दूर मौजूद अंसारी ने जब जलालुद्दीन और देवराज चौहान को बातें करते देखा तो उसके चेहरे पर गंभीरता आ गई। वो कोई खास नशे में नहीं था । इन लोगों का साथ देने के लिए दिखाने के तौर पर ही पी रहा था । वो एक तरफ हटा और जेब से मोबाइल निकाल कर बड़े भाई का नंबर मिलाने लगा।

फौरन ही बात हो गई ।

"कहो अंसारी ।"

"बड़े भाई जलालुद्दीन समस्या पैदा कर रहा है ।" अंसारी धीमे स्वर में बोला ।

"पूरी बात बताई ।

अंसारी ने सारी बात बताई ।

"ठीक है । कल मैं किसी भी वक्त आऊंगा । परंतु उन्हें पहले नहीं बताना कि मैं आने वाला हूं ।" उधर से सलीम खान की आवाज आई ।

"ये ठीक रहेगा बड़े भाई ।"

"बाकी सब तो ठीक है । लड़कों में जोश भरा है न, कुछ कर गुजरने का ?"

"सब तैयार हैं और काम करने को बेचैन है । अहमद भाई भी उनसे बात कर चुके हैं ।" अंसारी बोला ।

"मैं कल आऊंगा ।" इसके साथ ही उधर से सलीम खान ने फोन बंद कर दिया था ।

■■■

जलालुद्दीन अंसारी के पास पहुंचा और एक और कील ठोकते बोला ।

"वो बाथरूम में मोबाइल फोन पर बात कर रहा था ।"

"वो कौन-तारिक मोहम्मद ?" अंसारी की आंखें सिकुड़ी ।

"वो ही ।"जलालुद्दीन ने कड़े स्वर में कहा।

"तारिक भला किससे बात करेगा ?" अंसारी के चेहरे पर उलझन आ गई थी ।

"कहता है पाकिस्तान की गायिका-सिंगर नरगिस से बात कर रहा था ।"

"मजाक में कहा होगा । भला वो किससे बात...।"

जलालुद्दीन को कभी धोखा नहीं होता। जो कहता है ठोक बजाकर कहता है ।"

अंसारी के चेहरे पर उलझन छंटने का नाम नहीं ले रही थी ।

"पूछो उससे ।" जलालुदीन बोला ।

"मुझे यकीन नहीं आता । तुम क्यों उसके पीछे पड़े हो ।" अंसारी कह उठा

"उससे पूछो तो सही ।"

अंसारी दो कदम आगे बढ़ा और देवराज चौहान से कह उठा ।

"जलालुद्दीन कहता है कि तुम बाथरूम में फोन पर बात कर रहे थे ।"

"लो ।" अब्दुल रज्जाक हंसकर कह उठा--- "आज फिर चढ़ गई जलालुद्दीन को ।"

जलालुद्दीन ने होंठ भींच लिए ।

"मैं गाना गा रहा था ।" देवराज चौहान नशे की मस्ती में उठा--- "हमारी गायिका नरगिस का मशहूर गाना, सोन दी हेनरी विच दो अनार हिलदे, बढ़िया गाना है। जलालुद्दीन तो पागल है । मेरे हाथों मरेगा ।"

अंसारी ने जलालुद्दीन को देखा ।

"झूठ बोलता है । ये फोन पर बात कर रहा था ।" जलालुद्दीन कह उठा।

"झूठ बोलता है ।" अंसारी ने सोच-भरे स्वर में कहा--- "क्या बात कर रहा था , बताओ तो ।'

"धीमी आवाज में बात कर रहा था । मैं सुन नहीं पाया ।"

"इसके पीने पर रोक लगा दो । जब भी पीता है नई बात खड़ी कर देता है ।" सरफराज हलीम बोला--- "हजम नहीं होती इसे।"

जलालुद्दीन सख्त नजरों से अंसारी को देख रहा था ।

"ये तुम्हें भी पागल कर रहा था ।" अब्दुल रज्जाक फिर बोला--- "बेशक किसी से भी पूछ लो ।"

तभी आमिर रजा खान कह उठा ।

"क्या पता जलालुद्दीन ठीक कह रहा हो । तारिक सच में फोन पर बात कर रहा हो ।"

खामोशी आ ठहरी वहां ।

अंसारी गम्भीर दिखा और देवराज चौहान से बोला ।

"अपना फोन दिखाओ ।"

देवराज चौहान ने तुरंत फोन निकाला और उठकर अंसारी को दिया ।

अंसारी फोन को चैक करने लगा ।

"हमारे खाने-पीने का मजा खराब हो रहा है ऐसी बातों से ।" गुलाम कादिर बोला ।

अंसारी फोन चैक करने के बाद बोला ।

"इस फोन से तो कोई कॉल नहीं की गई । इसमें कोई नम्बर दर्ज नहीं है ।"

"नम्बर तो साफ भी किया जा सकता है ।" आमिर रजा खान कह उठा ।

"क्या तुमने सच में किसी से फोन पर बात नहीं की ?" अंसारी ने देवराज चौहान से पूछा ।

"पाकिस्तान होता तो बात कर भी लेता ।" देवराज चौहान नशे भरे स्वर में कहते अंसारी के हाथों से फोन लेकर जेब में रखता कह उठा--- "भला हिन्दुस्तान में किस से बात करूंगा । यहां तो सब हमारे दुश्मन हैं ।"

"ये बकवास कर रहा है ।" जलालुद्दीन गुर्राया ।

तभी देवराज चौहान गुस्से से कहता जलालुद्दीन पर झपटा ।

"कमीने इंसान। पाकिस्तानी होकर मेरे साथ हिन्दुस्तानियों जैसा व्यवहार कर रहा है । तू जाने किस जन्म का बदला मुझसे ले रहा है । मुझे तो तेरा दिमाग खराब लगता है ।" साथ ही देवराज चौहान का चाँटा जलालुद्दीन के गाल पर पड़ा ।

तभी अंसारी बीच में आ गया । जलालुद्दीन गाल पर हाथ रखे, मौत की सी नजरों से देवराज चौहान को देखने लगा ।

"ये क्या कर रहे हो तारिक मोहम्मद । होश में रहो। आपस में झगड़ना ठीक नहीं ।"

"ये मुझ पर झूठे इल्जाम लगा रहा है और तुम सुन रहे...।"

"तुम्हें हाथ नहीं उठाना चाहिए था ।" अंसारी नाराजगी से कह उठा।

सब चुप से इधर ही देख रहे थे ।

"ये तो कल से मुझ पर इल्जाम लगा रहा है, उसका क्या ? मैं तारिक मोहम्मद हूं और कहता है मेरी आवाज हिन्दुस्तान पहुंचने पर बदल गई । कहता है बाथरूम में मैं बात कर रहा था। कल कहेगा इसने मुझे किसी से मिलते देखा । आखिर चाहता क्या है ये। अगर ये ही सब होता रहा तो मैं वापस पाकिस्तान चला जाऊंगा ।" देवराज चौहान ने भरपूर नाराजगी से कहा--- "मुझे तो इसके चेहरे से भी नफरत होने लगी है ।"

माहौल बिगड़ते देख कर अंसारी सतर्क हुआ । हालात गलत दिशा में जा रहे थे। इनमें आपस में फूट पड़ गई तो सावित्री हाउस में ठीक से काम नहीं कर पाएंगे । अंसारी ने फौरन एक हाथ देवराज चौहान के कंधे पर रखा, दूसरा जलालुद्दीन के कंधे पर ।

"तुम दोनों दोस्त हो। भाई हो। पाकिस्तानी हो । यहां पर इतना बड़ा काम करने आए हो और बच्चों की तरह झगड़ा कर रहे हो। दिमाग तो खराब नहीं हो गया तुम दोनों का । बड़े भाई को पता चला तो वे नाराज होंगे।"

"मैंने जो भी कहा है, वो सच है ।" जलालुद्दीन ने कहा ।

"ये झूठ बोलता है। इसे समझा लो अंसारी वरना मैं कुछ कर बैठूंगा ।" देवराज चौहान ने नाराजगी से कहा ।

"इसने मुझ पर हाथ उठाया है । मैं भूलूंगा नहीं ये बात ।" जलालुद्दीन गुर्राया ।

"फिर वो ही बात...।" अंसारी ने कहना चाहा ।

"मैंने खुद सुना है बाथरूम में ये फोन पर किसी से बात कर रहा...।"

"मेरा बाप बैठा है हिन्दुस्तान में जो उससे बात करूंगा ।" देवराज चौहान ने खा जाने वाले स्वर में कहा ।

"तुम दोनों चुप हो जाओ ।" अंसारी ने कठोर स्वर में कहा ।

दोनों ने कुछ नहीं कहा ।

"कौन सच्चा है, कौन झूठा । इस बारे में कल बात की जाएगी । पीने के बाद किसी समस्या का हल नहीं निकलता । बात खराब ही होती है ।" अंसारी ने कहा--- "कल जैसे भी हो इस मुद्दे को निबटा ही दिया जाएगा ।"

देवराज चौहान को कल के लिए खतरा महसूस होने लगा ।

"ठीक कहते हो अंसारी ।" मोहम्मद डार ने कहा--- "रोज-रोज ये बात नहीं उठानी चाहिए ।"

अंसारी ने देवराज चौहान से कहा ।

"तुमने सच में बाथरूम में फोन पर किसी से बात नहीं की ?"

"तुम भी जलालुद्दीन की बातों में फंस गए । हिन्दुस्तान में मेरा है ही कौन जिससे बात करूंगा । इसके कान बजते हैं । व्हिस्की पीकर दिमाग खराब हो जाता है इसका । ये पागल है जो मेरे बारे में ऐसी बातें कर रहा है ।" देवराज चौहान ने कहा ।

"ठीक है । इस बारे में कल बात करेंगे ।" अंसारी ने शांत स्वर में कहा ।

■■■

अगले दिन नाश्ते के बाद सब फारिग हुए तो अंसारी ने मीटिंग की शुरुआत की ।

"दोस्तों । आज की रात बाकी है और कल का मुबारक दिन हमारे सामने आ जाएगा, जब...।"

तभी जलालुद्दीन कह उठा।

"अंसारी, तुमने आज दूसरी बात करने को कहा था । पहले वो बात हो जाए तो ।"

"वो ही बात होगी, आज ही होगी, मैं तुम्हें विश्वास दिलाता हूं ।" अंसारी ने कहा--- "लेकिन पहले इसके बारे में बात होगी । बड़े भाई ने ही ऐसा करने को कहा है। उसके बाद तुम्हारी शंका पर भी...।"

"बड़े भाई नहीं आएंगे क्या ?" जलालुद्दीन ने कहा ।

"इस बारे में अभी तक मेरे पास कोई खबर नहीं है। अब तुम खामोशी से बैठो और मेरी बात सुनो ।"

जलालुद्दीन फिर नहीं बोला । जबकि देवराज चौहान सोच रहा था कि आज मुसीबत खड़ी हो सकती है ।

अंसारी ने सबको देखते कहा ।

"जिस काम के लिए आप लोगों ने डेढ़ साल की ट्रेनिंग ली। जिस काम के लिए पाकिस्तान छोड़कर यहां आए । वो खास दिन कल का होगा मेरे दोस्तों। कल तुम लोगों ने दिन के ग्यारह बजे सावित्री हाउस की चौथी मंजिल को को कब्जे में लेकर वहां मौजूद सारे हिन्दुस्तानियों को गोली से भून देना है । सिर्फ कुछ को ही बंधक के तौर पर बचा के रखना है ।"

सबकी निगाहें अंसारी पर थी ।

"अब हिन्दुस्तान को दिखाने का वक्त आ गया है कि उसके जुल्म अब पाकिस्तान नहीं सहेगा । पाकिस्तान को जवाब देना  देना भी आता है । कल तुम सबने हर तरफ हिन्दुस्तानी लोगों का लहू बहाना है । इस तरह की हिन्दुस्तान  कांप उठे । ख़ौफ के मारे हिन्दुस्तान के लोग पाकिस्तान से पनाह मांगने लगे । साबित करना है तुम सब ने कि तुम पाकिस्तानी हो । हिन्दुस्तान को अक्ल सीखाने आए हो । सुन रहे हो ना मेरी बात ?"

"हां ।"

"क्या तुममें से किसी के मन में डर है ?" अंसारी ने पूछा ।

"डर कैसा ?" गुलाम कादिर बोला ।

"कल दुश्मनों पर गोलियां चलाने का डर था ।"

"हम डरने वाले नहीं ।" मोहम्मद डार कह उठा ।

"अगर हम डरते तो हिन्दुस्तान की तरफ देखते भी नहीं ।"

"डरेंगे तो हिन्दुस्तानी । कल सारा हिन्दुस्तान कंपेगा । हम बर्बाद कर देंगे हिंदुस्तान को ।"

"तुम सब का जोश काबिले तारीफ हैं ।" अंसारी मुस्कुरा कर ऊंचे स्वर में कह उठा--- "तुम सब का जोश कायम रहना चाहिए बाकी सब काम तो खुद-ब-खुद हो जाएंगे । हिम्मत कम नहीं होनी चाहिए ।"

"हम पाकिस्तान का सिर नीचा नहीं होने देंगे ।"

"कल के बाद हिन्दुस्तान, कश्मीर को पाकिस्तान के हवाले करने के बारे में जरूर सोचेगा ।"

"ये जज्बा तुम लोगों का, कल हिन्दुस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर कर देगा । तबाह कर देगा है तुम लोगों ने हिन्दुस्तान के जर्रे-जर्रे को । पाकिस्तान के खिलाफ जो आग उगलते हैं, उन्हें समझ आ जानी चाहिए कि पाकिस्तान ने चुप रहकर कुछ मार खा ली। पाकिस्तान ने हमेशा सोचा कि हिन्दुस्तान सुधर जाएगा। परंतु ऐसा सोचना गलत था । हिन्दुस्तान कभी नहीं सुधरने वाला । हमने बहुत कोशिश करके देख ली। अब तो ईंट का जवाब पत्थर से देना जरूरी हो गया है। कल पूरी दुनिया को दिखा देना है कि पाकिस्तान क्या नही कर सकते ?"

