10 सितम्बर, सोमवार
रणवीर सिंह सुबह जल्दी ही अपने ऑफिस में पहुँच गया था । सुबह आठ बजे आते ही उसने वह सारे कागजात निकाल लिए, जो उसे अपने मुखबिर हरिया से रात को मिले थे । रात को वह उसमें से कुछ ही डाक्यूमेंट्स को देख पाया था और बाकी वह अपने साथ उठा लाया था ।
उन डाक्यूमेंट्स को देखते-देखते कब नौ बज गए उसे पता ही नहीं चला । उसने घंटी बजाकर असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर दिनेश को बुलाया ।
“यस सर !” दिनेश ने ऑफिस में आते ही कहा ।
“बैठो दिनेश ! मैंने अनिकेत का लैपटॉप और मोबाइल तुम्हें दिया था । क्या उसमें तुमने रिकॉर्ड को चेक किया ? अगर कोई खास बात पता चली हो तो उसकी रिपोर्ट मुझे बताओ ।”
“सर, मैं उस लैपटॉप को गुड़गाँव के साइबर सेल में ले गया था । वहाँ पर लैपटॉप और मोबाइल से हमने अनिकेत का डाटा ट्रेस किया है, जिसमें उसकी कॉन्टेक्ट लिस्ट और कॉल रिकॉर्ड हमें मिले हैं । उसके मोबाइल की लोकेशन का रिकॉर्ड भी अब हमारे पास है । उसके लैपटॉप से कुछ फाइल डिलीट की गई थी, जिसे हमने रिट्रीव कर लिया है । इन सब का प्रिंट इस फ़ाइल में है ।” दिनेश एक फ़ाइल रणवीर के सामने रखता हुआ बोला ।
“कौन-सी फाइल डिलीट की गई हैं ? इसमें हमारे लिए कोई काम की बात है तो बताओ ?”
“सर, जो फाइल डिलीट की गई है, उसमें से अधिकतर प्रॉपर्टी डीलिंग्स की फ़ाइलें है ! इस फाइल में उनकी भी प्रिंट आउट है ।”
“इसमें मई से लेकर अगस्त की भी कोई प्रॉपर्टी डीलिंग है क्या ?”
“जी सर ! इसमें हमें उसका एक और मेल अकाउंट भी मिला है, जिसमें उसने ये सारी मेल सेंड और सेव कर रखी थी । ये अकाउंट उसने अपने पिता के नाम से बना रखा है ।”
“लोग बाग़ अक्सर कई अकाउंट बना लेते हैं । पर उसके इस अकाउंट में कोई खास बात ?”
“सर, इसमें एक खास बात मेरे नोटिस में आई है ! इस अकाउंट में ज्यादातर मेल में स्क्रीनशॉट्स की फोटो फाइल भेजी गई हैं । ये सारे स्क्रीनशॉट्स उन चारों लड़कों की प्रॉपर्टी डीलिंग्स के हैं, जिसमें कई बेनामी प्रॉपर्टी भी हैं । उन सबके प्रिंट आउट भी मैंने सिलसिलेवार निकलवाकर इस फाइल में लगा दिये हैं ।”
“गुड । बहुत बढ़िया काम किया है तुमने । ये फाइल मैं अभी देखता हूँ ।”
“सर, एक बात और है ! अनिकेत के इस ई-मेल अकाउंट को आठ सितम्बर को लॉग-इन किया गया है ।”
“हम्म, ठीक है ।” रणवीर अपनी ही धुन में एक बार तो बोल गया, फिर अचानक फ़ाइल पलटते हुए उसके हाथ एकदम रुक गए, “क्या... क्या बोले तुम ? अनिकेत का ई-मेल आठ सितंबर की तारीख में लॉग-इन हुआ है ! अनिकेत का ?”
“जी, दो दिन पहले ही लॉग-इन हुआ है । और उसी दिन उसकी काफी मेल्स भी डिलीट हुई थीं, जिनको हमने रिट्रीव किया है और वही मेल उसके दूसरे अकाउंट में हमें सेव मिली हैं ।”
“दिनेश, तुम जानते हो इसका मतलब ? इसका मतलब यह है कि अनिकेत जिन्दा है और कहीं छुपकर बैठा हुआ है । गौरव और संजय के कत्ल से उसका जरूर लेना-देना है । तभी तो वह फरार चल रहा है । या उसको किसी ने जबरदस्ती रोक रखा है ।”
“दिनेश, उस आई-पी एड्रेस का पता लगाओ जिससे अनिकेत की ई-मेल अकाउंट आखिर में ऑपरेट हुआ है । आखिर पता तो लगे वह है कौन ?”
“सर, हमने अनिकेत का जो मोबाइल बरामद किया है, वह उसके आई-पी एड्रेस से लॉग-इन नहीं हुआ है ! जिस आई-पी एड्रेस से वह लॉग-इन हुआ है, वह एक अलग आई-पी एड्रेस है ।”
“वो आई-पी एड्रेस अलग है ! हम्म, हो सकता है, किसी और के नेट-कनैक्शन से अनिकेत ने लॉग-इन किया हो ।”
“हाँ सर, ऐसा भी हो सकता है ! अगले पेज पर उन सब आई-पी एड्रेस की पूरी डिटेल्स हैं, जिससे अनिकेत का ई-मेल अकाउंट खोला गया है ।”
रणवीर वे सारे अकाउंट डिटेल्स ध्यान से देखने लगा, जिस आई-पी एड्रेस से आठ सितम्बर को लॉग-इन किया गया था । इसी एड्रेस से उसका अकाउंट उससे कुछ दिन पहले भी लॉग-इन किया गया था ।
“दिनेश, इस आई-पी एड्रेस वाली मोबाइल डिवाइस या जो भी हो, उसका एड्रेस का पता लगाओ और अनिकेत के डिवाइस के अलावा जिस भी आई-पी एड्रेस से उसका मेल-अकाउंट खोला गया है, उसका भी एड्रेस पता लगाओ । इस सब में कितनी देर लगेगी ?”
“सर, मैं गुरुग्राम में लोकेश से बात करता हूँ ! उसके ऑफिस पहुँचते ही हमारा काम हो जाएगा ।”
“ठीक है । पता लगते ही मुझे इन्फॉर्म करो और अगर अनिल आ गया हो तो उसे मेरे पास भेज दो ।” दिनेश गर्दन हिलाता हुआ ऑफिस से बाहर चला गया ।
थोड़ी देर बाद अनिल ने ऑफिस में आकर एड़ियाँ खटखटाकर रणवीर का अभिवादन किया । रणवीर ने उसे बैठने के लिए कहा । अनिल जब सामने बैठा तो रणवीर ने उसे एक एड्रेस कार्ड दिया जिस पर ‘सद्भावना प्रॉपर्टीज’ लिखा हुआ था ।
“अनिल, ये सद्भावना प्रॉपर्टीज का एड्रेस है ! इसका प्रोप्राइटर हरीश सोढ़ी है । ये गेरा परिवार का प्रॉपर्टी हैंडलर है । इससे तुमने सादे कपड़ों में मिलकर, पिछले तीन महीनों में उसके जरिये हुए सभी प्रॉपर्टी के सौदों का पता लगाना है । इसने कहाँ-कहाँ गेरा परिवार के जमीनों के सौदे करवाएँ हैं, उनका सारा रिकॉर्ड लेना है । तेजपाल गर्ग नाम का वसीका नवीस इनका डॉक्यूमेंट राइटर है । उससे भी गेरा परिवार के प्रॉपर्टी डाक्यूमेंट्स के सारे रिकॉर्ड्स तुमने लेने हैं । अगर आनाकानी करें तो... ।”
“मैं देख लूँगा, सर ! साथ में किसको लेकर जाऊँ ?”
