'चलो बे कितना टाइम लगाओगे' बाइक पर वेट करते हुए संजय ने कहा।

' आ रहे हैं भाई,इतना का जल्दी है,'अंकुश ने अंदर से t-शर्ट पहनते हुए कहा।

'जल्दी है, बे सुबह 8:00 बजे जाना था प्रचार करने  और अभी 10:00 बज गए पर  तुम तैयार भी नहीं हुये ऐसे तो बन गए हम प्रेसिडेंट' संजय ने बाइक कै शिसे सही करते हुए कहा जिसमें राहुल पीछे बैठा अपने बाल सवार रहा था।

' शीशा काहे घुमाये बे, साला तुम्हारी शक्ल अच्छी नहीं है,पर हमारी तो है, हमारी तो गर्लफ्रेंड है ना, हमें तो तैयार होकर रहना पड़ता है' राहुल ने संजय के सर पर टपली मारते हुए कहा।

'डेढ़ घंटे से बाल ही तो सवार रहे हो ,आज शादी है क्या बे तुम्हारी ' अब संजय भी गुस्से में था।

' शादी नहीं है बे, आज प्रतिभा का बर्थडे है और हमें उसको सरप्राइस देना है तो अच्छा तो दीखना होगा ना' राहुल ने वापस बाल संवारते हुए कहा।

' तुम्हारा भी सही है बे ,अच्छा है प्रतिभा का कोई भाई वाई नहीं है मेघना से तो  उ आदित्य के कारण हम मिल भी नहीं पाते हैं।' संजय ने उदासी से कहा।

' आ गए ...आ गए ' अंकुश भागता हुआ आया और पीछे की सीट पर बैठ गया। और संजय ने बाइक स्टार्ट कर दी.

' संजय बेटा अंकुश का ध्यान रखना ,ठीक है ना' अंकुश की मम्मी ने पीछे से कहा ' हा आंटी ,जरूर' संजय ने वही पुरानी बात कहीं और चल दिया।

' मम्मी बार-बार क्या कहती है ध्यान रखना ,ध्यान रखना हम  कोई बच्चा थोड़ी है ,हम अपना ध्यान खुद रख सकता है'अंकुश ने धीरे से खुद को कहा। पर अंकुश को यह नहीं पता कि भले ही आप कितने बड़े हो जाओ अपनी मां के लिए तो आप हमेशा बच्चे ही रहोगे जब भी वह आपको देखती है ना तो उसे तो वही बच्चे का चेहरा याद आता है, जब उसने उसे पहली बार देखा था छोटा सा, नन्ना सा।

संजय कॉलेज पहुंचा और पूरे दिन प्रचार में ही लगा रहा, हालांकि की अंकुश ने सोशल मीडिया पर काफी प्रचार कर दिया था और राहुल भी अच्छे खासे पैसे लगा रहा था पर संजय  की  पुरानी छवि के कारण उसे ज्यादा वोट मिलने की आस कुछ कम ही थी। ऊपर से नेताजी आदित्य पर पानी की तरह पैसा बहा रहे थे क्योंकि अब वह उनकी भी इज्जत का सवाल था। अब शाम हो चुकी थी और तीनों दोस्त पार्टी ऑफिस में बैठे थे।

' सुनो बे हम चलते , प्रतिभा को सरप्राइस देकर कैंडल लाइट डिनर का प्रोग्राम बनाएं है हम ' राहुल ने उत्साह पूर्वक कहा।

'साले तुम चले जाओगे तो पोस्टर कौन लेकर आएगा, उ अरविंद प्रेस वाला 3 दिन से हम को फोन कर रहा है,कह रहा है कि भैया अपना पोस्टर ले जाओ' संजय ने गद्दे पर आराम करते हुए कहा।

' तो कल ले आना , ऐसा तो है नहीं कि आज नहीं लाओगे तो चुनाव हार जाओगे' राहुल ने परफ्यूम लगाते हुए कहा।

'साला इस कल कल के चक्कर में ही तो 3 दिन निकल गए अब तो कल सुबह मुझे वह पोस्टर चिपके हुए चाहिए इसलिए आज  ही जाओ बे तुम' संजय ने आदेश दिया।