"मेरा दिल तो कर रहा है कि आज ही हम सावित्री हाउस पर हमला कर दें ।" अब्दुल रज्जाक गुर्रा उठा ।

"अब ज्यादा वक्त नहीं रहा, काम करने में ।" अंसारी ने कहा--- "कल तुम लोग अलग-अलग परंतु एक ही वक्त पर सावित्री हाउस पहुंचोगे। तुम लोगों के पास चीन निर्मित शानदार गनें होंगी । ग्रेनेड होंगे । गोलियों से भरे बैग होंगे । पेट्रोल की बोतलें होंगी की जरूरत पड़ने पर आग लगाई जा सके साथ ही...।"

"अगर हमारी गोलियां खत्म हो गई तो ?" देवराज चौहान बोला।

"चिंता की क्या बात है ।" अंसारी मुस्कुरा कर बोला--- "बड़े भाई के होते हुए चिंता की क्या जरूरत है । सैटेलाइट फोन तुम लोगों के पास होंगे । बड़े भाई को बता देना की गोलियां खत्म होने वाली हैं । आधे घंटे में पुलिस वाले तुम लोगों तक गोलियों से भरे बैग पहुंचा देंगे । बड़े भाई के हाथ बहुत लंबे हैं। पुलिस बड़े भाई की मुट्ठी में है । बस, तुम लोगों को वैसा ही करते जाना है, जैसा कि कहा गया है । लेकिन गोलियां खत्म होने की नौबत नहीं आएगी । क्योंकि तुम लोगों को बहुत ज्यादा संख्या में गोलियां दी जा रही हैं । उनके खत्म होने से पहले ही हिन्दुस्तान ने लाशें देखकर घुटने टेक देने हैं ।"

"हम मांगें क्या रखेंगे ?" आमिर रजा खान बोला ।

"वक्त आने पर बड़े भाई सैटेलाइट फोन पर मांगें बताएंगे ।"

"क्या कश्मीर को पाकिस्तान के नाम लिखवा ले ।"

"ऐसा हो सकता तो पाकिस्तान खुश हो जाएगा । पाकिस्तान की जनता की खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा और तुम लोगों का नाम पाकिस्तान में हर तरफ रोशन होगा ।" अंसारी ने ताली बजाकर कहा--- "परंतु सबसे पहला काम तो चौथी मंजिल को कब्जे में लेकर लाशें बिछाने का है ।"

"वो हम कर लेंगे ।"

"याद रखो, जितना ज्यादा खून बहेगा । उतना ही हिन्दुस्तान कमजोर होगा । उस पर दबाव बढ़ेगा । वो जल्दी-से-जल्दी हमारी शर्ते मानेगा। चौथी मंजिल पर पहुंचते ही, जो दिखे मारना शुरू कर दो । गन के मुंह ऐसे खोलो की गोलियां निकलती रहे। गनों की आवाजें ना रुके । दहशत भर दो हिन्दुस्तानियों के दिल में...।"

"ऐसा ही होगा ।"

"चौथी मंजिल पर पहुंचने के बाद तुम लोगों ने हिन्दुस्तानियों से मौत का नाच करना है और...।"

अंसारी कहता जा रहा था ।

कहता जा रहा था और सब मंत्रमुग्ध से उसकी बातें सुन रहे थे।

जबकि देवराज चौहान बैठा उन बेवकूफ लोगों को देखता सोच रहा था कि वो मौत के मुंह में धकेले जा रहे हैं और उन्हें इसका एहसास तक नहीं ।

■■■

दोपहर ढाई बजे लंच के लिए, उनकी मीटिंग रुकी।

खाना बनाने वाले दोनों युवक बाहर से ही खाना तैयार करके लाए थे । और छोड़ गए थे ।

वे सब बर्तनों में अपना खाना डालने लगे। सबके चेहरे पर अजीब-सी चमक आ रही थी ।

अंसारी की बातों ने उनके खून को उबाल कर रख दिया और एक रात का इंतजार उनके लिए भारी पड़ रहा था कि रात बीते और सुबह वो काम शुरू करें ।

जलालुद्दीन अंसारी के पास पहुंचा ।

"उस मामले में क्या बात होगी ?" जलालुद्दीन ने पूछा ।

"आज ही होगी जलालुद्दीन । मेरा काम लगभग खत्म हो चुका है । लंच के बाद कभी भी बात हो जाएगी ।"

"बात पूरी तसल्ली से होनी चाहिए कि मेरा शक दूर हो जाए या उसका कोई भेद है तो वो सामने आ जाए ।"

जलालुद्दीन अंसारी के पास से हटा तो देवराज चौहान पास आ गया ।

"मैं चाहता हूं जलालुद्दीन का जो भी मसला है, वो आज हल हो जाना चाहिए ।"

"जरूर ।" अंसारी बोला--- "आज इस मामले पर बात होकर रहेगी ।"

"मैं भी चाहता हूं। जलालुद्दीन की बातों से तंग आ गया हूं ।" कहते हुए देवराज चौहान बाथरूम की तरफ बढ़ गया ।

देवराज चौहान को महसूस हो रहा था कि आज का दिन उसके लिए खतरा लेकर आ सकता है । जलालुद्दीन पीछे हटने को तैयार नहीं था कि वो गलती पर है।

यहीं पर सारी बात गड़बड़ हो रही थी । उधर देवराज चौहान को चिंता हो रही थी कि कल ये लोग काम करेंगे सावित्री हाउस में, जबकि वो इस बात का इंतजार कर रहा था कि सलीम खान के आने की खबर मिले और वो मार्शल को बता दे।

मार्शल सलीम खान की गिरफ्तारी चाहता था।

परंतु सलीम खान आता नहीं दिख रहा था। अंसारी नहीं बता पाया था कि वो आएगा भी या नहीं ?

ऐसे में सलीम खान की गिरफ्तारी का ख्याल छोड़ना होगा और कल होने वाले आतंकवादी हमले को रोकते हुए इन सब लोगों को मार्शल द्वारा गिरफ्तार करना होगा । ऐसा करना अब जरूरी हो गया था ।

देवराज चौहान बाथरूम में पहुंचा और दरवाजा बंद करके मोबाइल निकालकर नंबर मिलाने लगा ।

फोन कान से लगाया तो दूसरी तरफ जाती बेल सुनी ।

"कहो देवराज चौहान ?" मार्शल का स्वर कानों में पड़ा।

"मैंने जो बात कही थी वो तारिक मोहम्मद से पता की ?" देवराज चौहान ने फुसफुसा कर कहा ।

"तारिक मोहम्मद कहता है कि जलालुद्दीन ने उससे कहा था कि हिन्दुस्तान को जीतने के बाद लाल किला को आधा-आधा बांट लेंगे।"

"ठीक है। अब तुम सुनो। ये लोग कल दिन में सावित्री हाउस की चौथी मंजिल पर कब्जा करेंगे।"

"सलीम खान के बारे में बताओ ।" मार्शल की आवाज कानों में पड़ी ।

"उसकी कोई खबर नहीं है कि वो आएगा या नहीं ।" देवराज चौहान ने फुसफुसाते स्वर में कहा--- "तुम सलीम खान का ख्याल छोड़ दो। कल होने वाले हमले को रोकना है। हमारे पास वक्त कम है और इनके इरादे बहुत खतरनाक है। मैं तुम्हें फिर, ठीक से बता रहा हूं कि हम कहां पर हैं। पूरी तैयारी के साथ आओ और सबको गिरफ्तार करो। मुकाबले के चांस कम है । मुझे यहां कोई हथियार नजर नहीं आ रहा। मैंने अपना काम पूरा किया। अब सारा काम तुमने संभालना है ।" कहने के साथ ही देवराज चौहान ने फोन बंद किया फिर मार्शल का नम्बर फोन से साफ किया और जेब में रखकर, बाथरूम का दरवाजा खोला ।

अगले ही पल उसके कदम वहीं के वहीं रुक गए ।

दरवाजे के पास अब्दुल रज्जाक खड़ा था । उसकी आंखें सिकुड़ी हुई थी ।

देवराज चौहान को खतरे का एहसास हुआ ।

"क्यों दोस्त, तुम्हें भी लग गई ।" देवराज चौहान बाहर निकलते हुए बोला ।

"त...तो जलालुद्दीन ठीक कह रहा था तुम बाथरूम में फोन पर बात करते हो ।" अब्दुल रज्जाक के होंठों से निकला ।

"पागल हो क्या ?"

"तुम अभी फोन पर बात कर रहे थे। मैंने सुना। तुम्हारी आवाज बहुत धीमी थी ।" अब्दुल रज्जाक कह उठा ।

"ऐसा कुछ नहीं है, तुम्हें गलतफहमी हुई ।"

"मुझे गलतफहमी हुई। जलालुद्दीन को भी गलतफहमी हुई । एकमात्र तुम ही सही हो। क्या अब भी तुम ये ही कहोगे कि पाकिस्तान की मशहूर गायिका नरगिस का गाना गा रहे...।"

"मैं ऊपर वाले को याद कर रहा था कि कल हमें सफलता दे ।"

"बाथरूम में बंद होकर तुम दुआ कर रहे थे ।"

"मन में आया तो दुआ कर ली। क्या फर्क पड़ता है ।"

कहर के भाव उतरे अब्दुल रज्जाक के चेहरे पर, वो पलट कर ऊंचे स्वर में कह उठा ।

"अंसारी । जलालुद्दीन ठीक कहता है कि बाथरूम में दरवाजा बंद करके किसी से बात करता है। ये अब भी बात कर रहा था। मैंने भी सुना। पता करो ये हरामजादा क्या चक्कर चला रहा है।"

अब्दुल रज्जाक की आवाज के साथ ही वहां सन्नाटा आ ठहरा।

सबकी नजरें देवराज चौहान और अब्दुल रज्जाक की तरफ उठ गई।

अंसारी अपना खाना छोड़ कर उठ खड़ा हुआ ।

देवराज चौहान समझ गया कि वो फंस गया है । परंतु मन-ही-मन उसे तसल्ली थी कि मार्शल को जगह के बारे में बताकर हरी झंडी दिखा दी है । अब आगे का काम मार्शल ने ही करना था। शायद दो-तीन घंटों में मार्शल ने यहां का सारा मामला संभाल लेना था । तब तक खुद को किसी तरह बचाए रखना था ।

"ये गलत कह रहा है ।" देवराज चौहान ऊंचे स्वर में बोला--- "मैं बाथरूम में दुआ कर रहा था और जब ये बाहर निकला तो मुझे कहने लगा कि बातें कर रहा हूं ।"

"ये बातें कर रहा था ।" अब्दुल रज्जाक में पुनः दृढ़ स्वर में कहा--- "मैंने बात करने की आवाज सुनी थी ।"

अंसारी होंठ भींचे उनकी तरफ आने लगा ।

"शुक्र है खुदा का ।" जलालुद्दीन की आवाज आई--- "अब मैं झूठा नहीं रहा ।"

अंसारी उसके पास पहुंचकर ठिठका और देवराज चौहान से बोला ।

"मोबाइल दो ।"

देवराज चौहान ने जेब से मोबाइल निकाल कर उसे दिया ।

अंसारी कॉल लिस्ट से नम्बर ढूंढने लगा ।

परंतु नम्बर तो देवराज चौहान पहले ही साफ कर चुका था । अंसारी ने फोन अपनी जेब में डाला और देवराज चौहान को देखने के बाद अब्दुल रज्जाक से कह उठा ।

"तुम्हें अपनी बात का यकीन है ?"

"पूरी तरह ।" अब्दुल रज्जाक ने दृढ़ता से कहा--- "ये बाथरूम में बंद, किसी से बात कर रहा था । फोन पर ही...।"

"ऐसा होता तो फोन में नम्बर जरूर होता जिस पर मैंने बात की।" देवराज चौहान बोला ।

"नम्बर साफ करना बहुत आसान है ।" अंसारी ने कड़वे स्वर में कहा ।

"मैं तो दुआ कर रहा था कि कल हम पूरी तरह सफल रहें और इसने समझा मैं...।"

"ये बात कर रहा था ।" अब्दुल रज्जाक कह उठा ।

दूर खड़े जलालुद्दीन के हंसने की आवाज आई ।

अंसारी की निगाह देवराज चौहान पर टिकी थी । वो कह उठा ।

"एक गलत हो सकता है पर एक ही एक ही मामले में दो लोग गलत नहीं हो सकते । जलालुद्दीन और अब्दुल रज्जाक मुझे सही लग रहे हैं । तुम ही गलत हो । कौन हो तुम । एक ही बार में अपने बारे में बता...।"

"मैं तारिक मोहम्मद...।"

तभी अंसारी का हाथ घूमा और घूंसा देवराज चौहान के पेट में जा लगा ।

देवराज चौहान के पैर उखड़ गए । वो जोरों से लड़खड़ाया और अब्दुल रज्जाक से टकराया।

अब्दुल रज्जाक ने उसे थामते हुए संभाला और जहरीले स्वर में कह उठा ।

"इतने में ही हिल गया मेरे छुपे रुस्तम।"

"तुम गलत कर रहे हो ।" देवराज चौहान चीखा--- "मैं तारिक मोहम्मद हूं और किसी से नहीं बात कर रहा...।"

अंसारी का घूंसा पुनः गाल पर पड़ा ।

देवराज चौहान लड़खड़ाया और संभला । होंठो के कोनों पर खून नजर आने लगा था।

"बहुत बड़ी भूल कर रहे हो तुम अंसारी। मैं  पाकिस्तानी हूं ।" देवराज चौहान पुनः चीखा ।

बाकी सब भी इसी तरफ आने लगे थे ।

"बेशक तुम पाकिस्तानी हो । पर ये बताओ कि फोन तुमने किसको किया...।"

"मैंने किसी को नहीं किया ।"

तभी अंसारी की टांग हिली और घुटना देवराज चौहान के पेट में जा लगा । देवराज चौहान पेट पकड़कर दोहरा हो गया ।

"दो-दो लोग गलत नहीं कह सकते कि उन्होंने तुम्हें बाथरूम में बंद होकर बातें करते सुना ।" अंसारी खतरनाक स्वर में कह रहा था--- "तुम फोन पर किससे बात कर रहे हो ? कौन हो तुम ?"

