11 सितम्बर , मंगलवार

अगले दिन अपने कहे अनुसार रणवीर ने शमशेर सिंह गेरा को ठीक दस बजे अदालत में पेश कर दिया । उनका केस अदालत के डेली रोस्टर के अनुसार ग्यारह बजे सुनवाई पर लगा हुआ था । वकील सुजीत शर्मा, शमशेर सिंह और अनूप तोमर के वकील के रूप में सुनवाई पर पेश हुआ और सरकारी वकील जसवीर राणा सरकार की तरफ से पक्ष रखने के लिए उपस्थित हुआ । दोनों तरफ के वकीलों ने अपने-अपने वकालतनामे जज विष्णुवर्धन के सामने पेश किये । उनका मुआयना करने के बाद जज ने कार्यवाही शुरू करने का इशारा किया ।

“योर ऑनर ! मैं जसवीर राणा, डिस्ट्रिक्ट एटॉर्नी, आपके सामने सरकार की तरफ से पेश हुआ हूँ । सर, कल ‘महक फार्महाउस’ से अनिकेत नाम के शख्स की लाश और ड्रग्स की एक बड़ी खेप बरामद हुई हैं । उस लड़के की लाश उसके बड़े ही हौलनाक अंजाम की तरफ इशारा करती है योर ऑनर ! जो ड्रग्स वहाँ से बरामद हुई हैं उनकी बाजार में करोड़ों रुपए की कीमत है । इस बारे में डिटेल्स आपके सामने पेश हैं और इसी सिलसिले में महक फार्महाउस के मालिक शमशेर गेरा को पूछताछ के लिए पुलिस ने अपनी हिरासत में लिया है । वहाँ से मिले सबूत इस बात की तरफ इशारा करते हैं कि इस पूरे मामले में उसका और उसके दोनों बेटों का सीधा-सीधा हाथ है ।”

“आई ऑब्जेक्ट मीलोर्ड ! इस मामले में अभी तक एफआईआर तक दाखिल नहीं हुई है और राणा साहब ने तो फैसला सुना दिया । वह कैसे मेरे मुवक्किल को सीधा-सीधा दोषी ठहरा सकते हैं ? मैं तुरंत अपने मुवक्किल को पुलिस हिरासत से रिहा करने की दरख्वास्त करता हूँ, जो कल से गैरकानूनी रूप से हिरासत में हैं और पुलिस की प्रताड़ना के शिकार हैं ।” सुजीत शर्मा भड़का ।

“मैंने कहीं भी गुनाहगार शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है, योर ऑनर ! अब लाश जहाँ पाई जायेगी तो पुलिस अपनी पूछताछ की शुरुआत भी वहीं से करेगी । कोई आपके या मेरे पास तो आकर नहीं करेगी । वह प्रॉपर्टी शमशेर सिंह गेरा के लड़के मोहित गेरा के नाम हैं और इसलिए उसके लड़के की तलाश के लिए उसके पिता को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है । योर ऑनर, अभी तहकीकात बाकी है और शमशेर सिंह सबूतों और ‘महक फार्महाउस’ के वर्कर्स को डरा-धमकाकर आगे की कार्यवाही बाधित कर सकता है और सबूतों को मिटाने की साजिश कर सकता है ।”

“ऑब्जेक्शन ओवररूल्ड । लेकिन अगर आप मोहित को तलाश कर रहें हैं तो उसके पिता को पुलिस अनिश्चितकालीन हिरासत में नहीं रख सकती है ।” विष्णुवर्धन ने जसबीर राणा से कहा ।

“लेकिन सर, पुलिस को तहकीकात के लिए इनकी जरूरत है ।” जसबीर राणा ने जज से कहा ।

“मेरा मुवक्किल पुलिस को पूरा सहयोग करने के लिए तैयार है और जब पुलिस चाहेगी, वह पुलिस स्टेशन आने के लिए तैयार है । वह शहर का एक जिम्मेदार नागरिक है और इस मामले में उसकी किसी भी किस्म की पुलिस कस्टडी के लिए कोई जरूरत नहीं है, मीलोर्ड !”

“लेकिन योर ऑनर, यह आदमी पुलिस की ड्यूटी में बाधा डालने का भी आरोपी है । यह सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है । इस बात का भी हमारे पास प्रमाण है कि यह कोशिश ये आदमी अपने रसूख और आतंक के दम पर कर चुका है । इसने मेट्रो हॉस्पिटल में अपने लड़के रोहित गेरा के मेडिकल रिकॉर्ड में गड़बड़ी करते हुए और उसकी आपराधिक गतिविधियों को छिपाने के लिए मेट्रो हॉस्पिटल की वीडियो फुटेज में गड़बड़ी करवाई है । ऐसा कारनामा करते हुए इस शख्स ने पुलिस को गुमराह करने की कोशिश की है । इस सम्बन्ध में कुछ कागजात आपके सामने हैं, जिसमें शमशेर सिंह मेट्रो हॉस्पिटल के प्रशासन के साथ-साथ सह-आरोपी है । इस मामले में अभी उसके बयान दर्ज नहीं हुए हैं, लेकिन वहाँ के चीफ़ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर तोमर का बयान साथ में संलग्न है जिसमें उसने रोहित गेरा के मेडिकल रिकॉर्ड और हॉस्पिटल की वीडियो फुटेज में हेराफेरी को स्वीकार किया है । इसके लिए उसे पुलिस हिरासत में रखना जरूरी है ।”

