ब्रिटिश सीक्रेट के चीफ मिस्टर एम अपने भव्य एयरकण्डीशण्ड एवं साउण्डप्रूफ ऑफिस में, विशाल मेज के पीछे पड़ी रिवॉल्विंग चेयर पर बैठे, दर्पण की तरह चमक रहे अपने गंजे सिर पर हाथ फिराते हुए सोच रहे थे कि अपनी बात कहां से शुरू करें?

मेज के इस तरफ बैठा जेम्स बाण्ड चुपचाप उन्हें देख रहा था।
मिस्टर एम के एक हाथ में सिगार था और वे विचारमग्न नजर आ रहे थे, उन्होंने बाण्ड को अर्जेण्ट कॉल किया था और बाण्ड कुछ ही देर पहले यहां पहुंचा था, किन्तु अभी तक बाण्ड से उन्होंने कोई बात नहीं की थी, जब और काफी देर तक स्थिति में कोई परिवर्तन नहीं आया तो, बेचैन होकर बाण्ड ने कहा— “क्या मैं जान सकता हूं सर कि मुझे यहां किसलिए बुलाया गया है?”
“ओह, हां!” मिस्टर एम इस तरह चौंके जैसे पहली बार उन्हें यहां बाण्ड की उपस्थिति की जानकारी मिली हो, मेज पर थोड़े झुकते हुए बोले—“क्या तुम्हें वह हत्या याद है जो अलफांसे की शादी की रात को हुई थी?”
“जी हां-मृतक का नाम ग्राडवे था।”
“तुमने इस हत्या के रहस्य तक पहुंचने की कोशिश भी की थी?”
“यस सर, लेकिन उस हत्या का जिक्र आप क्यों कर रहे हैं?”
“इनवेस्टिगेशन के बाद किस नतीजे पर पहुंचे थे तुम?”
“उस हत्या में मैंने बहुत ज्यादा दिलचस्पी तो नहीं ली थी, मगर जितनी भी ली थी, उससे यह जाना था कि हत्यारा किसी बहाने से ग्राडवे को समीप ही वीरान पड़े एक खण्डहर में ले गया— कोई जानकारी हासिल करने के लिए उसने ग्राडवे को टॉचर्र किया और बाद में हत्या कर दी, हत्या खंडहर ही में की गई थी, लेकिन लाश को लाकर मिस्टर गार्डनर की कोठी के लॉन में डाल दिया, कोशिश के बावजूद मैं हत्यारे की इस हरकत के पीछे छुपा उसका मकसद नहीं जान सका—दरअसल वह हत्या आज तक मेरे लिए एक रहस्य है।”
“क्या तुम बता सकते हो कि टॉर्चर करके उससे क्या उगलवाने की कोशिश की गई थी?”
“जी नहीं मगर—यदि आप सच पूछें तो मैंने उस मर्डर में उलझने की ज्यादा कोशिश भी नहीं की—अगर अब आप उसे केस को मेरे सुपुर्द कर रहे हैं तो उम्मीद है कि मैं उसे सुलझा लूंगा।”
“वह मर्डर केस नहीं है, बल्कि सिर्फ यह इंगित करता है कि भीतरी-ही-भीतर बड़ा चक्कर चल रहा है”
“क्या मतलब?”
“हत्यारे ने ग्राडवे से क्या पूछा होगा, यह हम तुम्हें बता सकते हैं।”
“अ...आप?” बाण्ड चौंका।
मिस्टर एम ने बड़े इत्मीनान के साथ सिगार का कश लगाया और बोले—“तुम यह तो जानते हो कि मिस्टर स्टेनले गार्डनर कोई बहुत बड़े सिक्योरिटी अफसर हैं, परन्तु उनकी पोस्ट नहीं जानते, दरअसल ऐसे बहुत ही कम लोग हैं जो मिस्टर गार्डनर की पोस्ट से परिचित हों!”
“ऐसी क्या पोस्ट है उनकी?”
“वे के.एस.एस. नामक संस्था के सर्वोच्च अधिकारी यानी डायरेक्टर हैं।”
चौंकते हुए बाण्ड ने कहा— “क्या उसी के.एस.एस. के जिसका गठन कोहिनूर की सुरक्षा के लिए किया गया है?”
“हां!” मिस्टर एम ने कहा—“उन्हें उतने ही अधिकार और शक्तियां प्राप्त हैं जितनी इस कुर्सी पर बैठकर हमें हैं—आज से पांच साल पहले के.एस.एस. ने गुप्त रूप से अंतरिक्ष में एक उपग्रह भेजा था, वह आज भी पृथ्वी के चारों तरफ अपनी कक्षा में चक्कर लगा रहा है और इसका केवल एक ही काम है, कोहिनूर पर नजर रखना।”
“ओह!” बाण्ड के दिमाग की उलझी हुई नसें जैसे खुलने लगीं।
“इस उपग्रह का सम्बन्ध दरअसल एक कंट्रोल रूम से है, यानी प्रत्येक पल यह उपग्रह कोहिनूर की स्थिति को इस कंट्रोल रूम में प्रेषित करता रहता है, यह तो तुम समझ ही सकते हो कि कंट्रोल रूम के.एस.एस. के चार्ज में होगा।”
“क्या मैं जान सकता हूं कि यह कंट्रोल रूम पृथ्वी पर कहां है?”
“मिस्टर गार्डनर की कोठी के नीचे एक गुप्त तहखाने में।”
“क...क्या?” बाण्ड उछल पड़ा।
मिस्टर एम ने कहा—“यह सुनकर शायद तुम्हें और भी ज्यादा आश्चर्य होगा कि ग्राडवे के.एस.एस. का सदस्य था।”
“ओह!” बाण्ड की आंखें चमकने लगीं, वह तेजी से बोला—“कहीं आप यह तो नहीं कहना चाहते कि हत्यारे ने ग्राडवे को कोहिनूर की सुरक्षा व्यवस्था जानने के लिए टॉर्चर किया था?”
“क्या नहीं हो सकता?”
“हां, हो सकता है—बल्कि ये कहना चाहिए कि ऐसा ही है।”
“तुम्हें याद होगा कि ग्राडवे की लाश को पहचानते ही मिस्टर गार्डनर वहां से भाग गए थे, कारण ये था कि ग्राडवे की लाश को देखते ही उन्हें कोहिनूर की फिक्र हुई, दिमाग में यह विचार उठा कि कहीं कोई शादी के धूम-धड़ाके का लाभ उठाकर कोहिनूर तक तो नहीं पहुंचना चाहता है। अत: उन्होंने तुरन्त ही कन्ट्रोल रूम से रिपोर्ट ली, कोई विशेष बात नहीं थी—उपग्रह बता रहा था कि कोहिनूर बिल्कुल सुरक्षित है और उसके आसपास भी कोई खतरा नहीं है—पूरी तरह आश्वस्त होने के बाद ही मिस्टर गार्डनर लौटकर लॉन में आए थे।”
“इसका अर्थ यह निकलता है कि जो ग्राडवे जानता था, वही अब उसका हत्यारा जानता है?”
“तब के.एस.एस. के उच्चधिकारियों तथा स्वयं गार्डनर का भी ग्राडवे को मर्डर खटका जरूर था, परन्तु कोई यह कल्पना नहीं कर सका कि इस हत्या की वजह उसका के.एस.एस. से सम्बन्ध है और यह तो कानों से सुनकर भी किसी को यकीन नहीं हो सकता कि कुछ लोग कोहिनूर को चुराने का ख्वाब भी देख सकते हैं।”
“क्या ऐसा हो रहा है?” जेम्स बाण्ड ने चकित भाव से पूछा।
“कोई सबूत नहीं है, इसलिए यकीन के साथ नहीं कहा जा सकता, मगर हां, पिछले कुछ दिनों से ऐसी घटनाएं जरूर हो रही हैं जो थोड़ी असामान्य महसूस होती हैं—उन घटनाओं से ऐसा आभास मात्र होता है कि कुछ लोग कोहिनूर में दिलचस्पी ले रहे हैं, इन्हीं घटनाओं ने के.एस.एस. में सरगर्मी–सी फैला दी है और इस मामले में उन्होंने हमारी मदद मांगी है।”
“कैसी मदद?”
“वे चाहते हैं कि तुम बारीकी से उन असामान्य घटनाओं का अध्ययन करके, या अपने ढंग से इनवेस्टीगेशन करके यह पता लगाओ कि क्या वाकई कुछ लोग कोहिनूर तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं—यदि हां, तो वे दुःसाहसी कौन हैं—अब तक वे क्या मालूम कर चुके हैं और उनकी क्या स्कीम है?”
“क्या के.एस.एस. ने इस केस पर काम करने के लिए मेरा नाम लिया है?”