"मैं तारिक मोहम्मद...।"

उसी पल पुनः देवराज चौहान के चेहरे पर अंसारी का घूंसा पड़ा।

देवराज चौहान कराह उठा ।

"मेरे सवालों का सही जवाब दो कि तुम किस चक्कर में...।"

"किसी चक्कर में नहीं हूं मैं । तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है जो मुझ पर हाथ...।"

"क्या पता अंसारी ये सही हो ।" मोहम्मद डार कह उठा ।

"ये सही नहीं है ।" अंसारी दांत पीसकर बोला ।

"कैसे कह...।"

"सारे शक इसी के बारे में जो पैदा हो रहे हैं। जलालुद्दीन को इसकी आवाज बदली लग रही है । जलालुद्दीन ने भी कहा कि ये कल शाम बाथरूम में बंद होकर बातें कर रहा था । अब अब्दुल रज्जाक ने कहा। एक ही बात के बारे में दो लोग कभी भी गलत नहीं हो सकते । गड़बड़ तो है ही ।" अंसारी ने कहा फिर देवराज चौहान की आंखों में झांक कर कह उठा--- "जो भी सच है कह डालो । तुम्हें छोड़ दिया जाएगा । मुझे सिर्फ सच जानना है ।"

"इन दोनों ने तेरा दिमाग खराब कर दिया है । अंसारी । मैं तारिक मोहम्मद...।"

"मैं पूछ रहा हूं, तू किसी से फोन पर क्या बात कर रहा था ?"

'कुछ भी नहीं ।"

"क्या बता रहा था किसी को ?" हमारा प्लान ? हमारी बारे में ? या फिर...।"

"तुम मेरा विश्वास क्यों नहीं करते कि मैं सच कह रहा हूं ऐसा कुछ भी नहीं है ।"

"कुछ तो है ।"

"नहीं है । इन दोनों की बातों से तुम्हारा दिमाग खराब हो गया । तुम मेरे साथ गलत व्यवहार कर रहे हो । कल हमने सावित्री हाउस पर हमला बोलना है और आज तुम मेरे साथ ये सब कर...।"

"तुमने फोन किसको किया ?"

"मेरा यकीन करो । किसी को नहीं...।"

"तुम लोग इसे संभालो ।" अंसारी दांत भींचकर सबसे बोला फिर मोबाइल निकालकर नम्बर मिलाने लगा । वे सब देवराज चौहान को घेर कर खड़े हो गए ।

"क्यों जनाब ?" जलालुद्दीन व्यंग भरे स्वर में कहा उठा--- "मजे कर रहे हो ।"

"तुम सब पागल हो ।" देवराज चौहान गुस्से से कह उठा ।

"ये बाथरूम के भीतर फोन पर बात कर रहा था ।" अब्दुल रज्जाक दृढ़ स्वर में कह उठा ।

"नरगिस से बात कर रहा होगा ।" जलालुद्दीन व्यंग से बोला--- "सोन दी हनेरी विच दो अनार हिलदे ।"

अब्दुल रज्जाक हंस पड़ा ।

इतने में अंसारी की फोन पर बात हो गई ।

"अशफाक ।" अंसारी बोला--- "यहां कुछ गड़बड़ हो गई लगती है । एहतियात के तौर पर हमें ये ठिकाना फौरन छोड़ना है । हम सब तुम्हारे पास आ रहे हैं । फालतू आदमियों को फौरन वहां से निकाल दो ।"

"कब तक पहुंचेंगे ?" उधर से अशफाक की आवाज आई ।

"एक घंटे में ।"

"आ जाओ ।"

अंसारी फोन बंद करके जेब में रखा और बोला ।

"दोस्तों हमें ये जगह अभी छोड़ देनी है । हमें नहीं मालूम इसने किसी को यहां का पता बता दिया हो। या ऐसे ही कुछ...।"

"मैंने कुछ नहीं किया । तुम लोग मेरा भरोसा क्यों नहीं करते ।" देवराज चौहान चीखा।

"शायद ये ठीक कह रहा हो ।" मोहम्मद डार ने कहा

"हमारे काम में जब शक आ जाता है तो उस पर हम फौरन विश्वास करना ठीक समझते हैं । क्योंकि ऐसी बातों से हम भविष्य में बर्बाद हो सकते हैं । इससे अब बड़े भाई ही बात करेंगे । तभी पता लगेगा कि ये गड़बड़ कर रहा है या हम गलती के शिकार हुए हैं ।" अंसारी कठोर स्वर में कह रहा था--- "हम सब यहां से एक साथ निकलेंगे। अगर ये रास्ते मे भागने की चेष्ठा करे तो मार देना इसे । यहां से कुछ दूर पर्किंग में खड़ी वैन तक आना है हमने ।"

"मुझे नहीं मालूम था कि मैं खामखाह इतनी बड़ी परेशानी में घिर जाऊंगा।" देवराज चौहान होंठ भींच कर बोला--- "मैं तो पाकिस्तान के लिए हिन्दुस्तान को सबक सिखाने आया था और तुम लोगों ने मुझे ही अपराधी बना दिया ।"

"जो सच है, वो सामने आ जाएगा ।" अंसारी ने उसे घूरा।

"मैं सही निकला तो जो तुमने मुझे मारा है, उसका क्या होगा ? देवराज चौहान गुस्से में था ।

"मैं माफी मांग लूंगा ।"

■■■

अंसारी वैन चला रहा था । मोहम्मद डार उसकी बगल वाली सीट पर बैठा था। वैन के पिछले हिस्से में बाकी पांचों देवराज चौहान को घेरे बैठे थे। देवराज चौहान उनके बीच फंसा बैठा था। ठिकाना बदल लेने से देवराज चौहान समझ चुका था कि उसने अब तक जो भी मेहनत की, वो सब बर्बाद हो गई है। मार्शल जब अपने लोगों के साथ वहां पहुंचेगा तो उसे कुछ भी नहीं मिलेगा। बल्कि इन लोगों को भी पता चल जाएगा कि वहां रेड डाली गई । हर तरफ परेशानी दिखी देवराज चौहान को । परंतु अब बाजी हाथ से निकल चुकी थी और जान का खतरा सिर पर मंडराने  लगा था। भेद खुलने में ज्यादा देर नहीं थी और वे लोग तब उसे किसी भी कीमत पर जिंदा नहीं छोड़ेंगे । देवराज चौहान बुरी तरह फंस चुका था।

"क्यों तारिक ।"  गुलाम कादिर बोला--- "मुझे बता दे सच क्या है ।"

देवराज चौहान चुप रहा।

"बता दे, मैं सब ठीक कर दूंगा ।" गुलाम कादिर ने पुनः कहा ।

"तेरे को क्या लगता है कि मैं गलत आदमी हूं ।" देवराज चौहान बोला ।

"मेरे को तो तू गलत नहीं लगता, लेकिन...।" वो चुप हुआ ।

"क्या लेकिन ?"

"बाथरूम में तू फोन पर किसी से बातें कर रहा था ?" गुलाम कादिर बोला ।

"तो तुम पर भी असर हो गया ।" देवराज चौहान सख्त स्वर में बोला ।

"इसकी तो आवाज भी वो नहीं है जो मैंने दाऊद खेल में हामिद अली के ठिकाने पर सुनी थी ।" जलालुद्दीन बोला ।

"मुझे तू सही कहता लग रहा है ।" अब्दुल रज्जाक ने कहा--- "ये कोई गलत बंदा है ।"

"तब तो तू इसकी हां में हां मिलाकर मुझे गलत कह रहा था ।"

"वो बात अब छोड़ दो । मैंने खुद बाथरूम में इसे बहुत धीमी आवाज में बातें करते सुना ।

"तब तू वहां क्या करने गया था ?" सरफराज सलीम हंसकर बोला ।

"बाथरूम में क्या करने जाते हैं ?"

"तारिक मोहम्मद तो फोन पर बात करने जाता है और तुम...?"

"ये झूठ है ।" देवराज चौहान बोला--- "तुम सबको गलतफहमी हो रही है ।"

"देख तारिक ।" सरफराज हलीम ने सामान्य स्वर में कहा--- "मेरा दिल नहीं मानता कि तू गलत है। हौसला रख सब ठीक हो जाएगा। अंसारी ठिकाना बदलता है तो बदलने दे । सच सामने आ जाएगा ।"

"देवराज चौहान ने गहरी सांस ली।

"ये बुरी तरह फंस चुका है ।" आमिर रजा खान बोला--- "जलालुद्दीन की आवाज में फर्क लगता है । जबकि हम इस बात को हल्के में ले रहे थे, परंतु बाथरूम का दरवाजा बंद करके, दो बार पकड़े जाना।"

"मैं कोई पकड़ा नहीं गया ।" देवराज चौहान झल्लाकर बोला--- "पहली बार मैं नरगिस का गाना...।"

"सोने दी हनेरी विच दो अनार हिलदे ।" जलालुद्दीन व्यंग से बोला ।

देवराज चौहान होंठ भींच कर रह गया ।

"मैंने बहुत कोशिश की कि दरवाजे से कान लगाकर सुन सकूं कि ये क्या बातें कर रहा है, परंतु मैं एक शब्द भी स्पष्ट नहीं सुन पाया । लेकिन तब ये बातें कर रहा था। एक-एक कर इसकी आवाज आ रही थी।" अब्दुल रज्जाक कह उठा।

"ये अपने को ज्यादा चलाक समझता है कि ये कुछ भी करता रहे और किसी को पता नहीं चलेगा ।" जलालुद्दीन बोला ।

"पागल हो तुम सब लोग ।" देवराज चौहान ने कहा ।

"सबसे सयाना, समझदार तो तू ही है । ये हमें पता चल गया है।" जलालुद्दीन का स्वर कड़वा था ।

■■■

मार्शल ने कमरे में प्रवेश करते जगमोहन से कहा ।

"हमारे वहां रेड करने जा रहे हैं जहां पर देवराज चौहान है।"

"क्या मतलब ?" जगमोहन फौरन खड़ा हो गया ।

"देवराज चौहान ने ही ऐसा करने को कहा है । वो...।"

"सलीम खान भी वहीं है ?"

"उसे पकड़ने का ख्याल हमें छोड़ना होगा ।" मार्शल ने होंठ भींचकर कहा--- "देवराज चौहान का कहना है कि कल सब आतंकवादी सावित्री हाउस की चौथी मंजिल पर हमला बोलने जा रहे हैं और इस दौरान सलीम खान के आने की कोई खबर नहीं है ।"

"ओह । कब आया देवराज चौहान का फोन ?"

"एक घंटा हो...?"

"और तुम मुझे अब बता रहे...।" जगमोहन ने होंठ भींच कर कहा ।

"उससे कोई फर्क नहीं पड़ता हम तैयारी कर रहे थे वहां रेड करने की ।"

"कितने आदमी तैयार किए ?"

"तीस ।"

"आदमी कम हैं। वो लोग आतंकवादी हैं और उनसे  मुठभेड़ हो सकती है ।" जगमोहन ने कहा ।

"देवराज चौहान का कहना है कि उनके पास हथियार नहीं है। आसपास भी हथियार नहीं है । ऐसे में सोचा जा सकता है उस वक्त सलीम खान के किसी आदमी के पास रिवॉल्वर हो सकती है । इससे ज्यादा कुछ नहीं ।"

"देवराज चौहान ने कहा और तुमने मान लिया ।" जगमोहन तीखे स्वर में बोला।

मार्शल ने जगमोहन को देखा ।

"वो लोग आतंकवादी हैं और पाकिस्तान से मुम्बई पर हमला करने आये हैं। हर कोई खतरनाक है। रही बात हथियारों की तो वहां कहीं भी रखे हो सकते हैं, जिन्हें अभी तक देवराज चौहान देख नहीं पाया हो ।"

मार्शल के होंठ भिंच गये ।

"देवराज चौहान को भी गलती लग सकती है । हथियार वहां पर हो सकते हैं और वो आतंकवादी तुम्हारे एजेंटों को कड़ा मुकाबला दे सकते हैं । कुछ भी हो सकता है वहां। तुम्हें ये ही सोचना चाहिए...।"

"अब हमें इसी तरह की रेड करनी होगी । शायद देवराज चौहान के पास भी ज्यादा वक्त नहीं है ।"

"क्या हुआ ?"

