9."छल कभी कभी अपने भी"

आज सब हैरान थे..रोहन को इस तरह देखकर,

जो रोहन अपनी गाड़ी मे एक तिनका नही गिरने देता आज वो कीचड़ और धूल से लथपथ गाड़ी मे बैठा हुआ था।

और न जाने किन खयालो मे डुबा था।

तभी एकाएक शर्मा जी आये और कुछ पूछते रोहन गाड़ी से गुस्से मे उतरा और जोर से गाड़ी का दरवाजा बंद करता हुआ अंदर को ओर चला गया।

सब हैरान थे सबके जहन मे बस एक ही सवाल कौंध रहा था आखिर रोहन को हुआ क्या है??

कल तो बड़े खुश मिजाज से दोस्तो के साथ घूमने जाने का प्लान बन रहा था, आखिर अचानक ऐसा क्या हुआ होगा रोहन के साथ जो अक्सर शांत और खुश मिजाज रहने वाले रोहन को इतना गुस्सा अ गया।

रोहन अपने कमरे मे लेटा हुआ था की पापा और मम्मी जो की एक किट्टी पार्टी मे गये हुए थे वापस अ गये।

जैसे ही मिस्टर महरा और मिसेस मेहरा अपनी गाड़ी से उतरे और रोहन की गाड़ी की हालत देखी उनसे रहा नही गया,वे दोनो जल्दी जल्दी रोहन के कमरे मे गये और रोहन से पूछने लगे-

माँ-क्या हुआ बेटा रोहन आप ठीक तो हो न?

पापा- आप तो अपनी गाड़ी को हमसे ज्यादा प्यार करते है फिर  गाड़ी का ये हाल??

रोहन ने आँसू भारी नज़रो से उनकी तरफ देखा और बस इतना पूछा कि आप लोगो की कभी शिमला में पोस्टिंग हुई थी । उन्होंने बोला हाँ बेटा ! इतना बोलते ही शायद उनको भी कुछ याद आ गया वो बिना कुछ बोले कमरे से बाहर चले गये।

part-2

आज रोहन जब अपने दोस्तो के साथ शिमला की ऊंची नीची पहाड़ियों की सैर करने निकला ही था की कुछ दूरी तय करते ही एक लड़की उसके कार के सामने आ  गयी...जो शयाद जान देने के लिये निकली थी......रोहन ने तुरंत ब्रेक लगाया गाड़ी उसकी साड़ी को छूते हुए रुक गयी रोहन का सिर हैंडल पर लगा और बाकी सभी  दोस्त एक दूसरे के ऊपर गिर गये...।।

कुछ समये बाद उठते है तो देखते है, वो लड़की दूसरी कार सामने खड़ी हो गयी है।

रितेश ने आवाज लगायी.....'ओ मैडम क्या बात है क्यो हम जैसे लोगो को गुनहगार बनाने मे लगी हो'

रितेश के इतना बोलते ही शायद लड़की होश में

अ गयी....और सामने आती गाड़ी से किनारे हट गयी....और वही खड़े होकर फूट -फूट  कर रोने लगी।..

रोहन से उसका रोना देखा नही गया...रोहन गाड़ी से उतरा और उसके पास गया....रोहन ने जैसे ही उसके कन्धे पर हाथ रखा...वो घूमी और रोहन के सीने पर सर रखकर रोने लगी।

उस लड़की की उम्र ज्यादा से ज्यादा  22से 24 होगी पर वक़्त के द्वरा दिये गए घाव की वजह से वो 35-36 साल की आंटी लग रही थी।

कुछ देर बाद आँशू पोछते हुए वो अपने रास्ते जाने लगी....राहुल ने आवाज लगायी आप कहाँ ज रही है।

"बोलो तो मैं छोड़ दो"......नही मैं चली जाऊँगी...

घर पर माता पिता मेरा इंतज़ार कर रहे होंगे उनके खाने का इंतज़ाम भी करना है।

रोहन ने फिर बोला और अपनी कार लेकर उसके पास रुक गया....देखने मे खूबसूरत तो थी ऊपर से अंशुओ ने सुंदरता पर चार चंद लगा दिये थे...और वैसे भी आज के जमाने मे उम्र कौन देखता है...फिलहाल रोहन तो उसकी मदद करना चाहता था...और इस बार वो मना नही कर पायी।

पीछे तीन दोस्त और थे..इसलिये रितेश पीछे शिफ्ट हो गया...और वो आगे।

कुछ ही दूरी पर था उस लड़की का घर...उसको वहां उतरते ही रितेश गाड़ी से उतरा और जो भी खाने  समान वो लोग ट्रीप के लिये ले ज रहे थे,सारा समान उसे दे दिया...उसके मना करने पर भी रोहन नही माना...

