तीरथ का वो ही ठिकाना।

पुराना-सा मकान था ये। वीरान जैसी जगह थी। आस-पास बहुत कम घर बने दिखाई दे रहे थे। तीरथ इस जगह को कभी-कभी ड्रग्स का स्टॉक रखने के लिए इस्तेमाल करता था। इसके अलावा इधर किसी का आना नहीं होता था।

अगले दिन सुबह दस बजे।

वे सब जाग चुके थे।

राघव और तुली की हालत पहले से बेहतर थी। तीरथ ने सबके लिए सुबह की चाय तैयार की थी। यहां सिर्फ चाय तक का ही इंतजाम था। चाय की घूंट लेते एक्स्ट्रा ने तुली से पूछा।

"ये सैवन इलैवन कौन है?"

तुली चौंककर एक्स्ट्रा को देखने लगा।

"सैवन इलैवन--- तुम इसे कैसे जानते हो?"

"पहले इसके बारे में बताओ।"

"F.I.A. का स्पेशल एजेंट है। इसका चेहरा शायद ही किसी ने देखा हो। जरूरत पड़ने पर ही ये दूसरों के सामने आता है। खतरनाक है, तेजतर्रार है। सिर्फ खतरनाक मिशन ही हाथ में लेता है। स्थानीय काम अपनी मर्जी से करता है। सिर्फ राष्ट्रपति ही इसे आर्डर दे सकते हैं। सुनने में तो आया है कि महामहिम राष्ट्रपति की ही देन है सैवन इलैवन। राष्ट्रपति के इशारे पर सैवन इलैवन ने हर तरह की ट्रेनिंग हासिल की है।" तुली गंभीर स्वर में बोला--- "लेकिन तुम सैवन इलैवन को क्यों पूछ रहे हो? जानते हो इसे?"

"रात इसका फोन आया था।"

"फोन--- सैवन इलैवन का?"

"हां।" इसके साथ ही एक्स्ट्रा ने बताया कि उसने क्या बात की।

"सैवन इलैवन का इस मामले में आना हैरानी की बात है।"

"ये सोचो कि वो इस मामले में आकर क्या करना चाहता है?" एक्स्ट्रा बोला।

तुली के होंठ भिंच गए।

"तुमने अभी बताया कि सैवन इलैवन कमाल का बंदा है तो वो हमारे मामले में दखल क्यों दे रहा है?"

"मैं व्यक्तिगत तौर पर उसे नहीं जानता। मिला भी नहीं उसे।" तुली के होंठों से निकला।

"वो कहता है कि अब F.I.A. हमारे पीछे नहीं है।"

तुली चुप रहा।

"क्या वो सच बोलता है?"

"नहीं जानता।" तुली ने इंकार में सिर हिलाया।

"सवाल तो ये पैदा होता है कि वो हमें इस बात का यकीन क्यों दिलाना चाहता है?" तीरथ बोला।

"वो चाहता है कि हममें से कोई भी C.I.A. से बात मत करे। इस बात की गारंटी मांगी है उसने।" एक्स्ट्रा ने कहा।

वे सब एक-दूसरे को देखने लगे।

"वो बकवास करता है।" राघव होंठ भींचकर कह उठा--- "बीती शाम उनके दो आदमी हमारे हाथों मरे हैं। वे हमें छोड़ने वाले नहीं।"

"मेरा भी यही ख्याल है।" धर्मा कह उठा।

"सैवन इलैवन चाहता है कि हम बाहर निकलें और F.I.A. हमें शूट कर दे।" राघव बोला।

"हां, ये ही बात है।"

"F.I.A. किसी कीमत पर हमारा भला नहीं चाह सकती।" तुली खामोश गंभीर बैठा था।

"तुम क्या कहना चाहते हो तुली?" एक्स्ट्रा ने उसे देखा--- "हम तुम्हें सुनना चाहते हैं।"

"मैं नहीं जानता कि ये F.I.A. कौन-सी चाल है। मुझे हैरानी है कि सैवन इलैवन इस काम में दखल दे रहा है।" तुली बोला।

"वो हमें एजेंट सैवन इलैवन के सहारे फंसाना चाहते हैं।" तीरथ ने कहा।

"सैवन इलैवन मिलने के लिए कह रहा था।" एक्स्ट्रा बोला।

"मिलना मत, वरना धोखा खाओगे।" तुली के होंठों से निकला।

"ये बात कैसे कह सकते हो?"

"मेरा विचार है ये।" तुली गंभीर स्वर में बोला--- "F.I.A. हमें हर हाल में खत्म करना चाहेगी।"

सब इस बात से सहमत थे।

"तो अब क्या किया जाए?" धर्मा ने कहा।

"मेरे ख्याल से अभी हमें खामोशी से यहीं बैठे रहना चाहिए।" तीरथ बोला--- "इस जगह के बारे में कोई नहीं जानता। हम सुरक्षित हैं। हममें से एक बाहर जाएगा और खाने-पीने का इतना सामान ले आएगा कि दो-तीन दिन का काम निकल जाए।"

तभी एक्स्ट्रा बोला।

"सैवन इलैवन का कहना है कि कल हममें से किसी ने यानी कि राघव-मन्नू या तीरथ में से किसी ने माईक से बात की फोन पर। मन्नू तो रहा नहीं, क्या तुमने बात की तीरथ?"

"हां, मेरा इरादा बना था कि मैं माईक से डॉलर लूं, परंतु मैंने इरादा बदल दिया।" तीरथ गंभीर स्वर में बोला।

"इसका मतलब सैवन इलैवन ने ये बात सच कही।" एक्स्ट्रा ने कहा।

"जरूरी तो नहीं कि बाकी बातें भी सच हों...।"

तभी तुली का फोन बजा।

"हैलो!" तुली ने बात की।

"सैवन इलैवन!" उसके कानों में सैवन इलैवन की आवाज पड़ी--- "जानते हो मुझे?"

"हां, सुना है तुम्हारे बारे में।" तुली का चेहरा गंभीर और कठोर हो गया।

सबकी निगाह तुली पर जा टिकी।

"तुम F.I.A. के पुराने और बेहतरीन एजेंट हो तुली!"

"था, F.I.A. को छोड़ दिया है मैंने।"

"नाराज हो।"

तुली खामोश रहा।

"वापस लौट आओ। F.I.A.को अपनी गलती का पता है।" सैवन इलैवन की आवाज उसके कानों में पड़ रही थी।

"विश्वास उठ गया है।"

"ऐसा मत कहो तुली---तुम...

"अब मैं F.I.A. के लिए काम नहीं कर सकता। मन खराब हो गया है। तुम इस मामले में क्यों दखल दे रहे हो।"

"मैं तुम्हें वापस तुम्हारी जगह दिलाना चाहता हूं।"

"मैं नहीं आऊंगा।"

"इतनी नाराजगी अच्छी नहीं होती--- तुम...।"

"सैवन इलैवन!" तुली ने भिंचे स्वर में टोका--- "अगर F.I.A. तुम्हें खत्म करना चाहे और तुम F.I.A. के वफादार हो तुम तब क्या करोगे?"

सैवन इलैवन के गहरी सांस लेने का स्वर कानों में पड़ा।

"F.I.A. मेरे लिए पुरानी बात हो गई है सैवन इलैवन। मैं अब आजाद हो चुका हूं।"

"तुम्हें सब कुछ भूल जाना चाहिए। F.I.A. तुम्हारे पिता के समान है।"

"पिता धोखा दे दे तो फिर उसके साथ बैठने का मन नहीं करता। तुम बेकार की कोशिश कर रहे हो सैवन इलैवन!"

"एक बार मुझसे मिलो।"

"कभी नहीं।"

"ठीक है, मेरी बात सुनो। F.I.A. को अब तुममें से किसी की जरूरत नहीं है। ये मामला अब मेरे हाथ में है। मैंने सबको पीछे कर दिया है। तुम सब पूरी तरह आजाद हो।" सैवन इलैवन ने कहा--- "सबसे कह देना कि C.I.A. से दूर रहें।"

"तुम्हारी बात पर कोई भी यकीन नहीं करेगा सैवन इलैवन! कोई नहीं मानेगा। F.I.A. का कोई भरोसा नहीं।" इसके साथ ही तुली ने फोन बंद कर दिया। चेहरे पर गुस्सा भरा पड़ा था।

"सैवन इलैवन हमें यकीन क्यों दिलाना चाहता है कि हमारे पीछे कोई नहीं है?" राघव ने कहा।

"गड़बड़ है।"

"हमें सतर्क रहना चाहिए। हो सकता है F.I.A. हमारे पीछे अपना कोई जाल फैला रहा हो।"

"तुली बता सकता है कि F.I.A. ऐसे मौके पर क्या चाल चल सकती है?"

तुली ने सबको देखते हुए गंभीर स्वर में कहा।

"F.I.A. को समझना आसान नहीं। मैं सच में नहीं जानता कि F.I.A. अब क्या करेगी?"