“स्वयं गार्डनर ने कहा है कि इस केस की आशाजनक इनवेस्टिगेशन तुम ही कर सकते हो।”
“क्या आप उन छोटी-छोटी घटनाओं का जिक्र करेंगे, जो के.एस.एस. को असाधारण नजर आ रही हैं और जिनकी वजह से उन्हें किन्हीं लोगो के कोहिनूर में दिलचस्पी लेने का आभास हुआ है?”
“आज से तीन दिन पहले म्यूजियम में ब्यूटी नाम की एक जापानी लड़की कोहिनूर देखने आई, वहां की सिक्योरिटी का कहना है कि यह लड़की कोहिनूर देखते वक्त बहुत ही नर्वस और तनावग्रस्त थी, साइन वाले रजिस्टर के पास जो मनोवैज्ञानिक बैठा रहता है। उसका कहना है कि वह ये तो नहीं कह सकता था कि लड़की ने किसी गलत नाम से हस्ताक्षर किए थे, मगर उसने इतना जरूर महसूस किया था कि हस्ताक्षर करते वक्त वह आवश्यकता से अधिक सतर्क नजर आ रही थी, उस वक्त उसने इस बात पर कोई विशेष ध्यान नहीं दिया परन्तु जब निकासी द्वार पर खड़े कूपन लेने वाले सैनिक ने बताया कि लड़की ने कूपन को इतनी सख्ती से पकड़ रखा था कि उसकी हथेली पर कूपन का निशान बन गया था तो उन्होंने लड़की को वॉच करने का निश्चय करके एक जासूस को उसके पीछे लगा दिया—यह जानने की कोशिश की गई कि वह लड़की सामान्य पर्यटक है या कोई असामान्य हरकत करती है, उसकी अनुपस्थिति में के.एस.एस. के एक अन्य जासूस ने उसके कमरे की तलाशी भी ली, पर कुछ न मिल सका—मगर रात को डिनर के बाद वह अपने कमरे में गई, परन्तु उसने मैनेजर से कमरे की तलाशी ली जाने के बारे में कोई शिकायत नहीं की—उसकी यह हरकत सामान्य पर्यटक से हटकर थी, इसीलिए उसके पीछे लगे जासूस को ठीक उसके सामने कमरा दिलवाकर ये निर्देश दिया गया कि वह सारी रात लड़की की निगरानी करता रहे।”
“उसके बाद?”
“जासूस निगरानी करता रहा, लड़की सारी रात में एक मिनट के लिए भी कहीं नहीं गई, रिसेप्शनिस्ट से रिपोर्ट ली गई तो पता लगा कि उसने कहीं फोन भी नहीं किया है, मगर सुबह के छः बजते ही चमत्कार हो गया।”
“क्या हुआ?”
“लड़की ने मैनेजर और पुलिस को फोन करके दोनों को अपने कमरे पर ही बुला लिया, बल्कि अन्दर से बोल्ट अपने कमरे का दरवाजा खोला ही तब जब वहां पुलिस पहुंच गई—जो उसने रात नहीं किया था वह सुबह कर दिया, इतना ही नहीं उसने सामने ठहरे के.एस.एस. के जासूस पर आरोप लगाया कि वह कल सारे दिन किसी बुरी नीयत से उसका पीछा करता रहा और अन्त में सामने वाले कमरे में आ ठहरा और उसे शक है कि उसके कमरे की तलाशी भी इसने या इसके किसी साथी ने ली है।”
“सारा मामला बेहद दिलचस्प है।” बाण्ड मुस्कराया—“उसके बाद क्या हुआ?”
“बड़ी मुश्किल से लड़की को शान्त किया गय़ा और पुलिस के.एस.एस. के जासूस को पकड़कर पुलिस स्टेशन ले गई, जब पुलिस उससे पूछताछ कर रही थी तभी फोन द्वारा म्यूजियम सिक्योरिटी के चीफ ने पुलिस को गिरफ्तार युवक का परिचय देकर सारी स्थिति बताई—अब सिक्योरिटी यह सोचने पर विवश हो गई कि ये चक्कर क्या है, यदि साधारण लड़की है तो तलाशी की शिकायत रात ही में क्यों नहीं की—और असाधारण है तो सुबह क्यों की—अतः पुलिस के जरिए उसे भी पुलिस स्टेशन बुला लिया गया और वहां म्यूजियम सिक्योरिटी के चीफ ने स्वयं उससे सवाल पूछे—लड़की ने कहा कि सामने वाले कमरे में ठहरे युवक से वह इतनी डर गई थी कि रात को शिकायत न कर सकी, सुबह तक उसने साहस करके वह सब करने का फैसला कर लिया।”
“क्या उससे कोहिनूर देखते समय नर्वस होने का कारण पूछा गया था?”
“कहती है कि म्यूजिम में जाने से पहले उसके एक हजार पाउण्ड खो गए थे, इसी वजह से थोड़ी अव्यवस्थित-सी थी।”
“अच्छा जवाब है, फिर क्या हुआ?”
“लड़की को छोड़ दिया गया, तुरन्त ही म्यूजियम सिक्योरिटी की एक अर्जेण्ट मीटिंग हुई, आधे सदस्यों की राय ये थी कि लड़की असाधारण है और बहाना कर रही है, आधे कहते हैं कि लड़की साधारण है और इसी वजह से सारे घटनाक्रम में बौखलाई-सी नजर आती रही, वैसे काफी पूछताछ के बाद भी ऐसी बात सामने नहीं आई जिसके आधार पर उसकी तरफ उंगली उठाई जा सके।”
“अब वह लड़की कहां है?”
“वहीं, यानी होटल एलिजाबेथ के रूम नम्बर नाइण्टी-फाइव में।”
“एलिजाबेथ?” कहते वक्त जेम्स बाण्ड की आंखें कुछ सिकुड़ गईं बोला— “क्या सिक्योरिटी के किसी जासूस द्वारा अब भी उस पर नजर रखी जा रही है?”
“सिक्योरिटी ने इसकी जरूरत महसूस नहीं की—क्या तुम्हारे ख्याल से ऐसा होना चाहिए था?”
“फिलहाल मैं अपनी कोई राय व्यक्त नहीं कर सकता।” जेम्स बाण्ड ने कहा— “हां, कम-से-कम एक बार मैं इस दिलचस्प लड़की से मिलना जरूर चाहूंगा—खैर, इसके अलावा और ऐसी कौन-सी घटना हुई?”
“जिस दिन वह कोहिनूर देख रही थी, उसी दिन के.एस.एस. के प्रमुख अधिकारी मिस्टर चैम्बूर को किसी ने फोन किया, फोन नौकर ने डील किया। दूसरी तरफ से कहा गया कि वे मिस्टर गार्डनर बोल रहे हैं, फोन पर मिस्टर चैम्बूर को बुला दिया जाए—जब मिस्टर चैम्बूर ने बात करनी चाही तो दूसरी तरफ से किसी ने बिना कुछ कहे ही कनेक्शन काट दिया—मिस्टर चैम्बूर संदिग्ध हो उठे, उन्होंने तुरन्त ही एक्सचेंज से मालूम किया कि यह फोन उन्हें बूथ नम्बर फोर्टी सेवन से किया गया था—उन्होंने मिस्टर गार्डनर से सम्बन्ध स्थापित करके पूछा तो पता लगा कि उन्होंने मिस्टर चैम्बूर को कोई फोन नहीं किया था।”
बाण्ड की आंखें गोल हो गईं।
“यह फोन किसने और क्यों किया, अभी तक सभी कुछ अंधेरे में है।” मिस्टर एम ने बताया— “क्या उपरोक्त तीन घटनाओं से ऐसा महसूस नहीं होता कि कुछ रहस्यमय लोग एक अदृश्य-सा जाल बुन रहे हैं?”
“निःसन्देह ये घटनाएं हमें सतर्क करके सारे मामले पर बारीकी से अध्ययन और इनवेस्टिगेशन करने की प्रेरणा दे रही हैं और हमें सक्रिय हो जाना चाहिए, खैर—क्या आप बता सकते हैं कि ग्राडवे को कोहिनूर की सुरक्षा व्यवस्था के बारे में क्या-क्या जानकारी थीं?”
“यूं तो कोहिनूर की सुरक्षा के लिए ढेर सारे प्रबन्ध किए गए हैं और ये प्रबन्ध इतने कड़े और संतुष्टिजनक हैं कि कोहिनूर को चुराना तो दूर, हम यह कल्पना भी नहीं कर सकते हैं कि उसके आसपास भी कोई पहुंच सकता है—अन्तरिक्ष में चक्कर लगाते हुए उपग्रह को तुम कोहिनूर की सम्पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था समझने की भूल मत करना, वह तो दरअसल सम्पूर्ण सुरक्षा—व्यवस्था का एक हिस्सा मात्र है, और सुरक्षा व्यवस्था का एक सशक्त हिस्सा जरूर है।”
“क्या ग्राडवे उपग्रह के बारे में जानता था?”
