13 सितम्बर, गुरुवार
सुबह-सुबह अखबार इंस्पेक्टर रणवीर कालीरमण के सामने खुला पड़ा था । अखबार के दूसरे पन्ने पर एसपी प्रभात जोशी के तबादले की खबर छपी हुई थी और इसे महज एक प्रशासनिक फेरबदल बताया गया था । प्रभात जोशी आज दोपहर को अपने कार्यभार से मुक्त होने वाले थे । रणवीर ने अनमने ढंग से अखबार को एक तरफ रख दिया ।
उसने अपनी दराज खोलकर देखी और उसमें से एक फ़ाइल निकाली, जिसमें ‘महक फार्महाउस’ से बरामद पॉइंट 32 रिवॉल्वर के रजिस्ट्रेशन की डिटेल दर्ज थी । उस रिकॉर्ड में वह रिवॉल्वर शमशेर सिंह गेरा के नाम दर्ज थी । फिर उसने मेज की दराज से वह कागजात निकाले जो उसने कल मिलन रेस्टोरेंट के मालिक वजीर सिंह से हासिल किए थे । उस रिकॉर्ड में चार सितंबर के ऑर्डर की डिटेल्स और ग्राहकों के मोबाइल नंबर लिखे हुए थे ।
विक्की के अनुसार उसने दुर्गा कॉलोनी के मकान नंबर 32/11 में साढ़े सात बजे अपने ऑर्डर की डिलीवरी कर दी थी । उस ऑर्डर में पाँच आदमियों के खाने का सामान था ।
रणवीर यूँ ही सरसरी तौर पर उस दिन डिलीवर किये गए सभी ऑर्डर पर नजर डालने लगा ।
लोगों का टेस्ट भी कुछ-न-कुछ अलग होता है । वजीर के अनुसार उस दिन ‘सिज़्लर’ के पोर्टल पर उन्हें पंद्रह घरों से होम डिलीवरी के ऑर्डर मिले थे, जो दो किश्तों में डिलीवर किये गए थे । उसने पेज को पलटा तो अगले पेज पर मिलन रेस्टोरेंट के खुद के ऑर्डर थे, जो उसी दिन विक्की के माध्यम से भेजे गए थे । वह यूँ ही उत्सुकतावश उनका मैन्यू भी देखने लगा । हरेक ऑर्डर के सामने उस ग्राहक का मोबाइल नंबर और एड्रेस भी लिखे हुए थे ।
“जनाब, चाय !” रणवीर ने सिर उठा के देखा तो कदम सिंह सामने खड़ा था ।
“अरे, कदम ! तुम कब से यहाँ खड़े हो ?”
“मैं बस अभी-अभी आया था, जनाब ! आप हर रोज इस वक्त चाय पीते हैं तो इसलिए मैं आपके लिए... ।”
“हाँ, बस यही तो एक ऐब है मुझमें ।” कदम से चाय का कप लेकर एक घूंट भरते हुए वह बोला, “गुड । शमशेर सिंह गेरा का क्या हाल है ?”
“उसका क्या हाल होना है, साहब ! अपने गुरूर और गुस्से के चलते कल तो उसने खाने को कुछ लिया नहीं था; लेकिन आज नाश्ता लिया है । उसके घर से ही आया था ।”
“ठीक है, कदम ! वह कल तुम संत नगर के हादसे के बारे में कुछ बता रहे थे कि संजय बंसल के मकान में कोई आगजनी हुई थी । वह क्या किस्सा है ?”
“जनाब, उस वक्त हमें सूचना मिली थी कि उसके घर में आग लगी थी और थानेदार साहब उस वक्त वहाँ गए थे पर कोई हताहत नहीं हुआ था तो मामला रफा-दफा हो गया था ।”
“उस वक्त कोई रिपोर्ट दर्ज हुई थी इस घटना की ?”
“नहीं जनाब, कोई एफआईआर दर्ज नहीं हुई थी ।”
“किसी भी इंश्योरेंस क्लैम के लिए कम-से-कम कोई एफआईआर तो दर्ज होनी चाहिए थी ।”
“शायद वहाँ कोई ज्यादा नुकसान नहीं हुआ था, इसलिए हो सकता है संजय ने एफआईआर की कोई जरूरत न समझी हो ।”
“हम्म ! कुछ भी हो सकता है । चलो, एक बार गेरा से मिल लेते हैं । देखते हैं, अपने बेटे की आज कोई खबर देता है कि नहीं ।”
जल्दी से चाय खत्म करने के बाद रणवीर हवालात में शमशेर सिंह के पास पहुँचा । गेरा की खून टपकाती आँखें वहाँ उसका इंतजार कर रही थी ।
“कैसे हैं गेरा साहब ? हमारी तरफ से कोई तकलीफ तो नहीं हुई आपको ?”
“बेटा अस्पताल में हैं और मैं हवालात में । तुम इससे ज्यादा तकलीफ क्या दोगे मुझे !”