"हमें आराम से चुपचाप बैठ जाना चाहिए।" तीरथ बोला--- "जो भी होगा, एक-दो दिन में पता चल जाएगा।"

"मुझे जाना होगा।" तुली ने ये शब्द कहे।

"तुम जाओगे--- कहां?" धर्मा  चौंककर बोला।

"तुम लोगों के साथ मैं नहीं रह सकता। मेरे अपने रास्ते हैं। मैं अभी निकल जाऊंगा।"

"ये यहां से जाकर F.I.A. को हमारे बारे में खबर कर सकता है।" तीरथ बोला।

तुली ने तीरथ को देखा।

"मैं तुम्हें ऐसा लगता हूं।" तुझे बोला।

"पहले भी तो तुमने हमें मारने की चेष्टा...।"

"तब की बात और थी। अब हालात बदल चुके हैं। F.I.A. को मैंने छोड़ दिया है।"

"क्या भरोसा तुम्हारी बात का?"

तुली ने R.D.X. को देखा, फिर कहा।

"क्या तुम लोग भी तीरथ की तरह सोचते हो?"

"तुम जहां जाना चाहो, जा सकते हो।" राघव ने कहा--- "मुझे तुम पर भरोसा है।"

"राघव तुम...।" तीरथ ने कहना चाहा।

"चुप रहो। तुली ठीक है। इस पर शक मत करो।"

■■■

सैवन इलैवन, एंथनी के नाइटक्लब पहुंचा तो दिन के 11:30 बजे थे। सफाई वाले क्लब की सफाई कर रहे थे। क्लब पूरी तरह बंद था। सैवन इलैवन ने पीछे के रास्ते से क्लब में भीतर प्रवेश किया तो वहां सफाई कर्मचारी मिला।

"कहिए साब?" उसने सैवन इलैवन को टोका।

"एंथनी तो होगा नहीं?"

"नहीं, साहब दोपहर बाद आते हैं।"

"मुझे एंथनी से बात करनी है, जरूरी है।"

"भीतर चले जाइए। राकेश नाम का युवक होगा। इस बारे में उससे बात कर लीजिए।"

सैवन इलैवन भीतर प्रवेश कर गया।

आठ-दस सफाई कर्मचारी दिखे।

सैवन इलैवन ने उनमें से राकेश को छांटा और कहा।

"एंथनी से बात कराओ मेरी।"

"आप कौन हैं?"

"उससे कहो सैवन इलैवन बात करना चाहता है।"

"एंथनी साहब इस वक्त नींद में होंगे। दोपहर एक से पहले नहीं उठते। सुबह तो सोते हैं वे।" राकेश ने कहा।

"मेरा उससे बात करना जरूरी है।"

"जरूरी है तो आपके पास उनका फोन नंबर क्यों नहीं है?" राकेश बोला।

"ये देखो।" सैवन इलैवन ने रिवाल्वर निकाली--- "तुम मरना पसंद करोगे तो गोली चला दूं।"

रिवाल्वर देखकर राकेश घबरा गया।

"हां--- मैं बात करता हूं।" कहकर वो सामने टेबल पर मौजूद फोन की तरफ बढ़ गया।

रिसीवर उठाकर राकेश ने नंबर मिलाए। रिसीवर कान से लगा लिया।

सैवन इलैवन ने उससे रिसीवर लिया और बोला।

"जाओ, अपना काम करो।" और रिसीवर कान से लगा लिया।

राकेश खिसक गया। दूसरी तरफ बेल जा रही थी, फिर एंथनी की नींद से भरी आवाज कानों में पड़ी।

"क्या है?"

"एंथनी! मैं सैवन इलैवन।"

"तुम?" एंथनी जैसे नींद से बाहर निकला।

"मुझे R.D.X. के चेहरे देखने हैं।" सैवन इलैवन ने कहा।

"तो मैं कहां से दिखाऊं?"

"तुम अपने क्लब पर कैमरा द्वारा नजर रखते हो तो उनकी सीडी भी तैयार हो जाती है। उस शाम वे तीनों तुम्हारे क्लब में आए थे। उनकी फिल्म अवश्य तुम्हारे पास होगी।" सैवन इलैवन ने कहा।

"ओह, मैं भूल गया था। तुम दोपहर को मेरे क्लब में आ...।"

"इस वक्त मैं तुम्हारे क्लब में ही हूं।"

एंथनी के गहरी सांस लेने की आवाज सैवन इलैवन के कानों में पड़ी।

"तुम्हारी नींद खराब करने का मुझे अफसोस है। अब मैं तुम्हें 30 मिनट में अपने सामने देखना चाहता हूं।"

"30 मिनट? 40 मिनट का तो रास्ता है क्लब का।"

"तो तुम्हें 35 मिनट में मेरे पास पहुंचना है।" सैवन इलैवन ने कहा और रिसीवर रख दिया।

सफाई कर्मचारी अपने कामों में व्यस्त थे।

हर तरफ नजर डालकर सैवन इलैवन ने फोन निकाला और एक नंबर मिलाया।

"कहो गुरु!" उधर से आती आवाज कानों में पड़ी।

"भट्ट!" सैवन इलैवन ने कहा--- "मैं तुम्हें एक नाइट क्लब का पता बता रहा हूं। एक घंटे बाद मुझे यहीं मिलो।" कहने के साथ ही सैवन इलैवन ने एंथनी  के नाइट क्लब का पता बताया।

"अकेला आऊं या उस हरामी अजीत को भी ले आऊं?" उधर से भट्ट ने पूछा। 237

"जैसा तुम ठीक समझो।" सैवन इलैवन ने कहा और फोन बंद करके जेब में रखा।

■■■

पैंतालीस मिनट में एंथनी सैवन इलैवन के पास आ पहुंचा था।

"तुम बहुत दुख दे रहे हो मुझे।" एंथनी की आंखों में नींद भरी थी।

"सच में?" सैवन इलैवन मुस्कुराया।

"आओ।" एंथनी ने उखड़े स्वर में कहा और लिफ्ट की तरफ बढ़ गया।

उसके साथ चलता सैवन इलैवन कह उठा।

"मुझे तुम्हारे नाइट क्लब की चिंता है। मैं नहीं चाहता कि इस पर ऐसा ताला लगे जो कभी खुले ही नहीं। इस बार तो तुम्हें मौका दे रहा हूं, भविष्य में कभी मेरे रास्ते में आए तो...।"

"मैं तो अब भी तुम्हारे रास्ते में नहीं आया। तुम ही मेरा गला पकड़े जा रहे हो।" एंथनी नाराजगी से बोला।

"तुम्हें R.D.X. से पहचान नहीं रखनी चाहिए। तुम्हें ड्रग्स से दूर रहना चाहिए।"

दोनों तीसरी मंजिल पर पहुंचे। उसी कमरे में पहुंचे, जहां एंथनी बैठकर नाइट क्लब में आने-जाने वाले लोगों पर नजर रखता था। उसके बाद एंथनी ने वहां का सिस्टम ऑन किया और ड्राज से सीडी निकाल कर उन्हें चैक करने लगा। हर सीडी पर तारीख और वक्त लिखा था। कुछ ही देर में वो सीडी लगा ली उसने जिसमें R.D.X. थे।

एक टी.वी. स्क्रीन पर क्लब की भीड़ की उस शाम की तस्वीरें आने लगीं जिस शाम गोलियां चली थीं।

फारवर्ड-रिवाइंड करते हुए एंथनी ने राघव का चेहरा स्क्रीन पर ला रोका।

"ये राघव है।" एंथनी बोला।

सैवन इलैवन ने ध्यानपूर्वक राघव के चेहरे को देखा, फिर कह उठा।

"अगर मुझे इसकी तस्वीर चाहिए हो तो कैसे तैयार होगी?"

"तस्वीर चाहिए।" एंथनी उठता हुआ बोला--- "अभी लो।"

"सब इंतजाम कर रखे हैं तुमने।" सैवन इलैवन ने होंठ सिकोड़े।

"करने पड़ते हैं।" प्रिंटर में व्यस्त होता एंथनी कह उठा।

करीब मिनट-भर बाद एंथनी ने राघव की ठीक उसी चेहरे की तस्वीर सामने लाकर रख दी, जो की स्क्रीन पर नजर आ रही थी। सैवन इलैवन ने तस्वीर लेते हुए कहा।

"धर्मा और एक्स्ट्रा के चेहरों की तस्वीर के साथ, तुली और तीरथ की तस्वीर भी मुझे दो।"

"तुली कौन? तीरथ कौन?"

