भयानक वातावरण

खाना खा चुकने के बाद सोनिया फिर मेजर से अलग हो गई। पुलिस अधिकारी अपनी ड्यूटी पे चले गए। इंस्पेक्टर ने मेजर के साथ अजायबघरमें प्रवेश करते हुए कहा, "उस पत्र को कहां-कहां तलाश किया जा सकता है ?”


मेजर इस बीच में बहुत कुछ सोचता रहा था । एकाएक उसके होंठ गोल हो गए और वह सीटी बजाने लगा । उसने चुटकी भी बजाई और फिर तेजी से उस कमरे में जा पहुंचा जहां दीवान साहब की हत्या की गई थी । वह चक्करदार सीढ़ी के पास पहुंचकर वोला, “मुझे विश्वास है कि पत्र डाक्टर के पढ़ने के कमरे में मिलेगा ।"


इन्स्पेक्टर मेजर के साथ सीढ़ियां चढ़कर डाक्टर बनर्जी के पढ़ने के कमरे में पहुंचा | भीतर आते ही मेपर मेज के पास पड़ी हुई रद्दी की टोकरी खंगालने में व्यस्त हो गया । कागजों में हरे रंग के पैड के कागज के छोटे-छोटे टुकड़े मिले हुए थे | मेजर' ने वे सारे टुकड़े एकत्र करके मेज पर रख दिए । उनको बड़ी मुश्किल से तरतीव दी गई ।


"जरा सिद्दीकू को बुलाइए ।" मेजर ने कहा ।


सिद्दीकू ने कमरे में प्रवेश किया, "सिद्दीकू, यह सुआहिली भाषा में लिखा हुआ पत्र है । इसे पढ़कर सुनाओ ।” मेजर ने कहा ।


सिद्दीकू धीरे-धीरे कदम रखते हुए मेज के निकट पहुंचा । वह उस कागज को देर तक देखता रहा । उसके बाद उसने उस कागज की तरतीब ठीक की ओर पढ़ना शुरू किया । वह बड़ी ही विचित्र भाषा बोल रहा था ।


"इन वाक्यों का क्या अर्थ है ?" मेजर ने पूछा।


“इस पत्र में लिखा है," सिद्दीकू ने झिझकते हुए कहा, "इस पत्र में लिखा है कि एक जिन्दगी हमारे रास्ते में बाधक है। हमारी प्रसन्नता में रुकावट बनी हुई है। यह रुकावट दूर होनी चाहिए।"


“राजेश ने सच वोला था ।” मेजर ने कहा ।


"लीजिए, आपको पत्र मिल गया । बधाई हो ।” इन्स्पेक्टर ने कहा, “उस हत्या की पहेली पचास फीसदी हल कर दीजिए।"


"आप तो बेचैन हुए जा रहे हैं।" मेजर ने कहा । 


इन्स्पेक्टर चुप हो गया। फिर कुछ सोचते हुए बोला, "आपका क्या खयाल है कि हत्यारे ने यह पत्र उठाया और फाड़कर डाक्टर साहब की रद्दी की टोकरी में फेंक दिया ?"


"बिल्कुल यही ख्याल है।" मेजर ने उत्तर दिया।


"मैं इससे सहमत नहीं हूं कि हत्यारे ने यह पत्र फाड़कर फेंका है। यह पत्र तो हत्यारे के लिए बड़ा कीमती सिद्ध हो सकता था। मैं समझता हूं कि राजेश ने यह पत्र लिखा । उसी ने फाड़ा और डाक्टर साहब की रद्दी की टोकरी में फेंक दिया। मेरी नजर में तो राजेश ही दीवान साहब का हत्यारा है।"


"अगर उसने दीवान साहब की हत्या की होती तो वह कभी यह स्वीकार न करता कि उसने यह पत्र लिखा है।" मेजर ने तर्क प्रस्तुत किया, "एक बात और भी है कि अगर राजेश हत्यारा होता तो उसने इस पत्र को पूर्ण रूप से नष्ट कर दिया होता।"


"अगर ऐसी बात है तो आपको यह विश्वास कैसे हुआ कि पत्र डाक्टर साहब के कमरे में मिलेगा ? "