अब रोहन रितेश शिमला की यत्रा के लिये निकल तो गये पर रोहन के चेहरे पर न जाने कितने सवाल छोड़ गए...  वो कुछ लम्हे जहां उसने किसी को जान देने की कोशिश करते हुए देखा था ।

रोहन को रात मे नींद न अ रही थी...और वो दोस्तो के साथ मजे भी नही कर प रहा था..

आज शाम से ही घने बादल छाये थे मानो आज  बादल दिल खोल के बरसने के मूड़ मे थे....शाम 5 ही बजा था बादल बरसने लगे....उधर रोहन की बैचैनी बढ़ती ज रही थी।

रोहन किसी को बीन बताये तेज बारिश मे निकल गया अपनी औड़ी से जिसे वो खुद से ज्यादा प्यार करता था।

धूल मिट्टी...से गाड़ी पूरी तरह गंदी हो  चुकी थी..रोहन ने गाड़ी उस लड़की के घर के सामने रोकी और वही न जाने किन ख्यालो खोये हुए रोहन की आँख लग गयी...

और लोग जब उन टूटे फूटे रास्तो से गुजरने लगे....तो वहां भरे पानी की आवाज से रोहन की आँख खुल गयी...

सामने देखा तो वो लड़की खड़ी थी..चेहरे पर हमेशा की तरह छायी उदासी लिए पता नही किन ख्यालो मे खोई हुए थी...रोहन गाड़ी से उत्तरा और पास जाकर बोला-

'जरा पानी मिलेगा क्या'....ख्यलो से बाहर आते हुऐ...

अरे साहब आप,आप यहां कैसे??

हां हां ये लीजिये पानी...

रोहन कुल्ला करके वापस अपनी गाड़ी की तरफ चला गया...

एक दो सनैक्स के पैकेट पड़े थे खाकर बैठा रहा...कुछ देर बाद जब वो लड़की दोबारा वहां से गुजरी तो रोहन ने टोक दिया-

'अरे सुनिये क्या मैं आपका नाम  जान सकता हूँ अगर आप चाहे  तो?'......

जी....ऋतू।।।

ऋतू जी मुझे आपसे कुछ बात करनी है ।

क्या इजाजत है?

ऋतू  मुझे आप से बात करने मे कोई दिलचस्पी नही है..उस दिन आप ने एक वक़्त का खाना देकर बहुत अहसान किया मैं आपकी सदा अभारी रहूँगी..रोहन दादी के साथ ज्यादा वक़्त बिताता था इसलिए उसे हिन्दी का भी पूरा ज्ञान था।

अरे! सुनिये तो ऋतु जी सदा आभारी रहने से अच्छा है सिर्फ आज ही आभारी हो जाओ,...मेरा मतलब कुछ वक़्त मुझे देदो उसके बाद भूल जाना कभी किसी ने कोई मदद की थी।

रोहन की बाते ऋतु को उसकी ओर आकर्षित कर रही थी उसका मन उसे मना कर रहा था पर दिल ने तो तभी जवाब दे दिया था जब ऋतु ने रोहन के सीने पर सर रखा था।

ऋतु मान गयी....रोहन ने गाड़ी किनारे लगायी और ऋतु के साथ पैदल चल दिया...कुछ समय सब जगह खामोशी छाई रही...फिर रोहन ने हिम्मत करके बोला क्या मैं जान सकता हूँ की आप उस दिन जान क्यो देने ज रही थी...

कुछ रुकते हुए ऋतु बोली मुझे पता था आप ये ही पूछोगे इसलिये मैं कहती थी। मुझे आप से कोई बात नही करनी।

रोहन-ओ सॉरी अगर आपको खराब लगा हो तो...

‎ऋतु-सॉरी की क्या जरूरत है आप की जगह कोई और भी होता तो यही पूछता.....।

मेरे अंदर मेरी बहन की आत्मा अ जाती है....जो हमेशा कुछ चुने हुए गाड़ी के नंबर के सामने ले जाकर मुझे मरने मे मजबूर करती है ताकि वो अपनी मौत का बदला ले सके।

रोहन-चुने हुए नंबर मतलब...क्योकि उसे तुम्हारे माता पिता को जेल भिजवाना है।

रोहन-मेरे मॉम डैड़ व्हाट रब्बीस....