“ये पुलिस के ख्याली पुलाव हैं, मी लार्ड ! यह एक मनगढ़ंत कहानी है, जो यहाँ के स्टेशन हाउस ऑफिसर श्री रणवीर कालीरमण के शैतानी दिमाग की उपज है ।”

“आई ऑब्जेक्ट, योर ऑनर ! मैं अपने काबिल दोस्त को आगाह करना चाहता हूँ कि वह जो बोले, किसी डाक्यूमेंट्री प्रूफ के आधार पर बोले । इंस्पेक्टर रणवीर ने जो तथ्य पेश किये हैं, वह साफ़ दर्शाते हैं कि रोहित गेरा के मेडिकल रिकॉर्ड से हेराफेरी की गई है । ऐसी हरकत दोबारा फिर से हो सकती है । आपसे दरख्वास्त करूँगा, योर ऑनर, कि एक पब्लिक सर्वेंट मिस्टर रणवीर का सरेआम मजाक उड़ाकर वह अपने मुवक्किल की ताकत का नाजायज दबाव बनाना चाहते हैं । मैं अदालत से उनसे मिस्टर रणवीर से माफ़ी माँगने और उनके खिलाफ मेरे दोस्त वकील श्री सुजीत शर्मा द्वारा प्रयोग की गई अभद्र भाषा के लिए कोर्ट के द्वारा सख्त टिप्पणी की डिमांड करता हूँ ।”

“मिस्टर सुजीत, क्या आपके पास इस बात का कोई सबूत है कि इंस्पेक्टर रणवीर ने जानबूझकर सबूतों से छेड़छाड़ की है ?” जज विष्णुधर ने सुजीत से पूछा ।

“नहीं मी लॉर्ड ! लेकिन मेरा मुवक्किल उस जगह का मालिक नहीं है, जहाँ उस लड़के अनिकेत की डेड बॉडी मिली है ।”

“तो इसका मतलब उस आदमी का अपने लड़के पर भी अख्तियार नहीं है । वह उसका बाप होने की ज़िम्मेदारी से भी बच जाएगा । क्या बात करते हैं आप, मिस्टर सुजीत ! आपके पास अपने ऑबजेक्शन के लिए कोई वाजिब दलील या सबूत हो तो अदालत के सामने पेश करिए । ऑबजेक्शन सस्टेंड ।”

सुजीत शर्मा बुरी तरह से हड़बड़ाया और बाकी रही-सही कसर जसवीर राणा ने आगे की जिरह में पूरी कर दी ।

“इतना ही नहीं योर ऑनर ! ‘महक फार्महाउस’ से ड्रग्स का जखीरा भी मिला है और पुलिस को एक बड़े माफिया गिरोह के तार इस मामले से जुड़े नजर आ रहे हैं । इस मामले में भी शमशेर सिंह से व्यापक पूछताछ की आवश्यकता है । इस मामले के तार भी शमशेर सिंह से जुड़े हो सकते हैं, इसलिए पुलिस अदालत से इस सारी कार्यवाही के लिए एक सप्ताह की पुलिस रिमांड की दरख्वास्त करती है ।”

सुजीत शर्मा के पुरजोर विरोध के बावजूद अदालत द्वारा शमशेर सिंह गेरा को तीन दिन के पुलिस रिमांड में भेज दिया गया; लेकिन शमशेर सिंह के सितारे उस दिन गर्दिश में थे । उसी दिन नारकॉटिक्स विभाग की तरफ दायर की गई एक दूसरी एफआईआर में डीएसपी हरपाल सिंह ने शमशेर सिंह के साथ-साथ शिवेंदर पाल को भी प्रमुख आरोपी बनाया था, जिसका आधार ‘महक फार्महाउस’ की ड्रग्स के साथ-साथ मेट्रो हॉस्पिटल के अन्दर पाये गए ड्रग्स के जखीरे को बनाया गया था । उस केस में भी अदालत ने दोपहर एक बजे उसकी गिरफ्तारी के वारंट जारी कर दिए और सात दिन का पुलिस रिमांड के आदेश पारित कर दिए, जिसकी अवधि पहले रिमांड के बाद शुरू होनी थी ।  

शमशेर सिंह को लेकर पुलिस स्टेशन पहुँचने के बाद रणवीर ने अनिल को अपने पास बुलाया । उससे प्रॉपर्टी डीलर हरीश सोढ़ी और डॉक्यूमेंट राइटर तेजपाल गर्ग के बारे में दरयाफ्त की । अनिल ने रणवीर के सामने एक फाइल रखी, जिसमें मोहित गेरा और अनिकेत के द्वारा की गई प्रॉपर्टी डील्स के कागजात थे । अनिल ने हरीश सोढ़ी से एक प्रॉपर्टी डील के बारे में भी पता लगाया जो ‘महक फार्महाउस’ के साथ लगती जमीन की थी । इस जमीन को चालीस लाख रुपये में अप्रैल के महीने में खरीदा गया था, पर एडवांस में सिर्फ दस लाख रुपये दिये गए ।

“जनाब, कमाल की बात ये है कि एक महीने पहले ही उसे एक करोड़ से ऊपर बेच दिया गया ।”

“हम्म, इसका मतलब मोहित गेरा ने सिर्फ दस लाख देकर एक करोड़ से ऊपर कमा लिए । किसके मार्फत हुई ये डील ? हरीश सोढ़ी के ?”

