उपसंहार

उसी रात को नौ बजे की न्यूज में एक न्यूज चैनल पर प्रमुख खबर थी :

फरार अपराधी पुलिस मुठभेड़ में मार गिराया गया

मुम्बई पुलिस की मुस्तैद कार्यवाही

दादर स्टेशन पर खूनी ड्रामा

दो पुलिसकर्मी घायल

नोन क्रिमिनल, हिस्ट्रीशीटर, अन्डरवर्ल्ड बॉस बनने के तमन्नाई विराट पंड्या का वो आखिरी अंजाम था। इसके फरार होने में कामयाब हो जाने से पुलिस की जो छीछालेदारी हुई थी, उसका बदला उन्होंने रिकार्ड टाइम में चुकाया था। उन की चौतरफा तलाश के नतीजे के तौर पर उन्हें टिप मिली थी कि उन का मुजरिम दादर रेलवे स्टेशन की टैक्सी पार्किंग में मौजूद था और वहां किसी के पहुंचने का इन्तजार करता जान पड़ता था। तत्काल पुलिस ने बड़ी फोर्स के साथ वहां दबिश की थी, पार्किंग को चारों तरफ से घेर लिया गया था और पंड्या को सरन्डर के लिये ललकारा गया था। पंड्या ने भाग निकलने की कोशिश में फायरिंग शुरू कर दी थी लेकिन क्योंकि सब-इन्स्पेक्टर से छीनी रिवाल्वर में पांच ही गोलियां बाकी थीं, इसलिए चुटकियों में उसकी स्थिति निहत्थे जैसी हो गयी थी और वो पुलिस की चलाई गोलियों की चौतरफा बौछार का शिकार हो गया था।

वीजू की किसी को खबर नहीं लगी थी, वो चुपचाप वहां से खिसक आने में कामयाब हो गया था।

वो चर्चगेट लौटा था तो उसने जरनैल को सुहैल पठान के साथ पन्द्रह मंजिला बिल्डिंग से बाहर निकलते पाया था।

लिहाजा सब ठीक था। कोई बला आई थी तो टल गयी थी।

पंड्या के हिंसक व्यवहार ने पुलिस को आश्‍वस्त कर दिया था कि जोकम फर्नान्डो के कत्ल के बारे में उन्हें जो गुमनाम टिप मिली थी, वो आधारहीन नहीं थी। नतीजतन जैसे उन्होंने पंड्या का नया पता ट्रेस किया था और उसे गिरफ्तार किया था, वैसे सुहैल पठान का भी नया पता ट्रेस किया और उसी रोज आधी रात को सोते से जगाकर उन्होंने पठान को थाम लिया। अपने पुलिसकर्मियों पर पंड्या के हमलों से भड़की पुलिस ने पठान की ऐसी ‘खातिर’ की कि वो गा गाकर सुनाने लगा कि गुरुवार बीस नवम्बर की रात को जोकम फर्नान्डो के साथ क्या बीती थी, क्यों बीती थी।

लिहाजा पठान पर वही मसल चरितार्थ हुई थी कि आसमान से गिरा, खजूर में अटका; नायक ने झटका पुलिस ने पटका।

उसके बयान पर रातोंरात उनके वो सात साथी भी गिरफ्तार हो गये थे जो कि पंड्या की उस रात की सदारत में जोकम फर्नान्डो के पीछे पड़े थे। यूं जो अंजाम नायक औने-पौने गैंग का बाजरिया जरनैल हुआ देखना चाहता था, वो उन का पुलिस के एक, बाज जैसे, झपट्टे ने कर दिया था।

पठान के विस्तृत बयान के आधार पर जीतसिंह पर भी फोकस बना था, उसे पूछताछ के लिये थाने तलब किया गया था लेकिन जीतसिंह बाखूबी उन्हें ये यकीन दिलाने में कामयाब हो गया था कि उसका जोकम फर्नान्डो से टैक्सी ड्राइवर-पैसेंजर के अलावा कोई रिश्‍ता नहीं था।

उसकी बात पर यकीन कर के पुलिस ने उसे और नहीं कुरेदा था।

पठान के बयान की बिना पर हीरों की कहानी उठी तो थी लेकिन कोई जोर नहीं पकड़ पायी थी क्योंकि एक तो पुलिस के पास उस बारे में कोई रपट नहीं थी, दूसरे जोकम फर्नान्डो की जेबों से बरामद कस्टम के कागजात से स्पष्ट था और स्थापित था कि हीरों की आमद में गैरकानूनी कुछ नहीं था। आगे हीरे कहां गये, उससे उन्हें तब तक कोई लेना देना नहीं था जब तक कि कोई उन की बाबत कोई रपट न लिखाता।

