विजय के नीचे उतरते ही अशरफ ने कहा—"अब क्या होगा विजय?"
"होना क्या है प्यारे, वह गाना गाते हुए अपने प्राणप्यारे देश को लौट जाएगें कि-लौटकर बुध्दू घर को आए।"
"म...मतलब कोहिनूर सिंगही का हो गया है?" आशा ने पूछा।
"माल उसी का होता है मिस गोगियापाशा, जिसका सुदर्शन घूम जाए—लूमड़ का फुसफुसा गया, हमारा भी फुसफुसा गया, सो हम हार गए—चचा जीत गया।"
"य...यह तो बड़े शर्म की बात है विजय कि हमारे रहते...।"
उसकी बात बीच में ही काटकर विजय ने कहा—"तो शरमाओ प्यारे, खूब शरमाओ—मना कौन करता है?"
"उफ—तुम समझ नहीं रहे हो।" आशा झुंझलाकर बोली—"क्या कोहिनूर का सिंगही के हाथ में पड़ना गलत नहीं हो गया हैं? अब वह उसकी मुहमांगी कीमत वसूल करके अपने उस कथित आविष्कार के आधार पर पुनः दुनिया के सामने एक बड़ी चुनौती बनकर उभरेगा।"
"उभरने दो गोगियापाशा, तुम अपने विक्रमादित्य को संभालो।"
इस प्रकार विजय ने उन दोनों की हर बात का जवाब उल्टा ही दिया—अतः वे चुप हो गए और फिर तीनों मिलकर विक्रम को होश में लाने की चेष्टा करने लगे।
पंद्रह मिनट बाद विक्रम होश में आया—यह जानने के बाद उसने भी चिंता व्यक्त की कि कोहिनूर को सिंगही ले गया था, चिंता व्यक्त करने के अलावा कोई कर भी क्या सकता था?
दस मिनट बाद जब वे टंकी बाहर निकले तो म्यूजियम की तरफ से इस्पात की सड़क पर अंधाधुंध भागकर इधर ही आता हुआ उन्हें अलफांसे चमका—उन्हें यहां मौजूद देखते ही अलफांसे ठिठका, विजय ने स्वागत करने के-से अंदाज में कहा—"आओ लूमड़
प्यारे, आओ।"
"त...तुम लोग यहां?"
"वहां से आए थे।" विजय ने सुरंग के तीन फीट व्यास वाले मुंह की तरफ इशारा किया।
अलफांसे ने उधर देखा और यह समझते देर नहीं लगी कि यह ग्रुप सुरंग बनाकर वहां पहुंचा था, अपनी फूली हुई सांस को नियंत्रित करके उसने सवाल किया—"क्या तुमने यहां कहीं सिंगही को देखा था?"
"हां।"
"कहां गया।"
जवाब में विजय ने बिना कॉमा या विराम का प्रयोग किए एक ही सांस में उसे सारा वृत्तांत सुना दिया—सुनने के बाद उसने उन चारों को थोड़ी कठोर दृष्टि से घूरा और बोला—"तुम सबके रहते सिंगही यहां से भाग निकलने में कामयाब हो गया?"
"तम्हे शायद यह शक हैं कि कोहिनूर हमने प्राप्त कर लिया है?"
"क्यों नहीं हो सकता?"
"हमारे चेहरे जरा ध्यान से देखो लूमड़ भाई, दोनों सुइयां तुम्हें बारह पर अटकी नजर आएंगी—जरा सोचो, अगर हमें कोहिनूर मिल गया होता तो क्या हमारे चेहरो पर बारह बजे होते?"
अलफांसे चुप रह गया, जैसे उनके चेहरो से वास्तव में ही इस नतीजे पर पहुंच गया हो कि कोहिनूर उनके पास नहीं था, विजय ने कहा—"तुम्हारी भी मेहनत बेकार गई लूमड़ भाई और हमारी भी, माल चचा ले उड़ा—हम आपस में ही लड़ते रहे और सुदर्शन चक्र चचा का घूमता रहा, बल्कि तुम्हारा तो शादी करना भी बेकार रह गया।"
अलफांसे खामोश रहा, जाने क्या सोच रहा था वह?
विजय ने पुनः कहा—"क्या तुम अब भी यही कहोगे प्यारे कि तुमने इर्विन से शादी एक नई जिंदगी शुरु करने के लिए, घर बसाने के लिए की थी?"
"अब ऐसा कहने की जरूरत नहीं रह गई है।" अपनी चिर—परिचित मुस्कान के साथ अलफांसे ने कहा—"हालांकि इन्हीं शब्दों पर यकीन दिलाने के लिए मैंने तुमसे ये शब्द तरह-तरह से कहे, कभी गिडगिडाकर, कभी गुर्राकर और कभी समझाने वाले भाव में—उद्देश्य एक ही था यह कि तुम यकीन कर लो और इस तरफ से अपना ध्यान हटा लो, मगर एक बार फिर तुमने साबित कर दिया कि तुम पूरे घाघ हो।"
विजय ने अगला सवाल किया—"सो तो ठीक है प्यारे—मगर इस सबके बावजूद एक सवाल कांटे की तरह मेरे जेहन में चुभ रहा है और वह यह कि अगर तुम सचमुच इर्विन के प्यार में दीवाने हो होने का नाटक कर रहे थे तो अकेले में, कमरा बंद करके इर्विन के फोटो से बात करने का क्या उद्देश्य था?"
"तुम होटल एलिजाबेथ के कमरे की बात कर रहे हो न?"
"हां।"
"मेरे उपरोक्त सवाल से ही जाहिर है कि मुझे उस वक्त भी यह मालूम था कि तुम की-होल से मुझे देख रहे हो, तुम पर अपनी दीवानगी साबित करने के लिए ही मैंने खुद को तुम्हारी उपस्थिति से अनभिज्ञ दिखाकर वह नाटक किया था, उस नाटक से तुम उलझे जरूर, मगर फंसे नहीं।"
"तो फिर होटल में जब तुमने हमें पकड़ा था तब यह रहस्य क्यों नहीं बताया?"
"हूं—खैर प्यारे, अब तो सारा खेल खत्म हो गया है—कोहिनूर भी तुम्हारे हाथ नहीं लगा और इस चक्कर में तुम अपने गले में इर्विन नाम की जो घंटी बांध चुके हो, क्या हम पूछ सकते हैं कि अब भविष्य में तुम उसका क्या करोगे?"
जवाब देने के स्थान पर कहीं खो-सा गया अलफांसे।
विजय ने प्रश्न किया—"क्या सूंघने लगे प्यारे?"
अचानक ही मानो अलफांसे की तंद्रा भंग हुई हो, बोला—"हो सकता है विजय कि तुम्हारे इस सवाल के जवाब में मैं जो कुछ कहूं उसे तुम फिर मेरा कोई षड़्यंत्र समझो।"
"क्या मतलब?"
"अब मैं पूरी गंभीरता से अपनी जीवन-शैली को बदलने की सोच रहा हूं।"
विजय ने चौंकते हुए पूछा—"क्या बक रहे हो, मियां?"
"मैं जानता हूं कि तुम इसे मेरी बकवास ही समझोगे, मगर यह सच है विजय, नि:संदेह यह सच है कि इर्विन के सुंदर होने के बावजूद मैं उसकी तरफ आकर्षित नहीं हुआ था—उसके प्यार में दीवाना हो जाने का नाटक किया था मैने और सिर्फ कोहिनूर को हासिल करने के मकसद से ही मैंने उससे शादी की थी—न उस वक्त मेरे मन में उसके लिए कोई जज्बात थे और न ही घर बसाने की कोई लालसा, मगर पत्नी के रूप में उसने मुझे जो कुछ दिया हैं—प्यार, अपनापन, शांति और विश्वास—उन सबको मैं भुला नहीं सकता, बल्कि अगर यूं कहूं तो ज्यादा मुनासिब होगा कि मैं उसे धोखा नहीं दे सकता—शायद इसी को प्यार कहते है विजय, शायद इर्वि से सचमुच मुहब्बत करने लगा हूं मैं।"
"अब यह नाटक तुमने किस मकसद शुरु कर दिया है, प्यारे?"
अलफांसे के होंठो पर फीकी-सी मुस्कान उभर आई, बोला—"ज्यादा होशियार बनने के चक्कर में इस बार तुम वाकई धोखा खा रहे हो दोस्त, मगर खैर—तुम कुछ भी सोचने के लिए स्वतंत्र हो—अब मैं सचमुच कोशिश करूंगा कि इर्विन के साथ एक सरल रेखा-सी जिंदगी गुजारु।"
"ऐसा कम-से-कम इस जन्म में तो कर नहीं सकोगे लूमड़।"
"हो सकता हे न कर सकूं, मगर कोशिश करूंगा—मैं इर्विन को बता दूंगा कि मैंने उससे शादी क्यों की थी-सारी हकीकत बताने के बाद कहूंगा कि यदि वह मुझे अब अपना सकती है, तो मैं सचमुच सब कुछ छोड़ दूंगा और यदि यह सब कुछ सुनकर वही मुझे ठुकरा दे तो फिर पता नहीं कि मेरी जीवनधारा किस तरफ मुड़ जाए।"
“क्या तुम एक चरित्रहीन पत्नी के साथ जीवन गुजार सकोगे लूमड़?”
"व...विजय।" अलफांसे हलक फाड़कर चिल्ला पड़ा।
"हमने सुना है कि इर्विन के चैम्बूर के साथ नाजायज...।"
और कमाल हो गया!
अशरफ, विक्रम और आशा भौचक्के रह गए!
