जॉन रेनिक की बुईक कार मेरे घर के बाहर खड़ी थी, जब मैंने पैकर्ड को अपने घर के खुले हुए गेट से घुमाया और अपने गैरेज में खड़ा किया ।

बुईक खड़ी देख कर मुझे जोर का झटका लगा । मेरी रेनिक से कोई बात या मुलाकात नहीं हुई थी, जब से उसने मुझे हफ्तों पहले जेल के बाहर अपनी गाड़ी में लिफ्ट दी थी और मैं उसके बारे में भूल सा गया था ।

वह यहाँ क्या कर रहा था!

मेरा दिमाग अचानक चकरा गया । नीना ने उसे बता दिया होगा कि मेरे पास यह ट्रैफिक सेंसर की नौकरी थी । अगर यह बात उसके दिमाग में घुस गई  तो वह आसानी से पता लगा सकता था कि मैं इस नौकरी के बारे में झूठ बोल रहा था । पुलिस से जुड़े किसी भी व्यक्ति के साथ मेरा संपर्क होना, वह आखिरी चीज थी जो मैं चाहता था, अब मैं इस नकली अपहरण को अंजाम देने वाला था ।

इसके अलावा मैं एक अपराध बोध से पीड़ित भी था । मुझे ओडेट और मेरे बीच हुई चूक का पछतावा भी था । उसने सिर्फ अपनी ताकत और मर्दों के लिये उसकी विद्रोही सोच को दिखाने के लिये अपने आप को मुझे सौंप दिया था । जो कुछ हमारे बीच हुआ, वो एक क्षणिक आवेग के सिवा कुछ नहीं था । वह मुझसे एकदम दूर छिटक गई और मुझे अनदेखा करते हुए अंधेरे में कुछ गुनगुनाते हुए अपने कपड़े बदलने लगी ।

“मैं तुम्हें कल रात के बाद मिलूँगी ।” उसने अंधेरे में कहा और फिर वह मुझे बिस्तर में खुद से शर्मिंदा और नाराज होता छोड़ कर चली गई ।

उसके जाने के बाद जब मैंने कैबिन का दरवाजा बंद होने की आवाज सुनी तो मैंने बिस्तर से उठकर रिकॉर्डर बंद कर दिया । फिर मैंने वह टेप निकाल लिया था और उसके डिब्बे में रख दिया । फिर मैंने शावर बाथ लिया और फिर सिटिंग रूम में जाकर दो कड़क व्हिस्की के पेग अपने अंदर किए, एक के बाद एक, और जल्दी । लेकिन न तो शॉवर और न ही व्हिस्की ने मेरे घटियापन के अहसास को दूर करने के लिये कुछ काम  किया और न ही मेरे इस अपराध बोध को कम किया कि मैंने नीना को धोखा दिया था, जो हमें जिंदा रखने के लिये सारा दिन किसी की गुलामी कर रही थी ।

मैं गैरेज से निकलकर घर की तरफ जाने वाली पगडंडी पर आगे बढ़ा और अपनी चाबी निकालकर सामने का दरवाजा खोला । हाल की घड़ी ने मुझे दर्शाया कि ग्यारह बजकर दस मिनट का समय हुआ था । मैं लाउंज में से आती हुई नीना की हँसी और रेनिक की आवाजें सुन सकता था ।

मैं एक पल वहाँ पर ठिठका हुआ खड़ा रहा ।

रेनिक और मैं बीस साल से बहुत गहरे दोस्त थे । हम स्कूल साथ-साथ गए थे । वह एक अच्छा और ईमानदार पुलिस वाला था, जो अब डी. ए. का स्पेशल ऑफिसर था ।

यह इस शहर में एक महत्वपूर्ण पद था और रेनिक को अच्छी ख़ासी पगार भी मिलती थी । अगर यह किडनैपिंग का खेल बिगड़ गया तो वह पहला आदमी होगा जो इसकी तहकीकात में शामिल होगा और मैं जानता था कि वह कोई मूर्ख नहीं था । वह पूरे अफसरों में से सबसे तेज-तर्रार और घाघ अफसर था । अपने न्यूज़ पेपर में काम करने के दौरान मैं उन सबसे मिला हुआ था और रेनिक उन सबमें टॉप पर था । अगर उसने भविष्य में तहकीकात अपने हाथ में ली तो मैं परेशानी में पड़ सकता था ।