“वह सिर्फ उपग्रह के बारे में ही जानता था।”
“क्या मतलब?”
“ग्राडवे, कंट्रोल रूम में काम करने वाले पांच व्यक्तियों में से एक था और ये पांच व्यक्ति केवल यह जानते हैं कि कंट्रोल रूम से सम्बन्धित उपग्रह कोहिनूर की हिफाजत कर रहा है, उपग्रह के अलावा कोहिनूर की सुरक्षा के अन्य इन्तजाम भी हैं, यह उनमें से कोई नहीं जानता।”
“यानी ग्राडवे अपने हत्यारे को सिर्फ उपग्रह के बारे में ही बता सकता था?”
“हां।”
जवाब सुनने के बाद जेम्स बाण्ड खामोश हो गया और फिर उसी अवस्था में काफी देर तक जाने क्या सोचता रहा-मिस्टर एम ने पूछा—“क्या सोच रहे हो डबल ओ सेविन!”
“क...कुछ नहीं!” बाण्ड चौंका—“सॉरी सर!”
एम ने कहा— “मैं उम्मीद करता हूं कि तुम शीघ्र ही इस गुत्थी को सुलझा लोगे।”
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दूर कहीं किसी चर्च का घण्टा दो बार बजा।
लन्दन शहर की नीवरता दूर तक भंग होती चली गई।
सारा शहर इस वक्त नींद के आगोश में डूबा पड़ा था, सर्दी काफी थी और इसी वजह से ‘जॉनसन स्ट्रीट’ के चौकीदार ने अपने काले रंग के गर्म ओवरकोट के कॉलर खड़े कर रखे थे, एक हाथ में लाठी तथा दूसरे में शक्तिशाली टॉर्च लिए वह दूर-दूर तक सुनसान पड़ी, चिकनी और चौड़ी जॉनसन स्ट्रीट पर इस तरह टहल रहा था जैसे वह इस सड़क का बादशाह हो।
और इसमें शक भी नहीं कि रात के समय वह इस इलाके का बादशाह ही दिखाई देता था, क्योंकि रात के इस समय इस सड़क को इस्तेमाल करने वाला दूर-दूर तक भी कोई नहीं होता था। रह-रहकर उसकी मजबूत लाठी का निचला सिरा सड़क से टकराकर जॉनसन स्ट्रीट पर सोए हुए बेचारे सन्नाटे को डिस्टर्ब कर दिया करता था। सड़के के बीचोबीच रुककर उसने एक सिगरेट सुलगाई और अभी माचिस जेब में डाल ही रहा था कि ठीक सामने बहुत दूर उसे सड़क पर दो प्रकाश-बिन्दु नजर आए, वे बिन्दु तेजी से उसके नजदीक आते जा रहे थे, चौकीदार ने पूरी लापरवाही के साथ एक कश लिया और धुआं हवा में उछाला।
अपने अनुभव के आधार पर वह कह सकता था कि आने वाला वाहन कार या टैक्सी है।
उसका अनुमान ठीक ही था, देखते-ही-देखते एक नीली ‘डेल्टा’ बहुत करीब आ गई, उसको रास्ता देने के लिए चौकीदार एक तरफ हट गया, मगर ‘डेल्टा’ उसके समीप से गुजरकर जाने के स्थान पर उससे करीब पांच मीटर की दूरी पर ही रुक गई।
“भाई चौकीदार!” कार का अगला दरवाजा खुलने के साथ ही एक व्यक्ति उसे पुकारता हुआ बाहर निकला, चौकीदार ने देखा कि उसके शरीर पर एक ओवरकोट था, सिर पर फैल्ट हैट-कोट के कॉलर खड़े थे और हैट का अग्रिम कोना ललाट पर कुछ ज्यादा ही झुका हुआ था, चौकीदार अभी कुछ समझ भी नहीं पाया था कि वह व्यक्ति करीब आकर बोला—“तुम्हें यहां कहीं से कोई पर्स तो नहीं मिला?”
“नहीं तो शाब!”
“देख लो, अगर मिला हो तो बता दो, मैं तुम्हें सौ पाउण्ड इनाम दूंगा, उस पर्स में रकम के नाम पर कुछ भी नहीं है, सिर्फ कुछ जरूरी कागज हैं, जो मेरे लिए लाखों के हैं, मगर किसी और के लिए कौड़ी के भी नहीं।”
“आप कैसी बात कर रहे हैं शाब, यदि मिला होता तो हम बता देते।”
“उफ्फ, कहां गया? मैं तो बर्बाद हो जाऊंगा।” परेशान-सा वह चारों तरफ देखने लगा।
चौकीदार ने राय दी—“किसी न्यूज पेपर में निकलवा दीजिए शाब, हो सकता है जिसे मिला हो वह पढ़ ले!”
“अरे—उधर, हां—वहां हो सकता है।” कहने के साथ ही व्यक्ति घूमा और सड़क के उस पार बने टॉयलेट की तरफ लपका—फिर चार या पांच कदम आगे बढ़ाने के बाद स्वयं ही रुक गया, घूमा और बोला—“क्या एक मिनट के लिए तुम मुझे अपनी टॉर्च दे सकोगे चौकीदार?”
“क्यों शाब?”
“वहां, उस टॉयलेट में मैंने य़ूरीनल किया था—शायद वहां गिर गया हो—टॉयलेट में अंधेरा है।”
“हम खुद देख देते हैं शाब!” कहने के साथ ही चौकीदार उसके समीप पहुंच गया, सड़क पार करके वे टॉयलेट में पहुंचे—चौकीदार ने टार्च ऑन की और झुककर टायलेट के फर्श को देखने लगा और यही वह क्षण था जब आगन्तुक ने बिजली की-सी फुर्ती के साथ एक कराटे चौकीदार की कनपटी पर रसीद कर दी।
दूर तक एक चीख की आवाज गूंजती चली गई।
चौकीदार मुंह के बल टाइलदार फर्श पर गिरा और वहीं पड़ा रह गया, इस नपे-तुले एक ही वार में वह बेहोश हो चुका था, जली हुई सिगरेट गीले फर्श पर गिरने के बाद बुझ चुकी थी, टॉर्च उठाई और उस वक्त वह ध्यान से चौकीदार का निरीक्षण कर रहा था जब कार की तरफ से विकास की आवाज आई—“क्या रहा अंकल?”
“ये बेहोश हो चुका है।” आगन्तुक के मुंह से निकली आवाज अशरफ की थी।
उसके बाद, कार स्टार्ट होकर थोड़ी आगे बढ़ी—फुटपाथ पर चढ़ी और एक दुकान के सामने खड़ी हो गई, एक झटके से अगला दरवाजा खुला और लम्बा लड़का बाहर निकला।
उसके जिस्म पर भी लम्बा ओवरकोट था और अशरफ की तरह ही उसने भी अपने चेहरे का अधिकांश भाग छुपा रखा था, वह घूमकर दुकान के चबूतरे पर चढ़ गया—जेब से चाबियों का गुच्छा निकाला और शटर के दाईं तरफ लगे ताले को खोलने की कोशिश करने लगा।
वह दुकान बन्दूक आदि शस्त्रों की थी।
उनके काम करने का तरीका ही बता रहा था कि जो कुछ इस वक्त हो रहा है, सब ‘वैल-प्लान’ है—सारे मिशन का एक-एक क्षण पूरी तरह सोचा-समझा था—जिस वक्त दाईं तरफ का ताला खोलने के बाद विकास गुच्छा संभाले बाईं तरफ लपक रहा था, उस वक्त टॉयलेट से चौकीदार के कपड़े पहने अशरफ बाहर निकला, उसके एक हाथ में टॉर्च थी—दूसरे में लाठी।
विकास दूसरे ताले को खोलने में जुटा हुआ था।
सड़क पार करके अशरफ कार के नजदीक आता हुआ बोला—“क्या रहा?”
“एक खुल चुका है, दूसरे को खोलने की कोशिश कर रहा हूं।”
“जल्दी करो।”
“बस खुल गया!” विकास कोशिश करता हुआ बोला, मगर दरअसल अभी वह ताला खुला नहीं था, लाठी बजाता हुआ अशरफ घूमा और सड़क की तरफ बढ़ा, अभी वह सड़क के किनारे पर ही पहुंचा था कि दाईं तरफ दूर उसे प्रकाश–बिन्दु नजर आए, वह लगभाग चीख पड़ा—“कोई वाहन आ रहा है, क्विक!”
