अगले दिन सुबह आठ बजे ही सलीम खान वहां आ पहुंचा ।

वहां के हालात देखते ही पल भर के लिए ठिठक गया ।

देवराज चौहान कुर्सी पर बंधा पड़ा था । पास में गुलाम कादिर और सरफराज हलीम खड़े, उसे जगाए रखने का प्रयत्न कर रहे थे। देवराज चौहान के शरीर पर अंडरवियर था और सारे शरीर पर जख्मों के निशान नजर आ रहे थे जहां नमक-मिर्च डाली गई थी । देखकर ही स्पष्ट हो रहा था कि देवराज चौहान को रात-भर में जबरदस्त यातना दी गई है । पास में ही इधर-उधर फर्श पर अंसारी, अशफाक और बाकी सब सोये-लुढ़के पड़े थे ।

"बोला ये ?" सलीम खान ने पास पहुंच कर उन दोनों से पूछा ।

तभी देवराज चौहान को होंठों से पीड़ा भरी कराह निकली ।

जख्मों पर डाला गया नमक-मिर्च उसे चैन नहीं लेने दे रहा था ।

"नहीं बड़े भाई...।" गुलाम कादिर ने कहा--- "बहुत पक्का है ये....।"

"इतना भी क्या पक्का है कि इसका मुंह न खुलवाया जाए ।" सलीम खान ने होंठ भींचकर कहा ।

"बहुत तरीके आजमाए बड़े भाई...।" सरफराज सलीम ने कठोर स्वर में कहा--- "पर इसने मुंह नहीं खोला ।"

"क्या कहता है ?"

"चुप रहता है और...।"

तभी अंसारी की आंख खुली तो सलीम खान को आया पाकर फौरन उठ बैठा ।

"ओह बड़े भाई आए हैं ।" अंसारी फौरन उठकर पास आ गया ।

सलीम खान ने अंसारी को गम्भीर नजरों से देखा ।

"तू कुछ नहीं कर पाया अंसारी ।"

"बड़े भाई । बहुत मेहनत की इस पर। मुंह खोलने को राजी नहीं होता । दर्द सहे जा रहा है । अगर इसे पाकिस्तान में जन्म न लिया होता तो मुंह खोल देता परंतु पक्का पाकिस्तानी है । इसका कोडवर्ड भी 'मैं पाकिस्तानी' था । सख्त जान है ये ।"

"कब मुंह खुलवा लोगे इसका ?"

"आज तो ये काम हो ही जाएगा ।" अंसारी दृढ़ स्वर में कह उठा।

"मैं यहीं पर रहूंगा दिन भर ।" सलीम खान कुर्सी पर जा बैठा...।" इससे मुझे अपने सवालों का जवाब चाहिए ।"

"आज ये हर जवाब देगा ।" अंसारी की नजर देवराज चौहान पर जा टिकी ।

"कल से इसका मुंह नहीं खुलवा पाए । ये तुम्हारे लिए शर्म की बात है ।" सलीम खान बोला ।

"मैं तो खुद हैरान हूं कि अब तक इसे सब बता देना चाहिए था । ये जाने किस मिट्टी का बना...।"

"शुरू करो । जब तक हमें पता नहीं चलेगा कि हमारे कौन-कौन से दुश्मन हमारे खिलाफ चल रहे हैं, तब तक हमसे ठीक तरह काम नहीं होगा । ये किस चक्कर में था। इसके पीछे कौन है । हमारे खिलाफ लोगों ने कब मामला शुरू किया-बहुत कुछ जानना है मैंने इससे ।"

■■■

जगमोहन मार्शल के ठिकाने पर सोचों में परेशान-सा बैठा था एकाएक उछल कर खड़ा हो गया। उसके होंठ भिंच गये । आंख सिकुड़ आई। चेहरे पर कुछ कर गुजरने जैसे भाव आ गये थे ।

"ये ही एक रास्ता है । बढ़िया रास्ता ।" जगमोहन बड़बड़ाया और कमरे से बाहर निकल कर बगल वाले  मार्शल के कमरे का दरवाजा खोलना चाहा परंतु वो बंद था ।

जगमोहन ने दरवाजा थपथपाया। परंतु इंतजार के बाद भी वो नहीं खुला ।

तभी सामने से एक आदमी आता दिखा । वो करीब आया तो जगमोहन बोला ।

"मार्शल कहां है...?"

"मार्शल तो सुबह ही कहीं  गए हैं ।" उसने बताया ।

"सुबह कब ?"

"छः बजे का वक्त रहा होगा ।"

"वापस कब आएगा वो ?"

"मुझे पता नहीं । उनसे फोन पर बात कर लो ।" कह कर वो आगे बढ़ गया ।

जगमोहन वापस अपने कमरे में पहुंचा और मोबाइल से मार्शल का नम्बर मिलाने लगा । एक दो बार में नम्बर लगा । दूसरी तरफ बेल गई ।

"बेल जाती रही । काफी देर बाद मार्शल ने कॉल रिसीव की ।

"हैलो ।" मार्शल की आवाज कानों में पड़ी ।

"मेरी बात सुनो मार्शल ।" जगमोहन बोला--- "मैं...।"

"अभी मैं बात नहीं कर सकता । व्यस्त हूं । दो घंटे बाद वापस लौटूंगा ।" उधर से इतना कहकर मार्शल ने फोन बंद कर दिया ।

■■■

शाम साढ़े चार बजे मार्शल लौटा । जगमोहन से मिला ।

"तुमने मेरी बात सुने बिना ही फोन बंद कर दिया ।" जगमोहन ने शिकायत भरे स्वर में कहा ।

"उस वक्त मैं राष्ट्रपति से बात कर रहा था ।" मार्शल बोला--- "किसी खास मामले में बात हो रही थी ।"

"ओह ।"

"बोलो, क्या बात है ?" मार्शल कुर्सी पर बैठता कह उठा । चेहरे पर गंभीरता थी ।

"देवराज चौहान का पता लगा ?"

"नहीं । इस बात की भरपूर कोशिश की जा रही है कि उसकी कोई खबर मिले । मुखबिर भी कोई खबर नहीं दे पा रहे हैं ।"

"मतलब कि देवराज चौहान अब भगवान भरोसे है ।" जगमोहन ने होंठ भींचकर कहा ।

मार्शल के चेहरे पर गम्भीरता छाई थी ।

"मुफ्ती भी वो ठिकाना बताने में असमर्थ है, जहां इस वक्त देवराज चौहान को रखा गया है ।"

"अभी तक तो वो कुछ नहीं पता पाया । इस बारे में उससे ज्यादा उम्मीद मत रखो। वो वहां एक हद तक ही बातें जान सकता है ।"

"मेरे पास एक प्लान है ।" जगमोहन गम्भीर स्वर में बोला--- "मुझे वो मोबाइल नम्बर दो, जिस नम्बर पर, पाकिस्तान से आये लोगों ने मुम्बई पहुंच कर, कॉल की थी । वो मुझे दो ।"

मार्शल ने गहरी निगाहों से जगमोहन को देखा ।

"क्या कहना चाहते हो ?"

"देवराज चौहान को बचाने के लिए मुझे कुछ तो करना होगा । इस प्रकार मैं हाथ पर हाथ रखे नहीं बैठ सकता रह सकता ।"

"मैंने पूछा है करना क्या चाहते हो ?"

"मुझे सलीम खान के करीब जाना होगा और इसका रास्ता भी मैंने निकाल दिया है ।"

"कैसे रास्ता...मुझे बताओ ।"

जगमोहन ने अपनी योजना बताई ।

मार्शल के चेहरे पर असहमति के भाव उभरे ।

"जो गलती देवराज चौहान ने की थी वैसी ही गलती अब तुम करने जा रहे हो ।"

"देवराज चौहान को बचाने के लिए ये करना जरूरी है वरना वो लोग उसकी जान ले लेंगे ।" जगमोहन ने कहा--- "तुम्हारे आदमी वो जगह तलाश नहीं कर पा रहे कि देवराज चौहान को कहां रखा गया । हर बीतते पल के साथ देवराज चौहान मौत की तरफ बढ़ रहा है ।"

"वो मौत की तरफ जा रहा है, मानता हूं परंतु तुम क्यों मौत के कुएं में मौत की छलांग लगा दोगे ।" मार्शल ने सख्त स्वर में कहा--- "तुम्हारी योजना वैसी ही है, जैसी कि देवराज चौहान की थी। देवराज चौहान फंस गया और तुम भी अब फंसने  की तैयारी कर रहे हो । हम लोग कोशिश कर रहे हैं । कभी भी हमारी कोशिश रंग ला सकती है। जल्दबाजी मत करो । नई मुसीबत मत खड़ी करो। अब तो...।"

"लेकिन...।"

"मेरी सुनो ।" मार्शल कहे जा रहा था--- "जल्दबाजी में गलती मत करो । सब्र से काम लो । हमारे लोग तेजी से देवराज चौहान का पता लगाने की कोशिश में हैं। कभी भी अच्छी खबर आ सकती है । तुम भी वहां जा फंसे तो...।"

"कहीं ये देरी देवराज चौहान के लिए घातक न हो जाए ।" जगमोहन गुस्से से कह उठा ।

"कहीं तुम्हारी जल्दबाजी, देवराज चौहान के लिए कोई नई मुसीबत न खड़ी कर दे।

"वो तो पहले से ही मुसीबत में है मार्शल। मेरी वजह से और क्या मुसीबत में...।"

"हमें कोशिश करने दो...।" मार्शल ने गम्भीर स्वर में कहा।

चंद पल चुप रहकर जगमोहन कह उठा।

"आज के दिन और कोशिश कर लो । कुछ न हुआ तो कल सुबह मैं अपने ही प्लान पर काम करूंगा ।"

मार्शल कुछ पल जगमोहन को देखता रहा फिर उठ खड़ा हुआ।

"वो लोग अभी ये भी नहीं जान पाए कि वो देवराज चौहान है, तारिक मोहम्मद नहीं ।" जगमोहन बोला ।

"कल रात तक तो मुफ्ती ने ये ही कहा था ।"

"आज रात मुफ्ती से बात हो तो, ये बात एक बार फिर उससे पूछ लेना।" मार्शल कमरे से बाहर निकल गया ।

■■■

कोई फायदा होता नहीं दिख रहा अंसारी ।" सलीम खान कह उठा ।

रात के दस बज रहे थे । वे दिन भर की भरपूर कोशिशों के बाद भी, अपने इरादों में कामयाब नहीं हो सके थे। मरने की हालत में पहुंच चुके देवराज चौहान ने उनके एक सवाल का भी जवाब नहीं दिया था ।

"ये पता नहीं किस मिट्टी का बना है ।" अंसारी परेशान स्वर में कहा उठा ।

सलीम खान उखड़ा-उखड़ा नजर आ रहा था।

देवराज चौहान बेहद जख्मी हालत में फर्श पर पड़ा था । लगभग बेहोशी की हालत में था ।

अंसारी और अशफाक थके से नजर आ रहे थे ।

"बड़े भाई  ।" अंसारी गुर्रा कर कह उठा--- "खत्म कर देते हैं इसे।"

"और जो मैं जानना चाहता हूं, उन बातों का क्या होगा ।" सलीम खान ने उसे देखा ।

"पर ये तो मुंह नहीं खोल रहा ।"

"तुम हार गए लगते हो ।" सलीम खान तीखे लहजे में कह उठा।

अंसारी होंठ भींचकर रह गया ।

"इससे मैंने बहुत कुछ जानना है । मालूम तो पड़े कि हमारे नेटवर्क में छेद कहां पर हो गया कि दुश्मन हमारी बगल में आकर बैठने लगा। अगर ये बातें हम न जान सके तो ऐसा दोबारा भी हो जाएगा और तब शायद हम न बच सकें ।"