“कृष्ण को ले जाओ । मुझे तुरंत इस मामले में हुई प्रोग्रैस बताना । अब चलो, पहले नाश्ता कर लेते हैं ।” अपनी घड़ी की तरफ देखते हुए रणवीर ने कहा ।
वे दोनों उठकर ऑफिस से बाहर आ गए । जब वे मेस में नाश्ता कर रहे थे उसी वक्त असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर रोशन वर्मा भी वहाँ पर आ गया और अपने लिए एक चाय का ऑर्डर देकर उनके साथ बैठ गया ।
“आओ रोशन, मैं तुम्हारा ही इन्तजार कर रहा था ! मैंने कल सरकारी वकील से बात की थी । अब तुम यहाँ से सीधा एसडीएम कोर्ट में जाना । वहाँ हमें रोहित गेरा के दोबारा मेडिकल के लिए धारा 53/54 के तहत ऑर्डर लेने हैं । अगर तुम्हें ऑर्डर मिल जाते हैं तो चीफ मेडिकल ऑफिसर से डॉक्टर का एक पैनल अपॉयन्ट करवाकर तुमने सीधा मेट्रो हॉस्पिटल पहुँचना है । मैं तुम्हें वहीं पर मिलूँगा अगर दिनेश के मार्फत मुझे कोई काम की सूचना नहीं मिली तो ।”
“ठीक है जनाब ! लेकिन वहाँ हस्पताल में इस बात का विरोध जरूर होगा ।” चाय पीते हुए रोशन वर्मा बोला ।
“अगर वह विरोध करेंगे तो अपने आपको खुद ही शक के दायरे में ले आयेंगे । जहाँ तक मुझे लगता है, उन्होंने मेट्रो हॉस्पिटल के सारे डॉक्यूमेंट्स अब तक बदलवा दिये होंगे । लेकिन उसका इलाज भी है मेरे पास । अगर ये मेडिकल आराम से हो जाता है तो फिर देखेंगे आगे हम क्या करें ।”
नाश्ता करने के बाद रणवीर कालीरमण ने कदम सिंह को ऑफिस में बुलाकर छ: आदमियों की एक टुकड़ी को तैयार होने के लिए कह दिया । रोशन वर्मा, अनिल और कृष्ण अपने निर्धारित चार्ट के अनुसार रवाना हो गए । तभी असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर दिनेश ने ऑफिस में कदम रखा और रणवीर से मुखातिब हुआ ।
“सर, लोकेश का फ़ोन आया है ! उसने उस आई-पी एड्रेस का पता सर्विस प्रोवाइडर कंपनी से निकलवाकर भेज दिया है । ये रहा उस जगह का एड्रेस ।”
“गुड । जल्दी से कदम सिंह को कहो कि वह सब लोगों को तैयार होने के लिए कहे । हम लोग तुरंत वहाँ के लिए रवाना हो रहें है ।”
पीसीआर वैन में सवार होकर रणवीर, सब-इंस्पेक्टर दिनेश और कदम सिंह को अपने साथ लेकर अपने लक्ष्य पर पहुँचा । जो एड्रेस लोकेश ने उन्हें दिया था, उस बिल्डिंग का नाम था ‘महक फार्महाउस’ । दस एकड़ में फैला हुआ शमशेर सिंह गेरा का विशाल फार्महाउस ।
‘महक फार्महाउस’ को दो भागों में बाँट रखा था । चार एकड़ का एक हिस्सा मैरिज पैलेस के रूप में और बाकी का दूसरा हिस्सा सब्जियों की ऑरगेनिक खेती में इस्तेमाल होता था ।
पुलिस को अंदर आते देखकर गेटकीपर ने तुरंत अंदर मौजूद मैनेजर विपिन मित्तल को फ़ोन किया । जब तक पुलिस उसके ऑफिस तक पहुँची, तब तक वह पूरी तरह से सतर्क होकर उनकी अगुवाई के लिए रिसेप्शन पर तैयार खड़ा था ।
उसके अभिवादन का जवाब देते हुए रणवीर बोला, “यहाँ का काम तुम देखते हो ?”
“जी हाँ, मैं यहाँ का मैनेजर और इंचार्ज विपिन हूँ ।”
“हम एक गुमशुदा आदमी की तलाश कर रहे हैं । तुमको दुर्गा कॉलोनी की वह घटना तो पता होगी जिसमें दो लड़के जिन्दा जल गए थे ! वह लड़के तुम्हारे मालिक के लड़के के दोस्त थे । रोहित या शायद मोहित के । पता है ?”
“हाँ सर ! इस बारे में मैंने न्यूज़पेपर में पढ़ा था ।”
“क्या गौरव, संजय या अनिकेत नाम के लड़के उन दोनों गेरा बंधुओं के साथ अक्सर यहाँ आते थे ?”
“जी सर, जरूर आते होंगे ! उन दोनों के दोस्तों का हमेशा ही यहाँ आना-जाना लगा रहता है; लेकिन उनका ऑफिस अलग है तो मैं सब के बारे में यकीन से नहीं कह सकता । उनका आना और जाना ज़्यादातर रोहित के साथ ही होता था ।”
“हम्म, अब सुनो ! जो आदमी अपने घर से या यूँ कहो घटनास्थल से गुमशुदा है यानी कि अनिकेत, उसके ई-मेल अकाउंट को आठ सितम्बर के दिन लॉग-इन किया गया है । मैं यहाँ का लैपटॉप या कंप्यूटर एक बार चेक करवाना चाहता हूँ और फार्महाउस भी एक बार देखना चाहता हूँ । कोई ऐतराज ?”
“नहीं सर ! आइए !” वह हिचकिचाते हुए उनकी अगवानी करता हुआ उन्हें मेन-ऑफिस में ले गया, जहाँ पर गेरा फ़ैमिली के मेम्बर्स अक्सर उठते-बैठते थे ।
“तुम भी यहीं पर बैठते हो, विपिन ?”