विजय का वाक्य पूरा होने से पहले ही अलफांसे ने उछलकर पूरी ताकत से उसके जबड़े पर घूंसा मारा था, इतना जबरदस्त कि विजय उछलकर दूर जा गिरा।
वे तीनों अभी हक्के-बक्के ही थे, विजय सड़क से उठ भी नहीं पाया था कि भभकते स्वर में अलफांसे किसी भेडिए के समान गुर्राया—"इर्विन के लिए अगर एक भी गलत अल्फाज मुंह से निकला तो मैं तुम्हारी जुबान काटकर फेंक दूंगा।"
अलफांसे का चेहरा कनपटियों तक बुरी तरह भभक रहा था पूरा जिस्म कांप रहा था उसका—कुछ ऐसे अंदाज में कि विजय जैसा व्यक्ति भी सिहर उठा।
इस क्षण यदि विजय ने हाथ उठाकर रुक जाने का संकेत न किया होता तो अशरफ, विक्रम और आशा एक साथ अलफांसे पर टूट पड़े थे—अलफांसे ने खूंखार नजरों से उन सभी को घूरा।
जबड़े को सहलाता विजय खड़ा होता हुआ बोला—"तुम तो नाराज हो गए लूमड़ भाई।"
"भविष्य में इर्विन के बारे में कोई अपशब्द मत कहना।" अलफांसे ने गुर्राकर चेतावनी-सी दी।
"यह हम नहीं, चचा का कहना हैं, लूमड़ प्यारे।"
"बकता है वो, हरामजादा।" अलफांसे अचानक ही किसी ज्वालामुखी के समान फट पड़ा—"मेरी इर्वि ऐसी हर्गिज नहीं हो सकती—मेरे मन में उसके लिए जहर भरने के उद्देश्य से सिंगही ने यह कहा है कि वह चैम्बूर की वजह से उसके साथ थी—कुछ भी हो, इर्वि कुछ भी हो सकती है, मगर मैं ये नहीं मान सकता कि वह चरित्रहीन है।"
विजय और उसके साथी अलफांसे के इस अनोखे रूप को देखते रह गए, बल्कि अगर यूं कहा जाए कि उसके इस रूप को देखकर वे कांपकर रह गए थे तो ज्यादा उचित होगा। विजय ने कहा—"मगर सोचना वाली बात यह है लूमड़ भाई कि अपने चचा को इस किस्म का झूठा प्रचार करने से क्या मिलेगा?"
“इस रहस्य पर से भी मुझे जल्दी पर्दा उठाना होगा, वर्ना वह कमीना मेरी इर्विन को बदनाम कर देगा, सारी दुनिया चरित्रहीन समझने लगेगी उसे—सच विजय, तुम्हारी कसम—उसके इस प्रचार के पीछे छुपे रहस्य से पर्दा उठाना ही होगा मुझे।”
"जरूर उठाओ प्यारे।" विजय ने बात टालते हुए कहा।
कुछ देर तक शांत रहा अलफांसे, जैसे अपनी उत्तेजित अवस्था पर काबू पाने की चेष्टा कर रहा हो, कुछ देर बाद बोला—"इस रहस्य पर से भी मुझे जल्दी पर्दा उठाना होगा, वरना वह कमीना मेरी इर्वि को बदनाम कर देगा, सारी दुनिया चरित्रहीन समझने लगेगी उसे—सच विजय, तुम्हारी कसम—उसके इस प्रचार के पीछे छुपे रहस्य से पर्दा उठाना ही होगा मुझे।"
"जरूर उठाओ प्यारे।" विजय ने बात टालते हुए कहा।
कुछ देर तक शांत रहा अलफांसे, जैसे अपनी उत्तेजित अवस्था पर काबू पाने की चेष्टा कर रहा हो, कुछ देर बाद बोला—"क्या मैं तुम्हारी बनाई हुई सुरंग के जरिए बाहर निकल सकता हूं?"
"जरूर।"
अलफांसे सुरंग के मुंह की तरफ बढ गया, करीब जाकर अचानक ही ठिठका और बोला—"अब तुम लोग क्या करोगे?"
"क्या मतलब?"
"सिंगही से कोहनूर को वापस लेने की कोशिश करोगे या भारत जाओगे?"
"चचा से कोहिनूर प्राप्त करना गुड का गुस्सा नहीं है प्यारे, फिलहाल तो बैरंग लिफाफे की तरह भारत ही लौटना होगा—वहां पहुंचने के बाद यदि कोई ऐसी योजना बने तो बात दूसरी है—क्योंकि उसके मामले में सबसे कठिन काम तो उसके अड्डे का पता लगाना ही होता है—लेकिन हां, यदि तुम इस मामले में हमारी कोई मदद कर सको तो सोचा जा सकता है।"
"शादी का कार्ड मैंने साइबेरियां में स्थित अपने एक गोंजालो नामक शार्गिद से उसके अड्डे पर पहुंचाया था, पता लगा है कि उसने वहां से अड्डा चेंज कर दिया है, चेंज करके वह कहा गया है अभी तक यह पता नहीं लग सका, मगर मेरा नाम भी अलफांसे है, मैं पाताल में से भी उसे ढूंढ निकालूंगा—इर्वि को गाली देने की कीमत तो उसे चुकानी ही होगी।" कहने के बाद एक क्षण भी बिना ठहरे सुरंग में रेंग गया।
विजय बड़बडाया—"तुम एक बार फिर हमें मूर्ख बनाने की नाकाम कोशिश कर रहे हो प्यारे।"
¶¶
"हैलो बॉण्ड भाई।" सुरंग में बंधे पड़े बॉण्ड के समीप पहुंचकर विजय ने कहा—"हमें तुमसे डर था, यह कि अपने जीते जी तुम हमें कोहिनूर की चोरी में सफल नहीं होने दोगे और वह सच भी निकला, जब तक तुम्हें बांधकर यहां नहीं डाल दिया गया तक तक तुम हमारे रास्ते में अजीब-अजीब अड़चनें खड़ी करते रहे, हमारा दांव लगा और तुम यहां कैद हो गए—तब हमने सोचा था कि अब हमें अपने अभियान में सफल होने से कोई नहीं रोक सकेगा, मगर साला अपना चचा बीच में कूद पड़ा।"
बोलने से लाचार बॉण्ड ने इशारे से पूछा।
विजय ने जवाब दिया—"अभी कुछ ही देर पहले तुमने अपने लूमड़ को खोटे सिक्के की तरह यहां से बाहर जाते देखा होगा, हमें भी देख ही रहे हो—हमारी शक्लें ही बता रही हैं कि कोहिनूर चचा ले उड़ा है—और फिर इस साले बोगान के डायलॉग तो तुमने सुने ही थे—यानि तुम्हें यह बताने की जरूरत नहीं है कि सारे झमेले में चचा कहां से कूद पड़ा।"
बॉण्ड चुपचाप उसे देखता रहा।
"अब हम यहां से निकलकर बैरंग लिफाफे की तरह सीधे वहां जाएंगे, जहां से आए थे, हम नहीं चाहते कि हमारे लौटने में भी तुम किसी तरह की अड़ंगी मारो, अब हम ब्रिटेन की सीमा क्रास करते ही तुम्हारे चीफ को सुचित कर देंगे कि तुम यहां आराम फरमा रहे हो—तुम्हारे जूनियर साथी तुम्हें यहां से ले जाएंगे, उसके बाद—चाहों तो चचा से कोहिनूर को वापस लाने की कोशिश कर सकते हो।"
बेचारा बॉण्ड।
इस कदर लाचार था वह कि कोई प्रश्न तक नहीं कर सकता था, स्वयं विजय ने भी उसके मुंह से टेप हटाने तक की कोई कोशिश नहीं की—विदाई के अंदाज में उसका कंधा थपथपाते हुए विजय ने अशरफ आदि से कहा—"चलो प्यारे।"
बॉण्ड से थोड़ी दूर निकल आने पर आशा ने कहा—"क्या हम यह पता नहीं लगाएगे विजय की इस वक्त विकास कहां हैं?"
और, इस सवाल का जवाब देने के लिए विजय ने अभी मुंह खोला ही था कि सामने से उन्हें विकास आता दिखाई दिया, विजय बोला—"लो गोगियापाशा, वह आ रहा है बागड़बिल्ला।"
उसके नजदीक पहुंचते ही विजय ने पूछा—"क्या तीर चलाकर आए हो, प्यारे?"
"आप कहिए गुरू, यहां क्या रहा?" लड़के का लहजा व्यंग्यात्मक था—"आपकी सुरंग पूरी हुई या नहीं?"
"तुम्हें यह जानकर आश्चर्य होगा बेटे कि सुरंग अपने ही सही समय पर पूरी हो गई थी।"
"प...पूरी हो गई थी।" विकास चौंका।
विजय ने बड़े आराम से कहा—"हां।"
जवाब में विजय ने क्रमवार उसे सारी घटना सुना दी। सुनने के बाद एक बार फिर लड़के का चेहरा सख्त हो गया, बोला—"इसका
मतलब यह कि हमें सिंगही दादा से कोहिनूर प्राप्त करना होगा।"
"वक्त निकल चुका है, बेटे।"
"क्या मतलब गुरू?"
"और यह वक्त तुम्हारी वजह से निकला है, यदि हम चारों की मदद के लिए चचा को घेरते वक्त तुम भी हमारे साथ होते तो शायद चचा निकल नहीं सकता था—खैर, अब तुम सुनाओ दिलजले, हम तो यह जानने के लिए बेचैन हैं कि इस सुरंग के बाहर जाकर तुमने क्या तोप चलाई?"
"मैंने इर्विन का कत्ल कर दिया है।"
विकास का वाक्य उन चारों पर एक साथ बिजली बनकर गिर पड़ा, विजय सहित वे सभी जड़वत्त-से खड़े विकास को देखते रह गए और होश-सा आने पर विजय बोला—"क्या बक रहे हो, प्यारे?"