अंसारी खामोश रहा ।

"अगर सब ठीक रहता तो आज हमने हिन्दुस्तान को हिला देना था । सावित्री हाउस की चौथी मंजिल पर सैकड़ों लाशें मौजूद होती। आज जो मेरा आदमी सावित्री हाउस पर नजर रखे हुए था, उसने बताया कि सावित्री हाउस के जर्रे-जर्रे में पुलिस फैली हुई थी। भीतर जाने वालों की सख्ती से तलाशी ली जा रही है । ऐसा तभी हुआ, जब तारिक मोहम्मद ने बात बाहर निकाली । यानी कि हमारी खबरें पहले ही बाहर चली गई। ऐसा आज तक नहीं हुआ। तभी तो हम सुरक्षित हैं । इसलिए मैं पूरी बात जानना चाहता हूं कि तारिक मोहम्मद ने ऐसा क्यों किया ? इसके साथ कौन-कौन था ? तुमने समझदारी दिखाई और वक्त रहते सबको निकाल कर यहां ले आये, वरना सारा खेल ही समाप्त हो गया होता ।" सलीम खान गम्भीर स्वर में कह रहा था--- "इस तरह तो हमारे काम नहीं चलने वाले । हामिद अली को हमने मुंह दिखाना है। पाकिस्तान सरकार भी मुंह उठाए हमारी तरफ देखती रहती है कि अब हम क्या करने वाले हैं हिन्दुस्तान में । ये ही सब होता रहा तो हमारी इज्जत मिट्टी में मिल जाएगी । मैं जब पाकिस्तान जाऊंगा तो कोई मुझसे बात करना पसंद नहीं करेगा । ये तो बहुत ही गलत हो जाएगा । इस बार हमारी जहां भी कमजोरी रह गई है, उस कमजोरी को दुरुस्त करना है और ये तभी होगा जब तारिक मोहम्मद मुंह खोलेगा।"

"आप ठीक कह रहे हैं ।"

"इसका मुंह खुलवाओ । जो भी तरीका इस्तेमाल करो परंतु इसका...।"

"मुझे तो हैरानी हो रही है कि मरने की हालत में पहुंच कर भी ये मुंह क्यों बंद रखे हुए हैं । अब तक इसे बोल देना चाहिए था ।" अंसारी गुस्से से बोला।

"ये तुम्हारी परीक्षा है अंसारी । ऐसी सख्त जान वाला इंसान तुम्हें पहले नहीं मिला होगा । इसका मुंह...।"

"ये बोलेगा बड़े भाई ।" अंसारी दृढ़ स्वर में गुर्रा उठा--- "आज रात ये बोल के रहेगा ।"

"शाबाश । मन में ये ही भरोसा रखो तो देखो काम कैसे नहीं होता ।" सलीम खान ने गम्भीर स्वर में कहा ।

"अब इन लड़कों का क्या करना है ?"

"इन्हें अपने साथ ही रखो । मैं कोई प्लान तैयार करता हूं । मैं इनसे ऐसा काम लूंगा कि ये कमाल कर देंगे । तब तक इन्हें इन्ही बातों में उलझाए रखो कि फालतू सोचने का मौका इन्हें न मिले । मैं इनसे कोई बड़ा काम लूंगा ।" सलीम खान ने धीमे स्वर में कहा ।

अंसारी ने सिर हिलाया ।

"तारिक मोहम्मद को होश में लाओ । इसे खाना खिलाओ । जब ये दुरुस्त हो जाए तो फिर इसे यातना देना शुरू कर दो । बस, ये मरना नहीं चाहिए । इसके भीतर जो भी बातें हैं, वो सारी बाहर निकलवाओ । वो जानना  हमारे लिए जरूरी है ।" सलीम खान सख्त स्वर में कह उठा ।

"आज रात ये जरूर बोलेगा बड़े भाई...।" अंसारी के निगाह, फर्श पर पस्त हाल में पड़े देवराज चौहान की तरफ उठ गई ।

"मैं जा रहा हूं ।" सलीम खान उठ खड़ा हुआ--- "जब ये बोलने लगे तो मुझे फोन कर देना । मैं पहुंच जाऊंगा ।"

■■■

अगले दिन सुबह जगमोहन के पास पहुंचा ।

मार्शल ने गम्भीर निगाहों से जगमोहन को देखा।

"देवराज चौहान की कोई खबर पानी में तुम्हें कोई सफलता नहीं मिली ।" जगमोहन बोला ।

"कभी भी खबर आ सकती है ।"

"न आए तो दस दिन तक कोई खबर नहीं आएगी । है न ?" जगमोहन ने सिर हिलाया ।

मार्शल ने परेशानी में होंठ भींच लिए ।

"अपनी योजना में तुम्हें बता चुका हूं ।" जगमोहन बोला--- "और आज से उस पर काम शुरू करूंगा ।"

"बेवकूफी मत करो । तुम...।"

"ये बेवकूफी नही, ये ही  एक रास्ता है मेरे पास कि देवराज चौहान तक पहुंच सकूं और उसे बचा...।"

"या फिर उसकी तरह खुद ही जा फंसूं...।"

"ये मैं नहीं सोचता । मैं सिर्फ देवराज चौहान को बचाने तक ही सोच रहा हूं ।" जगमोहन ने गम्भीर स्वर में कहा।

"पागलपन की तरह मत सोचो । वो फंस गया है तो उसके लिए खुद कुएं में छलांग मत लगाओ । वो...।"

"देवराज चौहान मेरा सब कुछ है मार्शल ।" जगमोहन ने कहा।

"इतना कि तुम उसके लिए अपनी जान दांव पर लगा दो ।" मार्शल ने उसे देखा ।

"इससे भी ज्यादा, मेरा सारा दमखम तो देवराज चौहान ही है मार्शल । वो नहीं तो, मैं कुछ भी नहीं ।"

मार्शल जगमोहन को देखता रहा ।

"अगर कभी मेरी जान उसके काम आ गई तो वो वक्त मेरे लिए सुखद रहेगा ।"

"अजीब हो तुम ।"

"तुमने कभी किसी को बचाने के लिए अपनी जान दांव पर लगाई है ?"

"नहीं । कभी नहीं ।"

"तो तुम मेरी बात को नहीं समझ सकते ।" जगमोहन बोला-"मैं अपनी योजना पर काम करूंगा । तुम सब...।"

"मैंने देवराज चौहान को भी इसी तरह रोका था कि इसमें खतरा है । वो मेरी बात नहीं माना । अब तुम भी मेरी बात नहीं...।"

"देवराज चौहान को बचाने के लिए मैं किसी भी हद तक जा सकता...।"

"अगर सलीम खान को तुम ठीक से संभाल नहीं पाए तो तुम्हारी योजना शुरू होने से पहले ही बैठ जाएगी ।"

"वो फोन नम्बर सलीम खान का है ?"

"मैं नहीं जानता ।"

"तारिक मोहम्मद से पूछो...।"

"पूछा था। परंतु उसका कहना है उसे नम्बर दिया गया कि मुम्बई पहुंचकर इस नम्बर पर फोन करना है । ये नहीं बताया गया कि किसका नम्बर है ।"

"वो नम्बर मुझे दे दो ।" जगमोहन गम्भीर स्वर में बोला ।

"तुम अपनी मर्जी कर रहे हो । तुम्हारे प्लान में कोई सहमति नहीं है ।" मार्शल ने बेचैन स्वर में कहा ।

"मुझे ये काम हाथ में नहीं लेना चाहिए था। तुम गलती पर गलती कर चुके हो। अगर सलीम खान को पकड़ लेने की इच्छा जाहिर न करते तो हम सफल रहे होते। वहां ज्यादा वक्त बिताना ही देवराज चौहान के लिए गड़बड़ कर गया ।"

मार्शल ने कुछ नहीं कहा

"मुझे वो मोबाइल नम्बर दो ।"

"तुम्हें सोच लेना चाहिए फिर से । ताकि...।"

"सोच चुका हूं । नम्बर दो ।"

मार्शल ने मोबाइल नम्बर बता दिया ।

"रात मुफ्ती से बात हुई ?" जगमोहन गम्भीर था ।

"हां ।"

सलीम खान के पास क्या जानकारी है देवराज चौहान के बारे में ?"

"कुछ खास नहीं । वो अभी तक उसे तारिक मोहम्मद ही समझ रहे हैं ।" मार्शल ने बताया ।

"ऐसा होना मेरे लिए अच्छा है ।" जगमोहन ने कहा--- "अब यहां मेरा कोई काम नहीं है। यहां से जाऊंगा और जरूरत पड़ने पर तुम्हें फोन करूंगा ।"

"तुम वहां जाकर फंस जाओगे ।" मार्शल गम्भीर था ।

जगमोहन ने उसे देखा और दरवाजे की तरफ बढ़ गया ।

"रुक जाओ । इस तरह तुम्हें कोई बाहर नहीं जाने देगा । मैं अपने आदमी को बुलाता हूं वो तुम्हारी आंखों पर पट्टी बांधकर तुम्हें कहीं छोड़ देगा ।"

■■■

जगमोहन को सड़क किनारे उतारकर मार्शल का आदमी कार पर चला गया। फुटपाथ पर चढ़कर जगमोहन कई पलों तक खड़ा सड़क पर जाते ट्रेफिक को देखता रहा । चेहरे पर गम्भीरता थी । देवराज चौहान को खो देने का डर उसके मन में बार-बार उभर रहा था । जैसे भी हो वो देवराज चौहान को बचा लेना चाहता था । जगमोहन ने मोबाइल निकाला और मार्शल का नम्बर बताया मिलाया।

दूसरी बार मिलाने पर दूसरी तरफ बेल जाने लगी। कान फोन से लगाए, उस तरफ से आवाज आने का जगमोहन इंतजार कर रहा, परंतु बेल बजकर बंद हो गई । कॉल रिसीव नहीं की गई । जगमोहन ने पुनः उसी नम्बर पर कॉल किया और फोन कान से लगाया। दूसरी तरफ फिर से बेल जाने लगी ।

"हैलो ।" तभी जो स्वर उसके कानों में पड़ा, वो सलीम खान की आवाज थी ।

"कौन बोल रहा है ?" जगमोहन ने शांत स्वर में कहा ।

"तुम्हें किससे बात करनी है ?"

"सलीम खान से ।"

चंद क्षणों के लिए लाइन पर खामोशी आ ठहरी ।

"किससे ?"

"सलीम खान से ।"

"तुम कौन हो ?"

"मेरा नाम जगमोहन है। सलीम खान से मेरा बात करना जरूरी है।" जगमोहन ने कहा ।

"सलीम खान तुम्हें नहीं जानता ।" उधर से सलीम खान ने कहा।

"ठीक कहते हो । सलीम खान मुझे नहीं जानता। हम पहले कभी नहीं मिले । पर उससे मेरा बात करना जरूरी...।"

"ये फोन नम्बर तुम्हें कहां से मिला ?"

"सारी बातें पूछ लोगे या सलीम खान से बात भी कराओगे ।"

"तुम्हें कैसे पता चला कि ये नम्बर सलीम खान का है ।" उधर से सलीम खान ने पूछा ।

"पता है मुझे ।"

"कैसे पता है ?"

"सारी बातें मैं तुम्हें नहीं बता सकता । क्या तुम सलीम खान ही हो ?"

"हां । मैं सलीम खान हूं और हम फोन पर बात कर सकते हैं ।" सलीम खान की आवाज आई ।"

"तुमने पहले क्यों नहीं बताया कि तुम सलीम खान हो ।"

"क्या बात करनी है तुमने ?"