"कल देवराज चौहान ने मुझे कहा था कि तारिक मोहम्मद से पूछुं कि जब वो पहली बार जलालुद्दीन से मिला था तो उनमें क्या बात हुई थी । इसका मतलब वहां पर ऐसा कुछ हो रहा है जो देवराज चौहान के लिए ठीक नहीं है । देवराज चौहान ने इशारा भी कर दिया है कि उसके साथ कुछ गड़बड़ हो सकती है । ये भी बात है कि देवराज चौहान ने वहां रेड करने को कहा।"

"सब कुछ देवराज चौहान ने कहा या ये तुम्हारा अंदाजा ही है ।" जगमोहन व्याकुल हो उठा ।

"कुछ उसने कहा, कुछ मेरा ख्याल है ।"

"तुम्हारे एजेंट अब वहां के लिए क्या कर रहे हैं ?"

"वो जाने वाले हैं । चल रहे हैं ।"

"बोरी बंदर ?"

"हां ! उसी इलाके में...।"

"मैं भी उनके साथ जाऊंगा ।"

"क्या जरूरत है । वे सब संभाल...।"

"मैं उनके साथ जाऊंगा मार्शल ।" जगमोहन दांत भींचे दृढ़ स्वर में कह उठा ।

"ठीक है, आओ ।" मार्शल बोला--- "वो निकलने जा रहे हैं । हथियार उनसे ही ले लेना ।"

■■■

गुप-चुप ढंग से उस बेसमेंट के आसपास की जगह मार्शल के एजेंट पूरी तरह घिर चुके थे । इस ऑपरेशन की कमांड प्रभाकर के हवाले थी । जगमोहन, प्रभाकर के साथ था ।

फिर वो वक्त भी आया जब सबके हाथों में हथियार दिखने लगे। कुछ के हाथों में गनें थी तो किसी के पास रिवॉल्वर । ये नजारा देखकर वहां से आने-जाने वाले लोग चौंके। दो एजेंट गन हिलाकर उन्हें चले जाने को कह रहे थे। देखते ही देखते वे लोग वहां से दूर हो गए। इलाके में सनसनी फैलने लगी । प्रभाकर और जगमोहन रिवॉल्वर थामे, बेसमेंट में जाने वाले रास्ते से पन्द्रह कदमों की दूरी पर पोजीशन लिए हुए थे। वो देख चुके थे कि बेसमेंट में आने जाने के लिए एकमात्र वो ही रास्ता था । ऐसे में वो निश्चिंत थे कि आतंकवादी किसी दूसरे रास्ते से फरार नहीं हो सकते । प्रभाकर ने जगमोहन को देखा ।

जगमोहन के दांत भिंचे हुए थे । चेहरे पर कठोरता थी।

"हमें आगे बढ़ना होगा ।" प्रभाकर बोला--- "तुम मुझे कवर करोगे ।"

"जो सबसे आगे होगा, उसका बचना संभव नहीं लगता ।" जगमोहन ने गम्भीर कठोर स्वर में कहा ।

"क्या मतलब ?"

"आगे खुद जाने की अपेक्षा किसी और को भेजो तो बेहतर होगा ।"

प्रभाकर के चेहरे पर छोटी-सी मुस्कान उभरी और लुप्त हो गई।

"ऐसे ऑपरेशन मैंने जाने कितने बार किए हैं और हर बार साफ बच निकला हूं ।"

"मौत एक ही बार आती है । बार-बार नहीं आती ।" जगमोहन ने गम्भीर निगाहों से उसे देखा ।

"मार्शल के एजेंट मौत से नहीं डरते । हमें जो ट्रेनिंग दी जाती है, उसमें खास बात ये होती है कि हाथ में लिए काम को हर हाल में पूरा करना और मौत के बारे में नहीं सोचना । हम काम के बारे में सोचते हैं, मौत के बारे में नहीं ।"

"वो आतंकवादी है, खतरनाक है । सलीम खान के आदमी  भी वहां हो सकते हैं ।"

"वहां देवराज चौहान भी है जगमोहन ।"

जगमोहन ने प्रभाकर को देखा ।

"मार्शल का आर्डर है कि सब आतंकवादियों को गिरफ्तार करो और देवराज चौहान को बचा लाओ । देवराज चौहान हमारे लिए जो हो सका, वो भीतर रहकर करेगा । रही बात आतंकवादियों की तो वो जिंदा रहना चाहेंगे तो अपने हथियार डाल देंगे ।"

"वो अपने हथियार नहीं डालेंगे । मुकाबला करेंगे ।" जगमोहन बोला ।

"तो मारे जाएंगे ।"

"तुम अपनी मौत के बारे में नहीं सोचते ?"

"नहीं ।" प्रभाकर रिवॉल्वर थाम अपनी जगह से निकला--- "मुझे कवर करना ।" जगमोहन से कहने के बाद वहां फैले अपने एजेंटों को प्रभाकर ने खास ढंग से इशारा किया और उस तरफ बढ़ा जहां सीढ़ियां थी नीचे जाने के लिए।

मार्शल  एजेंट फौरन अपना घेरा तंग करने लगे ।

जगमोहन पांच कदमों का फासला रख कर, प्रभाकर के पीछे था ।

सीढियां के पास पहुंचकर प्रभाकर ने सावधानी से नीचे झांका ।

सीढियां खाली थी और अंत में लोहे का बंद दरवाजा दिखा ।

अगले ही पल प्राभकर रिवॉल्वर थामे सीढियां उतरता चला गया । बेआवाज-सा । जगमोहन रिवॉल्वर थामे पहली सीढ़ी पर आ पहुंचा।

प्राभकर लोहे के दरवाजे के पास पहुंचकर ठिठका और बंद दरवाजे के पास आहट पाने का प्रयत्न करने लगा । कान दरवाजे से लगा दिया था। आधा मिनट बीतने पर भी भीतर से कोई आहट सुनाई नहीं दी ।

जगमोहन प्रभाकर के पास जा पहुंचा दोनों की नजरें मिली ।

"भीतर से कोई आवाज नहीं आ रही । या तो वे बहुत ज्यादा सावधान है या फिर लापरवाह ।" प्रभाकर बोला ।

जगमोहन ने दांत भींचे रिवॉल्वर संभाली हाथ बढ़ाकर दरवाजे को धक्का दिया । जो दरवाजा बंद नजर आ रहा था, वो खुला था । हाथ लगाते ही थोड़ा-सा भीतर को हुआ प्रभाकर तुरंत रिवॉल्वर संभाले एक्शन की पोजीशन में आ गया । जगमोहन आगे बढ़ता कह उठा ।

"मुझे कवर करो ।" उस पर मिलना था ।

"लेकिन ।"

तभी जगमोहन ने दरवाजे को धक्का देकर पूरा खोला और दो कदम तेजी से प्रवेश करके ठिठका । हाथ में दबी रिवॉल्वर गोलियां उगलने के लिए बिल्कुल तैयार थी । ऊपर सीढ़ियों पर बाकी एजेंट पहुंच चुके थे । प्रभाकर भी भीतर जाने को तैयार था । परंतु जगमोहन को ठिकके कई पल बीत गए ।

"क्या हुआ ?" प्रभाकर आहिस्ता से बोला 

"यहां तो कोई भी नहीं है ।" जगमोहन ऊंचे स्वर में कह उठा।

सीढ़ियों के ऊपर खड़े एजेंटों को प्रभाकर ने आने का इशारा किया और दरवाजे के भीतर हॉल में आ पहुंचा । इस वक्त दोनों बेहद सतर्क थे । परंतु हॉल पूरी तरह खाली दिखा ।

सामने गद्दे बिछे हुए थे । ऊपर पड़ी चादरों की सिलवटें बता रही थी कि वहां कई लोग मौजूद थे जगमोहन ठगा-सा खड़ा रह गया था । तभी प्रभाकर कह उठा ।

"यहां पर किसी का भी न होना जाहिर करता है कि उन्हें रेड के बारे में पता चल गया था ।" प्रभाकर बोला और नीचे आ चुके एजेंटों से कहा--- "सारी जगह को छान मारो ।"

अगले ही पल वहां एजेंटों के जूतों की आवाज गूंजने लगी ।

सारी जगह छान ली गई । वहां कोई नहीं मिला ।

"देवराज चौहान खतरे में है ।" जगमोहन कह उठा--- "वरना ये जगह खाली नहीं होती ।"

"जगह खाली होने की कोई भी वजह हो सकती...।"

"कोई भी वजह नहीं, एक ही वजह हो सकती है कि उन्हें पता चल गया हो यहां रेड होने वाली है ।" जगमोहन ने तेज स्वर में कहा--- "और ये बात उन्हें सिर्फ देवराज चौहान से ही पता चल सकती थी ।" जगमोहन गुर्रा उठा ।

प्रभाकर के होंठ भिंचे हुए थे। नजरें हॉल में घूम रही थी ।

■■■

वो वैन एक इंडस्ट्रियल एरिये की ऐसी इमारत में पहुंची, जहां कोई काम नहीं हो रहा था। वहां जो भी फैक्ट्री थी, वो बंद हो चुकी थी और मशीनें लगी दिखाई दे रही थी। तीन मंजिला इमारत थी। गेट पर चौकीदार मौजूद था । उसने अंसारी को देखकर फौरन गेट खोल दिया । अंसारी वैन को सीधे भीतर लेता चला गया, सीधा और अंत में जाकर कई तरफ मुड़ कर उसने वैन रोक दी । पीछे की दीवारें बारह फीट ऊंची थी । मुख्य गेट से अब वैन दिख नहीं रही थी । अंसारी ने इंजन बंद किया । बाहर निकला । मोहम्मद डार भी बाहर निकला । तब तक पीछे का दरवाजा खुल चुका था और वे देवराज चौहान को घेरे नीचे उतरे। तब तक फैक्ट्री के भीतर से तीस वर्ष का अशफाक निकल कर वहां पहुंचा ।

"क्या हुआ जो अचानक ही यहां आने का प्रोग्राम बना लिया ?" अशफाक ने अंसारी से पूछा ।

"इमरजेंसी थी। यहां पर तुम्हारे कितने आदमी है ?" अंसारी बोला ।"

"दो । तुमने ही कहा था कि यहां से फालतू लोगों को निकाल दूं।"

"ठीक किया। इन सबको ऊपर ले चलो ।" अंसारी देवराज चौहान को घूरता कह उठा ।

"मेरे पीछे आओ ।" अशफाक सबसे बोला। पलट कर चल पड़ा। अंसारी उसके साथ था--- "ये लोग हैं कौन ?" उसने धीमे स्वर में पूछा ।

"पाकिस्तान से आये हैं, काम के लिए ।" अंसारी ने धीमे स्वर में कहा ।

"ओह-समझा ।"

अशफाक उन्हें लेकर ऊपर की मंजिल के हॉल पर पहुंचा। वहां कबाड़ भरा हुआ था। एक तरफ ड्रग्स भरे पड़े थे । कुछ ड्रग्स बड़ी-सी टेबल पर बिखरी पड़ी थी। शायद अंसारी का फोन आने से पहले वहां कोई काम हो रहा था परंतु जैसे आनन-फानन ही उस काम को रोक दिया हो। दो लोग वहां पर थे । उन्होंने अंसारी को सलाम किया ।

"इसे उस कुर्सी पर बांध दो ।" अंसारी ने देवराज चौहान की तरफ इशारा करते हुए कहा ।

"तुम हद कर रहे हो अंसारी ।" देवराज चौहान तड़प कर बोला--- "मेरे साथ बुरा सलूक हो रहा है ।"

परंतु तब तक अशफाक के दोनों आदमी आगे बढ़ चुके थे । उन्होंने देवराज चौहान को पकड़कर कुर्सी पर बिठाया और डोरी से हाथ-पांव कुर्सी के साथ बांध दिए।

अंसारी एक तरफ हटकर, बड़े भाई यानी कि सलीम खान को फोन किया और सारे हालात बताए ।

"ये तो गम्भीर स्थिति पैदा हो गई अंसारी ।" सलीम खान की आवाज कानों में पड़ी ।

"जी हां। तभी तो आपको फोन...।"

"इस वक्त तुम सब अशफाक वाले ठिकाने पर हो ।" उधर से सलीम खान ने पूछा ।

"अभी पहुंचे हैं ।" अंसारी ने गंभीर स्वर में कहा ।

"मुझे आना पड़ेगा । तुमने तो मुझे चिंता में डाल दिया कि कल सावित्री हाउस पर काम होना है और आज ये सब...।"

"बड़े भाई। अच्छा हुआ जो वक्त रहते पता चल गया । वरना भारी गड़बड़ हो सकती थी ।" अंसारी बोला ।

"तुम्हें यकीन है कि तारिक मोहम्मद फोन पर बात कर रहा था।"

"दो-दो लोगों ने एक ही बात करने की कोई तो वजह होगी । वैसे तारिक पर शक की बुनियाद पर ही मैं ये सब कर रहा हूं । इस शक को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता ।" अंसारी ने गम्भीर स्वर में कहा ।

"मुझे आना होगा अंसारी। मैं ही तारिक मोहम्मद से बात करूंगा ।" उधर से सलीम खान ने कहा ।

"वो तो सारी बातों से इंकार कर रहा है ।"

"मैं दो घंटे तक पहुंचता हूं ।" कहने के साथ ही उधर से सलीम खान ने फोन बंद कर दिया । अंसारी ने मोबाइल जेब में रखा और उन लोगों की तरफ बढ़ा ।

"अब इसका क्या करना है अंसारी ?" सरफराज हलीम बोला ।

"बड़े भाई आ रहे हैं । वो ही इससे बात करेंगे ।"

"तुम लोग बे-वजह मुझ पर शक कर रहे हो। जो इल्जाम मुझ पर लगाए जा रहे हैं, वो गलत हैं।" देवराज चौहान गुस्से से बोला।