मैंने अपने आप को संभाला और लाउंज के दरवाजे तक गया और उसे धकेल कर खोला ।

नीना एक बड़े से गार्डन पॉट पर पेंटिंग का काम कर रही थी, जो उसके बेंच पर रखा हुआ था । रेनिक एक आराम कुर्सी में उसकी तरफ देखते हुए पसरा हुआ था और उसकी उँगलियों में सिगरेट सुलग रही थी ।

जैसे ही नीना ने मुझे देखा, उसने अपना ब्रश एक तरफ रख दिया और मेरी तरफ दौड़ती हुई आई । उसने अपनी बाहें मेरी गर्दन में डाल दीं और मुझे किस किया । उसके अधरों के मेरे होंठों से हुए स्पर्श ने मुझमें  ग्लानि के  भाव भर दिये । मुझे अभी तक ओडेट के पाशविक स्पर्शों की याद आ रही थी । मैंने उसे धीरे से दूर कर दिया और उसके चारों तरफ अपनी बाहें डाल कर, रेनिक की तरफ देख कर जबरन मुस्कुराया जो अपनी जगह पर खड़ा हो गया था ।

“कैसे हो जॉन,” मैंने कहा और उससे हाथ मिलाया । “तुम तो पराये से हो गए हो । बड़े दिनों के बाद मिल रहे हो”

वन्स कॉप, ऑल्वेज़ कॉप ।

मैं उसकी भेद लेती नजरों से समझ सकता था कि वह जानता था कि कुछ तो गड़बड़ थी । उसने मेरा हाथ पकड़ लिया । उसकी मुस्कान उतनी ही कुटिल थी, जितनी कि मेरी ।

“इसमें मेरी कोई गलती नहीं है, हैरी ।” उसने कहा, “मैं पिछले महीने वाशिंगटन में था । मैं बस अभी वापस आया हूँ । तुम कैसे हो ? मैंने सुना है तुम्हें नौकरी मिल गई है!”

“हाँ, ऐसा कह लो ।” मैंने कहा, “कुछ न होने से तो यह अच्छा है ।”

मैं एक आराम कुर्सी पर ढेर हो गया । नीना उसकी बाजू पर बैठ गई । उसका हाथ मेरे हाथों पर था और रेनिक वापस अपनी कुर्सी पर बैठ गया । उसकी कुछ तलाश करती निगाहें अब भी मुझ पर टिकी थीं ।

“देखो हैरी,” उसने कहा, “तुम इस तरह से काम नहीं चला सकते । तुम्हें कहीं तो ठिकाना ढूँढना पड़ेगा । मेरा ख्याल है मैं मिडोज के साथ मामला जमा सकता हूँ, अगर तुम ऐसा चाहो ।”

मैंने उसकी तरफ सवालिया नजरों से देखा ।

“मिडोज ? कौन सा मामला ?”

“मेरा बॉस ।” रेनिक ने बताया, “मैंने तुम्हें बताया था । मैंने उससे तुम्हारे बारे में बात की है । हमें एक अच्छा पब्लिक रिलेशन अधिकारी चाहिए । तुम इस काम के लिये एक बेहतर विकल्प हो ।”

“क्या मैं ऐसा हूँ ? लेकिन मैं ऐसा नहीं सोचता ।” मैंने कहा, “उन नामुरादों ने मेरे साथ जो किया है, मैं उनके लिए किसी भी पैसे के लिए कोई काम नहीं करूंगा ।”

मेरे हाथ पर नीना की पकड़ मजबूत हो गई ।

“भगवान के लिए, हैरी! थोड़ा सोच-समझ कर बात करो ।” रेनिक ने कहा, “वे पुराने लोग जा चुके हैं । यह एक बड़ा अच्छा मौका है । हमें नहीं पता कि इससे तुम्हें कितना फ़ायदा मिलेगा। लेकिन पैसे के लिहाज से यह काम अच्छा रहेगा । मिडोज तुम्हारे सारे केस के बारे में और एक अखबारी आदमी के तौर पर तुम्हारी साख के बारे में जानता है । अगर हमें सैलरी के लिये ग्रांट मिल जाये, जिसकी हमें पूरी उम्मीद है कि वह हमें मिलेगी, तब यह नौकरी तुम्हारी हो सकती है ।”

