उपसंहार

भारकर को तत्काल नौकरी से डिसमिस किया गया और उसे डबल मर्डर के इलज़ाम में गिरफ्तार किया गया।
उसका आमना-सामना कोलाबा वाले गवाह से, जिसने सुबह साढ़े चार बजे भारकर को जसमिन के फ्लैट के दरवाजे पर खड़ा देखा था, कराया गया तो उसने निःसंकोच भारकर की शिनाख्त की।
तब भारकर ये दुहाई देता न रह सका कि उसके खिलाफ खड़े तमाम सबूत बनाए गए थे, गढ़े हुए थे।
सब-इन्स्पेक्टर रेखा सोलापुरे और सब-इन्स्पेक्टर रवि कदम को, पैंडिंग डिपार्टमेंटल इंक्वायरी, थाने से मुअत्तल करके लाइन हाज़िर किया गया। कदम की ये खुशकिस्मती थी कि मालखाने में मौजूद शूटर के पीओपी मोल्ड के साथ जो हेराफेरी उसने की थी, वो कभी उजागर न हुई।
घटके को फौरन गिरफ्तार किया गया। गम्भीर डंडा परेड के बाद उसने अपना अपराध कुबूल किया कि तुलसीवाडी वाली शूटिंग की वारदात को रेमंड परेरा के हुक्म पर उसने ख़ुद अंजाम दिया था। ऐसा इसलिए भी मुमकिन हुआ था कि उसे मालूम हो चुका था कि परेरा का उसके सिर पर हाथ नहीं था और कराची वाले भाई की परेरा को शह कभी थी ही नहीं। ये जानकर उसे भारी शॉक लगा था कि उसका पावरफुल बॉस परेरा फ्रॉड निकला था।
रेमंड परेरा किसी को ढूंढ़े न मिला। सबका यही ख़याल था कि वो दुबई निकल भागने में कामयाब हो गया था।
टोपाज़ क्लब को ताला लग गया।
पुलिस जब गिरफ्तारी के लिए रेमंड परेरा की तलाश में वहां पहुंची तो उन्होंने टोपाज़ क्लब के बन्द प्रवेश द्वार पर बोर्ड लगा पाया :
क्लोज्ड फार रेनोवेशन
विल बी ओपंड शार्टली अंडर न्यू मैनेजमेंट।
क्लब कभी न खुला। कुछ दिन वो बोर्ड लगा उस पर दिखाई दिया फिर वो भी ग़ायब हो गया।
सर्वेश सावन्त को जब रेमंड परेरा के और उसके ख़ास’ घटके के अंजाम की ख़बर लगी तो जैसे सूली पर टंगी उसकी जान ने राहत पाई वर्ना वो तो कराची वाले ‘भाई’ के नाम की धमकी में आकर परेरा को क्लब में पार्टनर कबूल करने की तैयारी कर भी चुका था।
कोंपल मेहता कभी मुम्बई वापिस न लौटी।
भारकर की गिरफ्तारी और उसकी डबल मर्डर में शिरकत की कहानी अगले रोज़ सिर्फ ‘एक्सप्रैस’ में छपी और झालानी को भरपूर वाहवाही हासिल हुई। ‘एक्सप्रेस’ ने उस ब्रेकिंग न्यूज़ स्टोरी के माध्यम से झालानी को अपने एस रिपोर्टर के तौर पर प्रोजेक्ट किया।
एसीपी कुलकर्णी ने उस वाहवाही में शरीक होने की कोई कोशिश न की, उसने बाख़ुशी उसे झालानी का वन मैन शो करार दिया।
डीसीपी पुजारा के हिस्से कमिश्नर की फटकार आई कि ऐसा बेगैरत, बद्अख़लाक क्रिमिनल माइन्डिड एसएचओ उसके अन्डर काम करता था और पूरी ढिठाई से ख़ुद को डीसीपी का आदमी हूँ’ बोल कर हर किसी को डीसीपी पुजारा के नाम की हूल देता था।