ऋतु-जी

रोहन-मेरा मतलब ये तुम क्या बोल रही  हो?

तुम्हे पता है ना , ऋतु- हाँ मुझे पता है मैं क्या बोल रही हूँ।

रोहन - मुझे कुछ समझ नही अ रहा।

मेरे मॉम डैड  का तुम्हारी बहन से क्या कनेक्शन?

ऋतु-

रोहन जब तुम 5-6 साल के होंगे ये तब की बात है।

तुम्हारे मम्मी पापा डॉक्टर है न....

आज से करीब 17 साल पहले जब मैं भी 3-4 सा ल की थी और मेरी दीदी जो 17-18 साल की रही होगी

अचानक तबियत खराब हो गयी थी...तब हमारे पास इतने पैसे और इतना वक़्त नही था की हम उसे शहर ले ज सके....

तब यहाँ के सरकारी हॉस्पिटल  मे कुछ नये डॉक्टर की पोस्टिंग हुई थी...उनमे से एक तुम्हारे पापा और मम्मी भी थे..तुम्हारी माँ की यहाँ पोस्टिंग हुई थी....और तुम्हारे पापा ने भी अपनी पोस्टिंग यहां  करवा ली थी।

रेणु को लेकर हम जैसे ही हॉस्पिटल पहुँचे तो स्टाफ जाने की तैयारी मे था..और तुम्हारी माँ ज चुकी थी और पापा की नाइट शिफ्ट थी...

उन्होने रेणु को ऐडमिट तो कर लिया.......पर अपना फ़र्ज़ निभाने की जगह उन्होने पैसो को वरीयता दी...

उस दिन गाँव के मुखिया का बेटा वहां एडमिट था उसकी किडनी खराब ही चुकी थी उसकी किडनी ट्रांसप्लांट करनी थी..और इसके लिये मुखिया ने डॉक्टर को मुँह मांगी किमत दी थी..

तुम्हारे पापा ने रेणु की किडनी उसको लगा दी और

और दूसरी किडनी का सौदा किसी और से कर दिया..और रेणु को पट्टी करके और वही कपड़े वापस पहना कर चादर से ढक दिया और मेरे माता पिता से बोला-माफ़ करिये हम आपकी बेटी को नही बचा सके...सारे टेस्ट के बाद पता चला रेणु की किडनी खराब थी।

और उसको ट्रांसप्लांट करने के लिये बहुत पैसो की जरूरत थी....हमारे  पास वक़्त भी नही था की अपको बोल सकते पैसो का इंतज़ाम करिये...

मेरे माँ पापा बहुत सीधे थे उन्हें लगा शायद ऐसा ही कुछ होगा वो मान गये और रेणु का अंतिम संस्कार कर दिया गया...मैं भी कुछ जानती नही थी..

पता नही कब मैं रोते रोते बड़ी हो गयी और मम्मी पापा बूढ़े हो गए|

रोहन तुमको ये बात किसने बतायीं.....और इस बात का क्या सबूत है की उस रात तुम्हारी बहन के साथ जो भी हुआ उसमे मेरे मॉम डैड़ का हाथ था।

सही बोल रहे रोहन मेरे पास भी इन मनगढ़ंत कहानी के शिवा और कोई सबूत नही है वरना आज तुम्हारे माँ पापा सलाखों के पीछे होते....

मेरी माँ की क्या गलती है इन सब मे...तुम्हारी माँ ने ऐसा कुछ तो नही किया पर उन्हें सारी सच्चायी पता होने के बावजूद वो तुम्हारे पापा का साथ दे रही है..

और इतना ही नही तुम्हारे माता पिता देह का व्यापार करते है..वो गरीबो के शरीरों के अंग अमीर लोगो की शरीर मे लगा देते है और मुँह  मांगी कीमत लेते हैं| कुछ पैसा पुलिस को देकर केस रफा दफा हो जाता है|

रोहन को धक्का तो लगा था पर खुद को सँभालते

हुए बोला....तुमको किसने ये सब बताया है और क्या कोई सबूत है...

ऋतु - नही , रोहन.