"तुली वो आदमी जो उस रात राघव से मिलने आया था और तीरथ के बारे में बताता हूं तुम्हें कि वो कौन है।" सैवन इलैवन बोला।

"तुली याद है मुझे।" एंथनी ने कहा और अपने काम में व्यस्त हो गया।

■■■

सैवन इलैवन क्लब के पीछे रास्ते से निकलकर सामने की तरफ पहुंचा तो भट्ट और अजीत को खड़े पाया।

भट्ट पैंतीस बरस का व्यक्ति था। सिर के बाल आधे गायब थे। कद-काठी सामान्य थी।

अजीत सैवन इलैवन का ही हमउम्र था। स्मार्ट, चालाक, फुर्तीला और खतरनाक।

ये दोनों F.I.A. एजेंट थे और सैवन इलैवन के इशारों पर काम करते थे।

भट्ट सैवन इलैवन को गुरु कहकर बात करता था। सैवन इलैवन के बहुत कहने पर भी अपनी इस आदत को नहीं छोड़ पाया तो सैवन इलैवन ने उसे इस बारे में कहना बंद कर दिया था।

"तुम तो वक्त पर आ गए गुरु!" उसे देखते ही कह उठा--- "हम भी अभी पहुंचे हैं।"

सैवन इलैवन ने हाथ में पकड़ी तस्वीर दोनों को दिखाई और बोला।

"इन्हें पहचान लो। ये तीनों तस्वीरें R.D.X. की हैं।"

"R.D.X.।" अजीत बोला--- "नाम सुन रखा है इन तीनों का। ये खतरनाक तिगड़ी है।"

"हां।"

भट्ट और अजीत ने तीनों की तस्वीरों पर निगाह डाली।

"ये तुली नाम के व्यक्ति की तस्वीर है, जो कि F.I.A. का एजेंट है। दूसरी तस्वीर तीरथ नाम के आदमी की है।"

उन्होंने तुली और तीरथ की तस्वीर भी देखी, फिर अजीत सैवन इलैवन से बोला।

"मामला क्या है?"

सैवन इलैवन ने उन दोनों को कुछ बताया कि मामला क्या है।

अजीत और भट्ट सब कुछ जानकर गंभीर हो गए।

"लेकिन हमें क्या करना होगा?" अजीत बोला।

"C.I.A. एजेंट माईक अपनी एम्बेसी में टिका बैठा है।" सैवन इलैवन ने कहा--- "वो इस ताक  में है कि इनमें से कोई हाथ लगे और वो 'ऑपरेशन टू किल' के मिशन के बारे में जान सके। माईक के बारे में मैंने काफी कुछ सुन रखा है, वो आसानी से टलने वाला नहीं।"

"मतलब?"

"या तो माईक इन्हें ढूंढ निकालेगा या फिर ये लोग, इनमें से कोई माईक से मिलेगा कि उससे लाखों डॉलर लेकर 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी दे दे। जब तक माईक इंडिया में है, इस बात का खतरा बना रहेगा।"

"बेहतर होगा कि R.D.X.और तुली-तीरथ को खत्म कर दिया जाए।" अजीत ने कहा।

"ये आसान नहीं, परसो शाम के बाद से वे सब सतर्क हो चुके हैं। वे आसानी से हाथ आने वाले नहीं। मैं सबसे ज्यादा तुली के बारे में शंकित हूं। उसने F.I.A. में अपनी जिंदगी बिताई है। ऐसे में F.I.A. उसकी जान लेने की कोशिश में लग जाए तो मैं सोच सकता हूं कि उसके मन पर क्या बीत रही होगी। वो F.I.A. के खिलाफ कुछ भी कर सकता है इस समय।"

"ये गंभीर बात है।" भट्ट बोला।

"तुम्हारा मतलब कि तुली माईक से मिलेगा?" अजीत गंभीर स्वर में बोला।

"इस बात की पूरी संभावना है।"

"हम समझ गए गुरु। तुम चाहते हो कि माईक हो हम नजर में रखें।"

"सख्ती से। माईक नजरों से ओझल न हो। वो एम्बेसी से बाहर जाए तो उसके पीछे लग जाओ और इन तस्वीरों में से कोई एम्बेसी में जाता दिखे तो फौरन उसे शूट कर दो। हमने इस बात का ध्यान रखना है कि माईक अपने काम में सफल न हो सके।"

"माईक को हम पहचानते नहीं।" अजीत बोला।

"मौली कल रात से एम्बेसी पर नजर रख रही है। वहां उसे तलाश कर लेना। वो माईक को देख चुकी है। क्योंकि रात उसने मुझे रिपोर्ट दी थी, माईक एक रेस्टोरेंट में डिनर के लिए गया है और उसके बाद उसने एक बाजार से अपने लिए कमीजें खरीदीं।

"तो गुरु! हम चलते हैं मौली के पास।" भट्ट बोला।

"मुझे बराबर रिपोर्ट देते रहना।" सैवन इलैवन ने कहा।

अजीत और भट्ट चले गए।

सैवन इलैवन अपनी कार की तरफ बढ़ गया। कार में बैठा। चेहरे पर सोचों का भंवर उठा रहा, फिर फोन निकाला और मुंबई स्थित अमेरिकन एम्बेसी का नंबर मिलाने लगा।

नंबर फौरन लगा और उधर से युवती की आवाज कानों में पड़ी।

"हैलो अमेरिकन एम्बेसी!"

"माईक से मेरी बात कराओ।" सैवन इलैवन ने शांत स्वर में कहा।

"कौन माईक? यहां कोई माईक नहीं है।"

"मैडम मैं C.I.A. एजेंट की बात कर रहा हूं, जो इस वक्त एम्बेसी में है। मैंने उसे कुछ बताना है। माईक का फायदा है इसमें।"

"आप होल्ड कीजिए। मैं बड़े अधिकारियों से इस बारे में बात करती हूं।"

सैवन इलैवन फोन कान पर लगाए बैठा रहा।

मिनट-भर में ही उसके कानों में आवाज पड़ी।

"हैलो, मैं माईक बोल रहा हूं, तुम कौन हो?"

"सैवन इलैवन।" कहते हुए सैवन इलैवन के चेहरे पर कठोरता आ गई थी।

दो पलों के लिए माईक की आवाज नहीं आई।

"मर गए क्या?" सैवन इलैवन कह उठा।

"तुमसे मिलकर खुशी हुई।" माईक की आवाज कानों में पड़ी।

"जानते हो मुझे।"

"हां, तुम F.I.A. के स्पेशल एजेंट हो। सुना है तुम्हारे बारे में। मुझे क्यों फोन किया?"

"मैं चाहता हूं तुम इंडिया छोड़कर चले जाओ।"

"मुझे बेवकूफ समझते हो।"

"'ऑपरेशन टू किल' के बारे में जानकारी पाने की चेष्टा मत करो। चले जाओ यहां से।"

"तुम जो भी कह रहे हो, तुम्हारी बात रिकॉर्ड की जा रही है।" माईक की आवाज कानों में पड़ी।

सैवन इलैवन के चेहरे पर जहरीली मुस्कान नाच उठी।

"लगता है माईक, तुम सैवन इलैवन को अभी ठीक से जानते नहीं।"

"सच में, मैं तुम्हें ठीक से नहीं जानता। सिर्फ नाम ही सुना है।"

"बेहतर होगा कि हमारा आमना-सामना न ही हो।"

"मैं तुमसे डरता नहीं सैवन इलैवन! बेहतर होगा कि मुझे अच्छी तरह जान लो।"

"तुम झगड़े वाली बात कर रहे हो।"

"फोन तुमने किया है।"

"ये समझाने के लिए कि तुम जिस फिराक में इंडिया में जमे बैठे हो, मैं पूरा नहीं होने दूंगा।"

"माईक हर काम को पूरा करता है।"

"अगर कोई गड़बड़ हुई तो अमेरिका पहुंचकर तेरे को मारूंगा। ये बात याद रखना।"

"बड़ी बात कह रहे हो।"

"चले जाओ इंडिया से।" सैवन इलैवन के जबड़ों में कसाव आ गया--- "हमारे देश के मामलों में दखल मत दो।"

"तुम मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकते।"

"मैं तुम्हें रात को तब आसानी से शूट कर सकता था, जब तुम डिनर ले रहे थे या कमीजें खरीद रहे थे।"

"ओह! तो तुम पर मुझ पर नजर रख रहे हो।"

"जिंदा रहना चाहते हो तो चले जाओ।"

"तुम गलत आदमी को धमकी दे रहे हो। माईक को जो करना होता है, वो ही करता है।"

"फिर तो हम जल्दी ही मिलेंगे माईक!" सैवन इलैवन ने कठोर स्वर में कहा और फोन बंद कर दिया।

■■■

तुली R.D.X. के पास से निकल आया था।

उसकी बांह में रह-रहकर टीस उठ जाती थी, जो कि उसे इस बात का अहसास दिलाती कि देश की वर्षों तक सेवा करने के बदले उसे क्या इनाम मिला! जब भी उस वक्त की याद आती तो हाथ सिर पर पहुंच जाता कि किस्मत ने ही उसे बचाया वरना मारने वालों ने तो अपनी तरफ से कोई कसर नहीं छोड़ी थी। गोली सिर के बालों को जलाते हुए निकल गई थी।