मेरे दिमाग में एक बात आई कि किडनैपिंग के जोखिम भरे खेल को छोड़ देने का और एक ढंग का काम करने शुरू करने का यहाँ पर मेरे पास एक मौका था । मैं पचास हजार डॉलर्स के बारे में सोचता हुआ झिझका । उतनी रकम हाथ में आने के बाद तो मैं खुद अपना बॉस होता ।

“मैं इसके बारे में सोचूंगा ।” मैंने कहा, “बेशक पुराने लोग जा चुके हों लेकिन मैं अभी तक सिटी पुलिस के लिए काम करने के लिये मजबूर नहीं हूँ । फिर भी, मैं सोच कर बताऊंगा ।”

“लेकिन क्या तुम्हें नहीं लगता कि तुम्हें यह ऑफर मान लेना चाहिए ?” नीना ने बेताबी से कहा, “यह वो काम है जो तुम पसंद करते हो  और तुम ...”

“मैंने कहा ना, मैं इसके बारे में सोचूंगा ।” मैंने रुखाई से कहा ।

रेनिक निराश दिखाई देने लगा ।

“अच्छा, ठीक है । बेशक यह निश्चित नहीं है कि हमें ग्रांट मिल जाएगी, लेकिन अगर  मिलती है तो हमें तुम्हारा फैसला जल्दी चाहिए । इस काम के पीछे पहले ही कई लोग पड़े हैं ।”

“हमेशा ही होते है,” मैंने कहा, “इस पेशकश के लिये शुक्रिया, जॉन । मैं तुम्हें बता दूँगा ।”

उसने असहाय भाव से कंधे झटके और फिर अपनी जगह पर खड़ा हो गया ।

“ठीक है । मुझे अब चलना चाहिए । मैं तो सिर्फ तुम्हें यह बताने आया था । तुम मुझे फोन कर देना ।”

जब वह चला गया तो नीना बोली, “तुम इस ऑफर को ठुकराने नहीं जा रहे हो, हैरी, क्या तुम ऐसा करोगे ? तुम्हें समझना चाहिए ...”

“मैं इस बारे में विचार करूंगा । चलो, अब बिस्तर पर चलें ।”

वह अपना हाथ मेरी बाजू पर रखते हुए वह बोली, “अगर उन्हें यह ग्रांट मिल जाती है, तो मैं चाहती हूँ कि तुम यह नौकरी कर लो । हम इस तरह से ज्यादा दिन गुजारा नहीं कर पाएंगे । तुम्हें कुछ तो करना होगा ।”

“क्या तुम मुझे अपनी जिंदगी के बारे में खुद सोचने दोगी ?” मैंने तेज आवाज में कहा, “मैंने कहा है कि मैं सोचूंगा इस  बारे में और मैं यही करने वाला हूँ ।”

मैं बेडरूम में गया और दराज में वो टेप रख दी जो मैंने रिकॉर्ड की थी और उसके बाद मैंने अपने कपड़े बदले । मैं सुन सकता था कि नीना रसोई में काम कर रही थी । मैं अपने बिस्तर में घुस गया ।

मैंने रेनिक की पेशकश को रिया के पचास हजार डॉलर्स के सामने तौला । हो सकता है, इसकी ग्रांट न मिले । हो सकता है, किडनैपिंग में कोई गड़बड़ हो जाए । मुझे इंतजार करना और देखना था ।

अगर किस्मत साथ दे तो मैं दोनों, रेनिक की पेशकश और रिया की दौलत, को हासिल कर सकता था । 

नीना बेडरूम के अंदर आई । मैंने नींद में होने का नाटक किया । मैंने अधखुली आँखों से उसको अपने कपड़े उतारते हुए देखा । वो मेरे बगल में बिस्तर पर लेट गई और  लाइट बंद कर दी । जब वह मेरे करीब गई, मैं उससे दूर हो गया । मुझे ऐसी घबराहट महसूस हुई कि मैं उसके द्वारा खुद को छूना बर्दाश्त नहीं कर सकता था ।

अगले दिन बृहस्पतिवार था । नीना को कार की जरूरत थी क्योंकि उसे कुछ मिट्टी के बर्तन दुकान तक लेकर जाने थे ।

मेरे पास करने के लिये कुछ खास नहीं था इसलिए मैं घर में ही टिका रहा और ओडेट के ख्यालों में खोया रहा ।