इधर विकास ने इस ताले को भी खोल लिया।
“अरे!” अशरफ हड़बड़ाता हुआ कार की तरफ लपका और बोला—“वह तो कोई जीप लगती है—जल्दी करो विकास, जीप में पुलिस भी हो सकती है—शटर उठाकर दुकान के अन्दर घुस जाओ।”
विकास ने बहुत फुर्ती से शटर उठाया और दुकान के अन्दर घुस गया।
जीप को नजदीक आती देखकर अशरफ सड़क की तरफ लपका और अपने पीछे से शटर गिरने की आवाज को सुनकर थोड़ा संतुष्ट हुआ, अपनी उखड़ी हुई सांसों को वह काबू में करने की चेष्टा कर रहा था।
हड़बड़ाहट को छुपाने के लिए उसने चौकीदार के कोट की जेब से सिगरेट-माचिस निकाली और सिगरेट सुलगाने लगा, जिस वक्त वह सिगरेट सुलगा रहा था, ठीक उसी वक्त बहुत तेजी से दौड़ रही जीप ‘सांय’ की आवाज के साथ उसके सामने से गुजर गई।
पल भर में ही जीप काफी दूर निकल गई थी।
दूर होती हुई पिछली लाल लाइटों को देखकर अभी उसने शान्ति की पहली सांस ही ली थी कि—जॉनसन स्ट्रीट का सारा इलाका टायरों की चरमराहट की आवाज से गूंज उठा।
जीप चालक ने अचानक ही बहुत जोर से ब्रेक मारे थे।
जीप के रुकते ही अशरफ के जिस्म पर मौजूद सभी मसामों ने एकदम पसीना उगल दिया, अपना सारा शरीर उसे एकदम ‘सुन्न’ सा पड़ता महसूस हुआ और उस वक्त तो मानो उसके हाथ-पैरों में जान ही न रही, जब जीप उल्टी चलती हुई बड़ी तेजी से उसकी तरफ आई।
अपना दिमाग उसे अन्तरिक्ष में चक्कर काटता हुआ-सा महसूस हुआ।
अशरफ हक्का-बक्का-सा ही खड़ा था कि इस बार टायरों की हल्की-सी चरमराहट ने उसे चौंका दिया। जीप उसके करीब ही रुक गई थी, अन्दर से एक कड़क आवाज ने पूछा—“ऐ कौन हो तुम?”
“च...चौकीदार शाब, हम यहां का चौकीदार है!” उसने सिगरेट एक तरफ फेंकते हुए कहा।
“इधर आओ!” जीप में बैठे इंस्पेक्टर ने अपने हाथ में दबे छोटे गोल रूल से उसे संकेत किया, इंस्पेक्टर जीप के इधर वाले दरवाजे पर ही बैठा था—अशरफ लपकता हुआ-सा समीप पहुंचा और बोला—“जी शाब!”
“तुम रोज यहीं की चौकीदारी करते हो?”
“जी शाब!”
इंस्पेक्टर ने रूल से डेल्टा की ओर संकेत करते हुए पूछा—“क्या वह कार हर रोज रात को यहीं खड़ी रहती है?”
“न...नो शाब!” अशरफ ने जवाब दे तो दिया, परन्तु इंस्पेक्टर द्वारा कार के बारे में पूछते ही उसके तिरपन कांप गए थे, क्योंकि रात नौ बजे यह कार एक होटल के पार्किंग से चुराई गई थी।
“तो आज क्यों खड़ी है?”
“प...पता नहीं शाब!”
इंस्पेक्टर ने जीप के अन्दर बैठे अपने किसी सहयोगी से कहा—“जरा देखना कार्पेट, कहीं ये वही कार तो नहीं है—वायरलेस द्वारा बताया गया नम्बर तो तुमने नोट कर ही लिया था न?”
“यस सर!” कहता हुआ एक सब-इंस्पेक्टर जीप के दूसरी तरफ वाले दरवाजे से सड़क पर कूद पड़ा और जीप का एक चक्कर काटता हुआ कार की तरफ बढ़ा, अशरफ ने उसके हाथ में एक शक्तिशाली टॉर्च देखी थी और यह लिखना गलत नहीं होगा कि उस वक्त अशरफ की टांगें कांपने लगी थीं।
खड़ा रहना भारी हो गया उसके लिए।
हलक बुरी तरह सूखने लगा, अब उसे बचाव की कोई सूरत नजर नहीं आ रही थी।
अशरफ तब चौंका तब जीप की तरफ से सब-इंस्पेक्टर की आवाज आई—“अरे, ये तो वही गाड़ी है सर!”
“वैरी गुड!” कहता हुआ इंस्पेक्टर भी जीप से बाहर आ गया। अशरफ की समझ में नहीं आ रहा था वो कि क्या करे, तभी इंस्पेक्टर ने रूल से उसका कन्धा थपथपाते हुए पूछा—“ये कार यहां किसने खड़ी की है?”
“म...मुझे नहीं मालूम शाब, मैंने इसे यहां किसी को खड़ी करते नहीं देखा।”
“तो गाड़ी यहां कहां से आ गई?” इस बार इंस्पेक्टर कुछ ऐसे खतरनाक अन्दाज में गुर्राया कि अशरफ के तिरपन कांप गए, गिड़गिड़ाया—“म...मुझे नहीं मालूम शाब!”
“कब से यहां खड़ी है ये?”
“म...मैं यहां अपनी ड्यूटी पर दस बजे आया था शाब, गाड़ी तो तभी से यहां खड़ी है—मैंने सोचा कि अपने इलाके में रहने वाले किसी के घर गाड़ी में कोई गेस्ट आया होगा।”
“ये झूठ बोल रहा है सर!” कहने के साथ ही लपकता हुआ सब-इंस्पेक्टर उनके समीप आ गया और अशरफ को घूरता हुआ गुर्राया—“गाड़ी का बोनट अभी गर्म है, इसका मतलब ये है कि गाड़ी को यहां पहुंचे ज्यादा-से-ज्यादा पन्द्रह मिनट हुए हैं।”
अब अशरफ के पास कहने के लिए कुछ नहीं था।
“तुमने झूठ क्यों बोला?” इंस्पेक्टर गुर्राया।
अभी अशरफ बेचारा कोई जवाब दे भी नहीं पाया था कि चौंकते हुए सब-इंस्पेक्टर ने कहा—“अरे, इसकी टॉर्च का तो शीशा टूटा हुआ है सर, और ये कोट पर कीचड़ कैसा—तुम कहीं गिरे हो?”
“न...नहीं तो शाब!”
अचानक इंस्पेक्टर ने आदेश दिया—“इसे गिरफ्तार कर लो कार्पेट!”
और अब, बात इतनी बढ़ चुकी थी कि अशरफ के पास बचने का कोई रास्ता नहीं रह गया—इसलिए एक कदम पीछे हटते हुए उसने टॉर्च फेंकी और बिजली की-सी गति से लाठी का भरपूर प्रहार सब-इंस्पेक्टर के सिर पर किया।
एक जबरदस्त चीख के साथ सब-इंस्पेक्टर सड़क पर जा गिरा।
भौंचक्के-से इंस्पेक्टर ने पहले रूल घुमाया, परन्तु रूल का वार खाली गया, जबकि अशरफ ने लाठी का प्रहार उसकी कमर में किया, एक चीख के साथ इंस्पेक्टर भी सड़क पर जा गिरा।
तभी शटर उठाने की आवाज गूंजी।
अशरफ के दूसरे प्रहार से पहले ही सड़क पर पड़े इंस्पेक्टर ने अपने होल्स्टर से रिवॉल्वर निकाल लिया और अभी उसने हाथ सीधा किया ही था कि—‘धांय!’
हथियारों की दुकान की तरफ से चली एक गोली इंस्पेक्टर के माथे में आ धंसी, इधर इंस्पेक्टर मर्मान्तक चीख के साथ सड़क पर लुढ़का, उधर जीप कमान से निकले हुए तीर की तरह सड़क पर भागी।
तभी हथियारों की दुकान के चबूतरे से जिन्न की तरह कूदकर विकास भागता-सा सड़क पर आया—उसके हाथ में एक स्टेनगन थी।
आंधी–तुफान की तरह भागती हुई जीप तब तक काफी दूर निकल चुकी थी।
सड़क के बीचोबीच खड़े होकर विकास ने स्टेनगन का मुंह खोल दिया।
जॉनसन स्ट्रीट की सारी नीरवता रेट-रेट की भयानक आवाज से कांप उठी।
जीप सड़क पर लहराई, जाहिर था कि उसके टायर शहीद हो चुके हैं—सड़क पर लड़खड़ा रही जीप से विकास ने एक साये को कूदते देखा, इच्छा हुई कि एक बार फिर स्टेनगन का मुंह खोल दे परन्तु जाने क्या सोचकर उसने ऐसा नहीं किया।
जीप से कूदने वाला साया चौकड़ी भरता हुआ सड़क क्रॉस करके अंधेरे में गुम हो चुका था, तभी विकास ने अपने बहुत समीप टायरों की चरमराहट सुनी।
“कार में बैठो, क्विक!” आवाज अशरफ की थी।
विकास को जैसे होश आया, पिछला दरवाजा खोलकर उसने कार में जम्प लगा दी और अभी वह कार का दरवाजा बन्द भी नहीं कर पाया था कि एक झटका लगा और कार बन्दूक से छूटी गोली की तरह भागती चली गई।
फायरिंग की आवाज ने जॉनसन स्ट्रीट के इलाके के लोगों को झंझोड़कर जगा दिया था—यह सारा कुछ यानी अशरफ की लाठी चलने से कार के वहां से गुम हो जाने तक का काम मुश्किल से एक मिनट में हो गया था, इंस्पेक्टर की लाश के पास जख्मी सब-इंस्पेक्टर पड़ा तड़प रहा था।
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“आपसे ब्रिटेन के प्रसिद्ध जासूस मिस्टर जेम्स बाण्ड मिलना चाहते हैं मिस ब्यूटी!” जब काउण्टर क्लर्क ने आशा से यह वाक्य कहा तो आशा के पैरों तले से मानो जमीन खिसक गई, न चाहते हुए भी दिल बेकाबू होकर धड़कने लगा, मस्तक पसीन  से भरभरा उठा, मुंह से निकला—“क...क्यों?”