जो भी हुआ, बुरा हुआ और गलत हुआ।

फुटपाथ पर चलते हुए वो इस बात के प्रति सतर्क था कि कहीं F.I.A. के एजेंट उसे घेर न रहे हों। उसे पूरा यकीन था कि F.I.A. उसे नहीं छोड़ेगी और उसकी तलाश की जा रही होगी।

सैवन इलैवन ने उसे फोन पर अपनी बातों में फंसाना चाहा, परंतु वो नहीं फंसा था। तुली जानता था कि इस स्थिति में F.I.A. उसके भले के लिए सोच भी नहीं सकती। F.I.A. को अपना काम पूरा चाहिए। अपना काम पूरा करने के लिए क्या F.I.A. किसी भी हद तक जा सकती है। वो F.I.A. के नियमों से अच्छी तरह वाकिफ था। दो दिन पहले तक वो खुद भी F.I.A. का हिस्सा था। उसे पता था कि F.I.A. अपना काम पूरा करके रहती है। और F.I.A. अब उसकी जान लेना चाहती है।

इससे पहले कि F.I.A. उसकी जान लेने में सफल हो, उससे बचने के लिए फौरन कुछ करना होगा।

F.I.A. राघव और तीरथ को भी नहीं छोड़ने वाली।

मन्नू अपनी जान गंवा चुका है।

अंत में सफल F.I.A. ही होनी है।

ये सब बातें तुली के मस्तिष्क में घूमती जा रही थीं और बचने का उसे एक ही रास्ता नजर आ रहा था। वो था माईक। C.I.A. से हाथ मिला ले तो, जान बचने के कुछ चांसिस पैदा हो जाएंगे।

और तुली ये मौका नहीं गंवाना चाहता था।

तुली को पब्लिक फोन दिखा तो वहां जा पहुंचा। वहां पड़ी फोन डायरेक्टरी में से अमेरिकन एम्बेसी का नंबर तलाश किया और वहां फोन करने लगा। फोन मिला, बात हुई, करीब दो मिनट बाद माईक से बात हुई।

"मैं F.I.A. का एजेंट तुली हूं माईक!" तुली ने गंभीर स्वर में कहा।

"तुली?" माईक का सोच भरा स्वर उसके कानों में पड़ा--- "दो दिन पहले तुम्हें F.I.A. ने मारने की कोशिश की थी। वही हो तुम?"

"ये बात तुम्हें कैसे पता?" तुली ने पूछा।

"मुंबई स्थित मेरे एजेंटों ने खबर दी थी। वे इस वक्त मेरे लिए भागदौड़ कर रहे हैं। तुम मुझसे क्या चाहते हो?"

"मैं 'ऑपरेशन टू किल' का इंचार्ज था।"

"ओह!"

"F.I.A. मन्नू को मार चुकी है, बाकी भी नहीं बचेंगे, जो तुम्हें 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी दे सकें।"

"तुम मुझे सब बताना चाहते हो?" माईक की आवाज तुली के कानों में पड़ी।

"आसानी से नहीं।"

"क्या चाहते हो?"

"F.I.A. मेरे पीछे हैं, वो मुझे छोड़ने वाली नहीं। मैं अपनी जान बचाने की, ये एक कोशिश कर रहा हूं।"

"तुम मेरे पास आ जाओ। मैं तुम्हें बता लूंगा।"

"कब तक मुझे बचाते रहोगे। अपने काम की बात जानकर तुम मुझे भूल जाओगे। मत भूलो, मैं भी तुम्हारी तरह एजेंट हूं।"

"शायद ठीक कहते हो। तुम्हारे दिमाग में क्या है--- "वो बोलो।"

"तुम मुझे अमेरिका ले जाओ। वहां पर मुझे रहने को घर दिलाओ और खाने-पीने का ऐसा इंतजाम करो कि पैसा कमाने के लिए जिंदगी-भर मुझे भागदौड़ न करनी पड़े। ये सब गुप्त तौर पर होगा। C.I.A. एजेंटों में F.I.A. के एजेंट भी घुसे हुए हैं, जो पैसा लेकर F.I.A. को हर तरह की जानकारी देते हैं। मैं नहीं चाहता कि मेरे बारे में F.I.A. को पता चले।"

"समझ गया।"

"जब सब ठीक हो जाएगा। मुझे लगेगा कि अब मुझे मुंह खोलना चाहिए तो मैं सब बता दूंगा।"

"तुम जो चाहोगे वही होगा, लेकिन तुम्हें इस मामले की गवाही के लिए वक्त पर आगे आना होगा।"

"इसमें भारी खतरा है।"

"C.I.A. तुम्हें पूरी सुरक्षा देगी तुली।"

"F.I.A. वाले उसके बाद मुझे ढूंढकर खत्म कर देंगे।"

"गवाही के लिए सामने आए बिना हमारा काम पूरा नहीं होगा। तुम डरो मत। C.I.A. पर विश्वास रखो।"

तुली के होंठ भिंच गए। चेहरे पर सोचें नाचती रहीं।

"तुम मेरा साथ दो और हम तुम्हारा साथ देंगे। अमेरिका में तुम पूरी तरह सुरक्षित रहोगे।" माईक की आवाज कानों में पड़ी।

"अच्छी बात है।" तुली ने भिंचे स्वर में कहा--- "मैं तुम्हारी बात पर विश्वास करता हूं। तुम मुझे अमेरिका ले जाओगे और वहां पर मैं तभी अपना मुंह खोलूंगा, जब मेरी इच्छा से, हिसाब से सब कुछ ठीक लगेगा मुझे।"

"तुम जैसा चाहोगे, वैसा ही होगा।"

"ठीक है। मैं अभी, अमेरिकन एम्बेसी पहुंचता...।"

"यहां मत आना।" माईक का तेज स्वर कानों में पड़ा।

"क्यों?" तुली के होंठों से निकला।

"सैवन इलैवन एंबेसी पर नजर रख रहा है।"

तुली ने गहरी सांस ली, फिर बोला।

"तुम्हें कैसे?"

"पता कुछ देर पहले उसका फोन आया था। वो मुझे इंडिया से जाने को कह रहा था।"

"वो खतरनाक है।"

"सुना है। तुम जल्दबाजी मत करो और घबराओ मत। ये बताओ कि तुम कहां हो?"

"खुले में हूं।"

"मैं तुम्हें एक पता बताता हूं। तुम वहां पहुंचो। शाम तक मैं सब संभाल लूंगा। ठीक कर दूंगा। किसी को कुछ पता भी नहीं चलेगा।"

■■■

दो दिन बाद!

अजीत ने सैवन इलैवन को फोन किया।

"कहो।" सैवन इलैवन की आवाज अजीत के कानों में पड़ी।

"मैं एयरपोर्ट से बोल रहा हूं। माईक वापस न्यूयॉर्क चला गया है।" अजीत ने कहा।

"ये कैसे हो सकता है?"

"मैं उसके पीछे था। वो एयरपोर्ट पहुंचा और न्यूयॉर्क की फ्लाइट ली।"

"भट्ट और मौली कहां हैं?"

" वे एम्बेसी के बाहर मौजूद हैं।"

"तुमने पता किया कि माईक वास्तव में अमेरिका गया...?"

"पता करने के बाद ही तुम्हें फोन किया है सैवन इलैवन!"

"लेकिन माईक इस तरह अमेरिका नहीं जा सकता। ये बात उसकी फितरत के खिलाफ है। गड़बड़ है।"

"मैं समझा नहीं।"

"माईक काम को अधूरा छोड़कर नहीं जाएगा वापस। उसने काम पूरा कर लिया हो सकता है।"

"काम पूरा कैसे होगा। तुली, राघव, तीरथ कोई भी इस तरफ नहीं पहुंचा। माईक भी एम्बेसी से बाहर नहीं निकला और अब अचानक निकला और न्यूयॉर्क की फ्लाइट पकड़ ली।" अजीत ने कहा।

"ये पक्का है कि राघव, तीरथ और तुली में से कोई एम्बेसी नहीं पहुंचा?"

"पक्का।"

"और ये भी पक्का है कि माईक तुम लोगों की नजरों में बचकर कहीं नहीं गया?"

"नहीं, वो एम्बेसी से बाहर नहीं निकला।

सैवन इलैवन की आवाज नहीं आई।

अजीत भी खामोश रहा।

"माईक चालाकी से अपना काम कर गया है अजीत! वरना वो यूं न्यूयॉर्क न जाता।"

"मुझे ये संभव नहीं लगता।"

"मुझे लग रहा है। तुम लोग अब इस ड्यूटी को छोड़ दो। कोई फायदा नहीं।"

"तुम्हारा मतलब कि माईक ने 'ऑपरेशन टू किल' की जानकारी पा ली है?"