“गेरा साहब, अब अगर अनिकेत की लाश और ड्रग्स आपके फार्महाउस से न मिलते और आपका बेटा हमें मिल जाता तो हमें क्या जरूरत थी आपको यहाँ रखने की । मोहित गेरा हमें अभी भी नहीं मिला है । आप इस मामले में हमें कुछ बता नहीं रहे हैं कि वह कहाँ हो सकता है । अगर आप उसका अता-पता बता दें तो आपकी भी तकलीफ कम हो जाएँ और हमारी भी कुछ मुश्किलें आसान हो जाएँ ।”
“क्यों बताऊँ मैं ? तुम पुलिस हो ! जाकर ढूँढ़ो उसे ! मुझे यहाँ बंद रखने में तुम्हें कोई फायदा नहीं होने वाला है, इंस्पेक्टर ! तुमने न जाने क्यों अपनी खुन्नस निकालने के लिए मुझे यहाँ हवालात में डाल रखा है । जिस जगह से ड्रग्स मिले हैं, वहाँ का मालिक मैं नहीं हूँ । मैं गैरकानूनी ढंग से हिरासत में रखने के लिए तुम्हारे ऊपर इस्तगासा का मुक़द्दमा दायर करूँगा ।”
“तुम्हारी इसी जाहिली ने तुम्हें यहाँ पर ला छोड़ा है शमशेर सिंह ! अपने बच्चों का उनके गैरकानूनी कामों में आखिर कब तक साथ दोगे तुम ! विधि का विधान किसी दिन तो अपना रंग दिखाएगा । संजय बंसल के घर से भी हमें दवाइयों का भंडार मिला है । इसके बारे में तुम्हारा क्या कहना है ?”
“मेरा दवाइयों का कारोबार नहीं है, इंस्पेक्टर ! जिनका कारोबार है, उनसे पूछो जाकर ।”
“जिनका कारोबार था वह तो भगवान के दरबार में पहुँच गए हैं । अनिकेत और संजय बंसल । जो उनके साथ थे, वह फिलहाल फरार हैं । दवाइयाँ तो अनिकेत के पास में होनी चाहिए थीं । वही मेट्रो हॉस्पिटल में इनका कारोबार संभालता था, फिर संजय बंसल का इस मामले में क्या दखल था ? क्या इसका भी तुम्हें पता नहीं ?”
“नहीं । तुम्हीं बता दो !”
“गेरा साहब, ये तो अंधे को भी दिखाई दे रहा है कि मोहित ने दोस्ती के फेर में अनिकेत को तुम्हारे मेट्रो हॉस्पिटल में दवाइयों का काम दिलवाया था । जबकि वह पहले भी नकली दवाइयों के मामले में पुलिस के फेर में फँस चुका था । यहाँ भी वह अपनी हरकतों से बाज नहीं आया और लालच में अपना नकली दवाइयों का पुराना धंधा करने लगा, जिसकी भनक तुम्हारे बेटे मोहित गेरा को लग गई । वह पहले से ही उससे नाराज चल रहा था क्योंकि प्रॉपर्टी के धंधे में भी अनिकेत उसको चूना लगा रहा था । ये पाँचों लड़के अनिकेत के घर में खाने-पीने के लिए चार सितंबर को इकट्ठे हुए, जहाँ तुम्हारे लड़कों ने उनसे हिसाब बराबर करने की योजना बनाई । उन सब को खाने में ड्रग्स मिलाकर बेहोश कर दिया । मोहित, अनिकेत से बेनामी सम्पत्ति के बारे में पूछताछ करना चाहता था और हॉस्पिटल में नकली दवाओं के कारोबार के बारे में पूछना चाहता था, जिससे वह और संजय बंसल मोटा मुनाफा कूट रहे थे और मोहित आँखों में धूल झोंक रहे थे । ये बात तुम्हारे बेटों को रास नहीं आई कि कोई उन्हें धोखा दे । मोहित, अनिकेत से अपना हिसाब बराबर करने के लिए, उसे अपने कब्जे में लेकर तुम्हारे फार्महाउस ले गया, जहाँ उसका कत्ल हुआ । मोहित अब अनिकेत को महक फार्महाउस के स्टोर हाउस में बेहोशी की हालत में छोड़कर वापिस आया तो वहाँ पर रोहित की करतूत देखकर उसके हाथ-पाँव फूल गए । पीछे से तुम्हारा छोटा लड़का रोहित, गौरव और संजय को काबू में न रख सका और तुम्हारी लाइसेन्स-शुदा रिवॉल्वर से उसने दोनों को शूट कर दिया । उस पर पर्दा डालने के लिए उन्होंने गौरव कालिया की लाश को शहर के बाहर डालकर पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की । संजय बंसल की लाश को ठिकाने लगाने की योजना को वह पूरी तरह अंजाम नहीं दे पाए क्योंकि उन्हें ठिकाने लगाने की कोशिश में या उससे पहले तुम्हारा छोटा बेटा रोहित गेरा खुद भी आग की चपेट में आ गया, जिसकी वजह से मोहित उसको अपने साथ चुपचाप वहाँ से दस बजे के आसपास ले गया और तुम्हारी देख-रेख में उसे मेट्रो हॉस्पिटल में ले जाकर दाखिल करवा दिया ।”