"चुप रहो ।" अंसारी उसे घूरते-घूरता कह उठा--- "जो कहना हो, बड़े भाई से कहना, फैसला वो ही करेंगे ।"

"मैं अब तुम लोगों के साथ काम नहीं करूंगा। पाकिस्तान चला जाऊंगा ।" देवराज चौहान ने नाराजगी से कहा ।

"अगर तुम सच्चे हो तो मैं माफी मांग लूंगा । बड़े भाई भी तुमसे माफी...।"

"तुमने मेरी इतनी बेइज्जती कर...।"

"तुम बाथरूम में बंद होकर फोन पर बात कर रहे थे ।" अब्दुल रज्जाक कठोर स्वर में कह उठा ।

जलालुद्दीन के चेहरे पर जहरीली मुस्कान उभरी ।

"तुम्हारा दिमाग खराब हो गया है ।" देवराज चौहान चीखा ।

"जलालुद्दीन का भी दिमाग खराब है ।" अब्दुल रज्जाक ने उसी स्वर में कहा ।

"हां । सब का दिमाग खराब हुआ पड़ा है जो मुझ पर इल्जाम लगा...।"

"हो सकता है ये बेगुनाह हो।" मोहम्मद डार कह उठा ।

अंसारी ने अशफाक की तरफ पलट कर कहा ।

"हमारे लिए चाय-पानी का इंतजाम करो ।"

"अशफाक ने अपने आदमी की तरफ इशारा किया तो वो बाहर निकल गया ।

"मैं इससे सच-झूठ का पता लगवाऊं ?" अशफाक ने अंसारी से कहा ।

"बड़े भाई आ रहे हैं ।" अंसारी गम्भीर स्वर में बोला ।

तभी अंसारी का फोन बजा ।

"हैलो ।" अंसारी ने बात की ।

"अंसारी भाई । अंसारी भाई...। उधर से युवक की हांफती आवाज आई--- "गजब हो गया ।"

"क्या बात है सलमान ?" अंसारी के माथे पर बल पड़े ।

"इधर बेसमेंट में रेड पड़ी है। बहुत से लोग हैं सादे कपड़ों में। उनके हाथों में गनें और रिवॉल्वर हैं। वो-वो लोग बेसमेंट में आ चुके हैं । हम लोग बाहर हैं पूरे इलाके में सनसनी फैली है। ये सब कैसे हो गया अंसारी भाई ?"

अंसारी के चेहरे पर दरिंदगी नाच उठी।

नजरें देवराज चौहान पर गई ।

देवराज चौहान अंसारी का चेहरा देखकर समझ गया कि वहां रेड पड़ चुकी है ।

"अपना कोई आदमी पकड़ा तो नहीं गया ?" अंसारी गुर्राया ।

"नहीं । इधर पूरा बेसमेंट खाली था ।"

"कोई और खबर हो तो बताना ।" कहकर अंसारी ने फोन जेब में रखा और मौत भरे अंदाज में देवराज चौहान की तरफ बढ़ा।

अंसारी के इरादे खतरनाक लगे।

उसे इस तरह अपनी तरफ बढ़ते देखकर देवराज चौहान कह उठा ।

"अब मैंने क्या कर दिया ?"

पास पहुंचते ही अंसारी के घूंसे देवराज चौहान के चेहरे और पेट पर पड़ने लगे ।

एक के बाद एक ।

देवराज चौहान की चीखें उठने लगी ।

अंसारी दरिंदा लग रहा था । तभी अशफाक तेजी से आगे बढ़ा और अंसारी को पकड़कर पीछे खींचता कह उठा ।

"मारोगे इसे क्या ? बड़े भाई इससे बात करने आने वाले हैं ।"

"ये बहुत बड़ा हरामजादा है ।" अंसारी गुर्रा उठा--- "कुत्ता पुलिस का आदमी है ।"

"क्या ?" अशफाक बुरी तरह चौंका ।

बाकी सब भी संभल गए ।

"ये हरामी फोन पर पुलिस से बात करता था । हमारे बारे में खबरें दे रहा था ।" अंसारी पागल हो रहा था--- "अगर हम वहां से निकल नहीं आते तो इस वक्त पुलिस की गोलियों का शिकार हो गए होते ।"

"व-वहां रेड पड़ी ?" अशफाक घबरा उठा ।

"हां । सादे कपड़े पहने लोगों ने वहां रेड की। वो बहुत सारे लोग हैं। उनके पास गनें और रिवॉल्वर हैं । हम वहां से निकल न आए होते तो इस वक्त वहां हमारी लाशें पड़ी होती।"

सबको अपने पैरों के नीचे से जमीन निकलती महसूस हुई ।

कई पल होता किसी के होंठों से बोल न फूटा।

देवराज चौहान समझ गया कि उसका खेल पूरी तरह खत्म हो गया है ।

"मैं...मैंने कुछ नहीं किया । ये झूठ है । मैं पुलिस से क्यों बात करूंगा । मैं पाकिस्तानी हूं ।" देवराज चौहान चीखा ।

सब खा जाने वाली निगाहों से देवराज चौहान को देख रहे थे ।

"तो फोन पर ये पुलिस से बात करता था ।" मोहम्मद डार के होंठ खुले ।

"मैं...मैं तो सोच भी नहीं सकता था कि ये...ये इतना बड़ा शैतान है ।" जलालुद्दीन ने कहा ।

"फिर तो उसने पुलिस को हमारा सारा प्लान बता दिया होगा ।" अब्दुल रज्जाक ने कहा ।

"अंसारी ।" सरफराज हलीम कह उठा--- "तुम्हारे कारण हम बच गए। तुमने ही अचानक वो जगह छोड़ने को कहा। अगर ये ख्याल तुम्हारे मन में न आता तो हम लोग कब तक मारे चुके होते ।"

"दगाबाज...।" सरफराज हलीम पागलों की तरह देवराज चौहान पर झपटा ।

"रुक जाओ सरफराज ।" अंसारी चीखते हुए आगे को लपका--- "इसे कुछ मत कहो ।"

अशफाक भी आगे लपक चुका था ।

"बंधा होने के कारण देवराज चौहान अपने बचाव में कुछ न कर सका।

सरफराज हलीम उसे लिए कुर्सी के साथ नीचे गिरता चला गया। वो क्रोध से पागल हो रहा था। अपने होश पूरी तरह खो बैठा था। इस वक्त उसने देवराज चौहान के साथ कुछ भी कर देना था । परंतु अंसारी और अशफाक ने उसे देवराज चौहान से दूर खींच लिया

"छोड़ दो मुझे, छोड़ दो । मैं इस हरामजादे के टुकड़े-टुकड़े कर दूंगा । मैं...।"

सब स्तब्ध खड़े थे ।

"होश में आओ ।" अंसारी का चांटा सरफराज हलीम के गाल पर जा पड़ा--- "अपने को संभालो ।"

सरफराज सलीम का चीखना थम गया ।

सन्नाटा-सा छा गया पलों के लिए ।

सरफराज हलीम गहरी-गहरी सांसे लेने लगा ।

"सब्र से काम लो सरफराज ।" इस बार अंसारी प्यार से कह उठा--- "ये वक्त होश खोने का नहीं है ।"

"ये...ये कमीना गद्दार है " सरफराज हलीम के होंठों से तड़प भरा स्वर निकला ।

"अभी साबित नहीं हुआ ।" अंसारी बोला ।

"और क्या सच है साबित होने में ?"

"इसने अपने मुंह से नहीं कबूला। ये हर इल्जाम से इंकार कर रहा है ।"

तभी अशफाक आगे बढ़ा और उसने कुर्सी सहित देवराज चौहान को सीधा किया। सब खा जाने वाली निगाहों से देवराज चौहान को देख रहे थे ।

"मैं बेगुनाह हूं । मुझ पर गलत इल्जाम लगाए जा रहे हैं ।" देवराज चौहान थके स्वर में कह उठा। परंतु वो ये भी जानता था कि उसके खेल में कोई भी दम बाकी नहीं रहा । जिस बात का डर था, वो ही हुआ । वो फंस चुका था ।

■■■

सलीम खान वहां पहुंचा ।

वहां के तनाव भरे माहौल को उसने फौरन भांप लिया था ।

"क्या हाल है मेरे दोस्तों ?" सलीम खान मुस्कुराकर सबसे कह उठा ।

"बड़े भाई ।" आमिर रजा खान बोला--- "यहां पर बहुत गलत हो रहा है ।"

"सच में ।" सलीम खान की निगाह देवराज चौहान पर गई--- "कुछ तो गलत हुआ ही है ।"

"बड़े भाई...।" अंसारी ने गम्भीर स्वर में कहा--- "हमारे बेसमेंट वाले ठिकाने पर रेड हुई ।"

"रेड?" सलीम खान की आंख सिकुड़ी ।

"अगर हम वक्त पर वहां से निकल न आते तो इसमें कोई भी जिंदा न होता । जिंदा होता तो पुलिस के पास होता ।"

"पुलिस ने रेड कि ?" सलीम खान गम्भीर दिखने लगा ।

"पुलिस ही होगी । सादे कपड़ों में तीस-चालीस लोग थे ।"

"हैरानी है, हमारे ठिकाने पर रेड ।" सलीम खान की निगाह देवराज चौहान पर गई ।

"जलालुद्दीन ने कहा कि तारिक मोहम्मद बाथरूम में बंद होकर फोन पर बात करता है। अब्दुल रज्जाक ने कहा कि तारिक मोहम्मद बाथरूम में बंद होकर फोन पर बात करता है । दोनों का कहना गलत नहीं हो सकता ।

सावधानी के नाते मैंने वो बेसमेंट खाली करना ही ठीक समझा कि कहीं तारिक मोहम्मद सच में कोई गड़बड़ न कर रहा हो ।" अंसारी ने गंभीर स्वर में कहा--- "और मेरा शक सही निकला । हम यहां पहुंचे और उधर वहां पर रेड पड़ गई ।

सलीम खान ने गम्भीरता से सिर हिलाया ।

"जलालुद्दीन का कहना है कि दाऊद खेल, पाकिस्तान में, हामिद अली के ठिकाने पर तारिक मोहम्मद की आवाज कुछ और थी और यहां पर इसकी आवाज में कुछ फर्क आ गया है।"

सलीम खान ने देवराज चौहान को देखा ।

"ये सब बातें महज इत्तेफाक नहीं हो सकती बड़े भाई । हर बात में तारिक मोहम्मद ही सामने आ रहा है ।"

"ये सब गलत है ।" देवराज चौहान ने झल्लाकर कहा--- "मैंने कुछ नहीं किया । यूं ही मुझ पर शक किया जा रहा है । ऐसा क्यों करूंगा मैं । मैं पाकिस्तानी हूं । हिन्दुस्तान से मेरा क्या वास्ता ?"

सलीम खान ने अशफाक से कहा।

"कुर्सी दे ।"

अशफाक ने फौरन सलीम खान को कुर्सी दी ।

"तारिक मोहम्मद के पास रख दे ।"

अशफाक ने ऐसा ही किया। सलीम खान आगे बढ़ा और कुर्सी पर जा बैठा। दोनों आमने-सामने चार फुट के फासले पर बैठे थे।

गहरी खामोशी छा गई थी वहां ।

"तारिक...।" सलीम खान ने शांत स्वर में कहा--- "अगर तू कोई गड़बड़ कर रहा है तो ये मेरे लिए हैरानी की बात है ।"

"मैं कोई गड़बड़ नहीं...।"

"मेरे ठिकाने तक पहले भी पुलिस या दूसरी एजेंसी नहीं पहुंची। पर आज पहुंची गई।

"मेरी इस बात से क्या वास्ता ?"

"ये ही तो समझना है कि वास्ता है या नहीं ?" सलीम खान ने सिर हिलाकर कहा--- "बता, क्या वास्ता है ?"

"कुछ भी नहीं ।"

"वास्ता तो है तारिक मोहम्मद। तेरे पे इल्जाम है कि तू बाथरूम में बंद होकर फोन पर बात करता है। आखिरी बार जब तुमने बात की तो उसके डेढ़-दो घंटे बाद ही वहां रेड पड़ गई । किसे फोन किया तूने ?"

"किसी को भी नहीं ।"

"तू पाकिस्तानी है ऐसे में किसी पुलिस वाले को तेरी पहचान कैसे हो सकती है । अभी तो तू मुम्बई पहुंचा ।" सलीम खान बोला ।

"ये ही तो मैं कहता हूं कि...।"

"पर तेरी पहचान है किसी से वरना आज मेरे ठिकाने पर रेड नहीं पड़ती ।"

सलीम खान ने दृढ़ स्वर में कहा--- "मुम्बई में आकर तू पुलिस से मिला। उन्हें बताया कि हम क्या करने वाले हैं। ऐसे में तुमने पुलिस के साथ मिलकर चाल चली कि सबको गिरफ्तार करा दोगे। कल तुम लोगों ने सावित्री हाउस पर काम करना था ऐसे में आज तूने पुलिस को खबर...।"

"ये झूठ है ।"

"सच में...।"

"मेरा यकीन करो, तारिक मोहम्मद कभी झूठ नहीं बोलता ।" देवराज चौहान दृढ़ स्वर में बोला--- "मेरा कोई कसूर...।"

"पर मैं तो देख रहा हूं कि तारिक मोहम्मद झूठ पर झूठ बोले जा रहा है ।" सलीम खान ने कहा ।

देवराज चौहान ने असहमति भरे अंदाज में होंठ भींच लिए ।

"तुम लोगों को फोन इसलिए दिए गए थे कि जब बाहर जाते हो तो तुम्हें, हमारी या हमें, तुम्हारी जरूरत पड़े तो फोन पर बात हो सके। परंतु तुम तो पुलिस के साथ मिल गए। ये तो बुरा किया तुमने ।"

'मैंने ऐसा कुछ नहीं किया ।"

"पाकिस्तान में कौन-कौन है तेरा ?" सलीम खान ने गम्भीर स्वर में पूछा ।

"कोई भी नहीं ।"

सबकी निगाह इन दोनों पर और कान बातों पर थे।

"कोई तो होगा ।"

"नहीं है । परिवार था ।" देवराज चौहान दुखी स्वर में बोला--- "बीवी थी । दो बच्चे थे । एक बार घर में लूट हुई और लुटेरों ने पहचाने जाने के डर से सब को मार दिया । वो कभी पकड़े नहीं गए ।"

"क्या करता था तू वहां ?"