“नहीं सर, यहाँ तो मालिक लोग बैठते हैं ! मेरा केबिन तो रिसेप्शन की साइड में है । यहीं पर वाई-फाई कनेक्शन है । आप चेक कर सकते हैं ।”
रणवीर कालीरमण ने दिनेश को इशारा किया । दिनेश वहाँ लगे लैपटॉप पर उलझ गया । रणवीर ने अपने साथ आए सिपाहियों को दो-दो के ग्रुप में बाँट दिया और सारे फार्महाउस को चेक करने के लिए कहा । कदम सिंह उसके साथ ही रुक गया ।
“सर ! आई-पी एड्रेस तो यही है । ये तो बिल्कुल कन्फर्म हो गया है ।” तभी दिनेश ने आकर इंस्पेक्टर रणवीर को बताया ।
“ठीक है, तुम वेदपाल को फ़ोन कर दो कि वह यहाँ पर फॉरेंसिक और साइबर सेल की टीम को लेकर आ जाए । अब इस एक चीज का ध्यान रखना कि यहाँ की कोई चीज डिस्टर्ब न होने पाए ।”
इस आदेश को पाकर दिनेश तुरंत अपने फ़ोन पर उलझ गया । इंस्पेक्टर रणवीर के निर्देशानुसार उसने साइबर सेल और वेदपाल को फ़ोन कर दिया । दिनेश फ़ोन पर अभी फारिग ही हुआ था कि हवलदार कदम सिंह के फ़ोन की घंटी बजी । वह फ़ोन पर बात सुनकर तुरंत रणवीर के पास पहुँचा ।
“जनाब, यहाँ पीछे गोदाम के पास से रवि का फ़ोन आया है ! गोदाम के दरवाजे पर ताला लगा हुआ है और वहाँ के वर्कर्स के पास उसकी चाबी नहीं है ।”
“ठीक है । चलो, देखते हैं क्या मसला है !” रणवीर ने कदम सिंह के साथ-साथ विपिन को भी अपने साथ चलने का इशारा किया ।
‘महक मैरेज पैलेस’ और फार्म हाउस के बीचोबीच बनी एक चारदीवारी दोनों को एक-दूसरे से अलग करती थी । फार्म हाउस का गोदाम बिलकुल पीछे की दीवार की तरफ बना हुआ था और वह मेन रोड के नजदीक पड़ता था । वहाँ पहुँचने पर उन्होंने देखा कि सिपाही रवि और फार्महाउस के वर्कर्स गोदाम के बाहर ही खड़े थे ।
“विपिन, इस गोदाम की चाबी किसके पास है ? इसे खुलवाओ या फिर इसका ताला तुड़वाओ ।”
“सर, वैसे तो इसमें कुछ नहीं होता, सिवाय उन सब्जियों के जो मंडी के लिए रवाना नहीं हो पाती हैं ।”
“कोई बात नहीं, जब इतना हम टाइम बर्बाद कर चुके हैं तो थोड़ा और सही ।”
आखिरकार चाबी न मिलने की वजह से गोदाम का ताला तोड़ा गया । जब स्टोर के अंदर पिछले हिस्से में रणवीर, कदम सिंह, विपिन और रवि पहुँचे तो वहाँ का हौलनाक नजारा देख विपिन तुरंत मुँह पर रूमाल रखकर चीख मारता और उल्टियाँ करता हुआ बाहर की तरफ भागा ।
वहाँ एक कुर्सी पर रस्सियों से बँधी अनिकेत की अकड़ी हुई लाश पड़ी थी । लाश से दुर्गन्ध आनी शुरू हो गई थी । उसकी हालत देखकर सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता था कि मरने से पहले उसकी बड़ी दुर्गति हुई थी और बहुत बुरे तरीके से उसे टॉर्चर किया गया था । उसकी खाल जगह-जगह से फटी हुई थी जैसे किसी बेल्ट से उसे मारा गया हो । नीचे का जबड़ा टूटकर बड़े हौलनाक ढंग से लटका हुआ था । दोनों कन्धों पर नजदीक से दागी गई गोलियों के निशान थे । खून बहकर कमीज और पेंट से होता हुआ कुर्सी से टपककर फर्श पर जम गया था ।
उस जगह को तुरंत फॉरेंसिक टीम के लिए खाली कर दिया गया । सिर्फ रणवीर और कदम सिंह वहाँ रह गए । रणवीर ने सिपाहियों को एक बार फिर पूरे फार्महाउस का चप्पा-चप्पा छानने के लिए आदेश दे दिया । अब की बार उन्हें उस हथियार की तलाश थी, जिससे अनिकेत पर गोलियाँ दागी गयी थीं ।
तभी सब-इंस्पेक्टर दिनेश ने फ़ोन पर उसे फॉरेंसिक और साइबर सेल की टीम के आने के बारे में सूचना दी । रणवीर ने उसको फॉरेंसिक टीम को सीधा गोदाम में भेजने के लिए कहा । उसने दिनेश को वहीं ऑफिस में ही रुकने के लिए कहा ताकि वह अपनी मौजूदगी में ऑफिस से फिंगरप्रिंट उठवा सके ।
फॉरेंसिक टीम इंचार्ज वेदपाल ने स्टोर में कदम रखे और अपनी टीम को निर्देश देकर रणवीर की तरफ देखता हुआ वह विनोदपूर्ण शब्दों में बोला, “ये सारी सड़ी हुई लाशें बरामद करने का ठेका तूने ही ले रखा है, रणवीर !”
“मुझे कोई शौक थोड़े ही है, यार ! अब की बार लगता है एक अजीब अहमक से पाला पड़ा है । साला, कहीं कोई मोटिव नहीं, कोई अदावत नहीं । अजब कहानी है । बस लाशें हैं और सुराग के नाम पर सिर्फ राख ।”
“यहाँ तो राख नहीं है, जैसे पहले वाले दो केसों में मिली है ।”
“हाँ, ये बात तो है । पर इसके शरीर पर पड़े निशान तो साफ बता रहे हैं कि मरने से पहले बहुत बुरी तरह टॉर्चर किया गया है बन्दे को । इसे यहाँ पर लाया किसलिए गया और क्यों इसे इतना टार्चर किया गया ? ये समझने की बात है और फिलहाल समझ से बाहर है ।”
“कोई पैसे-वैसे का झगड़ा या हो सकता है किडनैप करके यहाँ रखा हो ।”
“नहीं, ऐसा नहीं हो सकता । जिस आदमी के नाम पर यह महक नाम का फॉर्महाउस है, उसकी माली हैसियत इस बन्दे से ज्यादा है । वह भला किडनैप क्यों करेगा इसे ?”
“पर रणवीर, इसको टॉर्चर करने की कोई तो वजह होगी !”
“हाँ, वजह तो होगी ही । यह पता लग जाए तो ये केस ही सॉल्व हो जाए । मेरे ख्याल से ये आपसी रुपये-पैसे का मामला हो सकता है या फिर कोई जमीन-जायदाद का भी पंगा हो सकता है । हो सकता है कि ये कुछ ऐसा राज़ जानता था, जिसे शायद गेरा बंधुओं में से कोई उगलवाना चाहता था । तुम स्निफ़र डॉग स्क्वाड लाए हो ?”
“हाँ, क्यों ?”
“हथियार ढूँढने के लिए तो अपने आदमी लगे हुए हैं । जिस आदमी ने यहाँ अनिकेत को टॉर्चर किया है, उसका सुराग शायद तुम्हारा स्निफर डॉग स्क्वाड ढूँढ़ सके या इस बारे में हमें कोई लीड दे सके ?”