' तुम अंकुश को भेज दो , हम नहीं जा सकते बे समझा करो' राहुल ने जुराब पहनते हुए कहा।

' नहीं बे इससे बाइक नहीं संभलेगी, तुम ही जाओ ' संजय ने चिंता जाहिर की।

' क्या नहीं समभलेगी,  हमको दोगे तभी तो पता चलेगा ना, यहां हर कोई हमको बच्चा ही समझ रहा है' अंकुश ने गुस्से में खड़े होकर कहां।

' उ संभाल लेगा हमको भरोसा है उस पर, ठीक है हम जा रहे हैं, राहुल ने जूते पहने और बाहर निकल  गया।

'सुनो बे ध्यान से चलाना और वन पीस में वापस आना, ओर उ हैमलेट भी लेके जाओ साथ में ' संजय ने चाबी अंकुश की तरफ फेंकी और उल्टा लेट गया।

'वो  हैमलेट नहीं, हेलमेट होता है, छोड़ो बे हम भी किस ग्वार को समझा रहै हैं और सुनो तुम्हारी जैकेट लेके जा रहे हैं 'अंकुश ने चाबी और हेलमेट लिया ,जैकेट पहनी और बाहर निकल गया। और थोड़ी देर में बारिश स्टार्ट हो गई। संजय भी थकान के मारे सो गया।

अनहोनी की खास बात यह है कि वह कभी बताकर नहीं आती पर खुशियों के साथ ऐसा नहीं है वह कभी बताएं और कभी बिना बताए भी आ सकती है पर अनहोनी आदर्श अज्ञानता का उदाहरण होती हैं। संजय का फोन पिछले 30 मिनट से बज रहा था पर वह गहरी नींद में था।जब किसी अच्छे इंसान के साथ कुछ गलत घटित हो रहा होता है ना तो प्रकृति भी संदेश देती हैं।इसीलिए ना जाने कबसे इतनी बारिश क्यों हो रही थी,बिजली इतनी जोर से क्यों कड़कड़ा रही थी ?

' संजय ...ओए संजय , कहा मर गए बे ' एक रुहांशी आवाज में कमरे में घुसते हुए कहा। जिसको सुनते ही संजय  जाग गया।

' अरे यही है सो रहे हैं का हुआ, और ऐसी हालत काहे बना रखी है बे तुम तो प्रतिभा के बर्थडे पर नहीं गए थे क्या ? 'संजय ने आंख मलते हुए राहुल से पूछा जो बारिश में पूरा भीगा हुआ था । पर अंधेरे के कारण उसका चेहरा नहीं दिख रहा था।

' हम तो कहे थे कि पहले हमारा काम कर दो , पर तुम माने नहीं अब लग गई ना हमारी बददुआ' संजय खड़ा हुआ और बोतल से पानी पीने लगा।

अचानक बिजली चमकी जिसमें अब संजय ने राहुल का चेहरा देखा। उसकी आंखों से आंसू बह रहे थे, पर शरीर जैसा पत्थर का हो गया था।संजय को पता लग गया कि कुछ तो गलत हो गया है।

' का हुआ  रो काहे रहे हो ' संजय ने पूछा।जिसपर राहुल जोर से रो पड़ा। ये तो तय था कि प्रतिभा को कुछ हो गया है।

' अरे! क्या हुआ भाई.....रो क्यों रहे हो... बताओ ना क्या हुआ...प्रतिभा ठीक है ना...' संजय भी रूहांसा हो गया।

'  उ....उस....को कुछ नहीं हुआ....' राहुल ने रोते हुए अटक अटक कर कहा।

' फिर ' संजय की चिंता और बढ़ गई थी।

' अ... अंकु...अंकुश ...' राहुल इससे ज्यादा नहीं बोल पाया।

' अंकुश.... क्या हुआ अंकुश को?.... बताओ बे ' संजय अंकुश का नाम सुनकर जैसे डूबा जा रहा था ।

' अंकुश का एक्सिडेंट हो गया है.... उ हॉस्पिटल में एडमिट है ' और यह बोलते ही राहुल रो पड़ा।

