खजाने की आत्मा अपने वारिस की तलाश कर रही है
हम आपको एक ऐसी घटना से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसके बारे में पता नहीं है कि इसके पीछे क्या कारण है, लेकिन गांव के लोग इसे अपने पूर्वजों की आत्मा से जुड़ा एक रहस्य मान रहे हैं.
गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) के पास एक छोटा सा गाँव है. इस गांव की लगभग 5 एकड़ जमीन पूरी तरह से खाली है. लेकिन उल्लेखनीय बात यह है कि यह भूमि पिछले कई दशकों से खाली पड़ी है क्योंकि यहाँ जो पेड़ थे वे या तो नीचे गिर गए या कट गए. इस भूमि पर कहा जाता है कि दो बड़े बर्तन घूमते हैं. दो हंडिया जिनका मुंह एक दूसरे से जुड़ा हुआ है और वह इस जुड़े हुए मुंह के साथ पूरी जमीन को घुमाती है. जो भी उन टट्टूओं को पकड़ने की कोशिश करता है, वह असफलता महसूस करता है. कोई नहीं जानता कि वह कहाँ से आती है और उसे छुपाती है.
अब आप सोच रहे होंगे कि या तो यह कहानी मनगढ़ंत है या इसके पीछे कोई गहरा राज है. हां, इन बर्तनों की बिक्री के पीछे एक गहरा रहस्य है और ग्रामीणों के अनुसार, यह धन है. ग्रामीणों का कहना है कि एक विशिष्ट परिवार के छिपे हुए खजाने इस भूमि पर घूमते हैं. यह माना जाता है कि यदि कोई वस्तु लंबे समय तक जमीन में दबी रह जाती है, तो यह जीवन में आती है और इन बर्तनों के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ है. पहले के समय में, जब न तो बैंक थे और न ही कोई लॉकर, परिवार के सदस्य जमीन में अपना धन समेटते थे. जब लंबे समय तक जमीन में दबे इस खजाने की खबर किसी को नहीं मिली, तो वह खजाना जिंदा हो गया और उस जमीन का दौरा करने लगा. अब आप भी सोच रहे होंगे कि इतना बड़ा खजाना होने के बावजूद किसी ने उन कुम्हारों को पकड़ने की कोशिश नहीं की?
तो इस सवाल का जवाब हम आपको देते हैं कि आपने कोशिश की, लेकिन वह हंडिया किसी के हाथ में आने को तैयार नहीं है. ऐसा कहा जाता है कि इन कुम्हारों में उस परिवार के पूर्वजों की आत्मा होती है और वह खजाने को उसी को सौंप देगा जो इसे अपना उत्तराधिकारी मानता है और अगर कोई उन कुम्हारों को जबरन पकड़ने की कोशिश करता है तो यह जान का जोखिम भी हो सकता है . अब तक उस परिवार की सभी पीढ़ियों ने इस खजाने को पाने के लिए हंडी को नियंत्रित करने की कोशिश की है लेकिन किसी को भी सफलता नहीं मिली है.
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