“हाँ सर ! पर ये बात मुझे अपने एक और लिंक से पता चली, लेकिन हरीश सोढ़ी ने इस मामले के बारे में बताने से साफ़ इनकार कर दिया ।”

“अनिल, तुम्हारा लिंक क्या कहता है ?”

“सर, वह बता रहा था कि जब शुरू में डील हुई तब गौरव कालिया, संजय बंसल और अनिकेत, मोहित गेरा के साथ थे और जब इसे दोबारा बेचा गया तो डील के वक्त सिर्फ मोहित गेरा ही मौजूद था । इस बात पर गौरव और मोहित के बीच में झगड़ा हुआ था । वह इस डील का सारा प्रॉफिट माँग रहा था क्योंकि उसने इसके लिए चालीस लाख रुपये दिए थे ।”

“पर मोहित गेरा ने एडवांस में दस लाख दिए फिर बाकी के तीस लाख तो उसने गौरव को वापिस दिए या नहीं ?”

“मोहित ने सिर्फ दस लाख एडवांस देकर डील आगे कर दी थी और प्रॉफिट अपने पास रख लिया था । अनिकेत और मोहित प्रॉफिट को बाँटना चाहते थे लेकिन गौरव का कहना था कि सिर्फ उसका पैसा लगा था । दस लाख एडवांस देने के बाद बाकी के तीस लाख से मोहित ने दो जमीन के सौदे और किये थे जिसे सिर्फ एडवांस देकर लिया गया था । उसमें भी मोटा मुनाफा हुआ, जिसके बारे में गौरव को अँधेरे में रखा गया और उसे प्रॉफिट भी नहीं दिया गया ।”

“इस बात का क्या सबूत है कि ऐसा हुआ होगा ?” रणवीर ने अनिल से पूछा ।

“सर, इन सौदों के बारे में डील की फोटोकॉपी मुझे मिल गई है पर इसका ओरिजिनल नहीं है ।” अनिल ने कुछ फोटोस्टेट पेज रणवीर के सामने रखे ।

“अरे वाह ! शाबाश अनिल ! ओरिजिनल तो पुलिस अपने आप निकलवा लेगी इस हरीश सोढ़ी से । इसे बुलाने के लिए तुम फोन कर दो या रवि और साथ में किसी एक आदमी को उसके पास भेज दो ।”

हामी भरता हुआ अनिल ऑफिस से बाहर चला गया । कदम सिंह ने रणवीर सिंह को विपिन मित्तल के आने की सूचना दी । रणवीर ने सब-इंस्पेक्टर दिनेश को बुलाकर विपिन से मोहित गेरा के सभी ठोर-ठिकानों का पता नोट करने के लिए कहा । शमशेर सिंह से भी इस बारे में पूछताछ की गई पर उसने इस मामले में अपना ढीठ रवैया अपनाए रखा ।

रणवीर ने फिर वेदपाल के पास फ़ोन किया । वेदपाल ने उसे अपनी रिपोर्ट सुनाई और मेल से रिपोर्ट को रणवीर के पास भेज दिया । उसकी रिपोर्ट के अनुसार जो अनिकेत और मोहित गेरा के फिंगरप्रिंट ‘महक फार्महाउस’ में पाये गए थे, वह अनिकेत के घर से उठाये गए फिंगर प्रिंट्स के साथ हूबहू मैच करते थे ।

मेट्रो हॉस्पिटल में पहरे पर तैनात किये गए सिपाही ने वहाँ पर रोहित गेरा द्वारा इस्तेमाल किये गए बर्तन थाने में भिजवाए थे, जो फिंगरप्रिंट के लिए तत्काल फॉरेंसिक डिपार्टमेंट में भेज दिये गए । इस तरह से लिये गए फिंगरप्रिंट से रोहित और मोहित गेरा की उपस्थिति अनिकेत के घर में निर्विवाद रूप से स्थापित होती थी । उस वारदात को उन दोनों ने अंजाम दिया था इसके लिए अब एक चश्मदीद गवाह की जरूरत थी, जो फिलहाल तो पुलिस के पास नहीं था ।

अनिकेत के दोनों कंधों से जो गोलियाँ निकाली गईं, वह पॉइंट 32 बोर की स्मिथ एंड वेसन रिवॉल्वर के कारतूस थे । वह हूबहू उन गोलियों से मिलती पायी गई, जो अनिकेत के घर से संजय बंसल की बॉडी से मिली थी और दूसरे कमरे में गद्दों से बरामद हुई थी ।