' क्या एक्सिडेंट हो गया . .. अंकुश का... कहा?...केसे?...कब?....' संजय ने बेतहाशा होकर पूछा।

' उ रोहितवा का फोन आया कि अम्बेडकर सर्किल पर अंकुश का एक्सीडेंट हो गया है, वह तुमको भी फोन किया पर तुम ने उठाया नहीं इसलिए हम भागे भागे तुम्हारे पास आए हैं'राहुल ने जल्दी-जल्दी एक सांस में कहा अब वह थोड़ा थोड़ा शांत हो रहा था।

संजय ने अपना फोन देखा जिस पर 11 मिस कॉल आए हुए थे। जिसे देखते ही संजय का दिल बैठ गया।

' कौनसे हॉस्पिटल में है वो?' संजय ने जमीन देखते हुए पूछा।

' m.k. हॉस्पिटल में '

' चलो बे ' संजय ने कहा राहुल के साथ बाइक पर बैठकर हॉस्पिटल के लिए निकल गया और जब तक हॉस्पिटल पहुंचा वह बारिश में पूरा भीग चुका था। हॉस्पिटल में पहुंचते ही उसे रोहित दिखा जो ICU के सामने घूम रहा था।

' रोहित...  रोहित अंकुश कहा है ?'बारिश में भीगे हुए संजय ने रोहित का कॉलर पकड़कर पूछा तो रोहित ने ICU के दरवाजे की तरफ अंगुली कर दी। सब ने थोड़ी देर वेट किया फिर डॉक्टर बाहर निकले।

' सर इसको क्या हुआ ? ,कितनी चोट अाई है , उ सही हो जायेगा ना 1,2 दिनों में..' संजय ने डॉक्टर से इस तरह पूछा जिसे वह किसी ना किसी एक बात पर तो ' हां 'में सिर हिला दे।

' उसको सिर के पीछे की तरफ गहरी चोट आई है और काफी खून भी बह गया था, हमने ऑपरेशन तो कर दिया है पर अभी वह थोड़े दिनों तक बेहोश रहेगा, उसके नर्वस सिस्टम में थोड़ी चोट अाई तो शायद वो कोमा जैसी हालत में रहे और शायद वह कभी चल फिर भी ना पाए , हम बस उम्मीद कर सकते है की वो जल्दी  ठीक हो जाए' डॉक्टर ने इतना कहा और चला गया।

संजय यह सुनते ही जड़ होकर बैठ गया। उसमें थोड़ी देर बाद हिम्मत करी और दरवाजे के कांच से अंकुश को देखा जिसके सर पर पट्टियां थी और ऑक्सीजन मास्क लगा रखा था। तभी राहुल का फोन बजा।

' संजय... संजय ,अंकुश की मम्मी का फोन आ रहा है बे...हम दो बार काट दीए हैं...अब तुम ही बात करो हम नहीं कर पाएंगे' राहुल ने इतना कहा और उसकी आंखों से आंसू की धार चल पड़ी। संजय ने राहुल को फोन देने का इशारा किया और फोन ले लिया।

' ह..है...हेलो  हा आंटी मैं संजय बोल रहा हूं'संजय को एक- एक शब्द बोलते हुए गले में इतना दर्द हो रहा है था जैसे मानो किसी ने हजार सुईया चुभा दी हो।

' है भगवान ! उठा लिया..... बेटा ,अंकुश को कब से फोन कर रही हूं वो उठा ही नहीं  रहा है वह तुम्हारे साथ ही है ना?' अंकुश की मम्मी ने चिंतित स्वर में पूछा।

' ह... हा... हां आंटी वी मेरे सामने ही हैं' संजय ने अंकुश को देखते हुए कहा।

' भगवान का शुक्र है, मैं तो डर ही गई थी बेटा क्या बताऊं, मुझे तो खामखा ही चिंता हो रही थी वह तो तुम्हारे साथ ही होगा ना, लाओ बेटा जरा बात कराओ उससे तो थोड़ा सकून आए ' अंकुश की मम्मी की आवाज सुनकर संजय जो इतनी देर से आंसू रोके रखा था वह रो पड़ा। वह अबतक नहीं रोया था। उसने जैसे तैसे अपने आप को संभाल लिया था पर  अंकुश की मम्मी  की एक आवाज ने उसके आंसुओ का बांध तोड़ दिया।

