होटल सिद्धार्थ बार रूम में ।

मद्धम रूप से प्रकाशित एक मेज पर अजय और नीलम आमने–सामने बैठे थे । अजय के सामने व्हिस्की का लार्ज पैग रखा था । नीलम एप्पल जूस की चुस्कियाँ ले रही थी ।

–'मंजुला सक्सेना से मिले ?' नीलम ने अपना गिलास मेज पर रखकर पूछा ।

–'हाँ ।' अजय ने जवाब दिया ।

–'कैसी लगी ?'

–'एकदम बोर ।

–'लेकिन रिपोर्टर तो बढ़िया है ।'

–'हाँ ।' अजय व्हिस्की सिप करके बोला–'और मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि नलिनी प्रभाकर का अनुमान सही है । मनमोहन की हत्या ही की गई थी ।'

–'लेकिन तुम इस नतीजे पर पहुंचे कैसे ?' नीलम ने उत्सुकतापूर्वक पूछा ।

अजय ने मंजुला सक्सेना के पास देखी गई मनमोहन की लाश की फोटो के बारे में बताने के बाद कहा–'अगर मनमोहन ने खुद छलांग लगाई होती तो उसकी लाश उस प्रोजेक्शन पर नहीं पड़ी पायी जानी थी । समझी ?'

–'मैं तो समझ गई । लेकिन क्या पुलिस भी इसे समझ जायेगी ?'

–'नहीं ।' अजय सर हिलाकर बोला–'मंजुला कोशिश करके देख चुकी है । उन लोगों ने उसकी बातें सुनने तक से इंकार कर दिया । इसीलिए मंजुला ने उन लोगों को एक और सबूत के बारे में नहीं बताया ।'

–'सबूत ? कैसा ?'

–'मंजुला के पास एक ऐसे गवाह का दस्तखत शुदा लिखित बयान है । जिससे साबित होता है उस रात मनमोहन के अपार्टमेंट में फिल्म स्टार अमरकुमार का बॉडीगार्ड रोशन भी मौजूद था । अजय ने कहा, फिर आस–पास देखने के बाद धीमी आवाज में बोला मैंने सोचा इस मामले में थोड़ी हलचल पैदा करना ठीक रहेगा । इसलिए अमरकुमार से मिला और उसके कान में यह बात डाल दी ।'

–'यह तुमने ठीक नहीं किया ।'

–'क्यों ?'

–'अगर यह वाकई सबूत का दर्जा रखता है ।' नीलम विचारपूर्वक बोली–'तो वे इसे खत्म करने की कोशिश कर सकते है ।'

–'यही तो मैं चाहता हूं । इस मामले में उन्होंने किसी तरह का भी कोई सुराग नहीं छोड़ा है । अब सिर्फ यही एक तरीका है–उन लोगों को उकसाकर उनमें हड़बड़ी मचाई जाए ताकि वे कोई गलती करें ।'

–'और मंजुला ? वह भी तुम्हारे साथ काम करेगी ?'

–'उसके एडीटर ने उसे इस केस पर काम करने से रोक दिया है ।' अजय ने जवाब दिया–'ऐसा लगता है बहुत से दौलतमंद और असरदार आदमी मनमोहन को जितना जल्दी हो सके भुला देना चाहते हैं । उनकी काफी मोटी–मोटी रकमें दांव पर लगी हैं ।'

–'यह कोई नई बात नहीं है ।' कहकर नीलम ने पूछा–'यह बताओ अमरकुमार पर क्या प्रतिक्रिया हुई ?'

–'उसकी बातों से ऐसा लगता है उसे खुद पर बहुत ज्यादा भरोसा है । अजय बोला–'और इस भरोसे की वजह है–शमशेर सिंह । अमरकुमार को पूरा यकीन है वह आखिर तक उसका साथ देगा ।'

–'क्या यह सही है कि अमरकुमार, शमशेर सिंह का फ्रंटमैन है ?'

–'हाँ, शमशेर सिंह की आर्गेनाइजेशन ने अमरकुमार की आड़ में कई धन्धों में बहुत मोटा पैसा लगाया हुआ है ।'

–'अगर ऐसा है तो इस मामले से भी शमशेर सिंह का ताल्लुक होना चाहिए ।'

–'हो सकता है ।'

–'तब तो इस मामले में तुम्हें दखल नहीं देना चाहिए ।' नीलम ते संजीदगी से कहा ।

अजय मुस्कराया ।

–'पहले तो तुमने यहां बुलाकर मुझे इसमें फंसा दिया । अब कहती हो दखल नहीं देना चाहिए ।'

–'तब मुझे पता नहीं था कि शमशेर सिंह भी इसमें इन्वॉल्व है ।'

–'तो अभी कौन सी कयामत टूट पड़ी ?'

–'तुम भूल रहे लगते हो इसी आर्गेनाईजेशन के तीन बड़े ओहदेदार श्रीकांत वर्मा, विक्रम भोंसले और नरेन मुखर्जी तुम्हारी ही वजह से आज तक सजा काट रहे हैं ।'

(देखिए उसन्यास चांडाल चौकड़ी)

अजय हँसा ।

–'मुझे सब याद है ।'

–'तो क्या शमशेर सिंह तुमसे उसका बदला लेने की कोशिश नहीं करेगा ?'

–'अगर वह उतना ही सुलझा हुआ और तजुर्बेकार है जितना कि सुना जाता है तो वह ऐसा नहीं करेगा ।'

–'क्यों ?'

–'इसलिए कि धूर्त ही सही, है तो वह बिजनेसमैन ही । और बिजनेसमैन सबसे ज्यादा अहमियत अपने नफा नुकसान को देते हैं । बदला लेने के झंझटों में आमतौर पर वे नहीं पड़ा करते । और फिर उसे कोई नुकसान तो मैं नहीं पहुंचा रहा ।' अजय ने कहा, फिर अपना ड्रिंक खत्म करने के बाद, बोला–'वैसे भी मेरा कदम इतना आगे बढ़ चुका है कि अब पीछे मैं नहीं हट सकता ।'

–'अमरकुमार को यह बताकर कि उस रात मनमोहन के अपार्टमेंट में उसका बॉडीगार्ड मौजूद था ?'

–'हाँ ।'

–'लेकिन तुम करोगे क्या ?' चंद सैकेंड खामोश रहने के बाद नीलम ने पूछा–'जहाँ तक मैं समझती हूँ, एकदम होपलेस केस है । तुम यह भी साबित नहीं कर सकते, कि मनमोहन का मर्डर हुआ था ।'

–'तुम बेकार फिक्र कर रही हो । अगर कोई सॉलिड लीड नहीं मिलेगी तो मैं वापस विराटनगर लौट जाऊंगा ।' अजय ने लापरवाही से कहा–'अब इस किस्से को छोड़कर बताओ कि डिनर कहां लेना पसन्द करोगी ? इसी होटल में या कहीं और ?'

–'यहाँ के मशहूर रेस्टोरेंट विशाल में ।'

–'तब तो मुझे ऊपर जाकर कपड़े बदलने पड़ेंगे ।'

–'मुझे भी अपना हुलिया थोड़ा ठीक करना है ।'

अजय ने वेटर को बुलाकर बिल चुकाया और नीलम सहित बाररूम से बाहर आ गया ।