देखते-ही-देखते उस लड़की और अधेड़ को करीब चालीस टॉमीगनयुक्त इंसानों ने घेर लिया। इस बार स्थिति ऐसी थी कि अधेड़ कुछ करने में असमर्थ था। हॉल में उपस्थित आदमी कभी मृत जिम्बोरा के भयानक जिस्म को देखते और कभी उस अधेड़ को- जिसने जिम्बोरा जैसे शक्तिशाली भैंसे को गहरी नींद सुला दिया ।
टॉमीगनधारियों में से एक इंसान आगे बढ़ा--जिसके कंधे पर एक विशेष चिह्न बना हुआ था । यह चिह्न शायद इस बात का प्रतीक था कि वह इन ग्रीन कपड़े वालों का संचालक है । वह आगे बढ़ा- शेष सभी ने उन्हें चारों तरफ से घेर लिया । वह उन दोनों के निकट आया और एक झटके के साथ लड़की को खींचा---लड़की एक चीख के साथ उस इंसान के सीने से जा टकराई | तभी अधेड़ बोला ।
-"अरे... ओए, औरत पै कहां बहादोरी दिखावै है, मर्द है तो इकलो मेरे सामने कू आ "
अधेड़ का उपरोक्त वाक्य सुनकर वह इंसान अर्थपूर्ण ढंग से मुस्कराया और बोला ।
-"मानता हूं चौधरी-मानता हूं कि तुम बहुत बहदुर हो, किंतु मैं यह नहीं मानता कि हमारे जिम्बोरा जैसे आदमी को तुम जैसा साधारण आदमी न सिर्फ परास्त कर दे- बल्कि उसकी हत्या भी कर दे -- दूसरी बात तुम्हारे लड़ने का ढंग साधारण जोशीले इंसान जैसा नहीं बल्कि किसी संयमी और चतुर शातिर जैसा है। और तीसरी बात यह कि तुम जब सुपरिंटेंडेंट की कोठी से फरार हो रहे थे उस समय तुम्हारे वार्तालाप करने का ढंग चौधरी वाला नहीं, बल्कि किसी भयानक अपराधी जैसा था बोलो-क्या अब भी तुम यह कह सकते हो कि तुम्हारा ये चौधरी वाला चेहरा कृत्रिम नहीं?
उसके शब्द सुनकर अधेड़ के होंठों पर रहस्यमय मुस्कान उभर आई तथा वह बिल्कुल ही बदले हुए स्वर में बोला ।
-"जो तुम कह रहे हो वह बिल्कुल सही है, किंतु हमारी बातें अकेले में हों तो अधिक उपयुक्त होगा ।" वह हॉल में उपस्थित आदमियों पर निगाह मारकर बोला । उसके परिवर्तित होते व्यक्तित्व ने सभी की आंखों में आश्चर्य को जन्म दिया। सभी उसे इस प्रकार देख रहे थे-मानो वह चिड़ियाघर का नया एवं आश्चर्यजनक अजूबा हो । वह लड़की भी उसे गहन आश्चर्य से देख रही थी । उसकी समझ में नहीं आ रहा था कि यह सब क्या होने लगा ? ।
."आओ मेरे साथ...।" गनधारी बोला- ' किंतु अगर किसी प्रकार की भी चालाकी दिखाने की चेष्टा की तो प्रत्येक टॉमीगन से एक-एक गोली भी निकली तो तुम जीवित नहीं रहोगे।"
उसके वाक्य पर अधेड़ न जाने क्यों फिर एक बार मुस्कराया - मानो वह किसी बालक की शरारत पर मुस्करा रहा हो । और फिर चुपचाप उसके पीछे बढ़ गया । उस लड़की की कलाई उसी इंसान ने थाम रखी थी। टॉमीगन की दो नालें रहस्यमय अधेड़ की पसलियों में आ चिपकीं । न जाने वह क्यों फिर मुस्कराया । हॉल में उपस्थित प्रत्येक इंसान यहां होने वाली अजीब घटनाओं को देखकर आश्चर्यचकित था । कभी लोग मृत जिम्बोरा को देखते तो कभी हॉल से ऊपर जाते हुए अधेड़ को, जो स्वयं एक रहस्य था और इस समय टॉमीगनों के साए में था? हॉल में उपस्थित लोग उन्हें तब तक देखते रहे जब तक कि देख सकते थे, फिर वह उनकी आंखों से ओझल हो गए । -