अब तक मेरे अपराध बोध के भाव हल्के पड़ चुके थे । मैंने खुद को समझाया कि अगर फिर इस तरह के हालात बने तो जो हुआ उसको फिर से नहीं दोहराया जाएगा । यह मेरी पहली गलती थी और इस तरह की दूसरी गलती नहीं होने वाली थी । लेकिन आज सुबह मैं जब अपने घर में चारों तरफ भटक रहा था तो  मैंने अपने आप को दूसरे ढंग से सोचते हुए पाया ।

मैं अपने आप को समझा रहा था कि शायद नीना को इस बात से दु:ख न पहुंचे, अगर मैं एक बार फिर ओडेट के संसर्ग में आऊँ । अपने आप को काबू में रखने का वक्त पहली बार था, अब दूसरी बार से कोई फर्क नहीं पड़ता था । एक बार आप जो गलती कर चुके, वह कर चुके । अब मैं बेसब्री से कल की रात का इंतजार करने लगा ।

बाद में, मैं दिन के वक्त बैंक में गया और उस टेप को दूसरी के साथ रख दिया । उसके बाद मैं बीच कैबिन गया और बाकी का दिन तैराकी करते हुए और धूप सेंकते हुए बिताया । धीरे-धीरे मेरे दिमाग में ओडेट का जुनून सवार होने लगा था ।

अगली सुबह जब हम नाश्ता खत्म करने वाले थे, तब नीना ने पूछा, “क्या तुमने जॉन के ऑफर के बारे में कुछ सोचा है ?”

“अभी तो नहीं लेकिन मैं इसके बारे में विचार कर रहा हूँ ।” मैंने कहा ।

उसने मेरी तरफ गौर से देखा और मुझे अपनी निगाहें वहाँ से हटानी पड़ीं ।

“ठीक है, जब तक तुम विचार कर रहे हो,” उसने कहा, “ये तीन बिल हैं, जिन्हें भरना जरूरी है । मेरे पास पैसे नहीं है ।” उसने सारे बिल मेज पर रख दिए । “गैरेज वाला भी हमें और गैस नहीं देगा, जब तक हम उसका उधार नहीं चुकाएंगे । बिजली का बिल भी भरना जरूरी है, नहीं तो हमें बिना लाइट के रहना पड़ेगा । राशन का बिल भी देना जरूरी है । वे हमें और उधार नहीं देंगे ।”

रिया के मुझे दिये हुए सौ डॉलर्स में से मेरे पास अभी भी साठ डॉलर्स बचे हुए थे । कम से कम मैं बिजली और राशन के बिल का हिसाब कर सकता था ।

“ठीक है, मैं ये बिल भर दूँगा ।” मैंने कहा, “गैरेज वाला अभी रुक सकता है । क्या हमारे पास कुछ गैस बची हुई है ?”

“लगभग आधा टैंक ।”

“हमें बस का इस्तेमाल करना चाहिए, जब भी हम कर सकें ।”

“मुझे कल चार पॉट्स पहुंचाने हैं । मैं बस में नहीं जा सकती ।”

उसकी आवाज में हताशा की छाप साफ झलक रही थी जिसे मैंने कभी नहीं देखा था । मैंने उसकी तरफ देखा । उसने मुझसे नजरें मिलाईं । उसकी गहरे रंग की आँखों में दु:ख और गुस्सा झलक रहा था । मेरी अंतरात्मा की चुभन ने मुझे भी गुस्सा दिला दिया ।

“मैंने यह नहीं कहा कि तुम कार का प्रयोग नहीं कर सकती ।” मैंने कहा, “मैंने कहा है कि हमारे लिए सही रहेगा अगर हम बस का प्रयोग कर सकें ।”

“मैंने सुन लिया ।”

“ठीक है फिर ।”

वह ठिठकी । मैं देख सकता था वह कुछ कहना चाहती थी लेकिन इसकी बजाय वह मुड़ी और कमरे से बाहर चली गयी ।

मुझे बहुत बुरा लगा । हम आपस में कभी झगड़े नहीं थे । यह हमारा ऐसा सबसे नजदीकी मामला था । मैं घर से निकल गया और बस स्टॉप पर पहुँचा । मैंने दोनों बिल चुकाए । इसके बाद मेरे पास पंद्रह डॉलर्स बचे । हफ्ते के आखिर में बिल होल्डन भी किराया माँगेगा लेकिन उस वक्त तक अगर किस्मत ने साथ दिया तो मेरे पास पचास हजार डॉलर्स होंगे ।

