विपुल कैस्टो बाहर खड़ी अपनी गाड़ी में जा बैठा। उसकी गाड़ी में एक ड्राइवर था और एक जार्ज नाम का उसका खास आदमी था और सबसे पीछे वाली सीट पर दो गनमैन बैठे थे। उसकी गाड़ी के आगे-पीछे आदमियों से भरी चार कारें थी। करवार से वे वापस गोवा की तरफ चल पड़े। कैस्टो खुश था। चेहरे पर शांति के भाव थे।

"काम हो गया जार्ज।" कैस्टो मुस्कराकर बोला--- "मैं तो सोच रहा था कि डोगरा पंगा खड़ा करेगा। पर वो आराम से मान गया।"

"क्या माना कैस्टो भाई?"

“पैंतीस परसेंट गोवा का हिस्सा मेरा। जहां हम ड्रग्स सप्लाई करेंगे। बाकी उसका। हम दोनों एक-दूसरे के कामों में दखल नहीं देंगे।" तसल्ली भरे अंदाज में कैस्टो ने सिर हिलाया--- "ये तो अभी शुरुआत है जार्ज धीरे-धीरे हम डोगरा के धंधे को गोवा से खदेड़ देंगे। हमें टिकने की जगह चाहिए थी, वो मिल गई।"

“मुझे यकीन नहीं आता कि डोगरा ने पैंतीस परसेंट गोवा पर अपना हक छोड़ दिया है।"

"ये देख ।" कैस्टो ने जेब से नक्शा निकालकर उसे दिया--- "इस पर डोगरा ने अपने हाथों से गोवा के उस हिस्से पर निशान लगाए हैं, जो उसने मुझे दिया है। पंद्रह परसेंट तो वो हिस्सा है, जहां तगड़ी ड्रग्स खपती है।"

जार्ज ने नक्शा खोलकर देखा ।

पांच मिनट तक जार्ज नक्शे में मगन रहा। उसके चेहरे पर गंभीरता आ गई।

"कैस्टी साहब मुझे डोगरा पर यकीन नहीं ।"

"क्यों?"

"उसने गोवा के जो हिस्से आपको दिए हैं उसमें से कुछ तो इतने महत्वपूर्ण हैं कि उन्हें वो अपने हाथों से नहीं जाने देगा।"

"उसके अपने पास भी तो कई महत्वपूर्ण हिस्से हैं।"

"पर मुझे समझ नहीं आता कि डोगरा आपको पैंतीस परसेंट गोवा क्यों देगा? उसने पंगा खड़ा क्यों नहीं किया। वो आपसे डरता भी नहीं है तो फिर आसानी से आपके हवाले पैंतीस परसेंट गोवा कैसे कर दिया ?" जार्ज नक्शे को फोल्ड करता गंभीर स्वर में बोला--- "डोगरा बेवकूफ नहीं है जो इतनी आसानी से ये मामला निपटने देगा।"

कैस्टो खामोश रहा। फिर उसने सिग्रेट सुलगाकर कहा।

"मतलब कि ये बात तुम्हारे गले से नीचे नहीं उतर रही?"

"जरा भी नहीं।"

"तुम क्या कहते हो कि डोगरा मेरे साथ कोई चाल चल रहा है?"

"वो फेयर गेम नहीं खेल रहा। सबसे बड़ा सवाल है कि वो इतनी आसानी से क्यों मान गया। आठ सालों से गोवा में ही वो ड्रग्स सप्लाई करता है तो वो आपके बीच में आ जाने से परेशान नहीं होगा? क्या वो परेशान हुआ था?"

"जरा भी नहीं।" कैस्टो बोला।

"तो जरूर कोई गड़बड़ है कैस्टो साहब।"

"मैं तो बहुत खुश हो रहा था कि मामला बढ़िया निपट गया। तुम्हारी बात ने तो मुझे परेशान कर दिया।"

जार्ज खामोश रहा।

कैस्टो ने कश लेकर वैन की खिड़की से बाहर देखा और बोला ।

"तुम्हारा क्या ख्याल है कि डोगरा अगर हमसे चाल चल रहा है तो वो क्या चाल होगी?”

तभी जार्ज ने वैन चलाते आदमी से कहा।

"पीटर, तुम क्या हर वक्त गाड़ी के पास रहे?"

"जी जनाब।"

"कोई गाड़ी के पास तो नहीं आया?"

“नहीं। मैं वैन में ही बैठा रहा। वो दोनों इस सारे वक्त में गाड़ी से टेक लगाए खड़े रहे।" पीटर ने कहा।

"ये तुमने क्यों पूछा?" कैस्टो बोला।

"हमारी गाडी में डोगरा बम भी लगवा सकता है।"

"क्या बकवास है?" कैस्टो के होंठों से निकला--- “डोगरा ऐसा नहीं करेगा।"

जार्ज ने कैस्टो को देखा फिर तीखे स्वर में बोला।

"वो कुछ भी कर सकता है।"

कैस्टो ने जार्ज को देखा और गंभीर सा कह उठा।

"तुम कुछ ज्यादा ही शक कर रहे हो।"

"क्योंकि उसने आसानी से आपको धंधे के लिए पैंतीस परसैंट गोवा दे दिया है। मैं तो सोच रहा था वो झगड़ा करेगा।"

"डोगरा बोलता है माईकल मेरी जान लेना चाहता है। चौबीस घंटों में वो मुझे मारेगा।"

"डोगरा ने कहा?" जार्ज के माथे पर बल पड़े।

"हां बोलता है उसके आदमियों ने खबर दी है।"

“माईकल का क्या दिमाग खराब है जो वो आपकी जान लेने की सोचेगा।" जार्ज ने कहा।

"डोगरा चाहता है कि हम माईकल को खत्म कर दें।"

"माईकल परेशानी तो खड़ी कर रहा है लेकिन उसे खत्म कर देने से पहले एक बार उससे बात करनी चाहिए।"

"दो दिन पहले ही माईकल का मामूली सा झगड़ा जोएल से हो गया था।" कैस्टो बोला--- "शायद इस वजह से।"

"ऐसा होता तो माईकल जोएल पर हाथ साफ करता। आप पर तो नहीं। झगड़ा छोटे भाई से हो और बड़े को मारने की सोचना बेवकूफी होगी। कहीं ऐसा तो नहीं कि डोगरा आपको माईकल के खिलाफ भड़का रहा हो।"

"तुम्हारी बातें शक से भरी हुई हैं और मैं...।"

तभी जार्ज का फोन बजा ।

जार्ज ने फोन पर बात की।

"हैलो।"

"जार्ज।" दूसरी तरफ से शांत स्वर कानों में पड़ी--- "मैं माईकल---पहचाना?"

जार्ज चौंका। उसने एक निगाह कैस्टो पर मारी फिर कह उठा।

“कहो माईकल ?”

कैस्टो की निगाह जार्ज पर जा टिकी।

"कैस्टो भाई किधर है?" उधर से माईकल ने कहा।

“बात बोलो।"

"कैस्टो भाई से बात करा सौदे की बात है।"

"कैसा सौदा ?"

"बाद में कैस्टो भाई से पूछ लेना। अभी तो मेरी बात करा।" माईकल ने उधर से शांत स्वर में कहा।

"कैस्टो भाई सलामत है ना अभी?"

"क्या मतलब?"

"तू वक्त बरबाद कर रहा है उधर कहीं कैस्टो भाई का काम ना हो गया हो।"

जार्ज एकाएक सतर्क हो गया।

"क्या बोला तू?"

"तूने बताया नहीं कि कैस्टो भाई सलामत है?"

"हां।"

"तेरे पास है?"

"हां।"

"बात करा, तू टैम बोत खराब कर रहा है जार्ज। टेम जरा भी नहीं है।"

जार्ज कान से फोन हटाकर कैस्टो से बोला ।

"माईकल आपसे कुछ खास बात करना चाहता है मुझे नहीं बता रहा।"

कैस्टो ने हाथ आगे बढ़ाया तो जार्ज ने उसे फोन थमा दिया। कैस्टो फोन पर बोला ।

"तू जोएल से झगड़ा करता है माईकल, मेरे भाई से तू झगड़ा करेगा।"

"वो परसों की बात आप अब भी दिल में रखे हुए हैं उस बात को भूल जाइए। जोएल आपका भाई है, मैं भूलता नहीं। फिर वो झगड़ा तो नहीं था। जरा सी तू-तू-मैं-मैं ही तो थी।" उधर से माईकल की शांत आवाज कानों में पड़ी--- “जहां मेरा धंधा होता है वहां मैं कभी भी झगड़ा नेई करता। आप लोगों के साथ मेरा धंधा चलता है कैस्टो भाई।"

"जोएल तेरी शिकायत कर रहा था।"

"ऐसा कुछ नहीं है जोएल साहब से मैं बात कर लूंगा।"

"काम की बात बोल ।"

"पचास लाख की बात है। पर मै पांच लाख लूंगा। मंजूर है कैस्टो साहब?"

"बात बोल।"

"पांच लाख ।"

“मुझे कैसे पता चलेगा कि पांच लाख की बात है भी या नहीं ?"

"पहले बात बताऊंगा, फिर पांच लाख लूंगा।"

"पणजी वाले ठिकाने पर पहुंच ।"

"कितनी देर में?"

"एक घंटा ।"

"पहुंचा। विलास डोगरा से मिले क्या?" उधर से माईकल ने पूछा।

"तेरे को क्या पता?" कैस्टो की आंखें सिकुड़ीं।

“सब पता रखना पड़ता है मिले क्या डोगरा से?"

"हां।"

"ठीक है कैस्टो साहब। पणजी वाले ठिकाने पर मैं एक घण्टे में पहुंच जाऊंगा।" कहकर उधर से माईकल ने फोन बंद कर दिया।

कैस्टो के माथे पर बल थे। उसने फोन जार्ज को दिया।

"क्या बोला?"

"पांच लाख में वो कोई खबर बेचना चाहता है। मेरे ख्याल में माईकल बम फोड़ने जैसी कोई बात कहेगा।"

"मेरे से पूछ रहा था कि कैस्टो भाई सलामत हैं।"

“और मेरे से पूछा कि विलास डोगरा से मिल लिया।" कैस्टो ने कश लिया और सिग्रेट शीशा नीचे करके बाहर फेंक दी।

"माईकल खामख्वाह फोन करने वाला नहीं।"

"डोगरा की बात सही हो सकती है कि माईकल मुझे मारने के चक्कर में ना हो।"

"क्या बात करते हैं कैस्टो साहब। पणजी वाले ठिकाने पर हमारे आदमी होंगे। वो क्या वहां आकर आप पर हाथ डालेगा। उसका दिमाग खराब नहीं है जो वो ऐसा करेगा। फिर वो आप की जान लेगा ही क्यों?" जार्ज बोला।

“डोगरा ने ऐसा कहा था।"

“आपको डोगरा पर भरोसा है?"

"ज़रा भी नहीं।" कैस्टो का सोच भरा स्वर इंकार में मिला--- “पणजी वाले ठिकाने पर जाते ही जबरदस्त इंतजाम कर देना। माईकल अगर कोई चाल चलना चाहे तो वो कामयाब ना हो सके।"

"मैं बढ़िया इंतजाम कर दूंगा, पर माईकल कुछ करने वाला नहीं। आपके साथ उसका कोई भी झगड़ा नहीं।"

“जोएल कहां है?”

“अपने अपार्टमैंट में हो सकता है। वो आजकल अपना ज्यादा समय जूली के साथ बिता रहा है।"

"अगर मुझे कुछ हो जाए तो सब कुछ जोएल संभालेगा ।" कैस्टो बोला--- “ये बात भूलना मत जार्ज ।"

"इस बात को मैं हमेशा याद रखता हूं पर आपको कुछ नहीं होगा ।" जार्ज ने मुस्कराकर कहा--- "मैं आपके साथ रहता हूँ।"

कैस्टो ने मोबाइल निकाला और जोएल को फोन किया।

“हां भाई।” उधर से जोएल की आवाज सुनाई दी--- "डोगरा से मुलाकात हो गई?"