वो घुटनों के बल जमीन पर बैठ गया और जोर से रोने लगा। राहुल तो अंकुश  और संजय को ऐसे देखकर मूर्ति हो चुका था।

' क्या हुआ बेटा रो क्यों रहे हो ? ,अंकुश ठीक है ना.. बेटा बताओ मेरा जी घबरा रहा है... बोलो ना बेटा अंकुश ठीक है ना.. बोलते क्यों नहीं ?'अंकुश की मम्मी उधर फोन पर बोलते ही जा रही थी और उनकी आवाज भी धीरे-धीरे रुन्हासा हो रही थी ।

रोहित ने संजय के हाथ से फोन लिया और अंकुश की मम्मी को सारी बात बताने लगा।

' हमारी गलती है,सब हमारी गलती है,  तुम कहे थे कि यह बाइक नहीं संभाल पाएगा पर हम ही चुतीया थे प्रतिभा के बर्थडे के चक्कर में उसको बाइक थमा दी सब हमारी गलती है... अगर हम चले जाते तो..' राहुल अब जोर से रो रहा था। पर संजय अभी तक जड़ था उधर से रोहित में अंकुश मम्मी को सारी बात बता दी और फोन काट दिया।

' कैसे हुआ बे एक्सिडेंट ?' संजय ने जमीन पर बैठे-बैठे रोहित से पूछा।

' भैया.. हमको तो उ चंदन बिहार वाला गज्जू  फोन किया था कह रहा था कि अंबेडकर सर्किल पर अंकुश भैया का एक्सीडेंट हो गया है जल्दी से आओ तो हमने हाथों-हाथ आपको फोन किया पर आपने फोन उठाया कि नहीं फिर हमने राहुल भैया को फोन किया और खुद अंकुश को संभालने चले गए वहां जाकर देखा तो एंबुलेंस आ गई थी तो हम बस एंबुलेंस में बैठे  और यहां हॉस्पिटल में आ गए' रोहित ने पूरी बात बता दी।संजय ने मुंह उठाकर रोहित को देखा जिसकी शर्ट पर अंकुश का खून लगा था।

' इसकी जगह हमको होना चाहिए था बे...हम पर तो वैसे भी रोने वाला कौन था?...पर अंकुश ...वो क्यों? ' राहुल जैसे भगवान से सवाल पूछ रहा था

'  हमें उसे बाइक नहीं देनी चाहिए थी राहुल...ये सब मेरी वजह से हुआ है ...मेरी वजह से वो..'संजय ने इतना बोला कि रोहित बोल पड़ा।

' भैया...आप दोनों खुदको कोसना बन्द करो अब...इसमें आप दोनों का कोई गलती नहीं है ' रोहित ने ऐसे कहा जैसे वो कोई और बात जानता हो। संजय और राहुल ने उसकी तरफ देखा।

' भैया ....अंकुश  भैया का एक्सीडेंट नहीं हुआ है.. वह गज्जू बता रहा था कि उसने देखा अंकुश भैया आगे बाइक पर जा रहे थे तभी पीछे से एक  बाइक पर दो लड़के आए और उसमें से पीछे वाले लड़के ने अचानक अंकुश भैया के सर पर सरिए से मारा जिससे उनका बैलेंस बिगड़ा और वो घसीटते  हुए अंबेडकर सर्किल की रेलिंग से जा भिड़े।' रोहित बोला।