"मेरा नाम जगमोहन...।"

"बात बताओ मेरे पास ज्यादा वक्त नहीं है कि तुमसे बात करता रहूं ।"

"मैं तुमसे मिलना चाहता हूं । तुम्हें तारिक मोहम्मद के बारे में कुछ बताना चाहता हूं ।"

"तारीक मोहम्मद ?" सलीम खान चंद पल रुक कर उधर से पुनः कह उठा--- "वो कौन है ?"

"जो पाकिस्तान से आया है । उन सात लड़कों में से एक...।"

सलीम खान की फौरन कोई आवाज नहीं आई ।

"चुप क्यों हो गए ?" जगमोहन ने कुछ क्षणों के बाद कहा ।

"उन सातों के बारे में तुम क्या जानते हो ?" इस बार सलीम खान का स्वर संभला हुआ था ।

"सब कुछ...।"

"क्या सब कुछ ?"

"उनके नाम के अलावा, ये जानता हूं कि वो मुम्बई पर हमला करने आए हैं । हामिद अली ने उन्हें भेजा है।"

"कैसे पता चला ?"

"तुम तो सब कुछ फोन पर ही पूछ लेना चाहते हो । मिलकर बात नहीं करोगे क्या ?"

"जब फोन पर ही बात हो सकती है तो मिलने की क्या जरूरत...।"

"मेरे पास तो है बताने को बहुत कुछ है और फोन पर लंबी बात नहीं हो सकती फिर तुमसे बात करने के पीछे मेरा अपना भी कोई फायदा छिपा हुआ है । तुम्हारा फायदा होगा तो मेरा भी फायदा होना चाहिए...।"

"किस फायदे की बात कर रहे हो ?"

"मेरे पास बताने को बहुत कुछ है, जिसे सुनने में तुम्हें दिलचस्पी जरूर होगी । उदाहरण के तौर पर जान लो कि तुम्हारे पास जो तारिक मोहम्मद पहुंचा है, वो तारिक मोहम्मद नहीं, कोई और है। वो हिंदू है ।"

"क्या ?" सलीम खान का हक्का-बक्का स्वर आया ।

"अभी से हैरान हो गये ।" जगमोहन ने व्यंग भरे स्वर में कहा--- "अभी तो मैंने कुछ बताया भी नहीं हैं ।"

"वो हिन्दू है । तारिक मोहम्मद नहीं है वो ।" उधर से सलीम खान ने कहा ।

"सही सुना तुमने...।"

"व...वो कौन है ?"

"तुम्हारी ये आदत बहुत बुरी है सलीम खान कि तुम सब कुछ फोन पर ही जान लेना चाहते हो। पहले तारिक मोहम्मद के रूप में जो आदमी है उसे पकड़ो । उसके मुंह से जानो कि मैंने सही कहा है या गलत । अगर मेरी बात सही निकले तो मुझे फोन करना मेरा नम्बर तुम्हारे मोबाइल में आ गया है । मेरे पास तुम्हें बताने को बहुत कुछ है, क्योंकि तुम कुछ भी नहीं जानते कि क्या हो रहा है। मैंने तुम्हें वक्त पर खबर कर दी, वरना तारिक मोहम्मद बना वो आदमी तुम्हारा बिस्तरा गोल कर देता।"

सलीम खान की आवाज नहीं आई ।

"तुम बातें करते-करते कहां चले जाते हो सलीम खान ।" जगमोहन पुनः कह उठा ।

"कुछ और बताओ ।"

"क्या कुछ ?"

"वो कौन है और ऐसा उसने क्यों...।"

जगमोहन ने फोन बंद कर दिया चेहरे पर गंभीरता थी । जाल फेंक दिया था उसने। उसे देखना था कि अब क्या होता क्या है।

■■■

सलीम खान जब उसके ठिकाने पर पहुंचा तो दिन का एक बज रहा था । चेहरे पर गम्भीरता थी। जब ऊपर की मंजिल पर पहुंचा तो देवराज चौहान को बुरी हालत में पाया । सारे शरीर पर जख्म ही जख्म नजर आ रहे थे। यातना के गहरे निशान उसके शरीर के हर हिस्से पर थे । पिटाई का असर उसके चेहरे पर था । एक आंख तो बुरी तरह सूजी हुई थी। होंठ सूजे से रहे थे । इस वक्त वो होश में जरूर था, परंतु बे-सुध हुआ पड़ा था । कभी-कभार कराह उठता।

अंसारी इंकार में सिर हिलाता, सलीम खान के पास आ पहुंचा। बोला ।

"बड़े भाई । मैंने ऐसा पाकिस्तानी पहले कभी नहीं देखा। मैं जो कर सकता था, कर दिया, परंतु ये बोलने को तैयार नहीं । कहते हुए मुझे शर्म आ रही है परंतु इसका मुंह खुलवाने के लिए मैं हार गया । ये बोलने वाला नहीं।"

सलीम खान ने अशफाक को देखा।

अशफाक ने भी इंकार में सिर हिला दिया ।

"हमने इसका जो हाल किया ।" अंसारी पुनः बोला--- "अगर ये पाकिस्तानी न होता तो बोल पड़ता। लेकिन ये बोलने वाला नहीं ।"

बाकी के छः लड़के इधर-उधर बैठे थे ।

उन्हें देखते हुए सलीम खान कह उठा ।

"देखा, कितना सख्त जिद्दी है । क्या तुम लोग भी ऐसे ही सख्त हो ?"

"आजमा कर देख लो बड़े भाई ।" सरफराज हलीम कह उठा ।

"हम इससे भी सख्त हैं ।" जलालुद्दीन बोला ।

"कभी साबित करना पड़ा तो देख लेना ।" अब्दुल रज्जाक ने कहा ।

"मैं तुम लोगों के लिए नया काम तैयार कर रहा हूं । तीन-चार दिनों में तुम सब वो काम करोगे ।"

"हम तैयार हैं ।"

"कब से काम करने को इंतजार में बैठे हैं ।"

"सावित्री हाउस वाला काम नहीं करना है ?"

"उसे कुछ महीनों के लिए रोक दिया गया है । वो काम आठ  महीने बाद करेंगे ।" सलीम खान गम्भीर स्वर में बोला ।

तभी नीचे पड़े देवराज चौहान का शरीर कांपा । वो करवट लेने की चेष्टा में था, परंतु ले नहीं पाया ।

"मामला इतना सीधा नहीं है जितना कि हम समझ रहे हैं अंसारी...।"

"क्या मतलब ?"

"मेरे को किसी ने फोन करके बताया कि ये तारिक मोहम्मद है ही नहीं। ये हिन्दु है ।"

"क्या कह रहे हैं बड़े भाई...।" अंसारी हैरानी से उछल पड़ा ।

बाकी सब भी ये बात सुनकर हड़बड़ा उठे ।

"किसने बताया आपको कि...।"

"मैं उसे नहीं जानता। उसने अपना नाम जगमोहन बताया है । वो कहता है इस बारे में उसके पास बताने को कुछ है । वो इन सातों के बारे में जानकारी रखता है कि हामिद अली ने इन्हें, मेरे पास भेजा है । मेरा नाम भी जानता है।"

तभी देवराज चौहान के शरीर में तेजी से हरकत हुई और उसने करवट ले ली । ऐसा करते ही उसके होंठों से तीव्र चीख निकल गई । उसने सलीम खान पर नजर मारी।

"वो जगमोहन चाहता क्या है। इसमें उसका लालच क्या है ?" अशफाक बोला ।

"उसने कहा कि इन बातों को बताने के पीछे उसका अपना भी कोई मतलब है । परंतु अभी उसने खुलकर बात नहीं की। कहता है पहले मेरी बात की सच्चाई की छानबीन कर लो कि ये तारिक मोहम्मद है या हिन्दू...।"

"आपका फोन नम्बर उसे कैसे मिला ?"

"कहता है ये बातें मिलकर होंगी ।" सलीम खान की निगाह देवराज चौहान पर थी ।

"त-तो...अब...।"

"कुर्सी रखो इसके पास । मैं बात करता हूं ।" सलीम खान गम्भीर स्वर में बोला ।

अशफाक तुरंत कुर्सी ले आया । देवराज चौहान के पास कुर्सी रखी।

"ऐसे नहीं ।" सलीम खान ने कहा--- "मैं दोस्ताना माहौल से बात करना चाहता हूं। दो कप चाय तैयार की जाए । एक इसके लिए, दूसरी मेरे लिए और इसे दीवार से टेक लगाकर बिठा दिया जाए।"

■■■

देवराज चौहान का जिस्म बुरे हाल में था । ऐसी कोई जगह नहीं बची थी कि जहां से पीड़ा की लहर न उठ रही हो । होंठों से कराहें निकलने को हो रही थी परंतु किसी तरह खुद को संभाले हुए थे और ऐसे किसी मौके की तलाश कर रहा था कि वो यहां से निकल सके । बात सिर्फ अंसारी-अशफाक की होती तो शायद अब तक कुछ कर गया होता, क्योंकि उसे कई बार खोला और बांधा गया था। ऐसे में उसके लिए मौका हासिल करना बड़ी बात नहीं थी ।

परंतु असल समस्या तो उसे मोहम्मद डार, आमिर रजा खान, गुलाम कादिर भट्ट, जलालुद्दीन, सरफराज खान और अब्दुल रज्जाक से थी । ये लोग फौजी ट्रेनिंग लिए खतरनाक लोग थे और हर वक्त यही पर ही मौजूद थे । ऐसे में वो कुछ करता तो इन लोगों ने फौरन बीच में कूद आना था और उस पर कंट्रोल कर लेते ।

ये ही वजह थी कि वो चाह कर भी अभी तक कुछ नहीं कर पाया था । परंतु इस वक्त उसका दिमाग तेजी से काम कर रहा था ।

जगमोहन ने सलीम खान से बात की। सलीम खान को ये बता दिया था कि वो तारिक मोहम्मद नहीं, बल्कि हिंदू है । ये बात अभी-अभी सलीम खान ने खुद ही कही थी। इसका मतलब मार्शल उसे तलाश नहीं कर पा रहा था और जगमोहन ने उस तक पहुंचने की अपनी तरफ से कोशिश की थी।

जगमोहन ने अभी तक सलीम खान को ये ही बात बताई थी कि इस बात की तस्दीक कर ले। उसकी बात सही निकले और वो उससे बात करना चाहे तो आगे बात हो सकती है।

जगमोहन की योजना खतरनाक थी ।

"वो फंस भी सकता था।

परंतु देवराज चौहान ये भी जानता था कि जगमोहन जो कर रहा है, वो होकर ही रहेगा । क्योंकि इस वक्त वो अपनी मर्जी का पूरी तरह मालिक है। वो चाह कर भी उसे रोक नहीं सकता।

उसे दीवार के साथ टेक लगा कर बैठा दिया गया था । टांगे सामने की तरफ फैला दी थी । तीन कदमों के फासले पर सलीम खान कुर्सी पर बैठा उसे देख रहा था । अशफाक उसे चाय का प्याला थमा गया था । एक प्याला उसने देवराज चौहान के पास रख दिया था। सब खामोश थे और निगाहें सलीम खान और देवराज चौहान पर थी।

सलीम खान ने चाय का घूंट भरा और शांत स्वर में देवराज चौहान से बोला।

"चाय लो। इसकी तुम्हें सख्त जरूरत है ।"

देवराज चौहान ने चाय का प्याला उठाकर भरा । चेहरा शांत परंतु दिमाग तेजी से दौड़ रहा था । वो जानता था कि आज क्या बातें होने वाली है और सोच रहा था की बातों का उसे किस तरह जवाब देना है।

"जगमोहन को जानते हो ?" सलीम खान ने शांत स्वर में पूछा ।

देवराज चौहान ने कुछ नहीं कहा ।

"मुझे नहीं पता कि तुम उसे जानते हो या नहीं । लेकिन उसका कहना है कि तुम तारिक मोहम्मद नहीं, हिंदू हो । क्या ये सही है ?"