“ये सब तुम्हारी मनगढ़ंत कहानियाँ है इंस्पेक्टर ! जितनी मर्जी मुझे सुना लो । मेरे या मेरे बेटों के खिलाफ तुम कुछ साबित नहीं कर सकते ।” इतना कहकर उसने मुँह दूसरी तरफ कर लिया । रणवीर उसकी ढीठता पर असहाय भाव से गर्दन हिलाता हुआ हवालात से बाहर आ गया ।
ऑफिस में पहुँचकर उसने मुंशी रतन लाल को पिछले छह महीनों में गुमशुदा या घर से भागी हुई युवतियों का लेखा-जोखा उसके सामने लाने के लिए कहा । जो लाश कल संत नगर से बरामद हुई थी, अब उसका केस भी सिटी थाने की पुलिस को ही देखना था । उसने रतन लाल को ऐसे लापता हुई महिलाओं के घर संपर्क स्थापित करने के लिये कहा । उनके माता-पिता को अपने डीएनए सैंपल देने के लिए सरकारी हॉस्पिटल में डॉक्टर नवनीत के ऑफिस का पता बता दिया गया । वहाँ सैंपल एकत्रित होने के बाद उन्हें फॉरेंसिक लैब में वेदपाल के पास भेजा जाना था ।
लापता युवतियों के कुल जमा तीन केस ऐसे पाये गए जिनका कोई सुराग नहीं लग पाया था और जिन्हें फ़ाइल कर दिया गया था । उनके परिवार वालों को भी उस लावारिस लाश की पहचान करने के लिए सूचना दे दी गई थी ।
रणवीर अपनी फाइलों में उलझा हुआ था, तभी उसका ध्यान वाइब्रेट होते अपने फोन की तरफ गया । मेट्रो हॉस्पिटल से डॉक्टर शैलेन्द्र की कॉल आ रही थी । रणवीर ने तुरंत कॉल अटेण्ड की । डॉक्टर शैलेन्द्र द्वारा फोन पर दी गई सूचना उसके लिए कोई शुभ समाचार नहीं थी ।
मेट्रो हॉस्पिटल में दाखिल रोहित गेरा अब इस दुनिया से रुखसत हो चुका था ।
ये इस केस से ताल्लुक रखता चौथा व्यक्ति था जो गौरव, संजय और अनिकेत के बाद हताहत हुआ था । उसने तुरंत दिनेश को बुलाया और ये बात उसे बताई । उसने यह सूचना कुछ समय के बाद शमशेर गेरा को देने के लिए कहा और खुद फोन करके उसके वकील सुजीत शर्मा को ये खबर सुनाई । फिर उसने रोशन वर्मा को चौकी से सीधा मेट्रो हॉस्पिटल पहुँचने के लिए कहा ।
रणवीर सीधा मेट्रो हॉस्पिटल में प्राइवेट वार्ड में पहुँचा जहाँ रोहित गेरा को दाखिल किया गया था । वहाँ मेट्रो हॉस्पिटल का चीफ़ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर अनूप तोमर अपने स्टाफ के साथ पहले ही मौजूद था ।
“ये सब कब हुआ, डॉक्टर तोमर ?” रणवीर ने पूछा ।
“आज सुबह दस बजे के करीब रोहित के वाइटल पेरामीटर्स बड़ी तेजी से गड़बड़ाने लगे थे, इंस्पेक्टर साहब ! मल्टिपल ऑर्गन फ़ेल्योर की वजह से उसकी जान गई ।” डॉक्टर तोमर ने जवाब दिया ।
“अगर आप लोगों ने उसकी कंडिशन को पुलिस से छुपाने की बजाय उसको शुरू से ही अच्छी तरह से ट्रीटमेंट दिया होता तो शायद ये नौबत न आती ।” रणवीर ने विषादपूर्ण स्वर में कहा ।
“तुम ठीक कहते हो, इंस्पेक्टर ! उसे बचाया जा सकता था पर शमशेर गेरा की जिद के आगे किसी की एक न चली ।” डॉक्टर तोमर ने असहाय भाव से हाथ हिलाते हुए अफसोस से भरे स्वर में उत्तर दिया ।
“अब आप लोग एंबुलेंस का इंतजाम करो या हम सिविल हॉस्पिटल से मँगवाएँ । पोस्टमार्टम की कार्यवाही के लिए इसे... ।”
“मैं इंतजाम करवाता हूँ ।” तोमर तुरंत अपने मातहत कर्मियों को इस बारे में दिशा-निर्देश देने लगा । कुछ समय के बाद रोहित गेरा का मृत शरीर पोस्टमार्टम के लिए सिविल हॉस्पिटल भिजवा दिया गया ।
उसी वक्त डीएसपी हरपाल सिंह के कदम वहाँ पर पड़े । इंस्पेक्टर रणवीर ने सेल्यूट कर उसका अभिवादन किया ।
वह रणवीर को एक तरफ ले जाकर बोला, “ये सब होने का अंदेशा तो हमें पहले से था, रणवीर ! अब ये मामला बिगड़ता जा रहा है । इस पर हमें तुरंत कार्यवाही करनी पड़ेगी । गौरव कालिया केस में क्या प्रोग्रेस है रणवीर ?”
