" है भी तो वह मेरे साथ बदमाशी नहीं करेगा ।"


"देखो ! रमाकांत कहीं गया है। उसे आ लेने दो। मैं तुम्हारे लिए..."


"मैं इन्तजार नहीं कर सकता। मैं महेश कुमार के पास जाता हूं।"


"मर्जी तुम्हारी ।" - सुनील ने हथियार डाल दिये ।


वह चला गया ।


सुनील कुछ क्षण खामोश बैठा रहा । फिर उसने टेलीफोन उठाया और फोर स्टार क्लब में फोन किया । वहां निहाल सिंह से सम्पर्क स्थापित हो जाने पर उसने उससे पूछा कि क्या वह बता सकता था कि उसकी रूही से कहां बात हो सकती थी ।


निहाल सिंह ने उसे एक फोन नम्बर बता दिया ।


सुनील ने उस नम्बर पर फोन किया ।


रूही लाइन पर आई तो उसने उसे बताया कि भार्गव उसे तलाक देने को तैयार है ।


“सच ?" - रूही को उसकी बात पर विश्वास नहीं हुआ “तुम्हारा मतलब है कि वह कोई बखेड़ा नहीं करेगा ।”


“ऐसा इन्तजाम किया जा सकता है" - सुनील सावधानी से बोला- "कि वह कोई बखेड़ा न करे ।"


"ओह !" - वह फौरन सुनील की बात का मतलब समझ गई - " यानी कि मुझे अपनी आजादी की कीमत अदा करनी होगी ।"


“यही समझ लो ।”


"समझ लिया । ठीक है । मुझे सौदा मंजूर है। मैंने सुना है कि वह पुलिस की गिरफ्त में आ गया है । उस जंजाल से छूटने के लिये आजकल उसे वैसे भी पैसे की जरूरत होगी । इस बारे में मुझे बात किससे करनी होगी ? उसके किसी वकील से या खुद उसी से ?"


"मुझसे बात करने से ही काम चल जायेगा ।"


"ओ. के. बाई मी । तुम्हें मालूम ही होगा कि मैं फोर स्टार क्लब में गाती हूं । आज रात दस बजे तुम वहां आ जाना। बात कर लेंगे । मैं अपने वकील को भी बुलवा लुंगी "


"ठीक है।" - सुनील बोला । उसने रिसीवर रख दिया ।


***


निर्धारित समय पर सुनील फोर स्टार क्लब पहुंचा । वहां स्टेज पर अपनी प्यानो अकार्डियन के साथ टोनी मौजूद था लेकिन रूही स्टेज पर दिखाई नहीं दे रही थी ।


सुनील ने एक वेटर से रूही के बारे में पूछा ।


वेटर सुनील को क्लब के पिछवाड़े के एक कमरे में छोड़ गया ।


वहां रूही एक ड्रेसिंग टेबल पर बैठी अपना मेकअप दुरुस्त कर रही थी ।


"आओ" - वह बोली - "बैठो।"


सुनील उसके समीप बैठ गया ।


"तो तुम हो सुनील | "


"हां।" - सुनील मुस्कराया ।


"तुम तो कुछ जाने पहचाने से लग रहे हो । लगता है मैंने तुम्हें हाल ही में कहीं देखा है । "


"मुमकिन है ।"


“याद आया । कल रात तुम क्लब में कैलाश के साथ मौजूद थे।"


"करैक्ट ।"


"तो कैलाश को अक्ल आ गई है। उसे पता लग गया है कि वह मुझे बांधकर नहीं रख सकता ।"


"यही समझ लो ।”


"क्या चाहता है वो ?" 


"तुम्हें मालूम ही है ।" 


"ओह ! कितना ?"


"यह तो तुम पर निर्भर करता है । "


"उसने भी तो कोई रकम सोची ही होगी।"


"लेकिन तुम अपनी आजादी की कीमत बेहतर आंक सकती हो। तुम्हीं किसी रकम का नाम लो।"


"दस रुपये ।"


सुनील हड़बड़ा कर उसका मुंह देखने लगा ।


"मजाक मत करो।" - वह शुष्क स्वर में बोला - "मैं मजाक के मूड में नहीं हूं।"


"मैं खुद मजाक के मूड में नहीं हूं । सुनो मिस्टर, कल तक मैं किसी भी कीमत पर कैलाश से अपनी आजादी खरीदने को तैयार थी । लेकिन यह कल की बात थी । आज वह मुसीबत में है और उसको उस मुसीबत से उबारने के लिये मैं अपनी एक उंगली तक हिलाने को तैयार नहीं । मुझे शुरू से ही शक था कि उसका किन्ही गैरकानूनी हरकतों में कोई हाथ था । मुझे पता था देर सवेर उसने पुलिस की गिरफ्त में जरूर आना था, सो वह आ गया । मुझे खुशी है इस बात की । मैं तो भगवान से प्रार्थना करती हूं कि वह लम्बा नपे ।”


