“अबे ओ प्यारे लूमड़ भाई । " विजय चहककर बोला"अबे हमारे डैडी और विकास कहां हैं?
.."विकास तो मेरे पास है । " -
-"पास कैसे?
"मैंने पहले ही कहा था कि मुझे कोई रोक नहीं सकता ।"
"तो प्यारे, इसका मतलब ये हुआ कि तुम गद्दारी दिखा गए- हमारे डैडी की जीप के ड्राइवर बनकर उन्हें अकेले में चकमा दे दिया।"
-"नहीं जासूस प्यारे ! वह जीप और ड्राइवर की लाश जारीना पहाड़ी के नीचे से पांचवें मोड़ वाली खाई में पड़ी है। अपने चमचों को वहीं भेज दो-जो सारे राजनगर की सड़कों की खाक छान रहे हैं ।"
" और हमारे डैडी और विकास ?
"इस समय तुम्हारे दो डैडी हैं, बोलो किसके विषय में बताऊं?"
- "क्या मतलब ?
"मतलब ये प्यारे जासूस कि जिस डैडी के विषये में तुम पूछ रहे हो - इस समय तुम उन्हीं डैडी से बात कर रहे हो।"
"क्या बक रहे हो प्यारे लूमड़ भाई? " विजय बुरी तरह चौंका |"
-"यस बेटे! " अलफांसे बोला-''उस पार्टी में मैं शुरू से ही तुम्हारे पिता, यानी ठाकुर साहब के मेकअप में था । तुम और सबको तो तीस दृष्टि से घूर रहे थे, किंतु मैं तौ उस समय तुम्हारा पिता था । वह पिता, जिससे तुम आंख भी नहीं मिलाते । मैं जानता था कि तुम इतनी क्षमता रखते हो कि अगर गौर से देखोगे तो किसी भी मेकअप में पहचान जाओगे, इसलिए मैंने मेकअप ही ऐसा किया, जिसे तुम गौर से देखो ही ना और वही हुआ- तुमने सबको देखा, किंतु अपने पिता से आंख मिलाने का साहस तुममें न था ।" |
अलफांसे के शब्द सुनकर विजय आश्चर्यचकित रह गया । वास्तव में उसने सबको तो गौर से देखा था, किंतु ठाकुर साहब (अलफांसे) से जितनी बार आंखें मिलतीं वह सकपकाकर उनकी नजरों से बचना चाहता था । अपने आश्चर्य पर काबू पाकर वह बोला ।
- "बेटे लूमड़, मान गए कि तुम हो नंबर एक के हरामी ।"
-" और वे जो चमचे तुमने गिरफ्तार किए हैं उन्हें छोड़ दो। वे सब किराए के टट्टू हैं, लेकिन तुम तो जानते ही हो मेरा सिद्धांत कि मैं कभी कोई ऐसा खर्चा नहीं करता, जो अनुचित हो । बेचारे किराए के तो निस्संदेह हैं, किंतु इसका क्या किया जाए कि जो नोट मैंने उन्हें दिए है, उनमें से एक भी असली नहीं है ।" अलफांसे विचित्र स्वर में बोला ।
- "हां साले-तुम तो पूरे लूमड़ हो ना अपने सगे के भी नहीं हो सकते । धोखा तो तुम्हारी नस-नस में है - उन गरीबों को भी लूट लिया ।"
- "उन बेचारों को छोड़ देना, उन्हें तो ये भी नहीं मालूम कि जिस अलफांसे ने उन्हें इस कम के लिए निर्धारित किया था, वह स्वयं ही वहां आई.जी. बना हुआ था ।"
."और प्यारे हमारे डैडी कहां हैं? "
- "वे अपनी ही कोठी के प्राइवेट कमरे में बंद है, बेचारे बोलने की हालत में नहीं होंगे, क्योंकि गले में तो कपड़े ठुसे हैं और वे बंधे पड़े होंगे।"
- "तो साले, तुमने हमारे बाप को भी नहीं छोड़ा !" - "तुम्हारे घावों का क्या हाल है?"
"हां साले, पहले तो हमारे बाप की तरह भाषण झाड़कर दो मिठाई की गोलियां दीं और अब पूछ रहे हो कि घावों के क्या हाल हैं!"
"उस समय मैं तुम्हें 'स्वर्ग का पासपोर्ट' भी थमा सकता था बेटे, शुक्र करो कि सिर्फ पैरों में ही गोलियां मारीं ।" अलफांसे मजे में बोला ।
- "खैर प्यारे, अब हमारे दिलजले कहां हैं? ।
"कौन दिलजले?"
"अबे वही हमारे और तुम्हारे आदरणीय भतीजे महोदय, जिनके लिए इतने 'पवाड़े' फैल गए ! "
"विकास?"
- "यस!
"विकास का दिलजले' शब्द से क्या मतलब?"