“ठीक है, बुलाता हूँ ।” इतना कहकर वह अपने मोबाइल पर उलझ गया और मेन-गेट पर खड़े हुए स्निफ़र डॉग स्क्वाड इंचार्ज को स्टोर हाउस में आने के लिए कहा ।
जब स्निफर डॉग स्क्वाड को वेदपाल ने अपना काम शुरू करने के लिए कहा तो स्निफ़र डॉग स्टोर हाउस से बाहर निकलकर पहले ऑफिस के अंदर जाकर चक्कर काटने लगे । उसके बाद वह तेजी से फार्महाउस की चारदीवारी के उस भाग तक पहुँचे जहाँ से मेन-रोड उस इमारत के नजदीक लगती थी । इसका मतलब या तो इस मामले से सम्बंधित आदमी वहाँ से भागकर फरार हुआ या अनिकेत की लाश को यहाँ से ही ले जाकर स्टोर हाउस में रखा गया । जिन्दा या मुर्दा ।
तभी डॉग स्क्वाड के कुत्ते चारदीवारी के साथ तेजी से भोंकते हुए दौड़ने लगे और साथ में रणवीर और तेजपाल भी उनके पीछे-पीछे दौड़े । स्टोर हाउस के पीछे वाटर सप्लाई के लिए चार बड़े-बड़े अंडरग्राउंड टैंक बनाए हुए थे, जहाँ से पूरे फार्महाउस को वाटर सप्लाई होती थी । स्निफर डॉग्स वहाँ जाकर चक्कर काटने लगे और ज़ोर-ज़ोर से भोंकने लगे ।
“क्या है इन अंडरग्राउंड टैंक्स में, विपिन ?” रणवीर ने प्रश्न सूचक नजरों से विपिन से पूछा ।
“सर, ये अंडरग्राउंड टैंक यहाँ की पानी की सप्लाई के लिए हैं । ऊपर टंकी बनाने की बजाय यहाँ पर टैंक बनवा रखें है ताकि फार्महाउस में पानी की सप्लाई आसानी से हो सके ।” विपिन ने माथे पर आया पसीना पोंछते हुए कहा ।
रणवीर ने विपिन को सभी टैंक खोलने के लिए कहा । तीन टैंकों में पानी भरा हुआ था पर चौथे टैंक की उन लोगों के पास चाबी नहीं थी । उस टैंक का ताला तोड़ा गया और रणवीर अपनी जगह पर आश्चर्य से ठिठककर खड़ा रह गया ।
उस टैंक में पानी नहीं था । पॉलिथीन की छोटी-छोटी थैलियाँ प्लास्टिक के बैग्स में ठसाठस भरी हुई थी । जब सारे सामान को बाहर निकाला गया तो चालीस से पचास किलो के बीच थैलियाँ सफ़ेद पाउडर की भरी हुई निकली । पाउडर क्या था, ये तो लैब टेस्ट के बाद ही पता चलता । पर रणवीर को पक्का यकीन था कि ये पाउडर मेफेड्रोन नामक ड्रग थी जो बड़ी तेजी से कोकेन के सस्ते विकल्प के रूप में जगह बनाती जा रही थी । इस माल की मार्केट में कीमत दो हजार से चार हजार रुपए प्रति ग्राम थी । उस हिसाब से ये पकड़ा गया माल करोड़ों का था । विपिन मित्तल को पूछताछ के लिए हिरासत में तत्काल ले लिया गया । रणवीर ने तत्काल ये सूचना एसपी प्रभात जोशी को दी ।
यहाँ से फारिग होकर जब वे गोदाम पहुँचे तो अनिकेत की बॉडी को पोस्टमार्टम के लिए भिजवाया जा चुका था । फिंगरप्रिंट एक्सपर्ट अपना काम मुकम्मल कर चुके थे । कुछ फिंगरप्रिंट तो बड़े साफ-साफ उठाये गए थे और ऑफिस से तो पहले ही कलेक्ट किये जा चुके थे । साइबर एक्सपर्ट, मोहित गेरा का लैपटॉप खंगाल चुके थे । दिनेश ने जो इनफार्मेशन लोकेश के माध्यम से निकाली थी, वह एकदम सही साबित हुई । अनिकेत का ई-मेल अकाउंट ऑफिस में पड़े लैपटॉप से और उसी के आई-पी एड्रेस से एक्सेस किया गया था । उस लैपटॉप को पुलिस ने अपने कब्जे ले लिया था, जिस पर एक्सपर्ट्स अपनी कागजी कार्यवाही पूरा कर चुके थे । दो जमा दो चार का नतीजा ये था कि अनिकेत और मोहित के बीच कुछ नहीं, बहुत कुछ गड़बड़ चल रही थी ।
तभी रणवीर का मोबाइल बजने लगा । लाइन पर रोशन वर्मा था । उसने सूचना दी कि रोहित गेरा के दोबारा से मेडिकल एग्जामिनेशन के लिए कोर्ट से परमिशन मिल गई थी । रणवीर ने उसे तुरंत चीफ मेडिकल ऑफिसर के पास जाकर दो डॉक्टर्स का पैनल बनवाने के लिए कहा । एक साथ दो जगह सफलता मिलने पर उसे ये केस सुलझने के आसार दिखाई देने लगे थे ।
कदम सिंह ने रणवीर को सूचना दी कि महक फार्महाउस से कोई सौ मीटर की दूरी पर एक ऐसा एरिया था जहाँ बेकार का पानी लगातार इकट्ठा होता रहता था । उस जगह पर आला-ए-कत्ल की संभावना हो सकती थी । वहाँ पर गोताखोरों को बुलाकर तलाशी शुरू करवाई गई । हालाँकि पानी वहाँ पर ज्यादा गहरा नहीं था ।
डेढ़ घंटे की मशक्कत के बाद आखिरकार वहाँ से रिवॉल्वर बरामद हो ही गई । वह भी एक नहीं दो रिवॉल्वर । दोनों रिवॉल्वरों को फॉरेंसिक लैब टेस्ट के लिए वेदपाल के हवाले कर दिया गया । रणवीर ने मोहित गेरा के ऑफिस और स्टोर को सील करवा दिया और दो सिपाहियों की ड्यूटी वहाँ पहरे पर लगा दी ।
रणवीर, असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर दिनेश और बाकी सिपाहियों के साथ विपिन मित्तल को हिरासत में लेकर पुलिस स्टेशन पहुँचा । इस सारे काम में दोपहर सिर के ऊपर से बीतने को थी । रणवीर ने रोशन को फ़ोन किया तो रोशन ने उसे सीएमओ ऑफिस से कागजी कार्यवाही पूरी होने की सूचना दी । वे अब मेट्रो हॉस्पिटल के लिए निकलने ही वाले थे ।
रणवीर, दिनेश और मुंशी रतनलाल को वहाँ की सारी कार्यवाही के डॉक्यूमेंट तैयार करने के लिए कहकर खुद हॉस्पिटल की तरफ रवाना हो गया ।
रणवीर जब मेट्रो हॉस्पिटल में पहुँचा तो रोशन वर्मा वहाँ रिसेप्शन पर उसका इन्तजार कर रहा था । वे दोनों हॉस्पिटल के चेयरमैन रूम में पहुँचे, जहाँ अपने जीजा, स्थानीय विधायक रामचरण के रुतबे की बदौलत शिवेंदर पाल बड़े गुरूर के साथ कुर्सी पर विराजमान था ।
रणवीर ने चपरासी को दरकिनार कर ऑफिस का दरवाजा खटखटाया और तुरंत ऑफिस में कदम रखा । शिवेंदर पाल ने सकपकाकर रणवीर की तरफ सवालिया नजरों से देखा । रणवीर ने उससे अपना हाथ मिलने के लिए आगे बढ़ाया और कुर्सी पर बैठ गया ।
“मैं एसएचओ इंस्पेक्टर रणवीर ! और ये मेरे साथी असिस्टेंट सब-इंस्पेक्टर रोशन वर्मा !”
“वैल्कम इंस्पेक्टर ! कहिए, आज पुलिस का मेरे ऑफिस में कैसे आना हुआ ? बड़ी हैरानी की बात है ।”
“आपके हॉस्पिटल में रोहित गेरा वल्द शमशेर सिंह गेरा प्राइवेट वार्ड में दाखिल है ।”
“होगा, ऑफिसर ! मेरे पास ये सब डिटेल नहीं होती । हमारे चीफ मेडिकल ऑफिसर ये सब डील करते हैं । आप उनसे... ।”
“कमाल है ! जिस आदमी की जमीन पर ये हॉस्पिटल खड़ा है, उस शख्स का बेटा आपके हॉस्पिटल में बुरी तरह से जख्मी हालत में दाखिल है और इस हॉस्पिटल के चेयरमैन को नहीं मालूम !”