"बरबाद होने  से पहले ड्राई फ्रूट का व्यापारी था । बाद में ड्राई फ्रूट की दलाली करने लगा ।"

"कहां का है तू ?"

"बन्नू का ।"

"तेरा कोडवर्ड क्या है ?"

"मैं पाकिस्तानी ।" देवराज चौहान ने कहा ।

"कितनी ट्रेनिंग ली तूने पाकिस्तान में ?"

"डेढ़ साल की ।" देवराज चौहान ने सहज स्वर में कहा ।

"पुलिस के साथ क्यों मिला ? क्या तू सावित्री हाउस वाले काम से डर रहा था। नहीं करना चाहता था काम ?"

"मैं पुलिस से नहीं मिला। मैंने बाथरूम में जाकर मोबाइल पर किसी से बात नहीं की। और सावित्री हाउस वाले काम का मुझे बेसब्री से इंतजार था। परंतु अब मैं तुम लोगों के साथ कोई काम नहीं करूंगा ।"

"क्यों ?" सलीम खान का चेहरा बता रहा था कि उसके दिमाग में बहुत कुछ चल रहा है ।

"तुम लोग मेरे साथ दुश्मनों जैसा व्यवहार कर रहे हो । अंसारी ने मुझे मारा ।" देवराज चौहान गुस्से से बोला ।

"और तूने कुछ नहीं किया ।"

"मैं क्यों कुछ करूंगा ?"

"तुम्हें हिन्दुस्तान का लाइसेंस और पैन कार्ड मुफ्ती ने बना कर दिए थे । सबको दिए थे । मैं देखना चाहता हूं । दिखाओ ।"

"मेरे पास नहीं है ।"

"कहां है ?"

"खो गये । जेब से गिर गए । जब नेपाल पहुंचा तो तब वो दोनों कार्ड मेरे पास थे ।"

सलीम खान के होंठ सिकुड़े ।

"कब खोए ?"

"मेरे ख्याल में नेपाल में ही कहीं गिर गए हैं ।" देवराज चौहान ने कहा ।

"ये बात तुमने हमें क्यों नहीं बताई ?"

"यूं ही । दिमाग में नहीं आया बताने का ।" देवराज चौहान बोला।

"और तूने बिना पहचान पत्र के बाजार से मोबाइल का कनैक्शन ले लिया ।" सलीम खान ने गम्भीर स्वर में कहा ।

देवराज चौहान से कुछ कहते न बना ।

खेल पूरी तरह खत्म था देवराज चौहान का ।

"बता। मोबाइल का नम्बर लेने के लिए तूने कौन-सा पहचान पत्र दिखाया ?" सलीम खान ने पूछा ।

देवराज चौहान चुप। कहता भी तो क्या कहता।

"मुंह खोल दे तारिक मोहम्मद कि तूने क्या चक्कर फैला रखा है ?"

देवराज चौहान ने गहरी सांस ली। कहा कुछ नहीं ।

"कौन सी दुकान से तूने मोबाइल कनैक्शन लिया था ?"

देवराज चौहान ने नहीं बताया पर अंसारी कह उठा ।

"मोबाइल नम्बर से मैं आसानी से उस दुकान के बारे में पता कर लूंगा । बाजार में आठ-दस दुकानें हैं ।"

सलीम खान ने गर्दन घुमा कर देख कर बोला ।

"पहचान पत्र की फोटो कॉपी तो अब तक दुकानदार ने कम्पनी को दे दी होगी ।"

"पर ये तो पता चल जाएगा कि इसने कनैक्शन लेने के लिए किस नाम-पते का इस्तेमाल किया ।" अंसारी ने कहा ।

"ठीक है। तू पता कर अंसारी। मैं यहीं हूं। ये मामला गम्भीर हो गया है ।" सलीम खान ने देवराज चौहान के चेहरे पर नजर मार कर कहा--- "तू मत जाना अभी उधर। ठिकाने पर पुलिस की रेड पड़ी है। उस इलाके में तेरा पांव रखना भी गलत होगा । इस काम के लिए अशफाक को भेज दे ।"

अशफाक ने फौरन संताली से कहा ।

"नम्बर बता फोन का । मैं पता करके आता हूं ।"

अशफाक, अंसारी से सारी बात समझकर, नम्बर सुन कर चला गया ।

सलीम खान ने बाकी के छः को देख कर कहा ।

"आप लोग आराम करो दोस्तों। मैं इस मामले का दूध अलग और पानी अलग कर दूंगा ।"

"हमारे कल के काम का क्या होगा ?" सरफराज हलीम ने पूछा।

"मुझे हालात ठीक नजर नहीं आ रहे । मेरे ख्याल में पुलिस के पास खबर पहुंच चुकी है कि हम सावित्री हाउस में कल क्या करने वाले हैं । वहां पुलिस ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी होंगी कल के लिए। उन्हीं तैयारियों का नतीजा था कि मेरे ठिकाने पर पुलिस का पहुंच जाना । इसलिए अभी इस काम को रोकना होगा पर मेरे दोस्तों मायूस होने की जरूरत नहीं । बड़े भाई के काम हर हाल में होकर रहते हैं । तुम लोगों का हिन्दुस्तान आना, बेकार नहीं जाएगा ।"

कोई कुछ नहीं बोला।

सलीम खान ने अपनी दाढ़ी पर हाथ फेर कर देवराज चौहान को देखा ।

"अब तुम्हें बता देना चाहिए दोस्त कि तुम क्या करते फिर रहे हो।"

देवराज चौहान चुप रहा ।

"क्या तुम तारिक मोहम्मद ही हो या फिर कोई और...।"

देवराज चौहान ने कुछ नहीं कहा ।

"नये फोन नम्बर के लिए तुमने किस पहचान पत्र का इस्तेमाल किया ?"

देवराज चौहान सलीम खान को देखता रहा ।

सलीम खान के चेहरे पर जहरीली मुस्कान उभरी और लुप्त हो गई ।

"मेरे सब सवालों का जवाब मुझे मिल जाएगा । तुम मुंह खोलो या न खोलो ।" सलीम खान बोला--- "तुमने पुलिस को ये भी बताया होगा कि कल सावित्री हाउस में हमला होने वाला है ।"

देवराज चौहान का मुंह खोलने का कोई इरादा नहीं दिखा ।

सलीम खान फिर से उठा और टहलने लगा ।

अंसारी, सलीम खान के पास पहुंचकर बोला ।

"बड़े भाई, मैं इसका मुंह खुलवाऊं ?"

"अशफाक को आ लेने दो । पता तो चले इसने किस आई-डी प्रूफ  के दम पर मोबाइल नम्बर लिया ।" सलीम खान ने गम्भीर स्वर में कहा--- "उसके बाद ही सोचेंगे कि आगे क्या करना है ।"

"तो कल काम नहीं होगा ?"

"कल काम नहीं होगा । तारिक जरूर आगे किसी को बता चुका है कि कल हम क्या करने वाले हैं। बेसमेंट वाले ठिकाने पर रेड हो जाना, इस बात की तरफ इशारा करता है । हैरानी है कि इसने ये सब कर डाला । मेरे ख्याल में पाकिस्तान में मुनीम खान ने गलत बंदे को चुन लिया। हिन्दुस्तान के साथ लगता है इसके पहले से ही संबंध थे। ये किसी प्लान के तहत ही हामिद अली के पास ट्रेनिंग लेने पहुंचा होगा। जो भी सच है हमें पता चल जाएगा ।"

तभी जलालुद्दीन आगे बढ़ता कह उठा ।

"बड़े भाई । मुझे पूरा यकीन है कि दाऊद खेल में इसकी आवाज कुछ और थी और यहां आवाज में बदलाव आ गया है।"

सलीम खान ने जलालुद्दीन को देख कर कहा ।

"ये बात किसी और ने तो नहीं कही ।"

"किसी का ध्यान नहीं गया इसकी आवाज पर जलालुद्दीन इस तरह का धोखा नहीं खा सकता ।" जलालुद्दीन ने कहा ।

सलीम खान ने होंठ सिकोड़ कर देवराज चौहान को देखा ।

"मुझे दो मिनट इससे बात करने का मौका दो बड़े भाई ।" जलालुद्दीन बोला ।

"कर लो ।" सलीम खान ने शांत स्वर में कहा ।

जलालुद्दीन फौरन देवराज चौहान के पास पहुंच गया ।

देवराज चौहान की निगाह जलालुद्दीन के चेहरे पर जा टिकी।

जलालुद्दीन इस तरह मुस्कुराया, जैसे उस बकरे को देखकर मुस्कुराता है कसाई कि अब कटेगा ।

"मैं तुमसे फिर पूछता हूं कि दाऊद खेल में, हामिद अली के ठिकाने पर हमारी पहली क्या बात हुई थी ?"

"क्या करोगी जानकर ?" देवराज चौहान  बोला ।

"तुम्हारी बदली आवाज की वजह से मुझे शक है कि तुम वो नहीं हो, जो दाऊद खेल में थे ।"

"मतलब कि मैं तारिक मोहम्मद नहीं, कोई और हूं ।"

"हां ।"

"मैं तारिक मोहम्मद ही हूं ।" देवराज चौहान बोला--- "हामिद अली के ठिकाने पर दाऊद खेल में तुमने मुझे कहा था कि हिन्दुस्तान को जीतने के बाद लाल किले को आधा-आधा बांट लेंगे ।"

जलालुद्दीन की आंखें सिकुड़ी ।

"तुम्हें याद था तो पहले क्यों नहीं बताया ?"

देवराज चौहान ने कुछ नहीं कहा ।

जलालुद्दीन पलटकर सलीम खान से कह उठा ।

"बड़े भाई ये तारिक मोहम्मद ही है । शायद आवाज को लेकर मुझे धोखा हुआ है । इसने सही जवाब दिया । वहां पर मैंने ये ही इसे कहा था । अगर ये पहले कह देता तो मेरा शक, कब का हट गया होता ।"

"तुम्हें यकीन है कि बाथरूम में बंद होकर ये मोबाइल पर बात कर रहा था ?" सलीम खान ने पूछा ।

"पूरा यकीन है ।" जलालुद्दीन ने दृढ़ स्वर में कहा--- "ऐसी बातों में जलालुद्दीन कभी गलती नहीं करता ।"

"मैंने भी इसे बाथरूम में बंद होकर बातें करते सुना था ।" अब्दुल रज्जाक कह उठा ।

■■■

शाम सात बजे अशफाक लौटा ।

"इसने ।" अशफाक देवराज चौहान को देखता, सलीम खान से कह उठा--- "मोबाइल का कनैक्शन लेने के लिए ऐसे लाइसेंस की फोटो कॉपी दी, जिस पर सुरेंद्र पाल का नाम लिखा था और अंधेरी का पता था ।"

"सुरेंद्र पाल ?" सलीम खान चौंका--- "ये सुरेंद्र पाल कैसे हो सकता है ?"

"उस लाइसेंस पर ये ही नाम लिखा था ।" अशफाक ने कहा ।

"और पता अंधेरी का था ?"

"जी हां । लाइसेंस पर इसका फोटो भी था ।"

"इसी की तस्वीर ?" सलीम खान ने देवराज चौहान की तरफ इशारा किया ।

"जी, इसी की तस्वीर ।"

"ये-ये कैसे संभव है ।" सलीम खान अजीब से लहजे में कह उठा--- "इसकी तस्वीर कैसे हो सकती...।"

दुकानदार ने बताया कि वो तस्वीर को ध्यान से देखता है । जब तक आई-डी वाला व्यक्ति खुद न आए, तब तक वो नया नम्बर नहीं देता । उसका कहना है कि तस्वीर वाला व्यक्ति ही नम्बर लेने आया था ।"

"ये तो तारिक मोहम्मद है । पांच-छः दिन पहले पाकिस्तान से आया है । हमारे पास ही रहा ऐसे में से लाइसेंस इसकी तस्वीर वाला कहां से मिल गया । ये कतई संभव नहीं लगता । लाइसेंस पर अंधेरी का पता है ?"

"जी हां । एक बंगले का पता है । मैंने आदमी वहां भेजा तो उसने फोन पर बताया कि उस पते पर कोई सुरेंद्र पाल नहीं रहता ।"

सलीम खान की आंखें सिकुड़ी हुई थी। माथे पर बल थे ।

"बड़े भाई...।" अंसारी गम्भीर स्वर में कह उठा--- "ये यहां की पुलिस से मिला हुआ है तो लाइसेंस बनाना कौन-सी बड़ी बात है ।"

सलीम खान कुछ व्याकुल दिखा ।

"बड़े भाई...ये...।"

"मैं कुछ और सोच रहा हूं अंसारी ।" सलीम खान बोला ।

"क्या ?"

"ये कहता है कि मुनीम खान ने इसे जो लाइसेंस, पैन कार्ड दिया, वो इससे खो गया । नेपाल में खो गया । और मुम्बई पहुंचते ही इसके पास मुम्बई के पते का ड्राइविंग लाइसेंस दिखाने लगा । कुछ तो रगड़ा है अंसारी।"

"क्या ?"