" ऐसा नहीं होने वाला । वह निर्दोष है । उसके खिलाफ कुछ साबित नहीं हो सकेगा । वह जरूर बरी हो जायेगा ।" 


"मुझे उम्मीद नहीं । "


"मुझे है । और पति वह तुम्हारा हर हाल में रहेगा"


“अगर उसे सजा हो गई तो नहीं रहेगा ! सजायाफ्ता मुजरिम की बीवी को तलाक यूं" - उसने चुटकी बजाई "मिल जाता है ।"


तभी दरवाजे पर टोनी प्रकट हुआ ।


"आओ" - वह उसे देखकर मीठे स्वर में बोली "आओ, टोनी ।" 


टोनी कमरे में आ गया ।


"यह सुनील है" - वह बोली- "कैलाश का दोस्त है । मैंने तुम्हें बताया ही था कि वह मुझसे क्या बात करने आने वाला था ।"


"बात हो गई ?" - टोनी बोला ।


"हां । " - वह बोली- "मैंने तलाक की सहमति के बदले में कैलाश को दस रुपये की ऑफर पेश कर दी है । ठीक है न डार्लिंग | "


“एकदम ठीक है ।"


सुनील उठ खड़ा हुआ । प्रत्यक्षत: वे दोनों उसे घिसने की कोशिश कर रहे थे ।


"एक बात भूल रही हो मैडम ।" - सुनील बोला- "यह हिंदोस्तान है विलायत नहीं । यहां तलाक हासिल कर लेना इतना आसान काम नहीं । और कैलाश भार्गव से कानूनी तौर पर तलाक हासिल किये बिना तुम इस आदमी से शादी नहीं कर सकती हो।”


"सब ठीक हो जायेगा।" - टोनी बोला- “पैसा हर मुश्किल आसान कर देता है । "


"तुम्हारे पास इतना पैसा है ?"


"मेरे पास तो है न ।" - रूही जल्दी से बोली- " और मेरा सब कुछ टोनी का है। "


"पैसे से क्या करोगे तुम लोग ?" - सुनील बोला - "किसी किराये की लड़की को हासिल करके उसके माध्यम से कैलाश को बेवफाई के इलजाम में फंसाने की कोशिश करोगे या किसी गुण्डे को पैसे देकर उसका कत्ल करवाने की कोशिश करोगे ?"


"हमें ऐसा कोई काम करने की जरूरत नहीं । कैलाश ने खुद ही हमारी हर जहमत बचा दी है।" - टोनी बोला "उसे सजा हो जाये फिर उससे रूही का तलाक यूं" टोनी ने भी चुटकी बजाई - "हो जायेगा ।” - 


'ओह ! दोनों एक ही राग अलाप रहे हो ।”


दोनों ने अट्टहास किया ।


" रूही।" - सुनील बोला- "जब तुमने पहले से ही फैसला किया हुआ था तो बात करने के लिये मुझे यहां क्यों बुलाया तुमने ?”


 "तुम्हारा मुखड़ा देखने के लिये ।" - वह शरारत भरे स्वर में बोली ।


"देख लिया ?"


"हां ।" 


"बुरा हुआ।" 


"क्यों ?"


“अब हर रात को इस मुखड़े के तुम्हें ऐसे रसीले सपने आया करेंगे कि तुम इस शुतरमुर्ग की औलाद को लाद को भूल जाओगी ।"


दोनों के चेहरे लाल हो गए। लेकिन इससे पहले कि उन दोनों में से कोई सख्त बात कह पाता, सुनील उठा और कमरे से बाहर निकल गया ।


की ओर बढा । हाल में बिछी मेजों के बीच से गुजरता हुआ वह बाहर


तभी किसी ने उसकी बांहे थाम लीं ।


सुनील ठिठका, घूमा । उसे अपने समीप निहाल सिंह खड़ा दिखाई दिया ।


"बड़ी जल्दी जा रहे हो, रिपोर्टर साहब ।" - वह मुस्कराता हुआ बोला ।


" जल्दी कहां है ?" - सुनील उखड़े स्वर में बोला "ग्यारह बजने को हैं।"


“यहां तो यह जल्दी ही होती है।" - निहाल सिंह बोला । उसने अभी तक सुनील की बांह नहीं छोड़ी थी - "आओ मेरी तरफ से एक-एक ड्रिंक हो जाये ।"


"लेकिन..."


"अरे आओ तो ।"


निहाल सिंह उसकी बांहें थामे उसे एक बार में ले आया । उसने बार टेन्डर को दो लार्ज शीवाज रीगल का आर्डर दिया । जो कि बार टेन्डर ने तुरन्त सर्व कर दिया ।


दोनों दो ऊंचे स्टूलों पर पर बैठ गये ।


"क्या चाहते हो ?" - स्कॉच का एक घूंट पीने के बाद सुनील ने पूछा ।


निहाल सिंह ने बैचेनी से पहलू बदला, खंखार कर गला साफ किया और बोला- "सुना है कैलाश भार्गव जमानत पर छूट गया है ?"


