‘’ये बात तो ठीक है क्राइमर अंकल ।


- 'बस... तो अगर हम तुम्हें ये भी सिखा देते तो क्या तुम हमें गोली न मार देते? "


"नहीं अंकल!


"तुम्हारा क्या भरोसा ?" 


- "क्यों क्राइमर अंकल? "


"तुम्हारे क्राइमर अंकल का पहला सिद्धांत है कभी किसी पर विश्वास मत करो-कभी किसी के सगे बनकर न रहो-वक्त और परिस्थितियों के साथ रंग बदलो और तुम्हें भी मैंने यही सिखाया है- अब तुम्हीं सोचो, क्या परिस्थितियां ऐसी नहीं हो सकतीं कि तुम मेरी जान के दुश्मन बन जाओ और मैं तुम्हारी ?


''ये कैसे हो सकता है अंकल?"


अलफांसे बड़े ही विचित्र ढंग से मुस्कराया और बोला ।


हो सकता है विकास... सब-कुछ हो सकता है तुम नहीं जानते, लेकिन इतना तो जानते हो कि तुम मुझे क्राइमर अंकल' क्यों कहते हो? इसलिए कि मैं अपराधी हूं और तुम हो एक ऐसे खानदान के लड़के, जहां सिर्फ कानून के ठेकेदार रहते हैं, तुम्हारे जितने भी संरक्षक हैं- वे सभी कानून के रक्षक है । तुम्हारे पिता पुलिस सुपरिंटेंडेंट, दादा यानी विजय के पिता आई.जी. पुलिस और तुम्हारे उस झकझकिए अंकल ने तो सभी को मात कर दिया है ।" कहते-कहते अलफांसे कुछ गंभीर-सा हो गया था ।


- "आप ये क्या कहने लगे अंकल ?


- ''मैं ठीक कह रहा हूं विकास... आशा है कि तुम मेरे बताए सिद्धांतों पर चलोगे और अगर कभी किसी तरह तुम्हारे रास्ते का कांटा बनूं तो चूकोगे नहीं । "


."अंकल, आपको क्या हो गया है?"


और फिर


अलफांसे को मानो कुछ होश आया । उसने सिर को झटका दिया । उसे लगा जैसे वह इस मासूम बालक से बात करता हुआ भावनाओं में खो गया है। भावनाएं.. एक ऐसा शब्द, जो उसके जीवन से कोसों दूर था, लेकिन आज !


उसने समस्त विचारों को दिमाग से निकाल फेंका और बोला ।


- "अच्छा विकास- एक दिलजली सुनाओ ।"


- " अरे यह किस चीज का नाम लिया है अंकल- आप हजारों साल तक जिएं। हां तो मुनि श्री विकासचंद्र ठाकुरजी पेश करते हैं एक नई दिलजली - जिसे बिना किसी से कर्ज लिए अर्ज किया ।"


अलफांसे मुस्कराया-क्योंकि कहने का ढंग और एक्टिंग ठीक विजय की भांति थी । अलफांसे की मुस्कराहट से लापरवाह विकास दिलजली सुना रहा था ।


"जुल्फें आपकी ऐसी लगती है, माथे पर बिखरने के बाद।"


"वाह मियां दिलजले, लगता है तुम उस साले जासूस की छुट्टी कर दोगे... हां तो क्या कह रहे थे जुल्फें । पहले की तरह ही दाद देता हुआ बोला । " अलफांसे


- "हां तो क्राइमर अंकल, मैं आपको सुना रहा था कि-जुल्फें आपकी ऐसी लगती हैं - माथे पर बिखरने के बाद | शराबी जैसे लगता हैं-नाली में गिरने के बाद । "


- "बहुत खूब मियां दिलजले, बहुत खूब! " अलफांसे हंसता हुआ बोला ।


"हां तो अंकल, अगली साहित्यिक चीज पेश है ।' विकास ठीक विजय की भांति अकड़कर बोला ।


"यानी कि चीज गंभीर होगी ।'


"अजी नहीं.. . एक ऐसी दिलजली - जिससे आपके दिल से लपटें उठने लगेंगी ।" विकास की एक-एक हरकत में विजय छाया हुआ था ।


- "क्या झकझकिए अंकल से बात करना चाहते हो? अलफांसे ने बात बदली ।


"कैसे...मैं उनसे बातें कर सक्ता हूं । कहां हैं वह ? "


"वे यहां नहीं हैं, लेकिन बात कर सकते हो।" - "कैसे क्राइमर अंकल?'' विकास बहुत बहुत अधिक उत्सुक था।


"मैंने तुम्हें ये चालू करना सिखाया था ना?" अलफांसे ने ट्रांसमीटर उसके सामने रखकर कहा ।


- "हां... याद है ।"


"चालू कर सकते हो?"