“हां। सब ठीक रहा। तू पणजी वाले ठिकाने पर पहुंच---।"

"मैं जूली के साथ लंच करने वाला हूं।"

"माईकल पांच लाख में मुझे कोई ख़बर बेचने पणजी वाले ठिकाने पर आ रहा है। उधर डोगरा कहता है कि माईकल मेरी जान लेने की बात कर रहा है।" कैस्टो ने शांत स्वर में कहा--- “जार्ज कहता है कि माईकल ऐसा कुछ नहीं करने वाला।"

"मैं पणजी पहुंच रहा हूं भाई। तुम इस वक्त कहां हो?" दूसरी तरफ से जोएल ने कहा।

"करवार से वापस आ रहे हैं। पैंतालीस मिनट में पणजी के ठिकाने पर पहुंच जाएंगे।” कैस्टो ने कहा और फोन बंद कर दिया।

■■■

पणजी वाले ठिकाने पर पहुंचते ही जार्ज ने वहां पंद्रह मिनटों में पक्के इंतजाम कर दिए कि वहां पर माईकल के द्वारा कोई गड़बड़ हो तो उसे संभाला जा सके। तीस बरस का जोएल भी वहां पहुंच गया था। वो गोरे रंग का स्मार्ट युवक था। उसे देखकर यही लगता था कि वो किसी कंपनी में काम करता है। इन दिनों वो गोवा के एक मंत्री की बेटी के साथ इश्क कर रहा था और बाकी बचे वक्त में अपने भाई कैस्टो के साथ धंधे को संभालता था। कैस्टो की वजह से उसे धंधे की कोई चिंता नहीं थी। क्योंकि कैस्टो सब कुछ संभाल लेता था। सारी टेंशन वो ही लेता था।

ये ठिकाना, तीन सौ गज में बनी तीन मंजिला इमारत में था। यहां पर कैस्टो के आदमी सिर्फ डैस्क वर्क ही करते थे। किसी भी तरह का माल यहां मौजूद नहीं होता था। पेपर वर्क ही किया जाता था। हिसाब-किताब देखा जाता था। इमारत की पहली मंजिल पर फुर्सत के समय कैस्टो बैठता था और अपनी योजनाओं के बारे में विचार करता था। अपने काम की सारी मीटिंग वो यहीं पर करता था। ऐसे में इस इमारत के अंदर-बाहर तगड़ा पहरा रहता था।

इस वक्त भी कैस्टो पहली मंजिल पर अपने ऑफिस पहुंचा। जोएल वहां पहले से ही मौजूद था। उसने नीला सूट पहन रखा था। लाल टाई लगा रखी थी। वो जंच रहा था। ये मीडियम साईज़ का हॉल था।

एक तरफ बड़ा सा टेबल और उसके आस-पास छः कुर्सियां रखी थी। पीछे बड़ी सी रिवाल्विंग चेयर थी, जिस पर कैस्टो बैठता था।

"माईकल नहीं आया?" जोएल ने पूछा।

"आ रहा है।" कैस्टो अपनी कुर्सी पर बैठता कह उठा।

तभी चार आदमी भीतर आए और बिना कुछ बोले उस जगह पर फैल गए, उनकी जेबों के उभारों से पता चल रहा था कि वहां पर रिवॉल्वर रखे थे। देखने में वो मजबूत इरादों वाले लग रहे थे।

"क्या कहा माईकल ने?"

"वो पांच लाख में मेरे से वास्ता रखती कोई खबर मुझे बेचना चाहता है।" कैस्टो बोला।

“और डोगरा कहता है कि माईकल आपको मारने की फिराक में है।" जोएल ने कहा ।

"हां।"

"मेरे ख्याल में माईकल ऐसा सोच भी नहीं सकता।"

"जार्ज भी ये ही कहता है।" कैस्टो ने जोएल को देखा--- "माईकल ने मुझसे पूछा कि क्या मैं डोगरा से मिल चुका हूँ और जार्ज से पूछा कि क्या मैं जिंदा हूं। वो खतरनाक बातें कर रहा है।"

"इसका मतलब उसके पास कोई खबर जरूर है।"

कैस्टो गंभीरता से सिर हिलाकर रह गया।

तभी एक आदमी भीतर आते हुए बोला।

"माईकल आया है साथ में दो लोग हैं। टोनी और डेविड । उन्हें बाहर ही रोका जाए क्या?"

"टोनी और डेविड को भी आने दो, जैसा माईकल चाहे, माहौल को सामान्य रखो।" कैस्टो ने कहा।

वो आदमी बाहर निकल गया।

कैस्टो ने वहां फैलकर खड़े चारों आदमियों को देखा और टेबल की ड्राज खोल लिया। ड्राज में सामने ही रिवॉल्वर पड़ी थी। जोएल ने कोट की जेब में हाथ डाल लिया और उंगलियां रिवॉल्वर से लिपट गई।

"माईकल से हमें वैसे भी बात करनी है।" जोएल बोला--- “वो हमारे लोगों से हफ्ता वसूल करने के चक्कर में है।"

"इस बारे में अभी कोई बात नहीं होगी।" कैस्टो बोला--- “वो जो बात करने आया है, वो ही करने दो।"

तभी जार्ज ने भीतर प्रवेश किया। उसके पीछे माईकल, टोनी और डेविड थे। सबसे पीछे कैस्टो के ही दो आदमी थे। माईकल पैंतालिस बरस का खुरदरे चेहरे वाला व्यक्ति था। उसकी शेव कुछ बढ़ी हुई थी। जीन की पेंट के ऊपर गोल गले की सफेद स्कीवी पहनी थी जो कि कुछ मैली हो रही थी। सिर के बाल बिखरकर माथे पर आ रहे थे।

"इसके पास रिवॉल्वर है।" जार्ज बोला--- “जिसे ये मेरे हवाले नहीं कर रहा।"

"कोई बात नहीं।" कैस्टो मुस्कराकर कह उठा--- "आओ माइकल तुम्हारा ही इंतजार हो रहा था।" फिर उसने जार्ज से कहा--- "टेबल पर पांच लाख रख दो, सुनो तो सही कि ये क्या कहना चाहता है।"

"खबर तो बहुत बढ़िया है।” माईकल मुस्कराया फिर जोएल को देखता कह उठा--- "परसों हमारी कुछ बात हो गई थी। सुना है तुम अभी तक उस बात को लेकर नाराज हो। ऐसी बातें दिल में नहीं रखते। छोटी-छोटी बातें चलती ही रहती हैं।"

जोएल के होंठ बंद रहे। वो माईकल को देखता रहा।

"लगता है तुम्हारी नाराजगी दूर करने के लिए मुझे पार्टी देनी पड़ेगी।" माईकल हौले से हंसा।

"पार्टी की कोई जरूरत नहीं माईकल ।" जोएल बोला--- "खुद को थोड़ा समेटकर रखो।"

“खुद को समेट लूंगा तो काम कैसे चलेगा। पूरे गोवा में डेढ़ सौ से ऊपर छोकरा लोग हैं, जो मेरे वास्ते काम करता है, उनका घर भी तो मैंने चलाना है। नोट तो चाहिए ही होते हैं। अब मैं तुम्हारे भाई के बारे में खास ख़बर बताने आया हूं। पूरे पचास लाख की खबर है लेकिन सिर्फ पांच लाख ले रहा हूं।"

जार्ज ने टेबल के नीचे की ड्राज से नोटों की गड्डियां निकाल कर टेबल पर रख दीं।

“तुम्हारा पैसा तैयार है माईकल ।" जार्ज बोला।

माईकल ने टेबल पर पड़ी नोटों की गड्डियों को देखा फिर करीब आकर कुर्सी पर बैठा। टोनी और डेविड खामोशी से अपनी जगह पर खड़े थे। कैस्टो की निगाह माईकल पर थी।

"खबर जरा देर से मिली। माइकल बोला--- "वरना मैंने तो सलाह देनी थी कि डोगरा से भी मत मिलो।"

"अच्छा।" कैस्टो ने शांत स्वर में कहा।

जार्ज सतर्क अंदाज में कैस्टो के पास खड़ा था।

"गोरे को जानते हो कैस्टो साहब?"

"स्काई होटल का मैनेजर और विलास डोगरा का आदमी--- वो ही गोरा ?" कैस्टो बोला।

"वो ही। एक तरह से गोरा, गोवा में डोगरा के कामों का मैनेजर है। पर अपनी इज्जत करता है। एक बार मैंने उसे पुलिस के झंझट से बचाया था, वरना जेल चला जाता। तब से मेरे को मानता है। आज बारह बजे के बाद की बात है कि वो एक जगह पर सामने पड़ गया। थोड़ी बहुत बात हुई तो उसने बताया कि डोगरा गोवा में है और आज आपसे मिलने वाला है। अंदर की खबर उसने मुझ पर भरोसा करके बताई कि कैस्टो कल का सूरज नहीं देख सकेगा। वो बोला, ये डोगरा के मुंह से निकले शब्द हैं। ग्यारह बजे उसे किसी काम के लिए डोगरा का फोन आया था और तब बात होने पर डोगरा ने ये शब्द उसे कहे थे।"

कैस्टो की एकटक निगाहें माईकल पर थीं।

माईकल गंभीर निगाहों से कैस्टो को देख रहा था।

"तुम्हारा मतलब कि डोगरा बोला मैं कल का सूरज नहीं देखूंगा।" कैस्टो बोला।

"ये ही मतलब है मेरा।"

“लेकिन मैं तो डोगरा से मिलकर आ गया। हमारी मुलाकात अच्छी रही। कुछ भी नहीं हुआ।" कैस्टो बोला।

"कल का सूरज निकलने में अभी बहुत वक्त बाकी है कैस्टो साहब। गोरा मेरे से गलत बात तो कहेगा नहीं। डोगरा के पास बहुत वक्त है कुछ भी करने के लिए। ये सोचना तो आपका काम है।" माईकल बोला।

"तुम्हारा मतलब कि डोगरा कुछ करेगा?"