' अंकुश को कोई काहे मारेगा बे ... उ किसी का क्या बिगड़ा हैं ? ' राहुल ने पूछा।

' वो अंकुश को मारने का नहीं हमको मारने का प्लान था बे, उ हमारा बाइक था और हमारा ही हेलमेट , और हमारी ही जैकेट। कोई हमको मारने आया था पर अंधेरे में अंकुश  को हम समझ कर मार दिया, और हमको पता है यह किसका काम है.....उस हरामजादे आदित्य का।' संजय यह बोलता हुआ खड़ा हुआ और रोहित का हाथ पकड़कर जाने लगा। रोहित ने आदित्य का एड्रेस भी बता दिया, उसने रोहित की बाइक की चाबी ली और उसकी बाइक स्टार्ट करने लगा।

' सुने बे ...वो रामपुरी दो 'संजय ने बाइक को किक मारते हुए कहा।

' भैया ....'रोहित ने कुछ बोलना चाहा ।

' हम कहे ना...चाकू दो ' संजय ने अबकी बार जोर से कहा । संजय को ऐसे गुस्से में देख राहुल को पता लग गया था कि आज वो आदित्य को मारे बिना  कते ही नहीं रुकने वाला है।

रोहित ने गरदन झुकाए संजय को चाकू थमा दिया, जिसे संजय ने रख लिया और बाइक स्टार्ट कर ली पर उसके आगे राहुल आ गया।

' क्या कर रहे हो बे?.... कहा जा रहे हो ?....उसको मारने, पगला गए हो क्या?....एक तो लेटा हुआ है अब तुमको भी जेल जाना है क्या? ' राहुल ने समझाने कि कोशिश की।

' सामने से हट जाओ ..राहुल। हम नहीं चाहते कि हम तुम्हारे साथ कुछ ऐसा कर जाए जिसका सारी जिंदगी हमें अफसोस रहे ' संजय का पागलपन देखकर राहुल हट गया। उसने बाइक स्टार्ट की और मूसलाधार बारिश में बाइक आदित्य की घर की तरफ ले जाने लगा।

उसने  आदित्य के घर के आगे बाइक रोकी और रामपुरी हाथ में लेकर उसके घर की तरफ बढ़ने लगा जिसे देखकर वहां का गार्ड खड़ा हो गया।  उसे देखकर संजय ने अपनी शर्ट की स्लीव्स ऊपर चढ़ा ली।

' गेट खोले बे ! ' संजय ने गुस्से में गार्ड से कहा।

' नहीं ... सर आप ऐसे अंदर नहीं ...' गार्डनर संजय को रोकना चाहा।

' गेट खोल ....बहन** ' संजय   गुस्से से चिल्लाया  और जोर से गौर्ड के एल्युमिनियम के केबिन पर लात मारी जिससे उसका दरवाजा टूट गया । गार्ड ने डर के मारे गेट खोल दिया और हाथो अंदर फोन कर दिया।

आदित्य  शोर सुनकर बाहर आया और संजय ने उसे देखते ही सकते में ले लिया घास पर पटक कर पीटना शुरू कर दिया और उसके चेहरे पर मुक्के मारने लगा, उसका चाकू कही आस पास गिर गया था।

'हमारे दोस्त को मारेगा ' संजय ने जोर का मुक्का उसकी नाक पर मारा जिससे आदित्य का चेहरा खून से भर गया।

' मेरे भाई को मारेगा .... मादर** ' संजय बेतहाशा मुक्के बरसाए जा रहा था। इतने में संजय को पास में पड़ा चाकू मिल गया।

'हम कहे थे हमारे दोस्तों से दूर रहना...' संजय ने आदित्य की गरदन पर चाकू रखे हुए कहा

'...पर ...पर तुम साला....' संजय ने दूसरे हाथ से फिर से मुक्का मारा। अंदर से मेघना भागती हुई अाई

' रुक जाओ.... छोड़ो उसे ....क्यों मार रहे हो उसे ?' मेघना ने संजय को आदित्य पर से खींचते हुए कहा।

' तुम साइड हो जाओ वरना आज हम भूल जाएंगे कि हम तुमको प्यार करते है...' संजय ने गुस्से में कहा। मेघना संजय को खींचती रही तो संजय ने झुंझलाहट में उसे थप्पड़ मार दिया।माहौल में अचानक शांति आ गई, आदित्य आधा बेहोश था, संजय  उस पर से खड़ा हो गया।मेघना  आदित्य को संभालने के लिए भागी।