"मैं ठीक कह रहा हूं गुरू, अब क्राइमर अंकल का उस घर से हमेशा के लिए लिंक टूट चुका है।"
विजय का चेहरा कनपटियों तक सुर्ख होता चला गया, गुस्से के कारण उसका सारा शरीर कांपने लगा था, दांत भींचकर वह गुर्राया—"मगर अब हमेशा के लिए लूमड़ का लिंक तुमसे जुड गया है, बेवकूफ।"
"क्या मतलब?"
"हम जानते थे कि तुम जरूर कोई उल्टा-सीधा काम करोगे और तुमने दिखा दिया है कि तुममें कितनी बुध्दि है। जो आदमी इर्विन को गाली देने वाले को कच्चा चबाने के लिए तैयार हो जाए, वह इर्विन के हत्यारे से बदला लेने के लिए किस कदर पागल हो जाएगा, इसकी कल्पना भी अत्यन्त भयावह है—इसीलिए कह रहे हो मूर्ख कि तुझसे हमेशा के लिए लूमड़ का लिंक जुड़ गया है, दुश्मनी का लिंक।"
"मुझे इसकी परवाह नहीं है गुरू।"
विकास के इस वाक्य ने तो जैसे विजय के तन-बदन में आग ही लगा दी। इतने गुस्से में नजर आने लगा कि जितना अशरफ आदि ने उसे पहले कभी नहीं देखा था, पागलों की तरह वह चीख पड़ा—"परवाह उसे होती है बेवकूफ, जिसकी खोपड़ी में दिमाग हो, अब भलाई इसमें है कि लूमड़ को कुछ पता लगने से पहले ही हम सब ब्रिटेन की सीमा से बाहर निकल जाएं।"
"आप तो व्यर्थ ही चिंतित हो रहे है गुरू।"
"ज्यादा मत बोलो दिलजले, वर्ना लूमड़ की बजाय हम ही तुम्हारा हवाई जहाज बना देंगे।" दांत पीसते हुए विजय ने कहा और फिर बड़ी तेजी से घूमकर बोला—"जल्दी सोचो झानझरोखे, कोई ऐसी तरकीब जिससे हम आज शाम तक ही भारत पहुंच जाएं।"
"मैं भारत नहीं जाऊंगा गुरू?"
विजय उसकी तरफ घूमकर गुर्राया—"क्यों?"
"कोहिनूर लिए बिना भारत...।"
और हद हो गई—कमाल कर दिया विजय ने।
विकास का पूरा वाक्य होने से पहले ही विजय ने उछलकर उसके जबड़े पर इतना जोरदार घूंसा मारा कि न सिर्फ विकास के वाक्य के आगे के शब्द एक चीख में बदलकर रह गए, बल्कि सुरंग की छत से टकराकर वह दूर जा गिरा। विकास को अवसर दिए बिना विजय उस पर झपटा और उसके सीने पर सवार होकर बोला—"तेरा तो बाप भी भारत जाएगा, दिलजले।"
न केवल विकास ही, बल्कि विजय के उस अनोखे रूप पर अशरफ आदि भी चकित रह गए, उसके नीचे दबे विकास ने कहा—
"म...मेरी बात तो सुनो अंकल—प्लीज।"
मगर विजय ने अपने सिर की भरपूर टक्कर उसकी नाक पर रसीद की। लड़का चीख पड़ा, नाक से खून का फव्वारा उछल पड़ा।
फिर विजय ने उसे संभालने का अवसर नहीं दिया—विकास के जिस्म पर ताबड़तोड़ घूंसे बरसाता चला गया वह—कुछ बोलने की कोशिश में विकास के मुंह से चीखें निकलती रहीं।
किसी तरह विकास ने खुद को विजय की गिरफ्त से मुक्त किया, उछलकर खडा होता हुआ बोला—"आपको क्या हो गया है, गुरू? मुझे यह तो बताइए कि मेरी गलती क्या—आह...!"
पेट में पड़ी विजय की ठोकर ने उसे चीखने पर विवश कर दिया। विजय कुछ भी बताने के लिए तैयार नहीं था, उसके जिस्म में जैसे बिजली भर गई थी—विकास को मारता ही चला गया वह—विकास ने जवाब में कोई हमला नहीं किया, बीच-बीच में वह हर बार यही पूछता रहा कि आखिर बात क्या हैं, मगर विजय ने उसे इतना मारा कि अंत में वह बेहोश हो गया।
सुरंग में बेहोश पड़े विकास के जिस्म में बूट की एक जोरदार ठोकर मारी उसने, बिना किसी चीख के विकास को जिस्म किसी लाश की तरह पलट गया, फिर—बिजली से चल रहे किसी पुतले की तरह विजय अशरफ आदि की तरफ घूमकर बोला—"कोई तरकीब दिमाग में आई?"
अशरफ ने एक नजर अपनी कलाई में बंधी रिस्टवॉच पर डाली, बोला—"अभी साथ बजे हैं, विजय, दो-ढाई घंटे से पहले किसी को पता नहीं लगेगा कि कोहिनूर चोरी हो चुका है और इस बीच में हम बॉण्ड के ट्रांसमीटर का इस्तेमाल ब्रिटेन से बाहर निकलने के लिए कर सकते हैं।"
"व...वैरी गुड।" कहते हुए विजय ने अपनी उंगली से बॉण्ड की अंगूठी निकाली।
¶¶
"किसने मारा है इसे, किस हरामजादे ने मारा है मेरी इर्वि को, बोलो?" पागलों की तरह चिल्लाते हुए अलफांसे ने एक नौकर के जबड़े पर घूंसा मारा तो एक लंबी चीख के साथ वह पीछे जा गिरा, मगर उसकी परवाह किए बिना अलफांसे दूसरे नौकर पर झपट। दोनों हाथों से उसका गिरेबान पकड़कर उसे बुरी तरह झंझोड़ता हुआ गुर्राया—"तू बोल—तू बोल कुत्ते कि इर्वि को किसने मारा है?"
"इ...इर्विन मेम साब को...उसने अपना नाम विकास बताया था, साहब।"
"व...विकास।" अपनी पूरी शक्ति से चीखने के बाद वह अचानक ही शांत हो गया, अवाक्-सा खड़ा रह गया वह, कुछ ऐसे अंदाज में जैसें उसे कोई जबरदस्त शॉक लगा हो।
चारों तरफ सन्नाटा खिंच गया, मौत का सन्नाटा।
बीच में इर्विन की लाश पड़ी थी।
लाश के चारो तरफ एक भीड़ थी, पड़ोस के लोगों, नौकरों और पुलिस की भीड़—अलफांसे के उस रूप ने, जिसमें उस वक्त वह नजर आ रहा था, सभी को कंपकंपाकर रख दिया था।
कोई बुरी तरह उफनता ज्वालामुखी-सा दिखाई दे रहा था अलफांसे—उसके इस रूप को देखकर उन पुलिसकर्मियों की भी टांगे कांप रही थीं, जिन्हे इस घर के किसी नौकर ने फोन करके बुलाया था—चारों तरफ खड़े लोगों के चेहरे इर्विन के चेहरे की तरह ही बिल्कुल फक्क और निस्तेज नजर आ रहे थे।
अलफांसे पुनः गुर्राया—"तुम कहां थे, मैं पूछता हूं, तुम उस वक्त कहां थे, कुत्तो?"
"य...यही थे साहब, उसने दरवाजा अन्दर से बंद कर लिया था—हम दरवाजा पीटते रहे, तभी हमने सुना था कि वह विकास हैं।"
उसका गिरेबान छोडकर अलफांसे गुर्राया—"उस जलील कुत्ते को कोई नहीं रोक सका?"
सन्नाटा।
अलफांसे लाश की तरह घूमा।
उफ—चेहरा ठीक पत्थर के किसी कोयले-सा लग रहा था।
काला और खुरदरा।
आंखें यूं भभक रही थी जैसे अंगारे धधख रहे हों।
अलफांसे लाश की तरफ बढ़ा, नजदीक पुहंचा—फूलती-पिचकती जबड़ों की मसल्स स्पष्ट नजर आ रही थीं—लाश के समीप अपने दोनों घुटने फर्श पर रखकर बैठ गया था वह।
हाथ आगे बढ़ा।
दाएं हाथ का अंगूठा इर्विन के खून में डूबा, फिर इस अंगूठे ने अलफांसे के मस्तक पर खून का ठीका लगाया, मुंह से किसी हिंसक भेडिए की-सी गुर्राहट निकली—"अगर तून मुझे पत्नी के रूप में एक क्षण के लिए भी कुछ दिया हैं, अगर मैंने किसी एक क्षण में भी यह महसूस किया है इर्वि कि में तुझसे प्यार करता हूं तो मैं उस क्षण की कसम खाता हूं कि तेरे हत्यारे का खून पी जाऊंगा, विकास की बोटी-बोटी काटक चील कौओं को खिला दूंगा—अगर मैंने तेरी मौत का बदला नहीं लिया तो मुझ पर धिक्कार है इर्वि—धिक्कार है मुझ पर—अलफांसे की बीवी के खून के हाथ रंगने वाला वह जलील कुत्ता इस क्षण के बाद जितनी भी सांस लेगा उतनी ही बार धिक्कार हैं मुझ पर—उसके और उसके हिमातियों के खून की नदियां बहा देगा अलफांसे।"
ऐसा महसूस हो रहा था जैसे वहां बहती हवा भी कांप रही हो।
सहमकर वे मक्खियां भी शांत हो गईं, जो जख्म पर इकट्ठी हो गई थीं।
¶¶
ट्रांसमीटर ऑन करके मिस्टर एम ने कहा—"हैलो, एम हीयर।"
"डबल ओ सेविन रिपोर्टिंग सर।" दूसरी तरफ से आवाज उभरी।
"य...यस, रिपोर्ट दो, बॉण्ड—क्या रहा?"