शिवेंदर पाल हड़बड़ाया, पर जल्दी से अपने आप पर काबू करता हुआ बोला, “ओह अच्छा ! आप रौनी की बात कर रहे हैं । मैं इस नाम से बचपन से उसे जानता हूँ न, इसलिए एकदम से दिमाग में नहीं आया ।”
“इसीलिए मैंने उसके पिता का नाम साथ में बोला था । उन्हें भी शायद बचपन से किसी और नाम से जानते हैं आप ।”
“अहो हो हो हो ! आप भी... ।” वह खिसियाया-सा हँसा, “लेकिन उसके लिए आप लोग मेरे पास क्यों आए ? ये काम तो... ।”
“क्योंकि हमें शक है कि आप लोगों ने उस लड़के की मेडिकल कंडीशन को गलत दर्ज करके उसकी जिस्मानी हालत को पुलिस से छुपाया है ।”
“क्या बक... बात करते हो इंस्पेक्टर ! आपको कोई गलत सूचना मिली है ।”
“नहीं । हम पहले ही आकर इस बात की तहकीकात कर चुके हैं । मैंने बताया कि हमें शक है । आपसे सिर्फ इतनी दरख्वास्त है कि अपने मेडिकल स्टाफ को हमें सहयोग करने की हिदायत दें ।”
“कहीं आप ऐसा करके जबरदस्ती अपनी वर्दी का रौब तो नहीं दिखा रहें ? कहीं बाद में... ।”
“नहीं । मैं आपको जानता हूँ । आपकी कुर्सी के स्प्रिंग जिसके बल पर चरमराते हैं, उन एमएलए साहब को भी जानता हूँ । हम अपनी हद जानते हैं इसलिए कोर्ट से आर्डर लेकर आए हैं । अगर आप नहीं चाहते हैं तो हम वापिस कोर्ट के पास... ।”
“अरे नहीं ! आप ऑर्डर की कॉपी मुझे दे दो तो... ।” कोर्ट का नाम सुनकर वह बिलबिलाया ।
“ये कॉपी आपके लिए ही है । इसके साथ कुछ कागजात और भी हैं जो आपके हॉस्पिटल के रिकॉर्ड के ही हैं, रोहित गेरा यानी रौनी के इलाज से सम्बंधित । अपने मेडिकल स्टाफ से कहिएगा कि हमें पूरा रिकॉर्ड उपलब्ध करवा दें और उसमें कोई तब्दीली न हो, कोई छेड़छाड़ न हो । नहीं तो नाहक हमें उसको देखने वाले डॉक्टर्स को भी चार सौ बीसी के आरोप में जीप में बिठाकर हवालात ले जाना पड़ेगा ।”
“नहीं, ऐसा कुछ नहीं होगा । तुम... आप लोग अपना काम कर सकते हैं ।” माथे पर आए पसीने को पोंछते हुए वह बोला ।
“शुक्रिया ! आपके यहाँ का एयर कंडीशनर अच्छी तरह काम नहीं करता शायद, वरना आपको इतने पसीने नहीं आते ।”
अपने पीछे बुरी तरह से खिसियाये हुए शिवेंदर पाल को छोड़ रणवीर और रोशन ऑफिस से बाहर आ गए ।
मेट्रो हॉस्पिटल के चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर अनूप तोमर के कमरे में डॉक्टर नवनीत कंसल को बैठा देख रणवीर ने राहत की साँस ली ।
“हेलो-हेलो, इंस्पेक्टर ! अरे भाई, तुमने तो आराम करना नहीं, औरों को तो कर लेने दिया करो । एक लाश हॉस्पिटल में भिजवा दी और दिन में मुझे यहाँ बुलवा लिया । क्या यार... !”
“क्या करें, डॉक्टर साहब, मजबूरी है ! आजकल तो लोग भगवान के घर भी सीधे तरीके से नहीं जाते । इतना फैंसी तरीके से लोग परलोक जाएँगे तो आपका और हमारा बीच में दखल तो बनेगा ही ।”
“हाँ, ये बात तो है । अब यहाँ क्या समस्या है ? एक मेडिकल के लिए इतनी कानूनी मशक्कत क्यूँ ?”
रणवीर ने विस्तार से एक बार फिर से डॉक्टर नवनीत और डॉक्टर अनूप तोमर को रोहित गेरा की दोबारा मेडिकल की जरूरत के बारे में बताया । फिर डॉक्टर अनूप तोमर से मुखातिब होते हुए बोला, “मुझे उम्मीद है डॉ॰ तोमर, आपके चेयरमैन का फ़ोन आपके पास आ ही लिया होगा ! ये रही कोर्ट के ऑर्डर्स की कॉपी । आप जल्दी से मेडिकल एग्जामिनेशन के लिए अपने स्टाफ को हिदायत दें दे । खासतौर पर डॉक्टर शैलेन्द्र और डॉक्टर सुमित मित्तल को । रोहित गेरा की तमाम मेडिकल रिपोर्ट उसके वार्ड में पहुँचाएँ । रोशन, डॉक्टर साहब को प्राइवेट वार्ड तक ले जाओ । मैं जल्दी ही वहाँ पहुँचता हूँ ।”
डॉक्टर अनूप तोमर अपने डेस्क फ़ोन पर बिजी हो गया और डॉक्टर नवनीत और रोशन वार्ड के लिए रवाना हो गए ।
रणवीर तुरंत मेट्रो हॉस्पिटल के उस रूम में पहुँचा जहाँ हॉस्पिटल का सर्विलान्स का पूरा तामझाम था । एक सिपाही शिव कुमार को बुलाकर उसने वहाँ तैनात किया और ऑपरेटर को दो सितम्बर से लेकर आठ सितम्बर की मेन एंट्रेंस, रिसेप्शन और रोहित के वार्ड वाले फ्लोर की वीडियो रिकॉर्डिंग निकालने के लिए कहा । फिर वह प्राइवेट वार्ड की तरफ चल दिया, जहाँ रोहित गेरा हॉस्पिटल में दाखिल था ।
अचानक उसके फ़ोन ने वाइब्रेट करना शुरू कर दिया । लाइन पर एसपी प्रभात जोशी था ।
“यस सर, रणवीर... !”
“मुझे सब पता है । जानता हूँ मैं । अरे, रणवीर कहाँ हो तुम ?”
“मैं इस वक्त मेट्रो हॉस्पिटल में हूँ, सर !”
“क्या कर रहे हो तुम वहाँ ? यहाँ के एमएलए रामचरण को तुम्हारे एक्शन से इतनी तकलीफ हुई कि वह सीधा हमारे होम मिनिस्टर के पास जाकर बैठा है । कम-से-कम तुम्हें इस मामले में अपने सीनियर्स को तो कॉन्फिडेंस में लेना चाहिए था ।”
“सर, मैंने इस मामले में पूरा प्रोसिजर फॉलो किया है और कोर्ट से बाकायदा सरकारी वकील जसवीर राणा के कहे अनुसार ऑर्डर लिया है । जो सबूत हमें हासिल हैं, उस बिना पर मैं यह कन्फर्म करना चाहता हूँ कि रोहित वास्तव में उस तरह से घायल हुआ है जैसा कि हमें बताया गया है या वह चार सितम्बर की रात को दुर्गा कॉलोनी में घटनास्थल पर मौजूद था ।”
“तुम्हारी बात ठीक है । उम्मीद करो कि जो तुम कह रहे हो वह ठीक निकले । ठीक है, प्रोसीड एंड कीप मी इन्फॉर्मड, रणवीर !”