"वो कुत्ता है ।" देवराज चौहान धीमे स्वर में बोला ।

"कौन जगमोहन ?" सलीम खान सतर्क हुआ ।

"वो ही । उसने साबित कर दिया कि वो कुत्ता है ।" देवराज चौहान फिर बोला ।

"मतलब कि तुम मुझे जानते हो ।" सलीम खान संभल कर बोला--- "तुम्हारा क्या लगता है वो ?"

देवराज चौहान चुप रहा ।

"तुम हिंदू हो ?"

देवराज चौहान खामोशी ओढ़े रहा । जितनी बात वो सलीम खान को समझाना चाहता था । वो बात समझ चुका था । यानि कि उसकी निगाहों में जगमोहन की बात साबित हो गई थी ।

"तुम तारिक मोहम्मद नहीं हो । हां-ना ही कह दो ।"

देवराज चौहान ने घूंट भरा। परंतु कहा कुछ नहीं ।

सलीम खान मुस्कुरा कर कह उठा ।

"तुमने ये तो कबूला कि जगमोहन को जानते हो। मेरे लिए इतना ही बहुत है। तुम तारिक मोहम्मद हो या नहीं, ये भी आज रात तक पता चल जाएगा। मुझे जगमोहन नाम के उस व्यक्ति पर विश्वास होता जा रहा है कि वो जो कहता है सही कह रहा है । फिर भी जो सच है वो कुछ ही घंटों में सामने होगा ।" कहने के साथ ही सलीम खान ने मोबाइल निकाला और पाकिस्तान में, मुनीम खान का नम्बर मिलाया।

दो-तीन बार कोशिश करने के बाद नम्बर लग गया।

दूसरी तरफ बेल जाने लगी । फिर मुनीम खान की आवाज कानों में पड़ी ।

"हैलो ।"

"मैं हूं मुनीम खान ।" सलीम खान ने शांत स्वर में कहा ।

"ओह सलीम खान । वहां पर क्या चल रहा...।"

"मुनीम । आगे से ये गलती सुधार लेना । जिन लड़कों को भेजो, उनकी तस्वीर भी अपने पास पहले पहुंच जाने चाहिए ।"

"इस बारे में कोई गड़बड़ हुई है क्या ?"

"शायद । पता लगाया जा रहा है । तुम मेरी ई-मेल आईडी पर उन सातों की तस्वीर भेजो ।"

"ठीक है ।"

"कब तक ये काम होगा ?"

"एक घंटे में । मामला क्या...।"

"तुम तस्वीर भेजो मुनीम खान । फिर बात करूंगा । अभी मैं व्यस्त हूं ।" सलीम खान ने कहा और फोन बंद कर दिया ।

■■■

दोपहर तीन बजे मार्शल का फोन आया जगमोहन को ।

"देवराज चौहान का कुछ पता चला ?" जगमोहन ने पूछा ।

"नहीं । मैंने तुम्हें ये बताने के लिए फोन किया कि मुफ्ती का फोन आया था। वो कहता है कि हिन्दूस्तान वालों ने सातों की तस्वीरें ई-मेल द्वारा भेजने को कहा है। वो भेज दी गई है । लगता है तुमने अपना प्लान शुरू कर दिया है ।"

"सही समझे...।" जगमोहन ने गम्भीर स्वर में कहा ।

"तुमने देवराज चौहान को और भी खतरे में डाल दिया है ।"

"अगर मेरा प्लान कामयाब रहा तो मैं कभी भी देवराज चौहान के पास पहुंच जाऊंगा ।"

"कामयाब नहीं रहा तो ?"

जगमोहन ने होंठ भींच लिए ।

"कामयाब नहीं रहा तो देवराज चौहान गया । उसके जिम्मेवार तुम होगे ।" मार्शल की आवाज कानों में पड़ रही थी ।

"मेरा प्लान सफल जरूर होगा ।" जगमोहन दृढ़ स्वर में कहा--- "सलीम खान इस वक्त मेरी कही बात की जांच कर रहा है । वो देख रहा है कि मैंने झूठ कहा है या सच कि वो तारिक मोहम्मद नहीं, कोई और है । जब उसे इस बात की तसल्ली हो जाएगी तो वो मुझे फोन करेगा।"

"क्यों ?"

"क्योंकि मैंने उसे कहा है कि इस बारे में और भी बहुत कुछ जानता हूं । वो मुझसे मिलना चाहेगा ।"

"तुमने देवराज चौहान के लिए बहुत बड़ा खतरा पैदा कर दिया है ।"

"खतरे में तो वो है ही, मैं सिर्फ उसे बचाने की चेष्टा कर...।"

"तुम भी फंसोगे ।"

जगमोहन होंठ भींचकर रह गया ।

"वो सलीम खान है जगमोहन । निहायत ही खतरनाक और तेज दिमाग वाला इंसान। वो तुम्हारी बातों में नहीं फंसेगा ।"

"ये ही तो देखना है मुझे कि आगे क्या होता है।"

"अब तो तुम चाह कर भी मामला वापस नहीं खींच सकते । तुम तीर चला चुके हो और देवराज चौहान खतरे में पड़ चुका...।"

"तुम्हारे आदमी देवराज चौहान को ढूंढ रहे हैं न ?"

"वो तब तक उसकी तसल्ली करते रहेंगे जब तक वो या उसकी तलाश नहीं मिल जाती ।" मार्शल का गम्भीर स्वर कानों में पड़ा--- "अगर तुम्हें कोई सफलता मिले तो मुझे फौरन बताना । ये तुम्हारे अकेले का काम नहीं है।"

■■■

एक आदमी सलीम खान के पास उसी ठिकाने पर तस्वीर दे गया ।

सलीम खान ने तस्वीरें देखी ।

स्पष्ट था कि एक तस्वीर तारिक मोहम्मद की थी और देवराज चौहान से शक्ल मिलने का मतलब ही नहीं था।

सलीम खान की आंखें सिकुड़ गई । वो अंसारी के पास आकर बोला ।

"देख अंसारी, ये है तारिक मोहम्मद ।" उसने तस्वीर दिखाई--- "जो कि शुरू से ही हमारे पास नहीं पहुंचा ।"

"इसका...इसका क्या मतलब ? हक्का-बक्का सा अंसारी कह उठा ।"

"इसका मतलब है कि मुझे फोन करने वाला जगमोहन नाम का आदमी सही कहता है कि ये हिंदू है, ये तो स्पष्ट हो गया कि ये तारिक मोहम्मद नहीं ये पाकिस्तान से नहीं आया ये सच में कोई हिंदू है, जैसे कि जगमोहन कहता...।"

"तारिक मोहम्मद कहां गया ?"

"मेरे ख्याल में उसे रास्ते में ही पकड़ लिया गया है । शायद नेपाल से आने वाले रास्ते में। उसकी जगह किस ने ले ली । इसका नाम सुरेंद्र पाल हो सकता है । तभी तो इसने कहा कि ड्राइविंग लाइसेंस और पैन कार्ड खो गया । क्योंकि उन पर तारिक मोहम्मद की तस्वीरें लगी थी। ऐसे में उनका खो जाना ही ठीक था ।" सलीम खान ने गम्भीर स्वर में कहा ।

"ले-लेकिन ये सब हुआ कैसे बड़े भाई ?"

"हमारे नेटवर्क में कोई गद्दार है । जरूर उसकी वजह से हमारा प्लान बाहर निकला। ऐसा कोई आदमी मुझे तो अपने आस-पास नहीं दिखता। वो गद्दार हामिद अली की तरफ का ही होगा। हिन्दुस्तान वालों से मिला हुआ है ।"

"ये संभव नहीं बड़े भाई ।"

"ये ही हुआ है ।" सलीम खान ने दृढ़ स्वर में कहा ।

"तारिक मोहम्मद कहां है ?"

"ये भी पता चल जाएगा ।" सलीम खान ने कहा और आगे बढ़कर कुर्सी पर जा बैठा।

सामने दीवार से टेक लगाए देवराज चौहान, उसे ही देख रहा था।

"तस्वीरें आ गई है पाकिस्तान से ।" सलीम खान ने देवराज चौहान से कहा--- "तुम्हारा भेद खुल गया है कि तुम तारिक मोहम्मद नहीं हो । तुमने हमें अच्छा भी खूब बनाया। इतना बड़ा काम तुम अकेले नहीं कर सकते । सही कहा न मैंने ।"

देवराज चौहान उसे देखता रहा ।

"सुरेंद्र पाल नाम है तुम्हारा ?"

देवराज चौहान ने कुछ नहीं कहा ।

"अब चुप रहने का फायदा नहीं । तुमने ऐसा काम किया है कि तुम्हें जिंदा नहीं छोड़ा जा सकता। फिर भी मैं तुम्हें जिंदा छोड़ने के बारे में सोच सकता हूं अगर तुम सब कुछ मुझे बता दो कि ये सब तुमने किसके साथ मिलकर किया और हमारी इस योजना की जानकारी तुम्हें किसने दी । क्या तुम पुलिस वाले हो ?"

"नहीं ।" देवराज चौहान ने कहा ।

"फिर ये काम क्यों किया ?"

देवराज चौहान ने मुंह बंद रखा ।

"क्या हम में से तुम्हारी किसी के साथ दुश्मनी है ?" सलीम खान ने पूछा ।

"नहीं ।"

"किसी ने पैसे दिए इस काम को करने के लिए ।" सलीम खान गम्भीर था ।

देवराज चौहान चुप रहा ।

"बोलो । किसी ने पैसे दिए इस काम को करने के। ऐसा है तो बताओ कौन है वो ?"

देवराज चौहान कुछ नहीं बोला ।

"हमारे प्लान के बारे में तुम्हें किसने बताया। ये तो पक्का है कि कोई हमारा ही आदमी है जिसने गद्दारी की ।"

देवराज चौहान सलीम खान को देखता रहा ।

"तो तुम कुछ नहीं बताने वाले ।"

"कभी नहीं ।" देवराज चौहान ने दृढ़ स्वर में कहा ।

"तुम हिंदू हो ?"

"हां ।"

"तो तुम्हारा नाम सुरेंद्र पाल है ।" सलीम खान सोच भरी निगाहों से देवराज चौहान को देख रहा था ।

देवराज चौहान चुप रहा ।

"जगमोहन कौन है ?"

"वो हरामजादा है । मक्कार है वो । धोखेबाज है और मौके का फायदा उठा रहा है ।" देवराज चौहान सख्त स्वर में बोला ।

"तुम उसे कैसे जानते हो ?"

देवराज चौहान ने होंठ भींच लिए ।

सलीम खान उठा और अंसारी से कह उठा ।

"ये सोचना कि, ये हमें कुछ बताएगा, वक्त की बर्बादी के सिवाय कुछ नहीं ।"

"फिर इसका क्या किया जाए ?"

सलीम खान जेब से मोबाइल निकाल कर कह उठा ।

"जगमोहन से बात करनी होगी । जिसने मुझे फोन करके बताया था कि ये तारिक मोहम्मद नहीं, कोई हिंदू व्यक्ति है। उसका कहना है कि वो और भी बातें बता सकता है । हमसे बात करने के पीछे उसका भी कोई मकसद निकलता है ।"

"जगमोहन ने कहा ये ?"