"तुम नहीं जानते साले लूमड़ मियां-वह लड़का नहीं हमारा बाप है । उसे तुरंत अपने से दूर कर दो, वरना वह तुम्हारी बुद्धि का दिवाला निकाल देगा। अगर तुम्हें वह अपनी 'दिलजली' सुनाने लगा तो झकझकियों को भूल जाओगे।"
- "ये दिलजली क्या होती है?" "
- " उसी से पूछना...लेकिन वह है कहां?"
" आराम से सो रहा है । "
“प्यारे लूमड़ भाई, उसे लौटा दो, वरना रैना भाभी का क्या हाल होगा ?"
"प्यारे जासूस।" वह बोला- "रैना का चाहे कुछ भी हो, मैं जो चाहता हूं वही करूंगा ।''
- "लेकिन तुम चाहते क्या हो?"
मर्डरलैंड की प्रिंसेज जैक्सन याद है?"
- "हां, लेकिन उसका इस बात से क्या मतलब?"
- "गहरा मतलब है बेटे, आजकल उस कुतिया के पर निकल आए हैं.. . वह विश्व - विजय के स्वप्न देख रही है।"
- "तुम यह कैसे कह सकते हो ?"
"तुम अभी नहीं जानते कि ब्यूमिरान में उसने क्या किया है?''
- "क्या किया?"
" शीघ्र ही जान जाओगे, लेकिन फिलहाल तो ये जान लो कि वह बहुत शीघ्र ही भयानक रूप से विश्व के समुख आ रही है, वह ऐसा वैज्ञानिक आविष्कार कर चुकी है, जिससे विश्व कांप जाएगा।"
"लेकिन इन सब बातों से विकास के अपहरण का क्या मतलब?'
"मैं विकास को ट्रेंड करके मर्डरलैंड का दुश्मन बनाऊंगा।"
"क्या बक रहे हो?"
''मैं बक नहीं रहा हूं जनाब, बल्कि फरमा रहा हूं।'
"लेकिन उस बच्चे को भला तुम क्या ट्रेंड करोगे? "
''ट्रेंड करने से तो छोटे-छोटे जानवर भी बड़े-बड़े काम करने लगते हैं बेटे । वह तो फिर भी दस वर्ष का है । साधारण बालक भी तीव्र बुद्धि रखता है। देख लेना कल का विकास मर्डरलैंड का दुश्मन होगा ।"
' अबे ओ...!"
और विजय कुछ बोलना ही चाहता था कि अलफांसे
बोला- "अच्छा प्यारे जासूस, अब मैं संबंध-विच्छेद कर रहा हूं ।"
अलफांसे ने कहा और विजय कुछ बोलने का प्रयास करता ही रह गया कि उसने संबंध-विच्छेद कर दिया ।
विजय छोटे-से ट्रांसमीटर को घूरता ही रह गया ।
***
"धायं धार्य धायं.!"
एक साथ छ: फायर ।
रिवॉल्वर खाली हो गया । लक्ष्य एक ही था और वह था सामने रखा एक गत्ता, जिसके बीचोबीच रिवाल्वर की गोली की मोटाई के बराबर एक काला निशान बना हुआ था । लक्ष्य वही काला निशान था ।
निशाना न सिर्फ अचूक था, बल्कि बेहद हैरतअंगेज भी था क्योंकि रिवॉल्वर की समस्त गोलियां उसी सुराख से गुजर गई थी, जहां से पहली गोली गुजरी थी और कमाल यह था कि पांच गोलियां निकलने के बाद भी वह सुराख इतना ही बड़ा था, जितना पहली गोली से बना था ।
समस्त गोलियां उसी सुराख से पास हो गई और सुराख उतना ही बड़ा !
था न हैरतअंगेज कारनामा !
"बहुत अच्छे विकास... बहुत अच्छे! " अलफांसे ताली बजाता हुआ बोला ।
क्राइमर अंकल! " विकास ने बड़े अंदाज के साथ उंगलियों के बीच रिवाल्वर घुमाते हुए कहा- "अब तो मैं तुम्हारी खोपड़ी में भी निशाना लगा सकता हूं।"
"अबे ओ धोखेबाज, हमने ही सब कुछ सिखाया और हमी से म्याऊं !
"जी हां!
अलफांसे को विकास का अपहरण किए तीन माह गुजर गए थे ।
अलफांसे विकास को राजनगर के पास वाले ही एक अन्य शहर रामनगर में ले आया था तब से अब तक वह विकास को प्रत्येक कार्य में ट्रेंड कर रहा था ।
अब तक अलफांसे विकास को काफी खतरनाक कार्यो में ट्रेंड कर चुका था । निशाना तो आपने विकास का देख ही लिया । इसके अतिरिक्त उसने अन्य कार्यों में भी विकास को दक्ष कर दिया था जैसे फ्रीस्टाइल के समस्त दांव-जूडो, धोबीपाट इत्यादि के साथ उनकी काट भी । ये भी बताया कि कहां फुर्ती से बचा जा सकता है और कहां शक्ति से !
