अध्याय ४३

“मैं एक ऐसी रेखा की कल्पना करता हूँ, जिसका रंग सफ़ेद है, और जो रेत और समुद्र से होते हुए, मुझे और तुम्हें जोड़ती है।”

– जोनाथन सफरान फोएर

गाज़ा में एमा और डेविड ग्लास के लिए यह अविश्वास से भरा सप्ताह था। बद-अमनी, मौत और चारो ओर तबाही से भरा सप्ताह। उनकी यह महागाथा, अपने अंजाम तक पहुँचने के करीब थी। अब तो सशस्त्र मदद भी आ रही थी।

सीएच – ४७ चिनूक टैंडम रोटर हेलीकॉप्टर, दिन के उजाले में २८० किमी प्रति घंटे की रफ्तार के साथ बादलों के नीचे धड़धड़ाता हुआ उड़ रहा था। डबल इंजन और दो रोटार के साथ विशाल कैप्सूल के आकार की मशीन मुख्य रूप से एस्कॉर्ट कर्मियों, मदद, राशन या घायलों को ले जाने के लिए तैनात की गई थी।

अंदर, अमेरिकी ध्वज को गद्देदार छत पर बीच में चिपकाया गया था। हेलीकॉप्टर में अंदर, हरे रंग के बैगों का ढेर छत से बांधा हुआ था।

डोलोरेस और हेदर के साथ नेवी-सील टीम को दीवार के साथ फिक्स की गई सख्त बेंचों पर सीधा बैठाया गया था। उनके सीट बेल्ट कसे हुए, हेलमेट उतरे और बंदूकें आराम से रखी हुई थीं।

भीषण गर्मी में सभी को बहुत पसीना आ रहा था। रयान, रोनाल्ड, केसी और काइल बहुत अधिक सतर्क होकर बैठे थे। उनकी आँखें स्थिर और जबड़े कसे हुए थे। मिशन जटिल और संभवतः घातक था। केवल मुट्ठी भर नौ-सैनिकों के साथ एक युद्ध-ग्रस्त देश के अंदर, एक सर्जिकल स्ट्राइक में शामिल होना सबसे चुनौतीपूर्ण कार्य था।

रोनाल्ड, डोलोरेस को एकटक इस तरह से देख रहा था कि डोलोरेस को इसका अहसास हो गया और उसने उसे पलटकर देखा।

इंजन के शोर के कारण उसकी आवाज़ ठीक से सुनाई नहीं पड़ी, “इससे पहले कभी भी इतने हाई-लेवल सीआईए के कार्यकारी अधिकारी ने मरीन्स के साथ लड़ाई में इस तरह उड़ान नहीं भरी।”

“कुछ काम ऐसे होते हैं, जिन्हें खुद को ही अंजाम देना होता है।” बातचीत करने के मूड के साथ डोलोरेस ने जवाब दिया।

“हाँ… सही कह रहे हैं।” उसने सहमति व्यक्त की।

“तुम्हें कैसा महसूस हो रहा है, जवान?” वह रुकी, उसे उसका नाम याद नहीं आया।

“रोनाल्ड… रोनाल्ड हैम। मैं अच्छा हूँ, बस थोड़ा तनाव में हूँ। हम कभी नहीं जानते कि जंग में आगे क्या होगा?”

“हाँ,” उसे भी अपनी गलतियाँ और बदकिस्मती याद आयी।

“क्या आपने कभी किसी जंग में भाग लिया हैं?” उसने उत्सुकता से पूछा।

“हाँ, ज़रूरत पड़ने पर। लेकिन अभी कुछ समय से नहीं। क्या तुम लोग कभी घायल हुए हो?” उसने बातचीत को थोड़ा सामान्य बनाने को कोशिश की।

केसी, काइल और रयान भी वार्ता में शामिल हो गए। डोलोरेस ने सभी को एक नज़र देखा।

केसी ने पहल की, “रोनाल्ड एक ऐसा आदमी है, जिसे आज तक कोई ज़ख़्म नहीं मिला है।” चारों, बातचीत को और आगे बढ़ाते हुए। “काइल वॉल्श को यहाँ उसके कूल्हे और जांघ में गोली लगी थी।” उसने मुँह दबाकर हँसकर काइल की पीठ थपथपाते हुए कहा।

“भाड़ में जाओ!” काइल ने उसका हाथ दूर झटक दिया।

“ओह।” डोलोरेस ने एक सहानुभूतिपूर्ण प्रतिक्रिया की।

केसी ने जारी रखा, “रयान को अल-कायदा के साथ हाथापाई में दो बार छुरा घोंपा गया था।”

“मेरी गर्दन और मेरी पीठ पर।” रयान ने अपने निशान को हाथ से थपथपा कर बताया।

“हम मोटी चमड़ी के, कमीने हैं।” केसी हँसते हुए बोला।

“ऊराह!” उन सभी ने मरीन कॉर्प्स द्वारा जंग के दौरान दोहराया जाने वाला नारा लगाया।

तभी मेज़र रॉकफोर्ड कॉकपिट से टहलता हुआ बाहर आया। सभी चुप हो गए।

“हम अपने लैंडिंग पॉइंट पर पहुँच रहे हैं।” उसकी आवाज़ कठोर थी। “तैयार रहो और सुनो। हम इस मिशन को इस तरह से दक्षता के साथ निष्पादित करेंगे कि जब तक तुम पर कोई हमला नहीं करता, तब तक किसी पर कोई वार ना करे। दूसरे शब्दों में, इस बचाव मिशन को जहाँ तक मुमकिन हो, बिना किसी खून-खराबे के अंजाम तक पहुँचाएंगे। सभी समझ गए?”

“ऊराह!” उन्होंने यंत्रवत नारा लगाया।

“डोलोरेस, तुम कुछ कहना चाहती हो?” रॉकफोर्ड ने उसे मौका दिया।

उसने एक सपाट चेहरे के साथ उसकी ओर शून्यभाव से देखा और गला साफ़ करने के बाद कहा,

“युद्ध और शांति का विरोधाभास योद्धाओं के दिल में चलता रहता है। बुराई भी, एक अर्थ के लिए होती है। लेकिन इसकी आत्मा स्वयं की कैदी होती है। दूसरी ओर… प्रेम स्वतंत्रता है, निष्ठुरता से मुक्त है और हम स्वतंत्रता, समानता और न्याय के लिए लड़ रहे हैं। हमने अनगिनत लोगों की आहुति इस अभियान में दी है। लेकिन हम इन दोनों को नहीं खो सकते। बहादुरों…अपने काम को बखूबी अंजाम देते हुए, उन्हें सुरक्षित घर वापस लेकर आओ।”

रॉकफोर्ड ने अंतिम आदेश सुनाते हुए पूछा, “मरीन्स, कोई शक? अपने सामान की जाँच करलो।”

सबने अपने हेलमेट पहन लिए, अपनी बंदूकें सम्भाल लीं और अपनी राइफल्स के मुँह पर साइलेंसर फिट कर लिए। डोलोरेस ने भी ऐसा ही किया।

डोलोरेस ने खिड़की के बाहर नज़र डाली। दोपहर का समय हो रहा था, आसमान पूरी तरह साफ़ था। आसमान की खूबसूरती ने डोलोरेस को उसकी पत्नी की याद दिला दी। जीवन के अंधेरे में, मेडो उसकी रोशनी थी। उसने अपना फोन निकाला और एक संदेश टाइप किया।

मैं यह कहने से कभी नहीं शर्माती कि मैं तुमसे कितना प्यार करती हूँ। तुम्हारे बिना, मैं अधूरी हूँ। लेकिन मैं तुमको अपना समय देने में विफल रही हूँ। तुम हमेशा मेरी खामियों को सहन करने और मुझे माफ़ करने की खूबी के लिए बहुत प्यारी हो। मैं हमेशा एक दिन जल्दी घर आने के बारे में सोचती हूँ और घर में पका हुआ खाना और कुछ गुलाबों के साथ तुमको चकित करना चाहती हूँ। लेकिन फिर, मैं उन अनगिनत परिवारों के बारे में सोचती हूँ, जिनके पास घर या यहाँ तक कि घर आने के लिए कोई वजह नहीं है। कितने माता-पिताओं ने अपने बच्चों को खो दिया है। बच्चे, परिवार के बिना बड़े हो रहे हैं। कई परिवार पूरी तरह ख़त्म हो गये, कोई भी उनकी सुध लेने वाला नहीं बचा। मैं अपने आप को उनके स्थान पर रख कर देखती हूँ तो पाती हूँ कि उनके लिए सब कुछ खोना कितना दर्दनाक है। मुझे आशा है कि तुम मेरे द्वारा किए जाने वाले त्याग को समझोगी, ये सब बिना किसी अपेक्षा के, प्रेम के कारण कर रही हूँ। एक प्यार जो तुम और मैं आपस में बाँटते हैं। एक प्यार जो अन्याय के ख़िलाफ़ मेरी लड़ाई को परिभाषित करता है। मुझे आशा है कि तुम्हारे साथ नहीं होने के लिए तुम मुझे माफ़ कर दोगी।

दिल से,

डोलोरेस


डोलोरेस माइकल और मेडो फॉय के घर के अंदर रोशनी मद्धम थी। केवल कुछ लैंप से लिविंग रूम रोशन था। भव्य कमरे में आरामदायक सोफे, केंद्र में एक अलंकृत पारदर्शी कॉफी टेबल, एक महंगी ग्रे-कालीन और एक चिमनी थी।

जब डोलोरेस चली गयी थी तो, मेडो को अकेलापन खाए जा रहा था। निरंतर अकेलेपन का सामना करते हुए, किसी से मिलने के लिए वह तरस गई थी। सौभाग्य से, उसके कॉलेज की एक पुरानी दोस्त ने आज उसे याद किया, तो मेडो ने उसे वाइन और डिनर के लिए आमंत्रित कर लिया। मेडो एक परिपूर्ण मेज़बान का किरदार निभा रही थी। उसे खुशी थी कि उसकी मेहमान समझदार और मज़ाकिया थी। उसने और उसके मेहमान ने कई सालों पहले, दो सप्ताह का वक़्त, एक साथ आनंदपूर्वक बिताया था। पर अब वह इतिहास की बात थी।