अगले रोज दोपहर के करीब माहिम क्रीक से दो लाशें बरामद हुईं जिन के बारे में पुलिस ने निर्धारित किया कि वो गैंग किलिंग का नतीजा थीं जो कि उस शहर के लिये कोई नयी बात नहीं थी। ऐसी किलिंग वहां की रोजमर्रा की घटना थी और ऐसी लाशें समन्दर में कहीं न कहीं से बरामद होती ही रहती थीं। लाशों की शिनाख्त उनकी जेबों से बरामद कागजात के दम पर तत्काल हुई कि एक वीरेश हजारे नाम के कस्टम अधिकारी की थी और दूसरी हुसैन डाकी नाम के एक व्यक्ति की थी जिसके विषय में तुरन्त कुछ मालूम नहीं हो सका था कि वो कौन था।

गाइलो की भविष्यवाणी सच साबित हुई थी कि हीरे जीते के पास नहीं टिकने वाले थे। अब ये जुदा मसला था कि हीरे टिके नहीं थे या जीतसिंह ने खुद ही नहीं टिकने दिये थे। अब वो सन्तुष्ट था कि जो हुआ था, ठीक हुआ था, क्योंकि टिकते भी तो क्या होता! फैंस को पहला हीरा दिखाते ही मालूम पड़ जाता कि वो हीरा था ही नहीं, कांच था।

बहरहाल अब जीतसिंह ये शिकायत करने की स्थिति में नहीं था कि ‘जहां’ में से सूई की नोक के बराबर भी हिस्सा उसे नहीं मिला था।

बड़े गैंगस्टर से लाख रुपये मिले न बरोबर!

यानी कुल रकम का दशमलव जीरो पांच प्रतिशत।

सूई की नोक!

बहरहाल सर सलामत तो पगड़ी हजार!

सात दिन जो धुंआधार बीती, उसे गाइलो ने ‘आल इज़ वैल दैट एण्ड्स वैल’—अन्त भला सो भला—का दर्जा दिया और इस बात पर संतोष जाहिर किया की उन्होंने हीरा फेरी न की, अलबत्ता एक गिला उसे जीते से बराबर रहा :

उसे सी-रॉक एस्टेट के द्वारे नहीं जाना चाहिये था।

बकौल गाइलो, गॉड ने उस पर मर्सी किया था कि उसे उधर किसी ने कोई भाव नहीं दिया था। गॉड द शेपर्ड अपना भटका भेड़ को सम्भाला, श्‍योर डिज़ास्टर के रास्ते पर कदम डालने से सेव किया।

————

 

मुम्बईया शब्दावली :
अर्थ सहित

झकास : बढ़िया।

इकसठ माल : खरा माल।

लोचा : अन्देशा। प्राब्लम।

भीड़ू : बन्दा। साथी।

ढ़क्कन : मूर्ख। लल्लू।

कुतरा : गलत आदमी, बखेड़ा खड़ा करने वाला।

टोपीबाज : धोखा देने वाला। चीट।

टोपी पहनाना : उल्लू बनाना।

छपड़ी : बेहैसियत आदमी।

अंडवा : चमचा।

गोटी से लटकाना : अंडकोष से रस्सी बांध कर ऊपर खींचना।

पोटला बनाना : मार कर लाश गायब करना।

ऊपरला माला : भेजा। दिमाग। खोपड़ी।

कोपचे में लेना : अकेले में लेना, जहां गवाह न हो।

बतोलेबाज : लम्बी लम्बी हांकने वाला।

ओजी : ओरिजनल गुड्स। असली माल।

येड़ा : पागल। मूर्ख। मतिभ्रष्ट।

कमती करना : खत्म करना।

धो डालना : बुरी तरह से पीटना।

डेढ़ दीमाक : ज्यादा चालाक।

कच्चा लिम्बू : नया बन्दा। नौसिखिया।

चकरी : गन।

वान्दा नहीं : नो प्राब्लम

वाट लगना : हालत बद् होना

खोपड़ी सरकाना : दिमाग खराब करना।

बेवड़ा अड्डा : शराब खाना। बार।

पेटी : लाख।

खोखा : करोड़।

ड्रम : दस करोड़।

—————