“सर, इन्वेस्टिगेशन लगभग पूरी है और तमाम सबूत और सर्कमस्टंसियल एविडेन्स जुटाए जा चुके हैं । गौरव कालिया और संजय बंसल के केस आपस में जुड़े हुए हैं । जो सबूत मुझे मिले हैं, उनके मद्देनजर मेरी नजर में प्राइम सस्पेक्ट मोहित गेरा है और वह अभी मेरी पकड़ में नहीं आया है । अगर वह हाथ में आ जाता तो इस केस की इन्वेस्टिगेशन पूरी हो जाती और ये केस सॉल्व भी हो जाता ।”
“रणवीर, जब तक प्रभात जोशी यहाँ पर थे उस वक्त तो तुम अपना पूरा समय ले सकते थे । उनके ट्रान्सफर के बाद हाई-अथॉरिटी इस मामले में मुझे नहीं लगता कोई पॉज़िटिव रुख अपनाएगी । मैं तो यही सलाह दूँगा,जितना जल्दी हो सके अपनी इन्वेस्टिगेशन पूरी कर इस केस को कोर्ट में दाखिल करवाओ । शमशेर सिंह को आज से मैं अपनी कस्टडी में ले रहा हूँ । नारकॉटिक्स के मामले में हमें भी उससे कुछ जरूरी पूछताछ करनी है ।”
“यस सर, यहाँ से फारिग होकर इस मामले की कार्यवाही करते हैं !” रणवीर ने हरपाल सिंह को जवाब दिया ।
“तो तुम हो इंस्पेक्टर रणवीर !” किसी मेंढक के टर्राने जैसी आवाज उन दोनों के कानों से टकराई । जब रणवीर ने आवाज की दिशा में देखा तो स्थानीय एमएलए रामचरण अपने चमचों-कड़छों से घिरा हुआ उनकी तरफ ही बढ़ा आ रहा था ।
“जी हाँ । मैं ही यहाँ के पुलिस स्टेशन का इंचार्ज हूँ ।”
“भई, इस मामले में तुम कुछ करोगे भी या यहाँ के थाने के इंचार्ज बनकर यूँ ही बैठे-बैठे कुर्सी ही तोड़ते रहोगे ! तुम हर रोज मेरे इलाके में लाश पर लाश बरामद कर रहे हो और ये केस हल नहीं हो रहा तुमसे । आज हमारे प्रिय शमशेर का लड़का रोहित भी चल बसा, जिसे तुम कहते हो कि वह इस केस में इन्वॉल्व था । पूरे महकमे की साख तुमने दाँव पर लगा रखी है ।”
“पुलिस जो कार्यवाही कर सकती है, वह कर रही है । जल्द ही केस... ।”
“ये तुम्हारा रटा-रटाया बयान होता है जो तुम लोग अक्सर हर जगह देते हो । अरे भई, अब कुछ रिज़ल्ट भी निकालो इस मामले में !”
“जब समाज के रसूखदार लोग सबूत मिटाकर केस को खराब करेंगे तो कैसे रिज़ल्ट निकलेगा ? पुलिस को तो जो सबूत राह दिखाएँगे, उसी के अनुसार हम आगे बढ़ेंगे ।”
“कैसा दरोगा है ! पुलिस और सबूत की दुहाई देता है, जो वह जब चाहे मिटा सकता है और बना सकता है ।”
“छोड़िए एमएलए साहब ! ये कोई मौका नहीं है इन बातों का ।” डीएसपी हरपाल सिंह बीच में हस्तक्षेप करते हुए बोला ।
“अरे, क्या छोड़िए ! फर्जी सबूत बना करके न जाने कब से शमशेर के लड़कों के पीछे पड़ा हुआ है । अब लोगों का पैसा कमाना भी गुनाह हो गया । असली मुजरिम तो तुमसे कभी पकड़े नहीं जाते और ऊपर से तुम लोग तो मेरे हॉस्पिटल को भी नाजायज बदनाम करने पर तुले हो ।”
“आपके हॉस्पिटल में रिकॉर्ड्स में हेराफेरी करके पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की जा रही है, तो क्या ये सब भी पुलिस ने किया है ? आपके इस हॉस्पिटल से ड्रग्स पकड़ी जाती है । वह क्या हमने रखवाई है ? अगर आपको मेरी कोई बात समझ में न आई हो तो अपने चीफ़ मेडिकल ऑफिसर से पूछ लेना । वह बता देगा कि हमने क्या-क्या सबूत जुटाएँ हैं और आपके स्टाफ ने क्या-क्या हथकंडे अपना रखें है एक मुजरिम, आपके प्रिय शमशेर के सुपुत्र रोहित गेरा को बचाने के लिए ।” रणवीर आवेशित स्वर में बोला ।
“बस करो, रणवीर ! तुम अभी सिविल हॉस्पिटल पहुँचों और वहाँ रोहित गेरा का पोस्टमार्टम को जल्दी से मुकम्मल करवाओ ।” डीएसपी हरपाल ने संभावित टकराव को टालने के लिए रणवीर को वहाँ से जाने के लिए कहा ।
रणवीर गुस्से में वहाँ से अपनी टीम के साथ सिविल हॉस्पिटल के लिए रवाना हो गया । रोशन वर्मा को उसने वापिस सिटी पुलिस स्टेशन भेज दिया ताकि जब रोहित गेरा का अंतिम संस्कार हो तो वह शमशेर गेरा को वहाँ पर ला सके ।
रणवीर मेट्रो हॉस्पिटल से सीधा डॉक्टर नवनीत कंसल के ऑफिस में पहुँचा । वह अभी कल रात वाली अज्ञात युवती की लाश का पोस्टमार्टम करने के बाद अपने ऑफिस में पहुँचा था ।
“ओह, हैलो इंस्पेक्टर ! कम इन, कम इन । शायद तुम्हारी दिलजली ने मुझसे मिलने का संदेशा पहुँचा दिया । अरे मनु ! भाई, पुलिस आई है ! कोई चाय-कॉफी पिलवाओ, यार ! जरा जल्दी करो ।”
“आपसे मुझे खुशमिजाजी सीखनी पड़ेगी, डॉक्टर साहब ! मुर्दों से मिलकर भी आप इतना जिंदादिल कैसे रह सकते हो !”