रेड वाइन का एक गिलास पकड़े हुए, मेडो ने अपनी पत्नी का एक अजीब संदेश पढ़ा और वह व्याकुल हो गई।

उसकी मेहमान, बेथ शेर ने उसके फोन पर एक नज़र डाली। बेथ की आँखें, उसे प्यार से देखती ही रह गयी। मेडो का छह फुट लंबा, विराट चित्र, उसके कंधों पर गिरते काले बाल, उसकी भूरी आँखें और उसके उभरे गालों को बेथ कभी भुला नहीं पायी। मेडो के लिए उसका प्यार एक यौनेच्छा से कहीं अधिक था। मेडो सौंदर्य और चरित्र की एक आदर्श मिसाल थी।

बेथ ने मेडो से तब तक दूरी बनाये रखने का प्रयास किया, जब तक कि डोलोरेस को पूरी तरह से तबाह नहीं कर देती। लेकिन यह जानने के बाद कि डोलोरेस स्वयं गाज़ा में उड़ान भर रही थी, उसने शेखचिल्ली की तरह कई सुन्दर सपनों की कल्पना सजा ली, जो मेडो को उसके करीब ला सकती थी। क्या होगा, अगर डोलोरेस मर जाती है? यह कितनी ख़ुशनुमा बात होगी। इसलिए, उसने खुद को मेडो के जीवन में वापस लाने के लिए अपना कदम बढ़ाने का फैसला किया। मुसीबत के वक़्त उसे अपने कंधे का सहारा देने के लिए, इस कठिन परीक्षा की घड़ी में बेथ का वहाँ होना इसलिये अपेक्षित था क्योंकि, मेडो एक उपेक्षित विवाहिता थी।

चिंतित स्वर के साथ, मेडो ने पूछा, “क्या डोलोरेस के साथ सब कुछ ठीक-ठाक है?”

“बिलकुल,” बेथ ने उत्तर दिया। “वह सिर्फ़ एक राजनयिक मिशन में शामिल है। मैं तुमको इसके बारे में अधिक नहीं बता सकती, क्योंकि तुम जानती हो, वे हमें किसी और के मिशन के बारे में कभी कुछ नहीं बताते हैं। हालाँकि मुझे चिंता नहीं है, मुझे यकीन है कि उसके साथ सब कुछ ठीक है।“

“हाँ, तुम शायद सही हो। मुझे खुशी है कि तुम आज रात यहाँ आई।”

“मुझे भी,” मेडो के कंधे पर अपना हाथ रखते हुए बेथ ने जवाब दिया।

अध्याय ४४

“रहस्योद्घाटन, क्रांतियों से ज़्यादा ख़तरनाक हो सकते हैं।”

– व्लादीमीर नाबोकोव

“वे कहाँ हैं?” उन्हें छुपा दो।” सुल्तान ने ओमार के कान में फुसफुसाकर कहा। नींद पूरी नहीं होने के कारण उसकी आँखें सूजी हुई थी।

“छत पर।” ओमार ने भी धीरे से फुसफुसाकर जवाब दिया।

“अच्छा है। उन्हें वहीं रखो, किसी को दिखने ना पाए।”

लड़ाकों की बड़ी संख्या देखकर एमा हतोत्साहित हो रही थी। ओमार ने सुल्तान के हुक्म का पालन करते हुए, डेविड और एमा से ऊपर ही रहने को कहा। सकीना और आफ़रीन भी उन्हीं के साथ थी।

कल भी इसी तरह की भीड़ थी, जिसके कारण जॉर्ज के प्राण गए। डेविड ने एमा को गले लगाते हुए सांत्वना दी और कहा “हमारी ज़िंदगी, उनके लिए बहुत कीमती हैं। सुल्तान हमको ज़िन्दा बचाकर रखने का बहुत प्रयत्न करेगा, ख़ासकर उसके अपने आदमियों से।” एमा को डेविड की बातें सुनते हुए उसकी गर्म बाँहों में लिपटे होना सुकून दे रहा था।

वक़्त की कमी और ज़रूरी कामों को अंजाम देने की मज़बूरी के कारण, सुल्तान को ओमार के इस छोटे से घर में मीटिंग रखना पड़ी। उसकी योजनाओं को अंजाम देने के लिए, अधिकारियों का उसके ऊपर लगातार विश्वास होना ज़रूरी था, ताकि ज़रूरत के लिए धन लगातार आता रहे। सुल्तान हमेशा अपने हक से ज़्यादा ही चाहता था, लालच ही उसका मूल स्वभाव था।

पाँच लोग लिविंग रूम में इकठ्ठा हुए। बाकी सब भीड़ में शामिल हो, सड़क पर चुपचाप खड़े हो गए।

एमा, डेविड, सकीना और आफ़रीन लिविंग रूम में रोशनी आने के लिए छोड़े गए रोशन दान के पीछे छुपकर खड़े थे। लिविंग रूम में हो रही बातचीत को लगभग दस फुट ऊपर छत पर, स्पष्ट रूप से सुना जा सकता था।

नीचे स्थानीय भाषा में हो रही बातचीत को सुनकर, एमा ने उत्सुकता पूर्वक पूछा।

“वे किस बारे में बात कर रहे हैं?”

“मुझे देखने दो।” सकीना बोली। वह थोड़ा पास जाकर झुकी, लेकिन उसने इसका ध्यान रखा उसकी छाया नीचे लिविंग रूम में नहीं जा सके। जैसे-जैसे मीटिंग आगे बढ़ती जा रही थी सकीना, एमा और डेविड को नीचे हो रही बातों को अंग्रेजी में समझा रही थी।

“तुमने किस तरह की मिसाइल खरीदी है?” ये तो खाली मैदानों में गिर, गिर कर फट रहीं है?” एक अंजान आदमी ज़ोर से बोला।

सुल्तान ने ज़ोर से कहा, “७३५ – कासम और एम्-७५ बहुत अच्छी मिसाइलें हैं।”

“लेकिन यहूदी उन्हें बीच में ही नष्ट कर देते है।” वह भुनभुनाया।

“देखो किस तरह से हम फ़िलिस्तीनियों के खून का बदला चुका रहे हैं?” एक बूढ़ा आदमी बोला।

अपने हाथ आगे करते हुए सुल्तान बोला, “भरोसा रखो, तुम मुझे अच्छी तरह से जानते हो, मेरा बदला लेने का तरीका तुम जितना सोचते हो, उससे कहीं अधिक ख़तरनाक है।”

“सुल्तान ने सही फरमाया।” उसके बाजु में बैठे एक अन्य आदमी ने कहा।

“देखो, हमारे द्वारा बनाई गई टनल्स इतनी तगड़ी हैं कि किसी और ने आज तक इतनी लम्बी और मज़बूत टनल नहीं बनाई होगी।”

कमरे में जमा सभी ने सहमति में हामी भरी।

“टनल्स?” एमा ने अचंभित होते हुए पूछा।

सकीना ने उसे चुप रहने का इशारा किया। वह नीचे हो रही बातचीत पर ज़्यादा ध्यान लगा रही थी, बनिस्बद उन्हें अंग्रेजी में समझाने के।

उनमें से एक ने पूछा, “क्या हम तैयार हैं?”

“इसके पहले कि उन्हें हमारी सारी योजना का पता चले, हमें तैयार रहना ही होगा। हम अचानक हमला कर उन्हें अचंभित कर देंगे।” सुल्तान ने सुझाव देते हुए कहा। हमेशा की तरह उसकी आँखों में घमंड झलक रहा था।

“हम खुशनसीब हैं कि तुम्हारे घर के नीचे बने ख़ुफ़िया रास्ते का, उनको पता नहीं चला।” उसके बाजू में बैठे एक आदमी ने कहा।

“मेरी भतीजी घर के नीचे मलबे में दब गई थी, उसे ओमार ने बाहर निकाला। उन कुत्तों को हमारे खून की बहुत भारी कीमत चुकानी होगी।” कहते हुए, सुल्तान का चेहरा घृणा से भर गया।

“ईरान से हमारे लिए मैं, बहुत सारा पैसा और हथियार हासिल करूँगा।”

“ईरान” शब्द सुनकर एमा चेहरे पर हैरानी के भाव आये। अंत में, सुल्तान के लिए फण्ड इकठ्ठा करने के बारे में बात होती रही। सभी उसकी बातों से सहमत नज़र आये, वह एक बहुत चतुर सेल्समेन था। उसकी योजनायें, हमेशा लुभावने छलों से भरी होती थी, वह बहुत ही शातिर कूटनीतिज्ञ भी था। वह पैसों से सम्बंधित सभी मामले हमेशा अपने हाथ में रखता था, जिससे उसकी खुद की जेब भी भरी रहे। उसके मन में धनाढ्य बनने की उत्कंठा, बहुत प्रबल थी, और युद्ध हमेशा ऐसे ही लोगों को फायदा पहुँचाते रहे हैं।

आफ़रीन ने सकीना का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उसके पेट पर गुदगुदी की।

नीचे, सुल्तान ने अपने आदमियों को निर्णायक आदेश देते हुए कहा, “आज रात ही हमला किया जाये।”


मीटिंग ख़त्म हो गई। सभी अनचाहे मेहमानों को छोड़कर, केवल सुल्तान ही वहाँ रह गया। उसने ओमार के लिविंग रूम में बैठ कर, ओमार से उसके बंधकों को लाने को कहा। ओमार उन्हें नीचे ले आया। उनकी ओर देख कर, उसने बनावटी सांत्वना देते हुए कहा, “तुम्हारे साथी की मौत का मुझे अफ़सोस है।”

एमा और डेविड ने हल्का सा सर हिलाकर उसे स्वीकार किया। वे हाथ बांधकर खड़े हुए थे।

“तुमने मेरी भतीजी की जान बचाई। तुमने अपने आप को हमारा ख़ैरख़्वाह बताया है और काम भी वैसा ही किया है।”

दोनों शोक में डूबे हुए चुपचाप खड़े थे।

डेविड ने नीचे देखते हुए कहा, “प्लीज हमें यहाँ से जाने दो।”

“क्या गाज़ापट्टी में तुम्हारी मेहमान-नवाजी ठीक से नहीं हो रही?” सुल्तान ने उसका उपहास करते हुए कहा।

“जंग अभी भी घमासान रूप से जारी है; बमबारी और तेज होने वाली है। कोई मदद नहीं आ रही, मिस्टर ग्लास, जब तक मदद नहीं आ जाती, तुम हमारे मेहमान रहोगे।”

“हम यहाँ नहीं रह सकते, हम एक दिन और यहाँ रहे तो मर जायेंगे।” एमा ने डोलोरेस को खतरे से बचाने के लिए अंतिम प्रयास करते हुए अपना पक्ष रखा।

“चलो मैं तुम्हारी बात मान लेता हूँ।” उसने व्यंग्य करते हुए कहा। “और इसीलिए मैं तुम्हें, ‘खान यूनीस’ भेज रहा हूँ।”

एमा का दिल, एक पल को जैसे धड़कना भूल गया।

ओमार ने उसकी इस बात पर कहा, “ऐसे हालात में इनको यहाँ से कैसे निकालेंगे?”