“ये मैं नहीं बता सकती।”
आशा ने स्वयं को नियंत्रित करके पूछा—“कहां हैं मिस्टर बाण्ड?”
“वहां उधर!” काउण्टर क्लर्क ने हॉल के एक कोने वाली सीट की तरफ इशारा किया—“वे पिछले दो घण्टे से आपके इन्तजार में यहीं बैठे हैं।”
आशा ने घूमकर उधर देखा तो दिल मानो ‘धक्क’ से उछलकर गले में आ अटका।
कुर्सी पर बैठा जेम्स बाण्ड इसी तरफ देख रहा था—सफेद कमीज, काले सूट और उसी से मैच करती हुई मोटी ‘नॉट’ वाली टाई में इस वक्त वह बेहद खूबसूरत नजर आ रहा था—उसके सामने रखी मेज पर व्हिस्की से भरा एक गिलास रखा था, बाएं हाथ के बीच की उंगलियों में सुलग रही थी एक सिगरेट।
सम्पूर्ण साहस समेटकर आशा उसकी तरफ बढ़ गई।
नजदीक पहुंचते ही कुर्सी से उठकर खड़े होते हुए बाण्ड ने पूछा—“आर यू ब्यूटी?”
“य...यस!” नियंत्रित स्वर में कहती हुई आशा ने हाथ बढ़ा दिया।
“मेरा नाम तो आपने सुना ही होगा, जेम्स बाण्ड!” उसने गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाते हुए कहा—“बैठिए!”
आशा मेज के पार, उसके सामने वाली कुर्सी पर बैठ गई—वह महसूस कर रही थी, बाण्ड अपनी ब्लेड की धार जैसी पैनी आंखों से उसे घूर रहा है, वह बाण्ड की योग्यताओं से परिचित थी—जिसने बसन्त स्वामी के रूप में विजय को देखते ही पहचान लिया था, उसके द्वारा स्वयं को पहचान लिए जाने पर आशा को कोई आश्चर्य नहीं होने वाला था—हां, यह सोचकर दिल जरूर डर रहा था कि पहचान लेने के बाद वह उसके साथ कैसा सलूक करेगा? तभी बाण्ड ने बड़े विनम्र स्वर में पूछा— “क्या लेंगी मिस ब्यूटी?”
“क...कुछ नहीं!” आशा ने सख्त स्वर में कहने की कोशिश की—“आप मुझसे क्यों मिलन चाहते थे?”
सीधे उसकी आंखों में झांकते हुए बाण्ड ने कहा—“यह जानने के लिए कि कोहिनूर को देखते समय आप नर्वस क्यों थीं?”
“म...मैं सम्बन्धित अधिकारियों को जवाब दे चुकी हूं...।”
“मैं उस जवाब से सन्तुष्ट नहीं हूं।”
आशा खुद को बहुत संभाल रही थी—“इसमें मैं क्या कर सकती हूं?”
“क्या आपने हजार पाउण्ड खोने की रिपोर्ट पुलिस में लिखाई थी?”
“न...नहीं!”
“क्यों?”
“म...मैंने जरूरत नहीं समझी, सिर्फ एक हजार पाउण्ड की ही तो बात थी।”
और बाण्ड इस तरह मुस्कराया जैसे किसी निष्कर्ष पर पहुंच गया हो, बोला—“जबकि आप सिर्फ उस एक हजार पाउण्ड के लिए इतनी नर्वस हो गई थीं कि आपका मन कोहिनूर देखने में नहीं लगा, तनावग्रस्त-सी हो गईं, आप—रजिस्टर में कांपती उंगलियों से साइन किए, कूपन को मुट्ठी में इतनी सख्ती से भींचे रखा कि...।”
“अ...आखिर आप लोग मुझसे चाहते क्या हैं?” आशा चीख-सी पड़ी—“क्यों परेशान कर रहे हैं मुझे?”
“मतलब?”
“उस दिन म्यूजियम से निकलने के बाद से अगले दिन की सुबह तक मुझे उस जासूस ने आतंकित रखा, यह सोचकर मैं डरी हुई सारी रात अपने कमरे में छुपी रही कि पता नहीं वह किस नीयत से मेरे पीछे लगा है—थाने में बुलाकर मुझसे तरह-तरह के सवाल किए गए, मैंने सभी का जवाब दिया और अब आप—आप भी उन्हीं सवालों को लेकर मुझे मानसिक यातनाएं देने चले आए हैं—क्या अपने देश में आप विदेशियों का ऐसा ही स्वागत करते हैं?”
“लन्दन में इस वक्त भी आपके अलावा बहुत-से विदेशी आए हुए हैं, शायद उनमें से किसी को ऐसी शिकायत नहीं है।”
“फ...फिर—आखिर मुझे ही क्यों परेशान किया जा रहा है?”
“यदि आप अपनी नर्वसनेस की वजह सच-सच बता दें तो शायद—”
आशा गुर्रा उठी—“आप आरोप लगा रहे हैं कि मैं झूठ बोल रही हूं।”
“बेशक!”
“ये...ये तो सरासर ज्यादती है, आपके दिमाग को मेरा सच, झूठ नहीं लगे तो इसमें मैं क्या कर सकती हूं—लगता है कि आप इस तरह नहीं मानेंगे, मुझे यहां अपने मुल्क के राजदूत से शिकायत करनी होगी।”
“ऐसा करके आप गलती ही करेगी।”
“तो क्या आप यह चाहते हैं कि मैं अपना टूर बीच ही में छोड़कर आपके देश से चली जाऊं?”
“ऐसा भला हम कैसे कह सकते हैं?” बाण्ड के होंठों पर अजीब-सी मुस्कान उभर आई—“बल्कि इसके ठीक विपरीत मैं तो आपसे यह कहूंगा कि पुलिस को सूचित किए बिना आप लन्दन से बाहर न जाएं।”
“ए...ऐसा क्यों?” आशा चिहुंक उठी—“क्या मैं यहां नजरबन्द हूं?”
“फिलहाल यही समझिए!” कहकर बाण्ड ने आशा के अन्तर्मन तक को हिला डाला, जबकि प्रत्यक्ष में वह अत्यधिक गुस्से की अवस्था में चीख पड़ी—“आखिर क्यों, क्या जुर्म किया है मैंने?”
“जुर्म पता लगने पर आपको नजरबन्द नहीं, गिरफ्तार किया जाएगा।”
“अ...आप एक विदेशी पर ज्यादती कर रहे हैं।”
“बात को समझने को कोशिश कीजिए मिस ब्यूटी।” बाण्ड उसे समझाने वाले भाव से बोला— “दरअसल कुछ ब्रिटिश जासूस ऐसा महसूस कर रहे हैं कि स्वयं को दुःसाहसी समझने वाले कुछ मूर्ख लोग कोहिनूर को प्राप्त करने का ख्वाब देख रहे हैं, ऐसा शक करने वाले ब्रिटिश जासूसों में से मैं भी एक हूं—हम लोग महसूस कर रहे हैं कि उनकी गतिविधियां चालू हैं।”
“क...कोहिनूर को चुराने की बात सोच रहे हैं?” आशा ने हैरत प्रकट की।
“जी हां!”
“म...मगर—इस बात से मेरा क्या मतलब, म...मेरा भला ऐसे सिरफिरे लोगों से क्या सम्बन्ध हो सकता है?”