“अरे, इंस्पेक्टर साहब ! अगर मैं खुश रहना न सीखूँ तो फिर जिंदा नहीं रह पाऊँगा । लोगों की तकलीफ कुछ कम कर पाऊँ, बस मेरा इतना-सा अरमान रहता है । मरने वाले के साथ उनकी गुज़श्ता जिंदगी के आखिरी लम्हों में क्या-क्या गुजरी, ये मैं तुम लोगों या उनके परिवार को सही ढंग से बता पाऊँ ताकि कम-से-कम मरने के बाद तो उनको न्याय मिल सके । बस मेरा इतना-सा ख्वाब है । खैर, छोड़ो । यह बताओ किससे भिड़ कर आ रहे हो ?”
रणवीर हड़बड़ाया और अपलक डॉक्टर नवनीत की तरफ देखने लगा ।
“भिड़ कर ! आपको कैसे अंदाजा लगा ?”
“इंस्पेक्टर साहब, आपका चेहरा मुझे सब कुछ बता रहा है ।”
“छोड़िए । ये बताइए, रोहित गेरा का पोस्टमार्टम कब तक होगा ?”
“अरे, साँस तो लेने दो, भई ! जितनी तुमने मेरी परेड करवाई है न, उतनी तो मुझे याद नहीं पड़ता कि आज तक हुई है मेरी । मैंने अपने असिस्टेंट को प्रोसीजर शुरू करने के लिए कहा है । दो घंटे का टाइम लगेगा उसमें अभी ।”
“डॉक्टर साहब, उस अज्ञात लड़की के बारे में पोस्टमार्टम से कुछ पता चला ?”
वार्ड-बॉय मनु इसी बीच उन दोनों के लिए कॉफी और मल्टी-ग्रैन बिस्कुट्स रख गया । डॉक्टर ने मेज की दराज से अपना मार्लबोरो सिगरेट का पैकेट बरामद किया ।
“मे आई... ? आप तो रहने देना । नुकसान करती है । ये एक डॉक्टर का मशविरा है ।”
“श्योर सर ! यू प्लीज केरी ऑन !” रणवीर मुस्कुराया, “शायद आपको नुकसान नहीं करती ये ।”
“करती है । करती क्यूँ नहीं ! तुमसे इसलिए पूछा, कहीं स्मोकिंग के जुर्माने की पर्ची न काट दो । वैसे भी, इट इज नॉट ए पब्लिक प्लेस । हा हा हा !”
“कमाल है, डॉक्टर साहब ! आपको सब पता है फिर भी ।”
“हाँ ! मैं एक डॉक्टर हूँ और अपने हर पेशंट से बहुत ही आदर्शवादी बातें करता हूँ । वो मेरा कर्तव्य है । मैं उन्हें जीने का हौसला देता हूँ और उनकी तकलीफ़ों को कम करता हूँ, लेकिन मैं एक इंसान भी हूँ । आखिर मेरे दिलोदिमाग पर भी कुछ घटनाएँ असर डालती हैं । फिर मैं भी उनसे अपना पीछा छुड़ाना चाहता हूँ । इस चक्कर में ये नामुराद ऐब कब मेरी जिंदगी का हिस्सा बन गया, पता ही नहीं चला । अब क्या करें, जो है सो है ।” डॉक्टर नवनीत ने सिगरेट का कश लगाया और रणवीर को कॉफी लेने का इशारा किया ।
“लगता है, उस युवती की हालत ने आपको कहीं अंदर तक हिला दिया है ।”
“अब वह लड़की एक लाश के नाम पर हड्डियों का ढांचा है । लेकिन मैं अंदाजा लगा सकता हूँ कि किस वहशत के दौर से वह अपने आखिरी वक्त में गुजरी होगी ।” डॉक्टर नवनीत ने कॉफी का घूंट भरते हुए एक जोरदार झुरझुरी ली । रणवीर ने खामोश निगाहों और प्रश्नात्मक भाव से डॉक्टर नवनीत को देखा, “इसमें मुझे कोई शक नहीं कि उस लड़की की हत्या से पहले उसे बड़े वहशियाना तरीके से मौत के घाट उतारा गया है । उसकी सर्वाइकल बोन यानी गर्दन की हड्डी टूटी हुई है । उसकी सिर की पिछली तरफ की हड्डी यानी ओसिपीटल बोन में फ्रेक्चर है । उसकी राइट फीमर बोन यानी टाँग की हड्डी अपने हिप बोन मतलब कूल्हे की हड्डी के जोड़ से निकली हुई है । उसकी दोनों तरफ की नीचे की पसलियाँ टूटी हुई हैं ।”
रणवीर अवाक बैठा हुआ डॉक्टर नवनीत के चेहरे की तरफ देखता रहा ।
“क्या लाश को यहाँ पर लाते हुए... ?”