उस पर सुल्तान बोला, “वहाँ पर अभी कोई बमबारी नहीं हो रही है, ख़ासकर सकीना की अम्मी के घर के आसपास। यहूदियों ने कुछ वक़्त के लिए युद्ध-विराम के लिए सहमति भी दी है। जल्दी निकलोगे तो, जल्दी वहाँ पहुँचोगे। मैं तुम्हारे साथ कुछ गार्ड्स भी भेज देता हूँ।

एमा ने सोचा, डोलोरेस यहाँ आ रही है, मैं इस जगह को नहीं छोड़ सकती।

उसने दृढ़ता से कहा, “हम तुम्हारी बात नहीं मान सकते।”

“किसने कहा कि तुम्हारे पास कोई और रास्ता है?” सुल्तान ने धमकी भरे लहजे में कहा।

एमा ने अपने गुस्से को चेहरे पर आने से रोका, लेकिन उसकी आँखों से गुस्सा बयां हो गया। तभी अचानक एक कम उम्र लड़का वहाँ दौड़ता हुआ आया और उसने घबराते हुए सुल्तान के कान में फुसफुसाकर कुछ कहा। सुनते ही सुल्तान की आँखें आश्चर्य से चौड़ी हो गई और उनमें कुछ डर भी दिखाई दिया। वह जल्दी से उठा और दरवाज़े की ओर बढ़ा। वह दरवाज़े पर जाकर वापस मुड़ा, उसके चेहरे पर नाराज़गी के भाव आये, वह बोला, “ओमार, अगर ये नहीं मानते, तो इन्हें ख़त्म कर देना।” अपने अहंकार की तुष्टि के लिए, उसने ये शब्द कहे, और वहाँ से चला गया।

एमा ने आतंकित हो, दरवाज़े के बाहर झाँकते हुए सोचा, इस कमीने सुल्तान की निर्दयता की कोई भी सीमा नहीं है।

अध्याय ४५

“चातुर्य एक ऐसी क्षमता है, जिसके द्वारा आप किसी को भी नर्क में जाने के लिए सहर्ष तैयार कर सकते हैं।”

– विंस्टन चर्चिल

एक बुरा दिन और सबकुछ ख़त्म हो जाता है। एक ऐसा बीता हुआ क्षण जो कभी नहीं लौटता, लेकिन यह आपके दुःख को परिभाषित कर जाता है। ऐसा दुःख जो अनंत काल तक आपको सताता रहेगा। जीवन क्षण-भंगुर और परिवर्तनशील है। एक ख़राब फ़ैसला, और नर्क धरती फाड़ कर ऊपर आ जाता है फिर आप अपने जीवन के लिए एक अभूतपूर्व संघर्ष में उलझ जाते हैं।

एमा युद्ध के बारे में सोचने लगी। इसमें कितनी अनुचित और अन्यायपूर्ण परिस्थितियाँ निर्मित हो गई थीं। इस युद्ध के कारण, वह अपने उद्देश्य से ही भटका दिए गए थे। अन्याय के विरुद्ध उनके संघर्ष को हाशिये पर रख दिया गया था और ये एक ऐसी भूलभुलैया में तब्दील हो चुका था, जो मौत के दुष्चक्र में फँसाने के लिए रची गयी थी।

वे इस युद्ध को समाप्त करने का साधन खोजने के लिए गाज़ा आए थे। लेकिन, वे मुसीबतों के भँवरजाल में फँस कर रह गये। किस्मत उन्हें उम्मीद दिखाकर, फिर छीन रही थी।

सकीना, सुल्तान हमाद के साथ हुई बातचीत में मूक दर्शक बनी रही। उसने ग़लती से ही सही, लेकिन उन्हें बिदाई का एक अनमोल तोहफा दे दिया था। सकीना ने एमा को समझाया कि सुल्तान के आसपास नहीं रहने की स्थिति में उन्हें बचाया जाना कितना आसान होगा और वह भी मिस्र की सीमा के पास। चिंतन में, इसे डेविड ने भी बुराई में अच्छाई का होना जैसा पाया। एमा पहले तो ढुलमुल थी, लेकिन उसे अब डेविड के फैसले पर पूरा भरोसा हो गया था।

उन्होंने थोड़ा राशन और पानी पैक किया; वे जाने के लिए तैयार थे।

उमर ने वैन को साफ़ कर खून के धब्बों को मिटा दिया और फ्यूल – टैंक को भर लिया।

एमा के चेहरे के घाव ठीक हो गये थे। उसकी जीन्स घुटनों पर से फटी हुई थी। डेविड को बहुत दर्द हो रहा था, लेकिन वह अपने बाएँ हाथ से जैसे-तैसे काम कर रहा था। उसके कपड़े मटमैले और धूल भरे थे। सकीना और आफ़रीन गंभीर रूप से घायल नहीं थे, लेकिन उनके शरीर में बहुत जलन हो रही थी।

एमा बाथरूम में गई। अंदर, उसने अपना चेहरा धोया और डोलोरेस को एक मैसेज टाइप किया।

सुरंगें… हमास, कुछ बड़ा, इज़राइल पर हमला, आज रात।

योजना में बदलाव, खान यूनुस, सकीना की माँ के घर में। हमें ट्रैक करें।”

उसने बाहर कदम रखा और पता चला कि फ़ातिमा उसके लिए विदाई की प्रतीक्षा कर रही है। वह घुटनों के बल बैठ गई और फ़ातिमा को कस कर गले लगा लिया।

“शुकरन,” उसने धीरे से कहा। फ़ातिमा ने उसके गाल पर एक चुटकी ली, उसे राहत मिली कि उसने उसे मानसिक दुर्बलता की स्थिति से बाहर निकाला।

एमा वैन की ओर बढ़ी। डेविड और सकीना भी उसके साथ आ गए। आफ़रीन ने एमा की उंगली पकड़ ली। उमर पहले से ही ड्राइविंग सीट पर था; कोई गार्ड नहीं, बस वे ही थे।

चलते-चलते, एमा ने छत पर उस जगह एक नज़र डाली, जहाँ जॉर्ज ने अपनी अंतिम साँस ली थी।

वह इस बार खुद को संभालते हुए अपनी पूरी ताकत से कोशिश करती रही, कि वह रोए नहीं। साँझ ढल रही थी। वे कार में सवार हो गए।

एमा ने खिड़की से बाहर इस उम्मीद से झाँका, कि काश यह यात्रा उसके लिए गाज़ा की आख़री यात्रा हो?


बचाव दल, गाज़ा सिटी के अल-सुदानिया समुद्र तट पर सूर्यास्त तक पहुँचने वाला था। संयुक्त राष्ट्रसंघ के छोटे तट रक्षक जहाज, जिनसे उन्हें यहाँ पहुँचाया जाना था, उसमें केवल बीस लोग ही समायोजित हो सकते थे।

मेज़र रॉकफोर्ड और उनकी टीम ने घेराबंदी में फँसे शहर को देखा। ध्वस्त हुई इमारतों के खंडहर, धुएँ के बादल और टूटे हुए पैड़, किसी विनाशकारी कहानी के केनवास जैसे लग रहे थे। जहाँ तक उनकी आँखें देख सकती थीं, वहाँ कुछ भी बिना टूट-फूट के और काम करने योग्य स्थिति में नहीं था। ऐसा लगता था कि एक संपूर्ण-विध्वंस के बाद, चुपचाप यातना सहती हुई हज़ारों मृत आत्माओं को मानो, समुद्र तट ने अपने यहाँ शरण दे रखी हो।

संघर्ष उनके जीवन का एक अभिन्न अंग था, लेकिन ऐसा नहीं, इस तरह से तो बिलकुल भी नहीं। एक शहर के बीच में? जहाँ लोग आराम से भोजन कर सोते थे। उनके प्रशिक्षण और उनकी कल्पना से परे, कहीं अधिक भयावह स्थिति में वे घिरे हुए थे। उनकी साँसे असामान्य रूप से तेज थीं और अंदर ही अंदर डर समाया हुआ था।

डोलोरेस ने खुद को बुरे सपने में घिरे हुए पाया। समुद्र का किनारा, युद्ध का प्रवेश द्वार था। वह उन परिस्थितियों को महसूस कर सकती थी, जिन हालातों से एमा, डेविड और जॉर्ज गुज़र चुके थे।

वे समुद्र तट पर पहुँच चुके थे।

“कितना दिल दहला देने वाला नज़ारा है?” केसी ने कहा, नीली हेलमेट ने उसके माथे को ढक रखा था, लेकिन वहाँ का दृश्य देखकर उसकी पलकें तक नहीं झपक रही थी।

“बिल्कुल भयानक।” रोनाल्ड ने जवाब दिया।

डोलोरेस को उसकी जांघ पर एक भारी कंपन महसूस हुआ। उसने अपना फोन निकाला और एमा से आया सन्देश पढ़ा।