' किया क्या है ? हमारे भाई ने' मेघना ने आदित्य का सर  उठाते हुए कहा। उसकी आंखो से आंसू के झरने बह रहे थे।

' ई किया क्या का है ? ई  तुम्हारा भाई ने हम को मारने के लिए लडके भेजे थे, पर फूटी किस्मत हमारी !  बाइक पर हमारी जगह अंकुश था तो इस हरामजादे ने उस बेचारे को मारके उसे वहीं मरने के लिए छोड़ आया... ई किया है ' संजय ने गुस्से में आंसू भरकर जोर से कहा।

' हमारा भाई हमारे साथ ही था.... उ कोई और होगा.... हमारा भाई ऐसा काम कभी नहीं कर सकता ...हम  जानते हैं हमारे भाई को...तुम जैसे गुंडा लोग हजार लोगो से दुस्मनी रखते हो...उसी में से आया होगा कोई ...ये तो बेचारे उस अंकुश की गलती है कि उसका तेरे जैसा दोस्त है ' मेघना ने आदित्य का चेहरा पूछते हुए ,गुस्से में कहा।

संजय को उम्मीद थी कि मेघना उसकी बात को समझेगी पर जब उसने यह सुना और उसके दिल के जैसे हजार टुकडे हो गए जिसको वह जान से ज्यादा चाहता था ,जिसके लिए वो कुछ भी करने को तैयार था, उसे उसकी बात पर यकीन ही नहीं था'

' उ अंकुश की मम्मी हमें रोज कहती थी कि अंकुश का ध्यान रखना और साला हम रोज 'जी जरूर' कह के आ जाते अब इसकी वजह से हम जिंदगी में कभी उनसे नजरें नहीं मिला पाएंगे' संजय  अब आत्मग्लानि में जल रहा था।

' हमारा भाई ...' मेघना कुछ कहने लगी।

' खत्म ...' संजय ने धीरे से कहा और मेघना ने उसकी तरफ देखा ' आज से हमारे तुम्हारे बीच सब खत्म, हम मर भी जाएंगे पर साला तुम्हारा चेहरा नहीं देखेंगे कह रहे हैं संजय ने कहा और खड़ा हो गया।

' ओर तू सुन बे ' संजय ने आदित्य का कोलर पकड़ते हुए कहा' यह तो तुम खैर मनाओ कि अंकुश अभी जिंदा है,पर अगर आगे से  हमारे दोस्तों के करीब भी आ गए ना तो पूरे खानदान को दौड़ा दौड़ा कर पीटेंगे … हम डरते नहीं है किसी से ‘ संजय ने  कहा और बाहर चला गया। आदित्य के पापा ने पुलिस को फोन कर दिया था , तो संजय को गेट पर ही पकड़ लिया और पुलिस वैन में ले गए।मेघना यह सब दृश्य देखकर मूर्ति सी खड़ी रह गई । उसे सब कुछ अभी भी एक बुरा सपना लग रहा था।

ईधर अंकुश की मम्मी और पापा भी  हॉस्पिटल पहुंच गए थे अंकुश के पापा नजरें नीची किए हुए खड़े थे और अंकुश की मम्मी राहुल को पीट रही थी और रो रही थी पर राहुल मूर्ति की तरह खड़ा  उन्हें बस देख था ।उसे कुछ भी सुनाई नहीं दे रहा था उसने अंकुश की मम्मी के रोती हुई सूरत के अलावा कुछ नहीं देखा।

कई बार घाव शरीर से ज्यादा दिमाग पर रह जाता है और यह तभी लगता है जब चोट किसी अपने को अाई हो। जिसको आप चाहते हो उसको जब हल्की सी चोट लगती है ना तो उसका दर्द हम भी महसूस कर पाते हैं।

आज की रात बहुत ही भयानक थी सभी बहुत सदमे में थे पर सबसे ज्यादा संजय और मेघना। पर इसके अलावा जिसके चेहरे पर मुस्कान दिख रही था वह था आदित्य । इतना दर्द पाके भी उसने वो हासिल कर लिया जो उसे चाहिए था।