"इशारा दिया था ।"

देवराज चौहान एकटक सलीम खान को देख रहा था।

सलीम खान ने मोबाइल में से जगमोहन का नम्बर निकाला और कॉल करने फोन कान से लगा लिया।

बाकी के छः लड़के इधर-उधर बैठे यहां होता यहां सारा मामला देख रहे थे ।

अशफाक और उसके दोनों साथी भी वहां मौजूद थे ।

खामोशी उभरी हुई थी उनके बीच ।

सलीम खान ने मोबाइल कान से लगा रखा था। दूसरी तरफ बेल जा रही थी ।

"हैलो ।" तभी जगमोहन की आवाज कानों में पड़ी ।

"जगमोहन ?" सलीम खान बोला ।

"हां ।"

"मैं...पहचाना ?"

"पहचान गया सलीम खान । मेरी बात के सच-झूठ को अभी तक जान सके कि नहीं ?"

"तुम सही थे ।"

"मुझे तो पता था । परंतु तुम अब जाने हो । ये जान कर कैसा लगा कि जिसे तुम तारिक मोहम्मद समझ रहे थे वो हिंदू निकला।"

"उसका नाम सुरेंद्र पाल है ?"

"नहीं ।"

"तो कौन है वो ?"

"तुम्हारी ये ही बुरी बात है कि सबकुछ फोन पर ही जान लेना चाहते हो। जबकि मेरे पास बताने को बहुत कुछ है जो कि फोन पर नहीं बताया जा सकता फिर मेरा अपना भी तो कुछ मतलब है, तुम्हें बताने के एवज में...।"

"क्या चाहते हो ?"

"मिलेंगे । बात करेंगे ।"

"वो अपना मुंह नहीं खोल रहा । कुछ भी नहीं बता नहीं रहा कि उसने क्या चक्कर चला रखा था ।"

"मैं काफी कुछ जानता हूं ।" जगमोहन की आवाज सलीम खान के कानों में पड़ी ।

"काफी कुछ ?"

"शायद सब कुछ ।"

"तो कब बताओगे ?"

"हम मिलेंगे । मैं अपनी शर्त सामने रखूंगा । मेरी बात पसंद आई तो आगे बढ़ेंगे, नहीं तो रास्ते अलग होंगे हमारे।"

"मैं इस तरह किसी से नहीं मिल सकता । पुलिस को जबरदस्त तलाश है मेरी...।"

"उससे मुझे कोई मतलब नहीं । मिले बिना बात नहीं होगी ।"

"मैं अपना आदमी तुम्हारे पास भेजता हूं । वो तुमसे बात करेगा।"

"तुम्हारे आदमी से मैं क्या बात करूंगा सलीम खान । तुमसे बात करके ही कुछ हो सकता है ।"

"मेरे आदमी से मिल लो । जगह बताओ । ये बताओ कि तुम्हें पहचानेगा  कैसे ?"

जगमोहन ने सब कुछ बता कर उधर से फोन बंद कर दिया ।

सलीम खान ने फोन हटाया तो अंसारी बोला ।

"मैं मिलूं उससे ?"

"नहीं । तुम्हारा मिलना ठीक नहीं होगा । हमें नहीं मालूम कि वो कौन है । कहीं ये भी चाल न हो हमारे लिए और वापसी पर कोई तुम्हारा पीछा करने लगे ।" सलीम खान की निगाह देवराज चौहान पर गई--- "ये उस जगमोहन को गालियां दे रहा है । इससे इतना तो जाहिर है कि जगमोहन और ये एक दूसरे को बखूबी जानते हैं । गड़बड़ होने के चांस कम ही हैं ।

"तो किसे भेजेंगे उसके पास ?"

"शब्बीर को फोन लगाता हूं । वो बात करेगा जगमोहन से ।" कहने के साथ ही सलीम खान मोबाइल पर नम्बर मिलाने लगा।

■■■

जगमोहन सायन की मार्केट में जयपुर मिठाई वाले की दुकान के बाहर देर से खड़ा था । उसने हाथ में लाल रंग की डंडी वाला गुलाब पकड़ा हुआ था । मार्किट में लोग आ-जा रहे थे । परंतु उसे इंतजार था सलीम खान के आदमी के आने का। उसकी योजना रंग ला रही थी परंतु धीरे-धीरे। सलीम खान का ध्यान उसकी तरफ हो रहा है । देर से ही सही, वो फंसेगा जरूर ।

तभी उसके पास तीस बरस का युवक पहुंचकर ठिठका ।

जगमोहन ने उसे देखा ।

"ये लाल गुलाब तुमने मेरे लिए ही पकड़ रखा है ।" वो बोला ।

"तुम्हारा नाम ?"

"शब्बीर ।"

"मेरा नाम जगमोहन है ।" जगमोहन लाल गुलाब एक तरफ फेंका--- "किसके कहने पर मुझसे मिलने आये हो ?"

"सलीम खान ।" शब्बीर बोला--- "कहीं बैठकर बातें हो जाए तो...।"

"हममें ऐसी कोई बात नहीं है जो बैठकर हो । तुम मुझे देखने आए हो । टटोलने आए हो ।" जगमोहन ने शांत स्वर में कहा--- "अच्छा यही होता अगर तुम्हारी जगह मैं सलीम खान से मिल रहा होता । तब बात कुछ तो आगे बढ़ती ।"

"बात अब भी आगे बढ़ेगी ।" शब्बीर मुस्कुराया--- "कहो क्या कहना चाहते हो ?"

"मेरी कही बात का सच तो सलीम खान जान गया है कि वो आदमी तारिक मोहम्मद नहीं, हिंदू है। मैं ऐसी कई बातें जानता हूं जिनका जवाब सलीम खान ढूंढ रहा होगा। वो बातें बता सकता हूं उसे ।"

"तो बता दो ।"

"लेकिन इसके पीछे मेरा अपना भी कोई मतलब है। मुफ्त में नहीं बताऊंगा ।" जगमोहन ने कहा ।

"पैसा चाहते हो ?"

"नहीं ।"

"तो ?"

"इस बारे में सिर्फ सलीम खान से ही बात होगी । तुम मुझे देखने आए थे, देख लिया मुझे ।"

"तुम हो कौन ?"

"मैं तुम्हारे किसी सवाल का जवाब नहीं देने वाला लेकिन मैं अंडरवर्ल्ड से वास्ता रखता हूं ।"

"अंडरवर्ल्ड से ?"

"हां । मेरा नाम जाने के बाद मेरे बारे में काफी कुछ जाना जा सकता है ।"

"तो तुम पुलिस के आदमी नहीं हो ।"

"बकवास मत करो। पुलिस तो मेरी तलाश में रहती है ।" जगमोहन ने तीखे स्वर में कहा ।

शब्बीर ने गहरी निगाहों से जगमोहन को देखा ।

"मेरी तस्वीर खींचना चाहते हो तो, खींच लो ।"

"क्या मतलब ?"

"तुम मुझे ऐसे देख रहे हो जैसे मेरी सूरत आंखों में बसाकर रहोगे और सलीम खान को दिखाओगे । तस्वीर क्यों नहीं खींच लेते मेरी ।

शब्बीर मुस्कुराया ।

"वो आदमी तारिक मोहम्मद क्यों बना हुआ था, तुम जानते हो ?" शब्बीर बोला ।"

"हां ।"

"उसकी सारी प्लानिंग जानते हो ?"

"काफी हद तक ।"

"सब कुछ सलीम खान को बताने को तैयार हो, परंतु तुम्हारी कोई शर्त है ।"

जगमोहन ने सहमति से सिर हिलाया ।

"ठीक है । मैं ये सारी बातें सलीम खान से कह दूंगा । कुछ और कहना चाहते हो ?"

"पहले ही मैंने तुमसे ज्यादा बात करनी है ।"

शब्बीर चला गया ।

परंतु जगमोहन मन ही मन सावधान था । सलीम खान उस पर नजर रख आ सकता था अब । उसका पीछा कर सकता था । ऐसे में उसने टैक्सी ली और बंगले की तरफ रवाना हो गया।

टैक्सी में बैठे उसने मार्शल को फोन करके बात की ।

"सलीम खान का आदमी मुझसे मिला । वो मुझे जांचने आया था ।"

"जो भी हो मुझे बताते रहना ।" मार्शल की आवाज कानों में पड़ी ।

जगमोहन ने फोन बंद कर दिया ।

■■■

सलीम खान ने मोबाइल कान पर लगाए रखा, हां-हूं करता रहा फिर फोन बंद कर दिया । पास खड़ा अंसारी फौरन कह उठा ।

"क्या कहता है शब्बीर ?"

"बात की जा सकती है जगमोहन से । वो कहता है कि अंडरवर्ल्ड का बंदा हो सकता है । ऐसा जगमोहन ने कहा ।" सलीम खान सोच भरे स्वर में बोला ।

"शब्बीर का पीछा तो नहीं किया गया ?"

"वो कहता है किसी ने उसका पीछा नहीं किया ।" सलीम खान ने अंसारी को देखा ।

"ये कोई चाल तो नहीं बड़े भाई ?"

"लगता तो नहीं । जगमोहन कहता है कि वो तारिक मोहम्मद के मामले की जानकारी रखता है और सब कुछ बता सकता है लेकिन उसकी कोई शर्त है। आगे की बात वो सिर्फ मुझसे ही करने को कह रहा है ।" सलीम खान के चेहरे पर सोच के भाव थे ।

"तो अब आप उससे मिलेंगे ?"

"फैसला नहीं कर पा रहा हूं ।" सलीम खान ने देवराज चौहान पर नजर मारी---" "अगर जगमोहन नाम का वो आदमी कोई चाल नहीं चल रहा तो उससे बात करना हमारे लिए फायदे का सौदा है ।"

"उसकी शर्त क्या है ?"

"अभी बात यहां तक नहीं पहुंची ।" सलीम खान ने मोबाइल निकाला--- "उसे यहां लाना पड़ेगा । तभी बात हो पाएगी ।"

"यहां ?" अंसारी के होठों से निकला--- "बड़े भाई, उसे यहां लाना ठीक नहीं होगा ।"

"साले ने दिमाग खराब कर दिया है ।" सलीम खान ने कहा और नम्बर मिलाने लगा ।

फिर फोन कान से लगा लिया ।

अगले ही पल जगमोहन की आवाज कानों में पड़ी ।

"क्या सोचा सलीम खान ।"

"तुमसे बात तो करनी पड़ेगी ।" सलीम खान ने कहा ।

"उसने मुंह नहीं खोला अभी तक ?"

"वो सख्त जान है । मरने को तैयार है पर कुछ बताने को नहीं।"

"वो हरामी है ही ऐसा ।"

"तुम्हारी क्या दुश्मनी है उससे ?"

"मिलोगे तो जान जाओगे ।"

"इन सब बातों से तुम्हारा क्या मतलब निकलता है ?"

"तुम्हें पता चल जाएगा ।"

"मैं अभी जानना चाहता हूं कि तुम्हारी शर्त क्या है । हो सकता है मुझे तुम्हारी शर्त पसंद न आए ।"

"उससे तुम्हें कोई परेशानी नहीं होने वाली ।"

"तो अभी बताओ । उसके बाद ही मैं कुछ कह सकूंगा ।"

"मैं उसे अपने हाथों से मारूंगा । परंतु उससे पहले ही मैंने उससे कुछ जानना है ।" जगमोहन का कठोर स्वर सलीम खान के कानों में पड़ा ।

"तो उससे पंगा है तुम्हारा ।"

"पंगे के लिए मैं ऐसे ही किसी मौके की तलाश में था । अब काम की बात करो ।"

"कहां मिलोगे ?"