“है भगवान!” उसने ज़ोर से चिल्लाकर कहा, “मेज़र!” मंज़िल बदल गई है।”

रॉकफोर्ड के चेहरे पर दुविधा के भाव आये; उसका चेहरा पसीने में भीग गया। उसने जहाज को वापस मोड़ने का आदेश दिया।

डोलोरेस ने मैथ्यू को कॉल किया और, उसे अमाह, जेन और हेदर को एमा का मैसेज भेजने का निर्देश दिया। समस्या गंभीर थी। यद्यपि मैसेज असंगत था, लेकिन यह महत्वपूर्ण जानकारी के रूप में भेजने के लिए पर्याप्त था। इससे पहले कि बहुत देर हो जाये, इसे सही मायने में समझना मैथ्यू और अमाह की ज़िम्मेदारी थी।

उसने फोन वापस अपनी जेब में रख लिया।

“क्या किसी भी मिशन में ऐसा आज तक हुआ है, जब पहली योजना सफल रही हो?” केसी ने अपने अंदाज़ में अपनी व्यथा व्यक्त की।


इज़राइल-गाज़ा बॉर्डर

रात अभी हुई ही थी, चाँद की रोशनी में कुछ बादल आसमान में आवारागर्दी करते हुए चमक रहे थे।

साँप की तरह जहरीले दुश्मनों पर नज़र रखने के लिए, सीमा पर निगरानी करने वाले आईडीएफ गार्ड्स को, अत्यधिक सतर्क रहने का आदेश दिया गया था।

सीमा की बाड़ से कुछ दूरी पर, ज़मीन के नीचे से, एक व्यक्ति चुपके से तालाब से निकले मगरमच्छ की तरह सरकता हुआ ऊपर आया। उसका मिशन, उसके दिमाग़ में बिलकुल स्पष्ट था, जितने ज़्यादा हो सके, दुश्मनों को मारना और अधिक से अधिक को बंदी बनाना।

अपने पहले शिकार पर हमला करने के लिए, वह चुपके से ज़मीन पर लेट गया। उसने अपने शिकार को देखा और सोचा, मारने का क्या अच्छा समय था। इज़राइली गार्ड के दूसरी ओर पलटने का इंतज़ार करते हुए, उसने झपटने के लिए अपने आप को तैयार किया।

उसी क्षण, गार्ड दूसरी ओर मुड़ा। वह उसके पीछे आया, उसे अपनी ओर खींच लिया, उसके मुँह पर हाथ रखा, और उसके सीने में खंजर घोंप दिया। आज के अपने पहले शिकार को मार गिराने के बाद आनंदित होते हुए, मृतक के दिल में घुसे हुए ख़ंजर को बेरहमी से घुमा दिया ताकि उसका सन्देश ‘ज़ाती नफ़रत’ से भरा लगे।

गार्ड की आँखें पथरा गई, उसकी रक्त शिराओं से खून की धारा फूट निकली। उसकी घुटी हुई चीख बंद हो गई। उसका निर्जीव शरीर ज़मीन पर गिर पड़ा।

हमास के कई आतंकवादी, पीछे सुरंग के मुहाने पर दुबके हुए थे। पहला हमला उनके लिए आगे बढ़ने का एक संकेत था। उन्होंने सेमी-ऑटोमेटिक राइफलों के साथ तूफ़ानी शुरुआत की, यह पूर्णत: एक आक्रामक युद्ध था।

इस समय तक, आईडीएफ सैनिकों को हमले के बारे में सन्देश मिल चुका था और उन्होंने भारी गोलाबारी के साथ जवाबी कार्रवाई की। चार आतंकवादी, कीड़ों की तरह गोली खाकर ज़मीन पर गिरे। हमलावरों ने पहले सिपाही को भले ही मार दिया, लेकिन उसके बाद, वे कमज़ोर पड़ गए।

आस-पास की सैन्य-टुकड़ियों को सावधान करने हेतु इलाके में सायरन की आवाज़ गूंजी।

हमास का अधिक से अधिक नुकसान पहुँचाने का सपना चूर-चूर हो गया। उनमें से, उनके बहुत से साथी लगातार मारे जा रहे थे। गोलियों की बारिश ने बाकी उग्रवादियों को वापस मुड़ने और उन्हें झाड़ियों के पीछे, पेड़ों की आड़ में छिपने को मजबूर कर दिया।

एक इज़राइली सैनिक ने आगे बढ़कर निशाना साधा। कुछ ही क्षणों में उसे अहसास हुआ कि वह अकेला पड़ गया, तभी उसकी गर्दन पर एक झटका महसूस हुआ; वह लड़खड़ाकर नीचे गिर गया। जिस उग्रवादी ने गोली मारी, वह उसकी ओर दौड़ा, उसने राइफल को लात मारकर एक ओर फेंका और उसकी कॉलर को पकड़कर, घसीटता हुआ, जहाँ से वह निकला था, सुरंग की ओर वापस भागा।

जब उस आईडीएफ के सिपाही को घसीटते हुए ले जाया जा रहा था, तो उसने टटोलकर अपने हाथ से उसकी टांग को पकड़ा, इससे क्रुद्ध होकर घसीटने वाले आतंकवादी ने उसके चेहरे पर बूट से कई वार किए, जिससे वह बेहोश हो गया।

सुरंग के मुहाने से कुछ मीटर दूरी पर, वह आतंकवादी अपनी उखड़ती साँस को व्यवस्थित करने के लिए एक पल के लिए रुका, तभी एक गोली उसकी कनपटी को छेदती हुई दूसरी ओर से निकल गई। उसकी इहलीला उसी क्षण समाप्त हो गई।

आईडीएफ के जवान, अब उन पर तेजी से हमला कर रहे थे; यह समय उनके वहाँ से वापस भागने का था।

गोलियों की बौछार के बीच, एक-एक करके, वे उस गड्डे में घुस गए जिसमे से वे निकले थे। दो आतंकवादियों ने कवरिंग फायर दिया ताकि वे अपने मृतकों को वापस ले जा सकें, लेकिन उनको भी पीछे हटना पड़ा; मिशन बहुत बुरी तरह विफल रहा।

इसके बाद, आईडीएफ ने सीमा के दुश्मन की आश्चर्यजनक पहुँच के सभी निशानों को मैदान से साफ़ करना शुरू कर दिया। यह बहुत बड़ी चिंता का विषय था; सीमा से दूर आतंकवादी, नागरिक इलाकों तक कैसे पहुँच गये थे? यदि अनाम टिप ने उन्हें आसन्न हमले के बारे में चेतावनी नहीं दी होती, तो अनगिनत संख्या में बेकसूर नागरिक हताहत होते।

उन्होंने अंधेरी रात में स्पष्ट दृश्य के लिए हैलोजन रोशनी ऑन की।

खोजी जवानों को वह जवान, घायल अवस्था में पड़ा मिला, लेकिन वह अभी भी बेहोश था। अगर वह सफलतापूर्वक पकड़ लिया गया होता, तो उनके लिए स्थिति बदल जाती।

कुछ मीटर की दूरी पर, उन्होंने कुछ असामान्य पाया। वे अंधेरे में निशाना साधते हुए, रेडियो पर तेज स्पॉट लाईट को उनकी ओर करने का अनुरोध करते हुए वे आगे बढ़े।

जैसे-जैसे रोशनी आगे बढ़ी, उन्हें जो पता चला, वह चौंका देने वाला, दुस्साहसपूर्ण और विनाशकारी था।

वह गड्ढा, एक सुरंग के रूप में निकला, जो इज़राइल में आतंकवादियों की घुसपैठ के लिए बनाया गया था। यह शत्रु के घर में घुसकर, आक्रमण करने के लिए बनाई गई हमास की एक प्रतिभाशाली और बहुत घातक योजना थी।

अध्याय ४६


“मैं सामूहिक अपराध में विश्वास नहीं करती, लेकिन मैं सामूहिक ज़िम्मेदारी में विश्वास करती हूँ।

– ऑड्रे हेपब्र्न

समय ही शत्रु था।

मैथ्यू फूँक-फूँक कर अपने कदम बढ़ा रहा था। एमा और अन्य, खान यूनुस की तरफ़ अग्रसर थे। जगह बदलने के साथ पूरी योजना भी बदल गयी। डोलोरेस के अनुभव और फैसलों के बिना, उसका मन डरा और खोया सा था। फिर भी उसने अपने मन को विचलित होने से रोका।

एमा के मैसेज से मिली जानकारी के कारण वे, अंततः इस मिशन से कुछ अच्छा विश्वास अर्जित कर रहे थे। जानकारी के आदान-प्रदान का श्रेय अमाह ने लेकर इसे अपनी महान विजयों की सूची में शामिल किया।

इज़राइल अब हमास का भेद जान चुका था। वे अब सभी जगह लंबी और मज़बूत सुरंगों की खोज कर रहे थे। इसका मतलब केवल एक ही था – युद्ध का और घातक होना।

इज़राइली सरकार अधिक से अधिक रिज़र्व सैनिकों को वापस ड्यूटी पर बुला रही थी। अगर डोलोरेस, डेविड और एमा को समय रहते निकालने में नाकाम रही, तो उसे बहुत महंगा ख़ामियाजा भुगतना था।

राहत का एक पल मिले, ठीक से खाना खाए, या मज़ाकिया बातें किए हुए बहुत दिन बीत गए थे। समय काटना, हिमालय की चोटी पर पर चढ़ने जैसा लग रहा था।

मैथ्यू के दोनों कन्धों पर लैंडलाइन फोन लटके हुए थे। वह कुर्सी पर बैठा और उसने कान पर रिसीवर रख कर नंबर लगाया।

“हाय, हेदर। क्या तुम काहिरा जल्द से जल्द वापस आ सकती हो? वह जवाब सुनने के लिए रुक गया। “हमें इसके लिए आमने-सामने होना चाहिए। फोन पर इसके बारे में बात नहीं कर सकते। मैं बाद में समझाता हूँ, बस जल्दी यहाँ आ जाओ।” उसने फिर से उसके उत्तर के लिए उसे रोका,” ठीक है, धन्यवाद। फिर मिलते हैं।” उसने फोन काट दिया।

