फाइट
वीर जब घर पर बैठा अपने फुर्सत के समय में माया के साथ बिताए ख़ूबसूरत पलों को खुली आँखों से देख रहा था, तब अजय का कॉल आया।
“भाई, कहाँ पर है?” अजय ने पूछा।
“घर पर हूँ। क्यूँ, क्या हुआ?” वीर ने अजय से पूछा।
“अबे, एक भसड़ हो गई है। तू अभी आकर मिल अपने अड्डे पर।” अजय ने कहा।
“अब बताएगा भी क्या हुआ? फिर से तो कहीं जूते नहीं भूल आया तू?” वीर ने चुटकी ली।
“अरे, ऐसा कुछ नहीं है। जब मैं जिम कर रहा था तो तुम्हारे कालेज में घूमने वाले कुछ लोकल बन्दे भी वहाँ आए थे। वो हमेशा की तरह ही जिम करने आए थे। उनमें से एक बन्दे ने कहा कि कालेज में फ़र्स्ट ईयर में एक बन्दी है, जिसका नाम माया है। भाई, मस्त लड़की है। ग़जब का physique लिये हुए है। उसका physique देख कर कसम से दिल आ गया है। तीन दिन हो गए है उसे देखते हुए, अब रुका नहीं जाता। कल जब वो कालेज आएगी तब उससे बात करूँगा। अगर ‘हाँ’ करती है तो ठीक है नहीं तो साली को उठा कर ले जाऊँगा। ज़बरदस्ती ही चाहे, एक बार तो उसके पूर्ण रूप से दर्शन करने ही है।” अजय ने एक साँस में पूरी बात बताई।
“भैंचो है कौन वो? कहाँ पर है वो ? मैं अभी आता हूँ।” वीर ने गुस्से से कहा।
“वो तो निकल गए जिम से, लेकिन उन तीन में से एक मुझे जानता है तो उससे पता लगाता हूँ कि वो कहाँ पर मिलेंगे, तू अभी आ जा अपने अड्डे पर, वहीं से निकलते हैं।” अजय ने कहा।
वीर पन्द्रह मिनट में अजय के पास पहुँच गया था। अजय ने वीर को दोबारा पूरी बात विस्तार से बताई। अजय ने उन तीन में से एक लड़के से बात कर पता कर लिया था कि अभी वो तीनों कहाँ पर है? अजय ने वीर से कहा कि वो तीनों अपने कालेज के पीछे ख़ाली मैंदान में बैठकर दारू पी रहे है। मैं कुछ बन्दों को बुला लेता हूँ, फिर चलेंगे। आज सालों को सबक सिखा ही देते है।
“यार, वहाँ लडाई करने नहीं जा रहे है। एक बार बात कर लेंगे कि वो ऐसा न करे। शायद मान जाए। बन्दों की ज़रूरत नहीं है। खामखां बात बढ़ जाएगी। ज़्यादा लड़को को देखकर वो यही सोचेंगे कि लड़ाई करने आए हैं।” वीर ने कहा।
“तो सालो के बक्कल तारने ही तो जा रहे हैं। अबे, ऐसे मामलो में रिक्वेस्ट कौन करता है?” अजय ने कहा।
जब वीर और अजय, दोनों कालेज के पीछे वाले मैंदान में पहुंचे तो थोड़ा-थोड़ा अँधेरा गहरा रहा था। वो तीनों वहीं पर बैठे शराब पी रहे थे। जब वीर और अजय उनके करीब गए तो अजय ने अँगुली के इशारे से वीर को बताया कि यह सफ़ेद कमीज़ वाला बन्दा माया के लिए कह रहा था। अजय ने उस सफ़ेद कमीज़ वाले लड़के से कहा कि भाई, एक बार साइड़ में आ, तुझसे कुछ बात करनी है।
“अरे, तू तो जिम में आता है। यहाँ क्या कर रहा है?”