"मैंने इन चारों को अपने कब्जे में कर लिया है, सर।"
एम ने पूछा—"क्या उनमें विकास भी है?"
"यस सर।"
"क्या तुम जानते हो बॉण्ड कि विकास ने इर्विन की हत्या कर दी है?"
“हां, मैं जानता हूं, मगर यह सूचना आप तक कैसे पहुंची कि इर्विन की हत्या विकास ने की है?”
"सारे लंदन में यह हवा है, कहना चाहिए कि लंदन का बच्चा-बच्चा यही कह रहा है कि इर्विन की हत्या विकास ने की है, और सुनते हैं कि अलफांसे ने इर्विन के खून से अपने मस्तक पर तिलक करके विकास से उसकी मौत का बदला लेने की कोशम खाई है।"
"यह सब मैं जानता हूं सर और इसीलिए चाहता हूं कि फिलहाल विकास को अलफांसे के सुपुर्द न किया जाए, अगर यह मर गया तो विश्व के सामने भारत की पोल खोलने का हमारा ख्वाब, ख्वाब ही रह जाएगा।"
"अब तुम्हारी क्या योचना है?"
"इन चोरों को एक विमान में बांधकर मैं लंदन के चक्कर लगाना चाहता हूं।"
"इससे क्या होगा?"
"दुनिया को सबक मिलेगा कि अवैध रूप से ब्रिटेन में घुसने वाले विदेशी जासूसों को बॉण्ड क्या सजा देता है—मैं सारी दुनिया को दिखा देना चाहता हूं चीफ कि जेम्स बॉण्ड के मुल्क में जुर्म करना विदेशी कुत्तों को कितना महंगा पड़ता है। आप घंटे भर के अन्दर एक विमान सीक्रेट सर्विस के गुप्त एयरपोर्ट पर पहुंचा दें, इन्हें लेकर मैं वही पहुंच रहा हूं।"
"ओ○के○ बॉण्ड, जैसा तुम चहाते हो, वैसा ही होगा।"
"ईंधन से विमान की टंकी फुल करा दीजिए।" इस वाक्य के तुरंत बाद ही दूसरी तरफ से सम्बन्ध विच्छेद कर दिया गया।
¶¶
सीक्रेट सर्विस के गुप्त एयरपोर्ट की जानकारी विजय को पहले ही से थी, उस वक्त ठीक आठ बजे थे, जब एक कार इस गुप्त एयरपोर्ट के रन-वे करीब रुकी—यहां लिख देना आवश्यक है कि यह कार चोरी की थी और यह भी कि वहां तक चलाकर उसे बॉण्ड के मेकअप में विजय लाया था।
कार के रूकते ही जूनियर जासूसों ने दरवाजा खोला।
बॉण्ड के-से अंदाज में ही विजय बाहर निकला आया, एक नजर उसने रन-वे पर खडे विमान पर डाली, एक जूनियर से उसने प्रश्न किया—"टंकी फुल है न?"
"यस सर।"
"वे चारों गाड़ी में पड़े है बेहोश, और बंधे हुए—इन्हें गाड़ी से निकालकर विमान के पास ले जाओ और चार रस्सियों के सिरों पर इस तरह बांध दो कि जब विमान हवा में उड़ रहा हो तब देखने वालों को ये विमान के साथ-साथ हवा में तैरती नजर आएं।"
"ओके सर।" कहने के बाद जूनियर बड़ी तत्परता के साथ अपने काम में जुट गए, गाड़ी के अन्दर सचमुच ही विकास, अशरफ, आशा और विक्रम बेहोश तथा बंधे हुए पड़े थे।
विजय तेज कदमों के साथ विमान की तरफ बढ़ गया, सीढ़ियां तय करके वह अन्दर पहुंचा—वहां एक पायलेट, एक हैल्पर और दो परिचारिकाएं मौजूद थीं, उन सभी ने सैनिक ढंग से बॉण्ड को सैल्यूट मारा, बॉण्ड ने कहा—"दोनों परिचारिकाएं और हैल्पर भी नीचे चले जाएं—विमान को केवल हम खुद और एक पायलेट संभालेगा, क्विक।"
आदेश होते ही वे विमान से बाहर चले गए।
जूनियर्स ने अपना काम पूरा करने में केवल पंद्रह मिनट लिए, उनकी तरफ से संकेत मिलते ही विजय ने बटन दबाया।
सीढियां सिमट गई, दरवाजा बंद।
आदेश होते ही पायलेट ने विमान स्टार्ट किया और दस मिनट बाद ही वह हवा में परवाज कर रहा था, विमान में बंधी रस्सियों के अंतिम सिरो पर चार बेहोश जिस्म बंधे झूल रहे थे।
¶¶
आश्चर्य में डूबा हरेक लंदनवासी चेहरा ऊपर उठाए हवा में परवाज कर रहे उस विमान को देख रहा था, जिसके साथ-साथ चार इंसानी जिस्म हवा में लहराते नजर आ रहे थे—विमान की चार खिड़कियों में चार रस्सियों बंधी हुई थी।
दो दाएं-दो बाएं।
उन चारों रस्सियों पर चार जिस्म बंधे थे।
लोग अपनी छतों पर खड़े उस विमान को देख रहे थे, काश—वे लोग उस विमान के अन्दर के दृश्य को भी देख सकते।
लंदन का एक चक्कर लगाने तक विजय कुछ नहीं बोला था और जैसे ही पायलेट ने दूसरा चक्कर लगाने के लिए विमान मोडना चाहा, विजय ने जेब से रिवॉल्वर निकालकर पायलेट की कनपटी पर रख दिया, बोला—"बस प्यारे, अब बिगड़ी हुई पतंग की तरह चकराना छोड़ों।"
पायलेट उछल पड़ा, क्योंकि वह आवाज बॉण्ड की नहीं थी।
यह महसूस करते ही उसी सिट्टी-पिट्टी गुम हो गई कि एक रिवॉल्वर उसकी कनपटी पर रखा था—बौखलाहट में उसके मुंह से निकला—"क...क्या मतलब, आप कौन हैं?"
"हम काले चोर हैं, प्यारे। विमान को सीधे भारत जाने वाले रास्ते पर डाल दो, वर्ना एक ही गोली में तुम्हारी यह खोपड़ी तरबूज की तरह फट जाएगी।"
मरता, क्या न करता?
उसे क्या मालूम था कि रिवॉल्वर बिल्कुल खाली था।
विजय के आदेश पर विमान ऊंचा और ऊंचा उठता चला गया और साथ ही बढ़ती चली गई उसकी रफ्तार—उधर अशरफ, विक्रम, आशा और विकास वास्तव में बेहोश थे, किन्तु उन सभी के हाथ इस तरकीब से बांधे गए थे कि होश में आने पर उनमें से कोई भी आसानी से रस्सी खोल सकता था।
सबसे पहले होश आया विक्रम को।
हवा के तेज झक्कड़ो के बीच उसने खुद को तैरते पाया और इस अवस्था में पाते ही वह समझ गया कि विजय की योजना पूरी तरह सफल हो गई हैं।
अतः वह विमान उस वक्त के कब्जे में था और भारत की तरफ बढ़ा रहा था—पहले से ही तय था कि सबसे पहले होश में आने वाले को क्या करना था और उसी के अनुसार विक्रम ने सबसे पहले अपने हाथ स्वतंत्र किए तथा तेज झक्कड़ो के बीच उस रस्सी पर चढने लगा जिसके जरिए उसे विमान के साथ बांधा गया था।
यह काम आसान नहीं था, एक साधारण व्यक्ति को असंभव ही महसूस होगा, परन्तु सीक्रेट सर्विस के प्रत्येक एजेंट को इस किस्म के साहसिक कार्यों का पर्याप्त प्रशिक्षण दिया जाता है, अतः विक्रम के लिए काम कठिन जरूर था, असंभव नहीं।
रस्सी बहुत ज्यादा लंबी नहीं थी, फिर भी—विमान का खिड़की तक पहुंचने में उसे तीस मिनट लगे—खिड़की के रास्ते से अन्दर आते ही उसने खुद को रस्सी से मुक्त किया।
फिर एक-एक करके उसने अशरफ, आशा और विकास को भी विमान में खींच लिया।
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उस वक्त दोपहर का एक बजा था, जब बॉण्ड ने महसूस किया कि सुरंग के दूसरे सिरे से उस तरफ कुछ लोग आ रहे थे और यह देखकर उसकी आंखों में चमक उभर आई कि आने वाले सीक्रेट सर्विस के तीन जासूस और स्वयं मिस्टर एम थे।
एम के आदेश पर उसके बंधन खोले गए, मुंह से टेप हटाया गया, अजीब-से पश्चाताप-भरे स्वर में एम ने कहा—"हमें अफसोस है बॉण्ड, सचमुच हम बहुत बड़ा धोखा खा गए।"
"मैंने तो पहले ही कहा था सर कि विजय किसी की भी आवाज की हू-ब-हू नकल करने में माहिर है, खैर अब यह बताइए कि आप यहां कैसे पहुंचे?"
"कुछ ही देर पहले उस विमान का पायलेट लौटा है, जिसे तुम्हारे मेकअप में विजय ने एक प्रकार से किड़नैप कर लिया था, उसे भारतीय जासूसो ने ही बताया कि तुम यहां कैद हो।"
"वह इतनी जल्दी कैसे लौट आया?"