“दरअसल उनकी गतिविधियों के बीच ही आप भी कोहिनूर देखने पहुंच गई—दुर्भाग्य से आप ‘एब्नॉर्मल’ भी थीं और उसकी जो वजह आप बता रही हैं, उससे हम सन्तुष्ट नहीं हैं, इसलिए आप संदेह के दायरे में हैं—यानी स्पष्ट शब्दों में हम आप पर उनका सहयोगी होने का शक कर रहे हैं।”
बाण्ड के मुंह से इतने स्पष्ट शब्द सुनकर आशा भीतर-ही-भीतर कांपकर रह गई, प्रत्यक्ष में बोली— “क...क...कमाल कर रहे हैं आप लोग।”
“मैं यकीन दिलाता हूं कि यदि आप बेगुनाह हैं तो आपको परेशान नहीं किया जाएगा।? कहते हुए बाण्ड ने सिगरेट ऐशट्रे में मसली, मेज से उठाकर गिलास एक ही घूंट में खाली किया और उसे वापस मेज पर रखता हुआ उठकर खड़ा हो गया, बोला— “फिलहाल मैं चलता हूं, यदि जरूरत पड़ी तो फिर कष्ट दूंगा।”
खड़ी होती हुई आशा ने उससे हाथ मिलाया।
उसके कोमल हाथ को धीमे से दबाते हुए जेम्स बॉण्ड ने कहा—“आपका नाम ब्यूटी है और निःसंदेह आप खूबसूरत भी हैं, परन्तु मेरे ख्याल से यदि आपके तांबे के रंग वाले बालों और इन नीली आंखों का रंग काला होता तो आप इससे कहीं ज्यादा खूबसूरत होतीं, जितनी अब हैं।”
कहने के बाद वह एक क्षण के लिए भी वहां रुका नहीं, बल्कि घूमाना और तेजी से लम्बी कदमों के साथ दरवाजे की तरफ बढ़ गया, जबकि हक्की-बक्की-सी आशा, उसी स्थान पर किसी स्टैचू के समान खड़ी रह गई थी—बाण्ड के उस अंतिम वाक्य ने उसके चेहरे को फक्क कर दिया था, दिल किसी हथौड़े की तरह पसलियों पर चोट कर रहा था—
आशा का सारा चेहरा पसीने से भरभरा उठा और यह सोचने के लिए वह विवश थी कि बाण्ड ने उसे पहचान लिया है?
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उस वक्त रात का एक बज रहा था जब एक लम्बा साया पीटर हाउस का चक्कर काटने के बाद इमारत के पिछले भाग की तरफ पहुंचा—सावधानी से उसने अपने चारों तरफ का अध्ययन किया, अंधेरे और नीरवता की ही हुकूमत थी— स्मिथ स्ट्रीट के सभी निवासी अपनी खिड़की और दरवाजे बन्द किए सर्दी से बचने के लिए लिहाफों में दुबके पड़े थे—लम्बा साया किसी बन्दर की तरह ‘रेनवाटर’ पाइप पर चढ़ने लगा।
अंधेरे में डूबी दूसरी मंजिल की एक खिड़की पर उसने सांकेतिक अंदाज में दस्तक दी।
खिड़की के उस पार से किसी ने पूछा— “इतनी सुबह कैसे आ गए?”
“तुमने सुबह ही तो बुलाया था?” लम्बे साए ने कहा। फिर लम्बा साया उस खिड़की के रास्ते अंधेरे कमरे में गुम हो गया— खिड़की बन्द हो गई, एक अन्य व्यक्ति ने ‘पेनटॉर्च’ ऑन की और फिर लम्बा साया उसी व्यक्ति के साथ खामोशी से आगे बढ़ गया पांच मिनट बाद वे पीटर हाउस के ग्राउण्ड फ्लोर पर स्थित एक कमरे में पहुंच गए।
कमरे में पहले से ही दो आदमी मौजूद थे और एक जीरो वॉट के बल्ब का मद्धिम प्रकाश वहां छिटका हुआ था, अचानक ही वहां आवाज गूंजी—“आओ प्यारे दिलजले, आओ!”
“आ तो गया हूं गुरु!” कहता हुआ विकास सोफे पर बैठ गया, उसे खिड़की से यहां तक लाने वाला विक्रम भी सोफे की एक कुर्सी पर बैठ गया था— लम्बे सोफे के एक कोने से पीठ टिकाए अशरफ अधलेटी-सी अवस्था में, चेहरे पर कुछ ऐसे निश्चिन्त भाव लिए सिगरेट पी रहा था जैसे अपने ही ड्राइंगरूम में बैठा हो—सचमुच, कोठी में मौजूद हर वस्तु का खूब इस्तेमाल कर रहे थे वे।
“अपनी बेवकूफी का नतीजा तो तुमने पढ़ ही लिया होगा प्यारे दिलजले?”
चौंकते हुए विकास ने पूछा—“कौन-सी बेवकूफी गुरु?”
“हथियारों की दुकान से स्टेनगन चुरा लाने वाली।”
“ओफ्फो गुरु, आप फिर वही बात लेकर बैठ गए—उस पर कल ही आप मुझे काफी कह चुके हैं, मानता हूं कि आपने ऑपरेशन पर भेजने से पहले मुझसे बार-बार कहा था कि हथियारों की दुकान से मैं केवल चार रिवॉल्वर और उनकी गोलियां ही लाऊं—कोई बड़ा हथियार नहीं, मगर मैं फिर भी एक स्टेनगन ले ही आया, इसमें ऐसी क्या आफत आ गई, गन मुझे अच्छी लगी—उसे अपने पास रखने का मैं लोभ संवरण न कर सका—मेरी समझ में नहीं आता कि उससे आखिर फर्क क्या पड़ गया?”
“इसका मतलब तुमने आज शाम का अखबार नहीं देखा है।”
“अखबार?”
अपनी जेब से उसने एक ‘तह’ किया हुआ अखबार निकालकर, सोफे के बीच पड़ी सेण्टर टेबल पर डाल दिया, बोला—“इसे पढ़ो प्यारे और समझने की कोशिश करो कि मैंने तुमसे बार-बार रिवॉल्वर की चोरी करने के लिए क्यों कहा था—और उसके बावजूद तुम्हारे स्टेनगन लाने से क्या फर्क पड़ा है?”
विकास ने अखबार उठा लिया, उसकी तहें खोलीं और मुख्य शीर्षक को देखते ही चौंक पड़ा।
शीर्षक था— ‘परसों’ रात दो बजे के लगभग जॉनसन स्ट्रीट स्थित एक दुकान में पड़ी हथियारों की डकैती का पूर्ण विवरण हम अपने कल के अंक में प्रकाशित कर चुके हैं—हमारे अखबार में घटना का पूर्ण विवरण पढ़कर ब्रिटेन के प्रसिद्ध जासूस मिस्टर जेम्स बाण्ड चौंक पड़े और उन्होंने तुरन्त ही इस डकैती के जांच अधिकारी मिस्टर जिम से सम्बन्ध स्थापित किया—स्मरण रहे कि इस कांड में डकैतों की गोली से एक इंस्पेक्टर की मृत्यु घटनास्थल पर ही हो गई थी और सब-इंस्पेक्टर कार्पेट लाठी के प्रहार से गम्भीर रूप से घायल हुआ था।
डबल ओ सेवन उस जीप के ड्राइवर से मिला जिसने घटना का विवरण देते हुए कल यह कहा था कि जीप में वे तीन ही आदमी थे, और सब-इंस्पेक्टर जीप से उतर चुके थे और वह जीप ही में था कि अचानक ही चौकीदार बने लुटेरे ने कार्पेट पर लाठी से प्रहार किया और अभी वह कुछ समझ भी नहीं पाया था कि हथियारों की दुकान से फायरिंग हुई, इंस्पेक्टर को गिरते उसने अपनी आंखों से देखा और घबरा गया, क्योंकि लुटेरों का मुकाबला करने के लिए स्वयं उसके पास भी कोर्ई हथियार नहीं था, अतः वहां से जीप लेकर भागा, हत्यारों ने उसे भी ज्यादा दूर तक नहीं जाने दिया और फायरिंग करके टायर बर्स्ट कर दिए, इसके बाद उसने जीप से कूदकर बड़ी मुश्किल से अपनी जान बचाई—ड्राइवर ने आज सुबह मिस्टर बाण्ड को भी यही बयान दिया है—बाण्ड ने पूछा कि क्या वह लुटेरों में से किसी को पहचान सकता है— ड्राइवर का जवाब नकारात्मक है।
इसके बाद मिस्टर बाण्ड चौकीदार से मिले, उसने ठीक अपना कल वाला ही बयान दिया है और कहा है कि शायद वह लुटेरों को न पहचान सके।
अस्पताल में जाकर मिस्टर बाण्ड कार्पेट से मिले, आज कार्पेट की हालत में सुधार है— डॉक्टरों ने उसे खतरे से बिल्कुल बाहर बताया है और बाण्ड के सामने कार्पेट ने दावा पेश किया है कि लाठी का प्रहार करने वाले लुटेरे को वह देखते ही पहचान लेगा।
इन सबके बयान लेने के बाद मिस्टर बाण्ड ने मिस्टर जिम से दुकान के अन्दर, दुकान के तालों, लाठी, टॉर्च और बाद में एक सुनसान स्थान पर खड़ी मिली लुटेरों द्वारा प्रयुक्त कार के अन्दर से प्राप्त उंगलियों के निशान मांगे हैं।
आप सोच रहे होंगे कि इस छोटी-सी डकैती की घटना में हमारे देश का सर्वोच्च जासूस इतनी दिलचस्पी क्यों ले रहा है, दरअसल यही सवाल हमारे दिमागों में भी गूंजा था, अतः ये संवाददाता विशेष रूप से बाण्ड से मिला, जब उनसे उपरोक्त सवाल किया गया तो उन्होंने मुस्कराते हुए जवाब दिया—“जिस घटना में एक इंस्पेक्टर का मर्डर हो गया, दूसरा इंस्पेक्टर गम्भीर रूप से घायल हुआ उसे आप छोटी-सी घटना कहते हैं?”