ऊपर पहुंचकर उस इंसान ने कोई बटन दबाकर एक विशेष कमरे में प्रवेश किया। कमरे में एक लाल वल्ब मानो धीमे से मुस्करा रहा था। लड़की को बाहर खड़े अन्य आदमियों को सौंप दिया गया था, किंतु उन्हें विशेष आदेश दिए गए थे कि वे लड़की के साथ कोई अप्रिय हरकत नहीं करेंगे और उसे साथ लिये बाहर ही खड़े रहेंगे। कमरा अंदर से बंद कर लिया गया । अंदर केवल वह दोनों ही थे । रहस्यमय अधेड़ मुस्कराया और बोला ।
-"अब हम यहां केवल दो हैं । "
-"फिर...?" वह आदमी भी अत्यंत रहस्यमय ढंग से बोला ।
- ''मैं तुम्हारी गरदन मरोड़ सकता हूं । " अधेड़ अजीब ढंग से उसे घूरता हुआ बोला ।
- "बेकार की बातों से कोई फायदा नहीं ।" वह इंसान भी शांति के साथ बोला--" किसी भी इंसान को कभी भी यह नहीं समझना चाहिए कि वही सबसे अधिक चालाक, शक्तिशाली और साहसी है । याद रखना चाहिए कि ऊपर वाले ने प्रत्येक का बाप पैदा किया है। ये मानता हूं कि तुमने जिस ढंग से जिम्बोरा को परास्त किया है, वह वास्तव में सराहनीय है, किंतु ये मत समझो कि तुम मुझे भी किसी तरह परास्त कर दोगे । मैं शक्ति में जिम्बोरा नहीं, किंतु मेरा नाम ब्रिगेंजा है और मैं स्वयं को तुमसे अधिक समझता हूं।" ये शब्द कहते हुए वह लेशमात्र भी कहीं भी उत्तेजित नहीं हुआ था । बड़ी शांति से सब कुछ कहता चला गया था ।
- " स्वयं ही कहते हो कि कभी किसी को हरेक का बाप मत समझो और स्वयं ही ये कह रहे हो कि तुम दिमाग में मुझसे अधिक हो । क्या तुम स्वयं ही अपने कथन के विरुद्ध नहीं जा रहे हो... ? "
-" बेकार की बहस में समय व्यर्थ न करो ।" ब्रिगेंजा का लहजा कुछ सख्त हो गया- ''मैं स्वयं को सबसे अधिक दिमाग वाला न कहकर सिर्फ तुमसे अधिक दिमाग वाला कह रहा हूं । वह भी तुम्हारी मूर्खता को देखकर । "
-"कैसी मूर्खता... ?" अधेड़ कुछ उलझ सा गया!
- "तुम्हारा यह सोचना कि तुम ब्रिगेंजा को कोई हानि पहुंचा सकते हो और वह भी इस कमरे में । तुम ये न देख सके कि जहां इस समय खड़ा हूं- मेरे पैर के नीचे एक ऐसा बटन है जो तुम्हारे लिए क्षणमात्र में मौत भी बन सकता है ।" ब्रिगेंजा के होंठों पर मुस्कन थी।
-"वह कैसे... ?" अधेड़ धीमे से आश्चर्यजनक स्वर में बोला ।
- "इसका पूरा चक्कर तुम्हारी बुद्धि में नहीं आएगा ।" ब्रिगेंजा बोला-' 'तुम सिर्फ इतना समझ लो कि यह ब्रिगेंजा का खास कमरा है । यहां टॉमीगनें, रिवॉल्वरें, एल. एम. जी. इत्यादि भयानक हथियार कमरे की दीवारों तथा छत में इस प्रकार संयोजित किए गए है कि कमरे के प्रत्येक कोण पर खड़ा आदमी किसी-न-किसी हथियार की रेंज में है। कहां खड़ा आदमी किस हथियार की रेंज में है और उसके चलाने के लिए कौन-सा बटन किस ढंग से दबाना चाहिए - यह रहस्य ब्रिगेंजा के अलावा कोई नहीं जानता ।"
- "मान गए मिस्टर ब्रिगेंजा, हम मान गए कि तुम हमसे अधिक बुद्धिमान हो ।' अधेड़ मुस्कराता हुआ बोला ।
-"अब चुपचाप उस चेयर पर जाकर बैठ जाओ और मेरे प्रश्नों का उत्तर दो ।"