"भारतीय जासूस उसे भारत तक नहीं ले गए, ब्रिटिश सीमा पार करते ही वे पांचों पैराशूट की मदद से कूद गए थे और उनके विमान छोड़ते ही पायलेट वापस लौट आया।"
"वे बहुत चालाक हैं सर, विमान को यदि भारत तक ले जाते तो यह स्पष्ट हो जाता कि वे भारतीय थे। अब हमारे पास उन्हें विजय ग्रुप साबित करने के लिए कोई सबूत नहीं हैं।"
"जो कुछ हुआ बॉण्ड, हमें तो वह अभी तक भी एक स्वप्न-सा लग रहा है—हम सोच भी नहीं सकते थे कि तुम यहां कैद पड़े हो और ट्रांसमीटर पर हमें उन्होंने एक बार नहीं, दो बार धोखा दिया—वे न सिर्फ इर्विन का कत्ल करके ब्रिटेन से निकल गए, बल्कि कोहिनूर भी ले गए।"
"आपको कैसे पता लगा कि कोहिनूर विजय ग्रुप ने ही चुराया है?"
"कोहिनूर के चोरी होते ही उनके इस तरह से ब्रिटेन से निकल जाने से ही जाहिर है।"
फीकी-सी मुस्कान के साथ बॉण्ड ने कहा—"यानि यह आपका अनुमान हैं?"
"क्या गलत है?"
एम के इस सवाल का बॉण्ड ने एकदम से कोई उत्तर नहीं दिया, बोला—"क्या आपको यह जानकारी है कि इस वक्त अलफांसे कहां हैं?"
"उसे लोगों ने ब्रिटेन में अंतिम बार इर्विन की लाश के पास विकास से बदला लेने की कसम खाते देखा और तभी से वह गायब है, कोई नहीं जानता कि वह कहां गया?"
"यह जानकर आपको आश्चर्य होगा कि कोहिनूर का असली चोर अलफांसे हैं।"
"क...क्या कह रहे हो तुम?" मिस्टर एम उछल पड़े।
जवाब में जब बॉण्ड ने उन्हें सारा किस्सा संक्षेप में और सिलसिलेवार सुनाया तो वे आश्चर्य के गोते लगाने लगे!
यह बात शायद उनकी कल्पना में नहीं थी कि कोहिनूर को सिंगही ले गया था।
¶¶
भारतीय जासूस की वह टीम रात के दो बजे राजनगर पहुंची, अपनी कोठी पर पहुंचते ही विजय ने ब्लैक ब्वॉय को फोन किया, दूसरी तरफ से रिसीवर के उठते ही विजय बोला—"हैलो प्यारे काले लड़के।"
"स...सर, आप!" ब्लैक ब्वॉय की चौंकी हुई आवाज—"आप कहां से बोल रहे हैं?"
"अपने दौलतखाने से।"
"ओह, इसका मतलब आप आ चुक हैं—कोहिनूर प्राप्त करने के लिए बधाई सर, लेकिन यह मैं क्या सुन रहा हूं—क्या विकास ने सचमुच इर्विन की हत्या कर डाली है?"
ब्लैक ब्वॉय के मुंह से उपरोक्त वाक्यों को सुनकर विजय चौंक पड़ा, बोला—"क्या मतलब प्यारे, तुम्हें यह सब कैसे मालूम?"
"ब्रिटेन में स्थित भारतीय जासूसों ने रिपोर्ट भेजी हैं, सर।"
"क्या?"
"यही कि ब्रिटेन में आज सारे दिन दो ही खास चर्चाएं रहीं—पहली यह कि कोहिनूर को चुरा लिया गया है, दूसरी यह कि भारतीय जासूस विकास ने इर्विन की हत्या कर दी है।"
"क्या कोहिनूर की चोरी से भी हमारा नाम जोड़ा जा रहा है?"
"फिलहाल रिपोर्ट में ऐसा कुछ नहीं है।"
"तो फिर तुमने हमें कोहिनूर हासिल कर लेने की बधाई कैसे दे दी?"
"इसी मकसद से आप पूरी टीम लेकर वहां गए थे, यह सुनते ही कि कोहिनूर चोरी हो गया है मेरे लिए यह समझ जाना नितान्त आसान है कि आप सफल हो गए हैं और फिर वहां चोरी होते ही आपकी यहां मौजूदगी जाहिर करती है कि आप सफल होकर स्वदेश लौट आए हैं।"
"इस बार तुम्हारा ख्याल बिल्कुल गलत है, काले लड़के।"
"क्या मतलब, सर?"
"हमारे हाथ कोई कोहिनूर नहीं लगा है, बल्कि बैरंग लिफाफे की तरह लौटकर आए हैं हम।"
"क्या कह रहे आप?"
"कथा जरा लंबी है मेरी जान, आमने-सामने बैठकर ही श्लोक पढ़े जाएं तो उचित रहेगा—तुम इसी वक्त गुप्त भवन पहुंचो, हम भी
पहुंच रहे है।"
इस प्रकार तीस मिनट बाद वे गुप्त भवन में मिले।
विजय ने संक्षेप में उसे सब कुछ बता दिया।
सुनकर ब्लैक ब्वॉय के चेहरे पर चकित रह जाने वाले भाव उभर आए थे, बोला—"यह तो बहुत बुरा हुआ सर, कोहिनूर सिंगही के हाथ लग जाना खतरनाक है—अब वह उसे कैश करेगा और फिर उसी दौलत के आधार पर बहुत ही दुनिया के लिए एक बड़ा खतरा बनकर उभरेगा।"
"वह तो जब उभरेगा तब देखा जाएगा प्यारे, फिलहाल हमारे सामने चचा से कई गुना ज्यादा बड़ा खतरा बनकर अपना लूमड़ उभरने वाला हैं।"
"क्यों?"
"इर्विन की हत्या सचमुच विकास ने ही की हैं, सर?"
विजय ने बहुत ही संक्षिप्त-सा उत्तर दिया—"हां।"
"म...मगर क्यों—इससे विकास को क्या लाभ हुआ?"
"दरअसल इस अभियान पर विकास को ले जाकर हमने ही भूल की थी-सारे अभियान में बड़ी मुश्किल से उसे, उसके अटपटे ढंग से काम करने से रोकते रहे, परन्तु अंतिम क्षणों में हमें धोखा देकर वह सुरंग से निकल ही गया और उस थोड़े-से समय में ही जो तीर उसने मारा वह तुम्हारे सामने है—जरा सोचो, जो लूमड़ हमारे मुंह से इर्विन के लिए अपशब्द तक न सुन सका, क्या वह इर्विन के हत्यारे से बदला लिए बिना चैन से बैठेगा?"
"यदि यह सच हुआ सर तो वाकई अलफांसे और विकास के बीच हमेशा के लिए दुश्मनी बंध गई है और शीघ्र ही अलफांसे मौत बनकर विकास के ऊपर मंडराएगा।"
"इसीलिए तो हमें दुम दबाकर ब्रिटेन से भागना पड़ा है प्यारे, यदि विकास ने यह बेवकूफी न की होती तो हम चचा तक पहुंचने की कोशिश करते, लूमड़ भी हमारी तरह चचा का सताया हुआ है अतः चचा तक पहुंचने के लिए हमें उसकी मदद भी मिल सकती थी, किन्तु इर्विन की मौत ने तो सारा मामला ही उल्टा कर दिया—हमने सोचा कि यदि कोहिनूर के चक्कर में रहे तो कहीं ऐसा न हो कि लूमड़ अपने दिलजले का ही क्रियाक्रम कर दे, सो निकल आए।"
"क्या विकास ने ब्रिटेन से लौटने में कोई अड़चन नहीं डाली?"
"ब्रिटेन से बाहर लगभग हम उसे जबरदस्ती ही लाए थे, विमान में—होश में आने पर फिर वही बकरे की टांग वाला राग अलापने लगा, कहने लगा कि सिंगही से कोहिनूर लिए बिना वह भारत नहीं लौटेगा। हमने, झानझरोखे, गोगियापाशा और विक्रमादित्य ने मिलकर एड़ी-चोटी का जोर लगाया, तब कहीं जाकर उसके दिमाग पिंजरे में यह बात ठूंस सके कि उसकी अपनी जान कोहिनूर से कहीं ज्यादा कीमती है, कोहिनूर के चक्कर में यदि लूमड़ ने उसे लपक लिया तो राम नाम सत्य हो जाएगा—तब कहीं जाकर उसे यहां तक लाने में कामयाब हुआ हैं।"
"इस वक्त वह कहां है?"
"बाकी लोगों की तरह अपनी कोठी पर चला गया है।"
"ल...लेकिन सर, क्या अब आप उसे सुरक्षित समझते हैं?"
"यदि उसे सुरक्षित समझते प्यारे, तो रात के इस वक्त न हम खुद परेशान होते और ही तुम्हें करते।"
"मैं कुछ समझा नहीं, सर?"
"जो कुछ हुआ है, हालांकि उस सबको विकास अभी गंभीरता से नहीं ले रहा है, मगर हम अच्छी तरह समझ रहे हैं कि यह मामला कितना सीरियस है—हमारा ख्याल है कि लूमड़ को बहुत ही जल्दी राजनगर में देखा जाएगा।"
"किस मकसद से?"
"दिलजले से बदला लेने के लिए यहां आएगा वह, बल्कि कहना चाहिए कि दिलजला जहां भी होगा, लूमड़ वहीं पहुंच जाएगा—इर्विन की मौत का बदला लिए बिना चैन से नहीं बैठेगा वह।"
ब्लैक ब्वॉय के चेहरे पर चिंता की लकीरे उभर आई, बोला—"ऐसे हालात में हमें क्या करना चाहिए सर?"
"उस बेवकूफ लड़के की हिफाजत करना हमारा फर्ज हैं।"
"म...मगर—यह हिफाजत हमें करनी किस तरह है?"