“यह केवल मेरा अनुमान था। मैं समझता हूं कि हत्यारे ने यह पत्र फाड़कर डाक्टर साहब की रद्दी की टोकरी में इसलिए फेंका कि डाक्टर साहब ही को हत्यारा सिद्ध किया जाए । हत्यारे को मालूम था कि राजेश कभी यह स्वीकार नहीं करेगा कि उसने इस प्रकार का कोई पत्र लिखा था । इसलिए जब यह पत्र डाक्टर साहब की रद्दी की टोकरी में मिलेगा तो यह समझा जाएगा कि पत्र डाक्टर साहब ने ही लिखा था। अब हमें बहुत जल्द हरकत में आ जाना चाहिए वर्ना एक और दुर्घटना हो सकती है।"


“क्या मतलब ?” इन्स्पेक्टर ने हैरान होकर पूछा।


"हत्यारा डाक्टर साहब को हत्यारा सिद्ध करने के लिए काफी जोर लगा चुका है, लेकिन हमने अभी तक हत्यारे की इच्छा के अनुसार डाक्टर साहब को गिरफ्तार नहीं किया। हत्यारे को इससे बड़ी निराशा हुई है । उसे अपना बना-बनाया खेल बिगड़ता नजर आ रहा है। अब वह डाक्टर साहब की शंका के अनुसार उन पर हमला कर सकता है।" 


मेजर बातें करने के साथ-साथ गोंददानी लेकर राजेश के पत्र के टुकड़े भी जोड़ता रहा । जब वह दूसरे कागज पर पत्र के टुकड़े जोड़ चुका तो उसने वह पत्र तह करके अपनी जेब में रख लिया ।


इतने में डाक्टर बनर्जी अपने सोने के कमरे का दरवाजा खोलकर अपने पढ़ने के कमरे में आ गया। उसका रंग सफेद पड़ चुका था और उसकी आंखों से दहशत नाच रही थी। उसने एक थके व्यक्ति की तरह गर्दन हिलाकर कमरे में नजर दौड़ाई और फिर कुर्सी पर बैठते हुए क्षीण स्वर में बोला, "मैं सोने की कोशिश करता हूं, लेकिन नींद नहीं आती ।" फिर उसने मेजर को ओर देखते हुए कहा, "मैंने आपक बातें सुन ली हैं कि अब हत्यारा निराश होकर मुझ पर हमला करेगा। मेरा दिल बैठ जा रहा है । इस घर में क्षण-भर के लिए भी नहीं रह सकता। मुझे इसकी दीवारों तक से भय लग रहा है | काश, आपने मुझे बम्बई जाने दिया होता ! यह सोच कर मेरी जान निकली जा रही है कि आज की रात इस घर में कैसे कटेगी। आपको एक पत्र मिला है। सिद्दीकू ने उस पत्र को जो इबारत पढ़कर सुनाई है। उससे प्रत्यक्ष है कि कोई मेरी जान का दुश्मन हो रहा है। यह जानकर मेरे होश-हवास उड़ गए हैं कि वह पत्र राजेश ने लिखा है। मेजर साब, मैं बहुत डर गया हूं।"


“घबराए नहीं, डरने की कोई बात नहीं। हम आपकी पूरी-पूरी रक्षा करेंगे । और फिर मेजर ने कुछ सोचते हुए कहा, "आपको मालूम है कि कल सुबह छ बजे के लगभग आपको कॉफी का जो प्याला दिया गया था, उसमें अफीम का पाउडर मिल हुआ था ?"


"काफी के प्याले में अफीम का पाउडर ! " आश्चर्य से डाक्टर बोला, "नहीं, मुझे यह मालूम नहीं था । ओह, अब मैं समझा कि मैं कल इतनी देर तक क्यों सोया रहा था और कल से मुझे इतनी प्यास क्यों लग रही है । किसी ने मुझे अफीम देकर मारने की कोशिश की थी | क्या आप अब भी मुझे इस घर में रहने को कहेंगे ?” 


"हमआपसे कहेंगे कि आप इसी घर में रहिए और इस प्रकार हत्यारे को ढूंढ़ने में हमारी सहायता कीजिए ।”


“मैं आपकी सहायता करने के लिए तैयार हूँ।"


"धन्यवाद ! " मेजर ने कहा, "क्या आपकी पत्नी सुआहिली भाषा अच्छी तरह जानती हैं ? " 


'"हां, बहुत अच्छी तरह "


"आप भी सुआहिली भाषा जानते हैं ?


