विल्सन का पुल
लकड़ी का पुराना पुल टूट चुका था, और अब एक लोहे का पुल भागीरथी पर लटका हुआ था जो गंगोत्री से नीचे पहाड़ों के बीच के दर्रे से होते हुए गुज़रती थी। लेकिन गाँववाले आपको बतायेंगे कि आप अब भी विल्सन के घोड़े की वह टाप सुन सकते हैं जब वह अपने डेढ़ सौ साल पहले बनाये पुल पर उसे भगाया करता था। उस समय लोग इसके सुरक्षित होने को लेकर आशंकित थे, इसलिए इसकी मज़बूती दिखाने के लिए विल्सन घोड़े पर बैठकर इस पर से बार-बार गुज़रा करता था। उस पुल का कुछ हिस्सा अब भी नदी के दूर किनारे पर देखा जा सकता है और विल्सन और उसकी सुन्दर पहाड़ी वधू गुलाबी की दंतकथा, अब भी इस क्षेत्र में काफ़ी प्रचलित है।
मैं अपने कुछ दोस्तों के साथ नदी किनारे जंगल के पुराने रेस्ट हाउस में ठहरा हुआ था। मेरे साथ रे दम्पति जिनकी नयी-नयी शादी हुई थी और दत्ता दम्पति थे जिनकी शादी काफ़ी साल पहले हुई थी। युवा रे दम्पति की बहुत लड़ाई होती थी, जिसे देखकर दत्ता दम्पति चिन्तित कम और मनोरंजन ज़्यादा किया करते थे। मैं उनके समूह का हिस्सा था, लेकिन फिर भी बहुत हद तक बाहरी था। कुँवारा होने की वजह से मैं उनके ज़्यादा महत्त्व का नहीं था और एक विवाहित जोड़े के सलाहकार की तरह तो मैं उनके किसी भी काम का नहीं था।
मैं अपना अधिकांश समय नदी किनारे घूमने में या घाटी को घेरे खड़े देवदार या सिन्दूर के घने जंगलों की खाक छानने में बिताता। ये वही पेड़ थे जिनकी वजह से विल्सन और उसके संरक्षक टेहरी के राजा का भाग्य चमका था। उन्होंने विशाल लकड़ी के लट्ठों को पानी में बहाकर समतल में बने टिंबर यार्ड में पहुँचाकर घने जंगलों का खूब दोहन किया।
एक बार मैं देर शाम रेस्ट हाउस लौट रहा था, आधा पुल ही पार किया होगा कि दूसरे किनारे पर मैंने एक आकृति देखी जो कुहरे से निकलकर आ रही थी। वह एक औरत थी जिसने पहाड़ों में पहनी जाने वाली सादी साड़ी पहन रखी थी, उसके खुले बाल उसके कन्धों पर बिखरे थे। ऐसा लगा कि उसने मुझे नहीं देखा और पुल की रेलिंग पर झुककर काफ़ी नीचे बहता तेज़ पानी का बहाव देखने लगी और फिर मुझे चकित और भयभीत करती हुई वह रेलिंग पर चढ़ी और पानी में कूद गयी।
मैं उसे आवाज़ देता आगे की ओर दौड़ा लेकिन रेलिंग तक जाकर मुझे सिर्फ़ नीचे झागवाले पानी में उसका गिरा हुआ शरीर दिखा जिसे धारा तेज़ी से बहाती नीचे की ओर लिये जा रही थी। चौकीदार का कमरा थोड़ी दूर था। दरवाज़ा खुला हुआ था। चौकीदार राम सिंह बिस्तर पर अधलेटा हुक्का पी रहा था।
“कोई अभी-अभी पुल से कूदा है,” मैंने हाँफते हुए कहा, “नदी ने उसे अपने साथ बहा लिया!”
चौकीदार चुपचाप रहा, “फिर से गुलाबी,” उसने जैसे खुद से ही कहा हो; फिर मुझसे पूछा, “क्या आपने उसे ठीक से देखा?”