"जहां तुम कहो । मैं उसके पास पहुंचना चाहता हूं । तभी तो मेरी शर्त पूरी होगी ।"

सलीम खान के चेहरे पर सोच के भाव नाच रहे थे ।

"तुम माहिम लोकल स्टेशन के बाहर मिलो एक घंटे बाद ।"

"वहां तुम खुद आओगे न । इस बार में तुम्हारे किसी आदमी से बात नहीं करूंगा ।"

"वहां तुम्हें मेरा आदमी मिलेगा, जो तुम्हें मुझ तक ले आएगा ।" सलीम खान ने कहकर फोन बंद कर दिया ।

पास खड़ा अंसारी कह उठा ।

"आप आप क्या करने की सोच रहे हैं बड़े भाई ।"

"जगमोहन को यहां लाए बिना बात नहीं बनेगी । अशफाक जगमोहन से माहिम स्टेशन से बाहर मिलेगा वो उसे यहां तक लाएगा और तुम दूर रहकर इस बात का ध्यान रखोगे कि कोई पीछा तो नहीं कर रहा ।" सलीम खान ने कहा और उठकर देवराज चौहान के पास पहुंचा ।

देवराज चौहान अभी तक दीवार से टेक लगाए बैठा था। नींद से उसकी आंखें बंद थी। आहट पाकर उसने आंखें खोली ।

"जगमोहन यहां आने वाला है । यहां लाया जा रहा है उसे ।" सलीम खान बोला--- "जिन सवालों के जवाब तुम नहीं दे रहे, वो कहता है उसके पास सारे जवाब है । वो मुझे सब कुछ बताने को तैयार है, पर उसकी शर्त है ।"

देवराज चौहान चुप रहा ।

"पूछोगे नहीं कि उसकी शर्त क्या है ।" सलीम खान ने कड़वे स्वर में कहा ।

"पूछने की जरूरत नहीं ।" देवराज चौहान बोला--- "मैं जानता हूं जो तुम बताने वाले हो ।"

"वो तुम्हें अपने हाथों से मारना चाहता है । मेरे लिए तो ये मामूली-सी शर्त है। हम मारें या वो मारे, मरना तो तुमने है ही ।"

"जगमोहन को यहां बुलाकर तुमने बुरा किया ।" देवराज चौहान ने होंठ भींचकर कहा ।

■■■

जगमोहन माहिम स्टेशन के बाहर मौजूद था । अभी-अभी वहां पहुंचा था और मोबाइल निकाल कर उसने मार्शल का नम्बर मिलाया ।

"कहो ।"

"सलीम खान मुझे अपने पास बुलाने जा रहा है ।" जगमोहन ने कहा ।

"मुझे बताओ कि तुम कहां हो । मेरे आदमी तुम पर नजर रखकर, सलीम खान तक पहुंच...।"

"नहीं मार्शल । ऐसा कुछ नहीं होगा । तुम मेरी मेहनत पर पानी फेर दोगे । अगर उन्हें पता चला कि पीछा किया जा रहा...।"

"मेरे आदमी ये शक नहीं होने देंगे ।

"मैं रिस्क नहीं ले सकता इस स्थिति में ।" जगमोहन ने स्पष्ट इंकार किया ।

"सलीम खान के यहां तुम फंस भी सकते हो । तुम्हें मेरी बात मान लेनी चाहिए ।"

"कभी नहीं ।" जगमोहन का स्वर दृढ़ था ।

"तो फोन क्यों किया ?" मार्शल का तीखा स्वर कानों ने पड़ा ।

"ये कहने के लिए जरूरत पड़ने पर तुम्हें फोन करूंगा । तब वहां के ताजा हालात बताऊंगा ।"

"और अगर तुम्हें फोन करने का मौका ही नहीं मिला तो ?"

जगमोहन में मोबाइल बंद करके वापस जेब में रख लिया ।

पांच मिनट भी नहीं बीते कि अशफाक उसके पीछे आ पहुंचा ।

"जगमोहन हो ।" उसने कहा ।

"हां, तुम ?" जगमोहन सतर्क हो गया ।

"सलीम खान ने भेजा है ।"

जगमोहन ने आस-पास नजर मारी ।

लोग आ जा रहे थे । सब ठीक दिखा ।

"कहां चलना है ?" जगमोहन ने पूछा ।

"मेरे साथ आओ ।"

अशफाक उसके लिए दूर खड़ी कार की तरफ बढ़ गया ।

"अकेले हो ?"

"कार में दो और भी हैं । तुम अपनी बात करो । यहां कितने आदमी पीछे आने के लिए छोड़ रखे हैं ।"

"बकवास मत करो ।"

"अगर तुम कोई चालाकी कर रहे हो तो बचने वाले नहीं ।" अशफाक बोला ।

"जहां भी शक लगे, वहीं पर मुझे कार से बाहर धक्का दे देना ।" जगमोहन ने कहा ।

दोनों कार में जा बैठे । दो आदमी भीतर थे । एक कार चला रहा था, दूसरा बगल में बैठा था ।

कार तेजी से आगे बढ़ गई ।

दस मिनट बाद अशफाक ने मोबाइल पर अंसारी से बात की ।

"क्या हाल है ?" अशफाक बोला ।

"तुम लोगों के पीछे कोई नही है । चलते रहो ।"

"ठीक है ।" अशफाक ने फोन बंद किया और जेब से काली पट्टी निकालकर जगमोहन को दी ।

"ये क्या है ?"

"अपनी आंखों पर बांध लो । हम नहीं चाहते कि तुम्हें पता चले कहां जा रहे हैं हम । चालाक मत बनना । तुम्हें कुछ भी नहीं दिखना चाहिए । अगर होशियारी दिखाई तो चलती कार से बाहर फेंक देंगे ।" अशफाक का स्वर कठोर था ।

"तुम खुद ही क्यों नहीं बांध देते ।" जगमोहन ने पट्टी उसकी तरफ बढ़ाते हुए कहा ।

■■■

"उसके ठिकाने पर पहुंचकर जगमोहन की आंखों पर से पट्टी खोली गई । जगमोहन ने आंखों को मसला फिर वहां देखा । सामने ही सलीम खान खड़ा था । परंतु वो उसे चेहरे से नहीं जानता था ।

तभी सलीम खान मुस्कुराया ।

"तुम हो सलीम खान ?" जगमोहन ने पूछा ।

"मैं ही हूं ।" सलीम खान ने कहा ।

जगमोहन उसकी आवाज पहचान गया ।

"पीछा तो नहीं किया गया ?" सलीम खान ने अशफाक से पूछा।

"अंसारी कहता है सब ठीक है ।"

"पीछा कौन करेगा ।" जगमोहन बोला--- "मैं अकेला ही तो आया हूं । किसी और का क्या काम ।

तभी अंसारी भी वहां पहुंच गया ।

"सब ठीक रहा ।" अंसारी बोला ।

"इसकी तलाशी लो ।" सलीम खान कह उठा ।

"ये जरूरी है ?" जगमोहन ने नाराजगी भरे स्वर में कहा ।

"दोस्त बनने के लिए परीक्षा तो देनी ही पड़ती है जनाब जगमोहन साहब ।" सलीम खान मुस्कुरा पड़ा ।

उसके बाद अंसारी ने जगमोहन की तलाशी ली ।

मोबाइल के अलावा दो रिवॉल्वरें उसके कपड़ों से निकाली गई।

"बढ़िया रिवॉल्वरें रखने के शौकीन लगते हो । दोनों रिवॉल्वरें अमेरिका की है और महंगी है ।" सलीम खान ने रिवॉल्वरों को देखकर कहा ।

"मेरे शौक महंगे होते हैं ।" जगमोहन कह उठा ।

"मोबाइल अपने पास रख लो अंसारी । इसे लेने की जरूरत नही ।" सलीम खान बोला ।

"जी ।"

"ऐसा क्यों ?" जगमोहन ने सख्त स्वर में कहा--- "तुम ऐसा नहीं कर सकते ।"

"तुम दोस्तों के बीच हो । जब भी फोन करना हो मांग लेना । ये सब सतर्कता के नाते है। हम सबके साथ ही ऐसा करते हैं । तुम्हें बुरा नहीं मानना चाहिए । कुछ देर की बात है । फिर हम दोस्त बन जाएंगे और फोन तो क्या तुम्हें रिवॉल्वरें भी दे देंगे ।"

"ठीक है । मुझे उसके पास ले चलो । उस कमीने को मैं एक बार देख लेना चाहता हूं ।" जगमोहन बोला ।

"आओ । मैं उसे बता चुका हूं कि तुम आ रहे हो । वो तुम्हें गाली दे रहा था ।"

"परवाह नहीं । अब मैं उसे जिंदा नहीं छोडूंगा...।"

सलीम खान उसे साथ लेकर आगे बढ़ गया ।

"तुमने कहा था कि उसे मारने से पहले उससे कुछ पूछना चाहते हो। क्या बात पूछनी हैं ?"

"सुन लेना । सब कुछ तुम्हारे सामने ही होगा ।"

"तुमने मुझे सब कुछ बताने का वादा किया है कि ये सब क्या हो रहा था और...।"

"सब कुछ बताऊंगा । जो मैं जानता हूं बताऊंगा एक बार उसकी सूरत तो देख लेने दो ।"

वे दोनों वहां पहुंचे जहां देवराज चौहान था । अशफाक और अंसारी भी पीछे से आ गए थे उधर । देवराज चौहान पर निगाह पड़ते ही जगमोहन मन ही मन तड़प उठा । देवराज चौहान बुरे हालत में, जख्मी था । उसे देखते ही जगमोहन समझ गया कि भरपूर यातना दी गई है उसे । कोई कसर नहीं छोड़ी गई । देवराज चौहान की निगाह जगमोहन पर जा टिकी ।

"अब देखता हूं तुझे कौन बचाता है ।" जगमोहन, देवराज चौहान पर गुर्रा उठा--- "तूने मुझे बहुत तंग किया । लेकिन अब तू कुछ भी करने के काबिल नहीं रहा । सलीम खान इसे बांधकर क्यों नहीं रखा ?"

"जरूरत नहीं समझी गई ।" सलीम खान बाकी सब लड़को की तरफ इशारा करते बोला--- "मेरे शेर यहां पर हैं । ये हिला भी तो सब इसे फाड़कर खा जाएंगे । ये बात ये भी जानता है ।"

जगमोहन ने उन सब पर निगाह नजर मारी ।

सबको फौरन पहचान गया । तस्वीर देख रखी थी सब की ।

"तुमने मुझे सही बताया था। कि ये तारिक मोहम्मद नहीं, हिंदू है। मैंने इस बात की तस्दीक कर ली है ।" सलीम खान ने कहा--- "अब मैं चाहता हूं कि तुम बाकी सब बातें भी बताओ । लेकिन पहले अपने बारे में बताओ । इसके साथ तुम्हारा क्या पंगा है । तुम कौन हो ?"

जगमोहन, सलीम खान को देखते कह उठा ।

"हैरानी की बात है कि तुम इसका मुंह नहीं...।"

"अपने बारे में बताओ ।" सलीम खान की नजर जगमोहन पर टिकी थी ।

"मेरा परिचय इसके बिना अधूरा है सलीम खान ।" जगमोहन ने कड़वी निगाहों से देवराज चौहान को देखते हुए कहा--- "पहले इसके बारे में बता देना जरूरी है कि ये कौन है । ये हिन्दुस्तान का माना हुआ डकैती मास्टर देवराज चौहान है ।"

"देवराज चौहान ?" सलीम खान उछल पड़ा ।

अंसारी और अशफाक भी चौंके ।

"जानते हो न देवराज चौहान को, जिसने पाकिस्तान जाकर अली को मारा था ।" (पढ़िए पूर्व प्रकाशित उपन्यास 'WANTED अली ' ।)

"ये-ये सच में देवराज चौहान है ?" सलीम खान हैरान था ।

"और मैं जगमोहन हूं । इसके खास साथी के तौर पर जाना जाता हूं ।" जगमोहन बोला ।

"क्या ?"