“तुझसे ही मिलने आए है। माया से related बात करनी है।” अजय ने कहा।
“माया को तू भी जानता है क्या? यार भाई, मेरी सेटिंग करवा दे न उससे।”
“देख, ऐसा है कि जिस माया की तू बात कर रहा है न, वो मेरी गर्लफ्रेंड़ है। तो जो भी तूने उसके बारे में कल के लिए या आगे के लिए सोच रखा है, वो तुझे नहीं करना है।” वीर ने कहा।
“ये क्या बात हुई? गर्लफ्रेंड़ तेरी है तो रख न। मुझे कोई तकलीफ़ नहीं है उससे। मैंने तो उसे दो-तीन दिन से देखा है। मस्त माल पटा रखा है तूने। physique तो ग़ज़ब का है यार, लेकिन मैं तो कल उससे बात करने वाला हूँ। साला हमें भी तो फूल का रस चूसने का मौक़ा मिलना चाहिए।” सफ़ेद कमीज़ वाले लड़के ने सीने पर हाथ मलते हुए कहा।
कुछ सेकेंड़ तक सब शान्त रहा। फिर अचानक वीर ने उस बन्दे पर एक झापड़ रख दिया। कंटाप इतनी ज़ोर से था कि साले का सारा नशा वहीं उतर गया। फिर एकदम से ही उन पांचों में झड़प शुरू हो गई। लात-घूंसे लगातार एक-दूसरे पर चल रहे थे। किसी के मुँह पर घूंसे लग रहे थे तो किसी के पेट में जमकर लातें लग रही थीं। कुछ देर तक सब बेसुध होकर एक-दूसरे को मार रहे थे। फिर वो तीनों वहाँ से भागने लगे। जब वीर और अजय उनको पकड़ने के लिए उनके पीछे दौड़े तो एक ने वीर के सिर पर ईंट फेंक कर मारी। वो तीनों वहाँ से भाग गए थे। हालांकि ईंट से वीर के सिर पर ज़्यादा तो नहीं लगी, लेकिन थोड़ा खून निकल आया था।
“चल न, डॉक्टर के चलते हैं।” अजय ने ख़ुद के कपड़ों से धूल झाड़ने के बाद वीर के कपड़ो से धूल झाड़ते हुए कहा।
“ज़्यादा चोट नहीं है। डॉक्टर की ज़रूरत नहीं है। एक काम कर। शहर के बाहर नहर पर चलते हैं। वहाँ जाकर नहाना पड़ेगा क्योंकि ऐसे हालात में घर पर तो जाया नहीं जा सकता है। और वैसे भी मूड़ की तो खुदी पडी है, तो बीयर भी ले लेते हैं, वही नहर पर बैठकर पिँएगे।” वीर ने चोट को पानी से धोते हुए कहा।
“ये मेरे भाई ने बात ठीक कही। भैंचो, खुले में पीने का मज़ा ही कुछ ओर है।” अजय ने बाइक स्टार्ट करते हुए कहा।
दोनों नहर पर नहाने के लिए पहुँच चुके थे। चार बीयर की बोतलें उन्होंने रास्ते में ही ले ली थीं। वीर और अजय पहले नहर में नहाए, फिर वहीं बैठकर बीयर पीने लगे। अजय ने एक सिगरेट सुलगाई और वीर से कहा कि यार, वो लोग माया की बात कर रहे थे, वो तो ठीक है, लेकिन वो माया के physique पर इतना जोर क्यों डाल रहे थे। माया को तो मैंने भी देखा है, लेकिन उसका physique भी बाक़ी लड़कियों जैसा ही है।
“यार, उन लोगो के तो आँखों की जगह गोटे फिट थे। उन्हे वही दिखा माया में, जैसी उनकी घटिया सोच थी। और वैसे भी प्यार में दिल लड़की के उभारों पर नहीं फिसलता, ब्लकि वो उलझते है उनकी जुल्फ़ों में, अटक जाते है उनके दुपट्टे में और ठहर जाते है उनकी आँखों में।” वीर ने खुले आसमान में तारों को देखते हुए कहा।
“हाँ, यह तो तू ठीक ही कह रहा है। साला मैं तो तुझसे बहुत पीछे हूँ, भाई। इन सबका अहसास तो मुझे आज तक नहीं हुआ है।” अजय ने धुँए के छल्ले बनाकर कहा।
“तुझे जिस दिन प्यार हुआ न तो तू भी ऐसे ही तारों को देखेगा। और उन्हीं तारों के बीच तुझे अपनी प्रेमिका की तस्वीर दिखाई देगी।” वीर ने कहकर बीयर की दूसरी बोतल खोली।
“फिर तो ठीक है, अगर नहीं हुआ है तो। मुझे तेरी तरह इन प्यार टाइप के चुतियापे में नहीं फसना है।” अजय ने हँसकर कहा।
वीर और अजय ने वहाँ कुछ समय बिताया। साथ लाई हुई बीयर को ख़त्म किया और फिर अपने घर के लिए निकल पड़े। रास्ते में अजय ने वीर से कहा कि अगर कल वो लड़के कालेज में कुछ दिक्कत करते है तो फिर क्या करना है? वीर ने कहा कि मुझे नहीं लगता कि वो लोग अब ऐसा कुछ करने की भी सोचेंगे। फिर भी, अगर ऐसा होता है तो फिर रिक्वेस्ट नहीं करेंगे।
अजय ने वीर को उसके घर के बाहर छोड़ा और अपने घर के लिए निकल गया।
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