बाकी का दिन मैंने तैराकी करते हुए, धूप में आराम करते हुए, घड़ी देखते हुए और समय की घड़ियाँ गिनते हुए बीच कैबिन में इस इंतजार में बिताया कि कब ओडेट बरामदे की सीढ़ियों पर आएगी ।

साढ़े आठ बजे के बाद बीच एक बार फिर से सुनसान हो गया । मैं बरामदे में बैठा हुआ उतना ही तनाव में था जितना किसी लड़की से अपनी पहली मुलाक़ात के वक्त कोई स्कूली लड़का होता है । 

नौ बजने के कुछ समय बाद वह अंधेरे से निकल कर सामने आई । जैसे ही मुझे उसकी झलक मिली, मैं अपनी कुर्सी से किसी मूर्ख की तरह जोश में भर कर खड़ा हो गया। मेरा दिल ज़ोर से धड़क रहा था और जैसे ही वह सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर आई, मैंने उसके हाथों को पकड़ लिया और उसे अपनी तरफ खींचने लगा ।

फिर मुझे एक झटका लगा ।

उसने अपने हाथ मेरी छाती पर रखे और मुझे पीछे धकेलते हुए जोर का धक्का दिया ।

“अपने हाथों को अपने काबू में रखो ।” उसने ठंडे और सपाट लहजे में कहा, “जब मेरी मर्जी होगी कि तुम मुझे हाथ लगाओ, मैं तुम्हें बता दूँगी ।”  और वह मेरे पास से चलती हुई कैबिन में चली गई ।

मुझे लगा जैसे मैं किसी बर्फीले पानी के नीचे फँस गया हूँ । मुझे लगा जैसे मेरी सारी हेकड़ी निकल गई हो और मैंने खुद को बहुत शर्मिंदा महसूस किया । एक पल झिझकने के बाद, मैं उसके पीछे कैबिन में चला गया और दरवाजा बंद कर लिया ।

उसने हल्के नीले रंग के स्लेक्स और पट्टियों वाली सफ़ेद शर्ट पहनी हुई थी । उसके काले बाल सफ़ेद रंग के रूमाल से पीछे की तरफ बंधे हुए थे । जब वह दीवान पर बैठी तो बहुत शानदार लग रही थी ।

“तुम्हें कभी भी सीधे ही नतीजे पर नहीं पहुँच जाना चाहिए, मिस्टर ।” उसने कहा और हँसी । “तुम्हें किसी भी महिला को कभी भी सस्ते में नहीं लेना चाहिए । तुम उस रात को मुझे अच्छे लगे लेकिन आज मुझे तुम्हें देख कर अच्छा नहीं लगा ।”

यह उस वक्त की हकीकत थी । मैंने उसे मार दिया होता । मैं उसे जबरदस्ती हासिल कर सकता था लेकिन उन शब्दों ने मुझे मेरी हकीकत बयान कर दी । वे शब्द नश्तर की तरह से थे जिन्होंने मेरे अहम के गुब्बारे की हवा निकाल दी ।

मैं बैठ गया । कांपते हुए हाथ से मैंने एक सिगरेट सुलगाई ।

“मुझे खुशी है कि मैं तुम्हारा बाप नहीं हूँ ।” मैंने कहा, “यह एक ऐसी बात है, जिसकी मुझे बेहद खुशी है ।”

अपने फेफड़ों में धुआँ भरते हुए और फिर अपने छोटे से नथुनों से उसे बाहर निकालते हुए, वह फिर हँसी ।

“मेरे पापा को इसमें क्यों घसीट रहे हो ? तुम मुझसे इसलिए खफा हो रहे हो क्योंकि मैं वो सस्ता खिलौना नहीं हूँ जैसा तुमने सोचा था । ऐसे लोग खिसिया कर यही बात कहते हैं । मूर्ख और अपनी हवस के मारे, हारे हुए आदमी ।” उसने अपने बालों को ठीक किया और खिल्ली उड़ाने वाले अंदाज में मुझे देखा । “ अब हम यह सब बंद करके, क्या अपने काम की बात करें ?”