"ठीक उसी तरह जैसे अभिमान्यु के हत्यारे की हिफाजत कौरवों की सेना ने की थी, हालात कुछ वैसे ही हैं काले—लड़के—अपने लूमड़ को तुम अभिमन्यु की मौत पर भड़का हुआ अर्जुन समझो—जयद्रथ के चारों तरफ ऐसा जाल बिछाया गया था, जिसे सारे दिन के युध्द के बाद भी अर्जुन तोड़ नहीं सका, कुछ वैसा ही जाल हमें अपने दिलजले के चारों तरफ भी बिछाना होगा।"
"तो फिर क्यों न हम विकास को यहां बुलाकर धोखे से डैथ हाउस में कैद कर लें?"
"हमें ऐसा नहीं करना है।"
"इसमें क्या बुराई है, सर?"
"बुराई है प्यारे कि अगर हमने ऐसा किया तो सचमुच अपना लूमड़ कभी विकास तक नहीं पहुंच सकेगा और न ही विकास उसकी चुनौती का सामना कर सकेगा।"
"यही तो हम चाहते हैं सर।"
"हम यह नहीं चाहते।"
"फिर?"
"हम चाहते हैं कि हम सब लूमड़ से विकास को बचाने की भरपूर कोशिश करें—मगर बचा न सकें, लूमड़ को खत्म करने की पुरजोर कोशिश करें—मगर सफल न हो सकें।"
ब्लैक ब्वॉय की बुध्दि घूम गई, बोला—"आपके इन अटपटे वाक्यों का अर्थ मेरी समझ में बिल्कुल नहीं आ रहा है सर—क्या आप अलफांसे के हाथ से विकास का अंत करा देना चाहते हैं?"
"हां।"
"स...सर।"
"सारा जाल हमें इसी उद्देश्य को लेकर बिछाना है, नजर आए कि विकास को बचाने की कोई कोशिश ऐसी नहीं थी, जो हमने इस्तेमाल न की हो, मगर विकास न बच सके।"
ब्लैक ब्वॉय कुछ इस तरह विजय को देख रहा था, जैसे उसके सिर पर अचानक ही सींग उग आए हो।
¶¶
अगले दिन।
बी○बी○सी○ ने अपने सुबह के बुलेटिन में दोनों खबरें प्रमुखता के साथ दीं, कोहिनूर से सम्बन्धित भी और इर्विन से सम्बन्धित भी—कोहिनूर के सम्बन्ध में बी○बी○सी○ ने इतना ही कहा कि दुनिया का खूंखारतम अपराधी सिंगही कोहिनूर चुरा ले गया हैं—बुलेटिन में यह भी कहा गया था कि—"सिंगही बहुत दिन से कोहिनूर को चुराने के लिए प्रयत्नशील था, उसके अलावा कुछ विदेशी जासूसों का भी यह प्रयत्न था—जांच शुरु हो गई है और सबूत मिलने पर ही दुनिया के सामने यह स्पष्ट किया जाएगा कि वे
जासूस किस देश के थे।"
इर्विन के सम्बन्ध में प्रसारित किया गया—"सूचना मिली है कि ब्रिटेन के नए और सर्वाधिक चर्चित नागरिक अलफांसे की पत्नी इर्विन की किसी ने हत्या कर दी—कुछ चश्मदीद गवाहों के अनुसार यह हत्या भारतीय विकास ने की है—अलफांसे ने इर्विन के खून का टीका और तभी अपने मस्तक पर लगाकर विकास से बदला लेने की कसम खाई है और तभी से अलफांसे ब्रिटेन से गायब है, साथ ही इर्विन के तन से नाइट गाउन भी गायब है, जो उसने उस वक्त पहन रखा था जिस वक्त उसकी हत्या की गई—काफी तलाश के बावजूद भी अभी तक अलफांसे को नहीं खोजा जा सका है।"
बी○बी○सी○ से इन दो समाचारों के प्रसारित होते ही सारे विश्व में जैसे तहलका मच गया—हरेक की ज़बान पर यही दो बातें—यही चर्चा—यत्र—पत्र—सर्वत्र।
¶¶
बी○बी○सी○ से प्रसारित होने वाला बुलेटिन रैना और रघुनाथ ने एक साथ सुना था और सुनते ही उनके चेहरे फक्क पड़ गए थे—चौंककर उन्होंने अविश्वसनीय नजरों से एक-दूसरे की तरफ देखा, चेहरों पर हवाइयां उड़ रही थीं। दिल अनयास ही जोर—जोर से धड़कने लगे।
चाहकर भी वे काफी देर तक अपने मुंह से कोई आवाज नहीं निकाल सके थे, रैना से पहले रघुनाथ ही ने खुद को संभाला, उसके मुंह से फंसी-फंसी आवाज निकली—"र...रैना।"
"य...यह हमने क्या सुना है प्राणनाथ?"
"व...विकास ने इर्विन की हत्या...।"
"न...नहीं।" पागलों की तरह रैना अपनी संपूर्ण ताकत से चीख पड़ी—“ऐसा नहीं हो सकता, मेरा विकास ऐसा नहीं कर सकता—य...यह रेडियों झूठ बोलता है।"
"म...मगर, वह करीब एक महीने के बाद रात यहां वापिस आया है।"
"व...विकास—विकास।" पागलों की तरह चौखती हुई रैना विकास के कमरे की तरफ दौड़ी, रघुनाथ उसके पीछे लपका, चीखती हुई वह विकास के कमरे में पहुंची।
उसे इस अवस्था में देखकर धनुषटंकार चौंक पड़ा।
विकास अभी तक सोया पड़ा था।
रैना ने बुरी तरह उसे झंझोड़ा—चीखी— "विकास...विकास।"
लड़का हड़बड़ाकर उठा।
दोनो हाथों से गिरेबान पकड़कर रैना उसे झिंझोडती हुई चीखी—"कहां गया था तू—बोल—पिछले एक महीने से तू कहां था? "जल्दी बता?"
"अजीब बात कर रही हो मम्मी, रात जब आया था तब बताया तो था कि मैं कश्मीर गया था।"
"झूठ।" रैना बीच में ही चीख पड़ी—"तूने झूठ बोला था।"
"कैसी बात कर रही हो मम्मी? तुमसे भला मैं झूठ क्यों बोलूंगा?"
रैना ने गुर्राकर पूछा—"क्या लंदन नहीं गया था तू?"
विकास के मस्तिष्क को एक झटका-सा लगा, कुछ बोल नहीं सका वह—अवाक-सा अपनी मां की तरफ देखता रह गया, जबकि रैना पुनः चीखी—"बोल, जवाब दे।"
"त...तुमसे यह किसने कहा?"
"र...रेडियो ने, बी○बी○सी○ से प्रसारित होने वाले बुलेटिन ने।"
"ब...बुलेटिन?"
"हां—सच बोल विकास, बिल्कुल सच बता—क्या तूने इर्विन की हत्या की है?"
लड़के के दिमाग को एक और तीव्र झटका लगा, बोला—"बी.बी.सी. से प्रसारित होने वाले बुलेटिन में क्या कहा गया है?"
"यह कि तू लंदन में था, यह कि तूने इर्विन की हत्या की है और यह कि अलफांसे भइया ने अपने मस्तष्क पर इर्विन के खून से टीका करके तुझसे बदला लेने की कसम खाई हैं।"
एकदम कुछ बोल नहीं सका विकास, आंखों से सूनापन-सा लिए रैना को देखता रहा वह, जबकि पागलो की तरह उसे झंझोड़ती हुई रैना ने अपना सवाल पुनः दोहरा दिया और इस बार लड़के ने गंभीर स्वर में कहा—"हां मम्मी, यह सब सच है।"
"व...विकास।" चीखने के बाद वह एकदम इस तरह स्थिर हो गई जैसे संगमरमर की मूर्ति बन गई हो—जबरदस्त शॉक लगा था उसके दिल को।
रैना अवाक-सी खड़ी रह गई—आंखें पथरा-सी गई थीं।
पलकें झपकना भूल गई।
वहां सन्नाटा छा गया था—मौत का सन्नाटा।
कुछ रैना जैसी ही अवस्था रघुनाथ और धनुषटंकार की भी थी। रैना को यूं मूर्ति-सी अवस्था में खड़े रह जाते देख विकास डर गया, बेड़ से उठकर उसने रैना के दोनो कंधे पकड़े और झंझोड़ता हुआ चीखा—"म...मम्मी—मम्मी।"
रैना की तंद्रा भंग हुई तो जैसे कोई बांध टूट पड़ा, बुरी तरह से रो पड़ी वह—फफक—फफककर रोती हुई बोली—"यह तूने क्या किया विकास—यह तूने क्या किया?"
"म...मेरी बात सुनो मम्मी प्लीज—मेरी बात सुनो।"
"बोल।"
"क्राइमर अंकल ड्रामा कर रहे है, वे इर्विन से बिल्कुल प्यार नहीं करते थे।"
"क्या मतलब?"
"मैं सच कह रहा हूं मम्मी, उन्होने एक खास मकसद से इर्विन से शादी की थी, एक ऐसे मकसद, ऐसे षड़्यंत्र के तरह—जिसमें यदि वे कामयाब हो जाते तो हमारे देश को बहुत बड़ा नुकसान हो जाता, उनका वह मकसद इर्विन के जीवित रहने से ही पूरा होना था इसलिए मैंने उसे खत्म कर दिया—यकीन मानो मम्मी, क्राइमर अंकल के मन में इर्विन के लिए वैसी कोई भावना नहीं थी जैसी साधारणतः पति के मन में पत्नी के लिए होती है।"
"यदि ऐसा था तो तुझसे बदला लेने की कसम क्यो खाई है उन्होंने?"
