आशिक़ बनाया आपने
वीर का परिवार एक दिन के लिए out of city था। वे सुबह 07:00 बजे ही घर से निकल गए थे। वीर ने कालेज में Practical का बहाना बना दिया था ताकि उनके साथ जाना न पडे। कारण यह था कि वीर माया से मिलना चाहता था। वीर को ऐसे मौक़े कम ही मिलते थे और वो इस opportunity को अपने हाथ से जाने नहीं देना चाहता था। वीर ने माया को पहले ही मिलने का बता दिया था और साथ ही यह भी कह दिया था कि आज कालेज से बंक मारकर सीधा घर पर ही आ जाए।
10:00 बजे माया वीर के घर पर पहुँच गई थी। उसने नीले रंग का सूट पहना हुआ था, जिस पर फूल बने हुए थे। माया ने बाल खोल रखे थे। जब माया कमरे में आई तब वीर ने उसे ग़ौर से देखा और कहा कि अब लगता है, कुछ ज़्यादा ही नीले रंग का सूट पहनने लग गई हो। क़यामत ढाने का इरादा लगता है। लगता है कि यह नीला रंग तो सिर्फ तुम्हारे लिए ही बना है और ऊपर से आज बाल भी खुले छोड़े हैं। कहीं मेरा दिल बांधने का इरादा तो नहीं?
“हाँ, ये तो सही है कि मैं अब नीले रंग के सूट कुछ ज़्यादा ही पहनने लगी हूं। तुम्हें पसन्द है न इस रंग के सूट मुझ पर, बस इसलिए ही। और रही बात दिल बांधने की, तो तुम्हें क्या लगता है कि अब तुम्हारा दिल आजाद भी है? वो तो कब का मेरा हो चुका है।” माया ने वीर से शरारती लहज़े में कहा।
कुछ मिनट तक दोनों एक-दूसरे की आँखों में डूबते रहे। प्यार दिल में होता है, दिमाग़ में होता है, लेकिन वे एक-दूसरे की आदतों में शामिल हो गए थे। प्यार में डूबने की हक़ीक़त यही होती है कि कोई उसकी आदतों में इस कदर शामिल हो जाए कि उसका ख़याल आपके दिलो-दिमाग़ से दूर न हो। वे एक-दूसरे के अलावा किसी और की सोचें ही ना। कहां क्या हो रहा है, कैसे हो रहा है, क्यों हो रहा है, उससे उनको मतलब ही न हो। वे खोए रहे अपनी ही बसायी हुई दुनिया में, जहाँ ना तो वो किसी को पहचानते हो और ना ही कोई उनको।
वीर ने माया का हाथ पकड़ा और अपनी तरफ़ खींचकर इस तरह अपने अन्दर समा लिया कि सूट पर बिखरे फूलो की महक भीतर ही रहे, बाहर न फैलने पाए। माया भी निश्चित होकर वीर से लिपट चुकी थी। इतने करीब आने के बाद दोनों उस पल को महसूस कर रहे थे।
वक़्त कभी-कभी किसी एक बिन्दु पर आकर ठहर जाता है और इंसान भी उस ठहरे हुए वक़्त में जीना चाहता है। वो नहीं चाहता कि वो वक़्त अब आगे बढे। इंसान उस वक़्त में समा चुका होता है। वीर और माया भी उस ठहरे हुए वक़्त में एक-दूसरे के साथ थे। यह वक़्त उन दोनों के लिए रुका हुआ था। उन्हें लग रहा था कि आस-पास का सब कुछ गतिशील है और बस वो दोनों अपने ही वक़्त में कहीं ठहरे हुए हैं। दोनों एक-दूसरे से इस कदर लिपट गए थे कि अगर दोनों के बीच से हवा भी गुज़रने की गुस्ताख़ी करे तो उसका भी दम घुट जाए। वीर और माया एक-दूसरे को पागलों की तरह किस कर रहे थे। वीर अपने हाथ माया की पीठ की तरफ़ लेकर गया और फिर उसके हाथ नीचे की तरफ़ जाने लगे। माया ने वीर के हाथों को वहीं रोक दिया और कहा कि प्लीज़, ऐसा मत करो।