“ये बात उसने गोरा को कही है तो जाहिर है कि वो चुप नहीं बैठेगा। जरूर कुछ सोच रखा होगा।"

एकाएक कैस्टो की आंखें सिकुड़ीं। उसका हाथ कमीज की जेब में लगे गोल्ड के पैन पर चला गया जो कि विलास डोगरा ने भेंट स्वरूप दिया था। पैन हाथ में आ गया नज़रें पैन पर ही रही।

"क्या मेरी दी खबर की कीमत पांच लाख है?" माईकल बोला।

“पांच लाख से भी ज्यादा है।" कैस्टो फौरन ही अजीब से अंदाज में मुस्करा पड़ा।

"तो ये नोटों की गड्डियां किसी लिफाफे में डलवा दीजिए।" माईकल बोला--- “अगर डोगरा के पास करने के लिए बहुत वक्त बाकी है तो आपके पास भी खुद को बचाने के लिए बहुत वक्त है, मैं ना बताता तो आप अंजाने में मारे जा सकते थे।"

“शुक्रिया माईकल ।” कैस्टो ने हाथ में पकड़ा गोल्ड का पैन टेबल पर माईकल की तरफ सरकाते हुए कहा--- "तुमने ये खबर मुझे दी। मैं तुम्हारा एहसानमंद हूं। ये गोल्ड का पैन है। मैंने खास सिंगापुर से बनवाया था। मेरी तरफ से तुम रखो। इस पैन से मुझे बहुत प्यार है, लेकिन ये मैं तुम्हें दे रहा हूं क्योंकि तुमने मुझे काम की खबर दी। आगे भी तुम इसी तरह से मेरा ध्यान रखोगे।"

"मैं इस पैन को संभालकर रखूंगा।" माईकल ने मुस्कराकर कहा और पैन उठाकर जेब में रख लिया।

"जार्ज। पांच लाख पैक करके माईकल को दे दो।"

जार्ज ने एक आदमी को इशारा किया। वो आदमी तुरंत बाहर निकल गया।

“गोरे ने ऐसा कुछ इशारा नहीं दिया कि डोगरा मेरे पर कैसी कोशिश करने वाला है?" कैस्टो ने पूछा।

"इससे ज्यादा गोरे को नहीं पता। मैं उसे टटोल चुका हूँ।" माईकल बोला।

"उसे फिर फोन पर पूछना शायद कोई उसे नई बात पता लग गई हो।"

माईकल ने सिर हिला दिया।

तभी वो ही आदमी पुनः कमरे में आया। हाथ में काला लिफाफा था। उसमें पांच लाख डालर माईकल को दिया गया। टोनी ने वो लिफाफा थाम लिया फिर माइकल उन दोनों के साथ वहां से चला गया।

वहां खड़े बाकी के आदमी भी बाहर निकल गए।

इधर कैस्टो, जार्ज और जोऐल ही रह गए।

कैस्टो ने सिगरेट सुलगाई और कश लिया। चेहरे पर गंभीरता थी।

"उस पैन का क्या चक्कर है भाई?" जोएल ने पूछा।

"डोगरा ने जो कहकर पैन मुझे दिया था, वो ही कहकर मैंने वो पैन माईकल को दे दिया। इन हालातों में डोगरा की कोई भी चीज पास में रखना मैं ठीक नहीं समझता।" जोएल को देखने के बाद कैस्टो ने जार्ज को देखा--- "माईकल की बताई बात को हम हल्के में नहीं ले सकते।"

"क्या पता माईकल की बात, में दम ही ना हो।" जोएल बोला।

"दम है।" जार्ज कह उठा--- "माईकल की खबर को मैं सही मानता हूँ।"

"वजह ?" जोएल ने जार्ज को देखा।

"उसने ये भी बताया कि खबर उसे, गोरे से मिली है। ऐसे में माईकल गलत नहीं है। वो जानता है कि वक्त आने पर हम गोरे का मुंह खुलवा सकते हैं कि उसने ये बात माईकल को कही थी या नहीं।"

"मैं माईकल की बात से इत्तफाक रखता हूं।" कैस्टो गंभीर स्वर में बोला ।

“और डोगरा ने जो कहा कि माईकल तुम्हें मारना चाहता है।" जोएल कह उठा।

"वो मामला अब मैं समझा।" कस्टो बोला--- “डोगरा मुझ पर कोई हमला करवा सकता है। ऐसे में वो नहीं चाहता कि मैं सोचूं कि हमला डोगरा ने करवाया है। इसलिए उसने माईकल का नाम लिया कि ऐसे मौके पर मैं माईकल को शक की निगाह से देखूं।"

"तुमने वो पैन माईकल को दे दिया। बेहतर होता कि उसे चैक करवाते कि उसमें कोई गड़बड़ तो नहीं ?"

"वो माइकल के पास है और खुद-ब-खुद ही चैक हो जाएगा।" कैस्टो बोला।

"हमें इस तरह बातों में वक्त नहीं गंवाना चाहिए।" जार्ज ने व्याकुलता से कहा।

“तुम ठीक कहते हो।” कैस्टो कुर्सी से उठता बोला--- "मैं कल तक के लिए अंडरग्राउण्ड होने जा रहा हूं कि डोगरा अगर कोई कोशिश करे तो सफल न हो सके। जोएल तुम मेरे साथ रहोगे।"

“मेरे पास जगह है। खास जगह। मैं वहीं रहूंगा।" जोएल बोला।

“जूली भी तो वह जगह जानती होगी।” कैस्टो मुस्कराया।

“हाँ।” जोएल मुस्करा पड़ा ।

“जूली के बारे में गंभीर हो या वक्त बिता रहे हो?”

"वो मुझसे शादी करना चाहती है।"

"तो कर लो।" कैस्टो कह उठा--- "मंत्री की बेटी है। हमारे धंधे में मंत्री हमें फायदा पहुंचा सकते हैं।"

“सोचूंगा।”

"जाओ तुम और जहां भी रहो किसी को पता ना चले। बाहर भी मत निकलना। बाकी बात हम फोन पर करेंगे।"

जोएल चला गया तो कैस्टो ने जार्ज से कहा।

“बेहतर होगा, तुम भी कल सुबह तक किसी सुरक्षित जगह पर रहो और फोन पर सबसे सम्पर्क में रहो। माईकल का कहना है कि मैं कल सुबह तक का सूरज नहीं देख पाऊंगा। ऐसा डोगरा ने गोरे से कहा। तो देखते हैं डोगरा क्या करता है।"

"आप कहां पर रहेंगे कैस्टो साहब?" जार्ज ने पूछा।

“अभी मैंने सोचा नहीं पर मैं यहां से जा रहा हूं।"

"मेरा मतलब था कि अगर मैं भी आपके साथ रहता तो क्या बेहतर नहीं होता?" जार्ज ने कहा।

"मेरी फिक्र मत करो, मैं ठीक रहूंगा।" कहने के साथ ही कैस्टो ने वक्त देखा, शाम के पांच बज रहे थे--- “मैं पीछे के रास्ते से बाहर निकलूंगा, वहां कोई कार खड़ी है हमारी ?"

"नहीं। मैं अभी कार पीछे की तरफ भेज... ।"

“रहने दो, उस तरफ से मैं बाजार में निकल जाऊंगा और फिर टैक्सी ले लूंगा ये ठीक रहेगा।"

"क्या पता डोगरा की निगाह पीछे की तरफ भी हो।" जार्ज ने कहा।

“फिक्र मत करो।" कैस्टो के चेहरे पर खतरनाक मुस्कान उभरी--- "मैं तुम्हें जिंदा मिलूंगा जार्ज।"

■■■

विपुल कैस्टो ज्यादा दूर नहीं गया था। वो टैक्सी में छः किलोमीटर दूर बीच पर स्थित अपने दोस्त के होटल 'माऊंटब्यू' जा पहुंचा था और एक कमरे में जा बैठा। वो जानता था कि उसका पीछा नहीं किया गया। सब ठीक था, परंतु माईकल की कही बात के प्रति गंभीर था। डोगरा ऐसा कुछ कर सकता था। उसका पैंतीस परसैण्ट गोवा का हिस्सा देना जार्ज को खटका था, कैस्टो ने सोचा, सही तो लगा था जार्ज को कि वो अपने चलते धंधे में से पैंतीस परसेंट हिस्सा क्यों देगा? कम से कम इतनी आसानी से क्यों देगा? उसे ये बात पहले ही सोच लेनी चाहिए थी। डोगरा ने ये ही चाल खेली कि बैठकर प्यार-मोहब्बत से बात करें और चंद घंटों बाद उसे मार दे। ऐसे में कोई उस पर शक भी नहीं करेगा कि ये काम उसने किया है।

तभी वेटर आया। वेटर पुराना और उसे अच्छी तरह जानता था।

"कुछ लाऊं सर?" वेटर ने मुस्कराकर पूछा।

"अभी नहीं, जब अंधेरा होने लगे, तो बियर ले आना। बस एक कॉफी ला दो।"

"रात रुकेंगे?” वेटर ने पूछा ।

"हां। सैमुअल कहां है?" सैमुअल उसका दोस्त और होटल का मालिक था।

"वो आज किसी की मैरिज में गए हैं परिवार के साथ।" कैस्टो ने सिर हिलाया ।

"रात के लिए लड़की का इंतजाम कर दूं? दो नई छोकरी हैं, एकदम नई हैं।"

कैस्टो ने सोचा फिर सिर हिलाया।

"रात मैं अकेले ही बिताना चाहता हूं।"

"ठीक है सर, मैं काफी लेकर आता हूँ।" वेटर ने कहा और चला गया। दरवाजा खुला ही रहा।

कैस्टो ने जोएल को फोन किया ।

“ठीक है तू?" कैस्टो ने पूछा।

"हां।" उधर से जोएल ने कहा--- "ये जगह सुरक्षित है। जूली आने वाली है।"

"जब तक मैं ना कहूं, तब तक बाहर मत निकलना।"

"ओके... तुम कहां से?"

"सैमुअल के...।"

"समझ गया।"

कैस्टों ने फोन बंद करके रखा और सिग्रेट सुलगा ली ।

वेटर कॉफी दे गया तो उठकर दरवाजा बंद कर लिया। कॉफी समाप्त की ।

साढ़े छः बजे फोन बज उठा।

"हैलो।" कैस्टो ने बात की।

"कैस्टो साहब।" जार्ज की घबराई आवाज कानों में पड़ी--- “गजब हो गया, माईकल, टोनी और डेविड विस्फोट में मारे गए।"

“विस्फोट?” कैस्टो की आंखें सिकुड़ीं ।

"वो तीनों एक बार में बैठे बियर ले रहे थे, एक ही टेबल पर थे, देखने वालों ने बताया कि पहले विस्फोट से माईकल उड़ा फिर उसके करीब बैठे टोनी और डेविड भी विस्फोट की चपेट में आ गए।" उधर से जार्ज ने कहा।

“वो पैन ।” कैस्टो के होंठों से निकला--- "उस पैन में बम था जार्ज, डोगरा मुझे मारना चाहता था। माईकल की खबर सही थी, परंतु माईकल की खबर सुनकर मैंने सावधानी वश वो पैन माईकल को दे दिया। ओफ---हरामजादा डोगरा ।" कैस्टो का चेहरा दरिंदगी से भरने लगा--- "कुत्ते के टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा। अब वो गोवा से बाहर जिंदा नहीं जा सकेगा। मैं उसे...।"

"कैस्टो साहब...।”

"गोवा की जमीन पर खड़ा होकर मेरी जान लेने की कोशिश करता है। हरामजादे को मैं कल का सूरज नहीं देखने दूंगा---मैं उसकी लाश को गोवा की सड़कों पर घसीटूंगा। उसे तो मैं...।"

"कैस्टो साहब।"

"जार्ज।" धधक रहा था, कैस्टो का चेहरा--- “अभी तैयारी कर। उसे पिल्ले को 'डी-गामा' से ऐसे का ऐसे ही उठा लाने... ।”

"कैस्टो साहब मेरी भी तो सुनिए।"

"मैं कुछ कहूं?" उधर से जार्ज ने कहा।

"कहो।" कैस्टो ने दांत पीसकर कहा।

"गुस्सा कम कीजिए। तभी तो मेरी बात समझ पाओगे।"

क्रोध में कांप रहा था कैस्टो का चेहरा।

"बोलो जार्ज, जल्दी कहो।" कैस्टो गुस्से से कांप रहा था।।

“विलास डोगरा को गोवा से जाने दीजिए।"

"जार्ज तुम बेवकूफी वाली बात---।"

“आप गुस्से में हैं, मैं गुस्से में नहीं हूं। इसलिए ठीक से सोच पा रहा हूं तभी तो कहा है गुस्सा कम कीजिए। डोगरा को आराम से गोवा से जाने दीजिए। उसके जाने के बाद हम गोवा में डोगरा की ड्रग्स नहीं आने देंगे। जो लोग ये काम करते हैं, उन्हें खत्म कर देंगे और जो डीलर उसकी ड्रग्स को आगे बेचते हैं उन डीलरों को साफ-साफ धमकी देंगे। दो-चार ऐसे भी होंगे, जो हमारी बात नहीं मानेंगे तो उन्हें हम शूट कर देंगे। ये देखकर सब हमारी बात मानेंगे। हम गोवा से डोगरा का नामोनिशान मिटा देंगे। उसका ये हाल कर देंगे कि वो गोवा में कभी पैर नहीं रख सकेगा। आया तो हम अपने सारे काम छोड़कर उसे खत्म करेंगे। गोवा में सिर्फ हमारी ही ड्रग्स चलेगी। पुलिस को पहले ही सैट करना पड़ेगा। सात दिन में फैसला हो जायेगा और आप गोवा के बेताज बादशाह बन जाएंगे। डोगरा को इसी तरह जवाब देना बेहतर है। इस बार उसे गोवा से जाने दीजिए। अगर हम डोगरा को मारने के चक्कर में पड़ जाएंगे तो धंधे से भटक जाएंगे। डोगरा तो फिर भी हाथ आ जाएगा, परंतु धंधा नहीं।"