"यही मैं नहीं समझ पा रहा हूं।"
"त...तू झूठ बोलता है, हत्यारा है तू—पापी—यह सब तू अपने गुनाह पर पर्दा डालने के लिए कह रहा है—ऐसा बेटा मुझे नहीं चाहिए, अलफांसे भइया से पहले मैं ही तुझे मार डालूंगी।" चीखने के बाद पागलों की तरह उसने अपने चारों तरफ देखा, कुछ ऐसे अंदाज में जैसे विकास को मार डालने के लिए किसी चीज की तलाश कर रही हो, और फिर एक कोने में पड़े रघुनाथ के रूल पर उसकी नजर पड़ी। वह बाज की तरह उस रूल पर झपटी।
इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, रुल हाथ में लिए रैना विकास पर टूट पड़ी—एक मां की तरह नहीं, बल्कि जानी दुश्मन की तरह विकास को मारने लगी वह।
"म...मेरी बात सुनो मम्मी, प्लीज—मेरी बात तो सुनो।" विकास चीखता ही रहा, मगर रैना पर जाने कैसा जुनून सवार हुआ था कि उसने विकास की एक न सुनी।
मारती ही चली गई वह। रघुनाथ और धनुषटंकार किंकर्तव्यविमूढ़ गया, फिर जार-जार रोती हुई रैना ने रूल जोर से फेंककर कमरे के फर्श पर मारा, दौड़ी और फिर रघुनाथ के सीने से लिपटकर वह एक मां की तरह रो पड़ी।
रघुनाथ ने बांहों में भर लिया उसे।
रघुनाथ के साथ ही धनुषटंकार की आंखें भी भर आईं थीं। रैना के सिर पर हाथ फेरते हुए उसने सांत्वना दी, जब रैना सामान्य हुई तो बोला—"अब क्या होगा प्राणनाथ, अलफांसे भइया मेरे बच्चे को छोड़ेगा नहीं।"
"तुम इतनी क्यों डरती हो पगली। एक मुजरिम के लिए सुपरिंटेंड़ेंट के बेटे तक पहुंच जाना क्या इतना आसान है? मैं एक ऐसा कभी नहीं होने दूंगा।"
"म...मैं अलफांसे भइया को अच्छी तरह जानती हूं-सारी दुनिया की पुलिस मिलकर भी आज तक उन्हें कहीं पहुंचने से नहीं रोक सकी हैं—ऐसा कोई अभियान नहीं है, जिसमें उन्होंने कामयाब होना चाहा हो और न हो सके हों—अपने दुश्मन को वे पाताल में से ढूंढकर भी खत्म कर देते हैं और फिर विकास ने तो उनकी पत्नी का कत्ल किया है।"
"घबराओ मत रैना, हम जरूर कुछ करेंगे।"
"मगर मेरे बच्चे को बचा लो, प्लीज—मेरे लाल को बचा लो, प्राणनाथ।"
"त...तुम इतनी क्यों डर रही हो रैना, क्या तुम्हें हम विश्वास नहीं? मैं हूं, ठाकुर साहब हैं—राजनगर की पूरी पुलिस फोर्स है, विजय है।"
विजय का नाम आते ही रैना ने अपना आंसुओं से तर चेहरा ऊपर उठाया, ऐसा महसूस किया जैसे इस एकमात्र नाम ने उसके अंतर में कहीं आशा कि किरण जगा दी हो, बोली—"व...विजय—हां, आप जल्दी से विजय भइया को फोन कीजिए—वहीं कुछ कर सकते है।"
रैना को आहिस्ता से अपने से अलग करके रघुनाथ फोन की तरफ बढ़ गया, रिसीवर उठाने के लिए अभी उसने हाथ बढ़ाया ही था कि फोन की घंटी घनघनाने लगी।
रघुनाथ ने रिसीवर उठाकर कहा—"हैलो।"
दूसरी तरफ से ठाकुर साहब की आवाज उभरी—"यह हम क्या सुन रहे हैं, रघुनाथ।"
"ओह सर, आप—गुड मॉर्निंग।"
“क्या तुमने बी○बी○सी○ के सुबह के बुलेटिन सुने हैं?”
"य...यस सर।"
"क्या कहा है उनमें?" ठाकुर साहब ने पूछा—"हमने बुलेटिन नहीं सुना है, लेकिन कुछ देर पहले किसी ने फोन पर हमें बताया कि बुलेटिन के मुताबिक विकास ने इर्विन की हत्या कर दी है और...।"
"व...वह सब सच है, सर।"
"क...क्या?"
"य...यस सर, विकास ने खुद स्वीकार किया है कि उसने इर्विन की हत्या की है।"
"म...मगर क्यों?"
"उसका कहना है कि इर्विन की मदद से अलफांसे भारत के खिलाफ कोई षड़्यन्त्र रच रहा था और उस षड़यंत्र को विफल करने के लिए ही उनसे इर्विन की हत्या कर दी।"
"इस वक्त विकास कहां है?"
"अपने कमरे में, बेहोश पड़ा है, सर—रैना ने गुस्से में उसे बहुत मारा है।”
"हम पहुंच रहे हैं, रघुनाथ।" इन शब्दो के साथ ही दूसरी तरफ से सम्बन्ध विच्छेद कर दिया गया। सुपर रघुनाथ ने विजय का नंबर रिंग किया।
¶¶
सीक्रेट सर्विस से सम्बन्धित यानि उस फोन पर जिसका नंबर किसी डायरेक्ट्री में नहीं है, ब्लैक ब्वॉय से बातें करके विजय ने रिसीवर अभी रखा ही था कि साधारण फोन की घंटी घनघना उठी—विजय उस तरफ बढ़ता हुआ बड़बडाया—"यह लो प्यारे, हो गया चक्कर शुरु।"
रिसीवर उठाते ही विजय ने कहा—"हैलो, डायरेक्टर ऑफ पागलखाना स्पीकिंग।"
"मैं बोल रहा हूं विजय, रघुनाथ।"
"कहिए, किस नंबर के पागल से मिलना है?"
"क्या तुमने कुछ ही देर पहले प्रसारित होने वाला बी.बी.सी. का बुलेटिन सुना है, विजय?"
"जी हां, उसमें विकास नाम के एक पागल का जिक्र किया गया था।"
"प...प्लीज विजय, मजाक छोड़ो—उस सबको सुनकर रैना बहुत घबरा गई हैं—विकास को इसने इतना मारा है कि वह बेहोश हो गया
हैं—तुम यहां आ जाओ—रैना को सिर्फ तुम ही पर विश्वास हैं, वह समझती हैं कि विकास को अलफांसे से केवल तुम ही बचा सकते हो।"
"हम पहुंच रहे हैं, प्यारे।" कहने के साथ ही उसने रिसीवर रख दिया और फोन के समीप से सीधी जम्प बाथरूम में लगाई।
तैयार होकर जब वह रघुनाथ की कोठी पर पहुंचा तो पोर्च में खड़ी ठाकुर साहब की गाड़ी को देखते ही उसका माथा ठनका।
गाडी के समीप ही ठाकुर साहब के सशस्त्र गार्ड़ खड़े थे।
अब विजय के लिए एक आवारा लड़के की एक्टिंग शुरु करनी जरूरी थी, सो—कार से बाहर निकलते ही उसने दरवाजा इतनी जोर से बंद किया कि उसकी आवाज सारी कोठी में गूंज गई।
विजय चाबी का छल्ला उंगली में डाला और उसे घुमाने लगा, दूसरा हाथ जेब में डाला तथा किसी आवारा लड़के की तरह सीटी बजाता हुआ आगे बढ़ा।
ठाकुर साहब के गार्ड़ जानते थे कि यह आई.जी.ठाकुर साहब का पुत्र हैं, इसलिए खामोश के साथ उसे देखते मात्र रहे।
इतनी ही नहीं, बल्कि उनके समीप से गुजरते वक्त विजय ने आंख मारी।
गार्ड सकपका गए। उन्हें सकपकाता ही छोड़कर विजय अपने उसी अंदाज में गैलरी पार करके कमरे में दाखिल हो गया और कमरे में कदम रखते ही वह इस प्रकार सकपका गया जैसे पहली बार समझा हो कि यहां ठाकुर साहब भी मौजूद हैं।
सीटी बजानी एकदम बंद कर दी उसने। फिर सोफे पर बैठे ठाकुर साहब से बोला—"पांय लागूं बापूजान।"
ठाकुर साहब ने कुछ कहा नहीं, आग्नेय नेत्रों से सिर्फ उसे देखते रहे, जबकि उसे देखते ही विजय भइया कहती हुई रैना उससे आ लिपटी, रैना की हालत वाकई खराब थी, बोली—"अलफांसे भइया से विकास को तुम ही बचा सकते हो, विजय भइया। अलफांसे को अब तुम ही समझा सकते हो।” विजय ने मूर्खो की तरह गरदन अकड़ाकर कहा—"कहां है वह मरदूद?"
"क...कौन?"
"लूमड़।"
"वह यहां कहा है?"
"तो फिर समझाएं किसे?"
"यह बदतमीज है और हमेशा बदतमीज रहेगा।" उफनकर एक झटके साथ खड़े होते हुए ठाकुर साहब चीखे पड़े—"इसे यहां किसने बुलाया है, रघुनाथ?"
"म...मैंने।" रैना कह उठी।
गुस्से की ज्यादती के कारण कांपकर रह गए ठाकुर साहब, बोले—"त...तुम भी बहुत पगली हो, रैना बेटी। यह नालायक भला क्या कर सकेगा—सब कुछ इसी का तो किया-धरा है।"
"हमारा। हमने क्या किया है, डैडी प्यारे?"