"पक्के तौर पर।"

"यकीन नहीं होता।"

"मुझे यकीन हो चुका है।" कहने के साथ ही उधर से सैवन इलैवन ने फोन बंद कर दिया था।

■■■

सैवन इलैवन ने एक्स्ट्रा का नंबर मिलाया। चेहरे पर गंभीरता नजर आ रही थी।

"हैलो!" एक्स्ट्रा की आवाज कानों में पड़ी।

"मैं सैवन इलैवन। पहचाना?"

"हां।"

"राघव, तीरथ और तुली कहां हैं?"

"मेरे पास।"

"अब भी तीनों तुम्हारे पास है?"

"हां क्यों?"

"तीनों में से कोई बाहर गया?"

"क्यों पूछ रहे हो?"

"मेरी बात का जवाब दो कि तीनों में से कोई बाहर गया?" सैवन इलैवन का स्वर शांत था।

कुछ चुप्पी के बाद एक्स्ट्रा की आवाज उसके कानों में पड़ी।

"तुली हमारे पास से परसों ही चला गया था।"

"परसों? कहां गया वो?"

"पता नहीं, वो जाना चाहता थाऔर हम उसे रोक नहीं सकते थे।" एक्स्ट्रा के शब्द उसके कानों में पड़े।

"तुमने बहुत बड़ी गलती की, तुली को जाने देकर, वो कमीनापन दिखा गया।"

"क्या मतलब?"

"वो माईक से मिल चुका है और आज माईक वापस अमेरिका भी लौट गया।"

"सुनकर मुझे हैरानी नहीं हुई।"

"क्यों?"

"F.I.A. ने उसके साथ बुरा सलूक किया। उसने भी तो अपना विद्रोह दिखाना था, लेकिन गलत किया तुली ने माईक का साथ देकर क्योंकि उसने जो किया वो देश के खिलाफ किया। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए।"

"तुम तुली को मेरे हवाले कर सकते थे।"

"ताकि तुम उसे मार देते।"

"मार देता तो वो देश के लिए परेशानी तो खड़ी न करता। अब जो उसने किया है वो...।"

"उसका मुझे सच में अफसोस है।"

"अब वो कहां है?"

"हमें नहीं पता।"

सैवन इलैवन ने फोन काटा और तुली का नंबर मिलाया। कई बार मिलाया। परंतु बात नहीं हो सकी। हर बार एक ही आवाज कानों में पड़ी कि इस नंबर पर बात नहीं हो सकती।

■■■

राघव, धर्मा, एक्स्ट्रा और तीरथ दो दिनों से इसी ठिकाने पर जमे हुए थे। धर्मा खाने का सामान बाहर से ले आता था। राघव की बांह का जख्म अब पहले से बेहतर था।

एक्स्ट्रा ने फोन जेब में डाला तो राघव ने पूछा।

"क्या बात है?"

"सैवन इलैवन का फोन था।"

"वो कहता है कि तुली ने माईक से बात कर ली है।"

"ये गलत हुआ।" राघव के होंठ भिंच गए।

"आज माईक वापस चला गया है।"

"मुझे यकीन नहीं आता कि तुली ने माईक से बात की होगी।" तीरथ कह उठा।

"सैवन इलैवन ने कहा है तो ठीक ही कहा होगा।" धर्मा कह उठा--- "गलत हुआ ये।"

"तुली की स्थिति पर ध्यान दो तो सैवन इलैवन की बात सही लगेगी।" एक्स्ट्रा बोला--- "F.I.A. के लिए वो काम करता रहा, लेकिन अब F.I.A. उसकी जान ले लेना चाहती है। वो जानता है कि F.I.A. से वो बच नहीं सकता। ऐसे में तुली ने माईक के सामने मुंह खोलने के लिए मोटी रकम ली होगी और उस पैसे के साथ कहीं छिपकर अपनी जिंदगी बिताने की चेष्टा करेगा।"

"यही हुआ होगा।"

"लेकिन वो बता रहा था कि उसका परिवार भी है।"

"जब अपनी जान पर बनी हो तो परिवार के बारे में क्या सोच पाएगा वो। अब वो साल-दो-साल कहीं छुप कर रहेगा। जब सब कुछ ठीक लगेगा उसे तो तब वो किसी तरह परिवार से संपर्क बनाएगा और उन्हें गुपचुप अपने साथ ले जाएगा।"

"तुली ने माईक से बात करके गलत बात की।"

"तुली को छोड़ो। अपने बारे में सोचो। आखिर हम कब तक इस तरह छिपकर बैठे रहेंगे?" तीरथ उखड़े स्वर में बोला।

"सोच रहे हैं।" धर्मा ने गहरी सांस ली--- "कोई रास्ता तो निकलेगा।"

■■■

अगले दो दिन बाद!

दीवान का फोन बजा।

"हैलो।" दीवान ने फोन कान से लगाया।

"776।" कानों में आवाज पड़ी।

"कहो विक्टर?"

"आपके लिए बहुत ही काम की खबर है, लेकिन पहले बताओ, मेरे पैसे बैंक अकाउंट में डाल दिए?"

"डाजा ले जा चुके हैं।" दीवान ने कहा।

"कम डाले हैं। कुछ और डालने पड़ेंगे।"

"खबर काम की हुई तो और डाल देंगे।", दीवान ने कहा।

"मैंने अगले महीने गोवा आना है। तब मैं चाहता हूं कि मेरे अकाउंट में ढेर सारे पैसे हों।"

"ऐसा ही होगा। खबर दो।"

"माईक न्यूयॉर्क वापस आ गया है और सुना है कि उसके साथ F.I.A. का एजेंट तुली है।"

"ओह भगवान!" दीवान के होंठों से निकला--- "ये क्या कह रहे हो। तुमने देखा है तुली को?"

"इन बातों की सिर्फ खबरें हासिल की जाती हैं। देखा नहीं जाता। इस मामले में C.I.A. जरूरत से ज्यादा सावधानी बरत रही है। मैंने ये खबर पा ली, जबकि यहां, स्टाफ को तो तुली के बारे में कुछ भी नहीं पता। अभी तो माईक को भी नहीं देखा मैंने। वो ऑफिस नहीं आया। मेरे ख्याल से वो तुली के साथ ही कहीं व्यस्त होगा।"

"खबर पक्की है?" दीवान ने बेचैनी-भरे स्वर में कहा।

"776 कभी भी गलत खबर नहीं देता।"

"ठीक है, पैसे तुम्हारे अकाउंट में डाल दिए जाएंगे।" दीवान ने गंभीर स्वर में कहा।

"ज्यादा।"

"ज्यादा चाहते हो तो ये पता करो कि तुली अमेरिका में कहां पर है?" दीवान बोला।

"पता लगते ही खबर दूंगा।"

दीवान ने फोन बंद किया और सैवन इलैवन का नंबर मिलाने लगा। चेहरे पर कठोरता बिछ चुकी थी।

दीवान के कानों में बेल की आवाज पड़ी फिर से सैवन इलैवन के शब्द सुनाई दिए।

"कहो दीवान?"

"C.I.A. एजेंट माईक अमेरिका चला गया है?" दीवान ने कहा।

"हां।"

"उसके साथ तुली भी है।"

"नहीं।" सैवन इलैवन का अजीब-सा स्वर दीवान के कानों में पड़ा।

"C.I.A. के डबल एजेंट ने ये खबर दी है।"

"ओह, वो तो अकेला गया था। मैंने सोचा तुली से मिलकर गया है, लेकिन वो तुली को साथ ले गया, हैरानी है।"

"तुमने काम ठीक नहीं किया, तभी तुली माईक के साथ अमेरिका चला गया।"

"कोई बात नहीं। काम अब ठीक हो जाएगा।"

"माईक हमें हार दे गया।"

"अमेरिका ज्यादा दूर नहीं है।" सैवन इलैवन के स्वर में कठोरता आ गई।

"माईक में तुली को बेहद सुरक्षित जगह रखा होगा। तुली तक पहुंचना आसान नहीं, कठिन ही होगा। तुली के पास F.I.A. के ढेर सारे राज हैं। वो C.I.A. को F.I.A. की भीतर बातें बता देगा जिससे कि भविष्य में हमें बहुत नुकसान होगा। मुझे तो ये भी नहीं मालूम कि तुली F.I.A. की कौन-कौन सी भीतरी बातें जानता है।"

"मैं सब ठीक कर दूंगा।"

"कब?"