"तुम जगमोहन...इसके साथी ?" अंसारी कह उठा ।

सलीम खान और अंसारी की नजरें मिली ।

"मैंने इसका नाम सुन रखा है बड़े भाई ।" अंसारी बोला ।

"ये तो तुमने बहुत गलत किया जो यहां आ गए ।" सलीम खान होंठ सिकोड़े कह उठा--- "तुम...।"

"गलत मत सोचो ।" जगमोहन जहरीली मुस्कान से कह उठा--- "मेरा इससे पंगा हुआ पड़ा है ।"

"क्या ?"

"सारी उम्र हम दोनों डकैतियां करते रहे और दौलत को एक जगह पर रखते रहे कि जब वक्त आएगा बंटवारा हो जाएगा। परंतु मुझे कई बार लग रहा था कि ये बेईमानी कर रहा है । मैंने बहुत बार बंटवारा करने को कहा, परंतु ये टालता रहा । सप्ताह भर पहले मैंने उस जगह पर जाकर देखा, जहां दौलत रखी थी, परंतु ये वहां से सारी दौलत हटा चुका था। मुझे बताए बिना कहीं और रख दी, ये बेईमान हो चुका है तो अब मुझे भी बेईमान बनना पड़ा ।" जगमोहन कठोर स्वर में कह रहा था--- "ये अब मेरा दुश्मन है, जो मुझे कंगाल कर देना चाहता है । अब मैं इससे ये पूछुंगा कि सारी दौलत इसने कहां रखी है । इसके बाद इसे कुत्ते की मौत मार दूंगा । हमारी दौलत में तुम्हारी तो दिलचस्पी नहीं होगी सलीम खान । अगर ऐसा कुछ है तो पहले बता दो ।"

"मुझे अपने कामों से मतलब रहता है । मेरे पास बहुत दौलत है।" सलीम खान बोला--- "लेकिन तुमने जो कहा, वो सच है ?"

"पूरी तरह...।"

"अगर झूठ निकला तो बचेगा नहीं...।"

जगमोहन ने सलीम खान की आंखों में झांककर कहा ।

"तुम्हें क्या लगता है सलीम खान कि मैं पागल हूं जो तुम्हें फोन किया । तुम तक पहुंचा । क्या मैं ये नहीं जानता कि तुम मुझ पर शक कर सकते हो और मेरी जान भी ले सकते हो । परंतु मुझे मालूम है कि मैं अपनी बात साबित कर दूंगा ।"

"कैसे ?"

"इसका मुंह खुलवा कर कि वो सारी दौलत इसने कहां रख दी है और उसके बाद इसे तड़पा-तड़पा कर मारूंगा तो तुम्हें मेरी बात का यकीन आ जाएगा ।"

जगमोहन का चेहरा धड़क रहा था । नजरें देवराज चौहान पर थी ।

देवराज चौहान तीखी निगाहों से जगमोहन को देख रहा था ।

कुछ पल वहां खामोशी रही ।

"इसने पाकिस्तान जाकर अली की हत्या...।"

"इसके साथ मोना चौधरी भी थी । महाजन भी था ।" जगमोहन कह उठा ।

"और तुम ?"

"मैं था, परंतु अली को मारने के काम में मैंने हिस्सा नहीं लिया । हमारी अली से कोई दुश्मनी नहीं थी, इसलिए मैं नहीं चाहता था कि अली को मारें। परंतु उसने मेरी बात नहीं मानी और मोना चौधरी के साथ इस काम पर लगा रहा । इस बार भी इसने मुझे अपने साथ काम में लेना चाहा, परंतु मैंने स्पष्ट कह दिया कि पाकिस्तान जो करता है करे, मुझे कोई मतलब नहीं ।"

"इस बार का क्या मामला है ?"

"मार्शल को जानते हो ?" जगमोहन ने भिंचे होठों से कहा ।

"मार्शल ?" सलीम खान चौंका--- "मार्शल का इस मामले से क्या वास्ता ?"

तभी देवराज चौहान गुस्से से कांपता जगमोहन से कह उठा ।

"मुंह बंद कर ले, वरना मैं तुझे छोड़ूंगा नहीं ।

"तेरी मौत तेरे सिर पर नाच रही है देवराज चौहान ।" जगमोहन गुर्रा कर कह उठा--- "तेरा तो अब मैं बुरा हाल कर दूंगा ।"

"चुप हो जा ।"

"हमारा सारा पैसा कहां रखा है ?" जगमोहन ने कड़वे स्वर में पूछा ।

"बहुत संभाल के रखा है ।"

"कहां ?"

"वो मेरी मेहनत का पैसा है ।" देवराज चौहान ने कहा ।

"उस पर मेरी मेहनत भी है । वो हम दोनों का पैसा है । तुम वो सारा नहीं ले सकते ।"

"वो सिर्फ मेरा...।"

सलीम खान बोल पड़ा ।

"तुम मुझसे बात करो जगमोहन । अपना मामला बाद में निपटाना । पहले मुझे बताओ । मार्शल के बारे में तुम क्या कह रहे थे ।"

"इस सारे मामले के पीछे मार्शल है ।" जगमोहन ने सलीम खान से कहा--- "देवराज चौहान ने दस करोड़ रुपया लिया है, मार्शल का ये काम करने के लिए । ये चाहता था कि मैं भी इसके साथ काम करूं । परंतु मैंने इंकार कर दिया ।"

"पूरी बात बता । सब कुछ बता ।" सलीम खान के चेहरे पर सख्ती आ ठहरी थी ।

"मार्शल के पास खबर थी कि हामिद अली सात लड़कों को पाकिस्तान से मुम्बई भेज रहा है ।"

"ये खबर मार्शल को कैसे मिली ?"

"मार्शल के पास तो ये भी खबर थी कि हर लड़का कौन-कौन से शहर से है । उसे ये भी पता था कि इन्हें डेढ़ साल की ट्रेनिंग दी गई और वक्त आने पर इन्हें हामिद अली के दाऊद खेल के ठिकाने पर इकट्ठा किया गया है । उसे ये भी पता था कि इन्हें वहां से मुम्बई पहुंचाने के लिए चीन और नेपाल का रास्ता इस्तेमाल किया जा रहा है ।"

"हैरानी है । अंदर की खबरें मार्शल को कैसे मिल गई ?" सलीम खान उलझन में दिखा ।

"तुम लोगों में कोई गद्दार होगा ।"

"अब तो ऐसा ही लगता है ।"

"मार्शल को सब पता था कि हामिद अली क्या करता फिर रहा है, परंतु मार्शल यहां फंस गया कि हामिद अली ने मार्शल की जासूसी एजेंसी के बीच से ज्यादा एजेंटों की तस्वीरें सातों लड़कों को दिखाकर, हिन्दुस्तान में इन एजेंटों से सतर्क रहने को कहा। जिस तरह मार्शल हामिद अली के बारे में काफी कुछ जानता है, उसी तरह हामिद अली भी मार्शल के बारे में जानता है। अब मार्शल को नहीं पता था कि उसके किस-किस एजेंट की तस्वीर इन लड़कों को दिखाई गई है। ऐसे में मार्शल के सामने समस्या आ गई कि इस काम पर उसने अपने एजेंटों को लगाया तो वो इन लड़कों द्वारा पहचाने जा सकते हैं ।"

सलीम खान और बाकी सब ध्यान से उसकी बातें सुन रहे थे ।

"ऐसे में मार्शल ने देवराज और मेरे से ये काम लेने की सोची ।"

"मार्शल, तुम लोगों को कैसे जानता है ?"

"पुरानी पहचान नहीं है । बस एक बार पहले उसके लिए काम किया था ।" जगमोहन गम्भीर स्वर में बोला--- "तो...।"

"चुप हो जा ।" देवराज चौहान गुस्से से बोला--- "मैं तुम्हें मार दूंगा ।"

परंतु देवराज चौहान की परवाह न करके जगमोहन कह उठा ।

"मार्शल इससे मिला । बताया कि उसके सामने क्या समस्या आ गई है । ऐसे में हम उसका ये काम करें । मार्शल ने अपना प्लान भी बताया । परंतु मैंने साफ मना कर दिया कि उसके किसी भी काम में मेरी दिलचस्पी नहीं है । परंतु देवराज चौहान दस करोड़ के लालच में मार्शल का काम करने को तैयार हो गया । इसे मना भी किया, परंतु इसने मेरी बात की जरा भी परवाह नहीं की । मैं पीछे हट गया । ये मार्शल के लिए काम करने लगा ।"

"मार्शल की क्या प्लानिंग थी ?" सलीम खान ने भिंचे होंठों से पूछा ।

"वो ही बता रहा हूं । मार्शल के पास तुम्हारे सातों लड़कों की तस्वीर थी ।"

"सातों की तस्वीरें--- "ये कैसे हो सकता है ?" सलीम खान के होंठों से निकला--- "उसे तस्वीरें कहां से मिली ?"

"तुम लोगों में जो गद्दार है,  उसी ने भेजी होंगी ।"

"वो गद्दार हामिद अली के आस-पास कहीं है ।"  सलीम खान गुर्रा उठा ।

"सातों के नाम-तस्वीरें-उम्र सब कुछ मार्शल के पास था और...।"

"ये तो बुरी खबर सुना रहे हो ।"

"आगे सुनो, मार्शल में देवराज चौहान का इस्तेमाल कहां किया। मैं बेशक इस काम में नहीं था, परंतु कभी मार्शल द्वारा तो कभी देवराज चौहान द्वारा मुझे सब खबरें मिल रही थी । मार्शल को पता था कि सातों लड़के चीन होते हुए नेपाल के रास्ते इंडिया में प्रवेश करेंगे । ऐसे में देवराज चौहान और मार्शल के बारह एजेंट मेकअप कर नेपाल पहुंचे और उन रास्तों पर नजर रखने लगे, जहां से इंडिया में प्रवेश किया जा सकता था। सबके पास सातों लड़कों की तस्वीरें थी और तीन लोग नजर में आ गए, जिनमें तारिक मोहम्मद भी था । ऐसे में मौका देखकर देवराज चौहान ने तारिक मोहम्मद पर काबू पाया और तारिक मोहम्मद बनकर मुम्बई आ पहुंचा ।"

"मेरा फोन नम्बर इसने तारिक मोहम्मद से लिया ?" हलीम खान ने पूछा ।

"नहीं । मार्शल ने दिया । ये नम्बर मार्शल के पास, तस्वीरों के साथ ही आया था । मार्शल ने बताया ।"

सलीम खान के चेहरे पर कठोरता नाच उठी ।

"तारिक मोहम्मद का क्या हुआ ?"

"उसे मार्शल के आदमी पकड़ कर ले गए ।"

"अब वो कहां है ?"

"मार्शल की कैद में । परंतु मैं जानता हूं कि उसे कहां रखा हुआ है । तुम उसे छुड़ाना चाहोगे ?"