मैथ्यू ने अपने बालों को हाथ से व्यवस्थित किया। ब्रैंडन ने उसे विडियो कॉल किया।

“हे, ब्रान।” मैथ्यू ने थके हुए स्वर में कहा।

“आज क्या कहानी है?” ब्रैंडन ताजा और ऊर्जावान था।

“वही पुरानी, मुसीबतों की कहानी,” मैथ्यू ने अपनी त्वरित बुद्धि के साथ उत्तर दिया। “मुझे कुछ अच्छी खबर दो।”

“सुनो, यार। मैं अभी तक ड्रोन चालू नहीं कर पाया हूँ। किसी तरह की तकनीकी खराबी है। मैं माफ़ी चाहता हूँ, हम इस पर काम कर रहे हैं।”

मैथ्यू ने उसे गुस्से से घूरा, “क्या हम अब इतने नाकारा हो गए हैं? मैं उन पर कैसे नज़र रखूँगा? तुम समझ रहे हो, हम किस दलदल में फसे हैं? और डोलोरेस क्या कहेगी?” उसने आक्रोश से मेज़ पर अपना हाथ मारा।

ब्रैंडन ने सुझाव दिया, “डोलोरेस को अभी कुछ मत बताओ, हम इसे तुरंत ठीक कर लेंगे।”

“हमारे दोनों तरफ़ खाई है, जरा सी चूक, न जाने हमें किस तरफ़ धकेल दे।”

ब्रैंडन ने उसे आश्वस्त करते हुए कहा, “कोई चूक नहीं होगी।” वीडियो कॉल समाप्त हो गया।

मैथ्यू अपने हालात को कोसते हुए खुद को, विकल्प-हीन महसूस कर रहा था।

उसने अपना सर झुका कर टेबल पर अपने कान लगाये, वह थका हुआ था। उसने चुपचाप लम्बी टेबल के माध्यम से बहती हुई ध्वनि तरंगों को सुना। की-बोर्ड के बटन, फोन की घंटी, और लैपटॉप के पंखों की ध्वनि।

उसने स्क्रीन पर नज़र रखने के लिए अपना सिर उठाया। एमा के सेल फोन पर ट्रैकर ठीक काम कर रहा था। गाज़ा के मैप पर एक हिलता हुआ एक लाल बिन्दु दिखाई दे रहा था, जो एमा की लोकेशन को चिन्हित कर रहा था।

मैथ्यू ने ड्रोन के बारे में डोलोरेस को न बताने का कठोर निर्णय लिया। पहले ही वह बहुत सी ज़िम्मेदारियों तले दबी और परेशान थी। मैथ्यू ने उसे अवांछित तनाव से दूर रखने का फैसला किया।


वे उसी रास्ते पर थे, जो उन्होंने गाज़ा सिटी तक पहुँचने के लिए लिया था। वहाँ का नज़ारा पहले से ज़्यादा भयावह और ऐसा था, जैसे धुएँ और खून से भरी कोई तस्वीर हो। इतने हमलों के बाद के हालात काफ़ी दयनीय थे। बारूद और खून की दुर्गन्ध से प्रदूषित हवा लगभग असहनीय थी। फसलें नष्ट हो गई थीं और कोई भी मकान या इमारत नुकसान से नहीं बची थी।

टूटी-फूटी सड़क पर गाड़ी हिचकोले लेते हुए तेज़ी से आगे बढ़ रही थी।

एमा ने ड्राइविंग सीट की ओर अपनी आँखें घुमाईं, “क्या होगा अगर वे हमें मार देंगे, ओमार?”

“मैं ऐसा नहीं होने दूंगा।” उसने पलट कर जवाब दिया।

“मुझे डर है,” एमा ने धीरे से कहा।

डेविड ने उसके सिर पर हाथ फेरा, “हम सभी डरे हुए हैं।” उसने एमा का हाथ थाम लिया, “युद्ध में डरना चाहिए, पर हार कभी नहीं माननी चाहिए।” उसने धीरे से सर हिला कर हामी भरी।

रास्ते में कुछ लोगों ने उनका ध्यान आकर्षित किया। एक पंक्ति में सैकड़ों लोग उनकी विपरीत दिशा में जा रहे थे। भारी सामान ढोने वाले विचलित चेहरों को देखने के लिए वैन धीमी हो गई। पूरी गृहस्थी का सामान अपने कंधो पर लिए लोगों का काफ़िला पलायन कर रहा था। हमलों से परेशान, जैसे भगवान ने उन्हें अपने हाल पर अकेले छोड़ दिया हो। चलने लायक बच्चे, अपने सर से बड़े पोटले और सामान लेकर जैसे तैसे गिर-संभलकर चल रहे थे।

“वे अपने घरों को छोड़कर निकले हैं।” ओमार ने स्पष्ट किया। “इज़राइल ने आसमान से अपने घर खाली करने के चेतावनी लिखे पर्चे फेंके होंगे।”

एमा को उनकी दयनीय स्थिति से सहानुभूति हुई। आज उसकी हालत भी तो एक रिफ्यूजी जैसी थी। उसने सोचा कि उसकी यात्रा तो कल तक ख़त्म हो जाएगी, लेकिन गाज़ा का युद्ध पता नहीं कब तक चलता रहेगा।

जैसे ही वे मायूस भीड़ के सिरे पर पहुँचे, डेविड ने कुछ अनहोनी की झलक पकड़ी। तीन छोटी लड़कियों के साथ चल रही एक महिला, ज़मीन पर चक्कर खा कर गिर पड़ी। वैन उनके बाजु से निकल कर आगे बढ़ गयी। डेविड ने चिंता में खिड़की के बाहर अपना सिर निकाल कर ज़ोर से कहा।

“गाड़ी रोको, गाड़ी रोको!” ओमार ने ब्रेक मारा; वैन थोड़ा फिसल कर रुकी। डेविड वैन के पूरी तरह रुकने के पहले ही कूद गया, एमा घटना से अंजान थी, पर वह भी डेविड के पीछे भागी।

तीन छोटी लड़कियाँ, अपनी बेहोश माँ को जगाने की कोशिश कर रही थीं और ऐसा करते हुए, इस उम्मीद में कि उसके जीवित होने का कोई तो प्रमाण मिले, वे उसे हिला रही थी और उसके चेहरे पर थप्पड़ मार रहीं थीं। डेविड ने उसकी नाड़ी और साँस को चैक किया; वह बेहोश थी। एमा उसके पीछे भागती हुई आई।

“जल्दी, मुझे थोड़ा पानी दो।” डेविड ने कहा। एमा ने उसे तुरंत पानी दिया।

उसने महिला के चेहरे पर पानी छिड़का। घबराहट में वह एकदम से उछल कर बैठ गयी, और ज़ोर-ज़ोर से साँसे लेने लगी। उसकी बेटियों ने उसे कसकर गले लगा लिया। सकीना, आफ़रीन और ओमार आगे मदद करने के लिए शामिल हुए।

“शुकरन जज़िलन! शुकरन जज़िलन (आपका बहुत-बहुत धन्यवाद! आपका बहुत-बहुत धन्यवाद)!” महिला ने कहा। एमा ने खुश होकर मुस्कराहट के साथ जवाब दिया।

एमा घुटने के बल बैठी और उन्हें कुछ चॉकलेट बार दिए। परिवार निस्संदेह भूखा था। छोटी लड़कियों ने डेविड और एमा के घावों पर ध्यान दिया, और सोचा, ये भले अजनबी भी उन्ही की तरह पीड़ित थे।

सबसे बड़ी लड़की ने एमा की आँखों में देखा, अपने हाथों को मिलाया, और झुककर, फुसफुसाते हुए, उन्हें ज़रूरत के क्षण में प्रदान की गई मदद के लिए शुक्रिया अदा किया। उसकी बेबस, लाल आँखों ने निराशा की भयावहता को बयां किया। एमा ने उसे कसकर गले लगा लिया। वह बच्ची ज़ोर-ज़ोर से सिसकने लगी। एक पल के विराम के बाद, एमा ने उसके आँसू पोंछे। एमा के खूबसूरत चेहरे को निहारते हुए वह मुस्कुराई। उसकी आभा एक फ़रिश्ते जैसी थी।

नरक के बीचो बीच, डेविड और एमा अभी भी जीवित थे, उन्हें एक विद्रोही द्वारा संरक्षण प्रदान किया जा रहा था। मृत्यु के युद्ध में, जीवन की जीत की उम्मीद अभी भी बची थी।

आज, मीडिया जो कुछ भी प्रस्तुत करती है, वह केवल युद्ध के अंधकार भरे पहलु होते हैं – मृत्यु और विनाश। लेकिन उन्होंने शायद ही कभी ऐसे समय में, मानव जाति की एकता को प्रस्तुत किया हो। उनकी इस एक-तरफ़ा रिपोर्टिंग से एक नफ़रत भरी दुनिया बन गयी, पूरे सच से अंजान।

थोड़ी देर बाद, वे वापस अपने रास्ते पर लौट गए। एमा ने अपनी आँखें बंद कर लीं, उसका मन जवाब दे गया था।

“ज़्यादा मत सोचो।” डेविड ने उसे सांत्वना दी।

“वह छोटी लड़की, उसकी आँखें, उनममें कितना दर्द था।” उसकी आँखें अभी भी बंद थीं, आँसू उसके गालों पर बह रहे थे। “हम लोगों की मदद करने के लिए ही यहाँ आए थे, लेकिन हम खुद ही असहाय हो गए।”

“यह हालात तुमने नहीं बनाये हैं, इनका बोझ अपने ऊपर मत लो।” डेविड ने चिढ़ते हुए समझाया। “हमें देखो, हम खुद कितने परेशान हैं और हम अभी भी हमारे रास्ते में आने वाले हर ज़रूरतमंद की मदद कर रहे हैं।” उसकी आवाज़ तेज और स्पष्ट थी।