"तुम्हीं ने विकास को बिगाड़ा है, तुमने और उस अंतर्राष्ट्रीय मुजरिम ने इस छोटे-से बच्चे को ऐसे-ऐसे खतरनाक कामों में दक्ष कर दिया कि वह अपनी उम्र से बहुत ज्यादा आगे बढ़कर जाने क्या-क्या सोचने और करने लगा हैं—अब संभालों इस मुसीबत को।"
"संभाल लेंगे।" विजय ने सीना तानकर कहा।
उसके कहने का अंदाज इतना भद्दा था कि ठाकुर साहब खुद को संभाल न सके—दांत पीसते हुए वे विजय की तरफ बढ़े ही थे कि आगे बढ़कर रैना ने उन्हें रोक लिया, रोती हुई हाथ जोड़कर बोली—"प...प्लीज डैडी, इस वक्त गुस्सा न कीजिए—शांति से बैठकर उस मुसीबत से निकलने का रास्ता खोजने की जरूरत है, जिसमे विकास ने खुद को फंसा लिया है।"
ठाकुर साहब यह मानने के लिए तैयार नहीं थे कि उस मामले में विजय कुछ कर सकता था, मगर फिर भी रैना के अनुरोध पर वो विजय की उपस्थिति को यहां सहन करने के लिए तैयार हो गए थे।
उसी कमरे में, गुमसुम-सा धनुषटंकार एक कुर्सी के हत्थे पर बैठा सिगार में गहरे-गहरे कश लगा रहा था—विजय और ठाकुर साहब को देखते ही उसने चरण स्पर्श किए।
विजय ने आदेश दिया—"दिलजले को होश में लाओ गांड़ीव प्यारे।"
धनुषटंकार बाथरूम से एक जग में पानी ले आया।
इस बीच रघुनाथ ने समाचार के बाद से विकास के बेहोश होने तक की सारी वारदात संक्षेप में विजय को सुना दी—विजय चुपचाप सब कुछ सुनता रहा।
विकास को होश आया।
हल्की-हल्की-सी कराहटें निकलने लगी उसके मुंह से, रूल की चोटों से उसका सारा बदन दु:ख रहा था, कई जगह पड़े हुए नील बिल्कुल साफ दिख रहे थे।
उन्हें देखरकर रैना की आंखें भर आईं, अपनी ही बेरहमी पर ग्लानि-सी हुई उसे—जबकि आगे बढ़कर विजय ने विकास को फर्श से उठाकर बेड़ पर लिटा दिया।
कुछ देर बाद उसने आंखें खोलीं।
ठाकुर साहब बेड़ पर उसके समीप ही बैठ गए और विकास के सिर पर पड़े प्यार से हाथ फेरते हुए उन्होने पूछा—"सच बताओ बेटे, क्या तुम्ही ने इर्विन की हत्या की है?"
विकास ने स्वीकृति में गरदन हिलाई।
"क्यों?"
"वो एक भारत-विरोधी षड़्यन्त्र रच रहे थे।"
"क्या षड़्यन्त्र था वह?"
विकास ने एक बार विजय की तरफ देखा, बोला—"वह मैं नहीं बता सकता।"
"क्यों?" चौंकते हुए ठाकुर साहब ने पूछा।
"मैं इस सवाल का जवाब भी नहीं दे सकता।"
"जवाब तो तुम्हारे बाप को भी देना पड़ेगा दिलजले।" आगे बढ़कर उसके नजदीक पहुंचता हुआ विजय गुर्राया—"तुम लंदन क्यों गए थे?"
"सॉरी अंकल, इस बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता।"
विकास और विजय मिलकर यह सारा ड्रामा ठाकुर साहब, रैना, रघुनाथ और धनुषटंकार के सामने इसलिए कर रहे थे, क्योंकि उन लोगों को हकीकत नहीं बता सकते थे।
नहीं बता सकते थे कि वे दोनों ही भारतीय सीक्रेट सर्विस से सम्बन्धित है, यह भी नहीं बात सकते थे कि वे दोनों ही ब्रिटेन गए थे कैसे कह देते कि इस सारे झमेले के पीछे कोहिनूर है?
विजय ने कहा—"खैर प्यारे, फिलहाल उन सवालों को छोड़ो जिनका तुम जवाब देना नहीं चाहते, तुम्हारी बातों से अर्थ यह निकलता है कि तुम यह समझते थे कि लूमड़ इर्विन से बिल्कुल प्यार नहीं करता है।"
"हां।"
"तुम्हारा यह समझना गलत भी तो हो सकता है?"
"उन्होंने बदला लेने की कसम खाई है, इससे तो यही लगता हैं, मगर...।"
"मगर क्या?"
"मुझे आश्चर्य जरूर है, जानता हूं कि जब उन्होंने कसम खाई है तो यहां तक पहुंचेगे भी जरूर, उनके सामने पड़ते ही मैं उनसे पूछूंगा कि इर्विन से कब प्यार करने लगे थे वो?"
"पूछोगे तो तभी न बेटे जब वह तुम्हें इतना अवसर देगा, जितने गुस्से में वह है, उससे तो लगता है कि वह सामने पड़ते ही तुम पर हमला कर देगा, खैर—अब तुम उस षड़्यन्त्र के बारे में बताओ जो लूमड़ इस देश के खिलाफ रच रहा था।"
"कह चुका हूं गुरू कि मैं नहीं बता सकता।"
विकास ने यह एक ही वाक्य रट रखा था, जबकि विजय तरह-तरह से जोर डालकर उससे पूछता रहा। एकाएक ही आगे बढ़कर रैना बोली—"बता दो बेटे, तुम डरो नहीं—हम सब जो हैं—अलफांसे भइया को हम तुम तक नहीं पहुंचने देंगे।"
फीकी-सी मुस्कान दौड़ गई विकास के होंठों पर, बोला—"क्या तुम यह समझती हो मम्मी कि मैं क्राइमर अंकल और उनसे खाई गई कसम से डर रहा हूं?"
"तो फिर बता क्यों नहीं देते?"
"जब वक्त आएगा तो मुझे उनसे नहीं मम्मी, उन्हें मुझसे डरना होगा—मैंने इर्विन की हत्या की है-सीना ठोक—ठोककर मैं हजार बार यही बात कहूंगा और यह भी कहूंगा कि मैंने जो भी किया है, ठीक किया है—अब यदि क्राइमर अंकल ने भारत की जमीन पर कदम रखा तो उन्हे गिरफ्तार कर लूंगा मैं—देश के दुश्मनों को तुम्हारा बेटा बख्शता नहीं है—जरूरत पड़ी तो क्राइमर अंकल की लाश बिछाने से भी पीछे नहीं हटूंगा।"
"व...विकास।" चीखती हुई रैना ने उसके गाल पर एक झन्नाटेदार थप्पड़ मारा।
लड़के के होंठो पर फीकी मुस्कान दौड़ गई, बोला—"दुनिया में सिर्फ एक ही काम तो नहीं सीखा तेरे लाल ने और वह है—डरना—मुझे डरना नहीं आता मम्मी—तुम भी मत डरो।"
"त...तू बहुत पाजी हो गया है, नालायक—मैं तुझे कच्चा चबा जाऊंगी।" गुस्से और भावुकता की अधिकता के कारण उसके मुंह से झाग निकल रहे थे, भूखी शेरनी के समान विकास पर झपट पड़ना चाहती थी वह, मगर विवश थी।
ठाकुर साहब ने कसकर पकड़ रखा था उसे।
रैना उनके बंधनों से निकलने के लिए मचल रही थी, ठाकुर साहब खींचते हुए उसे कमरे से बाहर ले गए—रघुनाथ और विजय भी उनके पीछे ही कमरे से निकल गए, निकलने से पहले विजय ने धनुषटंकार से कहा था—"दिलजले का ध्यान रखना, गांड़ीव प्यारे। यह साला क्रैक हो गया है—यहां से नौ दो ग्यारह न हो सके।"
धनुषटंकार ने अपने छोटे-से कोट की जेब से रिवॉल्वर निकाल लिया और जब विकास ने इस रिवॉल्वर को अपनी तरफ को देखा तो उसके गुलाबी होंठो पर फीकी-सी मुस्कान नाच गई।
दूसरे कमरे में लाकर ठाकुर साहब ने रैना को समझाया—"होश में आओ बेटी, इस वक्त व्यर्थ की भावुकता से काम नहीं चलेगा, फिलहाल विकास से ज्यादा बातें करने से कोई लाभ नहीं है, क्योंकि अलफांसे की तरह ही वह भी जोश में मालूम पड़ता है।"
"मरने दीजिए उसे, हमें परवाह नहीं है।"
"र...रिलेक्स रैना, प्लीज—रिलैक्स।"
रैना शांत हो गई।
रघुनाथ ने प्रश्न उठाया—"म...मगर वह बता क्यो नहीं रहा हैं कि आखिर अलफांसे भारत के खिलाफ क्या षड़्यन्त्र रच रहा था?"
"फिलहाल इस बात पर जोर मत डालो रघुनाथ। संभव है कि दिमाग शांत होने पर विकास खुद ही कुछ बता दे, अभी वह जोश में है और इसी में जाहिर है कि उसके और अलफांसे के बीच कोई बहुत बड़ी बात हुई है।"
रघुनाथ चुप रह गया।
ठाकुर साहब ने कहा—"फिलहाल हम चलते हैं, तुम फिक्र मत करना, रैना—हम सारे राजनगर में ही नहीं, बल्कि राजनगर के चारों तरफ पुलिस और जासूसों का जाल बिछा देंगे—ऐसा जाल, जिसे तोड़कर अलफांसे राजनगर में दाखिल ही न हो सके और यदि किसी तरह वह राजनगर में पहुंच भी गया तो यकीन रखो, इस कोठी के आस-पास नहीं फटक सकेगा।"
सभी चुप रहे थे।
ठाकुर साहब वहां से चले गए। तब रघुनाथ ने विजय से कहा—"विजय, प्लीज तुम अकेले में कोशिश करके देखो, शायद विकास तुम्हें बता दे कि उसके और अलफांसे के बीच आखिर हुआ क्या है?"
"मैं भी यही सोच रहा था, प्यारे।" कहने के बाद उस कमरे में चल दिया, जिसमें विकास था।
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