‘महक फार्महाउस’ के पास के तालाब से जो दो रिवॉल्वर बरामद की गई थी, उनमें से पॉइंट 32 कैलिबर की रिवॉल्वर कत्ल का हथियार थी । दूसरी 9 एमएम की ए-वन सेल्फ लोडिंग पिस्तौल थी, जिसके नंबर नहीं पहचाने गए थे और उसका उसी तालाब में होना, हो सकता है, महज एक इत्तिफाक हो ।

अनिकेत के खून से भी मेफेड्रोन नामक ड्रग की हैवी डोज़ के प्रमाण मिले, जैसे कि संजय बंसल के मामले में मिले थे । अब पुष्टि के लिए डॉक्टर नवनीत की रिपोर्ट का इंतजार बाकी था, जिससे ये साबित हो जाता कि गौरव, अनिकेत और संजय बंसल की मौत के तार आपस में जुड़े हुए हैं । उसने डॉक्टर नवनीत को फ़ोन लगाया तो उसके अटेंडेंट ने बताया कि वह इमरजेंसी केस में बिजी है और रिपोर्ट शाम को पाँच बजे के बाद मिलने की उम्मीद है ।  

रणवीर कालीरमण ने मोहित गेरा की तलाश के लिए दो टीम बनाई । दूसरी टीम की अगुआई उसने रोशन वर्मा को सौंपी, जिसमें उसके साथ दिनेश और अनिल कुमार थे । कदम सिंह, कृष्ण और रवि उसकी टीम में थे । उन्होंने मोहित गेरा की तलाश में पूरे शहर में उसके संभावित ठिकानों, होटलों और शहर के बाहर के ढाबों में बने होटलनुमा कमरों की जाँच की, पर मोहित का कोई सुराग नहीं मिला । पूरे शहर में पुलिस के भेदियों को उसकी फोटो उपलब्ध करवा दी गई थी पर अभी तक पुलिस को उसका कोई फायदा नहीं मिला था ।

मोहित गेरा मानो हवा में गायब हो गया था ।

शाम को सात बजे रणवीर की टीम का उस दिन की तलाश का आखिरी ठिकाना वीरू का ढाबा था । पुलिस ने उसकी पहली और दूसरी मंजिल पर बने कमरों की तलाशी ली । कुछ कॉलेज के स्टूडेंट्स वहाँ शराबनोशी करते पाये गए पर रणवीर की आज वह मंजिल नहीं थी । उन लड़कों को रणवीर ने वार्निंग देकर छोड़ दिया । फिर रणवीर ने वीरू के ऑफिस में कदम रखे । कैश काउंटर के साथ ही एक कमरा था, जो उसका ऑफिस कम और यार दोस्तों के बैठने का ठिकाना ज्यादा था ।

“और वीरू, बड़ा रंग दिखाने लगा है आजकल ! दिन दहाड़े लोगों को अपने ढाबे पर बैठाकर दारू पिलाने लगा है ।”

“नहीं साब, मेरी ऐसी मजाल कहाँ ! ये आजकल के लड़के मानते ही नहीं । आज बर्थ-डे पार्टी का बहाना करके ऊपर का कमरा खुलवा लिया । मैंने भी ये सोचा, यहाँ नीचे हुड़दंग मचाएँगे तो दूसरे ग्राहक खामख्वाह बिदकेंगे । बस इसीलिए हमने ऊपर का हाल खोल दिया था । अब मुझे क्या पता कि ऊपर वह... उनकी खुद की लायी हुई थी साब, सच में ।”

“पता है मुझे तेरे सारे सच का । आइन्दा अगर ऐसा कुछ मुझे दोबारा मिला तो तेरी खैर नहीं । या तो बार का लाइसेंस ले ले या ये सब खुराफात छोड़ ।”

“साब, अब घोड़ा घास से यारी करेगा तो खाएगा क्या ? पर मैं आगे से अपने स्टाफ को सख्त हिदायत दे दूँगा इस बारे में । आप बताओ क्या लोगे ? बड़े दिनों बाद आपसे मिलना हुआ है ।”

“चलो, तुम्हारी इतनी ही इच्छा है तो सबके लिए बढ़िया-सी चाय बनवा दो !”

वीरू ने अपने एक वर्कर को बुलाकर सबके लिए चाय बनवाने का ऑर्डर दिया । तभी एक मोटरसाइकिल रुकने की आवाज रणवीर के कानों में पड़ी । उसने देखा वरुण अपने साथी नवीन के साथ उसकी ही तरफ ऑफिस में बढ़ा चला आ रहा था ।

“बड़े दरोगा जी, राम-राम ! नमस्ते ! सत श्री अकाल, पाजी !” रणवीर के नजदीक कुर्सी पर बैठते हुए वरुण ने अपने शब्दों में भरपूर मिठास घोलते हुए कहा ।

“सत श्री अकाल, वीरे !” वीरू ने उसे जवाब दिया और फिर किसी काम से बाहर चला गया ।

“नमस्ते ! राम-राम ! आज इस वक्त कहाँ से टपक पड़ा तू गोस्वामी की लालटेन !” रणवीर ने विनोदपूर्ण स्वर में वरुण से कहा ।