“लेकिन ये काफ़ी नहीं है।” एमा ने गुस्से से अपनी आँखें खोलीं।

“ऐसे तो यह सिलसिला कभी ख़त्म नहीं होगा।” डेविड ने गुस्से में अपना पैर आगे की सीट पर मारा।

आफ़रीन चौंक कर रोने लगी।

“अरे बंद करो ये सब, तुम उसे डरा रहे हो।” एमा ने उसे डांटा। सकीना ने आफ़रीन को अपनी गोद में उठा लिया।

“तुम ही बताओ मैं क्या करूँ?” डेविड ने धीमी आवाज़ में कहा। “मैंने तुमसे कहा था कि यहाँ मत आओ, हम कुछ नहीं बदल सकते, तुमने ही नहीं सुनी।”

एमा ने अपने दांत पीसे, “मैंने तुम्हें यहाँ आने के लिए नहीं कहा था।” उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया।

“मैं तुम्हारी हिफ़ाजत के लिए ही तुम्हारे साथ हूँ। मैं पल-पल यह सोचकर मरता हूँ कि शायद मैं तुम्हें नहीं बचा पाऊँगा?” डेविड ने कहा।

“तुम्हें क्या लगता है कि तुम मेरे गार्डियन हो?” एमा बोली।

“मैं तुम्हारा पति हूँ।” उसकी आवाज़ अभी भी धीमी थी, लेकिन उसके हृदय को गहरा आघात लगा था।

ओमार झगड़े से बाहर रहना चाहता था, इसलिए मौन रहा। पहली बार उन्हें लड़ते देख, सकीना को भी अजीब लगा। वह भी हस्तक्षेप नहीं करना चाहती थी।

डेविड खिड़की से बाहर देखने लगा। तनाव बढ़ने लगा।

“मैं थक गई हूँ।” एमा ने हाथ जोड़कर स्वीकार किया।

डेविड ने उसकी और देखा, “मुझसे?”

उसने जवाब नहीं दिया। उसका मौन ही उसका जवाब था। उसके शब्दों ने डेविड को उसके घावों से कहीं ज़्यादा चोट पहुँचाई।

दोनों अपना आपा खो दें, उससे पहले वे दोनों चुप हो गए।

उनके लिए मदद आ रही थी, लेकिन क्या यह समय पर आ पाएगी? हर गुज़रते पल के साथ वह और बेचैन होते जा रहे थे। मौत का डर अब उनके दिल में बैठ चुका था।


मेज़ पर मैथ्यू और टीम का खाना चल रहा था; कुछ भी पौष्टिक नहीं, बस पेट भरने लायक खाना। हेदर लैंड कर चुकी थी और होटल के रास्ते में थी। उसके आने के पहले वह भोजन कर लेना चाहता था, ताकि सीधे काम की बात पर आ सके।

दरवाज़ा खुला और एक परिचित लेकिन अप्रत्याशित चेहरा अंदर आया। कैथरीन कोबेन, वह सी.आई.ए. की शार्क के नाम से विख्यात थी। वह आकर्षक थी, पर बेहद खतरनाक, लेकिन उसके चुटकुले अक्सर लोगों के मन को हल्का कर देते थे।

उसके पीछे हेदर थी। कैथरीन की वैसी ही छाया बन कर आई जैसे वह डोलोरेस के साथ रहती थी।

कमरे का प्रत्येक व्यक्ति अपना खाना बीच में छोड़, उसके सम्मान में आश्चर्य से देखता हुआ खड़ा हो गया।

वह मैथ्यू की तरफ़ गई। वह स्तब्ध और भ्रमित था। उसने उससे आँखें नहीं मिलाई बल्कि उसकी सियान रंग की शर्ट को देखा।

“अब मैं सब संभाल लूंगी।” उसने आदेश दिया, एक गहरी कामुक आवाज़ में।

“क्या?” वह हक्का-बक्का रह गया, बोला, “मुझे क्षमा करें… क्या?” उसने अब ऊपर देखा।

“डोलोरेस ने मुझे यहाँ इसलिये भेजा है, ताकि यह ऑपरेशन अब इस तरह आसानी से चले जैसे मक्खन के बीच से चाकू निकलता है।”

“लेकिन… उन्होंने… मुझे कुछ नहीं बताया,” मैथ्यू बोला, वह अभी भी चकित था।

उसने मैथ्यू का गाल थपथपाया, “ओ, डिअर। अब हम एक साथ हैं, आदत डाल लो। डोलोरेस ने मुझसे मदद माँगी हैं और मैं हँसते-हँसते करुँगी। और जब मैं किसी काम को अपने हाथ में लेती हूँ, तो सब कुछ बेहतर हो जाता है।

वह मैथ्यू से हट कर स्क्रीन की तरफ़ गयी। एमा के फोन की लोकेशन को अपने निर्धारित स्थान पर पहुँचते हुए देख उसने तुरंत कमरे में मौजूद सभी लोगों को संबोधित किया। सबकी आँखें उसी पर टिकी हुई थी।

वह कमर पर हाथ रख कर खड़ी थी। उसकी आभा ऊर्जावान और सभी को प्रभावित करने वाली थी। उसके चेहरे से स्पष्ट झलक रहा था, कि ढलती उम्र में भी उसकी शालीनता बरक़रार थी।

“हेदर डियर, यहाँ आओ। हम ख़तरनाक लड़कियों को एक साथ रहना चाहिए।” उसने मज़ाक किया।

हेदर, कैथरीन के बगल में पहुँच गई, उसे हँसी भी आई पर वह शरमा रही थी।

कैथरीन ने कमरे के चारो ओर अपनी आँखें इस तरह से घुमाईं जैसे उसे हर एक सदस्य पर गर्व हो।

“मैं तुम्हें सच बताऊँ। यह मिशन, एक के बाद एक मुसीबतों से भरा है। इस ऑपरेशन में सीआईए या यूएन एक भी झटका नहीं झेल सकते। मुझे स्थिति का प्रबंधन करने के लिए बुलाया गया है और गलतियों के लिए कोई भी रियायत नहीं दी जाएगी। आओ, सहज रहें, यह आपका मिशन है। मैं यहाँ मदद करने के लिए हूँ। चलिए, इस काम को अंजाम देते हैं।”

कमरे की ख़ामोशी चहल-पहल में बदल गई। लोग अपने काम पर लौट गए।

मैथ्यू की कुर्सी के पास कैथरीन आकर झुकी और फुसफुसाई, “तुम बेथ शेर के बारे में क्या कह रहे थे?”

अध्याय ४७

“सच्चे विद्रोह में आप समाज की आँखों में आँखें डाल कर देखते हैं और कहते हैं, मैं समझता हूँ कि आप मुझे क्या बनाना चाहते हैं, पर मैं आपको बताऊँगा कि वास्तव में, मैं कौन हूँ।”

– एंथोनी अनएक्सगोरो

खान यूनुस

वही स्थान, जहाँ से ये युद्ध शुरू हुआ और प्रलय लाने वाला ये भयंकर युद्ध, सब कुछ तहस-नहस करके अपने पीछे बस खून के धब्बे और लाशों के ढेर छोड़ रहा था।

सलमा, अपनी बेटी और नातिन के आने का इंतज़ार करते हुए आगे-पीछे चक्कर लगा रही थी। उसने सड़क पर खड़े होकर अपने अपार्टमेंट की इमारत के अग्रभाग के नीचे एक तबाह हुई सड़क पर निगाह डाली तभी उसे, नीचे दीवार पर सूख चुके खून के कुछ धब्बे दिखाई दिए। ये युद्ध के अत्याचारों के कारण, एक निर्दोष बच्ची, फ़ातिमा के उससे टकराकर असामयिक मृत्यु को प्राप्त होने के निशान थे।

एक हँसती-खिलखिलाती आवाज़ उसके कानों में पड़ी, सलमा के चेहरे पर मुस्कुराहट आ गई। वह घुटने के बल बैठ गई और अपनी बाँहें फैला दी; आफ़रीन दौड़कर अपनी नानी की बाहों में गई और उसे ज़ोर से पकड़ लिया। सलमा ने आँखें खोलीं तो देखा कि सकीना उनके पुनर्मिलन को ख़ुशी से निहार रही है। उसके पीछे एक अजनबी जोड़ा खड़ा था, जो उनके रूप-रंग से विदेशी दिखाई देता था और एक बदसूरत आदमी भी था, जिसे वह जानती थी।

सलमा ने सकीना का माथा चूमा, वह खुश थी कि बेटी वापस घर आ गई थी।

“रात का खाना तैयार है।” सलमा ने प्रसन्नतापूर्वक कहा। उसका उच्चारण सकीना के समान था।

सकीना ने मुस्कुराते हुए कहा, “वे डेविड और एमा, मेरे पुराने दोस्त हैं।”

सलमा ने उनको देखा; उनके चेहरे बेजान से लग रहे थे।

“सलामू अलयकुम।” उसने अभिवादन किया।

“वा अलयकुम—सलाम।” युगल ने एक साथ उत्तर दिया।

सलमा, एमा के पास पहुँची, उसकी आँखें चमक उठीं। उसने एमा के चेहरे को अपने हाथों में पकड़कर कहा, “माशा-अल्लाह।” सुनकर एमा ने शर्म से अपनी आँखें नीची कर लीं।

“शुकरन।” एमा ने उसकी प्रशंसा स्वीकार की।

“चलो, ऊपर चलें। तुम्हें आराम की ज़रूरत है।” सलमा ने उन्हें मातृवत आमंत्रित किया।


ऊपर, घर के अंदर, सलमा के घरवालों को देखने पर एमा और डेविड हैरान रह गए। बच्चों के एक प्यारे से झुण्ड ने उनका ख़ुशी से स्वागत किया।

घर में आसपास मंडराते बच्चों के अभिवादन से एमा और डेविड के मन में वात्सल्य की सोई हुई भावनाएँ पुनः जाग उठी। बच्चों ने, उनसे अरबी में मूर्खतापूर्ण सवालों की बौछार कर दी, जैसे वे कितने लंबे थे, कितनी तेजी से दौड़ सकते थे, और इसी तरह के कई सवाल?