मतलब ये कि अलफांसे ने विकास क्ते इस छोटी-सी आयु में ही लड़ने के इतने तरीके सिखा दिए कि साधारण व्यक्ति तो शायद जीवन में सोच भी नहीं सकता। उसने विकास को खतरनाक लड़का बना दिया था । वैसे यह बात अलफांसे से भी माननी पड़ी कि विकास न सिर्फ बुद्धिमान है, बल्कि दस वर्ष की आयु को देखते हुए उसके सोचने का ढंग-प्रत्येक कार्य को तुरंत सोचने की क्षमता इत्यादि असाधारण विशेषताओं को देखते हुए उसे जीनियस कहना अधिक उपयुक्त होगा ।
अलफांसे ने उसे जो बात एक बार बता दी - समझ लो वह उसके मस्तिष्क में लिखी गई । वास्तव में बड़ी ही तीव्र बुद्धि में रखता था विकास!
अलफांसे ने उसे लड़ाई के तरीकों के अतिरिक्त अन्य कार्यो में भी दक्ष कर दिया था। जैसे कि कार और स्टीमर का एक दक्ष ड्राइवर की भांति चालन करना । घोड़े की सवारी सफलतापूर्वक करना ।
मतलब ये कि अलफांसे ने उसे इस छोटी-सी आयु में ही प्रत्येक कार्य में दक्ष कर दिया था जिसमें वह कर सक्ता था । वैसे उसके दक्ष होने में विकास की बुद्धि का बहुत सहयोग था - ।
बहुत-से कार्य तो ऐसे थे, जिन्हें सिखाते हुए स्वयं अलफांसे को ऐसा लगता कि वह बच्चे को क्या सिखा रहा है, किंतु उस समय वह आश्चर्यचकित रह जाता जब उस कार्य में भी विकास को ट्रेंड देखता ।
अभी तक अलफांसे ने उसे एक कार्य नहीं सिखाया था और फिलहाल उसका इरादा भी न था, क्योंकि अभी विकास बच्चा ही था । इतनी फुर्ती नहीं दिखा सका था और इस कार्य में विकास की जान जाने का भी खतरा था।
वह दांव था संगआर्ट |
यानी गोलियों से बचने की कला ।
अभी वह विकास को संगआर्ट सिखाने का खतरा नहीं ले सकता था, क्योंकि थोड़ा-सा चूकते ही गोली विकास को लग सकती थी ।
- "अभी तुम्हारा निशाना ठीक से नहीं सधा है बेटे । " अलफांसे विचित्र ढंग से मुस्कराकर बोला ।
- " क्राइमर अंकल-पहले ही कह चुका हूं कि अब मैं आपकी खोपड़ी भी फोड़ सकता हूं।' 1
"तो उठाओ दूसरा रिवाल्वर ।" विकास ने दूसरा गोलियों से भरा रिवॉल्वर उठाया और बोला ।
"बोलो अंकल-कहां लगाऊं निशाना?
- "हमारी खोपड़ी में बेटे ।"
- "अरे अंकल.. . बेकार में स्वर्ग सिधार जाओगे।'' - "नहीं भतीजे-तुम गोली चलाओ।"
- "मैं तो मजाक कर रहा था अंकल ।" विकास गंभीर होकर बोला ।
"लेकिन मैं मजाक नहीं कर रहा प्यारे भतीजे, चलाओ गोली ।"
"नहीं अंकल ।"
- "चलाओ बेटे, मैं तुम्हें एक दांव और बताऊंगा ।"
- 'अच्छा तो फिर तैयार हो जाओ।" विकास ने कहा ।
- "चलाओ।"
" धायं!"
किंतु संग आर्ट का माहिर अलफांसे ।
- 'धायं... धायं... धायं ।'
विकास ने जब एक गोली से बचते देखा तो निरंतर फायर झोंक दिए, किंतु अलफांसे ने बंदरों की भांति उछल-उछलकर स्वयं को बचाया ।
और तब!
जबकि विकास का रिवॉल्वर रिक्त हो गया और उसने अलफांसे को सुरक्षित मुस्कराते पाया तो रिवाल्वर छोड़कर ताली बजाता हुआ बोला ।
"गुड क्राइमर अंकल.. वेरी गुड ! "
" है ना तुम्हारा निशाना झूठा !
"अंकल!'' विकास बोला-' 'मेरा निशाना झूठा नहीं है, बल्कि आप गोलियों से बचने की कला जानते है... और आप हैं इतने स्वार्थी कि यह हमें नहीं सिखाई ।"
"अगर बिल्ली शेर खे पेड़ पर चढ़ना भी सिखा देती तो शेर बिल्ली को फाड़ खाता ।"
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