कैस्टो ने आंखें बंद कर ली। वो अभी भी गुस्से में था। कांप रहा था। तेज सांसें ले रहा था। एक हाथ से फोन कान से लगा रखा था। होंठ भिंचे हुए थे। चेहरे पर खतरनाक भाव थे।

"कैस्टो साहब।"

“हां।" कैस्टो अपने पर काबू पाने की चेष्टा कर रहा था।

"मेरी बात मान लीजिए। हम इस वक्त गुस्से में हैं और ये सब करके दिखा भी देंगे। आप सब कुछ मुझ पर छोड़ दीजिए। मैं गुपचुप तैयारी शुरू कर देता हूं। डोगरा के कौन आदमी गोवा में माल लाते हैं। उनकी डिलीवरी कौन लेता है। सब पता है। इन सब लोगों की लिस्ट बना रखी है मैंने। इन पर आदमी लगा देता हूं। और डोगरा के गोवा से जाते ही एक ही दिन में इन सबको चुन-चुनकर मारेंगे। अपने आदमी आज से ही इन पर नज़र रखना शुरू कर...।"

"ठीक है जार्ज।” कैस्टो ने आंखें खोली--- "मैं सब कुछ तुम पर छोड़ता हूं।"

"मैं सब संभाल लूंगा, लेकिन जब तक डोगरा गोवा में है आप खुले में नहीं आना, जहां है, वहीं रहें। झगड़े में पड़कर हमने वक्त नहीं गंवाना है। हमसे पंगा लेने का क्या मतलब है, डोगरा को समझा देंगे।"

"जार्ज।" कैस्टो अपने गुस्से को दबाता कह उठा--- "उस पैन ने तो कमाल कर दिया।"

"सच में। उस पैन ने तो डोगरा के हाथों से गोवा निकाल दिया कैस्टो साहब।" अब जार्ज की आने वाली आवाज में भी सख्ती आ गई थी--- "वो पैन डोगरा को कभी नहीं भूलेगा।"

"माईकल को ऊपर स्वर्ग मिलेगा ना?" कैस्टो ने गहरी सांस ली।

"पक्का कैस्टो साहब। माईकल तो स्वर्ग में पहुंचकर बहुत खुश होगा।" जार्ज का स्वर आया।

"तू जो करना चाहता है जार्ज शुरू कर दे। अब नींद मत लेना। मुझे खबर करते रहना।" कैस्टो ने बेहद शांत स्वर में कहा--- “डोगरा को अब गोवा रास नहीं आना चाहिए।"

■■■

6.50 हो रहे थे।

देवराज चौहान चिंता भरे अंदाज में होटल नाइट शाईन के कमरे में टहल रहा था। उसके होंठ भिंचे हुए। हाव-भाव से व्याकुलता टपक रही थी। माथे पर रहकर बल नज़र आ रहे थे। हरीश खुदे कुर्सी पर बैठा रहकर देवराज चौहान को देखने लगता था। ऐसा लग रहा था जैसे देर से दोनों के बीच कोई बात ना हुई हो।

“लगा।” देवराज चौहान ने ठिठककर खुदे से कहा।

खुदे ने मोबाइल निकाला और नम्बर मिलाने लगा। एक बार, दो बार, तीन बार परंतु नंबर नहीं लगा ।

"कोई फायदा नहीं।” खुदे फोन जेब में रखता कहा उठा--- "स्विच ऑफ आ रहा है।"

"कुछ हो गया है खुदे ?" देवराज चौहान के दांत भिंच गए--- "जगमोहन, रमेश टूडे के पीछे था उससे जब आखिरी बार बात हुई तो वो करवार में डोगरा पर नज़र रख रहा था कि उसके बाद उसका कोई फोन नहीं आया।"

"वो उनकी नज़रों में आ गया होगा।" खुदे ने गंभीर स्वर में कहा।

देवराज चौहान की कठोर निगाहें खुदे पर जा टिकीं।

"वो उनकी नज़रों में आ गया होगा।" देवराज चौहान ने खुदे को घूरा--- "ये बात तुमने कितनी आसानी से कह दी। जानते हो इसका मतलब क्या है। इसका मतलब है जगमोहन, रमेश टूडे जैस हत्यारे से टकरा गया। टूडे ने ही हमें घेरा होगा।"

खुदे ने सहमति में सिर हिलाया।

"टूडे कितना खतरनाक है। कल रात मैंने देख लिया था। तुमने भी तब देखा था उसे। अगर जगमोहन उसका मुकाबला ना कर सका होगा तो इसका मतलब जानते हो?" देवराज चौहान गुर्रा उठा--- "जगमोहन की जान जा सकती है इसमें।"

"शायद चली भी गई हो।" खुदे गंभीर सा कह उठा--- "कई घंटों से जगमोहन से हमारा सम्पर्क नहीं हुआ। अब क्या पता इस वक्त के बीच उसके साथ क्या हुआ है? वो सही हालत में होता तो फोन जरूर करता।"

देवराज चौहान के होंठों से गुर्राहट निकली।

"अब हम उसे कहां ढूंढे। हमें तो पता भी नहीं है कि वो कहां होगा ?" खुदे ने पुनः कहा--- "अगर जगमोहन और टूडे आमने-सामने पड़ गए हैं और जगमोहन खुद को बचा नहीं सका तो इस वक्त उसकी लाश कहीं करवार में ही... ।"

"खुदे...।" देवराज चौहान गुर्रा उठा। चेहरा धधक उठा उसका।

खुदे चुप कर गया।

"जगमोहन को कुछ नहीं होना चाहिए, वरना मैं...।"

तभी नगीना दरवाजा खोलते हुए भीतर आई और देवराज चौहान के चेहरे के भावों को देखकर ठिठक गई। उसने खुदे पर निगाह मारी। गंभीरता थी उसके चेहरे पर फिर कह उठी।

"जगमोहन की कोई खबर ?"

खुदे ने इंकार में सिर हिला दिया।

नगीना ने दरवाजा बंद किया और व्याकुल स्वर में कह उठी।

"जगमोहन का फोन ना मिलना और उसका फोन ना आना जाहिर करता है कि उसके साथ बुरी घटना घट गई है।" नगीना के चेहरे पर कठोरता आ गई--- "स्पष्ट है कि वो विलास डोगरा के हाथों में जा पड़ा है।"

"टूडे के ।” खुदे बोला।

"एक ही बात है टूडे डोगरा का ही हिस्सा है...।"

“टूडे के हाथों फंसने का एक ही मतलब है कि उसने जगमोहन को जिंदा नहीं छोड़ा होगा।" खुदे ने कहा।

कोई कुछ ना बोला ।

देवराज चौहान के चेहरे पर क्रोध और विवशता के भाव दिखे।

नगीना के चेहरे पर कठोरता थी।

"अब हमें क्या करना चाहिए?” खुदे बोला।

"हम डी-गामा होटल चलेंगे।" देवराज चौहान गुर्रा उठा--- "डोगरा से जगमोहन के बारे में पूछेंगे और डोगरा को खत्म...।"

तभी दरवाजे पर थपथपाहट हुई। सबकी निगाह दरवाजे की तरफ उठी । खुदे जल्दी से कुर्सी से उठकर दरवाजे की तरफ बढ़ा कि बाहर जगमोहन ना हो, परंतु आने वाली मोना चौधरी थी।

मोना चौधरी ने देवराज चौहान के सुलगते चेहरे को देखा।

देवराज चौहान ने अपने चेहरे के भावों पर काबू पाने की असफल चेष्टा की।

“मेरे ख्याल में जगमोहन के बारे में बातें चल रही हैं?' मोना चौधरी ने शांत स्वर में कहा।

मोना चौधरी की बात पर वे तीनों चौंके।

"तुम्हें जगमोहन के बारे में क्या पता?” नगीना के होंठों से निकला।

“उसकी चिंता करने की जरूरत नहीं।" मोना चौधरी ने तीनों को देखकर कहा --- "वो महाजन के पास है, बिल्कुल ठीक है। परंतु अभी होश में नहीं है। खतरा नहीं है उसे किसी प्रकार का, निश्चिंत रहो।"

"कहां है वो ?"

"करवार के एक होटल में।"

"क्या हुआ था?"

“मैं ज्यादा नहीं जानती।” मोना चौधरी बोली और टूडे का हुलिया बताकर बोली--- “ये आदमी उसे रिवॉल्वर के दम पर समंदर में ले गया था। तब महाजन जगमोहन के पीछे, उस पर नज़र रख रहा था। मैं और पारसनाथ यहां बीच रैस्टोरेंट में थे, जहां तुम सब लोग डोगरा के आने का इंतजार कर रहे थे। परंतु महाजन सुबह से ही जगमोहन पर नज़र रख रहा था। इस प्रकार वो जगमोहन के पीछे करवार पहुंचा। वो आदमी जगमोहन को बोट पर समंदर में ले गया और पौन घंटे बाद अकेला ही वापस लौटा। महाजन समझ गया कि उसने जगमोहन की हत्या कर दी है। फिर भी महाजन बोट लेकर जगमोहन की तलाश में समंदर में चला गया। वहां उसे जगमोहन कैसे मिला। ये तो मुझे मालूम नहीं परंतु इस वक्त वो महाजन के पास बेहोशी की अवस्था में करवार के एक होटल में मौजूद है।"

"महाजन ने जगमोहन को बचाकर हम पर एहसान किया मिन्नो ।” नगीना खुशी भरे स्वर कह उठी ।

"मैं तुम लोगों का ये एहसान याद रखूंगा मोना चौधरी ।" देवराज चौहान एकाएक तनाव मुक्त होने लगा था।

खुदे के चेहरे पर हल्की सी मुस्कान आ ठहरी।

देवराज चौहान चेहरे पर मौजूद कल के घावों के निशानों को टटोलने लगा। जगमोहन के ठीक होने की खबर पाकर वो बड़ी राहत महसूस कर रहा था। वरना जगमोहन के बारे में सोचकर तो उसकी जान ही निकली हुई थी ।

मोना चौधरी बाहर निकल गई।

"तो हमारा ख्याल ठीक निकला कि जगमोहन की भिड़ंत टूडे के साथ हो गई थी।" खुदे बोला।

"जगमोहन ने कहा था कि टूडे निशाने पर है उसके। पर मैंने मना कर दिया था।" देवराज चौहान ने कहा। चेहरे पर कठोरता थी और सोचें नाच रही थीं--- “अब डोगरा सतर्क हो चुका है। आज बीच रैस्टोरेंट पर उसने विपुल कैस्टो से मिलना था, परंतु एकाएक उसने जगह बदल ली। स्पष्ट है कि वो समझ गया है कि प्रकाश दुलेरा ने हमें उसके प्रोग्राम के बारे में बता दिया है। अब वो चार दिन और गोवा में है। इन चार दिनों में हम उसे आसानी से समझा सकते हैं कि हमें दुलेरा ने कुछ नहीं बताया।

"वो कैसे?” खुदे बोला ।

"गोवा के बाद, डोगरा का अगला पड़ाव कर्नाटक का शहर हवेरी है। वहां उसने कहां पर कितने बजे किससे मिलना है, हम जानते हैं। हम कल सुबह ही हवेरी के लिए रवाना होंगे और हवेरी में डोगरा को घेरने का पूरा जाल बिछाएंगे। वो यहां पर व्यस्त होगा और हम हवेरी में उसके लिए जाल तैयार कर रहे होंगे। गोवा में हमें आगे कुछ ना करता पाकर वो यही समझेगा कि हमें उसके प्रोग्राम का कुछ पता नहीं है और हम वापस चले गए हैं। उसकी वजह शायद वो ये समझेगा कि हम जगमोहन के लापता होने से परेशान हैं।"

