वे दोनों लिफ्ट द्वारा टॉप फ्लोर पर पहुंचे ।
अजय के कमरे के सम्मुख पहुंचते ही नीलम चौंकती सी बोली–'अन्दर फोन की घन्टी बज रही है ।'
अजय ने भी सुना फिर उसने फौरन चाबी निकालकर दरवाजा खोला और दौड़ता हुआ सा भीतर जा पहुंचा ।
नीलम ने भी उसका अनुकरण किया ।
टेलीफोन की घंटी बजना जारी था ।
–'यस ?' अजय रिसीवर उठाकर बोला ।
–'मिस्टर कुमार ।' दूसरी ओर से रिसेप्शनिस्ट का स्वर सुनाई दिया–'अभी दो आदमियों ने आकर आपका रूम नम्बर पूछा है । ऊपर ही आ रहे हैं ।'
–'थैंक्स ।' अजय सम्बन्ध विच्छेद करके नीलम की ओर पलटा–'दो मेहमान आ रहे हैं ।' मैं नहीं जानता वे कौन हैं । बेहतर होगा तुम छिप जाओ ।'
नीलम ने पहले तो इंकार करना चाहा फिर बेमन से बाथरूम में चली गई । और दरवाजा इस ढंग से बंद कर लिया कि थोड़ा सा खुला रहे ।
अजय ने प्रवेश द्वार को यूँही भिड़ाकर अपनी रिवाल्वर निकाली और कुर्सी में बैठकर रिवाल्वर गोद में रख ली ।
उसे ज्यादा देर इंतजार नहीं करना पड़ा ।
बाहर गलियारे से आती पैरों की आहट कमरे के सामने आ रुकी फिर दस्तक दी गई ।
–'खुला है ।' कुर्सी में बैठा अजय ऊंची आवाज में बोला ।
दरवाजा फौरन भड़ाक से खुला और दो आदमियों ने अंदर प्रवेश किया । उनमें से एक ऊँचे कद और इकहरे जिस्म वाला था । और दूसरा अपेक्षाकृत छोटे कद और भारी बदन वाला । ऊँचे कदं वाले ने नीला सूट पहना हुआ था । ठिगने के शरीर पर चैक का कोट और काली पैंट थे । उसकी उम्र करीब पैंतालीस साल थी । जबकि उसका साथी छत्तीस–सैंतीस से ज्यादा का नजर नहीं आता था ।
उन अपरिचितों के बारे में कोई सही राय अजय कायम नहीं कर सका । उसने रिवाल्वर हिलाते हुए आदेश दिया–'दरवाजा बंद कर दो ।'
ऊँचे कद वाले ने आदेश पालन किया ।
ठिगने की निगाहें रिवाल्वर पर जमी थीं । प्रत्यक्षतः वह जरा भी प्रभावित नजर नहीं आ रहा था ।
–'अपने मेहमानों का इसी तरह स्वागत किया करते हो ?' उसने पूछा ।
–'नहीं ।' अजय उन दोनों को देखता हुआ मुस्करा कर बोला–'बशर्ते कि मेहमान जवान और खूबसूरत लड़कियां हों ।
लम्बू बाथरूम के अधखुले दरवाजे की ओर देख रहा था ।
–'लगता है, हम गलत वक्त पर आ गए हैं ।' वह बोला ।
–'अगर ऐसा है तो बाद में आ जाएंगे ।'
–'नहीं ।' अजय ने कहा–'तुम दोनों हाथ ऊपर करो और मेरी ओर से पीठ करके खड़े हो जाओ ।'
ठिगने के होठों पर हल्की सी मुस्कराहट खिच गई ।
–'हमारी तलाशी लेना चाहते हो ?'
–'हाँ ।'
–'यकीन करो, हमारे पास कोई हथियार नहीं है । हम सिर्फ बातें करने आए हैं ।'
–'फिर भी मैं अपनी तसल्ली करना चाहता हूँ ।' अजय ने कहा, फिर अचानक उसका स्वर कठोर हो गया–'हैंडस अप ! अबाउट टर्न !'
दोनों ने हाथ ऊपर करके उसकी तरफ पीठ कर ली ।
अजय उठकर उनके पास पहुंचा और रिवाल्वर ताने सावधानी पूर्वक उनकी जेबें थपथपाई वे दोनों चुपचाप खड़े रहे ।
उनके पास वाकई कोई हथियार नहीं था ।
–'अब तुम हाथ नीचे कर सकते हो ।' अजय पीछे हटकर बोला ।
वे दोनो हाथ नीचे करके उसकी ओर पलट गए ।
अजय ने रिवाल्वर वापस जेब में रख ली ।
–'कहिए ?' उसने पूछा–'किस बारे में बातें करनी हैं ?'