- "यस!"


"पहले क्या करोगे?"


"पहले इस बटन को दाएं घुमाऊंगा फिर ये एरियल बाहर निकालूंगा ।" विकास को सब कुछ याद था ।


"तुम चालू करके सुई को पचास वाले अंक पर ले आना । बस तुम अपने झकझकिए अंकल से बात कर सकते हो।" 


और फिर !


विकास ने ऐसा ही किया ।


कुछ समय उपरांत ट्रांसमीटर पर दूसरी ओर से वास्तव में विजय की आवाज उभरी ।


- हैलो.. विजय हियर !"


- - "प्रणाम झकझकिए अंकल । '


"अबे.. . कौन.. .विकास! " विजय का चौंकता-सा स्वर ।


"अंकल...! मैं क्राइमर अंकल के साथ रामनगर में हूं!"


और विकास का यह कहना था कि अलफांसे के कान खड़े हो गए । वह फुर्ती के साथ झपटा और झपटकर उसके हाथ से ट्रांसमीटर छीन लिया और बोला- "प्यारे जासूस... तुम्हारा ये विकास बड़ा बदमाश हो गया है । "


'अबे लूमड़. . हैलो.. .हैलो ! " विजय कहता ही रह गया और अलफांसे ने संबंध-विच्छेद कर दिया ।


"अंकल.. .बात क्यों नहीं करने दी?" विकास मासूम-सा मुंह बनाकर बोला । 


"बेटे दिलजले! " मुस्कराता हुआ अलफांसे धीमे से बोला- "हो तुम भी विजय की तरह नंबर एक बदमाश, जरा-सा अवसर मिला नहीं कि विजय को पता भी बता दिया ? "


"आप भी मेरी चालाकी ताड़ गए अंकल ? " विकास शरारत के साथ बोला ।


"मैं तुम्हारा अंकल हूं बेटे ।" अलफांसे मुस्करा उठा ।


वैसे उसे एक बार फिर मानना पड़ा कि विकास तीव्र बुद्धि रखता है, न जाने क्यों विकास की चतुराइयां देखकर अलफांसे को अथाह प्रसन्नता हो रही थी । सफलता की सीढ़ियों पर चढ़ते विकास को देखकर वह अत्यंत प्रसन्न हो रहा था ।


वैसे अब वह जान गया था कि कुछ ही देर में विजय रामनगर में होगा ।


कुछ समय उपरांत!


अलफांसे ने विकास से पूछा ।


-"क्यों विकास, क्या तुम जैक्सन को जानते हो?" "क्यों नहीं जानता अंकल... वो तो कितनी सुंदर आंटी हैं, कितना अच्छा मुकुट लगाती हैं, वो मेरी हर बर्थ-डे पर आती हैं.. उनके मुकुट में जो वो चमकीली-सी रेखा (किरण) निकलती है उसमें बांधकर वह मुझे हवा में घुमाती हैं।"


- "क्या वह तुम्हें बहुत अच्छी लगती है ? "


-"हां!"


- "विकास अगर वह मुझे, तुम्हें और तुम्हारी मम्मी के साथ-साथ झकझकिए अंकल को भी मारना चाहे तो ?"


- ''ऐसा वह क्यों चाहेंगी ?"


- "वह ऐसा ही चाहती है... आदमियों के जला देती है । " -''फिर तो मैं उन्हें गोली से मार दूंगा ।"


-"शाबाश!" अलफांसे मुस्कराकर बोला- "तुमने मर्डरलैंड का नाम सुना है ?''


-''हां, वहीं की तो राजकुमारी हैं जैक्सन । "


- "मालूम है, वह मर्डरलैंड में क्या करती हैं ?" 


-"नहीं !"


-"क्या तुम साइंस पढ़ते हो ?"


-''हां!''