"इन हालातों में हम और गोवा में रहे तो डोगरा से टकराव हो जाने की संभावना ज्यादा हो जाएगी।” नगीना ने कहा।

"ये भी संभव है।" देवराज चौहान ने सिर हिलाया ।

"तो कल हम हवेरी के लिए निकल रहे हैं?" खुदे बोला।

"हां।" फिर देवराज चौहान ने नगीना से कहा--- "तुम देवेन साठी, बांके और सरबत सिंह के साथ कल हवेरी के लिए चलोगी और उधर थामस पार्क के पास गोल्डन होटल में रुकोगी।"

नगीना ने सिर हिला दिया।

उसी वक्त दरवाजा खुला और पारसनाथ ने भीतर कदम रखा।

"मैं अभी बाहर से आया हूं।" पारसनाथ बोला--- “बाहर कुछ लोग मंडरा रहे हैं, जैसे वे होटल पर नज़र रख रहे हों, मैंने ये बात मोना चौधरी को बताई तो उसने कहा कि तुम लोगों को बता दूं। मोना चौधरी अब तुम लोगों के काम आ रही है।"

"कितने आदमी हैं बाहर?” देवराज चौहान ने पूछा।

“पांच-छः तो मैंने देखे हैं।"

"वो इस होटल पर नज़र रख रहे हैं।"

"पक्का। वो तुम लोगों के लिए ही मौजूद होंगे, हमारे लिए नहीं।" कहकर पारसनाथ चला गया।

"वो डोगरा के आदमी होंगे।" खुदे ने विश्वास भरे स्वर में कहा।

चंद पल वहां चुप्पी रही फिर नगीना कह उठी।

"मैं साठी के पास जा रही हूं। सुबह हवेरी के लिए जाने का प्रोग्राम पक्का है ना?"

“रुको अभी।" देवराज चौहान सोच भरे स्वर में बोला--- "डोगरा के आदमियों ने हमें ढूंढ निकाला है और बाहर वो हम पर नज़र रख रहे हैं। हो सकता है कि रात में वो हम पर हमला कर दें या हम पर नज़र ही रखें। अगर सुबह तक सब कुछ ठीक रहता है तो जाना हमने हवेरी ही है, परंतु पहले एक घंटे तक हम मुम्बई के रास्ते पर जाएंगे। अगर डोगरा के आदमी हम पर नज़र रख रहे हों तो वो यही समझें कि हम मुम्बई वापस चले गए हैं फिर वहां से पलटकर कर्नाटक के हवेरी शहर की तरफ चल देंगे। जैसे हम अलग-अलग ग्रुप में गोवा तक आए हैं, सुबह इसी तरह ही हम सब यहां से चलेंगे। मैं डोगरा को विश्वास दिला देना चाहता हूं कि हम उसके पीछे से हट गए हैं।"

"समझ गई।" नगीना बोली ।

"ये बात मोना चौधरी से भी कह देना कि हम किस प्रकार गोवा से निकलकर हवेरी जाएंगे। वो भी हमारे पीछे जरूर आना चाहेगी।"

"महाजन और जगमोहन ?” नगीना ने पूछा।

"उनकी तुम फिक्र मत करो। महाजन का फोन नंबर मेरे पास है। मैं उसे बता दूंगा कि जगमोहन के साथ उसे हवेरी कहां पर आना है। वैसे जगमोहन हवेरी के प्रोग्राम के बारे में सब कुछ जानता है। वो समझ जाएगा।"

नगीना बाहर गई तो खुदे बोला।

"अगर बाहर मौजूद आदमियों ने रात में ही हम पर हमला कर दिया तो?"

"मेरे ख्याल में वो ऐसी बेवकूफी नहीं करेंगे। ये गोवा का भीड़-भाड़ वाला इलाका है। यहां वो गोलियां नहीं चलाना चाहेंगे। फिर भी हम इस बात की तैयारी कर लेते हैं कि हमला होने पर उन्हें जवाब दे सकें।” देवराज चौहान गंभीर स्वर में बोला--- "मैं जगमोहन के बारे में सोच रहा हूं कि पता नहीं उसके साथ क्या हुआ होगा। महाजन ने उसे किस हाल में समंदर से निकाला होगा ?"

"वो ठीक है। हमारे लिए इतना ही बहुत है।" खुदे ने कहा।

■■■

देवेन साठी कठोर-सी निगाहों से नगीना को देखता कह उठा।

"ये तुमने क्या मजाक बना रखा है कभी कोल्हापुर, कभी गोवा तो कभी हवेरी। तुम मुझे...।"

"साठी।” नगीना बोली--- "मैं दिन में दो बार तुम्हारे परिवार से तुम्हारी बात कराती हूं।"

"तो?" साठी ने होंठ भींच लिए।

"तुम्हें इसी बात में तसल्ली होनी चाहिए कि तुम्हारा परिवार सुरक्षित है। तुम जो भी कर रहे हो अपने परिवार की खातिर कर रहे हो और हम तुम्हें साथ लेकर जो करना चाहते हैं, उसका मतलब है आने वाले वक्त में होने वाले झगड़े को रोकना। तुम देवराज चौहान को अपने भाई का हत्यारा समझते हो, जबकि तब देवराज चौहान की कमान पीछे से डोगरा संभाले हुए था।"

"तुम क्या समझती ही कि तुम्हारी बकवास पर मैं यकीन कर लूंगा।" साठी गुर्राया ।

"यकीन दिलाने के लिए ही तो तुम्हें साथ-साथ लिए घूम रहे हैं...। तुम्हारी एक मुलाकात डोगरा से हो जाए तो...।"

“ठीक है माना, एक मुलाकात डोगरा से हो गई। परंतु उसने वो बात ना कही, जो तुम उसके मुंह से निकलवाना चाहते... ।”

"वो कहेगा।” नगीना का चेहरा खतरनाक भावों से भर उठा।

साठी ने नगीना को घूरा।

"उसके सिर से रिवॉल्वर लगाकर तो तुम लोग उसे कुछ भी कहने को मजबूर कर सकते हो ?"

“हमारी कोशिश होगी कि ऐसा ना हो। वो खुशी से इस बात को कबूलेगा।” नगीना ने सख्त स्वर में कहा।

"लेकिन मुझे ये पसंद नहीं कि तुम लोग कुत्ते की तरह मुझे अपने साथ घुमाते रहो। मत भूलो मैं देवेन साठी हूं, और तुम लोगों से ज्यादा ताकत रखता हूं। बेशक अपने परिवार की वजह से, परंतु एक हद से ज्यादा मैं नहीं दब सकता।"

“हमारा तुमसे वादा है कि डोगरा के मरते ही तुम्हारे परिवार को आजाद कर देंगे।"

"अभी क्यों नहीं उन्हें आजाद कर देते?"

“अभी तुम्हारे परिवार को आजाद किया तो तुम देवराज चौहान की जान लेना चाहोगे।"

"मैं जुबान देता हूं कि जब तक देवराज चौहान डोगरा को खत्म नहीं कर देता, मैं उसे कुछ नहीं कहूंगा।"

"तुम बाद में भी उसे कुछ मत कहो। हम इस कोशिश में हैं।"

"वो मेरे भाई का हत्यारा...।"

"साठी।” खामोश बैठे बांकेलाल राठौर का हाथ मूंछ पर जा पहुंचा--- “थारी खोपड़ों में बातों ना आयो हो कि अम थारे को समझानो के वास्तो साथो में रखे हुए हो कि असल बातो कुछो ओरो हौवे।"

"तुम लोगों की बातों का मैं यकीन करने वाला नहीं।" साठी ने दांत पीसकर कहा।

“महारे को लागो थारे को अपणो परिवारो की फिक्रो ना होवे हो।"

"धमकी दे रहे हो?" साठी का चेहरा गुस्से से सुलग उठा।

“आहो।" बांकेलाल राठौर खतरनाक स्वर में कह उठा--- “थारे परिवार को 'वडा' हो का?"

साठी दांत भींचे कसमसा कर रह गया।

“थारे को वो ही कराणों पड़ो जो अंम चाहो दो। तुम महारी मुट्ठी में होवे। महारें को खुशी ना होवे थारे को गोदों में ले-ले के घूमणों का। म्हारें सिरो पर भी बोझो पड़ो हो । महारे को ओरो गुस्सा मतो दिलायो ।”

"मैं तुम लोगों को छोडूंगा नहीं।" देवने साठी बेबस सा कह उठा।

"अभी तो तुम कुछ भी नहीं कर सकते।" सरबत सिंह बोला--- “अच्छा ये ही है कि हमारी बात मानते रहो।"

साठी कसमसाया सा बैठा रहा। कुछ नहीं बोला।

कुछ मिनट की चुप्पी के बाद नगीना ने साठी से कहा ।

“बाहर, होटल पर डोगरा के आदमी नज़र रखे हुए हैं। वे रात को हमला भी कर सकते हैं हम पर।"

"हम पर? मुझ पर नहीं। तुम लोगों पर।" साठी बोला।

“तब गोलियां तुम्हें भी लग सकती हैं। हम नहीं जानते कि उन लोगों का इरादा क्या है।"

"उन्होंने तुम लोगों को कैसे ढूंढा ? साठी कुछ गंभीर हुआ ।

"ढूंढ लिया होगा।"

"गोवा में मेरे काफी आदमी हैं। मैं अभी फोन करके उन्हें....।"

"ऐसा करने की कोई जरूरत नहीं।” नगीना बोली--- “सब ठीक रहा तो सुबह हम निकल जाएंगे।" "

"अगर रात में ही उन्होंने हमला कर दिया तो?"

"हम तैयार रहेंगे उनका मुकाबला आसानी से कर लेंगे।" नगीना विश्वास भरे स्वर में बोली--- “उनके हमला करने की स्थिति में हमें रातो-रात ही गोवा से निकल जाना होगा। हमारा अगला ठिकाना हवेरी का गोल्डन होटल होगा।"

"मुझे ये पसंद नहीं आ रहा है कि मैं तुम लोगों के साथ इस तरह कैद में रहूं।" साठी तीखे स्वर में बोला।

"खुद को कैद में मत समझो। तुम दोस्तों की तरह हमारे साथ रह रहे हो।" नगीना ने शांत स्वर में कहा।

तभी नगीना का फोन बज उठा।

“हैलो।” नगीना ने बात की।

"तुम लोग गोवा में हो ?” उधर से सोहनलाल ने पूछा।

"हां, क्यों?"

"यूं ही। यहां सब ठीक है। सरबत सिंह पास में हो तो बात करा दो।"

"वो पास में है।" कहते हुए नगीना सरबत सिंह की तरफ बढ़ी--- "सोहनलाल तुमसे बात करना चाहता है।”

सरबत सिंह ने सोहनलाल से बात की।

"ये हंसा, जंबाई और प्रेमी कौन है?" उधर से सोहनलाल ने पूछा।

सरबत सिंह चौंका।

"क्या हुआ?" सरबत सिंह के होंठों से निकला।

"मेरी बात का जवाब दो।"

"मेरे दोस्त हैं, वो घर पर आए क्या?"