"जरूर ।"

"मैं बता दूंगा वो कहां है । मेरा आदमी उस जगह पर नजर रखे हुए हैं ।" जगमोहन ने कहा ।

तभी देवराज चौहान गुस्से से कह उठा ।

"तुम बहुत गलत हरकत कर रहे हो ।"

"और तुमने जो किया । सारी उम्र की कमाई को दबाकर बैठ गए हो । भूल गए हो कि उसमें आधी मेरी है ।" जगमोहन ने गुस्से से कहा ।

"वो सारी दौलत मेरी है ।" देवराज चौहान ने भी गुस्से से कहा ।

"फुर्सत पा लूं । फिर बताऊंगा कि किसकी है ।" जगमोहन ने दांत भींचकर कहा ।

"फिर क्या हुआ ?" सलीम खान ने सख्त स्वर में पूछा ।

"ये तुम तक पहुंच गया । तुम्हारे वो बेसमेंट वाले ठिकाने पर था ये । मैं बहाने से मार्शल को फोन करता और खबर ले लेता था । इसी दौरान ही मैंने उस गुप्त जगह पर जाकर सारी दौलत को देखना चाहा, जब वहां पहुंचा तो एक पैसा भी वहां नहीं था । मैं समझ गया कि देवराज चौहान मेरे से गद्दारी कर गया । ये बे-ईमान हो गया है तो मैं भगवान से कहने लगा कि ये जिंदा लौट आए, ताकि इतनी सारी दौलत...।"

"अपनी बात बीच में मत लाओ । अभी सिर्फ मेरे काम की बातें करो ।" सलीम खान कह उठा ।

जगमोहन सिर हिलाकर कह उठा ।

"मार्शल को शुरू से ही मालूम था कि सारे लड़के बोरी-बंदर इलाके की किस जगह पर है । मार्शल चाहता तो तभी सबको पकड़ लेता परंतु वो तो तुम्हें पकड़ने का था । बस, इसी चक्कर में धोखा खा गया ।"

"कैसे ?"

"मार्शल ने देवराज चौहान से कहा था कि जब सलीम खान वहां हो तो उसे खबर कर देना । तभी रेड की जाएगी । परंतु शायद तुम वहां नहीं पहुंचे । या पहुंचे तो इसे मौका नहीं मिला होगा, ये बात मार्शल को बताने का और...।"

"व्यस्तता के कारण मैं जा नहीं पाया था ।" सलीम खान बोला ।

"वो ही तो । तुम वहां पहुंचे नहीं और रेड में देर होती रही । इस दौरान वहां के लोगों को इस पर किसी तरह का शक हो गया और वो जगह खाली कर दी गई । जब वहां मार्शल के एजेंट ने रेड की तो कुछ भी नहीं मिला । ये भी नहीं मिला ।"

"इस पर शक हो गया कि ये मोबाइल पर खबरें बाहर दे रहा है।" अंसारी ने कहा--- "तभी वो जगह छोड़ी ।"

"ठीक ही तो शक हुआ था ।" जगमोहन ने कड़वी निगाहों से देवराज चौहान को देखा--- "मुझे अगले दिन पता चला कि मार्शल की सारी योजना फेल हो गई है तो मुझे देवराज चौहान की चिंता हुई कि अगर तुम लोगों ने इसे मार दिया तो मैं कैसे जान पाऊंगा की इतनी सारी दौलत कहां रख दी है । ऐसे में मैंने बहाना बनाकर मार्शल से तुम्हारा फोन नम्बर लिया और तुम्हें फोन कर दिया ।

सलीम खान के चेहरे पर क्रोध और गम्भीरता नाच रही थी ।

"ये है सारा मामला । इसके अलावा और कुछ जानना चाहते हो तो बोलो ।" जगमोहन ने गम्भीर स्वर में कहा---" "परंतु अपने वादे पर कायम रहना । देवराज चौहान से डकैतियां की दौलत के बारे में पूछ कर इस हरामी को मैं ही मारूंगा ।"

"मुझे उस गद्दार के बारे में जानना है जो हामिद अली की खबरें मार्शल को देता है ।"

"वो पाकिस्तान में रहता है । इतना तो उसके बारे में मार्शल ने बताया था ।"

"उसका नाम ?"

"वो नहीं बताया ।"

"तुमने पूछा था ?"

"पूछा था । परंतु इस बात के लिए मैंने ज्यादा जोर नहीं दिया कि वो बताए ।"

"मार्शल से तुम्हारी बात अभी भी होती है ?"

"हां । उसे फोन करके पूछ लेता हूं कि देवराज चौहान को ढूंढा कि नहीं । इस तरह मुझे ताजा खबरें भी मिल जाती हैं ।"

"तो मार्शल से फोन पर बात करके पूछो कि हामिद अली की बगल में वो कौन है, जो उसे खबरें देता है ।"

"सीधे-सीधे पूछूंगा तो वो शक करेगा कि मैं अचानक ही ये बात क्यों पूछने लगा ।"

"मुझे उस गद्दार का नाम जानना है । हर हाल में, हर कीमत पर जानना है ।" सलीम खान गुर्रा उठा।

"कोशिश करूंगा कि मार्शल के मुंह से उसका नाम जान सकूं ।" जगमोहन ने गहरी सांस लेकर कहा ।

"अगर तुम उस गद्दार का नाम मुझे बता देते हो तो देवराज चौहान तुम्हारा हुआ ।"

"क्या मतलब ?"

"तब मैं देवराज चौहान को पूरी तरह तुम्हारे हवाले कर दूंगा कि तुम इससे उस दौलत के बारे में पूछ कर इसे मार सकते हो।"

"लेकिन सलीम खान । ऐसी कोई शर्त हमारे बीच पहले तो नहीं थी । जो बातें मैंने तुम्हें बताई,  इन सब बातों को जानने के बदले तुमने मुझे ये मौका देना था कि मैं देवराज चौहान से उस दौलत के बारे में पूछ लूं, फिर इसकी हत्या कर दूं ।"

"ये मेरी शर्त नहीं, मेरी जरूरत है । गद्दार का नाम जाने बिना बातें अधूरी हैं ।" सलीम खान ने शब्दों को चबाकर कहा--- "वैसे भी ये बहुत पक्का है । इतनी आसानी से तुम्हें दौलत के बारे में नहीं बताने लगा ।"

"वो मैं जान लूंगा ।" जगमोहन ने विश्वास-भरे स्वर में कहा---, "इसका तो मैं बुरा हाल कर दूंगा ।"

"तुम जो भी करो । बस मुझे उस गद्दार का नाम बता दो ।" सलीम खान ने फैसले वाले स्वर में कहा ।

"मैं तुम्हारे सामने ही मार्शल से बात करूंगा । मोबाइल का स्पीकर ऑन कर दूंगा । सुनते रहना की क्या बात हो रही है । मैं अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोडूंगा । आगे तुम्हारी किस्मत।" जगमोहन गम्भीर स्वर में कहा ।

"तारिक मोहम्मद कहां है ?"

"आखिरी खबर के मुताबिक से अंधेरी में, एक पेट्रोल पंप के पीछे बने कमरे में रखा गया है । पहले उसे कहीं और रखा गया था । लेकिन दोपहर को मिली खबर के मुताबिक उसे वहां पहुंचा दिया गया है ।"जगमोहन गम्भीर स्वर में सलीम खान को देखकर बोला--- "मुझे मेरा फोन दो, अपने आदमी से पूछता हूं कि अब क्या पोजीशन है ।"

सलीम खान ने अपना मोबाइल निकाल कर उसे दिया ।

"मैंने अपना मोबाइल मांगा है ।" जगमोहन ने कहा ।

"कॉल तो इससे भी की जा सकती...।"

"किसी दूसरे नम्बर से फोन करूंगा तो वो कॉल रिसीव नहीं करेगा । ये उसके-मेरे बीच तय है ।"

सलीम खान ने अंसारी को इशारा किया ।

अंसारी ने आगे बढ़कर, जगमोहन का मोबाइल उसे दिया ।

जगमोहन ने मोबाइल से मार्शल का नम्बर मिलाया और फोन कान से लगा लिया ।

"ये तुम ठीक नहीं कर रहे ।" देवराज चौहान दांत भींचकर कह उठा--- "मैं तुम्हें जिंदा नहीं छोडूंगा ।"

"अपनी जान की परवाह कर ।" जगमोहन ने कड़वे स्वर में कहा--- "तू बचने वाला नहीं ।"

तभी मार्शल की आवाज कानों में पड़ी ।

"हैलो ।"

"मार्शल ।" जगमोहन बोला--- "तारिक मोहम्मद उसी पेट्रोल पंप के पीछे वाले कमरे में है या उसे कहीं और ले जाया...।"

"उसे वही पहुंचा दिया गया है, जहां तुमने कहा था ।" मार्शल की गम्भीर आवाज कानों में पड़ी ।

"गुड । वहां कितने लोग ठहरे पर हैं ?" जगमोहन ने पूछा ।

"एक ही आदमी वहां है । ऐसा ही तुमने कहा था ।"

"एक आदमी तो बहुत अच्छी बात है ।"

"अपना ध्यान रखना ।" उधर से मार्शल ने कहा ।

"तुम मुझे फोन मत करना मनोहर । मैं ही तुम्हें फोन करूंगा । वहां पर नजर रखते रहो । जरूरत पड़ी तो मैं फिर फोन करूंगा।" जगमोहन ने बात करने के बाद फोन लिस्ट से मार्शल का नम्बर साफ किया और अंसारी को फोन थमाते सलीम खान से बोला--- "तारिक मोहम्मद वहीं पर है जहां दोपहर को लाया गया । अंधेरी के एक पेट्रोल पंप के पीछे बने कमरे में उसे रखा गया है और एक आदमी पहरे पर है । मौका अच्छा है। अगर तुम उसे वहां से आजाद कराना चाहते हो तो फौरन कार्यवाही कर देनी चाहिए ।"

"उस पेट्रोल पम्प के बारे में ही ठीक तरह समझाओ कि वो कहां...।"

"इसकी क्या जरूरत है। मैं साथ चलता हूं । मेरा आदमी वहां नजर भी रख रहा है । मैं साथ रहा तो और भी बढ़िया होगा ।"

सलीम खान के चेहरे पर सोच के भाव दिखे ।

"ठीक है, मैं तुम्हें पेट्रोल पम्प के बारे में बता देता...।" जगमोहन ने कहना चाहा ।

"तुम अशफाक के साथ जाओ । अपने दोनों साथी भी साथ ले जाना अशफाक ।"

"जी बड़े भाई ।"

अगले दस मिनट में जगमोहन, अशफाक और अशफाक के दोनों साथी बाहर निकल गए ।

अंसारी सलीम खान के पास आकर धीमे स्वर में कह उठा ।

"जगमोहन के बारे में क्या विचार है बड़े भाई । वो सच कहता लगता था...।"

"मुझे तो वो सच बोलता लगा ।" सलीम खान ने सोच-भरे स्वर में कहा--- "परंतु अभी सब सामने आ जाएगा ।"

"कैसे सामने आएगा ?"

"वो मोबाइल पर उस आदमी का नाम पूछेगा मार्शल से । तब स्पीकर खुला होगा मोबाइल का और बातचीत हम भी सुन रहे होंगे ।

"आपके ख्याल से गद्दार कौन होगा हामिद अली के पास ।"

"दाऊद के ठिकाने पर कई लोग हैं । किसी को भी मार्शल ने खरीद लिया होगा । जगमोहन फंसा पड़ा है। डकैतियों की सारी दौलत देवराज चौहान ने कहीं छिपा दी है । उस दौलत को पाने के लिए देवराज चौहान चाहिए। देवराज चौहान उसे तभी मिलेगा । जब वो गद्दार के बारे में मुझे बता देगा । ऐसे में वो मार्शल से गद्दार का नाम जानने की पूरी चेष्ठा करेगा ।"

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