“निःसन्देह, घटना सनसनीखेज है, दुर्भाग्य वाली भी और यह भी स्पष्ट करती है कि हत्यारे दुःसाहसी थे, मगर फिर भी हम नहीं समझते कि इसमें आपकी दिलचस्पी के लिए कुछ है—हमारा मतलब ये है कि यदि आपके स्तर से देखा जाए तो घटना कुछ भी नहीं है।”
“जो हुआ है, दरअसल वह मेरे स्तर का नहीं है और न ही मैं उसके लिए इसमें दिलचस्पी ले रहा हूं—मैं तो उसमें दिलचस्पी ले रहा हूं जो अब होने वाला है।”
“क्या मतलब?” ये संवाददाता चौंक पड़ा।
“आप इस बात पर गौर क्यों नहीं करते कि डकैती किसी डायमंड की दुकान में नहीं, हथियारों की दुकान में पड़ी है—जरा सोचिए, लुटेरे हथियार किसलिए चाहते हैं—कोई बखेड़ा करने के लिए ही न?”
“गुड!”
“अगर डकैती में छोटे-मोटे हथियार जाते तो मैं ये अनुमान लगाता कि भविष्य में लुटेरे छोटा-मोटा ही क्राइम करने जा रहे हैं—मुझे चौंकाया स्टेनगन ने—स्टेनगन का मतलब है कि भविष्य में लुटेरों के इरादे खतरनाक हैं, वे लंदन में कोई बड़ा बखेड़ा खड़ा करना चाहते हैं—बस, मेरे इसी विचार ने मुझे इस डकैती में दिलचस्पी लेने के लिए प्रेरित किया है।”
“ओह, आप वाकई बहुत दूर की सोच रहे हैं मिस्टर बाण्ड!”
डबल ओ सेवन ने मुस्कराते हुए कहा—“फिर भी, लंदन की जनता को मेरे उपरोक्त शब्दों से आतंकित होने की जरूरत नहीं है—मैं अनुमान लगा सकता हूं कि वे क्या बखेड़ा खड़ा करने की सोच रहे हैं—और वादा करता हूं कि उन्हें, उन हथियारों को इस्तेमाल करने का मौका नहीं दूंगा।”
“आपके अनुमान से भविष्य में वे क्या कर सकते हैं?”
“फिलहाल इस बारे में कहना मैं जनहित में नहीं समझता—फिर भी इतना जरूर कहूंगा कि वे बेवकूफ शायद दुनिया के सबसे धनवान व्यक्ति बनने की कल्पना कर बैठे है।”
“थैंक्यू!” कहकर इस संवाददाता ने मिस्टर बाण्ड से लिया अपना ये छोटा-सा इण्टरव्यू समाप्त किया, हमें अपने सर्वोच्च जासूस पर पूरा भरोसा है और विश्वास के साथ कह सकते हैं कि सचमुच मिस्टर बाण्ड लुटेरों को हथियारों का इस्तेमाल करने का अवसर नहीं देंगे।’
बस, इस सम्बन्ध में अखबार में यही न्यूज थी।
पढ़कर विकास ने जब विजय की तरफ देखा तो इसमें शक नहीं कि उसके पास कहने के लिए कुछ भी नहीं था, जबकि विजय ने व्यंग्य भरी मुस्कान के साथ पूछा— “कहो प्यारे, क्या ख्याल हैं तुम्हारे?”
“क्या आप बार-बार इसी डर की वजह से रिवॉल्वर से बड़ा हथियार चुराकर न लाने के लिए कह रहे थे?”
“नहीं, बल्कि सिर्फ इस वजह से क्योंकि हमें स्टेनगन से डर लगता है।”
झेंपकर रह गया विकास।
“कदम-कदम पर सिर्फ वही करो प्यारे जो हम कहते हैं, जरा-सी गलती का नतीजा ये है कि मैदान में बाण्ड कूद पड़ा है और अब हमारा काम पहले से कई गुना ज्यादा कठिन हो गया है।”
अशरफ बोला— “एक बात कहूं विजय?”
“जरूर बको प्यारे झानझरोखे।”
“बाण्ड ने संवाददाता के अंतिम सवाल के जवाब में जो कहा है, क्या उससे यह ध्वनित नहीं होता कि वह हमारे इरादों से वाकिफ है?”
“बेशक यही ध्वनित होता है प्यारे और स्पष्ट है कि संवाददाता से ये पंक्तियां कहकर उसने खुले शब्दों में हमें चेतावनी दी है।”
“उसे हमारे इरादों की भनक कैसे लगी?”
“मेरे पास अलादीन का चिराग नहीं है प्यारे कि जिसे घिसूं और जिन्न हाजिर हो जाए—तब उससे कहूं कि जिन्न मास्टर, जरा पता करके जाओ कि बाण्ड को हमारे इरादों की भनक कैसे लगी?”
अशरफ ने बुरा-सा मुंह बनाया, बोला— “मेरा ये मतलब नहीं था!”
“फिर क्या मतलब था?”
“मेरा मतलब तो ये था कि क्या उसे यह भनक भी लग गई होगी कि यह सब कुछ ‘हम’ कर रहे हैं?”
“अभी तक ऐसा नहीं हुआ है।”
मुस्कराकर विकास ने व्यंग्य किया—“यह बात शायद आपको जिन्न बता गया है।”
“जिन्न हमारी आंखें और कान जैसी इन्द्रियां होती हैं प्यारे—इनका इस्तेमाल करने से ऐसी बहुत-सी बातें पता लग जाती हैं, जिन्हें अलादीन वाला ‘जिन्न’ भी नहीं बता सकता।”
“क्या मतलब?” इस बार विक्रम ने पूछा।
“आज दिन में बाण्ड अपनी आशा डार्लिंग से मिला था।”
“क...क्या?” एक साथ सभी चिहुंक उठे।
“नहीं कह सकते कि उनके बीच क्या बातें हुईं, क्योंकि उस वक्त हम इतनी दूर थे कि सिर्फ आंखों का ही इस्तेमाल कर सके थे, कानों का नहीं—फिर भी, हम दिमाग से इतना अनुमान तो लगा ही सकते हैं कि वजह वही रही होगी जिस वजह से उसमें के.एस.एस. वाले दिलचस्पी ले रहे थे।”
“वह तो सिर्फ के.एस.एस. का मैटर है, बाण्ड से क्या सम्बन्ध?”
“क्या के.एस.एस. सीक्रेट सर्विस से बाण्ड को नहीं मांग सकती?”
चौंकते हुए विकास ने कहा—“तो क्या आप यह कहना चाहते हैं गुरु कि इस केस में बाण्ड अंकल दिलचस्पी ले रहे हैं?”
“आशा डार्लिंग से उसकी मुलाकात तो यही संकेत देती है।”
“इसका मतलब ये कि खतरा बहुत ज्यादा बढ़ गया है।” अशरफ बुदबुदाया—“क्या आशा के चेहरे पर किया गया तुम्हारा मेकअप बाण्ड को धोखा दे सकेगा विजय?”
“फिलहाल तो हमारा मेकअप ही जीत गया लगता है।”
“कैसे?”
“अगर वह आशा को पहचान गया होता तो इस तरह उसे छोड़ न देता, गिरफ्तार कर लेता—उसे पहचाने या न पहचाने जाने से ही हमारा सम्पर्क भी है—यानी जिस क्षण वह आशा को पहचान लेगा उसी क्षण आसानी से यह भी समझ जाएगा कि हथियारों के चोर यानी हम कौन हैं?”