"ये ही तो समझ नहीं आ रहा ।" सलीम खान, देवराज चौहान के पास पहुंच कर कह उठा--- "देख तूने जो भी चक्कर फैला रखा है सब सच-सच बता दे । मैं तुझे छोड़ दूंगा । मैं असल मामला जानना चाहता हूं ।"

देवराज चौहान सलीम खान को देखता रहा ।

"नहीं बोलेगा ?" सलीम खान के चेहरे पर कठोरता आने लगी ।

देवराज चौहान मुस्कुरा पड़ा।

"साला, पक्का ढीठ है । फंस गया है पर ऐंठन नहीं गई ।" मोहम्मद डार कह उठा।

सलीम खान देवराज चौहान को देखता रहा फिर बोला ।

"सुरेंद्र पाल नाम के लाइसेंस पर तेरी तस्वीर कैसे आ गई ? कौन-सा पुलिस वाला तुझे जानता है या मुंबई पहुंचने के पहले दो दिनों में तू पुलिस के पास गया, जब मुझे फोन करने से पहले, तू होटल में टिका था ?"

देवराज चौहान खामोश रहा ।

"मेरे पास मुंह खुलवाने के और भी रास्ते हैं ।"

देवराज चौहान ने कुछ नहीं कहा ।

"अंसारी ।" सलीम खान ने कहा और पलट कर खूंखार स्वर में अंसारी से बोला--- "ये अब तेरे हवाले हैं ।"

"जी जनाब ।"

"इसके मुंह से सब कुछ निकलवाना है कि असल मामला क्या है ।"

"ये बोलेगा बड़े भाई ।" अंसारी गुर्रा उठा ।

"जब ये मुंह खोल दे तो मुझे फोन कर देना ।" सलीम खान ने कहा और बाहर निकलता चला गया ।

अंसारी ने कहर भरी निगाहों से देवराज चौहान को देखा और उसकी तरफ बढ़ते कह उठा ।

"अब तो तेरा वो हाल होगा तारिक मोहम्मद कि बस समझ, तू तो गया...।"

■■■

मार्शल परेशान था ।

जगमोहन डबल परेशान हो चुका था ।

मात्र डेढ़ घंटे बाद उस जगह पर रेड डाली दी गई थी, जहां का पता देवराज चौहान ने बताया था ।

परंतु चिड़िया उड़ चुकी थी । वहां पर कोई भी नहीं मिला था । उनकी समझ में नहीं आ रहा था कि ये क्या हो गया है । लेकिन उस जगह पर किसी का न मिलना इस तरफ इशारा कर रहा था कि देवराज चौहान अवश्य खतरे में पड़ गया है ।

"हमारा सारा प्लान, सारी मेहनत मिट्टी में मिल गई ।" मार्शल होंठ भींचे बोला ।

"तुम्हें अपने प्लान की पड़ी है ।" जगमोहन ने गुस्से से कहा--- "वहां देवराज चौहान के साथ इस वक्त जाने क्या हो रहा होगा।"

"लेकिन ये सब हो कैसे गया जगमोहन, वहां तो...।"

"किसी को देवराज चौहान पर शक हो गया होगा, किसी ने उसे फोन पर बात करते देख सुन लिया होगा ।" जगमोहन परेशान-सा कह  उठा ।

"कुछ तो हुआ ही है ।"

"पता करो मार्शल कि वो लोग देवराज चौहान को कहां ले गए हैं ।"

"मेरे लोग इस बात को पता करने में लगे हैं। उस ठिकाने के पास से पता करने का पता चला कि आठ-दस लोग थे जो कि हमारे वहां पहुंचने के एक घंटे पहले वहां से निकलकर, पैदल ही कहीं गये...।"

"देवराज चौहान के बारे में खबर पाने की कोशिश करो। वो खतरे में है ।"

जगमोहन को देखता मार्शल बोला ।

"देवराज चौहान ही नहीं बहुत कुछ खतरे में है । कल सावित्री हाउस में...।"

"सावित्री हाउस में कल कुछ नहीं होगा ।" जगमोहन कह उठा।

"कैसे कह सकते हो ?"

"इस स्थिति में वे कोई भी काम करने से पीछे हट जाएंगे । तभी तो उन्होंने अपना ठिकाना छोड़ दिया। मेरे ख्याल में उन्होंने देवराज चौहान को फोन पर बात करते देख लिया होगा या उसकी बातें सुनी होंगी, जब वो तुमसे बात कर रहा होगा। ये ही बात होगी। तभी तो उन्होंने ठिकाना खाली किया। तुमने देवराज चौहान को खतरे में डाल दिया मार्शल...।"

"मैंने ?"

"हां । ये प्लान ठीक नहीं था । जब देवराज चौहान ने इस प्लान पर काम करने की सोची तो तुम्हें तभी उसे रोक देना...।"

"वो मेरा एजेंट नहीं था जो मेरा हुक्म मानता ।"

"वो तुम्हारा काम कर रहा...।"

"बेशक वो मेरा काम कर रहा था परंतु देवराज चौहान अपनी मर्जी का मालिक है, वो अपने ढंग से...।"

"तुम जानते थे कि उसका ढंग गलत है तो...।"

"उसका ढंग गलत नहीं था । प्लान बढ़िया था और खतरा आधा-आधा था ।"

"मतलब कि तुम देवराज चौहान के प्लान से सहमत थे । तुम्हीं ने ही...।"

"मैं सहमत नहीं था और मेरे विचारों का उस पर कोई फर्क नहीं पड़ा। वो अपना इरादा पक्का कर चुका था कि उसे इसी प्लान पर काम करना है ।"

"तुम अपनी हरकत पर पर्दा डाल रहे...।"

"जगमोहन ।" मार्शल ने गम्भीर स्वर में कहा---"इन बातों का कोई फायदा नहीं ।" हमें आगे की सूचना है ।"

जगमोहन के दांत भिंच गए फिर कह उठा ।

"अगर देवराज चौहान को कुछ हो गया तो मैं तुम्हें नहीं छोड़ने वाला ।"

मार्शल चेहरे पर सख्ती ओढ़े कमरे से बाहर निकलता चला गया।

■■■

रात के ग्यारह बज रहे थे ।

देवराज चौहान की हालत बहुत बुरी हो चुकी थी। वो कुर्सी पर ही बंधा हुआ था। परंतु उसके चेहरे पर बुरी तरह की गई पिटाई के निशान स्पष्ट नजर आ रहे थे । एक आंख लाल-सी होकर सूजी हुई थी । नाक से खून की लकीर बहकर रूक चुकी थी । ये ही हाल होंठों का था। माथे पर किसी भारी चीज के चोट का निशान उभर-सा हुआ था। कमीज फट चुकी थी । बीते चार घंटों में अंसारी, अशफाक और अन्य दो आदमी उससे सवालों का जवाब पूछ रहे थे। परंतु देवराज चौहान ने मुंह बंद रखा हुआ था। जवाब देने का उसका जरा भी इरादा नहीं लग रहा था। गुलाम कादिर, मोहम्मद डार, आमिर रजा खान, सरफराज हलीम, जलालुद्दीन और अब्दुल रज्जाक एक तरफ बैठे थे । आज तो उन्हें खाना भी नसीब नहीं हुआ था सब देवराज चौहान पर व्यस्त थे । देवराज चौहान थका, टूटा ढलका लग रहा था । ठुकाई ने उसका हाल, बेहाल कर रखा था ।

अंसारी गुस्से से भरा अशफाक के आदमियों से बोला ।

"सबके लिए होटल से खाना पैक करा कर लाओ ।"

एक आदमी वहां से चला गया ।

"ये आसानी से मुंह नहीं खोलने वाला ।" अशफाक ने अंसारी से कहा ।

"खोलेगा ।" अंसारी दांत भींचकर, देवराज चौहान को देखता कह उठा--- "अभी तो शुरुआत ही हुई है ।"

तभी गुलाम कादिर कह उठा ।

"इसे मेरे हवाले कर दो, पांच  मिनट में ये बोलने लगेगा ।"

अंसारी के गुस्से से भरे चेहरे पर एकाएक मुस्कान आ गई ।

"फिक्र मत करो । देखते रहो, ये बोलेगा ।" कहने के साथ ही वो देवराज चौहान की तरफ बढ़ गया ।

देवराज चौहान की निगाह उस पर जा टिकी ।

"तुम्हें मुंह खोल देना चाहिए तारिक मोहम्मद ।" अंसारी क्रूर स्वर में बोला ।

देवराज चौहान ने कुछ नहीं कहा ।

"तुम्हारी मौत तो तय हो चुकी है। मरना तो तुम्हें है ही। हमारी बातों का जवाब देकर, तुम आसान मौत क्यों नहीं मरते ।"

देवराज चौहान मुस्कुराया ।

"हमसे गद्दारी करते हुए तब तो तुमने ये ही सोचा होगा कि किसी को पता नहीं चलेगा ।"

"मैं निश्चिंत नहीं था ।" देवराज चौहान ने मुंह खोला--- "मैं जानता था कि मैं फंस सकता हूं ।"

"इतना बड़ा खतरा किसके लिए लिया ? क्या पैसों के लिए ?"

देवराज चौहान उसे देखता रहा ।

"बहुत मामूली सवाल है । जैसे कि तुम किसके लिए काम कर रहे हो । किसके कहने पर काम कर रहे हो । तुम करना क्या चाहते थे ? ये सब क्यों कर रहे हो । तुम्हारे कांटैक्ट किस-किस के साथ हैं । तुम हम लोगों के खिलाफ क्यों हुए । कुल मिलाकर तुम्हारा प्लान क्या...।"

"नहीं बताऊंगा ।" देवराज चौहान कह उठा ।

"सोच लो...।" अंसारी के चेहरे पर खतरनाक भाव उभरे ।

देवराज चौहान के चेहरे पर दृढ़ता नाचती रही

"चलो इतना ही बता दो कि तुम हिन्दुस्तान की पुलिस के संपर्क में कब आये ? पहले से ही संपर्क में थे या यहां आकर उनसे मिले ।

"तुम वक्त बर्बाद कर रहे हो अंसारी ।" देवराज चौहान बोला ।

"तो तुम नहीं बताओगे ?"

"कभी नहीं...।"

"ये आसानी से नहीं रास्ते पर आने वाला ।" अशफाक गुर्रा उठा।

"तू ठीक कहता है। खोल इसे।" अंसारी ने दांत किटकिटाये--- "हरामजादे की फुटबॉल की तरह धुनाई करते हैं । फुटबॉल खेलने के लिए हमारे पास खिलाड़ियों की कोई कमी नहीं है ।" अंसारी ने उन सब पर निगाह मारी ।

अशफाक देवराज चौहान की तरफ बढ़ गया ।

तभी अंसारी का फोन बजा। बात की। सलीम का फोन था ।

"बोला वो...।"

"बोलेगा बड़े भाई । अब उसके साथ दूसरा दौर शुरू होने जा रहा है ।" अंसारी ने कहा ।

"जल्दी मुंह खुलवाओ उसका ।" इतना कहकर उधर से सलीम खान ने फोन बंद कर दिया था।

■■■

रात साढ़े ग्यारह बजे पाकिस्तानी से मुफ्ती इसरार का फोन, मार्शल को आया ।

"बोरी बंदर के ठिकाने पर तुमने रेड की थी मार्शल ।" स्वर में धीमापन था ।

"हां, तुम...।" मार्शल से कहना चाहा ।

"कैसे पता चला कि वो लोग वहां पर हैं । वो लोग तो कल-काम करने वाले थे ।"

"बहुत गड़बड़ हो गई है मुफ्ती ।"

"मुझे बताओ मार्शल कि क्या कर रहे हो तुम ?" मुफ्ती का धीमा स्वर कानों में पड़ा ।

"उन सात लोगों में, एक मेरा आदमी शामिल हो गया था ।" मार्शल ने बताया ।

"मतलब कि एक को गायब करके, उसकी जगह तुम्हारा आदमी आ गया ?" मुफ्ती का चौंका स्वर कानों में पड़ा ।

"हां । ये ही किया...।"

"ये तो तुमने बहुत बड़ा खतरा उठाया । वो शायद अब फंस गया है ।"

"तुम्हें कैसे पता ?"

"हिन्दुस्तान से खबर आई है कि उसकी हरकतें संदिग्ध थी । वो पकड़ में आ गया है । उससे पूछताछ हो रही है ।

"ओह । उसने मुंह खोला ?"

"ऐसी कोई खबर नहीं आई यहां कि उसने कुछ बताया है । पर तुमने अपना आदमी फिट कैसे किया ?"

मार्शल ने बताया ।

"तो तारिक मोहम्मद के रूप में तुम्हारा आदमी था। पाकिस्तान में यही खबर आई है कि तारिक मोहम्मद शायद पुलिस के साथ मिल गया है। इसका मतलब कि अभी वे नहीं जानते कि वो तुम्हारा एजेंट है। हिन्दुस्तानी है। उसे अभी तक पाकिस्तानी ही समझा जा रहा है ।"

"उसके हिन्दुस्तानी होने का भेद कभी भी खुल सकता है ।"

"तुमने अपना एक एजेंट खो दिया। वो अब बचने वाला नहीं ।"

"उसे बचाया जा सकता है, अगर तुम इसी तरह हमें खबरें देते रहो ।"

"मैं तो खबरें दे ही रहा...।"

"सतर्क रहना । वो लोग तुम पर भी शक न करने लगें ।"

"मैं उन्हें ऐसा कोई मौका नहीं देता कि वो मुझ पर शक करें । वो मुझ पर पूरा भरोसा करते हैं ।"

"बोरी बंदर वाला ठिकाना वो खाली कर चुके हैं । अब वे कहां गए हैं ?"