“अगर कोई अपना पिंड छुड़ाना चाहे तो ये तर्क अदालत में दे सकते हैं, पर इस चीज का क्या जवाब दोगे ?”
डॉक्टर ने अपने मोबाइल को रणवीर के सामने रख दिया और दराज में से रिपोर्ट निकालकर रणवीर के सामने रख दी । मोबाइल में पिक देखकर और रिपोर्ट पढ़कर रणवीर के हाथ एक क्षण को काँपे । उसने कॉफी के कप को वापिस टेबल पर रख दिया और फिर दृढ़ हाथों से उसने अपने रूल को अपनी जकड़ में ले लिया ।
वह दृश्य जब देखने में इतना वीभत्स था तो जिसने उस यंत्रणा को जीते जी भोगा था, उसके लिए वह समय कितना क्रूर रहा होगा, ये अंदाजा लगाना कठिन न था ।
उस लड़की के पेल्विक गर्डल में मेटल रोड्स पैवस्त थी जिन्होंने उसके सभी वाइटल ऑर्गन्स को उस वक्त तहस-नहस कर दिया होगा और यही उसकी बेहद दर्दनाक मौत का कारण रहा होगा ।
“मैं इजाजत चाहूँगा, डॉक्टर नवनीत !” इतना कहकर रणवीर अचानक उठकर रूम के दरवाजे की तरफ बढ़ा । दरवाजा खोलते वक्त उसे पीछे से डॉक्टर नवनीत की आवाज सुनाई दी ।
“जाते-जाते मेरी एक इल्तिजा सुनते जाना, इंस्पेक्टर रणवीर ! अगर तुम इस जघन्य अपराध के मुजरिम को कभी पकड़ पाओ तो दो गोली उसे फालतू मार देना । एक मेरी तरफ से और एक उस अंजान आत्मा की तरफ से ।”
“फिर मिलेंगे, डॉक्टर साहब !” कहकर एक अनजाने अवसाद और क्रोध से भरा रणवीर उस कमरे से बाहर निकल गया ।
बाहर आकर उसने पानी के छींटे अपने चेहरे पर मारे, फिर पीसीआर में सवार हो वह एसपी प्रभात जोशी के ऑफिस की तरफ चल पड़ा । रास्ते में उसने रोशन वर्मा को फोन कर रोहित गेरा के पोस्टमार्टम के संभावित समय के बारे में बताया, जिससे उसके बाप शमशेर को अदालती आदेशों के अनुसार अपने बेटे के अंतिम संस्कार में ले जाया जा सके । इस काम के लिए जरूरी कार्यवाही वकील सुजीत शर्मा अदालत में इस वक्त कर रहा था ।
रणवीर की पीसीआर एसपी ऑफिस के सामने जाकर रुकी । वहाँ पर पूरे जिले के पुलिस अधिकारियों, पत्रकारों और छवि-लोलुप सामाजिक संस्था के पदाधिकारियों का जमावड़ा लगा हुआ था, जो पुराने पदमुक्त और नवनियुक्त एसपी को गुलदस्ता भेंट कर कथित सोये हुए समाज को जगाकर एक नयी दिशा देने का पुनीत प्रयास करने की भरसक चेष्टा कर रहे थे ।
ऑफिस में पैर रखने की भी जगह नहीं थी । इसका एक कारण यह भी था कि स्थानीय विधायक रामचरण अपनी पलटन के साथ नए एसपी ब्रिज लाल सिंह को नवनियुक्ति की मुबारकबाद देने पहुँचा हुआ था, जो इत्तफाकन या ऊपर से दिये गए आदेशों के अनुसार प्रभात जोशी के रीलीविंग के वक्त वहाँ अपना पदभार ग्रहण करने पहुँच गया था । मलाईदार थानों के चाहने वाले थानेदार ऑफिस में नए एसपी से गोटियाँ बिठाने के लिए सारे पैंतरे आजमा रहे थे । ऑफिस में मची चिल्लपों से उकताकर रणवीर बाहर गलियारे में आकर खड़ा हो गया ।
एसपी प्रभात जोशी अपना चार्ज देकर जब ऑफिस से बाहर निकला तो महज कुछ फॉटोग्राफर और उसके ऑफिस का क्लेरिकल स्टाफ ही उसके साथ बाहर तक आए ।
ईमानदारी के हमसफर आज की दुनिया में कम ही होते हैं और उसका सफर अधिकतर अकेले ही कटता है । गलियारे में से निकलते हुए उनकी निगाह रणवीर पर पड़ी । इशारे से प्रभात जोशी ने उसे अपने पास बुलाया । रणवीर ने सेल्यूट कर निवर्तमान एसपी का अभिवादन किया ।
“अरे, रणवीर ! कैसे हो तुम ?”