अधेड़ चुपचाप उस कुर्सी पर बैठ गया जिसकी तरफ ब्रिगेंजा ने इशारा किया था। तभी ब्रिगेंजा ने मेज में लगा एक बटन दबाया -परिणामस्वरुप अधेड़ ने स्वयं को पूर्णतया बंधनों में पाया । वह कुर्सी से इस प्रकार जकड़ा हुआ था कि तनिक भी नहीं हिल सकता था। तभी ब्रिगेंजा ने एक अन्य बटन दबाया और अगले ही पल वह कुर्सी - जिस पर वह बंधा हुआ था, ऊपर उठने लगी । कुर्सी के निचले भाग में फौलाद का मोटा सरिया था जो निरंतर कमरे के फर्श से बाहर आ रहा था और कुर्सी अधेड़ सहित ऊपर उठ रही थी। उस समय अधेड़ का सिर छत से कुछ ही नीचे था कि चेयर रुक गई ।
- "इसक क्या मतलब ?" वह अधेड़ बोला ।
- "इसका मतलब ये है कि तुम ये तो देख ही रहे हो कि कमरे की छत लोहे की बनी है। ध्यान रहे - अगर किसी भी प्रश्न का उत्तर देने की कोशिश न की अथवा मेरी आज्ञाओं का उल्लंघन किया तो एक बटन दबाते ही तुम्हारी खोपड़ी लोहे की छत से इस तरह टकराएगी जैसे रिवॉल्वर से निकली गोली । उसका परिणाम क्या होगा? तुम सहज ही उसका अनुमान लगा सकते हो ।" ब्रिगेंजा का लहजा अपेक्षाकृत सख्त था ।
अधेड़ धीमे से मुस्कराकर बोला- "इसकी क्या जरूरत थी ब्रिगेंजा-मै तो यूं ही तुम्हारी बातों का सही जवाब दे देता । खैर, यूं ही सही पूछो क्या पूछना है?
ब्रिगेंजा ने एक बटन दबाया-जिससे अधेड़ के दोनों हाथ स्वतंत्र हो गए । ब्रिगेंजा बोला-"अब तुम्हारे दोनों हाथ स्वतंत्र हैं -सबसे पहले अपना यह चौधरी वाला कृत्रिम चेहरा उतारो ।"
मुस्कराते हुए अधेड़ ने ब्रिगेंजा की आज्ञा का सहर्ष पालन किया - उसने चौधरी वाला फेसमास्क अपने चेहरे से उतार दिलाया । उसके पीछे एक खूबसूरत नवयुवक छुपा था - वास्तव में युवक सुंदर था । वह मुस्करा रहा था। ब्रिगेंजा उसे बड़े ध्यान से देखता रहा, किंतु जब वह उसे पहचान न सका तो उसने प्रश्न किया ।
- "कौन हो तुम?"
- "मेरा एक नाम नहीं है, अलग-अलग स्थानों पर मैंने अलग-अलग नाम रख छोड़े हैं, जैसे बेरुत में जिम्बो, न्यूयॉर्क में मार्टिन-काहिरा में जैब्रीन-चीन में हाईतोश इत्यादि-यूं मैंने भारत में अपना नाम संग्राम रखा है । " नवयुवक आराम से मुस्कराता हुआ कह रहा था ।
'ओह-तो तुम नए उभरते इंटरनेशनल अपराधी हो ।" ब्रिगेंजा उसे घूरता हुआ बोला ।
"जैसा ठीक समझौ-यूं तो मैं हूं बहुत पुराना ।"
- " किंतु मैंने कभी तुम्हारा नाम सुना ।"
-''मैं कोई बेवकूफ अपराधी नहीं-- जो प्रत्येक स्थान पर एक ही नाम रखकर इंटरपोल के जासूसों की निगाहों का कांटा बनूं । मैं अलग-अलग नामों से अपराध करता हूं- ताकि इंटरपोल कभी न जान सके कि कोई इंटरनेशनल अपराधी उनकी जड़ों को खोखली कर रहा है, तुम इसी कारण मुझे नहीं जानते ।' युवक निरंतर मुस्करा रहा था ।
वैसे तुम्हारा वास्तविक नाम क्या है ? " ब्रिगेंजा की बंधक दृष्टि उसे घूर रही थी ।
- "वास्तविकता पूछो तो मैं अब तक अपने लिए इतने नाम प्रयोग कर चुका हूं कि मैं अपना वास्तविक नाम लेते हुए संकोच में पड़ जाता हूं कि क्या वास्तव में मेरा यही नाम है । वैसे अच्छा होगा अगर तुम मुझे संग्राम ही कहो।"
- "खैर माना कि तुम संग्राम हो ।" ब्रिगेंजा बोल उठा-"किंतु भारत में क्या कर रहे हो ?"