“म...मगर गुरु, इसका मतलब तो स्पष्ट है कि आशा आण्टी खतरे में हैं।”
“मैं एक बार फिर जोर डालकर कहूंगा कि फिलहाल हम उसकी कोई मदद नहीं कर सकते।”
“लेकिन, आशा का भेद खुलते ही बाण्ड अंकल समझ जाएंगे कि कोहिनूर के चक्कर में हम सब हैं।”
विजय ने सपाट स्वर में कहा—“जब किसी अपराधी ग्रुप का कोई सदस्य इनवेस्टिगेटर के चंगुल में इस कदर फंस जाता है कि उसके जरिए इनवेस्टिगेटर पूरे ग्रुप तक पहुंच सके तो ग्रुप अपने साथी को कत्ल कर देता है।”
“ग...गुरु!”
“मगर प्यारे, मैं आशा डार्लिंग को कत्ल करने की सलाह नहीं दे रहा हूं।”
“और क्या कह रहे हैं आप?” विकास का लहजा भभकने लगा था।
“केवल इस बात का प्रबन्ध करने की सलाह दे रहा हूं कि उसके जरिए बाण्ड हम तक न पहुंच सके।”
“यही तो मैं कह रहा हूं गुरु, क्यों न हम आशा आण्टी को होटल से गायब करके यहां ले आएं और यहीं छुपा दें, इससे न केवल आशा आण्टी पर मंडरा रहा खतरा खत्म हो जाएगा, बल्कि उनके जरिए बाण्ड के हम तक पहुंचने की हर सम्भावना भी धूल में मिल जाएगी।”
“वक्त आने पर यही करना होगा, मगर अभी नहीं है।”
“मतलब?”
“अभी हमारे पास केवल सम्भावनाएं-ही-सम्भावनाएं हैं, वास्तव में नहीं जानते कि बाण्ड हमारी सोची हुई पटरी पर ही चल रहा है या नहीं अथवा उतना खतरा है भी या नहीं, जितना हम सोच रहे हैं—ऐसा भी हो सकता है कि के.एस.एस. की तरह बाण्ड आशा को सिर्फ वॉच कर रहा हो।”
“तुम ठीक कह रहे हो।” अशरफ बोला।
“इसलिए मेरी राय पहले वस्तुस्थिति का पता लगाने और उसके बाद उसी के अनुसार कदम उठाने की है—और वस्तुस्थिति का पता लगाने की जिम्मेदारी मैं स्वयं लेता हूं।”
“ठीक है!” विकास संतुष्ट नजर आ रहा था।
“हमें बाण्ड या गोगियापाशा के चक्कर में उलझकर अपने असली मकसद को नहीं भूलना चाहिए, वरना होगा ये कि अपना लूमड़ कोहिनूर को लेकर गुम हो जाएगा और हम इन्हीं चक्करों में उलझे रहेंगे।”
“हम भूले कहां हैं, सुरक्षा-व्यवस्था को समझने की हमारे पास एक ही कुंजी है—चैम्बूर, आपके हुक्म पर पिछले दो दिन से मैं उसे लगातार वॉच कर रहा हूं और वह मुझे थोड़ा रहस्यमय-सा नजर आता है।”
“क्या मतलब?”
“ऐसा लगता है अंकल कि वह अलफांसे गुरु से मिला हुआ है।”
विकास का यह वाक्य सुनकर विजय की आंखें अचानक ही बुरी तरह चमक उठीं, बोला— “क्या देखा तुमने?”
“मैंने गार्डनर की कोठी के लॉन में उन्हें बात करते देखा है, सिर्फ वे दोनों ही थे—अन्य कोई नहीं और बातें करने का उनका अंदाज भी ऐसा था कि जैसे छुपकर मिल रहे हों—वे सतर्क-से थे—मानो वे न चाहते हों कि कोई उन्हें साथ और बात करते देखे, मैं उनके बीच होने वाली बातें न सुन सका।”
“वो मारा साले पापड़ वाले को!” विजय उछल ही जो पड़ा।
सभी एक साथ चौंककर उसका चेहरा देखने लगे, अशरफ ने पूछा—“क्या हुआ?”
“लड़का हुआ है प्यारे!”
विजय के जवाब पर विकास और विक्रम मुस्करा उठे, जबकि अशरफ ने ऐसा कड़वा-सा मुंह बनाया जैसे कुनैन की गोली जबरदस्ती उसके मुंह में ठूंस दी गई हो। विजय ने कहा—“हमारे दिमाग में शुरू से ही यह बात थी प्यारे कि यदि चैम्बूर से हमें सम्पूर्ण सुरक्षा व्यवस्था पता न लगी तो उस माध्यम को तलाश करने की कोशिश करेंगे, जिससे अपने लूमड़ को पता लगी है—मगर जो तुम कह रहे हो उससे लगता है कि चैम्बूर अपने लूमड़ से कही-न-कही जरूर जुड़ा हुआ है और चैम्बूर गार्डनर का दायां हाथ है, उसे बहुत कुछ मालूम होगा—इसी से धारणा बनती है कि सुरक्षा-व्यवस्था मालूम करने का लूमड़ का माध्यम भी चैम्बूर ही है।”
“इसका मतलब ये कि चैम्बूर सुरक्षा-व्यवस्था के साथ-साथ हमें अलफांसे गुरु की स्कीम भी बता सकता है।”
“बशर्ते कि हमारा अनुमान सही हो।”
विक्रम कह उठा—“चैम्बूर पर हाथ डालने में अब हमें बिल्कुल समय नष्ट नहीं करना चाहिए, वह इस सारे झमेले की कुंजी दिखाई देता है, यदि हमने देर की और बाण्ड को हमारे इरादों की भनक है तो वह चैम्बूर को लंदन से गधे के सींग की तरह गायब कर सकता है, उस स्थिति में हम फिर जीरो के अन्दर फंस जाएंगे।”
“हमें अपने पहले ही आक्रमण में चैम्बूर का किडनैप करके यहां लाना है—आक्रमण असफल होना या किसी झमेले में फंसकर मर जाना सारे गुड़ को गोबर कर सकता है, इसलिए मेहरबानों, कदरदानों—मेरी सलाह है कि चैम्बूर को किडनैप करने के लिए हम पहले ही से एक पुख्ता स्कीम तैयार कर लें और फिर सारा ऑपरेशन उसी स्कीम के मुताबिक करें।”
“स्कीम बनाने का काम तुम्हारा है।” विक्रम ने कहा।
“आइसक्रीम तो तभी बनाऊंगा न प्यारे जब अपना दिलजला ये बताएगा कि रात को वह किस स्थिति में होता है।”
“सिर्फ रात को?”
“इस काम के लिए हमें रात ही का वक्त चुनना होगा, क्योंकि किडनैप करके उसे सीधा यहां लाना है और जरा सोचो, दिन के प्रकाश में अपने इस राजमहल के मुख्य द्वार का उपयोग करना कितना खतरनाक होगा?”
“मैं समझ गया गुरु!”
“तो प्यारे, अब जल्दी से हो जाओ शुरू!”
“रात को तो वह भी वही करता है जो सब करते हैं यानि सोता है। क्लब से वह दस बजे के करीब लौटता है— ग्यारह बजे के करीब तक सो जाता है—उसका कमरा कोठी में दूसरी मंजिल पर स्थित है, मजे की बात ये है कि उस कमरे में कहीं कोई खिड़की या रोशनदान नहीं है, सिर्फ एक दरवाजा है, जिसे वह अन्दर से बन्द करके सोता है।”
“तुम्हारे कहने का तात्पर्य शायद ये है कि रात के समय उसके कमरे के अन्दर पहुंचना एक समस्या है?”
“हां!” विकास बोला—“चैम्बूर को किडनैप करने के लिए कम-से-कम कमरे के अन्दर जाना तो जरूरी है ही—और यदि मुख्य द्वार से जाया जाए तो बड़ी सीधी-सी बात है कि ऐसा तभी हो सकता है जब चैम्बूर अन्दर से दरवाजा खोले।”
“वह खोलेगा क्यों?” अशरफ बड़बड़ाया।
विजय ने सवाल किया—“चैम्बूर के परिवार में और कौन-कौन है?”
“चैम्बूर की पत्नी और एक लड़की, बस!”
“कोठी में उनके कमरों की सिच्युएशन क्या है?”
“उनके कमरे बराबर-बराबर ही में हैं, मगर चैम्बूर के कमरे से काफी दूर गैलरी का मोड़ क्रॉस करने के बाद—मगर हमें उनसे क्या मतलब है?”
“उनके कमरे में जाने के लिए कोई खिड़की आदि?”
“है—थोड़ी-सी कठिनाई के बाद उन कमरों में पहुंचा जा सकता है।”
“वैरी गुड!” विजय ने कहा—“तो प्यारे, अब सुनो किडनैप की बड़ी ही आसान-सी आइसक्रीम !”
तीनों उसका मुंह ताकने लगे।
¶¶