पर मुझे सबसे पहले मेरी बहन की आत्मा ने खुद सपने मे आके बताया मुझे विशवास नही हुआ की उसकी मौत का कारण इतना भयानक था....मैं दूसरे दिन सुबह उठ कर पता लगाने गयी तो पता चला गाँव के मुखिया अपनी आखिरी साँसे गीन रहे है| मैं जैसे ही उनके पास उनके  कमरे मे पहुँची और इस बारे मे पूछना चाहा...तो

उन्होने एक संदूक की तरफ इसारा किया और दुनिया से चल दिये।।

उसमे उस रात की सारी रिपोर्ट थी।

मुझे कुछ समझ नही अ रहा था कहाँ लेजाऊं इनको

की मेरी बहन की आत्म को शांति मिल जाये।

मैं सबसे पहले तुम्हारी माँ के पास लेकर गयी ताकि वो मेरी मदद कर दे...पर मैं भूल गयी थी की आखिर वो मेरा साथ क्यो देंगी जब इतना पैसे वाला पाती है उनके साथ हैं।

उन्होंने बोला अगर ये सच बात है तो तुम जाओ और पुलिस मे बताओ जाके अगर मेरे पाती ने ऐसा कुछ किया है तो मैं खुद उन्हें जेल लेकर आऊँगी...

ऋतु ने वैसा ही किया....पुलिस स्टेशन मे ऋतु बैठी थी की मिस्टर और मिस मेहरा वहां पहुँचे और पुलिस के मुँह मे नोटो की गड्डी फैंकते हुए बोले तुमको इस लड़की के साथ जो करना है करो और इसके पास जो रिपोर्ट है उसको जला कर फ़ैक दो

वो पुलिस मेरी तरफ गंदी नजरों से देखने लगा

मैं उस वक़्त वहां अकेली थी...वो मेरे साथ कुछ करता मैंने भागने की कोशिश की और रिपोर्ट छिना

झपटी मे फट गयी...मेरे पास उनके आधे आधे टुकड़े ही बचे थे जो मेरे किसी काम के नही थे|

उस रात मुझको नींद न आयी और जब सुबह के वक़्त आँख लगी तो दीदी सपने मे आयी और बोली अब हम ही बदला लेंगे उनसे...उस दिन उसने बोला मैं हर 444 डिजिट वाली गाड़ी के आगे तुम्हारे अंदर घुस कर तुम्हारा एक्सीड़ेंट कराऊंगी और वो तुम्हारी मौत की सजा मे सलाखों के पीछे चले जायेंगे।

रेणु ने आगे बोला और तुम्हारी और मेरी कुर्बानी की वजह से हम बहुत उन लोगों को बचा लेंगे जो इन के चंगुल मे फस कर अपने बच्चों को खो देते हैं।

रोहन को अब भी विशवास नही हो रहा था...

पर वो कुछ वक़्त पहले घटी घटना को कैसे भूल जाता जिसमे उसने खुद देखा की एक लड़की सच मे उसकी कार के सामने सोसाइट करने आयी थी और कुछ देर मे संभल गयी और अपने काम मे लग गयी।।

राहुल ने बहुत गौर से ऋतु की बात सूनी और  बोला तुमको मरने की जरूरत नही है अगर मेरे माता पिता दोषी है तो उनको सज़ा मिलेगी मैं उनको सलाखों के पीछे भेजूँगा।

फिर राहुल वापस अपनी गाड़ी के पास गया जो कीचड़ और धूल से सनी हुए थी घर के पास खड़ी की और गुस्से मे बाहर निकला और घर की छानबीन की उसको बहुत से रिपोर्ट और फोटो ग्राफ मिल गये जो उसके पैरेंट्स के खिलाफ  थे।

अब राहुल अपने कमरे मे था...और जैसे ही मिस्टर और मिस मेहरा उसके कमरे मे पहुँचे तो उसकी आँखे भारी हुए थी...और न जाने कितने सवाल पूछ रही थी अपने गुनेहगार माता पिता से।।

उसके 10 दिन के अंदर ही मिस्टर मेहरा को दोषी करार दिया गया और मिस मेहरा को उनका साथ देने के जुल्म में सजा सुनाई गई।

रोहन ने ऋतु की हर वो मदद की जो वो कर सकता था।।

कहानी यही खत्म होती है  ‎आप सब का दिल से धन्यावाद की अपने मेरी कहानी पढ़ी।

सिख-बुरे कर्म पैसो से भी नही छुपाये ज सकत्ते

गुनहगारो को सजा जरूर मिलती है||

स्वाति को कलम से-"छल कभी कभी अपने भी"