“मैं ठीक हूँ, सर ! बस आपसे मिलने चला आया ।”
“अच्छा किया । मैं समझता हूँ तुम्हारे दिमाग में इस वक्त क्या चल रहा है । देखो, जो हालात तुम्हारे सामने आए हैं, वह हमारी नौकरी का एक हिस्सा है । जहाँ तक मेरे जाने की बात है तो कुछ मिशन अधूरे रह जाते हैं तो कई नए मिशन भविष्य में कहीं तुम्हारा इंतजार कर रहे होते हैं । आगे बढ़ना ही हमारा काम है ।”
“यस सर ! मैं समझता हूँ ।”
“मुझे अब जाना पड़ेगा । तुम अंदर जाकर ब्रिजलाल से मिल क्यों नहीं लेते ।”
“जरूर सर ! मैं जरूर मिलूँगा उनसे । जय हिन्द, सर !”
“जय हिन्द । मिलते हैं फिर कभी ।” इतना कहकर प्रभात जोशी वहाँ से आगे बढ़ गए ।
उनके जाने के बाद, कुछ पल के लिए रणवीर वहीं गलियारे में ठिठका खड़ा रहा, फिर निश्चयपूर्वक ऑफिस से बाहर निकलकर अपनी पीसीआर की तरफ बढ़ चला । अपने फोन से उसने विक्की का नंबर मिलाया । उसने बताया कि वह दोपहर के ऑर्डर लेने के लिए वह मिलन रेस्टोरेंट पर ही पहुँचा हुआ था । रणवीर ने उसे वहीं रुकने की ताकीद की ।
अभी रोहित गेरा का पोस्टमार्टम होने में अभी एक घंटे का समय लगना था । इस दौरान उसने एक बार मिलन रेस्टोरेंट जाने का निश्चय किया । वहाँ वजीर सिंह हमेशा की तरह अपने काउंटर पर बैठा था । विक्की उसका वहीं खड़ा इंतजार कर रहा था । उसके चेहरे पर संशय के बादल मंडरा रहे थे । वजीर, रणवीर को देखते ही तुरंत खड़ा हो गया ।
“ऊपर केबिन खाली है वजीरे ?” रणवीर ने पूछा और विक्की को रेस्टोरेंट के फ़र्स्ट फ्लोर पर चलने के लिए इशारा किया ।
“जी, खाली है बाउजी ! मैं अभी थोड़ा और साफ करवा देता हूँ ।” वजीर ने तुरंत एक लड़के को ऊपर की ओर दौड़ा दिया । विक्की और वजीर उसके साथ-साथ ऊपर के केबिन में आ गए ।
“बैठ भई, विक्की !” वजीर को भी रणवीर ने बैठने का इशारा किया ।
“वजीरे, उस दिन तुमने कहा था कि ‘सिज़्लर’ के ऑर्डर तुम्हारे पास आते हैं, सीधे मैसेज के द्वारा ।”
“जी बाउजी ! मैसेज शाम को दो बार आते हैं और उसी टाइम के हिसाब से... ।”
“हाँ, बताया था तुमने । विक्की, तुम ‘सिज़्लर’ के साथ-साथ ‘मिलन रेस्टोरेंट’ के ऑर्डर भी होम डिलीवर कर देते हो । ‘सिज़्लर’ वाले इस चीज की इजाजत तो नहीं देते होंगे ?”
“जनाब, वह साढ़े तां दो-चार ऑर्डर ही होंदे ने ! अगर इसके रूट विच पेंदे हैं तो हम इस नू पकड़ा देते हैं । इसमें इसके भी दो-चार पेहे फालतू बन जांदे ने ।” वजीरा बीच में बोला ।
“तुम्हारे जो ऑर्डर, मेरा मतलब है ‘सिज़्लर’ के ऑर्डर्स के अलावा, तुम विक्की को होम डिलीवरी के लिए देते हो, वह तो ग्राहक खुद ही यहाँ आकर दर्ज करवाते होंगे ?”
“जनाब, कभी टेलीफ़ोन पर तो कभी खुद भी लिखवा जाते हैं, लेकिन ज़्यादातर लोग खुद ही ले जाते हैं । की होया बाउ जी ? इस विच कोई खप्प (मुसीबत) आली तो कोई गल्ल (बात) नहीं हेगी ।”
“तुम फिर उन सबका रिकॉर्ड तो नहीं रखते होगे ?”
“हम हाथ से लिखकर रख लेते हैं बाउजी ! सिज़्लर वाले ऑर्डर के साथ हमारे ऑर्डर की एक पर्ची विक्की को दे देते हैं । उस दिन की पर्ची आपको पिछली बार दी थी, जब आप रोशन बाउ के साथ आए थे । विक्की का हिसाब भी हमें महीने के महीने करना होंदा है तो इसी वास्ते बिल तां संभालकर ही रखने पेंदे ने ।”
“हाँ, देखा था मैंने । वजीरे, एक बात बताओ ! तुम लोग रोज इतने ऑर्डर देते हो, एक ही ऑर्डर रिपीट होने के या दो ऑर्डर एक जैसे होने के कितने चान्स होते हैं ? क्यों विक्की, तुम्हारी इस बारे में क्या राय है ?”