"कुछ ही दिनों में...।"

"तुम...।"

"परंतु तब तक उधर से सैवन इलैवन ने फोन बंद कर दिया।

■■■

सैवन इलैवन ने भट्ट को फोन किया।

"कहो गुरु?" भट्ट की आवाज कानों में पड़ी।

"तुम लोगों ने ठीक से माईक पर नजर नहीं रखी, वो तुली को अपने साथ अमेरिका ले गया है।"

"ये नहीं हो सकता गुरु!" भट्ट का हैरानी से भरा स्वर सैवन इलैवन के कानों में पड़ा।

"तुम लोगों की गलती की वजह से हुआ ये सब।"

"असंभव बात है गुरु! हमने कोई गलती नहीं की। माईक ही कोई चालाकी कर गया है। हैरानी है कि वो अपने साथ तुली को अमेरिका ले गया है। अजीत, माईक के पीछे एयरपोर्ट तक गया था। तुली वहीं-कहीं होता तो अजीत की नजरों से ना छिपता।"

"गड़बड़ तो हो ही गई।"

"हां, वोतो हो गई, अब क्या करोगे? मेरे ख्याल में अमेरिका जाओगे, तुली को खत्म करने।"

"जरूरी है, तुली ज्यादा देर जिंदा रहा तो वो F.I.A. की भीतरी बातें माईक को बता देगा।" सैवन इलैवन सख्त स्वर में बोला।

"ये तो लफड़े वाली बात हो गई गुरु। तैयारी करें?"

"इस बार तुम नहीं।" सैवन इलैवन ने कहा--- "इस काम में R.D.X. रहेंगे।"

"R.D.X. , वो क्यों करेंगे ये काम?"

"F.I.A. से अपनी जान बचानी है तो वो, मेरी गलियों पर नाचेंगे।" कहने के साथ ही सैवन इलैवन ने फोन बंद कर दिया और एक्स्ट्रा के नंबर मिलाने लगा। शीघ्र ही बात हो गई।

"हैलो!" एक्स्ट्रा की आवाज कानों में पड़ी।

"अगर F.I.A. से पीछा छुड़ाना चाहते हो तो एक घंटे में मुझे मराठा मंदिर से बाहर मिलो।" कहने के साथ ही सैवन इलैवन ने फोन बंद कर दिया। चेहरे सोच और कठोरता के भाव नाच रहे थे।

■■■

"सैवन इलैवन ने कहा है कि F.I.A. से पीछा छुड़ाना चाहते हो तो एक घंटे में मराठा मंदिर के बाहर मिलो।" एक्स्ट्रा बोला।

राघव, धर्मा और तीरथ की निगाह एक्स्ट्रा पर थी।

"ये अच्छा मौका है।" धर्मा ने गंभीर स्वर में कहा।

"मैं तो नहीं जाऊंगा। वो साला हमें मार देगा।" तीरथ ने कहा।

"सैवन इलैवन से मैं मिलूंगा।" एक्स्ट्रा बोला--- "धर्मा मुझे कवर करेगा कि वो कोई गड़बड़ करे तो मामला संभाला जा सके।"

"मुझे नहीं लगता कि वो गड़बड़ करेगा।" राघव ने कहा।

"वो कुछ भी कर सकता है। सैवन इलैवन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।" एक्स्ट्रा बोला।

"मेरी मानो।" तीरथ ने पुनः कहा--- "वो हमें मारने के लिए बुला रहा है।"

"क्यों बुलाया होगा उसने?" धर्मा बोला।

"कहा नहीं जा सकता। उसने मुझसे मिलने को कहा है। ये नहीं बोला कि सबके साथ आओ।"

"इसका मतलब वो कोई बात करना चाहता है।" धर्मा ने सिर हिलाया--- "तुम्हें उससे जरूर मिलना चाहिए।"

■■■

एक्स्ट्रा, सैवन इलैवन को नहीं पहचानता था।

परंतु सैवन इलैवन R.D.X. के चेहरे देख चुका था। एक्स्ट्रा को वहां पहुंचे पांच मिनट हुए थे कि सैवन इलैवन उसके पास आ पहुंचा। एक्स्ट्रा सतर्क हुआ। सैवन इलैवन शांत स्वर में बोला।

"तो तुम पहुंच गए।"

एक्स्ट्रा ने उसकी आवाज पहचानी और सहमति में सिर हिलाया।

"एक्स्ट्रा नाम है तुम्हारा।"

एक्स्ट्रा ने पुनः सहमति से सिर हिलाया।

"F.I.A. से जान बचाने का तुम लोगों को एक मौका देना चाहता हूं।" सैवन इलैवन बोला।

"ये मेहरबानी क्यों?"

"मेहरबानी नहीं चाहिए तो वापस ले लेता हूं।"

एक्स्ट्रा उसे देखता रहा।

"माईक तुली को अमेरिका ले गया है।"

"नहीं।" एक्स्ट्रा चौंका।

"ये सच है। ऐसा न होता अगर तुली मारा जाता या तुम लोग उसे मेरे हवाले कर देते।"

एक्स्ट्रा अभी भी अचकचाया-सा उसे देख रहा था। बोला।

"मुझे विश्वास नहीं होता।"

"मेरी बात पर तुम्हें आंखें बंद करके विश्वास कर लेना चाहिए।" सैवन इलैवन ने गंभीर स्वर में कहा।

एक्स्ट्रा ने गहरी सांस ली।

"तुम लोगों ने जो काम किया है, F.I.A. किसी को छोड़ने वाली नहीं, परंतु मैं तुम्हें बचने का एक मौका दे रहा हूं।"

"वो कैसे?"

"तुली को तुम लोग खत्म करोगे अमेरिका जाकर।"

"हम?"

"तुम तीनों यानी R.D.X.।" सैवन इलैवन ने अपनी बिल्लौरी आंखों से उसकी आंखों में झांका।

एक्स्ट्रा सैवन इलैवन को देखता रहा।

"R.D.X. का बहुत नाम सुना है। मैं भी तो तुम लोगों का दम-खम देखूं कि कितने पानी में हो।"

"पानी तो इतना है कि तुम भी उसमें डूब जाओगे।" एक्स्ट्रा ने तीखे स्वर में कहा।

सैवन इलैवन मुस्कुरा पड़ा।

"सैवन इलैवन को आज तक कोई जीत नहीं पाया। यही मेरी खासियत है।"

"R.D.X. से कभी मुलाकात नहीं हुई तुम्हारी।"

"तुम लोग भी तो सैवन इलैवन से कभी नहीं मिले।"

एक्स्ट्रा ने उस पर से नजरें फेर लीं।

सैवन इलैवन ने गंभीर स्वर में कहा।

"तुली F.I.A. के बहुत राज जानता है, ये बातें वो C.I.A. को बता सकता है। कुछ वक्त बीत गया तो तुली सब उगल देगा, परंतु उससे पहले ही उसे खत्म कर देना है कि C.I.A. उससे कुछ जान न सके।"

"ये काम तो तुम भी कर सकते हो।"

"मुझे इससे भी जरूरी काम करना है।" सैवन इलैवन के दांत भिंच गए।

"क्या?"

"माईक की खोपड़ी ठीक करनी है अमेरिका जाकर कि दोबारा इंडिया के बारे में सोचने से पहले ही संभल जाए। मैं तुम्हारे साथ ही अमेरिका चलूंगा। हम एक ही प्लेन में होंगे परंतु हमारे रास्ते अलग होंगे। तुम्हारा निशाना तुली होगा और मेरा माईक। इसका सारा खर्चा F.I.A. का होगा। तुम लोगों को जल्द-से-जल्द तुली को खत्म करना होगा।"

एक्स्ट्रा चुप रहा।

"अपने साथियों से राय ले लो।"

"जरूरत नहीं। एक का फैसला ही तीनों का होता है। इस काम के बाद F.I.A. हमारा पीछा छोड़ देगी?"

"पक्का।"

"तीरथ?"

"उसे भी कुछ नहीं कहा जाएगा।"

"जैनी तुम्हारे कब्जे में है।"

"वो भी आजाद हो जाएगी।"

"वादे से पीछे तो नहीं हटोगे?"

"नहीं।"

"ठीक है। ये काम करना हमें मंजूर है।" एक्स्ट्रा बोला--- "तुली अमेरिका में कहां है?"

"अमेरिका चलो। बाकी सब कुछ भी पता चलता चला जाएगा।"

■■■

माईक के बताए पते पर तुली पहुंचा तो वहां उसे दो आदमी मिले। उन्हें तुली के आने का पहले ही पता था।

उन्होंने तुली का स्वागत किया। फिर वे तुली का हुलिया बदलने में लग गए। उसके सिर के बाल छोटे-छोटे किए, होंठों पर मूंछें लगा दीं। भौंहों को तराशा। गाल पर छोटा-सा कट का निशान बना दिया कि देखने पर ऐसा लगता था जैसे चाकू का पुराना निशान हो। बाएं कान में छेद करके, सोने की छोटी बाली पहना दी। उसके बाद चेहरे पर थोड़ा-सा मेकअप करके चेहरे में थोड़ा-सा बदलाव लाया गया। इस सारे काम में छः घंटे लगे। तुली ने अपने को शीशे में देखा।

अब एक ही निगाह में उसे पहचान पाना कठिन था।

"ये सब क्यों किया जा रहा है?" तुली ने पूछा।

"तुम्हें इस देश से निकलकर अमेरिका पहुंचाना है।" जवाब मिला।

तुली ने मन-ही-मन गहरी सांस ली। दीवान और कपूर के चेहरे आंखों के सामने नाचे।

उसकी पूरी जिंदगी उलट हो गई थी।

कहां वो देश की खातिर जान की बाजी लगा देता था और अब उसे वेश बदलकर देश से निकलना पड़ रहा था। देश की खुफिया एजेंसी F.I.A. के लिए उसने बीस सालों तक काम किया। अब उसी F.I.A. से बचने के लिए भागदौड़ कर रहा था।

तुली की इस रूप में तस्वीर ली गई।

"अगले कुछ घंटों में तुम्हारा पासपोर्ट बन जाएगा और अमेरिका वीजा लग जाएगा।" उसे बताया गया।

"प्लान क्या है?"