"वो तीनों कमीने ढाई दिन से यहां पर हैं। हमने उन्हें भी पाटिल के साथ बांध रखा...।"

"ऐसा क्यों किया?" सरबत सिंह बोला--- "वो मेरे दोस्त हैं उन्हें...।"

"तुम्हारे दोस्तों की करतूतें बताने के लिए ही तुमसे बात कर रहा हूं। ढाई दिन से इसलिए बात नहीं की कि सोचा तुम काम पर लगे हुए हो। क्यों परेशान करूं तुम्हें। लेकिन ये हरामी अब सुबह से तंग कर रहे हैं कि तुमसे बात करना चाहते हैं। ये तीनों यहाँ पर ये सोचकर आए थे कि तुम देवराज चौहान को जानते हो और देवराज चौहान ने साठी के परिवार को बंधक बना रखा है। ऐसे में साठी ने पांच करोड़ का इनाम लगा रखा है जो उसके परिवार की खबर देगा। ये तुम्हारे द्वारा ये जानना चाहते थे कि देवराज चौहान ने साठी के परिवार को कहां रखा है, ताकि साठी से पांच करोड़ कमा सकें।"

“ओह... ।” सरबत सिंह ने गहरी सांस ली---- "तीनों खुराफाती हैं ।"

"अब वो यहां के हालातों से पूरी तरह वाकिफ हो चुके हैं। उन्हें छोड़ा नहीं जा सकता। लेकिन बंधे हुए वो बहुत तंग कर रहे हैं और सुबह से रट लगा रखी है कि तुमसे बात करना चाहते हैं।" सोहनलाल की आवाज कानों में पड़ी।

सरबत सिंह के चेहरे पर सोच के भाव उभरे।

"तुम बात करना चाहते हो उनसे ?"

“अब मैं क्या कहूं उनसे ?" सरबत सिंह उलझन भरे स्वर में बोला।

"एक बार बात कर लो। उन्हें शांति मिल जाएगी। वो सोचते हैं कि तुम्हें उनके बंधे होने का पता होता तो उन्हें छुड़ा लेते।"

अगले ही पल फोन पर प्रेमी की आवाज सुनाई दी।

“सरबत, ये तू है बोल तो ।”

"क्या हाल है प्रेमी ?” सरबत सिंह ने गहरी सांस ली।

"हाल तो बहुत बुरा है।" प्रेमी की शिकायत भरी आवाज आई--- "ये लोग तुम्हारे साथी हैं क्या?"

"हां।"

"सालों ने हमे बांध रखा है। हंसा और जंबाई भी मेरे साथ हैं। तू इन्हें कहता क्यों नहीं कि छोड़ दे हमें, यार हम तो तेरे पास पांच करोड़ कमाने का प्रोग्राम लेकर आए थे पर यहां तो तूने पहले ही साठी के परिवार को पकड़ रखा है। वो पांच करोड़ का माल है। तेरे को पता है क्या, साठी ने उनका पता बताने वालों को पांच करोड़ देने को कहा है।"

सरबत सिंह ने साठी पर नज़र मारी और बोला ।

"तुम्हार दिमाग खराब हो गया है।"

“दिमाग खराब है मेरा, मैं तेरे को पांच करोड़ का प्रोग्राम बता रहा हूं और तू मुझे पागल कहता है, क्या हो गया है तेरी बुद्धि को। मेरी बात को शायद तू समझा नहीं... मैं...।"

"मैं तेरी बात समझ गया कि साठी अपने परिवार की खबर देने वाले को पांच करोड़ दे रहा है। यही ना?"

“ये ही। ये ही, और उसका परिवार तेरे घर पर है तो सोचना कैसा, तेरे को पता है। जंबाई कहता है कि काम बन गया तो वो शादी कर लेगा। सवा-सवा करोड़ हर एक के हिस्से में आ रहा है ना तेरे को... "

साठी, सरबत सिंह को देखने लगा था अपना नाम सुनकर।

"जो तुम सोच रहे हो, ऐसा कुछ नहीं होगा। ये मामला देवराज चौहान का है समझे वो...।"

"तू देवराज चौहान के साथ लगा रह। हम उसके परिवार को ले उड़ते हैं। तेरे को तेरा हिस्सा दे देंगे, कसम से।"

"ऐसा कुछ भी नहीं हो सकता।"

"पांच करोड़ का मामला है और तू कहता है कुछ भी नहीं हो सकता ।"

साथ ही कानों में जंबाई की आवाज पड़ रही थी वो कह रहा था मेरी बात करा, मेरी बात करा।

"तुम लोगों को अभी कुछ पता नहीं ये मामला वैसा नहीं है, जैसा कि तुम सोच रहे हो।"

"वैसा ही है, पांच करोड़ का ।"

सरबत सिंह के चेहरे पर उखड़े भाव आ गए।

"कम से कम हमारे हाथ-पांव तो खुलवा दे। हम तेरे दोस्त नहीं क्या, यहां हमारी बुरी गत बनी हुई है।"

"इस वक्त तुम लोगों के दिमाग खराब हैं और तुम्हारा बंधे रहना ही ठीक है।" सरबत सिंह ने कहा और फोन बंद करके उसे नगीना को थमा दिया।

तभी देवेन साठी कह उठा।

"मेरा परिवार तो ठीक है?"

"सब ठीक है।" सरबत सिंह बोला ।

"का बातो हौवे?" बांकेलाल राठौर ने पूछा।

"कुछ नहीं। सब ठीक है।" सरबत सिंह ने सिर हिलाकर कहा।

■■■

गोवा के मुख्य बीच के किनारे पर स्थित रैस्टोरेंट से रमेश टूडे ने हैवर्टस 5000 की ठण्डी बियर ली और घूंट भरते हुए समंदर के किनारे की तरफ बढ़ गया। अंधेरा घिर रहा था, परंतु बीच पर पूरी रौनक थी। इस बीच पर रात ग्यारह बजे तक लोग मस्ती से घूमते रहते थे। अधिकतर नए ब्याह किए जोड़े होते या फिर लड़के-लड़कियां की संख्या ज्यादा होती। परिवार वाले लोग तो शाम ढले कम ही दिखते थे। समंदर किनारे पेड़ों की तरफ या झाड़ियों की तरफ जोड़े को अकेले मस्ती मारते देखे जाना आम बात थी।

आधी बियर खत्म होते-होते रमेश टूडे समंदर किनारे पहुंच गया था। कुछ दूर मौजूद रैस्टोरेंट की रोशनियां इस अंधेरे में समंदर की लहरों को चमक रहीं थी। वो पास ही रेत पर बैठ गया और बोतल को रेत में फंसाकर खड़ी की और सिग्रेट सुलगा ली। मध्यम सी ठंडी हवा चल रही थी।

"ऐ।" तभी उसके कानों में झाड़ियों की तरफ से आवाज आई--- "ये क्या कर रहे हो, मत करो।"

"चुपकर, इसी का तो मैं मौका ढूंढ रहा था।"

"प्लीज, वो रहने दो। इतना ही बहुत है।"

"नहीं, वो भी मैं...।"

“अगर तुम नहीं माने तो मैं तुम्हारी मम्मी से शिकायत करूंगी।"

"कह देना।"

रमेश टुडे ने सिग्रेट का कश लिया और कुछ ही दूरी पर टहलते जोड़ों को देखने लगा। दो युवक अभी भी समंदर में तैर रहे थे। उसने बोतल उठाकर घूंट भरा।

"कर लो अब ।" तभी झाड़ियों की तरफ युवती की आवाज आई--- "आराम से करो। जल्दी-जल्दी क्यों भागे जा रहे हो?"

टूडे का फोन बज उठा ।

"ये फोन किसका है?" युवती की आवाज फिर सुनाई दी।

"उधर एक आदमी बैठा है, उसका है, तुम उस तरफ ध्यान मत दो।"

"वो आ जाएगा।”

“नहीं आएगा। मैं साले को मार के भगा दूंगा। तुम मेरी तरफ ध्यान दो और कुछ मत सोचो।"

" तुमने ये सब पहले भी किया है ना?"

"नहीं, पहली बार है।" युवक की आवाज आई।

"मुझे बेवकूफ मत समझो। तुम तो किसी एक्सपर्ट की तरह सब कुछ संभाले हुए हो।"

"एक्सपर्ट की तरह ? तुम्हें कैसे पता कि एक्सपर्ट ऐसे सब कुछ संभालते हैं।"

युवती की इस बार आवाज नहीं आई ।

"मैं तो समझा था ये तुम्हारी पहली बार है।” युवक की आवाज आई।

"पहली बार ही तो है।"

"तुम पांच साल बाद भी पहली बार ही कहोगी। मुझे तो तुम भी एक्सपर्ट लग रही हो।"

टूडे ने फोन निकालकर बात की।

"हैलो।"

"मैं रहमान बोल रहा हूं, एक घंटा पहले हमने देवराज चौहान और दूसरे लोगों को ढूंढ लिया है।"

"कहां हैं वो ?"

"नाइट शाईन होटल में।"

"बाबा से मेरी बात करा।" टूडे ने कहा।

"एक मिनट ।” उधर से कहा गया फिर चंद पलों के बाद दूसरी आवाज आई--- "कहिए टूडे साहब।"

"तू जगमोहन को पहचानता है?"

"बराबर ।"

"जगमोहन दिखा तेरे को?"

"नहीं।"

“पता कर, किसी को तेरे पर शक ना हो। दोपहर में मैंने जगमोहन को मारा था। वो मरा है या नहीं, पता नहीं।"

"समझ गया। पता करके फोन करता हूं।"

■■■

एक घंटे बाद बाबा का फोन टूडे को आया।

“मैंने वेटर को दो सौ रुपया देकर पटाया है। उसे जगमोहन का हुलिया बताया तो उसने कहा कि ये आदमी तो सुबह-सुबह ही होटल से चला गया था। उसके बाद वापस नहीं लौटा।" बाबा ने उधर से कहा।

"हूं।" टूडे के चेहरे पर सोच के भाव उभरे।

"वेटर ने बताया कि शाम को जब उस कमरे में कॉफी लेकर गया था, तो वो बात कर रहे थे कि जगमोहन का फोन क्यों नहीं लग रहा। वो सब कुछ परेशान लग रहे थे।" बाबा की पुनः आवाज आई।

“ठीक है। तुम लोग होटल पर नज़र रखो, कोई खास बात हो तो मुझे फौरन फोन करना। नहीं तो नज़र रखते रहो।" कहने के साथ ही टूडे ने फोन बंद करके जेब में रखा और बोतल उठाकर खाली की, फिर उसे एक तरफ लुढ़का दी। सामने समंदर को देखने लगा। पीछे से आती रेस्टोरेंट की रोशनी में, पानी की लहरें रह-रहकर चमक रही थीं।

■■■

करवार का एक साधारण सा होटल 'बैस्ट होटल' नाम था उसका। एक मकान को ही होटल का नाम दे दिया गया था। कुल आठ कमरे थे उसमें। चार नीचे, चार ऊपर। ऊपर की मंजिल के एक कमरे में जगमोहन बैड पर लेटा हुआ था। उसकी आंखें बंद थीं। वो बेसुध हाल में था। उसकी बगल में महाजन नींद में था। कमरे में नाइट बल्ब का पर्याप्त प्रकाश फैला हुआ था। खुली खिड़की से हवा आ रही थी। कमरे में पंखा भी चल रहा था। बैड के अलावा कमरे में प्लास्टिक की दो कुर्सियां मौजूद थीं और पुराना-सा सेन्टर टेबल था। उस पर कॉफी के दो खाली प्याले रखे थे जो कि महाजन के ही थे। रात का डेढ़ बज रहा था और बाहर से किसी प्रकार की कोई आवाज नहीं आ रही थी। शांति थी।

तभी जगमोहन के होंठों से मध्यम सी कराह निकली। वो थोड़ा-सा हिला ।

महाजन की आंख फौरन खुल गई। उसने लाइट ऑन कर दी तो जगमोहन को होश आते देखा। उसके होंठों से पुनः कराह निकली और उसने आंखें खोल दी। चंद पल तो वो छत को ही देखता रहा फिर उठ बैठा। महाजन पर निगाह पड़ी तो हैरानी से वो महाजन को देखता सा रह गया। महाजन मुस्कराया और बैड के कोने पर बैठता बोला ।

"कैसे हो?"