“हाँ, एक खुले लम्बे बालों वाली औरत—लेकिन मैंने उसका चेहरा ठीक से नहीं देखा।”
“यह ज़रूर गुलाबी रही होगी। बस एक भूत, मेरे प्रिय सर। चिन्ता करने की कोई बात नहीं। अक्सर कोई-न-कोई उसे नदी में कूदते देखता है। आप बैठिये,” उसने एक पुरानी, जीर्ण आरामकुर्सी की ओर संकेत करते हुए कहा, “आप आराम से बैठिये और मैं आपको उसके बारे में बताता हूँ।”
मैं बिलकुल भी शान्त महसूस नहीं कर रहा था, लेकिन राम सिंह की सुनने बैठ गया जो मुझे गुलाबी की आत्महत्या की कहानी सुना रहा था। मेरे लिए एक गिलास गर्म मीठी चाय बनाने के बाद वह अपनी लम्बी घुमावदार कथा सुनाने लगा कि किस तरह विल्सन, एक अंग्रेज़ खोजी अपना भाग्य तलाशता कस्तूरी मृग के संधान में जुटा था जब उसका गाँव के रास्ते में गुलाबी से सामना हुआ। लड़की की गहरी हरी आँखें और आड़ू जैसे रंग पर वह मंत्रमुग्ध हो गया और उसने हर सम्भव उपाय लगाकर उसके परिवार को जान लिया। वह उसके प्यार में था कि बस उसे सुन्दर और प्राप्ति योग्य समझ रहा था? यह हम कभी नहीं जान पायेंगे। अपनी यात्रा और जोखिम भरे कारनामों के दौरान उसे बहुत सारी औरतें मिली थीं लेकिन गुलाबी अलग थी। बच्चों जैसी निष्पाप और उसने निर्णय किया कि वह उसी से शादी करेगा। उसके दीन-हीन परिवार को कोई आपत्ति नहीं थी। शिकार की अपनी सीमाएँ थीं और विल्सन को इस क्षेत्र के घने जंगलों में बिखरी सम्पदा को बँटोरना ज़्यादा लाभदायक सौदा लगा। कुछ सालों में उसने अथाह सम्पत्ति खड़ी कर ली, उसने हरसिल में एक बड़ा लकड़ी का मकान बनवाया, दूसरा देहरादून में और तीसरा मसूरी में। गुलाबी के पास वह सब कुछ था जो कुछ उसने चाहा होगा, दो स्वस्थ नन्हे बेटों सहित। जब वह काम से बाहर होता, वह बच्चों की देखभाल करती और हरसिल के अपने विशाल सेब के बागान की देखभाल करती।
और फिर वह बुरा दिन आया जब विल्सन अंग्रेज़ औरत रूथ से मसूरी माल रोड पर मिला और यह निर्णय लिया कि उसे भी अपने प्रेम और सम्पत्ति का हिस्सेदार बनाना चाहिए। एक बढ़िया घर उसे भी उपलब्ध कराया गया। जो समय वह हरसिल में गुलाबी और बच्चों के साथ बिताता था, वह बहुत कम हो गया। व्यापार सम्बन्धी काम—अब वह एक बैंक के मालिकों में से एक था—उसे एक फैशनेबल पहाड़ी रिज़ॉर्ट में रखते। वह एक लोकप्रिय मेज़बान था और अपने दोस्तों और सहकर्मियों को दून की शिकार पार्टियों पर ले जाया करता था।
गुलाबी ने अपने बच्चों को गाँव के तौर-तरीकों से पाला था। उसने विल्सन के उस मसूरी वाली औरत के साथ चल रहे विलास की कहानियाँ सुनी थीं और उसकी एक विरल यात्रा के दौरान इस मामले में उससे सवाल किये और अपनी नाराज़गी दिखाते हुए उस दूसरी औरत को छोड़ने के लिए कहा। विल्सन ने उसकी बात पर ध्यान नहीं देते हुए उसे फालतू की बकवास पर ध्यान नहीं देने को कहा। यह कहकर जब वह घूमा, गुलाबी ने बन्दूकों की मेज़ पर रखी फ्लिंटलॉक पिस्तौल उठायी और उस पर एक गोली दाग़ दी। निशाना चूक गया और उसके आईने को चकनाचूर कर दिया। गुलाबी घर से निकलकर बागान से होते हुए जंगल में भागी और वहाँ से नीचे खड़ी ढलान वाले रास्ते से उस पुल पर जिसे विल्सन ने ही तीन या चार साल पहले बनाया था। जब विल्सन सामान्य हुआ, अपने घोड़े पर चढ़कर उसको खोजने निकला। लेकिन बहुत देर हो चुकी थी। गुलाबी पहले ही पुल से बहुत नीचे हरहराते पानी में कूद चुकी थी। उसका शरीर नीचे धारा में एक-दो मील दूर कुछ पत्थरों में फँसा मिला।
यह कहानी थी जो राम सिंह ने मुझे सुनायी, अपनी तरफ़ से बढ़ा-चढ़ा कर और घुमा-फिरा कर। मुझे लगा कि इस शाम को रेस्ट हाउस में आग के किनारे अपने दोस्तों को सुनाने के लिए यह बढ़िया कहानी होगी। उन्हें कहानी बहुत प्रभावी लगी लेकिन जब मैंने उन्हें बताया कि मैंने गुलाबी का भूत देखा है, उन्हें लगा कि मैं अपनी तरफ़ से कहानी को थोड़ा बढ़ा-चढ़ा कर बता रहा हूँ। मिसेज दत्ता को यह दुःखद कहानी लगी। युवा मिसेज रे के अनुसार गुलाबी मूर्ख थी, “वह एक सीधी-सादी लड़की थी,” मिसेज दत्ता ने अपना विचार रखा, “उसने उसी तरह प्रतिक्रिया दी जो वह जानती थी…”
“पैसे खुशी नहीं खरीद सकते,” मिसेज रे ने कहा। “नहीं,” मिसेज दत्ता ने कहा, “लेकिन यह आपके लिए बहुत सारी सुविधाएँ खरीद सकते हैं।” मिसेज रे दूसरी चीज़ों के बारे में भी बात करना चाहती थीं, इसलिए मैंने विषय बदल दिया। किसी कुँवारे के लिए यह थोड़ी परेशानी वाली बात हो सकती है कि उसे अपनी शाम दो शादीशुदा जोड़ों के साथ बितानी पड़े। वहाँ अन्दर ही अन्दर बहुत कुछ चल रहा होता है, जिससे वह अवगत तो होता है लेकिन उससे निबटना नहीं जानता।
उसके बाद मैं पुल पर बहुत बार गया। दिन में वहाँ ट्रैफिक की व्यस्तता होती लेकिन शाम ढलते ही उस पर बहुत कम वाहन रह जाते और पैदल यात्री तो कभी-कभी ही कोई गुज़रता। नीचे दर्रे से धुँध उठती और पुल के दूसरे किनारे को बिलकुल अदृश्य कर देती थी। मैं शाम को वहाँ घूमने को प्राथमिकता देता, मन में आधी उम्मीद और आधी चाह लिये कि गुलाबी के भूत से फिर सामना हो। यह उसका चेहरा था जो मैं दोबारा ज़रूर देखना चाहता था, क्या वह अब भी उतनी ही सुन्दर होगी, जितना उसके बारे में कहा जाता है?