"माईक का फोन आएगा। उससे बात करना। इस बारे में वही सब कुछ बताएगा।"

"पासपोर्ट असली होगा या नकली?" तुली ने पूछा।

"असली ही समझो। एयरपोर्ट पर तुम्हें कोई नहीं कहेगा कि वो नकली है।" वो व्यक्ति मुस्कुरा कर बोला--- "तुम्हें किसी तरह की रुकावट नहीं आएगी। तुम्हारी जिम्मेदारी अब C.I.A. की है। C.I.A. के लिए कोई भी देश पराया नहीं है। हम कहीं भी, सब कुछ कर सकते हैं।"

तुली ने कभी सोचा भी नहीं था कि उसे अमेरिकन जासूसी एजेंसी के साथ दोस्ताना बनना पड़ेगा कभी। परंतु मजबूरी थी उसके लिए। ये सब करना। जान भी तो बचानी थी F.I.A. से।

उनमें से एक आदमी कैमरे के साथ वहां से चला गया था।

एक घंटे बाद माईक का फोन आया। उसने माइक से बात की।

"क्या कर रहे हो तुम?" तुली ने पूछा।

"तुम्हें अमेरिका पहुंचाने का इंतजाम किया जा रहा है।" माईक की आवाज कानों में पड़ी।

"तुम साथ नहीं होगे क्या?"

"नहीं। कल तुम अमेरिका रवाना हो जाओगे। मैं परसों की फ्लाइट लूंगा। तुम्हें बता दिया जाएगा कि वहां तुमने कहां पहुंचना है। ये सब सावधानी के नाते किया जा रहा है। तुम अकेले सफर करोगे कि तुम्हें कोई खतरा न आए। F.I.A. वाले एम्बेसी पर नजर रख रहे हैं। उनकी निगाह मुझ पर है। वे सोच भी नहीं सकेंगे कि तुम इतनी जल्दी अमेरिका पहुंच जाओगे।"

"F.I.A. को तुम कमजोर मत समझो।"

"मैं जानता हूं कि F.I.A., C.I.A. से कम नहीं है। कमजोर समझने की गलती भी नहीं कर सकता। मैं तो सिर्फ ये कह रहा हूं कि तुम अमेरिका में होगे और वो लोग तुम्हें यहां ढूंढ रहे होंगे।"

"F.I.A को पता चल जाएगा कि मैं किधर हूं।"

"ये आसान नहीं है।"

"बहुत आसान है F.I.A. के लिए। ऐसा ही होता है, F.I.A. के लोग C.I.A. में हैं। वो खबर दे देंगे।"

"इस बात को गुप्त रखा जाएगा कि हमारे पास F.I.A. का कोई एजेंट है।"

तुली ने गहरी सांस ली।

"अमेरिका में तुम शानदार जिंदगी जिओगे।"

"मुझे विश्वास नहीं।"

"C.I.A. पर तुम्हें भरोसा नहीं? मैंने जो जुबान दी है, वो पूरी करूंगा तुली!"

"मुझे F.I.A. पर पूरा भरोसा है कि वो मुझे जिंदा नहीं छोड़ेगी।"

"F.I.A. की परवाह भी मत करो। C.I.A. तुम्हें पूरी सुरक्षा देगी। वे तुम्हारे बारे में कोई खबर नहीं पा सकेंगे।"

"पता नहीं क्या होगा! मेरी मजबूरी है कि मुझे तुम लोगों का सहारा लेना पड़ रहा है, वरना मैं ऐसा नहीं था।"

"खुफिया एजेंटों की जिंदगी ऐसी ही होती है। पता नहीं कब क्या हो जाए।" माईक की स्थिर आवाज कानों में पड़ रही थी--- "तुम सफर अकेले करोगे, परंतु तुम्हारे आस-पास C.I.A. का एक एजेंट हमेशा रहेगा। किसी भी मौके पर तुम खुद को अकेला मत...।"

"अमेरिका में मुझे कहां जाना है?"

"फोन पर इस बारे में बात करना ठीक नहीं होगा। तुम्हारे पास जो आदमी है, वो तुम्हें बता देगा सब कुछ। उससे पूछना। तुम कल अमेरिका जाओगे और मैं परसों रवाना होऊंगा। हम वहीं मिलेंगे।"

तुली ने फोन बंद किया फिर पास बैठे आदमी से कहा।

"माईक कहता है कि मैं तुमसे पूछूं कि अमेरिका में मुझे कहां पहुंचाया जा रहा है?"

"हां, मुझे इस बात के ऑर्डर मिल चुके हैं कि इस बारे में तुम्हें बता दूं। तुम्हारी मंजिल वूस्टर है।"

"वूस्टर?" तुली बोला--- "ये कहां है?"

"बोस्टन से 40 मील दूर पड़ता है वूस्टर शहर। शांत और सुरक्षित जगह है ये। न्यूयॉर्कसे बहुत दूर।" वो मुस्कुराया--- "मेरा काम तुम्हें वूस्टर तक सुरक्षित पहुंचाना है। मैं तुम्हारे पास ही रहूंगा हर वक्त, लेकिन साथ नहीं। मेरा काम तुम पर नजर रखना होगा कि कोई तुम्हें नुकसान न पहुंचाए। बोस्टन एयरपोर्ट से निकलते ही, तुम्हें रिवाल्वर दे दी जाएगी, जिसके होते हुए तुम खुद को सुरक्षित महसूस करोगे। एयरपोर्ट से तुम टैक्सी लेकर कैंडल स्टेशन जाओगे। वहां से बस लेकर, पार्क स्ट्रीट जाओगे। उधर पास से ही ग्रीनलाइन बस लेकर तुम आर्लिंगटन आ जाओगे। आर्लिंगटन से ग्रेहाउंड कंपनी की बस मिलेगी, जो तुम्हें डेढ़-दो घंटों में वूस्टर पहुंचा देगी। 40 मील का छोटा-सा सफर होगा ये।"

तुली ने गंभीरता से सिर हिलाया।

"माईक वहीं पर मुझे मिलेगा?"

"ये मैं नहीं जानता।" उसने इंकार में सिर हिलाया--- "वूस्टर के उस फ्लैट में तुम्हें पहुंचाना मेरा काम है। उसके बाद इस बारे में मुझे कोई आर्डर मिलता है तो, वो बाद की बात है।"

"तुम एजेंट के तौर पर, कहां पर रहते हो?"

"मेरी ड्यूटी फिक्स नहीं है ।वैसे मैं फील्ड में माईक के अंडर हूं।" उसने बताया।

"तुम्हारा नाम?"

"हैरिसन कह सकते हो मुझे।"

"एजेंट होने के साथ-साथ मैं मेकअप में एक्सपर्ट हूं। किसी की हैंडराइटिंग भी हूबहू उतार लेता हूं। किसी की आवाज की कॉपी करनी हो तो वो भी कर लेता हूं। मैं इंग्लिश, हिन्दी, जैपनीज, रशियन और फारसी भाषाएं बोलता हूं। इन सब चीजों में एक्सपर्ट होने के लिए मैंने कई साल लगाए हैं, उसके बाद मैं फील्ड में आया।" हैरिसन ने कहा।

तुली ने कुछ नहीं कहा।

"जो तुम्हारे साथ हुआ है, वो अक्सर एजेंटों के साथ हो जाता है। कोई एजेंट जब एजेंसी के लिए खतरनाक हो जाता है तो उसे खत्म करना ही पड़ता है। C.I.A. के ऐसे कई मामले मेरे सामने हैं।" हैरिसन मुस्कुरा कर बोला--- "जासूसी के काम में ये सब होना सामान्य बात है। ऐसे केस में मैं दो एजेंटों को शूट कर चुका हूं।"

"सच में जासूसी एक खतरनाक खेल है।" तुली मुस्कुरा पड़ा।

"बहुत ही खतरनाक।"

"मैंने कभी नहीं सोचा था कि मुझ पर ये वक्त आएगा।"

हैरिसन मुस्कुराकर रह गया।

अगले दिन माईक से तुली की बात हुई।

"तुमने पासपोर्ट देख लिया अपना।" माईक की आवाज कानों में पड़ी--- "ठीक लगा?"