“मैंने आपसे कहा है, बड़े दरोगा जी, किसी दिन अपने गुरु जी की तरह बड़ा चैनल दुनिया को खोलकर दिखाऊँगा । मगर आप आज कहाँ बेताल की तरह हवा हो रहे हैं । आज सुबह से आपके दर्शनाभिलाशी होकर हम मारे-मारे फिर रहे हैं और हुजूर हैं कि हमें मिलते ही नहीं ।”

“ओ छोटू ! वह जो चाय बोली है न, यहाँ के लिए बनाने के लिए, उसमें मेरे लिए मेरी चाय फीकी करवा देना ।”

“फीकी ! आप फीकी चाय पी रहे हैं, दारोगा जी ! इतने बड़े-बड़े अफसर और फीकी चाय !”

“अब मीठा तो तू घोल देगा न, इसीलिए तो फीकी बनाने के लिए कहा है ।”

“हो-हो-हो, तो आप मजाक कर रहे थे ! आपने मेरी बात का जवाब नहीं दिया ।”

“तेरी बात का जवाब यह है कि अगर मैं बेताल हूँ तो मैं अपने विक्रम की तलाश कर रहा हूँ । यानी मोहित गेरा की ।”

“क्या बात ! मिला नहीं अभी तक ?”

“मिला होता तो तुम्हें मैं यहाँ बैठा मिलता ! यहाँ भी हम तलाशी के लिए ही आए थे पर कोई कामयाबी नहीं मिली । पता नहीं, कहाँ जाकर बैठ गया है वह नामुराद !”

“तो आपको पक्का यकीन है कि गुनाहगार मोहित गेरा ही है, बड़े दारोगा जी ?”

“हम्म, तुझे अपने चैनल के लिए मसाला चाहिए । कोई बात नहीं, सुन । मेरा जवाब है, हाँ । जो परिस्थिति-जन्य सबूत हमें मिले हैं वह तो यही इशारा कर रहे हैं । अनिकेत के घर में मोहित की मौजूदगी के सबूत हैं और उसका भाई रोहित गेरा भी वहाँ पर मौजूद था । जो एकमात्र गवाह हमारे पास है, वो मोहित को वहाँ पर वारदात के समय देखे जाने का दावा करता है । मोबाइल लोकेशन भी दोनों भाइयों की उसी वक्त उस घर में मौजूदगी का इशारा करती है । हलाक हुए अनिकेत की अंतिम लोकेशन भी उसी घर में है । अब वहाँ मौजूद लोगों में जो शख्स ज़िंदा बचा है या तो कातिल वही है, या उसे पता होगा कि कत्ल किसने किया ।”

“लेकिन उसका जिन्दा होना उसके कातिल होने का सबूत तो नहीं । हो सकता है कि उसे भी अपनी जान का खतरा हो और इसलिए वह कहीं जाकर छुप गया हो ।”

“मैं तुम्हारी बात हंड्रेड परसेंट मान लेता अगर अनिकेत की लाश उसके फार्महाउस ‘महक’ में हमें न मिलती । मालिक की जानकारी के बिना एक आदमी की लाश शायद दो या तीन दिन तक वहाँ पड़ी रही और उन्हें पता ही नहीं ! ऐसा संभव नहीं हो सकता । यहाँ भी ऐसे सबूत हैं जो अनिकेत के कत्ल की जगह पर उसकी मौजूदगी का इशारा करते हैं ।”

“लेकिन दरोगा जी, इस बात का कोई गवाह तो नहीं है !”

इसी बीच वीरू अपने दो वेटर्स के साथ चाय और नाश्ता लेकर आ गया । चाय के साथ बिस्कुट, नमकीन और गर्मागर्म समोसे थे ।

“सिर्फ चाय के लिए कहा था, वीरू ! इतना सब... ।” रणवीर ने शिकायती अंदाज में कहा ।

“अरे, ये तो कुछ भी नहीं है, बाउजी ! आपके लिए तो चाय ही है । समोसे तो वरुण के लिए हैं । क्यों भाई, ठीक कहा न मैंने ?” वीरू ने ठहाका लगाते हुए पूछा ।

“तुसी ग्रेट हो पाजी ! बड़े दरोगा जी, बात गवाह की हो रही थी !”

“हाँ, तुम्हारी बात सही है । हमारे पास कोई चश्मदीद गवाह नहीं है । इस मामले में पाँच लड़के शामिल थे और सिर्फ एक ही गवाह है इस मामले में, और वह है, मौत । जिसका शिकार गौरव कालिया यहाँ से कुछ दूर खेत में हो गया । संजय बंसल, अनिकेत के घर में मारा गया । अनिकेत ‘महक फार्महाउस’ में मरा हुआ मिला । जो दो लोग जिंदा बचे हैं उसमें से एक रोहित गेरा अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहा है और दूसरा मोहित गेरा गधे के सिर पर सींग की तरह से गायब है ।”  

“जिस तरीके से तीन लोग इस काण्ड में मारे गए हैं, क्या ऐसा नहीं हो सकता कि कोई और आदमी भी उस वक्त वहाँ मौजूद रहा हो ?”