“जी हां - और राजेश भी। मैंने ही उसे यह भाषा सिखाई है । " 


"डाक्टर साहब, इस घर में कौन ऐसा व्यक्ति हो सकता है जो आपको दीवान साहब की हत्या का अपराधी ठहराकर आपको अपने रास्ते से हटना चाहता है ? " 


“अब तो मुझे इस घर के हर व्यक्ति से भय लग रहा है । कृपा करके मुझे गिरफ्तार कर लीजिए | इस तरह मैं सुरक्षित तो रहूंगा ।"


"डाक्टर साहब, आप भूल रहे हैं। गिरफ्तार अपराधियों को किया जाता है, निर्दोष व्यक्तियों को नहीं । आप बहुत थके हुए दिखाई दे रहे हैं । जाकर आराम कीजिए | कल सुबह तक अपने कमरे में रहिए | हम उचित पहरे और निगरानी का प्रबन्ध कर देंगे "


डाक्टर ने कुर्सी पर से उठते हुए पूछा, "क्या आप हत्यारे का अभी तक कोई सुराग नहीं लगा पाए ?"


"कुछ-कुछ तो पता चल गया है । लेकिनअभी तक हमारे पास प्रमाण कम हैं, इसलिए उसे गिरफ्तार नहीं किया जा सकता । हमें थोड़ा-सा इन्तजार करना होगा।"


डाक्टर सोने के कमरे के दरवाजे तक जाते हुए लड़खड़ा गया | मेजर उसे सहारा देने के लिए लपका। वह डाक्टर को सोने के कमरे में ले गया। जब वह मुड़ा तो उसकी नजर एक अलमारी पर रखे हुए तीर-कमान पर पड़ी | मेजर ने उसे उठा लिया । यह प्राचीन ढंग का धनुष था और काफी वजनी था ।


“यह तीर-कमान बहुत मजबूत है ।" मेजर ने कहा । 


" इसे अफ्रीका के जंगली लोगे शिकार के लिए इस्तेमाल करते हैं।" डाक्टर ने कहा।


"आपके पास कहां से आया ?”


"यह मेरी पत्नी का है।" 


"आपकी पत्नी का ?


"हां, उसके पिता प्रोफेसर मोरावियो इसे अफ्रीका से लाए थे।" 


“ओह !" यह कहकर मेजर ने तीर-कमान दोबारा अलमारी पर रख दिया और कमरे से बाहर निकलते हुए बोला, "आज रात को अपने कमरे का दरवाजा और खिड़कियां बन्द करके सोइएगा ।"


मेजर पढ़ने के कमरे में आया तो इन्स्पेक्टर ने कहा, “डाक्टर के बयान से मुझे भी ऐसा लगा है कि इस घर में कदम-कदम पर खतरा रेंग रहा है। आज हमें पहरे का और भी कड़ा प्रबन्ध करना होगा।"


"हां, नीचे चलिए, राजेश से एक और मुलाकात बहुत जरूरी है ।"


राजेश अपने कमरे में था। उसके कमरे के बाहर एक पुलिस कांस्टेबिल खड़ा था । वह बहुत तिलमिला रहा था। उसको यह नजरबन्दी विल्कुल पसन्द नहीं थी । मेजर ने मुस्कराते हुए कहा, "आपको एक-दो दिन के लिए कष्ट उठाना पड़ेगा। मैं जानता हूं कि जुदाई की घड़ियां कितनी जानलेवा होती हैं।" 


राजेश मेजर की इस बात का मतलब समझ गया था। उसने उदास होकर पूछा, “एक-दो दिन के लिए मुझ पर कड़ा पहरा लगा रहेगा ?"  


"नहीं, केवल आज की रात – आज की रात आपको बहुत चौकस रहना होगा।" मेजर ने कहा । 


"क्यों?"  


"हम समझते हैं कि कोई न कोई नई घटना अवश्य होगी। हम सभी को यह हिदायत कर रहे हैं कि वे चौकन्ने रहें । बस, आपसे इतना ही काम था।" मेजर मुडा और दरवाजे के पास पहुंचकर बोला, "एक बात याद आ गई | कामिनी के साथ तो आप काफी समय तक रह चुके हैं— कामिनी के बारे में आपकी क्या राय है ?"


"मेरे सामने उसका नाम न लीजिए | वह बड़ी गुस्ताख लड़की थी । उसने मेरे चाचा का जीना हराम कर दिया था। मैं उसका नाम भी सुनने के लिए तैयार नहीं हूं ।” राजेश के स्वर में घृणा थी ।


दोनों राजेश के कमरे से बाहर निकले तो उन्होंने सोनिया को ऊपर से नीचे आते हुए देखा | शाम के साये फैलने लगे थे ।


सोनिया मुस्करा रही थी । उसकी मुस्कराहट उसकी विजय का प्रतीक थी । मेजर का दिल भी उसकी छाती में बल्लियों उछलने लगा ।


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