–'मनमोहन सहगल के बारे में ।' ठिगने ने जवाब दिया ।
अजय ने भौंहें चढ़ाकर उसे घूरा ।
–'कौन हो तुम लोग ?'
आगंतुकों ने एक दूसरे की ओर देखा, फिर ठिगना बोला–'यह हम अभी नहीं बता सकते ।'
–'फिर कब बताओगे ?'
–'जब तुम्हारे पास कोई और मौजूद नहीं होगा । वैसे भी हमारे नाम जानने से कोई फायदा तुम्हें नहीं होगा ।' ठिगना बाथरूम के अधखुले दरवाजे की ओर देखता बोला–'हम यहाँ तुम्हें सिर्फ छोटी–सी सलाह देने आए हैं ।'
–'मनमोहन सहगल के बारे में ?'
–'हाँ ।'
–'जरूर दो ?'
–'मनमोहन मर चुका है । पुलिस उसकी मौत को सुसाइड मानकर केस क्लोज कर चुकी है । तुम भी इस मामले को इसी तरह रहने दो ।'
अजय का चेहरा कठोर हो गया । उसने बारी–बारी से उन्हें घूरते हुए पूछा–'यही सलाह देने आए हो ?'
–'हाँ ।' ठिगने ने जवाब दिया ।
–'और अगर मैंने इस पर अमल नहीं किया ?'
–'तो तुम्हें रोकने के लिए हमें कुछ और करना पड़ेगा ।'
–'कुछ और क्या ?'
–'यह अभी तय नहीं किया गया है ।'
–'यानी तुम लोग सलाह के साथ–साथ धमकी भी दे रहे हो ?' अजय कड़े स्वर में बोला–'तो फिर मेरी बात भी सुन लो । मुझे क्या करना है और क्या नहीं यह मैं खुद ही तय किया करता हूँ । तुम दोनों को जिस किसी ने भी भेजा है । अपने उस आका से जाकर कह देना, अगर वह मेरे रास्ते में आया तो मैं उसकी वो गत बताऊंगा वह मरते दम तक याद रखेगा । समझ गए ।
ठिगने ने यूं उसे देखा, मानों उसकी अक्ल पर तरस आ रहा था ।
–'हां, मैं कह दूंगा ।' वह बोला–'लेकिन तुम्हें भी एक समझदारी की बात बताना चाहता हूँ । हमारी बात न मानकर तुम बड़ी भारी गलती कर रहे हो । क्योंकि जिस आदमी ने हमें भेजा है उसे हाथ भी तुम नहीं लगा सकोगे ।' उसने अपने साथी को संकेत किया । दोनों दरवाजे की तरफ बढ़ गए । फिर अचानक ठिगना रुककर बोला–'इस दफा हम तुम्हें सिर्फ समझाने आए थे । लेकिन अब लगता है, जल्दी ही तुमसे फिर मिलना पड़ेगा ।' और दरवाजा खोलकर दोनों बाहर निकल गए ।
अजय ने प्रवेश द्वार पुनः बन्द कर दिया ।
तभी नीलम बाथरूम से निकली ।
–'ये लोग खतरनाक थे, अजय ।' वह चिंतित स्वर में बोली ।'
–'हो सकता है । लेकिन अभी वे मुझे सिर्फ सलाह देने आए थे । अगर उनके इरादे खतरनाक रहे होते तो उन्होंने खाली हाथ नहीं आना था ।'
–'लेकिन वे अगली बार आने के लिए भी कह गए हैं ।'
अजय ने गौर से उसे देखा ।
–'आखिर बात क्या है ? तुम इतनी फिक्रमंद और निराश क्यों हो । तुम भी एक प्रेस रिपोर्टर हो । तुम्हें हौसलामंद होना चाहिए ।'
–'दरअसल, यह सिलसिला मुझे कुछ ज्यादा ही खतरनाक लग रहा है ।' नीलम हिचकिचाती सी बोली ।
–'और तुम चाहती हो मैं खतरे से डरकर चुप बैठ जाऊं ?'
नीलम ने जवाब नहीं दिया ।
–'देखो, नीलम ।' अजय बोला–'मैं मानता हूँ, इस केस में कोई खास दम नहीं है । लेकिन मेरे हाथ में जो पत्ते हैं उन्हें फैंक देने की बजाय मैं उनसे खेलना ही पसन्द करूंगा और जहां तक खतरे का सवाल है । तुम अच्छी तरह जानती हो खतरों से खेलना मेरा शौक है ।'
–'ठीक है ।' नीलम ने अनिच्छा पूर्वक कहा–'जो तुम्हें मुनासिब लगता है, करो । और ड्रेसिंग टेबल के सामने बैठकर अपना हैंडबैग खोलती हुई बोली–'मैं अपने चेहरे का हुलिया सही करती हूं । तब तक तुम कपड़े बदल लो ।'
–'ओके, मैडम ।'
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