- तुम्हारे टीचर ने बताया होगा कि साइंस बहुत अच्छी चीज है।"


- "हां अंकल.. . यह भी बताया था कि कुछ ऐसे गंदे

आदमी होते हैं जो साइंस से लोगों को मार भी देते हैं जैसे एक बार हमारे मोहल्ले में एक आदमी ने एक औरत को

तेजाब से मार दिया था ।"


"हां.. बिल्कुल ठीक... और तुम्हें यह नहीं पता कि वह जैक्सन भी साइंस से बहुत से आदमियों को मारना चाहती है । वह अपने देश मर्डरलैंड में साइंस की ऐसी-ऐसी चीजें तैयार कर रही है, जिससे सब मर जाएं।"


- "सच क्राइमर अंकल! "


"सच बेटे! " अलफांसे बड़ी बारीकी से विकास के छोटे-से दिमाग में मर्डरलैंड और जैक्सन के प्रति घृणा भर रहा था। अगर वह विकास के दिमाग में सब बातें बैठाने में सफल हो गया तो वास्तव में विकास मर्डरलैंड का दुश्मन बन जाएगा ।


- "अगर तुम उसके मर्डरलैंड में चले गए तो क्या करोगे?"


- ''मैं मर्डरलैंड में आग लगा दूंगा- जिससे हम सब मरने से बच जाएं।"


"वेरी गुड ! " अलफांसे खुश होता हुआ बोला- "इस तरह तुम सबको बचा लोगे।''


और फिर उसके बाद!


अलफांसे तरह-तरह की बातों से विकास के हृदय में जैक्सन के प्रति पूणा के भाव भरता रहा और मर्डरलैंड का दुश्मन तैयार करता रहा।


***


रामनगर !


रामनगर का एक होटल था, अत्यंत प्रसिद्ध होटल कैसीनो।


बड़े ही मौके का था यह होटल... एक ओर अथाह समुद्र ठहाके लगा रहा था और दूसरी ओर बाजार था । जलमार्ग से आने वाले विदेशी यात्री इसी होटल में ठहरते थे ।


इस होटल के हॉल में ।


अलफांसे और विकास ।


दोनों नाश्ता कर रहे थे साथ ही विकास अपनी मनोरंजक बातों से अलफांसे का खूब मनोरंजन कर रहा था । अलफांसे रह-रहकर उसकी बातों पर ठहाके लगा देता ।


वैसे मर्डरलैंड के प्रति अब विकास के हृदय में गहन नफरत थी । अलफांसे ने उसे पूर्णतया मर्डरलैंड का दुश्मन बना दिया था। कैसीनो में दिन में भी प्रोग्राम होते थे ।


अतः!


तब ।


जबकि हॉल में उपस्थित समस्त सीटें भर गई ।


हॉल के दरवाजे बंद कर दिए गए...अंदर अंधेरा हो गया । प्रकाश था सिर्फ स्टेज पर ।


और फिर!


स्टेज पर प्रोग्राम जारी हुआ.. कुछ विचित्र - सा प्रोग्राम ! प्रोग्राम का नाम था 'आत्माओं का मिलन' । नाम की तरह नाटक भी कुछ डरावनापन लिए हुए था


इधर विकास बड़े ध्यान से सब कुछ देख रहा था, किंतु साथ ही अलफांसे के कान भी खा रहा था । अलफांसे उसकी बातों में निरंतर लुत्फ ले रहा था ।


अचानक!


अलफांसे ने कुछ विचित्र-सा महसूस किया !


उसने कुछ समझने का प्रयास किया कि तभी विकास बोला- "क्राइमर अंकल ! "

- "हूँ।"


- "गर्मी लग रही है । "


अब अलफांसे बुरी तरह चौंका! वास्तव में पहले की अपेक्षा गर्मी वह भी महसूस कर रहा था। उसके दिमाग में बिजली-सी कौंध गई। उसके विवेक को झटका-सा लगा । व्यूमिरान की घटना उसके मानस पटल पर उभर आई ।


"विकास... मेरे साथ आओ ! " 


वह विकास का हाथ थामकर बाहर की ओर लपका । वह जान चुका था कि आने वाले कुछ ही क्षणों में रामनगर तबाह होने जा रहा है।


गर्मी अन्य सभी व्यक्तियों ने महसूस की थी- प्रोग्राम थम गया । हॉल प्रकाश से जगमगा उठा । सहसा लोगों में भगदड़ मच गई ।


"प्यारे विकास...जानते हो यह क्या हो रहा है? " भागता हुआ अलफांसे बोला ।


"क्या है अंकल?"


- "ये सब जैक्सन कर रही है वह इस शहर को तबाह करना चाहती है ।"


"लेकिन अंकल, क्यों?