"ठीक सुना है तुमने । "


"हद कर दी उसने तो । मेरे ही क्लब में जाली नोट चलाने की कोशिश की उसने । सिर फिर गया मालूम होता है उसका । उसे चाहिये था कि वह ऐसे नोट बाजार में कुछ खरीदारी करते समय या किसी सिनेमा हाल जैसी भीड़भाड़ वाली जगह पर चलाता ।”


" यानी कि तुम भी उसे गुनहगार तो मान ही चुके हो ?”


"क्या नहीं है वह ?"


"वह अपने आपको निर्दोष बताता है । "


"वह तो उससे अपेक्षित ही है। कभी कोई अपने मुंह से भी अपना अपराध स्वीकार करता है ?" - उसने सीधे सुनील की तरफ देखा - "तुम्हें उसकी निर्दोषता पर विश्वास है ?"


"हां। और निहाल सिंह, वह बहुत खतरनाक मूड में है । वह उस आदमी की खूब ऐसी तैसी करने का इरादा रखता है जिसने कि उसे खामखाह जाली नोटों के चक्कर में फंसाया है ।”


"किसने फंसाया है उसे ?"


"यह उसे अभी मालूम नहीं लेकिन वह मालूम करने की कोशिश कर रहा है ।"


"वह ड्रामा कर रहा है । वह अपनी बेगुनाही की झूठी दुहाई दे रहा है । "


सुनील चुप रहा ।


"मुझे नहीं पता कि वह गुनहगार है या बेगुनाह लेकिन एक बात मैं जानता हूं कि जाली नोट यहां चलाने की उसकी उस हरकत ने मेरे लिए मुश्किल कर दी है । "


"तुम्हारे लिए क्या मुश्किल कर दी है उसने ?”


"उसकी वजह से सी. आई.डी. वाले मेरे सिर पर आ बैठे हैं। उनका हर वक्त यहां मंडराते रहना मेरे जैसे धन्धे के लिये मुफीद नहीं ।”


“क्यों ? क्या यहां कोई गैर कानूनी धन्धा भी होता है ?"


"नहीं । लेकिन फिर भी मैं नहीं चाहता कि मेरी क्लब पुलिस या सी.आई.डी. वालों की निगाहों में आ जाये । यह बात आम हो गई तो मेरी ग्राहकी पर फर्क पड़ जायेगा।”


"तुम यह सब मुझे क्यों बता रहे हो ?"


- “इसलिए क्योंकि तुम कैलाश भार्गव के दोस्त हो । बात यह है कि आज वह यहां आया था कुछ सूंघने की नीयत से आया मालूम होता था वह । सी. आई.डी. अभी भी उसके पीछे लगे हुए हैं । वह बार-बार यहां आयेगा तो मेरी बदनामी होगी । मेरा धन्धा खोटा हो जायेगा । देखो, तुम्हारा वह दोस्त है इसलिए मुमकिन है वह तुम्हारी बात मान जाये। तुम उसे समझाओ कि वह मेरी क्लब का पीछा छोड़े।"


 “आज जब वह यहां आया था तो तुमने उससे बात की थी ?"


"उसने मुझसे बात की थी। में तो उससे बात करना क्या उसकी सूरत भी नहीं देखना चाहता ।"


"कह क्या रहा था वह ?"


"वही अपनी बेगुनाही का राग अलाप रहा था । अब बताओ मेरा इन बातों से क्या मतलब ? तुम उसे समझाओ कि वह मेरा पीछा छोड़े और कहीं और जाये ।"


"तुम्हारा पीछा कैसे छोड़ दे वह ? उसकी मुसीबत की शुरुआत जब यहां से हुई है तो वह और कहां जाए ? पहले तो उसने यहां आना था ।”


"ओ.के. ! ओ.के ! अब आ लिया वह । अब कम से कम उसे इतना तो समझाओ कि वह बार-बार यहां के चक्कर न लगाये, कम से कम तब तक न लगाये जब तक सी. आई.डी. वाले उसका पीछा नहीं छोड़ते।"


“अच्छी बात है।" - सुनील अपना गिलास खाली करता हुआ बोला- "मैं उससे बात करूंगा।”


"शुक्रिया ।" - निहाल सिंह ने चैन की सांस ली - "एक-एक ड्रिंक और हो जाये ।"


"नहीं" - सुनील उठ खड़ा हुआ - "मुझे जाना है।" वह वहां से विदा हो गया ।


क्लब से निकलने से पहले उसने देखा कि टोनी फिर स्टेज पर प्रकट हो चुका था ।


***