वीर ने माया से कहा कि आज मेरे हाथों को मत रोको। मेरे इन भटकते हाथों को तुम्हारे जिस्म पर घूमने का लाइसेंस दे दो। वीर और माया ने एक-दूसरे की आंखों में देखा, जिसमें प्यार का सैलाब आ चुका था। माया फिर पागलों की तरह वीर से लिपट गई और उसे किस करने लगी। वीर ने माया को ख़ुद से अलग किया और उसे अपने हाथों में उठा लिया। वीर ने माया को बिस्तर पर लिटा दिया और उसे चूमने लगा। वीर ने माया के सूट को उसके जिस्म से अलग कर दिया। जब वीर ने माया के जिस्म को निहारा तो माया शर्म से नहा गई। माया ने वीर को अपने ऊपर खींच लिया। दोनों एक-दूसरे में समा रहे थे। वीर माया के पूरे जिस्म को चूम रहा था। वीर और माया एक-दूसरे के इतने ज़्यादा करीब आ गए कि दोनों को एक-दूसरे के जिस्म की गन्ध महसूस होने लगी। जिस्म की गन्ध इंसान को पागल करके छोड़ती है। वीर ने बर्फ़ीले पहाड़ को जिस्म की तपिश से लड़ा दिया। वीर माया को प्यार के ऐसे समन्दर में गोता लगवाने ले गया जहाँ से सूखा लौटना नामुमकिन था। दोनों इस समन्दर में इस तरह नहाए कि पसीने से तर-ब-तर हो गए। साँसें इतना तेज़ थीं कि मानो आज ही ख़त्म हो जाएँगी। थोड़ी देर बाद दोनों के जिस्म की उफनती गर्मी अब सुकून भरी ठंडी हवा में तब्दील हो गई और दोनों ने एक-दूसरे को और कस के भींच कर इस खुशी को महसूस करने को छोड़ दिया। वीर का जिस्म पसीने से नहा गया था और उसने स्वयं के जिस्म को माया से हटाकर बिस्तर पर निढाल कर दिया।
कुछ देर तक दोनों बिस्तर पर उसी नग्न अवस्था में लेटे रहे। वीर ने लेटे हुए ही माया का हाथ अपने हाथों में लिया और कहा कि हम अलग-अलग कितने अकेले और अधूरे है, लेकिन जब साथ होते है तो मुकम्मल होते हैं, एक-दूसरे के पूरक होते है। यह सुनकर माया के चेहरे पर एक प्यारी-सी मुस्कान तैर गई। फिर वीर ने माया के हाथ को अपने होंठों के करीब लाकर चूम लिया।
माया ने वीर से कहा कि मैं सिर्फ़ और सिर्फ़ तुम्हारी हूं। मुझसे वादा करो कि हम हमेशा एक-दूसरे से प्यार करते रहेंगे और कभी भी अलग नहीं होंगे।
“हाँ, मैं वादा करता हूँ कि हम एक-दूसरे से कभी भी अलग नहीं होंगे। मैं तुमसे इतना ज़्यादा प्यार करता हूँ कि शब्दों से तुम्हें बयाँ भी नहीं कर सकता। आज जो कुछ भी हमारे बीच में हुआ है,यह हमारे प्रेम की पराकाष्ठा है। पता है, तुम मेरी इस Black and White जिंदगी में वो सुनहरा रंग लाई हो, जिसके सामने दुनिया के सारे रंग फीके हैं। तुम्हारी आँखें, रंग, होंठ, उसके नीचे तिल और जिस्म की खुशबू ने मुझे मदहोश कर दिया है। अब तो लगता है कि तुमसे एक पल भी दूर नहीं रह पाऊँगा। आई लव यू, माया।” वीर ने माया की तरफ़ देखकर कहा।
माया ने जब वीर की ये बातें सुनीं तो माया फिर से वीर से लिपट गई और ख़ुद को वीर की बाँहों में खुला छोड़ दिया।
“कितनी गहराई है तुम्हारे अन्दर, वीर। बिल्कुल समन्दर की तरह। मुझे ड़र लग रहा है कि कहीं डूब न जाऊँ।” माया ने कहा।
“ड़रो मत। तुम नदी की तरह हो। बेख़ौफ़, बेबाक़, कल-कल करके बहने वाली। समा जाओ इस समन्दर के अन्दर।” वीर ने कहकर माया को अपने ऊपर खींच लिया।
शाम को माया के जाने से पहले प्यार का यह सिलसिला फिर दोबारा चला। फिर वही चुम्बन और जिस्म की गन्ध महसूस की गई।
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