“होने को तो एक क्या, दो-तीन-चार, कितने भी आदमी हो सकते हैं । सोचने में क्या जाता है । पर पुरुषोत्तम गोयल के घर जहाँ अनिकेत रहता था, वहाँ मौका-ए-वारदात पर चार गिलास और खाने के जो बर्तन पाये गए हैं, वह वहाँ चार आदमियों के होने की चुगली करते थे । गौरव, अनिकेत, संजय और रोहित गेरा । वहाँ पर खाने में ड्रग्स मिली हैं और वही ड्रग्स पोस्टमार्टम में संजय बंसल के विसरा में पायी गई हैं । खाने में ड्रग्स का मिलना किसी भीतरी घात की तरफ इशारा करता है । क्योंकि ये सोचने की बात है, अगर लड़कों ने खुद ड्रग्स ली होती तो उनके खाने में मेफेड्रोन नहीं मिलती ।”

“ये भीतर घात किसने किया होगा, बड़े दरोगा जी, जो वह चारों ही लड़के इसकी चपेट में आ गए !”

“वे चारों चपेट में आए, ये सही बात है पर वहाँ आखिरकार पाँचवाँ आदमी भी पहुँचा, जो शुरू में वहाँ मौजूद नहीं था । जब गौरव, संजय और अनिकेत नशे की गिरफ्त में आकर बेहोश हो गए तो मोहित गेरा वहाँ पर पहुँचा । उसने अनिकेत को बेहोशी की हालत में उठाकर, पहले उसे ‘महक फार्महाउस’ में पहुँचाया ।”

“पर अनिकेत को ‘महक फार्महाउस’ में पहुँचाने का मोहित का मकसद क्या था, जबकि वह उसे आसानी से बाकी दोनों के साथ मार सकता था ?”

“हाँ, तुम सही कहते हो । उसे आसानी से मारा जा सकता था, पर मोहित उसे मारना नहीं चाहता था । शायद तुम्हें मालूम नहीं है कि अनिकेत, गेरा बंधुओं का ड्रग्स और जमीन-जायदाद का कारोबार देख रहा था । एक प्रॉपर्टी डील में मोहित गेरा ने बेईमानी से एक करोड़ से भी ज्यादा का फायदा कमा लिया था लेकिन पैसा उसमें गौरव कालिया का लगा हुआ था । वह बेईमानी ही उनके बीच में दरार का कारण बनी । तुमने ख़बरों में पढ़ा ही होगा कि मेट्रो हॉस्पिटल में भी ड्रग्स का जखीरा पकड़ा गया । वहाँ का हिस्सेदार यहाँ का एमएलए रामचरण भी है । अनिकेत मेट्रो हॉस्पिटल में चल रही दवाइयों के कारोबार को संभालता था और वहाँ अनिकेत ने मोहित की जानकारी के बिना मेट्रो हॉस्पिटल में ड्रग्स स्टोर में घपला करना शुरू कर दिया । अपने प्रॉफिट में कमी के कारण ये बात मोहित गेरा से छुपी नहीं रही । उसकी ई-मेल से हमें कुछ ऐसे जमीन के सौदों का पता चला है, जिसमें अनिकेत ने अपने बाकी साथियों को भनक तक नहीं लगने दी और सारा प्रॉफिट खुद सरका लिया । इसी बात को उगलवाने के लिए मोहित, अनिकेत को अपने फार्महाउस में लेकर गया लेकिन उसी दौरान उसका भाई हॉस्पिटल में दाखिल हो गया और अनिकेत जरूरत से ज्यादा नशे और टॉर्चर के कारण मर गया । वह हमें समय रहते दिनेश की वजह से उसका पता चल गया । मोहित बदकिस्मती से अनिकेत की लाश से छुटकारा न पा सका ।”

“यानी अनिकेत की मौत के लिए अकेला मोहित जिम्मेदार है । पर गौरव और संजय की मौत ! वह कैसे हुई ?”

“जब मोहित, अनिकेत को ‘महक फार्महाउस’ छोड़कर वापिस पहुँचा, तब तक शायद गौरव कालिया या संजय बंसल में से किसी को होश आ गया होगा, जिसकी वजह से उनकी रोहित गेरा से हाथापाई हो गई और वह घायल हो गया । किसी वजह से वहाँ आग लग गई । शराब की बोतलें वहाँ बिखरी हुई थीं और सिगरेट के टुकड़े भी जगह-जगह फैले हुए थे । मोहित जब वहाँ वापिस आया तो उसने अपने भाई की हालत देखकर गुस्से में गौरव और संजय को गोली मार दी । इसकी एक दूसरी कहानी भी हो सकती है कि मोहित के जाने के बाद दारू के नशे में रोहित ने उन दोनों को आपस में हुए झगड़े के बाद अपनी पॉइंट 32 बोर की स्मिथ एंड वेसन पिस्तौल से गोली मार दी । फिर नशे की हालत में उन्हें जलाने की कोशिश की और खुद भी आग की लपेट में आ गया ।”