जो हमारे जाने से पहले की शाम घटा, वह मुझे उसके बाद काफ़ी लम्बे समय तक परेशान करने वाला था।
हमारे जाने के दिन जब करीब आ रहे थे, थोड़ा माहौल शान्त हो गया था। ऐसा लगता था जैसे रे दम्पति ने अपने मतभेद सुलझा लिये हैं, हालाँकि वे ज़्यादा बातें नहीं कर रहे थे। मिस्टर दत्ता अपने दिल्ली के ऑफ़िस में लौटने के लिए बेताब थे। मिसेज दत्ता का गठिया का दर्द शुरू हो गया था। मैं भी बेचैन था, मसूरी में अपने लिखने की मेज़ पर लौटने के लिए।
उस शाम मैंने पुल पर आखिरी बार घूमने की सोची ताकि पहाड़ों की गर्मी की रात की ठंडी हवा का आनन्द ले सकूँ। चाँद नहीं निकला था और बहुत ज़्यादा अँधेरा था, हालाँकि पुल के दोनों सिरों पर जलते लैम्प से इतनी रोशनी हो रही थी जो उसे पार करने वाले लोगों के लिए काफ़ी थी।
मैं पुल के बीच में खड़ा था, सबसे अंधकार वाले हिस्से में, नदी के गरजते हुए खाई में गिरने को सुन रहा था, जब मैंने साड़ी में लिपटी आकृति को लैम्प की रोशनी में उभरते देखा जो रेलिंग की तरफ़ बढ़ रही थी।
एकदम से मैं चिल्ला पड़ा, “गुलाबी!”
वह मेरी तरफ़ आधी घूमी लेकिन मैं उसे ठीक से देख नहीं सका। हवा से उसके बाल पूरे चेहरे पर उड़ रहे थे और मैं सिर्फ़ उसकी अस्वाभाविक रूप से चमकती आँखें ही देख सका। मैंने पानी में छपाक की आवाज़ सुनी जब उसकी देह नीचे पानी में गिरी।
फिर एक बार मैंने खुद को रेलिंग के उस हिस्से की ओर दौड़ते पाया जहाँ से वह कूदी थी। और फिर कोई और भी उसी जगह की ओर दौड़ता दिखा, रेस्ट हाउस की तरफ़ से। यह युवा मिस्टर रे थे।
“मेरी पत्नी!” वह चिल्लाये, “क्या आपने मेरी पत्नी को देखा?”
वह रेलिंग के पास भागे आये और नीचे बहते पानी को घूरने लगे।
“देखिये! वहाँ है वह!” उन्होंने पानी में डूबती उतरती एक असहाय आकृति की ओर इशारा किया।
हम नीचे ढलवाँ किनारे से होते हुए नदी की ओर भागे लेकिन धारा उसे बहा ले गयी। पत्थरों और झाड़ियों से उलझते हुए हमने उस डूबती स्त्री को बचाने की पागलों की तरह कोशिश की, लेकिन उस घाटी में नदी गरजते हुए प्रचंड वेग की तरह थी, और लगभग एक घंटे के बाद ही हम एक लकड़ी के लट्ठे में चिपका हुआ बेचारी मिसेज रे का शरीर निकाल सके।
उनका दाह संस्कार उसी जगह से थोड़ी दूर किया गया और हम अपने-अपने घरों में उदास और दुःखी लौटे, इस अनुभव से अगर परिपक्व नहीं तो परिष्कृत ज़रूर होकर।
अगर आप कभी उस क्षेत्र में जायें और देर शाम को उस पुल से गुज़रने का निर्णय लें तो शायद गुलाबी का भूत देख सकते हैं या विल्सन के घोड़े की टाप सुन सकते हैं जब वह पुल पर उसे खोजता घूम रहा था। या आप शायद मिसेज रे का भूत देख सकते हैं या उनके पति की कातर चीख सुन सकते हैं। या कोई और लोग भी हो सकते हैं। कौन जानता है?
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