"मैं कहां हूं?" जगमोहन कह उठा।

"करवार के एक होटल में।"

"लेकिन मैं तो समंदर में जा गिरा था। उस बोट से और फिर, फिर मैं उस अंडरवाटर पर ही तैरता वहां से दूर होता चला गया। वो रमेश टूडे आसानी से तब मेरी जान ले सकता था, ये मेरी समझ में आ गया था। उसके पास बोट थी। अगर मैं पानी से बाहर निकलता तो वो बोट से ही मुझे टक्करें मारकर खत्म कर देता। मैं अण्डरवाटर तैरता रहा। जब तक मेरे में हिम्मत थी, वहां से मैं काफी दूर आ गया। था। बहुत थक गया था। उसके बाद मैं समंदर की सतह पर आया तो मुझे हर तरफ समंदर ही समंदर दिखा। शायद मैं किनारे से और भी दूर आ गया था। रास्ता भटक गया था।" जगमोहन ने गहरी सांस ली--- "मैं तैरता रहा। जब तक मेरी हिम्मत साथ देती रही फिर मेरी हिम्मत ने जवाब दे दिया। मुझे यही लगा कि मैं मर जाऊंगा। तो मैं तुम्हारे पास कैसे पहुंचा?"

“मैंने सुबह-सुबह तुम्हें नाइट शाईन होटल में जाते देखा तो बेबी के कहने पर तुम्हारे पीछे लग गया और इस तरह करवार आ पहुंचा। हम उसी आदमी, जिसे कि रमेश टूडे कह रहे थे, का पीछा करते-करते करवार आए थे। मैंने तुम्हें और टूडे को बोट पर समंदर में जाते देखा, मैं जानता था कि तुम्हें रिवॉल्वर दिखाकर ले गया है, परंतु मैं इस मामले में नहीं पड़ता चाहता था। पैंतालिस मिनट बाद उसे अकेले ही बोट में आते देखा तो समझ गया कि तुम्हारे साथ कुछ बुरा हो गया है। मौका पाते ही मैं बोट लेकर समंदर में तुम्हारी तलाश में निकल गया। समंदर में बहुत आगे, करीब आधा घंटा की दूरी पर तुम किस्मत से ही मुझे दिख गए। तुम बेहोश थे और लहरें तुम्हें कभी समंदर के भीतर ले जा रही थी तो कभी तुम समंदर की सतह पर आ रहे थे। शायद ये वो ही वक्त था जब तुम बेहोश हुए थे। अगर मैं दस मिनट भी लेट हो जाता तो तुम समंदर में डूब चुके होते।"

"ओह।" जगमोहन ने अपना सिर पकड़ लिया।

"वापस आने पर ये ही होटल मुझे दिखा तो तुम्हें यहां ले आया। मुझे यहां कोई डाक्टर नहीं मिला, यहां के दो लोगों ने ही जैसे-तैसे करके तुम्हारा अंधा इलाज किया और कहा कि तुम्हें होश आ जाएगा।" महाजन ने कहा--- "और तुम्हें होश आ गया।"

“तुमने बहुत बड़ी मेहरबानी की मुझ पर।" जगमोहन से कुछ कहते ना बना ।

महाजन मुस्कराकर रह गया।

"मैं देवराज चौहान से बात करना चाहता हूं वो परेशान हो रहा...।"

“उसे पता है कि तुम मेरे पास हो। मैंने बेबी को बता दिया था। तीन घंटे पहले देवराज चौहान का फोन यहां पर आया था, वो कह रहा था जगमोहन के ठीक हाल में आने पर तुम्हारे साथ कर्नाटक के हवेरी शहर पहुंचूं। बेबी ने भी मुझे ऐसा कहा।"

"हवेरी, हां। हमारा गोवा से निकल जाने का प्रोग्राम बन चुका था।” जगमोहन ने धीमें स्वर में कहा--- "मुझे मालूम है कि हमने हवेरी में कहां जाना है। हम डोगरा को निश्चिंत कर देना चाहते हैं कि हम उसके पीछे से हट गए हैं।"

"ये तुम लोगों का मामला है। लेकिन मैं तुम्हारे साथ हवेरी जरूर जाऊंगा। बेबी भी वहीं जा रही है।" महाजन सिर हिलाकर बोला।

जगमोहन चुप रहा।

"बोट पर क्या हुआ था?" महाजन ने पूछा।

जगमोहन बताने लगा ।

■■■

अगले दिन सुबह होटल डी गामा ।

“रीटा डार्लिंग।” विलास डोगरा बैड पर टेक लगाए बैठा, कॉफी के घूंट भरता मुस्कराकर कह उठा--- "सुबह-सुबह तो तुम खास ही हसीन लगती हो। रात की मस्ती का नशा तुम्हारे चेहरे पर सवार रहता है। मुझे देखने में मजा आता है।"

"सुबह-सुबह छेड़ने लगे डोगरा साहब।" रीटा ने मुस्कराकर कॉफी का घूंट भरा। वो पास ही कुर्सी पर बैठी थी।

"मैं तो अपने दिल के विचार बता रहा हूं।"

"रात तो आपने कमाल ही कर दिया था।" रीटा कह उठी।

"सच में?"

"और नहीं तो क्या, मैंने तो सोचा भी नहीं था कि आप ऐसा भी कर सकते हैं।" रीटा बराबर मुस्करा रही थी।

"तूने सोचा मैं बूढ़ा हो गया हूं।"

"क्या बात करते हैं डोगरा साहब, आप तो पूरे जवान हैं।" रीटा कह उठी--- "जब तक मैं बूढ़ी नहीं होती आप बूढ़े नहीं होने वाले। रात की बात से तो ये बात स्पष्ट हो ही जाती है। मैं तो अभी तक रात की मस्ती में हूं।"

“तू मेरे जीवन की बहार है रीटा डार्लिंग ।”

“मुझे तो लगता है आप ही मेरे जीवन को संवारे हुए हैं, नहीं तो मैं थी ही क्या?"

"तुम कितनी अच्छी बातें करती हो, हम दोनों ही एक-दूसरे की जरूरत हैं, कितना प्यार है हममें, है ना?"

"आप मुझे कितना प्यार करते हैं, मुझे हमेशा खुश रखते हैं, आपको पाकर मेरी जिंदगी सफल हो गई।"

"तेरे बिना तो मैं भी बेकार था, मैं...।"

तभी फोन बजने लगा ।

डोगरा ने पास रखा मोबाइल उठाया और बात की। दूसरे हाथ में कॉफी का प्याला था।

दूसरी तरफ गोरे था।

"डोगरा साहब।" गोरे की आवाज कानों में पड़ी--- “कल शाम माईकल मारा गया।"

"ये तो बढ़िया बात है कि माईकल मारा गया।” डोगरा कह उठा--- "वो तो यहां परेशानियां खड़ी कर रहा था।"

"रेस्टोरेंट में अपने दो साथियों के साथ बैठा बियर पी रहा था कि विस्फोट से उड़ गया।"

"विस्फोट से उड़ गया?" डोगरा के माथे पर बल दिखने लगे।

"हां डोगरा साहब। कई लोगों ने वो नजारा देखा। पहले माईकल के शरीर के टुकड़े बिखरते देखे गए फिर साथ ही साथ उसके दोनों साथी भी इस विस्फोट में उड़ गए। सब कुछ पांच सैकिण्ड में हो गया।" उधर से गोरे ने कहा।

रीटा की निगाह डोगरा पर थी।

दो पल चुप रहकर डोगरा बोला।

"वो विस्फोट किस चीज का था?"

"पुलिस का कहना है कि वो बम का विस्फोट था। उस वक्त माईकल के पास कोई बम था, जो कि अचानक फट गया।"

डोगरा के होंठ सिकुड़े।

“बम ऐसे तो नहीं फटते गोरे ।"

"जो खबर पता है, वो ही बता रहा हूं।"

"हूं तो माईकल किसी गोली से या चाकू से नहीं मरा। बम के विस्फोट से मरा।"

"जी हां। पुलिस का कहना है कि वो छोटा बम था, परंतु पावर फुल था। धमाके की आवाज भी ज्यादा तेज नहीं थी।"

डोगरा ने कॉफी का प्याला बैड पर ही रख दिया।

रीटा फौरन उठी और प्याला वहां से उठाकर तिपाई पर रखा।

"क्या माईकल, दोपहर के बाद किस-किस से मिला था ?" विलास डोगरा ने पूछा।

"ज्यादा तो खबर नहीं, परंतु वो विपुल कैस्टो से मिला था।" गोरे की आवाज आई।

डोगरा के होंठ कस गए।

"कैस्टो से मिला? कब?"

"सुना है कि शाम चार बजे के आस-पास मिला था।"

डोगरा ने गहरी सांस ली।

"कोई और नई खबर ?"

"और तो कुछ नहीं डोगरा साहब ।"

"कैस्टो की कोई खबर ?"

"नहीं।"

“हो तो बताना।" कहने के साथ ही डोगरा ने फोन बंद कर। चेहरे पर सोचें नाच रही थीं।

"क्या हुआ?" रीटा ने पूछा।

"थोड़ी गड़बड़ हो गई।" डोगरा ने सिर हिलाया।

"क्या?" रीटा उठी और तिपाई से कॉफी का प्याला उठाकर, डोगरा को थमा दिया।

"वो पैन मैंने कैस्टो को दिया था और कैस्टो ने मुझसे मिलने के बाद माईकल से मिला और पैन उसे दे दिया।"

"उसने ऐसा क्यों किया?"

"शायद उसे पैन पर कुछ शक हो गया हो कि उसमें बम है।" डोगरा ने रीटा को देखा।

"मुझे नहीं लगता कि ऐसा हुआ हो, कैस्टो को पता चला होता कि आपने उसे बम लगा पैन दिया है तो वो चुप ना बैठता।"

"तो उसने पैन माईकल को क्यों दिया?"

"कोई दूसरी वजह रही होगी। तो पैन में हुए विस्फोट से माईकल मारा गया।"

"बुरा हुआ। मैं तो कैस्टो को खत्म करना चाहता था। रीटा डार्लिंग, किस्मत कब, कहां घूम जाए, पता ही नहीं चलता। कैस्टो को खत्म करना बहुत जरूरी है वरना वो गोवा से मेरा ड्रग्स का धंधा उखाड देगा।" डोगरा ने गंभीर स्वर में कहा--- “मैं उसे पैंतीस प्रतिशत गोवा नहीं दे सकता कि वो ड्रग्स का धंधा चालू कर दे। कैस्टो को मरना चाहिए था।"

"पहले तो हमें ये पता होना चाहिए कि कैस्टो को आप पर कोई शक तो नहीं हुआ कि आप उसकी जान लेना चाहते हैं।” रीटा बोली।

"क्या वो शक में होगा ?"

"वो बेवकूफ तो नहीं है।"

"अगर उसे शक हो गया होगा तो वो जरूर मेरे खिलाफ कोई तैयारी कर रहा होगा।" डोगरा ने सोच भरे स्वर में कहा।

"मेरे ख्याल में कैस्टो से फोन पर आपको बात करनी चाहिए। सब कुछ सामने आ जाएगा।"

"मैं तो कितना निश्चिंत था कि बीती शाम कैस्टो का काम हो गया होगा।" डोगरा फोन पर नम्बर मिलाता कह उठा--- "परन्तु उसने पैन माईकल को क्यों दे दिया। ये बात समझ में नहीं आ रही।" फोन कान से लगा लिया।

दूसरी तरफ बेल जाने लगी। देर तक जाती रही फिर कैस्टो की आवाज कानों में पड़ी।

“हैलो---।”

"गुड मार्निंग कैस्टो ।” डोगरा मुस्कराकर कह उठा ।

चंद पलों की चुप्पी के बाद कैस्टो की शांत आवाज आई।

"डोगरा साहब---।”

"सही पहचाना। कल की हमारी मुलाकात बढ़िया रही। सब कुछ आसानी से निपट गया।" डोगरा बोला।

"मुझे आशा नहीं थी कि सब कुछ आराम से निपट जायेगा।" उधर से कैस्टो हंसकर बोला।

"मन साफ हो तो सब काम ठीक से पूरे हो जाते हैं। एक छोटी सी मुलाकात फिर हो जाये? अभी मैं तीन दिन गोवा में ही हूं।"

"किस सिलसिले में?"