"वो लोग ऐसी बातें नहीं बताते । मुझे तो ये भी नहीं मालूम कि हिन्दुस्तान में इस मामले को कौन संभाल रहा है ।"

"सलीम खान ।"

"सलीम खान ?" उधर से मुफ्ती की आवाज आई--- "ये तो कोई खतरनाक आदमी है ।"

"हमारी सरकार को इसकी तलाश है। हिन्दुस्तान में ये बेहिसाब आतंकी कार्यवाही कर चुका है ।"

"जानता हूं...।" मुफ्ती का गम्भीर स्वर कानों में पड़ा ।

"पता करो कि ये लोग मुम्बई में कहां पर हैं ।" मार्शल ने गम्भीर स्वर में कहा ।

"आसान नहीं है ये पता लगाना। मुनीम खान भी ऐसा सवाल नहीं करता उनसे कि मुम्बई में वे कहां है । इन लोगों को सिर्फ अपना काम होने से मतलब है। फिर भी मैं कोशिश करूंगा कि कुछ मालूम कर सकूं ।"

"और सलीम खान मेरे आदमी के साथ क्या कर रहा है । वहां के क्या हालात हैं । ये भी जानकारी लेने की चेष्टा करना ।"

"ठीक है मार्शल ।"

"अगर सलीम खान के ठिकाने का पता लगे तो फौरन मुझे फोन करना ।"

"करूंगा ।" इतना कहने के साथ ही मुफ्ती ने उधर से फोन बंद कर दिया था ।

मार्शल ने फोन टेबल पर रखा चेहरे पर गहरी सोच थी इंटरकॉम का बटन दबाकर बोला ।

"सतनाम ।"

"यस मार्शल ।"

"कोई खबर आई ?"

"अभी तो कुछ नहीं । वे सब पता लगाने में है कि, वो लोग बेसमेंट से कहां शिफ्ट हुए ।"

"मुखबिरों का इस्तेमाल करो। हमें तुरंत इस बारे में खबर चाहिए ।"

"मुखबिरों से काम लिया जा रहा है। हर संभव कोशिश हो रही है मार्शल ।"

मार्शल ने इंटरकॉम का बटन छोड़ा कि दरवाजे पर थपथपाहट हुई ।

आगे बढ़कर मार्शल ने दरवाजे का लॉक हटाकर दरवाजा खोला ।

सामने जगमोहन था, वो भीतर आता कह उठा ।

"मुफ्ती से बात करो मार्शल। वो उन लोगों के बारे में बता सकता है कि वो लोग कहां...।"

"मुफ्ती से अभी मेरी बात हुई है । इस बारे में उसे कुछ नहीं पता।" मार्शल ने कहा ।

"नहीं पता तो उसे कहो, पता करे । वो...।"

"कह दिया है । वो मालूम करने की पूरी चेष्टा करेगा कि...।"

"उसने बताया कि देवराज चौहान के साथ क्या हो रहा है ?" जगमोहन ने बेचैन स्वर में पूछा।

"इतना ही बताया कि देवराज चौहान के साथ पूछताछ हो रही है ।"

"पूछताछ ?" जगमोहन के होंठ भिंच गए--- "पूछताछ का मतलब समझते हो ना ? उसका मुंह खुलवाने के लिए उसे यातना दी जा रही होगी । बुरा हाल किया जा रहा होगा उसका।"

मार्शल के होंठ भिंच गये ।

'मुफ्ती ने बताया कि देवराज चौहान से उन लोगों ने क्या जानकारी ली अब तक ?"

"कुछ भी नहीं। वे अभी तक उसे तारिक मोहम्मद समझ रहे हैं कि तारिक मोहम्मद गद्दार है। उन्हें कुछ भी नहीं मालूम ।"

"ओह, लेकिन वो लोग जल्द ही जान लेंगे कि...।"

"देवराज चौहान बच्चा नहीं है । वो जानता है कि उसका मुंह खुलने के बाद, जब ये लोग सब जान जाएंगे तो उसके बाद उसे मौत ही देंगे । वो कभी भी मुंह नहीं खोलेगा कि ज्यादा देर तक सलामत रहे सके ।"

"इस तरह तो वे लोग उसका बुरा हाल कर देंगे ।"

"शायद तब तक हम उसे ढूंढ निकाले ।"

"शायद ।" जगमोहन ने दांत भींचकर कहा--- "शायद तब तक वो देवराज चौहान को मार भी दें ।"

"जब तक देवराज चौहान देवराज मुंह नहीं खोलता, तब तक वे लोग उसे जिंदा रखेंगे ।"

"ये सिलसिला कब तक चलेगा । जब तक देवराज चौहान मर नहीं जाता या तुम्हारे आदमी उस जगह को ढूंढ नहीं लेते । किसी एक बात पर जाकर ये सिलसिला रुकेगा ।" जगमोहन तकलीफ भरे स्वर में कहा उठा--- "कुछ करो मार्शल, वो लोग...।"

"जबरदस्त ढंग से उनके उस ठिकाने की तलाश जारी है, जहां इस वक्त वे लोग मौजूद हैं ।" मार्शल गम्भीर स्वर में कह उठा ।

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देवराज चौहान फर्श पर बेहोश पड़ा था। उसकी कमीज चिथड़े-चिथड़े होकर झूल रही थी। बनियान भी कई जगह से फट चुकी थी। शरीर पर जगह-जगह जख्मों के निशान नजर आ रहे थे ।

अंसारी और अशफाक ने देवराज चौहान को फुटबॉल समझकर हाथों-पैरों से खूब खेला था। साथ में वो अपने सवाल पूछते रहे थे। देवराज चौहान कुछ देर तो सहता रहा फिर उसकी कराहे गूंजने लगी । धीरे-धीरे कराहे चीखों में बदलने लगी । परंतु उन दोनों की ठोकरें और घूंसे न रुके ।

देवराज चौहान चीखता रहा ।

इस दौरान बाकी के लोग ये तमाशा देख रहे ।

देवराज चौहान बुरे हाल में पहुंच गया था। अंसारी और अशफाक उसे मारते-मारते थक गए थे ।

अंसारी ने पानी पिया और आगे बढ़कर देवराज चौहान के सिर के बाल पकड़कर, चेहरा ऊपर किया ।

"तू बता क्यों नहीं देता कि तूने ये सब क्यों किया। किसके इशारे पर किया ।"

देवराज चौहान बेहाल-सा चुप रहा ।

"तू मुंह खोल दे तो मैं बड़े भाई से कह कर तेरी जिंदगी बचा लूंगा ।"

देवराज चौहान ने कुछ नहीं कहा ।

अंसारी ने झल्लाकर उसके चेहरे पर ठोकर मारी तो वो चीखकर करवट ले गया। सिर के बाल छोड़कर अंसारी पीछे हटता गुर्राया ।

"बहुत सख्त जान है । इसका मुंह खुलवाने के लिए कोई स्पेशल इंतजाम करना होगा ।"

"गर्म सलाखों की तैयारी करूं या इसका जिस्म काटकर नमक मिर्च भरूं ।" अशफाक ने कहा ।

अंसारी नीचे पड़े देवराज चौहान को खा जाने वाली निगाहों से देखता रहा फिर लड़कों से बोला ।

"एक-एक करके मारो साले को । तब तक मारते रहो, जब तक बेहोश न हो जाये...।"

सबसे पहले जलालुद्दीन उठा और लपक कर देवराज चौहान के पास गया। आते ही उसने देवराज चौहान की कमर में ठोकर मारी तो देवराज चौहान तड़प उठा । जलालुद्दीन खतरनाक स्वर में कह उठा ।

"कुत्ते, तूने मुझ पर हाथ उठाया था,याद है न ?"

इसके बाद जलालुदीन पागलों की तरह से ठोकरें मारने लगा ।

"संभलकर ।" अंसारी ऊंचे स्वर में बोला--- "इसकी जान नहीं लेनी है ।"

तभी देवराज चौहान ने हिम्मत करके जलालुद्दीन की टांग पकड़ कर झटका दिया ।

जलालुद्दीन बुरी तरह लड़खड़ा गया और नीचे आ गिरा ।

पल भर के लिए वहां सन्नाटा ठहरा ।

"अभी दम-खम बाकी है हरामी में ।" अशफाक दांत भींचे ।

"पाकिस्तानी जो ठहरा। सब पाकिस्तानी बहुत हिम्मती होते हैं।" अंसारी ने कहा ।

जलालुद्दीन के होंठों से गुर्राहट निकली और वो उछल कर खड़ा हो गया । फिर इस तरह देवराज चौहान पर टूट पड़ा, जैसे कोई भूखा कुत्ता खाने पर झपटता है ।

उसके बाद तब तक चीखें गूंजती रही देवराज चौहान की, जब तक बेहोश ना हो गया । जलालुद्दीन की हालत भी बेहतर नहीं थी। वो हांफ रहा था। थक चुका था ।

अशफाक ने आगे बढ़कर देवराज चौहान को चैक किया फिर बोला ।

"बेहोश है ।"

अंसारी पास पहुंच गया । चेहरे पर परेशानी थी ।

"क्या करना है इसका ?" अशफाक बोला--- "इस पर दूसरा ढंग इस्तेमाल किया जाये ?"

"पाकिस्तानी इतने भी मजबूत नहीं होते ।" अंसारी गुर्राया--- "ये हरामजादा किस मिट्टी का बना है ।"

"पाकिस्तान में इसका कोई परिवार भी नहीं कि उसका वास्ता देकर इसे दबाया जा सके ।" अशफाक ने कहा ।

"इसकी टांग तोड़ दो ।" अब्दुल रज्जाक कह उठा--- "और इसे तड़पने दो । वो दर्द ये सहन नहीं कर सकेगा ।"

"इसको पंखे के साथ बांधकर उलटा लटका दो और शरीर काटकर, नमक-मिर्च भरो ।"

अशफाक ने अंसारी को देखा ।

अंसारी के चेहरे पर सोच के भाव थे ।

"क्या करना है अंसारी, कुछ तो बता ।"

"मैं यही सोच रहा हूं कि कितनी मार खाकर नहीं बोला तो अब क्या किया जाये कि ये बोले ।"

"बुरी तरह टार्चर, किया जाये तो ये जरूर मुंह खोलेगा ।" अशफाक ने कहा ।

अंसारी ने मोबाइल निकाला और नम्बर मिलाता कह उठा ।

"इसे कुर्सी पर बिठा कर बांध दो और कुर्सी के नीचे छोटी आग जला दो जो इसके कूल्हों तक पहुंचे, समझे अशफाक ?"

"समझ गया ।" अशफाक कहर भरे ढंग से मुस्कुराया फिर दूसरों से बोला--- "उठाओ इसे, कुर्सी पर बिठा कर हाथ-पांव बांध दो ।"

तभी अंसारी के कानों में फोन से आती सलीम खान की आवाज पड़ी ।

"कहो अंसारी । वो बोल पड़ा ?"

"नहीं बड़े भाई । मार खाते-खाते बेहोश हो गया, पर बोला नहीं। कुछ नहीं बताया ।"

"पक्का पाकिस्तानी है । कोई दमदार खून उसके शरीर में दौड़ रहा है ।" सलीम खान का सख्त स्वर कानों में पड़ा--- "लेकिन हमें हर हाल में इसका मुंह खुलवाना है। सब कुछ जानना है  पता तो चले कि हमारे खिलाफ जो साजिश रची जा रही थी उसमें कौन-कौन शामिल है। हम सब को सबक सिखाएंगे कि हमारे काम में दखल देने का अंजाम क्या होता है ।"

"उसके मुंह खोलने की देर है कि...।"

"देर ज्यादा हो रही है अंसारी । अब तक उसका मुंह खुल जाना चाहिए ।"

मैं भरपूर कोशिश कर...।"

"उसे सोने मत देना । जगाए रखना और यातना देते रहो । सो नहीं पाएगा तो पागल हो जाएगा । ऊपर से यातना...मुंह खोल देगा ।"

"ठीक है बड़े भाई...।"

"उसका मुंह जल्दी खुलवाओ । अब तुम्हारा फोन आये तो मैं ये ही सुनूं कि उसने मुंह खोल दिया । सब बता दिया ।"

"ऐसा ही होगा बड़े भाई । मैं रात-रात में इसका मुंह खुलवा लूंगा ।" अंसारी बोला ।

उधर से बड़े भाई ने फोन बंद कर दिया ।

अंसारी झल्लाकर अशफाक से कह उठा ।

"बड़े भाई के सामने मेरी नाक कट रही है कि इसका मुंह नहीं खुलवा पाये ।"

"अभी खुल जाएगा ।" अशफाक ने खतरनाक स्वर में कहा ।

देवराज चौहान को कुर्सी पर बांधकर बांधा जा रहा था ।

"तुम ।" अशफाक अपने आदमी से बोला--- "किसी कुर्सी को तोड़ कर लकड़ी तैयार करो । इसके नीचे आग लगानी है ।"

वो आदमी लकड़ियां तैयार करने में लग गया ।

जब वे देवराज चौहान को बांधकर फुर्सत में आये तो अशफाक ने कहा ।

"उसके मुंह पर पानी के छींटे मारो । सिर पर पानी डालो। होश में लाओ। हरामी अभी तड़प कर मुंह खुलेगा ।"

तभी अशफाक का आदमी खाना लेकर आ गया ।

खाना भी खाया जाने लगा और यातना देने की तैयारी की जा रही थी ।

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