एक छोटी लड़की ने एमा का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए उसकी जीन्स को खींचा। एमा उस बच्ची के बराबर ऊँचाई पर बैठ गई।

“मैंने दो खजूर खाए।” उसने गर्व से झूमते हुए अपनी बात कही। एमा ने खुशी से सराहना में सिर हिलाया।

एक लड़का डेविड के पैर पर चढ़ गया। डेविड किसी तरह उससे पैर छुड़ाने में कामयाब रहा और उसे गोद में उठा लिया। उसने उपहार के रूप में डेविड को अदरक का एक टुकड़ा दिया। डेविड ने इसे ख़ुशी के साथ स्वीकार कर लिया।

डेविड और एमा ने आसपास का मुआयना किया। घर में बीस से अधिक बच्चों का झुंड था, उनमें से कुछ बच्चों के कुछ अंग गायब थे, उनको दोनों ने आश्चर्य और चिंता से देखा।

“उनके माँ-बाप नहीं हैं।” सकीना ने खुलासा किया। सुनकर डेविड और एमा उदास हो गए। “उनमें से हरेक ने अपने माता-पिता को किसी न किसी कारण से खोया है। अम्मी ही उनकी देख-भाल करती हैं और उनके लिए सारी ज़रूरत की चीज़ों का इंतज़ाम करती हैं। आस-पड़ौस के लोग उन्हें ‘चिल्ड्रेन ऑफ़ ड्रीम्स’ कहते हैं।”

दूसरों की सेवा करने के लिए सलमा के जीवन की पसंद ने एमा को प्रभावित किया। उसके मन में सलमा के लिए एक नई श्रद्धा उत्पन्न हुई।

“शहर की घेराबंदी के बीच। तुम्हारी अम्मी, इतने सारे बच्चों के भोजन और कपड़ों का इंतज़ाम कैसे करती है?”

सलमा ने भी एमा का सवाल सुना। उसने मुस्कान के साथ एमा की उत्सुकता का जवाब देते हुए कहा, “जब आप अल्लाह की राह में इंसानियत की ख़िदमत करने के लिए आगे बढ़ते हैं, तो वह आपकी राह आसान बना देता है।”

बात करते-करते, सलमा ने एक लंबी चटाई को फर्श पर बिछा दिया। बच्चों ने स्वादिष्ट और गर्म खाना परोसने में सहायता की। खाना शुरू करने से पहले, सलमा ने ईश्वर का शुक्रिया अदा करने के लिए अपनी रोज़मर्रा की तरह ऊपर वाले का शुक्रिया अदा किया, कि वे आज जीवित हैं, उनके पास घर में भोजन है, और वे इस दुख की घड़ी में साथ रहकर खुश और मज़बूत हैं।

खाना खाते समय, डेविड ने देखा कि युद्ध, बमबारी, छापे इत्यादि के प्रति बच्चे बेफ़िक्र थे। उसने तुरंत अपनी भी चिंता त्याग दी और वहाँ के वातावरण से मिलने वाले आनंद का अनुभव किया।

डेविड, दो लड़कों को बहुत ध्यान से देख रहा था, जो उनके सामने कल हुए संघर्ष के बारे में बात कर रहे थे। उनमें से एक ने नक़ल करके अपने दोनों हाथों को जहाज के पंखों की तरह फैलाकर दिखाया कि हवाई-जहाज़ों ने किस तरह बम गिराए। फिर, उसने अपनी बाँह को बंदूक की तरह तान कर, गोलियों की आवाज़ निकालते हुए कहा, कैसे हमास ने जवाब दिया। वहाँ मौजूद सभी लोग अपने खाने में मशगूल थे, केवल डेविड ही एकमात्र ऐसा शख्स था, जिसकी तवज्जो उनकी तरफ़ थी।

डेविड ने बच्चों की हरकतों को देखकर सोचा, कभी-कभी हमें भी ज़िन्दगी को हल्के मन से स्वीकार करना चाहिए। बच्चे भी हमें अंजाने में बहुत कुछ सिखा जाते हैं।

सलमा ने एमा को थोड़े और मटन की पेशकश की। उसने विनम्रता से मना किया। सलमा ने गौर किया कि एमा थोड़ा हिचकिचा रही है और असुरक्षित महसूस कर रही है। एमा के दिमाग़ में काफ़ी उथल-पुथल मची हुई थी।

सलमा ने उसे दिलासा दिया, “तुम जितना चाहे लो, यह तुम्हारा ही घर है बेटी।”

एमा ने अपने कटोरे से सिर उठाया और कृतज्ञतापूर्ण मुस्कराहट के साथ उसकी ओर देखा। वह माँ और बेटी के बीच बहुत समानता देख सकती थी।

ओमार अपने ही विचारों में खोया हुआ था। उसने खाने के दौरान एक शब्द भी नहीं बोला। बच्चों की सकारात्मकता देखकर उसे बहुत अजीब लग रहा था।

रात के खाने के बाद, सलमा ने अपने प्यारे बच्चों को सोने के लिए तैयार करने और अपने दाँत ब्रश करने के लिए कहा। उन्होंने तुरंत आज्ञा का पालन किया। डेविड उनके द्वारा अपनाये गए अनुशासन से प्रभावित हुआ।

शिष्टाचार के रूप में, डेविड और एमा को अलग कमरा दिया गया था। ओमार को बच्चों के साथ समायोजित किया गया था और सकीना और आफ़रीन को सलमा के साथ सोना था।

अपना बिस्तर बनाने के बाद, एमा, डेविड को ढूंढने के चक्कर में टहलते हुए किचन के पीछे बालकनी में जा पहुँची, जहाँ से सलमा, उजाड़ पड़ी कॉलोनी को देख रही थी।

एमा का अंतर्मन उसे थोड़ी देर और रुकने को कह रहा था, लेकिन वह समझ नहीं पा रही थी की क्यों; सलमा ने उसे पास बुलाया और एमा ने उसका आभार व्यक्त किया।

“एक ख़ुशनुमा शाम के लिए शुक्रिया।” एमा ने इत्मीनान से कहा।

“अल्लाह तुम्हें सलामत रखे बेटी।”

उनके सामने का दृश्य इमारतों की एक पंक्ति का था, कुछ पूरी तरह से ध्वस्त और कुछ खंडहर थे, लेकिन सभी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो चुके थे।

“यहाँ गाज़ा में, एक बार किसी घर को नष्ट कर दिया जाता है, तो ये कभी भी फिर से नहीं बन पाता है।” सलमा ने निराशा में, एक गहरे और कटु सत्य से अवगत कराते हुए कहा – “जो चला गया हम उसे वापस नहीं ला सकते। मुझको लगता है कि तुम किसी का इंतज़ार कर रही हो।”

एमा ने अपनी आँखें नीची कर लीं। सलमा उसकी झिझक समझ गई।

“मेरी बेटी ने मुझे बताया कि तुम एक सप्ताह के आसपास से यहाँ हो… तुम्हारे साथ क्या-क्या बुरा गुज़रा वह भी बताया।”

एमा की आँखों से आँसू बह निकले।

सलमा ने कहा, “उसने मुझे तुम्हारे द्वारा किए गए सभी कामों के बारे में बताया, और तुम्हारे साथ क्या-क्या हुआ यह भी। मुझे तुम्हारे लिए अफ़सोस है, बेटी।” उसने एमा के गाल थपथपाए।

और उस पल में, एमा को अपनी माँ की बहुत याद आई।

“तुम्हारी नेकनीयती और हमारे लोगों के लिए तुमने जो कुछ किया उसके लिए तुम्हारा बहुत शुक्रिया। तुम दोनों फ़रिश्ते हो।”

एमा को उसकी बात सुनकर सुकून महसूस हुआ।

“क्या तुम जानती हो कि तुम्हारे साथ यह सब क्यों हो रहा है?” सलमा ने उससे ऐसे पूछा, जैसे वह जवाब जानती हो।

“मुझे सचमुच कोई अंदाज़ा नहीं है।” एमा ने अपना सिर हिलाकर कहा।

सलमा ने उसकी आँखों में गहराई से देखा, “तुम यहाँ हज़ारों आत्माओं के दर्द को दूर करने, उन्हें सुकून पहुँचाने के लिए आई हो… उनके रूहानी ज़ख़्म तब तक ठीक कैसे होंगे, जब तक तुम उनका दर्द महसूस नहीं करोगी, उनकी पीड़ा, उनकी त्रासदी को नहीं समझोगी।”


“गुड इवनिंग, लेडिज एन्ड जेन्टलमेन, मध्य पूर्व में आपका स्वागत है। ये पृथ्वी पर नर्क का द्वार है।” केसी रात में नौका पर अपनी टीम का मनोरंजन करते हुए, एक जोकर की तरह बोला। डेक की स्पॉट लाईट उस पर केंद्रित थी।

“तुमको जो भी चाहिए, तुम उसका नाम बताओ, तुम्हें मिल जायेगा,” हाथ में माइक होने का नाटक करते हुए, वह एक पॉवरबॉल उद्घोषक की तरह लग रहा था। “घृणा, नस्लवाद, हत्या, बलात्कार, गुलामी, और निश्चित रूप से… युद्ध, एक असमान युद्ध।” उसने अपने हाथों को हवा में उठाया, तभी डेक पर उसकी छाया पड़ी। “अफ़ग़ानिस्तान बर्बाद है, इराक़ का पतन हो गया है, और गाज़ा, गाज़ा आग की लपटों में घिरा हुआ है। इसलिए, अगर आप सच में निराशा और अचानक मौत की तलाश में हैं, तो यहाँ ज़रूर आइये।” वह लकड़ी के फर्श पर नाटकीय ढंग से लोट-पोट हो रहा था।

रायन को उसकी ओवर-एक्टिंग पर गुस्सा आ गया। बाकी लोग खुश थे।

“अरे अब छोड़ो भी, केसी,” रायन ने शिकायत की। “पागलों की तरह अभिनय करना बंद करो, क्या तुम्हारा दिमाग़ ख़राब हो गया है?”