अगर आप कहें तो एक ही सांस में अपनी पूरी कहानी सुना दूं- उसके बाद जो प्रश्न रह जाए- आप उसे पूछ लेना, किंतु कहानी सुनाने से पूर्व मैं आपसे छोटा-सा प्रश्न करना चाहूंगा
-"कैसा प्रश्न...?"
- " प्रश्न सिर्फ ये है कि क्या मैं आग के बेटे से बात कर रहा हूं ?"
"इसका उत्तर हां में है।" ब्रिगेंजा ने स्वीकार किया ।
-'"बस तो ठीक है...।" संग्राम बोला- अब आप सुनिए-आज से एक हफ्ता पूर्व मैं जिम्बो के नाम से बेरुत में था- मैंने अपने कुछ साथियों के साथ वहां का खजाना लूटने की योजना बनाई, न जाने कैसे यह भनक वहां की सीक्रेट सर्विस को लग गई अभी हम लोग अपनी योजना पर विचारकर ही रहे थे कि सीक्रेट एजेंटों ने हमारे हैडक्वार्टर पर हमला बोल दिया । परिणामस्वरूप वहां आतंक फैल गया । हम सब दोस्त अपनी-अपनी जान बचाकर भागे । जिसमें किसी को किसी का पता न रहा कि किसके साथ क्या बीती? कौन मरा और कौन मेरी तरह फरार होने में सफल हो गया? खैर.. मैंने अपना जिम्बो वाला मेकअप उतार दिया और भारत चला आया । मेरा अगर कोई दोस्त पकड़ा भी गया होगा तो वे मुझे सिर्फ जिम्बो के रूप में ही जानते हैं। वे नहीं जानते कि जिम्बो के पीछे वास्तविक चेहरा क्या है? अत: बेरुत की पुलिस को तलाश करती रही। जबकि जिम्बो संग्राम में बदल चुका था,ऐसे संग्राम में जो केवल बेरुत पुलिस के लिए ही नहीं बल्कि जनता कि लिए भी भोला और नवपरिचित चेहरा था। मैंने स्वयं को यहां भारतीय पर्यटक बताना प्रारम्भ कर दिया। पुलिस बेचारी क्या जानती थी कि संग्राम ही जिम्बो है । स्वयं मेरे साथी नहीं जानते थे कि जो व्यक्ति जिम्बो के नाम से उनक साथी है वास्तव में कुछ और ही है। खैर... बेरुत से मैं भारत आया-यहां अधेड़ का रूप धारण करके अपना नाम घासीराम रख लिया । यहां आते हो मैंने आग के बेटों के विषय में सुना । वास्तविकता यह थी कि मैं भारत में किसी ऐसे शक्तिशाली संगठित अपराधी दल की तलाश में था जिसके साथ रहकर मैं कार्य कर सकूं । इसलिए आग के बेटों से मुलाकात करने मैं घासीराम बना ही रघुनाथ की कोठी की पिछली गली में गया था, किंतु वहां किन्हीं अनजाने लोगों से टकरा गया । तभी रघुनाथ की कोठी का दरवाजा खुला और एक व्यक्ति वहां से कूदकर मेरी सहायता करने लगा, फिर अचानक वे अनजाने लोग पता नहीं कैसे मरने लगे? खैर.. तभी मिलिट्री के जवानों के गली में आने की ध्वनि ने मुझे चौंकाया । मुझे क्योंकि अपने पकड़े जाने का भय था । अत: अपने मददगार को धोखा देकर मैं बड़ी कठिनाई से उस बालक के जरिए यहां से निकला और अंत में आज जब जिंबोरा उस लड़की को घसीट रहा था तो मुझे क्रोध आ गया और उससे भिड़ गया। उसके बाद अचानक तुमसे मुलाकात हुई और मैं समझता हूं यह अच्छा हुआ, क्योंकि मैं तो स्वयं ही तुम्हारे दल में शामिल होना चाहता था ।" संग्राम ने एक गहरी सांस ली ।
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