“जी, सर ! फास्ट फूड में तो अक्सर कई ऑर्डर एक जैसे होते हैं । खासतौर पर पिज्जा, बर्गर, मोम्मोस के । जब फ्राइडे को एक के साथ एक फ्री पिज्जा की स्कीम होती है तो बहुत सारे ऑर्डर रिपीट होते हैं ।”
“मैं डिनर की बात कर रहा हूँ । मेन कोर्स की ।” रणवीर ने अपनी बात को थोड़ा और खुलासे से पूछा ।
“बाउजी, पूरा का डिनर तो... एक जैसा ऑर्डर होने की चान्स कम ही होते हैं । कुछ-न-कुछ तो फर्क आ ही जाता है ।”
“तुम्हारा क्या ख्याल है विक्की ! एक दिन में कितने ऑर्डर एक जैसे हो सकते हैं अगर खाने में चार-पाँच आइटम किसी ने मँगवाए हों ? क्या दो या तीन ऑर्डर एक जैसे हो सकते है ?”
“सर, इस बात का जवाब तो पाजी ही दे सकते हैं ! हम तो बस एड्रेस और आइटम कितने देने हैं, बस यही देखते हैं ।”
“बाउ जी, ए भी तो हो सकदा है कि एक ही बंदे ने ऑर्डर कित्ता होवे दोनों जगह का !”
“हाँ, हो सकता है । पर उस कंडिशन में या तो वह सिज़्लर में नोट करवाएगा या सीधा तुम्हारे पास ऑर्डर नोट करवाएगा ।”
“हाँ, ये बात तो है । पर बाउ जी, आप इतनी पूछताछ कर रहे हो, क्या बात है ?”
“जब मैं तुम्हारे ऑर्डर देख रहा था तो एक बात खटकी । मैंने देखा, डिनर के दो ऑर्डर बिलकुल एक जैसे हैं । एक मकान नंबर 32/11 है और एक मकान नंबर 59/11 है । पहले वाले का ऑर्डर ‘सिज़्लर’ से है और दूसरे वाले का मिलन रेस्टोरेंट से । ऑर्डर भी दोनों का पाँच-पाँच आदमियों का है ।”
“बाउ जी, बस एवें ही तुक्का भिड़ गया होगा जी ! होर तो एदे विच कोई गल्ल नहीं होनी जी !”
“बड़ा अजीब इत्तेफाक है ! विक्की, उस दिन तुम पहले किस घर डिलीवरी देने गए थे ? मकान नंबर 32 में या 59 में ?”
“सर, ये तो उस दिन की रूट से याद... । आ गया सर जी, याद आ गया ! पहले मैं उस घर में गया था जहाँ खून-खराबा हुआ था । यानी 32/11 में, उसके बाद फिर 59/11 में ।”
“कमाल है ! एकदम से इतना जल्दी सब कुछ याद आ गया ?” रणवीर ने हैरानी से पूछा ।
“सर, मैंने आपको बताया था कि 32/11 वाले से बीयर लाने के बारे में मेरी बहस हो गई थी । फिर मैंने उससे 59/11 के बारे में पूछा तो मुझे अगली गली में पता बता दिया । जबकि वह मकान उनके मकान के बिलकुल पीछे था । इस चक्कर में मेरे पंद्रह-बीस मिनट बेकार हो गए थे । मुझे इसलिए वह सब याद आ गया ।”
“जब तुम 59/11 में डिलीवरी लेकर गए थे तो तुम्हारे कस्टमर को कैसे संपर्क किया तुमने ?”
“वह बाहर ही मेरा इंतजार कर रहा था, सर ! मैंने बस नाम और एड्रेस कन्फ़र्म किया और साइन करवाकर पैकेट उसे पकड़ा दिया ।”
“उसका फोन नंबर ?”
“उस लिस्ट में है बाउजी, जो मैंने आपको दी थी ।” वजीरे ने बीच में याद दिलाया ।
“हम्म !” रणवीर ने विचारपूर्ण मुद्रा में अपना सिर हिलाया । उसने फिर लोकेश को फोन करके दिये गए नंबर का एड्रेस, मोबाइल लोकेशन और पिछले पंद्रह दिन की एक्टिविटी ट्रेस करने के लिए कहा । सब-इंस्पेक्टर दिनेश को फोन कर उसे एड्रेस बताया और वहाँ जाकर रहने वाले की पड़ताल करने के लिए कहा ।
‘मिलन रेस्टोरेंट’ से रवाना होकर रणवीर वापिस सिविल हॉस्पिटल पहुँचा, जहाँ डॉक्टर नवनीत ने पोस्टमार्टम की कार्यवाही पूरी करने के बाद रिपोर्ट की एक कॉपी रणवीर को सौंप दी । परिवार का कोई सदस्य वहाँ मौजूद न होने के कारण रोहित गेरा का शव पार्षद सम्पूर्ण सिंह, पुलिस की मौजूदगी में शमशेर सिंह गेरा के घर ले गया और शाम को उसके बाप शमशेर सिंह गेरा की मौजूदगी में उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया ।
पुलिस की पकड़ से फरार चल रहा मोहित गेरा अपने भाई के अंतिम संस्कार के समय भी प्रकट नहीं हुआ । एंटी-नारकॉटिक्स विभाग के डीएसपी हरपाल सिंह ने शमशेर सिंह को रोहित के अंतिम संस्कार के बाद सिटी पुलिस से अपनी कस्टडी में ले लिया ।
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