“सर !” इसके बाद उसने एसपी प्रभात जोशी को जो बताना शुरू किया वह प्रभात जोशी ने बिना टोके सुना और फिर उसके बाद लाइन कट गई ।
जब सामने वाला बौखला जाए तो समझ लो दाल काली है। । विधायक महोदय का यूँ गर्म तवे पर पानी की तरह उछलना साबित करता था कि पुलिस सही दिशा में काम कर रही थी। ।
‘इन हरामजादों को पता नहीं कि मैं आदमी ज़रा दूसरे किस्म का हूँ ।’
रणवीर ने मन-ही-मन भभकते हुए फ़ोन ऑफ कर जेब में रख लिया ।
जब वह प्राइवेट वार्ड में पहुँचा तो वहाँ बड़ा जबरदस्त हंगामा हो रहा था । शमशेर गेरा अपने आपे से बाहर हुआ जा रहा था । रणवीर जब वहाँ पहुँचा तो शमशेर आग के गोले की तरह उसकी तरफ लपका ।
“ये क्या अंधेरगर्दी मचा रखी है, इंस्पेक्टर ? मेरा लड़का जिंदगी और मौत के बीच में झूल रहा है और तुम्हें यहाँ पर कानून झाड़ने की पड़ी है ।”
“आप अपनी बातों का मतलब अच्छी तरह से जानते हैं कि कौन, कहाँ, क्या मचा रहा है, गेरा साहब ! डॉक्टर शैलेन्द्र और डॉक्टर सुमित मित्तल आपको इस बारे में पूरा तफसील से बता देंगे ।”
“वो क्या बताएँगे ! मैं उसका बाप हूँ । तुम मुझ से बात करो ।”
“आप थोड़ा-सा हमारी बात को समझो । हमें शक है कि जिस रात को संजय बंसल मारा गया, उस रात को रोहित, अनिकेत के घर में उन लड़कों के साथ मौजूद था; लेकिन आप उस घटना से एक दिन पहले उसे यहाँ पर दाखिल हुआ बताते हैं । हम इस मेडिकल एक्जामिनेशन से सिर्फ यह कन्फर्म करना चाहते हैं कि जो उसकी मेडिकल और चेकअप रिपोर्ट में दिखाया जा रहा है क्या वह वास्तव में सही है या नहीं !”
“कौन हरामजादा कहता है, रोहित उस वारदात के वक्त वहाँ था ? तुम समझते हो, हमारे डॉक्टर्स पागल हैं, जो झूठी रिपोर्ट लिखेंगे ! तुम अपने को तीस मार खां समझते हो कि जो तुम चाहोगे वही होगा ।”
“पैसे और सत्ता के दबाव में कोई कुछ भी कर सकता है, गेरा साहब ! अगर आप लोग अपनी जगह पर सही हैं तो इतना बवेला क्यों ? आप डॉक्टर नवनीत और डॉक्टर दिनकर को जाँच करने दें । अगर सब कुछ सही है तो हम तत्काल वापिस चले जाएँगे । एक दरख्वास्त और है कि आप अपनी जुबान को काबू में रखें । जिस भाषा को आप अपनी ताकत बनाकर दिखा रहे हैं, वह भाषा मेरा कोई सिपाही भी बड़े आराम से, नींद में भी, बड़ी अच्छे ढंग से बोल सकता है ।”
“मैं मेरे बच्चे को किसी को हाथ भी नहीं लगाने दूँगा । मेडिकल करना तो बहुत दूर की बात है ।”
“देखिये, इस बात के लिए मुझे पहले से अंदेशा था । इसीलिए पुलिस सीधा आपके पास नहीं आई है । कोर्ट के ऑर्डर हमारे पास हैं और आपसे अपील है कि आप हमें सहयोग करें । मैं आपको यकीन दिलाता हूँ कि उसको कोई तकलीफ नहीं होगी । नहीं तो... ।”
“नहीं तो क्या ?”
“पुलिस के काम में आप रुकावट न डालें । रोशन, डॉक्टर साहब को रोहित के रूम में ले जाओ ।”
रोशन वर्मा, डॉक्टर नवनीत और डॉक्टर दिनकर को लेकर रोहित गेरा के रूम में जाने के लिए आगे बढ़ा तो गेरा के साथ आए गुर्गों ने उनका रास्ता रोक लिया । रणवीर मामले की नजाकत को समझकर तुरंत वार्ड के गेट पर पहुँचा तो गेरा उसके सामने गेट के आगे आ गया ।
“गेरा साहब, आप ये हरकत करके अपनी पोजीशन को कमजोर कर रहें हैं और अपने आपको गुनाहगार साबित कर रहे हैं । मैं नहीं चाहता बात आगे बढ़े ।”
“और क्या बात बढ़ाएगा तू !” इतना कहकर शमशेर सिंह के हाथों में रणवीर का गिरेबान आ गया । उसके बाद मानो एक बिजली-सी कौंधी । अगले ही पल शमशेर हस्पताल की जमीन पर गिरता हुआ दिखाई दिया । उसके गाल की खाल कट गई थी और खून निकल आया था ।
“तुझे आराम से समझा रहा हूँ हरामजादे । तुझे मेरी बात समझ नहीं आती । तुझ पर पुलिस पर हमला और काम में बाधा डालने के इल्जाम आयद होता है । तेरे ‘महक फार्महाउस’ में अनिकेत की लाश मिली है और जिस स्टोर हाउस में वह लाश मिली है, उस स्टोर हाउस का जिम्मा तेरी औलाद पर है । तेरे गोदाम के बाहर वाटर टैंक में हमें ड्रग्स का जखीरा भी मिला है । इन बातों का है कोई जवाब तेरा पास ! इन बातों का जवाब तू देगा लेकिन हवालात में । मैं सोचता था ये काम बाद में करूँ लेकिन अब तुम अपने आपको हिरासत में समझो ।”
शमशेर सिंह ने पहली बार सकपकाकर अपनी आँखें झपकी । परेशानी की लकीरें उसके माथे पर साफ नजर आई । वह अपलक खा जाने वाली नजरों से बस रणवीर को देखता रहा ।
“तेरा दूसरा बेटा अभी कमरे के अन्दर ही है या यहाँ से फरार करवा दिया ? अपने इन सूरमाओं को तुरंत यहाँ से जाने के लिए कह, वर्ना तेरे साथ ये सारे के सारे भी अंदर होंगे ।
“रोशन, दिनेश को फ़ोन कर ! दूसरी गाड़ी और फोर्स मँगवाओ । इन साहब को पूछताछ के लिए हिरासत में लो ।”
शमशेर सिंह तब तक संभल चुका था । उसने अपने कपड़े झाड़े और अपने आदमियों को तुरंत वहाँ से जाने का इशारा किया । रणवीर ने डॉक्टर नवनीत व डॉक्टर दिनकर को दरवाजा खोलकर रोहित के कमरे में जाने दिया । दिनेश और पुलिस की गाड़ी के आने के बाद वह और रोशन वर्मा, शमशेर सिंह को लेकर सिटी पुलिस स्टेशन की तरफ रवाना हो गए ।
शमशेर जब वहाँ से रवाना हुआ तो उसकी आँखों में बड़े खूरेंजी और हाहाकारी किस्म के भाव थे । उसका बस चलता तो वह रणवीर को वहीं पर भस्म कर देता ।