मुझे उससे इतनी नफरत हुई जितना मैं सोच सकता था कि किसी से नफरत करना संभव है ।

मुझे अपना ब्रीफकेस खोलने में और उसमें से वे कागज निकालने में बहुत दिक्कत हुई, जिस पर मैंने अपने सवाल लिख रखे थे । मेरे हाथ इतनी बुरी तरह से कांप रहे थे कि उस कागजों से भी खड़खड़ाने की आवाजें हुई ।

“मैं तुमसे कुछ सवाल पूछूंगा ।” मैंने कहा, मेरी आवाज पर मेरा नियंत्रण बिलकुल नहीं था । “तुम मुझे उनके जवाब दो ।”

“तुम्हें ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं हैं, मिस्टर ।” उसने कहा, “तुम्हें तुम्हारे काम की बहुत अच्छी कीमत दी जा रही है ।”

“तुम चुप रहो ।” मैं उस पर गुर्राया, “मैं तुमसे कोई ओछी टीका-टिप्पणी नहीं सुनना चाहता ।” फिर मैंने उस पर सवालों की बौछार कर दी ।

‘वह पाइरेट्स कैबिन में क्यों गई थी ?’

‘वह कमरा कैसा था जहाँ उसे बंद रखा गया था ?’

‘वो औरत कैसी थी जिसने उसे खाना दिया था ?’

‘जब वह उस फ़ार्महाउस में बंद थी, क्या उसने उस औरत के अलावा किसी और को भी देखा था ?’ और यह सिलसिला चलता रहा ।

उसके जवाब साफ और तुरंत आए । एक बार भी, न तो उसने कोई गलती की और न ही वह झिझकी ।

हमने इस सिलसिले को दो घंटे तक जारी रखा । सवाल-जवाब के इस पूरे समय के दौरान उसने एक बार भी कोई गलती नहीं की ।

“तुम इसे आसानी से कर लोगी । जब तक तुम इस कहानी में कोई फेरबदल न करो और अगर तुम पुलिस के किसी भी जाल से सावधान रहोगी, तुम आसानी से यह काम कर लोगी ।” आखिर में मैंने उसे कहा ।

वह उपहासपूर्ण ढंग से मुस्कुराई ।

“मैं उनके सवालों के जाल से बच कर रहूँगी... हैरी ।”

मैं अपनी जगह पर खड़ा हो गया ।

“ठीक है, फिर हम शनिवार के लिये तैयार हैं । मैं सवा नौ बजे पाइरेट्स कैबिन में मिलूंगा । तुम्हें पता ही है कि तुम्हें क्या करना है ?”

वह दीवान पर सीधी हुई और खड़ी हो गई ।

“हाँ, मुझे पता है क्या करना है ।”

हमने एक दूसरे को देखा, अब उसके चेहरे के भाव थोड़े नरम पड़ गए और उसकी आँखों में वही शरारत चमकने लगी ।

“पुअर लिटिल मैन,” उसने कहा, “अब अगर तुम मुझे छूना चाहते हो तो छू सकते हो । अब मुझे बुरा नहीं लगेगा ।”

मैंने उसके नजदीक आने का इंतजार किया और फिर उसके मुँह पर तेज थप्पड़ जड़ दिया । उसका चेहरा एक  झटके से एक तरफ मुड़ गया । फिर मैंने उसे एक चांटा और रसीद कर दिया ।

वह एक कदम पीछे हटी । उसके हाथ उसके तमतमाते गालों पर पहुँच गए और मुझे घूरते हुए उसकी आँखें छलछला गईं ।

“तुम... गंदे आदमी!” उसने कर्कश आवाज में कहा, “मैं इसे याद रखूंगी! तुम सड़े हुए घटिया आदमी हो!”

“चली जाओ यहाँ से!” मैंने कहा, “इससे पहले कि मैं तुम्हें और मारूँ!”

वह अपनी कमर हिलाती दरवाजे तक गई । दरवाजे पर वह मुझे देखने के लिये रुकी ।

“मुझे खुशी है कि मैं तुम्हारी पत्नी नहीं हूँ ।” उसने गुस्से से कहा, “इस एक बात की मुझे बेहद खुशी है ।” फिर अचानक वह खिलखिला कर हँसी और मुड़कर चाँद की रोशनी में भीगी हुई सख्त मिट्टी पर लड़खड़ाते हुए भाग गई ।

मुझे अपने आप पर इतना गुस्सा आया कि कोई दूसरा वक्त होता मैंने खुद अपना गला काट लिया होता ।