"दोस्ताना मुलाकात। लंच या डिनर हम एक साथ लेंगे। सिर्फ तुम और मैं---।"

"मुझे बहुत खुशी होती अगर मैं ऐसा कर पाता। परन्तु कल शाम की फ्लाईट से मैं सिंगापुर आ गया था। इस वक्त सिंगापुर में ही हूँ। वापसी में मैंने अफगानिस्तान जाना है। लौटने में कुछ वक्त लगेगा।"

"ओह! मैं तो सोच रहा था कि हमारी एक मुलाकात और होगी।"

"अगर कोई खास बात हो तो जार्ज से बात हो सकती है। उसे भेज दूं क्या?" उधर से कैस्टो ने कहा।

"बात कुछ भी नहीं है। तुम्हारे साथ लंच-डिनर कुछ चाहता था। खैर, फिर कभी सही।"

“मैं बहुत जल्दी मुम्बई आऊंगा। वहाँ मिलेंगे।" उधर से कैस्टो ने मुस्कराकर कहा।

"मैं तुम्हारा इन्तजार करूंगा।" डोगरा ने कहा और फोन बंद करके गम्भीर स्वर में बोला--- “उसे मुझ पर शक हो चुका है। कहता है शाम की फ्लाईट से सिंगापुर चला आया था। जबकि ऐसा नहीं है। उसे पैन में बम होने का पता चल गया था।"

"ऐसा है तो उसने आपके खिलाफ कुछ किया क्यों नहीं?"

डोगरा ने रीटा को देखकर कहा।

"वो जरूर कुछ सोच रहा होगा।”

"फिर तो आपको सावधानी से बाहर निकलना होगा।"

"डोगरा पर हाथ डालने से पहले उसे बीस बार सोचना पड़ेगा रीटा डार्लिंग। ये इतना आसान नहीं है।" डोगरा की आवाज में सख्ती आ गई।

"बेहतर होगा कि सुरक्षा के इन्तजाम के बिना आप बाहर ना निकलें।"

"आज की सुबह बढ़िया नहीं रही।" डोगरा ने सोच भरे स्वर में कहा।

"कैस्टो मारा जाता तो यकीनन सुबह बढ़िया रहती।" रीटा बोली।

"वो मारा जायेगा। सप्ताह, दस दिन और लग सकते हैं। बॉब को फोन करना पड़ेगा।" डोगरा ने फोन उठाया और नम्बर मिलाने लगा।

"बॉब तो मुम्बई में है।"

"दो घंटों में प्लेन से गोवा आ जायेगा।" तभी बॉब से फोन पर बात हो गई--- "हैलो बॉब, क्या कर रहे हो?"

"आराम।" उधर से मर्दाना आवाज कानों में पड़ी।

"तुम्हारे गोवा का ही काम है। इस काम में तुम्हें मजा भी आयेगा। कैस्टो को जानते हो ना?" डोगरा ने पूछा।

"विपुल कैस्टो

"वो ही।"

"मैं जानता हूं।"

“गोवा पहुंचो और उसे खत्म कर दो।”

"काम हो जायेगा।"

"कब आ रहे हो?"

“शाम तक गोवा पहुंच जाऊंगा। टूडे भी तो आपके पास है। वो ये काम कर देगा।"

"टूडे व्यस्त है मेरे साथ। मैं यहां कई जरूरी काम कर रहा हूं। कैस्टो को तुम साफ करो ।”

"शाम तक गोवा पहुंच जाऊंगा।"

डोगरा ने फोन बंद कर दिया।

"बॉब आसानी से कैस्टो को खत्म कर देगा।" रीटा बोली--- “वो काम करना जानता है।"

"तभी तो बॉब को ये काम सौंपा।"

"उससे पहले कैस्टो आप पर हमला ना कर दे। लंच के बाद दशील से मिलना है। रात को इब्राहिम के साथ अप्वाईंटमेंट फिक्स है। मेरी बात मानें तो टूडे से कहकर सुरक्षा का इन्तजाम करा लें। देवराज चौहान भी मौके की तलाश में है।" रीटा ने सोच भरे स्वर में कहा--- “आपकी जान के दुश्मनों की गिनती एकाएक बढ़ गई है। सुरक्षा जरूरी है।"

"वो पैन कैस्टो के पास ही रहा होता तो कल शाम ही वो...।"

विलास डोगरा का मोबाइल बजने लगा।

"हैलो।" डोगरा ने बात की ।

"डोगरा साहब ।" रमेश टूडे की आवाज कानों में पड़ी--- "लगता है कल जगमोहन निपट गया।"

"ये तो बढ़िया खबर है।"

"जगमोहन रात भर होटल नहीं पहुंचा, जहाँ देवराज चौहान और हरीश खुदे मौजूद हैं।"

"फिर तो निपट गया होगा।" डोगरा कह उठा।

"देवराज चौहान, हरीश खुदे घंटा भर पहले मुम्बई चले गये हैं।" टूडे की आवाज कानों में पड़ी।

"ये नहीं हो सकता।” डोगरा के होठों से निकला।

"हमारे लोग नाइट शाईन होटल की निगरानी कर रहे थे जहाँ देवराज चौहान ठहरा हुआ है। उन्होंने बताया कि घंटा भर पहले देवराज चौहान, खुदे के साथ होटल का बिल चुकता करके निकला और दोनों कार पर चल पड़े। मेरे आदमी उनके पीछे थे। वो गोवा से बाहर मुम्बई के रास्ते पर निकल गये। हमारे आदमी आधा घंटा उनके पीछे रहे। और जब उनको यकीन हो गया कि वो गोवा से पक्के मुम्बई की तरफ जा रहे हैं तो वे वापस आ गये।"

"जगमोहन नहीं था उनके साथ ?"

"नहीं।"

"ऐसे में देवराज चौहान गोवा से क्यों जायेगा। वो लापता जगमोहन को ढूंढेगा टूडे---।" डोगरा बोला।

"पर वो गोवा से चले गये हैं।"

“बात गले से नीचे नहीं उतरती।"

"वो होटल खाली करके गये हैं।"

"अकल से काम ले टूडे। देवराज चौहान मेरे पीछे कोल्हापुर पहुंचा फिर गोवा आया। वो मुझे खत्म करना चाहता है। साथ ही जगमोहन का उसे कुछ पता नहीं होगा कि वो कहां है, ऐसे में वो गोवा से क्यों जायेगा ?"

"वो चला गया है।"

"उसका इस तरह जाना मेरी समझ में नहीं आ रहा।" डोगरा के चेहरे पर उलझन थी।

"देवराज चौहान और हरीश खुदे गोवा से चले गये हैं।"

"हूं। पता चल जायेगा कि देवराज चौहान किस चक्कर में---।"

"जगमोहन ने मुझे बताया था कि दुलेरा उन्हें आपके प्रोग्राम के बारे में ज्यादा नहीं बता पाया था। वो सिर्फ बीच रैस्टोरेंट पर विपुल कैस्टो की मुलाकात होने तक का ही प्रोग्राम उससे जान सके थे।"

विलास डोगरा के चेहरे पर सोच के भाव नाच रहे थे।

"देवराज चौहान गोवा से चला गया है तो अच्छी खबर है। पर मुझे यकीन नहीं होता।" डोगरा बोला--- “जो भी होगा, पता चल जायेगा। इधर कैस्टो से अपनी कुछ गड़बड़ हो गई है। अब गोवा में मुझे सुरक्षा चाहिये। तू अपने लोगों का इन्तजाम कर ले। हो सकता है कैस्टो मेरी जान लेने की कोशिश करे। तेरे को हर वक्त मेरे आसपास ही रहना है।"

"समझ गया।"

"3:30 पर मैंने होटल से निकलना है।" डोगरा ने कहा और फोन बंद करके सिग्रेट सुलगा ली।

कुर्सी पर बैठी रीटा, डोगरा को देख रही थी।

"बहुत परेशानी पैदा हो गई रीटा डार्लिंग।"

“क्या बोला टूडे कि देवराज चौहान गोवा से चला गया है।" रीटा बोली।

"हां, वो---।"

“मैं तो ये सुनने की अपेक्षा कर रही थी कि वो लापता जगमोहन को ढूंढता फिर रहा है।” रीटा ने गम्भीर स्वर में कहा।

"ये ही बात तो मेरी समझ में नहीं आ रही कि जगमोहन के लापता होने पर, देवराज चौहान गोवा से क्यों चला गया? टूडे कहता है कि वो मुम्बई की तरफ गया है। हमारे आदमी देर तक उनके पीछे रहे थे।" डोगरा भारी उलझन में था।

"देवराज चौहान कोई चाल खेल रहा है। वो इस तरह गोवा से जाने वाला नहीं। वो आपका पीछा नहीं छोड़ने वाला ।”

"ये ही मेरा ख्याल है। पर ये भी सोचने वाली बात है कि जगमोहन के लापता होते ही उसने गोवा क्यों छोड़ दिया?"

“कम से कम वो आपसे डरने वाला नहीं।"

“नहीं डरेगा वो। साला खतरनाक है डकैती मास्टर ।"

दोनों एक-दूसरे को देखते रहे।

"आपको बहुत सावधान रहना होगा।" रीटा बोली।

डोगरा ने विचारपूर्ण ढंग से सिर हिला दिया।

“मेरी तो राय है कि टूर कैंसिल करके दो-तीन हफ्ते की छुट्टी लेकर धंधे से गायब हो जायें।"

"ऐसा क्यों?" डोगरा ने रीटा को देखा।

"पता नहीं क्यों, पर मेरा मन कहता है कि आपको ऐसा ही करना चाहिये।"

“मैंने अपने कई लोगों से मिलना है। उनकी समस्याएं सुलझानी है। काम इस तरह अधूरा छोड़कर नहीं बैठ सकता।"

“जान, काम से ज्यादा कीमती है।" रीटा गम्भीर दिख रही थी।

“तुम ज्यादा चिन्ता में हो। इतनी भी फिक्र मत करो रीटा डार्लिंग। हमारे धंधे में ऐसे मौके तो आते ही रहते हैं। भागने से काम नहीं चलने वाला। मैं कभी भी नहीं भागा।" डोगरा ने शांत स्वर में कहा।

“मेरे ख्याल में आपको देवराज चौहान से झगड़ा मोल नहीं लेना चाहिये था। कठपुतली किसी और पर भी इस्तेमाल की जा सकती थी, परन्तु आपने देवराज चौहान और जगमोहन को ही चुना। मैंने तब आपको इस बात से रोका भी था कि---।”

"रीटा डार्लिंग।" डोगरा मुस्करा पड़ा--- "देवराज चौहान मेरे, लिए मामूली चीज है। अभी तक वो ही मेरे पीछे है, मैंने उसे कुछ भी नहीं कहा है, क्योंकि मैं जानता हूं कि वो बहुत जल्द देवेन साठी के हाथों मरने वाला है। उसकी तुम परवाह मत करो। वैसे भी वो गोवा से वापस मुम्बई चला गया है। हो सकता है उसकी निगाहों में कोई और जरूरी काम आ गया हो। साठी के परिवार को उसने मुम्बई में कहीं बंधक बना रखा है, शायद वहां कोई समस्या आ गई हो। या साठी ने अपने परिवार को ढूंढ निकाला हो और देवराज चौहान के लिए मुसीबत खड़ी हो गई हो और उसे जाना पड़ा। यहां तक कि वो जगमोहन को भी ढूंढने नहीं निकला। हमें क्या, हम मजे में हैं। देवराज चौहान के, साठी के हाथों मरने की खबर कभी भी आ सकती है।"

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