“आप ऐसा इतने यकीन से कैसे कह सकते हैं ? और गोली तो रोहित को भी लगी बताते हैं !” वरुण ने पूछा ।

“ये सारी बात जो तुम्हें बता रहा हूँ, वह इसलिए नहीं बता रहा हूँ कि ये सब तूने अपने समाचार में बतानी है । ये बातें सिर्फ अपने तक सीमित रखनी है । तुमने सिर्फ मोहित के फरार होने की बात अपने समाचार के प्रोग्राम के जरिए लोगों को बतानी है । यह भी घोषणा करनी है कि उसकी सूचना देने वाले को पुलिस दस हजार रुपए का इनाम देगी । अब आगे सुन, मैं ऐसा इतने यकीन से ये सब क्यों कह रहा हूँ । क्योंकि गौरव और संजय की मौत का समय एक ही है । उनकी मौत के समय उनके मोबाइल की लोकेशन दुर्गा कॉलोनी है जो कि मौका-ए-वारदात है ।”

“पर गौरव कालिया की लाश तो मेरे ढाबे के पीछे मिली । ऐसा क्यूँ, साब ?” वीरू ने पूछा ।

“वो सिर्फ पुलिस को उलझाने के लिए उन्होंने ऐसा किया है । हो सकता है, वह संजय बंसल की लाश को भी ठिकाने लगाना चाहते हों ताकि अनिकेत के लापता होने की खबर किसी को न लगे, लेकिन रोहित के खुद जल जाने की वजह से वह लोग इस काम को अंजाम नहीं दे पाए । वर्ना हो सकता था कि इन तीनों लड़कों की लाशों का पता भी नहीं चलता ।”

“आग से तो वह लोग कई बार खेल चुके हैं, लेकिन संजय बंसल की लाश यहाँ मिलती तो कोई बात भी थी ।”

“वे आग से कई बार खेल चुके हैं ! क्या मतलब वीरू ?” रणवीर ने वीरू से पूछा ।

“कुछ नहीं साब ! जिस संजय बंसल का जिक्र आप कर रहें है, उसका एक हजार गज का प्लॉट उसी रास्ते पर थोड़ा-सा आगे जाकर है, जिसे संत नगर कहते हैं । जहाँ गौरव कालिया की बॉडी मिली थी । संजय बंसल के संत नगर के मकान में मैंने सुना था, एक बार वहाँ बड़ी जबरदस्त आग लग गई थी पर उसके बाद क्या हुआ, कुछ पता नहीं चला ।”

“उस प्लाट में कुछ कंस्ट्रक्शन करवा रखी है उसने ?”

“हाँ जी । एक दो मंजिला मकान बना रखा है उसने उस प्लॉट के एक हिस्से में । बाकी का हिस्सा खाली है ।”

रणवीर ने इशारे से कदम सिंह को बुलाया और जल्दी से अपनी चाय का कप खाली किया और दो सौ रुपये का नोट टेबल पर रखा ।

“ये क्या साब जी ! आप तो मुझे शर्मिंदा कर रहे हो । अरे, ना... न... !” वीरू सकपकाता हुआ-सा बोला ।

“आज तो रख लो, वीरू ! फिर कभी बड़ी पार्टी करोगे तो बुलाना । कदम, जल्दी से सब तैयार हो जाओ ! जहाँ वीरू ने बताया है एक बार वहाँ भी जाकर देख लेते हैं । क्या पता वहाँ पर ही छुपा हो वह ढक्कन !”

“जी जनाब !” कदम सिंह बोला और तुरंत बाहर चला गया ।

“बड़े दरोगा जी ! अपने इस खादिम को भी आने की इजाजत दे दो । मैं भी देख लूँगा कि पुलिस उस मुजरिम को कैसे पकड़ती है ।” वरुण ने एक आस भरी फ़रियाद की ।

“मैं मना करूँगा तो तुम कौन-सा मान जाओगे । लेकिन हमसे ज़रा हमसे दूर हटके ही रहना ।”

कोई दस मिनट की ड्राइव के बाद एक कच्चे रास्ते से होते हुए वे सब संजय बंसल के कथित ठिकाने पर पहुँचे । जीप से उतरते ही रणवीर और उसके आदमी उस ओर लपके जहाँ वह मकान बना हुआ था । गेट पर एक पतली-सी चैन बँधी हुई थी जिसे कदम सिंह ने उमेठकर खोल दिया । नीचे दोनों कमरों पर हलके से ताले लगे थे, जिन्हें आसानी से तोड़कर कमरों को खोला गया । वहाँ पर जरूरत की सारी चीजें मौजूद थीं । फ्रिज में बियर ठूस-ठूसकर भरी हुई थी और दूसरे कमरे के अलमारी में तो बाकायदा बार रूम की तरह बोतलें रखी हुई थीं । जाहिर था, अब वहाँ किसी के मिलने का कोई सवाल ही नहीं था ।