केसी ने फ़र्श पर पड़े-पड़े ही हँसते हुए फिर लोट लगाई।

समुद्र में बाहर किसी चीज़ ने रोनाल्ड का ध्यान आकर्षित किया “वह क्या है?” उसने उस ओर संकेत किया।

सभी तनाव में आकर अचानक चुप हो गए।

दूरबीन से देखने के बाद काइल बोला, “इज़राइल नेवल फोर्सेज फ्लोटिला, उन्होंने हमें देख लिया है।”

रॉकफोर्ड ने कमान अपने हाथ में ली और बोला, “सभी सावधान हो जाओ।”

समुद्र की लहरों ने थोड़ा हिंसक रूप धारण कर लिया था। डोलोरेस को सी-सिकनेस का अटैक आया और उसे उसी दम उल्टी हो गई। उसकी नाक सिकुड़ गई। उसने अपना मुँह पोंछा और रॉकफोर्ड के पास चली गई।

“कोई हथियार नहीं, मेज़र,” उसने आज्ञा दी।

“बेशक।”

इज़राइली ध्वज के साथ एक जंग लगी धातु की नाव हिचकोले खाती हुई उनके करीब आती जा रही थी। डोलोरेस ने शांत रहने का अभिनय किया, लेकिन सच में वह डरी हुई थी।

“ऐ।” खाकी वर्दी वाले इज़राइली नाव के कप्तान ने गर्जना की। इंजन बंद हो गए; उनकी बंदूकें इनकी ओर तन गई।

“गुड इवनिंग, हम दोस्त हैं। यह संयुक्त राष्ट्रसंघ की शांति सेना है।” रॉकफोर्ड ने विनम्रतापूर्वक उत्तर दिया।

“क्या तुम्हारे पास कोई कागज़ात है?” कप्तान ने अपने मोटे इज़राइली लहजे में पूछा।

रॉकफोर्ड ने डोलोरेस की ओर रुख किया। उसने सहमति में सिर हिलाया।

“हाँ, हैं, हमारे पास।” रॉकफोर्ड ने घोषणा की।

कप्तान को अभी भी संदेह था। यद्यपि संयुक्त राष्ट्रसंघ के प्रतीक-चिन्ह के साथ नौका को सफ़ेद रंग से रंगा गया था, लेकिन उनके पास हर उस वस्तु का निरीक्षण करने के आदेश थे, जो इज़राइल की नहीं थी। यह स्पष्ट था कि हमास अनैतिक रूप से संयुक्त राष्ट्रसंघ के स्कूलों का उपयोग शस्त्र भंडारण के रूप में कर रहा था; संयुक्त राष्ट्रसंघ के साथ जुड़ी कुछ भी वस्तु उनकी रुचि का विषय था।

कप्तान ने अपनी नाव के सिरे पर पाँव रखा और रेलिंग पकड़कर उनकी फेरी पर चढ़ गया, उसके पीछे दो सशत्र गार्ड भी चढ़ गए। डोलोरेस और रॉकफोर्ड थोड़ा पीछे हट गए।

मेज़र रॉकफोर्ड के लिए विनम्र होना मुश्किल था; झुकना उसकी जीवनशैली का हिस्सा नहीं था। वह खड़ा रहा।

रॉकफोर्ड ने कप्तान का नाम उसकी वर्दी, से जाना, एरॉन गोल्डबर्ग।

कप्तान ने जाँच की कि उसके सामने क्या था। सशस्त्र कमांडो का एक दल और बक्से का एक ढेर। उसने उत्सुकता से डोलोरेस को देखा।

“डोलोरेस? डोलोरेस माइकल?”

डोलोरेस ने भी उसे पहचान लिया, बुरे-फँसे! बुरे-फँसे! बुरे-फँसे!

उसने ज़ोर देकर कहा, “एरॉन! हे भगवान! दुनिया कितनी छोटी है।”

“सीआईए के लोग यहाँ क्या कर रहे है?”

डोलोरेस ने उसकी चिंता को भाँपते हुए उसका उपहास किया। “क्या तुमको मैं सीआईए जासूस की तरह दिखती हूँ?” वह एक कामुक मुस्कान के साथ थिरकी। उसका आकर्षण काम कर गया।

“मेज़र रॉकफोर्ड, मेरे एक पुराने दोस्त, एरॉन गोल्डबर्ग से मिलो। पुराने दिनों में, हम कई शिखर-सम्मेलनों में, अपनी-अपनी एजेंसियों का प्रतिनिधित्व कर चुके हैं।”

रॉकफोर्ड ने मध्यम आयु वर्ग के कप्तान को हैंडशेक की पेशकश की।

“क्लाइव रॉकफोर्ड, संयुक्त राष्ट्रसंघ शांति वाहिनी।”

“एरॉन गोल्डबर्ग, इज़राइल नेवल फोर्सेस।” उसने गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाते हुए जवाब दिया। उसने डोलोरेस पर पुनः अपना ध्यान केन्द्रित किया।

“तुम संयुक्त राष्ट्रसंघ की शांति वाहिनी के साथ यहाँ क्या कर रही हो?”

“ठीक है, मैं ईमानदारी से बताती हूँ, मैं अपनी टेबल पर बैठे-बैठे काम करने के उबाऊ और कष्टप्रद तरीके से तंग आ गई। इसलिये मैंने शांति मिशन में काम करना उचित समझा, और इससे मुझे आत्मिक – शांति भी मिली। उसने बड़ी सफाई से झूठ बोला।

“हाँ सही बात है,” कहते हुए उसका तना हुआ शरीर अब आराम की मुद्रा में चला गया।

नेवी सील टीम वहाँ चल रहे नाटक का चुपचाप आनंद ले रही थी।

“तुम यहाँ क्यों हो? मेरा तात्पर्य युद्ध के बीच में से है, तुम्हारा मिशन क्या है?”

“मैं यहाँ अपने एक दोस्त को बचाने के लिए आई हूँ जो हमास द्वारा पकड़ लिया गया है।” डोलोरेस के मुँह से सच निकल गया।

रॉकफोर्ड का जबड़ा खुला का खुला रह गया। अन्य लोग, डोलोरेस के बयान से घबराकर हक्के बक्के रह गए।

एरॉन का चेहरा भी बुरी फक्क पड़ गया। डोलोरेस के शब्दों से उसकी शांति एक पल में छूमंतर हो गई।

डोलोरेस ने हँसी में कहा, “मैं मज़ाक कर रही हूँ।” हँसी पूरे डेक में फैल गई। “हम राहत-सामग्री देने के लिए खान यूनुस के पास जा रहे हैं।”

“ओह,” एरॉन ने आह भरी।

“क्या?” डोलोरेस ने पूछा।

“मुझे डर है कि मैं, तुमको यहाँ से जाने नहीं दे सकता।”

“क्यों?” डोलोरेस अब चिंतित दिखाई देने लगी।

उसने कहा, “यहाँ से कुछ ही दूरी पर से, युद्ध-सामग्री पहुँचाई जा रही है। एरॉन ने दृढ़ता से कहा, “किसी को भी डिलीवरी-स्थल के आसपास जाने की अनुमति नहीं है।”

“हे भगवान… क्या कोई अन्य तरीका है, जिससे तुम हमारी मदद कर सको? हमें वहाँ जितनी जल्दी हो, पहुँचना है, वहाँ लोगों को हमारी सख्त ज़रूरत है।” उसके चेहरे का रंग फ़ीका पड़ गया।

“माफ़ करना, डोलोरेस।” उसने अपना सिर हिला दिया। “तुम जानती हो कि स्थिति कितनी विकट है। आदेश, आदेश हैं। इस बीच, तुम और तुम्हारी टीम डिनर पर हमारे साथ शामिल हो सकते हैं। आनंद के साथ एक-दूसरे की यादों को साझा भी कर लेंगे।”

डोलोरेस को पता था कि बहस करने से कोई फायदा नहीं है। उन्हें संदेह से बचने के लिए उसकी बात को स्वीकार करना ही था।

“रास्ता साफ़ होने में कितना वक़्त लगेगा?”

“मुझे पक्का पता नहीं है। मैं खुद अपने लिए, अगले आदेशों का इंतज़ार कर रहा हूँ।”

“ओह, ठीक है,” डोलोरेस ने निराश होते हुए कहा। “चलो, डिनर करते हैं। तुम आगे बढ़ो, हम पीछे आ रहे हैं।”

रॉकफोर्ड जानता था कि डोलोरेस सही कर रही थी।

जैसे ही एरॉन डेक से दूर हुआ, डोलोरेस, एमा और डेविड के भाग्य की संभावनाओं पर विचार करने लगी। उसने देरी को स्वीकार करने से इंकार कर दिया। उसने फिर से अपना फोन निकाला और कॉल किया।

“हाय, कैथरीन… मैं थोड़ी परेशानी में हूँ, तुम्हारी मदद की ज़रूरत है।”


सुल्तान, एक ऑफ़िस जैसे किसी कमरे में, टेबल पर ऊँघता हुआ, किसी के फोन कॉल का बेसब्री से इंतज़ार कर रहा था। कुछ बैचेनी भरे लम्हों के बाद, फोन की घंटी बजी। उसने पहली रिंग के बाद जवाब दिया।

“मैंने जिस काम के लिए बोला था, वह हुआ?”

“हाँ।” फोन पर भारी आवाज़ में जवाब दिया गया। “उन्होंने झूठ बोला।”

उधर से दो मिनट तक, रुक-रुक कर आवाज़ आती रही। सुल्तान ने उतार-चढ़ाव भरे भावों के साथ सब सुना। बातचीत ख़त्म हो गई।

उसने अपनी दाढ़ी पर हाथ फेरा और कुछ पल के लिए अपनी आँखें बंद कर ली। फिर एक गहरी साँस लेते हुए दहाड़ा, “बशीर, कार स्टार्ट करो! हम खान यूनुस जा रहे हैं।“