डॉक्टर नवनीत और डॉक्टर दिनकर ने रोहित के मेडिकल में अपना पूरा समय लिया । उनके नतीजे चौंकाने वाले थे, जो मेट्रो हॉस्पिटल की रिपोर्ट से बिल्कुल जुदा थे । रोहित की टाँग में किसी किस्म का कोई फ्रैक्चर नहीं था । उसे टाँग में गोली मारी गई थी । उसके चेहरे पर चोट के नहीं बल्कि जलने के निशान थे । उसकी गर्दन से नीचे का हिस्सा बहुत बुरी तरह से जला हुआ था, जिसे मेडिकल टर्म में ‘फिफ्थ डिग्री बर्न्स’ कहते हैं । इस बात का डॉक्टर शैलेन्द्र और डॉक्टर सुमित मित्तल के पास कोई जवाब नहीं था ।
जब उनसे इस बारे में पूछताछ की गई तो उनका जवाब था कि उन्हें सूचना देने से पहले ही रोहित को हॉस्पिटल में दाखिल किया जा चुका था । उसे दाखिल करते समय क्या प्रक्रिया अपनायी गई इसके बारे में उन्हें कोई ज्ञान नहीं था । डॉक्टर अनूप तोमर के निर्देश पर वह सिर्फ रूटीन फॉलो कर चेकअप करते थे ।
रणवीर ने दो सिपाहियों की ड्यूटी वहाँ वार्ड में लगा दी, जो सिर्फ निगरानी के लिए वहाँ तैनात किये गए थे ।
डॉक्टर नवनीत और डॉक्टर दिनकर को साथ लेकर इंस्पेक्टर रणवीर चीफ मेडिकल ऑफिसर डॉक्टर अनूप तोमर के ऑफिस में पहुँचा । उसके चेहरे पर कोई भी शिकन नहीं थी, शायद अपने मालिकों की सियासी पहुँच का अंदाजा था उसे ।
“डॉक्टर साहब, आपकी मेडिकल रिपोर्ट से हमारे पैनल की मेडिकल रिपोर्ट मेल नहीं खाती है । ऐसा क्यों हुआ ?”
“जब हमारे पास मरीज आया तो हमें इसके मेडिको लीगल केस होने का अंदाजा नहीं था । हमें जो बताया गया, उसे ही आधार मानकर हमने इलाज किया । जो आप बर्न्स की दुहाई दे रहें हैं, हमें उसका कारण उसके परिवार ने बाइक में आग पकड़ लेना बताया । इसी आधार पर... ।”
“अच्छी पैरवी कर रहे हैं आप, डॉक्टर अनूप ! अगर कोई बाइक सवार गिरेगा तो आग लगने की जगह की संभावना उसकी टाँगों में ज्यादा होगी, या पेट्रोल आग उसके सीने को अपना निशाना बनाएगी, उसकी कमर को नहीं ।” डॉक्टर नवनीत ने बीच में अपनी बात कही ।
डॉक्टर तोमर कुछ देर के लिए सकपकाया लेकिन फिर उसी ढीठता से कहा, “सब किस्मत की बात है डॉक्टर नवनीत ! कुछ लोग पहली मंजिल से गिरकर मर जाते हैं और कुछ उससे भी ऊँचाई से गिरकर बच जाते है । जिंदगी अपने हिसाब से चलती है । होनी पर आज तक किसका ज़ोर चला है ! अब चोट कोई नाप-तौलकर थोड़े ही न लगती है ।”
इतनी देर में जिस सिपाही शिव कुमार की ड्यूटी रणवीर ने हॉस्पिटल के सर्विलान्स रूम में लगाई थी, वह वीडियो रिकॉर्डिंग की पेन ड्राइव रणवीर को दे गया ।
“सही कह रहे हैं आप, डॉक्टर तोमर ! रोहित को आपके हॉस्पिटल में किस तारीख को दाखिल किया गया था, आप बता सकते हैं ? तीन सितम्बर को या चार सितम्बर को ?” रणवीर ने पूछा ।
“ये सब रिकार्ड्स में मेंशन है, इंस्पेक्टर ! आप वहाँ से देख सकते हैं ।” उसने लापरवाही से जवाब दिया ।
रणवीर बड़े धैर्य से उसकी तरफ देखते हुए बोला, “ये आपके हॉस्पिटल की रिकार्डेड सीसीटीवी फुटेज है, डॉक्टर तोमर ! अगर आपको ऐतराज न हो तो आपके लैपटॉप पर हम इसे देख सकते हैं ? तीन सितम्बर को अगर वह दाखिल हुआ है तो इस फुटेज में वह रिकॉर्डिंग हमें मिलनी चाहिए ।”
“आप कह रहें हैं तो जरूर मिलनी चाहिए ।” डॉक्टर तोमर ने निश्चिन्त स्वर में कहा ।
जब उसे वह रिकॉर्डिंग दिखायी गई तो उसमें दो सितम्बर की शाम सात बजे से चार सितम्बर के रात दस बजे तक रिसेप्शन और प्राइवेट वार्ड की कोई रिकॉर्डिंग मौजूद नहीं थी । रणवीर ने सवालिया नजरों से डॉक्टर तोमर की तरफ देखा तो उसने पूरी बेशर्मी से उससे नजरें मिलाई और एक विजयी मुस्कान उसके चेहरे पर फ़ैल गई ।
“वह शॉर्ट सर्किट की वजह से वहाँ के तारों में कुछ गड़बड़ थी, जिससे कैमरों में वक्ती तौर पर दिक्कत हो गई थी; इसलिए शायद रिकॉर्डिंग डाटा पूरा नहीं है । वह क्या है, हमारा सिस्टम काफी पुराना हो गया है, इंस्पेक्टर साहब ! मैंने मैनेजमेंट को कहा है और उन्होंने आश्वासन दिया है कि वह इसे जल्दी ही दुरुस्त कर देंगे ।” बड़े निश्चिंत भाव से वह बोला ।
अचानक उसके फोन पर मैसेज की टोन बजने लगी ।
रणवीर ने असहाय भाव से गर्दन हिलाई और डॉक्टर तोमर की तरफ देखते हुए सर्द लहजे में बोला, “किसी ने आपके फ़ोन पर कुछ मैसेज भेजें हैं । अगर आप मेहरबानी करके देख लें तो मेरा आगे का काम आसान हो जाएगा ।”
डॉक्टर तोमर लापरवाही से मोबाइल निकालते हुए डॉक्टर नवनीत और डॉक्टर दिनकर की तरफ देखते हुए बोला, “एक्सक्यूज मी, डॉक्टर नवनीत !” और जैसे ही उसने वो मैसेज देखे, अगले ही पल उसके चेहरे पर पसीने की धारा बहने लगी ।
रणवीर ने विष भरे लहजे में जब उससे कहना शुरू किया तो डॉक्टर तोमर के रहे-सहे हौसले भी पस्त होते चले गए और चेहरे का रंग और भी बदरंग होता गया ।