अब वो लोग तेजी से ऊपर बढ़े तो ऊपर रणवीर ने देखा वहाँ एक लोहे की मोटी ग्रिल लगी हुई थी और एक कमरे के ऊपर ताला था और दूसरे कमरे का दरवाजा सिर्फ ढका हुआ था । रणवीर ने दरवाजे को खोलकर देखा तो वहाँ कोई नहीं था, पर वहाँ के हालात बता रहे थे कि कुछ समय पहले तक वहाँ कोई था । सब जगह तलाशी लेने के बाद वहाँ कोई नहीं मिला ।

“लगता है पंछी फिर से उड़ गया, बड़े दरोगा जी !” वरुण ऊपर आता हुआ बोला ।

“जनाब, एक कमरा बचा है ! आप कहें तो इसका भी ताला तोड़ दूँ, फिर अपनी हाजिरी पूरी हो जाएगी ?” कदम सिंह ने रणवीर से पूछा ।

रणवीर की भी हँसी छूट गई और उसने हामी भर दी । ताला तोड़ने के बाद उसमें घुसकर रणवीर ने देखा कि वह पूरा हॉलनुमा कमरा था, जिसमें ‘वेल केयर’ नाम की कंपनी का दवाइयों का जखीरा जमा किया हुआ था ।

न जाने क्यों रणवीर को वहाँ मौत की गंध बसी हुई लगी ।

“इतनी सारी दवाइयाँ देखकर तो आदमी वैसे ही बीमार हो जाए ।” रणवीर ने कहा ।

“अभी-अभी यहाँ पर स्टोर बनाया गया लगता है, जनाब ! पहले तो यहाँ पर ऐसा नहीं था ।” कदम सिंह ने कहा ।

“मतलब ? पहले यहाँ आ चुके हो तुम ! कब ?” रणवीर ने कदम सिंह से पूछा ।

“हाँ जनाब, एक बार यहाँ पर आग लगने की किसी ने सूचना दी थी, पर कोई जान-माल की हानि नहीं हुई थी ! तो इसलिए बस सरसरी तौर पर यहाँ देखकर गए थे । उस वक्त तो ये मकान बंद ही पड़ा था, ऐसा लोगों ने कहा था ।”

“ये कब की बात है ? उस वक्त भी इस मकान का मालिक संजय बंसल ही था ?”

“कोई छः सात महीने पहले । बस आपके इस थाने में आने से पहले की बात है । संजय बंसल का तो ध्यान नहीं जनाब ! यहाँ कोई हादसा नहीं हुआ था तो बात आई-गई हो गई थी ।”

“हम्म, ठीक है । चलो, चलते है यहाँ से । कृष्ण, इन सारे कमरों को सील कर दो ।”

जब वह बाहर आए तो इक्का-दुक्का पड़ोसी जिज्ञासावश वहाँ आ गये थे । उनसे पूछताछ हुई तो उन्होंने कभी चार-पाँच लड़कों के समूह को आते-जाते देखा था पर इसके अलावा वह कुछ खास बात नहीं बता पाए ।

रणवीर की दूसरी टीम को भी कोई सफलता हाथ नहीं लगी । उनका भी सारा दिन मोहित गेरा की तलाश में निकल गया पर निराशा के सिवाय कुछ हाथ नहीं लगा ।

रणवीर ने वेदपाल को फिर फ़ोन किया और सुबह संजय बंसल के घर संत नगर पर अपनी फॉरेंसिक टीम भेजने के लिए कहा । फिर उसने लोकेश को फ़ोन कर संत नगर का लोकेशन मैप भेजा और उसके पास जो फ़ोन की लिस्ट थी, जिसमें उन पाँचों लड़कों के मोबाइल नंबर थे, वह नंबर्स लोकेश को भेजकर उन सब नंबर्स की उस कॉलोनी में एक्टिव होने की रिपोर्ट भेजने के लिए कहा ।

इसके बाद रणवीर ने जिले के ड्रग इंस्पेक्टर नरेश मल्होत्रा को फोन किया । उसने उसे अपने साथ ‘वेल केयर’ कंपनी के एरिया डिस्ट्रीबूटर को भी कल सुबह अपने साथ लाने के लिए और संजय बंसल के घर पड़ी दवाइयों की खेप की जाँच के लिए कहा । रात को पुलिस स्टेशन पहुँचने पर रणवीर ने सभी को सुबह तक के लिए डिसमिस कर दिया । जब वह सोने लगा तो उसके फ़ोन के स्क्रीन पर डॉक्टर नवनीत कंसल की भेजी अनिकेत की पोस्टमार्टम रिपोर्ट झाँक रही थी ।

‘कंधे पर गोली लगने की वजह से ज्यादा खून बह जाने के कारण अनिकेत सात सितम्बर की रात को कोई दस बजे के आसपास मौत की आगोश में चला गया था । उसके शरीर में कई दिनों से अन्न का दाना भी नहीं गया था और खून में मेफिड्रोन की बहुतायत थी । उसके हाथ और पैर की उंगलियाँ नीली पड़ चुकी थी ।’

अन्न का दाना पहुँचता भी कैसे ? चार सितम्बर को ही आखिरी बार खाना नसीब हुआ था उसे अपने यारों के साथ ।

रणवीर को ये सोचते-सोचते कब नींद आ गई उसे पता ही नहीं चला ।