- "इसलिए कि वह पागल हो गई है। " अलफांसे निरंतर भागता हुआ बोल रहा था ।


तब-जबकि वे बाहर आए ।


बाहर का दृश्य अत्यंत ही खौफनाक था.. रोगटे खड़े कर देने वाला, अत्यंत भयानक... वे दोनों हैरान रह गए ।


समस्त वायुमंडल लाल था । इमारतें दहक रही थी। लोग चीख रहे थे । प्राण बचाने हेतु इधर-उधर भाग रहे थे किंतु हर तरफ उजाला.. .हर तरफ आग... वातावरण ऐसा लग रहा था-मानो सूरज के सामने लाल कागज लगा दिया गया हो । हर तरफ गर्मी... चारों तरफ आग... सूर्य.. वातावरण, गर्म-ही-गर्म  सभी कुछ गर्म ।


- अलफांसे जैसे शातिर की भी खोपड़ी घूम गई इस मुसीबत से निकलने का रास्ता उसे सुझाई नहीं दे रहा था। सहसा विकास चीखने लगा.. . अधिक गर्मी वह सहन न कर सका था ।


अलफांसे ! एक जीनियस व्यक्ति भी कांपकर रह गया । इस मुसीबत से छुटकारा पाने का कोई तरीका उसे नजर नहीं आ रहा था.. . उसका सारा शरीर जलने लगा... पसीने से वह तर हो गया.. . गर्मी क्षण-प्रतिक्षण बढ़ती ही जा रही थी । उसे लगा जैसे आज वह इस भयानक मौत का शिकार हो जाएगा ।


विकास!


नन्हा विकास चीख रहा था - 'अंकल... अंकल!' करके सहायता के लिए पुकार रहा था.. . उसके बदन से मानो ज्वाला निकल रही थी ।


समस्त रामनगर में कोलाहल था... चीखते हुए इंसान इधर-उधर भाग रहे थे ।


"अंकल... अंकल...!" चीखता हुआ विकास बोला-' 'गर्मी लग रही है... समुद्र में चलो नहाने को मन कर रहा है.."


"अंकल, चलो ना ।"


और अंलफासे के दिमाग को एक झटका-सा लगा । उसके दिमाग में विकास के शब्द जम गए... ऐसा लगा-जैसे विकास की जुबान पर भगवान बोल रहे ही... सागर! फिलहाल यही एक साधन था जिससे वे फिलहाल इस प्रकोप से बच सकते थे । अलफांसे ने कुछ भी सोचने में एक क्षण भी व्यर्थ नहीं किया-बल्कि बिना विलम्ब के अत्यंत फुर्ती के साथ विकास का हाथ थामकर भागा ।


अलफांसे आश्चर्यजनक तीव्रता के साथ दौड़ा- जब विकास उसका साथ न दे सका तो उसने विकास को गोदी में ले लिया और सागर की ओर भागा ।


दोनों के जिस्म तप्त तवे से हो रहे थे ।


एक क्षण का विलम्ब भी उन्हें मौत के मुंह में पहुंचा सकता था ।


रामनगर में उपस्थित समस्त व्यक्ति जलन से पीड़ित थे और चीखते हुए इधर-उधर दौड़ रहे थे । अलफांसे निरंतर तूफान की भांति दौड़ रहा था... उसका ध्यान सागर की ओर था । और फिर!


इससे पूर्व कि उनके जिस्म पूर्णतया जल पाएं-वे सागर तक पहुचने में सफल हो गए और अगले ही पल वे सागर के भारी खारे जल में तैरने लगे ।


तैरना अलफांसे ने विकास को सिखा ही दिया था ।


दोनों लगातार तैर रहे थे.. अलफांसे ने विकास की सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा हुआ था... उनके हाथ-पैर तेजी के साथ चले और वे निरंतर सागर के मध्य की ओर तैर रहे थे।


जलन और तपन लगभग समाप्त हो चुकी थी ।


और तब-जबकि वे सागर में काफी आगे निकल आए । वे थम गए और घूमकर रामनगर की ओर देखा- समस्त रामनगर रक्तरंजित था... इमारतें.. सड़के, माहौल इत्यादि, सभी कुछ दहक रहा था । ठीक इस तरह, मानो कोयले दहक रहे हों ।


एक अन्य आश्चर्यजनक दृश्य !


बड़ा ही खौफनाक था यह दृश्य.. बिल्कुल अविश्वसनीय, किंतु कठोर यथार्थ !


सब कुछ उनके सामने था ।