“आप जैसे समाज के सिरमौर लोग अपने आपको खुदा से भी दो गज ऊपर रखकर देखते हैं । आप सोचते हैं कि सरकार ने बेवकूफ लोग भर्ती कर रखें है । आप ज्यादा होशियारी दिखाने के चक्कर में अपने दोनों हाथ कटवा बैठे हैं, डॉक्टर तोमर ! एक तो आपने रोहित को तीन सितम्बर को नहीं, चार सितम्बर की रात को हॉस्पिटल में दाखिल किया । दूसरी बात, आपने उसकी मेडिकल रिपोर्ट में गलत एंट्री दर्ज करवायी हुई हैं जिसमें आपके हॉस्पिटल के डॉक्टर्स के पैनल के द्वारा फ्रैक्चर दिखाया गया है । जबकि असलियत में गोली लगने से उसकी टाँग की हड्डी टूटी है और घाव हुआ है । तीसरी बात, आपने उसकी मेडिको-लीगल रिपोर्ट दर्ज न करवाकर उसके अपराध को छुपाने और कानून को बरगलाने की कोशिश की है । चौथी बात, आपने अपने ऑफिशियल रिकॉर्ड में हेराफेरी की है और सीसीटीवी रिकॉर्डिंग से तीन और चार सितम्बर की फुटेज जानबूझकर गायब की है । जो वीडियो मैंने आपके पास मोबाइल से भेजी है, असल में वह पूरी और ऑरिजिनल रिकॉर्डिंग है, जिसमें आप और आपका स्टाफ़ चार तारीख की रात को रोहित गेरा को अपने हॉस्पिटल में दाखिल कर रहा है ।”
अब डॉक्टर तोमर के चेहरे पर हवाईयाँ उड़ने लगीं । इतनी देर से जो वह इतने इत्मीनान से बैठा था, अब उसकी आँखों से वह चैन और बदन से टपकता गुरूर गायब था ।
“और अब आपसे दरख्वास्त है कि आप अपना बयान खुद ही थाने चलकर दर्ज करवाएँ । या आपको हम लेकर जाएँ, या आप कोर्ट से एक हफ्ते की पुलिस कस्टडी के ऑर्डर्स का इन्तजार करना चाहेंगे । जैसा आप चाहें ।” रणवीर ने बड़े शांत स्वर से उससे पूछा । तोमर जानता था कि उस शांत से दिखने वाले शातिर आदमी की मुट्ठी में उसकी गर्दन पूरी तरह से जकड़ी जा चुकी है ।
डॉक्टर तोमर के मुँह से बोल न फूटा । वह हकबकाया-सा कभी डॉक्टर नवनीत की तरफ तो कभी रणवीर की तरफ देखने लगा ।
“मुझे इजाजत दीजिये इंस्पेक्टर रणवीर ! आपके पहुँचाये हुए साहब... मेरा मतलब उस जवान से है जो आपने आज ही लाश की सूरत में बरामद किया है, उससे भी मुझे मुलाकात करनी है । आपके थाने में शाम की महफ़िल तो आज काफी रौनक वाली होगी । डॉक्टर तोमर आप भी मुझे इजाजत दें । आपको भी शायद कहीं जाना होगा ।” डॉक्टर नवनीत ने अपने निराले अंदाज में रणवीर से कहा और वहाँ से विदा ली ।
डॉक्टर नवनीत और दिनकर के जाने के बाद रणवीर ने डॉक्टर तोमर से पूछा, “मेरा कौन-सा मशविरा आपको पसंद आया, डॉक्टर साहब ?”
“मैं आपके साथ ही चलता हूँ ।” डॉक्टर तोमर मरे हुए स्वर में बोला ।
रणवीर ने सिपाही रवि और कृष्ण कुमार को डॉक्टर तोमर के साथ जाने का हुक्म दिया और खुद भी पुलिस स्टेशन की तरफ रवाना हुआ ।
उसके रवाना होते ही एंटी-नारकॉटिक्स स्क्वाड की टीम ने, जिसकी अगुवाई डीएसपी हरपाल सिंह कर रहा था, एक साथ मेट्रो हॉस्पिटल के मेडिकल स्टोर हाउस और एक दर्जन से अधिक ढाबों और दवाई की दुकानों पर छापे मारे, जहाँ से ड्रग्स का बड़ा जखीरा एंटी-नारकॉटिक्स की टीम को मिला ।
रणवीर को जब ये सूचना मिली तो उसके चेहरे पर राहत की ठंडी परछाईं दौड़ गई । आखिर एसपी प्रभात जोशी ने जो उसे कहा था, उसके अनुसार उसने अपना काम कर दिखाया था ।
डॉक्टर तोमर, डॉक्टर शैलेन्द्र, डॉक्टर सुमित मित्तल और विपिन मित्तल के बयान दर्ज करवाते-करवाते रणवीर और उसका स्टाफ उस दिन काफी देर में फारिग हुआ । डॉक्टर तोमर के पुलिस स्टेशन पहुँचने के बाद उसका वकील सुजीत शर्मा तुरंत ही थाने पहुँच गया और उसके साथ-साथ शमशेर सिंह गेरा के लिए भी कानून की दुहाई देने लगा ।
डॉक्टर तोमर ने अपने बयान में वह सब बातें मान ली जो हॉस्पिटल में रणवीर उससे पूछ चुका था । इस प्रकार से रोहित गेरा का हॉस्पिटल में दाखिल होना एक फर्जीवाड़ा साबित हुआ, जो इस बात की पुष्टि करता था कि कहीं-न-कहीं वह संजय बंसल और अनिकेत की हत्या से जुड़ा हो सकता था । अलबत्ता शमशेर सिंह ने अपने फार्म में मौजूद अनिकेत की लाश और ड्रग्स के जखीरे पर एक ही राग अलापना जारी रखा कि वह सब उसे व उसके बेटों को फँसाने की उनके दुश्मनों की साजिश थी । उसके कथनानुसार अनिकेत की लाश और ड्रग्स को वहाँ पर उसके दुश्मनों के द्वारा प्लांट किया गया था ।
विपिन मित्तल ने वहाँ पर खुद को सिर्फ ‘महक मैरिज पैलेस’ का एक अदना-सा कर्मचारी बताया और फार्महाउस के बाकी क्रिया-कलापों से खुद को निर्लिप्त और निर्दोष होने की दुहाई दी । जब उसका और शमशेर का आमना-सामना करवाया गया तो शमशेर ने उसकी तस्दीक सिर्फ ‘महक मैरिज पैलेस’ के कर्मचारी के तौर पर की । विपिन को अगले दिन फिर हाजिर होने के लिए आदेश देकर वक्ती तौर पर जाने दिया गया ।
सुजीत शर्मा ने डॉक्टर अनूप तोमर को निजी मुचलके के बनिस्बत वक्ती तौर पर निजात दिलवाई और इस बात का आश्वासन दिया कि उसका क्लाइंट शहर छोड़कर नहीं जाएगा और हर हालात में पुलिस का सहयोग करेगा । उसने इस बात के भी कागजात पुलिस के सामने पेश किये कि शमशेर का ‘महक फार्महाउस’ से कोई लेना-देना नहीं था और उसका लड़का मोहित गेरा उसका मालिक था । लिहाजा उसके मुवक्किल को तुरंत छोड़ा जाए, पर रणवीर ने मोहित के बारे में पूछताछ करने के लिए उसे हिरासत में रखना जरूरी बताया और अगली सुबह दस बजे तक उसे अदालत में पेश करने का आश्वासन देकर वकील सुजीत शर्मा को विदा किया ।
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