"ठीक ही होगा। ये सब बातें तुम जानो।"

"आज रात सात बजे ही बोस्टन के लिए फ्लाइट है। उसमें तुम्हारी सीट बुक करा दी गई है।"

"समझ गया।"

"हैरिसन ने तुम्हें सब समझा दिया होगा।"

"हां, बताया है उसने।"

"सफर में वो तुम्हारे करीब ही रहेगा। वो समझदार एजेंट है और तुम्हें कोई तकलीफ नहीं आने देगा।"

"तुम कब मिलोगे मुझसे?"

"मैं कल न्यूयॉर्क के लिए रवाना हो जाऊंगा। उसके बाद हालात देखूंगा, फिर तुमसे मिलने आऊंगा।"

"जहां मैं जा रहा हूं, वहां मुझे खतरा नहीं होगा?" तुली ने पूछा।

"किसी को तुम्हारे बारे में पता नहीं तो खतरा कैसे तुम तक पहुंचेगा। निश्चिंत रहो। सब ठीक है।" माईक ने कहा--- "अब हम अमेरिका में ही मिलेंगे।" माईक ने कहा और फोन बंद कर दिया था।

हैरिसन ने उसके लिए नए कपड़े और बैग ला लिया था।

इस तरह तुली सुरक्षित इंडिया से निकल गया था।

■■■

R.D.X. न्यूयॉर्क पहुंचे।

सैवन इलैवन भी विमान में था, परंतु उनसे अलग था। जैसे कोई वास्ता ही न हो उनसे।

सैवन इलैवन मेकअप में था। आंखों पर सफेद शीशे का चश्मा था। गालों पर हल्की दाढ़ी। पासपोर्ट में भी ये तस्वीर लगी थी। हालांकि ये ज्यादा बढ़िया मेकअप नहीं था चेहरा बदलने के लिए, परंतु सैवन इलैवन को इस बात की कोई परवाह नहीं थी कि वो पहचाना जाता है या नहीं। उसका पूरा ध्यान अपने लक्ष्य की तरफ था। लक्ष्य था माईक को खत्म करना और तुली के बारे में जानकारी पाकर R.D.X. को बताना।

R.D.X. और सैवन इलैवन के बीच संपर्क माध्यम उनके मोबाइल फोन थे।

एयरपोर्ट से क्लीयरेंस के पश्चात वे अपने-अपने रास्ते पर निकल गए।

सैवन इलैवन ने R.D.X. को बता दिया कि उन्हें कहां ठहरना है। वे सिक्स्थ रोड पर स्थित न्यूयॉर्क होटल पहुंचे, जो कि अपने नाम से उल्टा छोटा-सा होटल था। सिर्फ पच्चीस छोटे-छोटे कमरे थे। होटल का मालिक इंडियन था। रमेश रस्तोगी नाम था उसका। रिसेप्शन पर जब वे पहुंचे तो रमेश रस्तोगी भी वहां आ पहुंचा था।

उन्होंने रजिस्टर में एंट्री की और पास खड़े बॉय से बोला।

"साहब को दूसरी मंजिल पर, पांच नंबर कमरा दे दो।"

दूसरी मंजिल पर सीढ़ियों के सहारे ही पहुंचना पड़ा।

वेटर उन्हें पांच कमर नंबर कमरे में छोड़ गया। कमरा काफी बड़ा था। वहां चार डबल बेड लगे थे। राघव ने आगे बढ़कर खिड़की से पर्दा हटाया तो सामने व्यस्त सड़क को पाया। कार, वैन और अन्य कई तरह के वाहन आ-जा रहे थे। कारों की संख्या बहुत ज्यादा थी।

तभी रमेश रस्तोगी वहां आ पहुंचा।

"कमरा आपको पसंद आया होगा। ये कमरा सिर्फ खास मेहमानों को ही देता हूं मैं।" वो बोला।

"हम खास हैं?" राघव खिड़की से हटता कह उठा।

"यकीनन। तुम लोग F.I.A. के काम से यहां हो तो खास ही होगे।"

R.D.X. की नजरें मिलीं।

"हमें जानते हो?" धर्मा ने पूछा।

"अच्छी तरह से। मैं भी F.I.A. से हूं यह होटल भी F.I.A. का है। मुझे तुम लोगों के पहुंचने की खबर पहले ही मिल गई थी, तभी तो मैं रिसेप्शन पर मौजूद था। इस जगह को अपना ही घर समझिए।"

"सब कुछ जानते हो तुम?" धर्मा बोला।

"सब कुछ नहीं जानता। जैसा कि आप किस काम से आए हैं, मैं नहीं जानता, परंतु आपकी सहायता करना मेरा काम है।" रमेश रस्तोगी ने कहा।

"कब से हो यहां पे?"

"दो साल से। जब मुझे यहां से जाना होगा तो सरकार की नजरों में मैं ये होटल किसी और को बेच दूंगा। यानी कि वो F.I.A. का ही आदमी होगा। अभी तो मेरी ड्यूटी यहीं पर, इस होटल को चलाने की और खास मेहमानों की देखभाल करने की है। मेरे लायक कोई सेवा हो तो कहिए। कोई काम जो मैं कर सकूं।"

"अभी तो कुछ नहीं।"

"आप लोग निश्चिंत होकर यहां रहिए। कोई खतरा आया तो इस दीवार पर लगा पीला बल्ब जलने-बुझने लगेगा। ये इस बात का संकेत होगा कि खतरा ज्यादा है और मैं संभाल नहीं पा रहा हूं। अपने को बचाने की कोशिश स्वयं करो।"

"हम समझ गए।" धर्मा ने कहा।

"तुम्हें हमारे अलावा किसी और के भी आने की खबर थी?" एक्स्ट्रा बोला।

"और कौन?" रमेश रस्तोगी ने मुस्कुराकर एक्स्ट्रा को देखा।

जवाब में वे चुप रहे।

"सैवन इलैवन की बात कर रहे हैं आप?" रमेश रस्तोगी कह उठा।

"तुम्हें पता है?"

"सैवन इलैवन ने ही मुझे आपके बारे में खबर दी थी। मैं जानता हूं कि वो भी न्यूयॉर्क आ पहुंचा है। सैवन इलैवन का अमेरिका आना बेहद सामान्य बात है। वो अक्सर किसी-न-किसी मिशन के तहत अमेरिका आता रहता है। जरूरी नहीं कि तब वो यहां भी आए। कई बार तो मुझे उसके जाने के बाद उसके कारनामों से खबर मिलती है कि वो आया था और चला भी गया। वो सच में बहुत ही फुर्तीला और खतरनाक एजेंट है। जब वो फील्ड में आता है तो घायल शेर जैसा होता है। उसका पूरा ध्यान सिर्फ अपने काम पर होता है और...।"

"उसका नाम क्या है?"

"सैवन इलैवन।"

"मैंने नाम पूछा है।"

"एजेंट का नंबर ही उसका नाम होता है। F.I.A. में। हम नंबर से ही एजेंट को पहचानते हैं। नाम नहीं जानते।"

"यहां F.I.A. के और एजेंट भी होंगे।"

"अवश्य! परंतु उनके बारे में मैं नहीं जानता कि वे कहां रहते हैं। उन्हें मेरी जरूरत पड़ती है तो वे मुझसे संपर्क बना लेते हैं।" रमेश रस्तोगी ने कहा--- "अब मैं चलता हूं, कई काम करने हैं। मेरा फोन नंबर नोट कर लीजिए। जरूरत पड़ने पर आप लोग मुझसे बात कर सकते हैं।"

अपना फोन नंबर देकर रस्तोगी चला गया।

R.D.X. की नजरें मिलीं।

धर्मा ने आगे बढ़कर दरवाजा बंद किया और पलट कर कह उठा।

"लगता है दुनिया-भर में F.I.A.की जड़ें बहुत गहरी हैं। हमने F.I.A. को कम आंका है।"

"जिन्न का दूसरा रूप है F.I.A.। इंडिया की खतरनाक गुप्त जासूसी संस्था।" एक्स्ट्रा बोला--- "हमने पहले कभी F.I.A. को गंभीरता से नहीं लिया, परंतु अब धीरे-धीरे हमें F.I.A. का असली चेहरा नजर आ रहा है।"

"दुनिया-भर में दो जासूसी एजेंसियां ही खतरनाक मानी जाती थीं पहले--- अमेरिका की C.I.A. और रूस की के.जी.बी.। परंतु इंडिया की F.I.A. के बारे में अब हम महसूस कर रहे हैं कि ये सबसे खतरनाक जासूसी एजेंसी है।" राघव ने कहा।

"सैवन इलैवन जैसे जाने कितने खतरनाक एजेंट होंगे F.I.A. में।" धर्मा ने कहा--- "ये पक्की बात है कि दुनिया के हर देश में F.I.A. एजेंटों की मजबूत चैन फैली हुई है। F.I.A. के हाथ इतने लंबे हैं कि ये एजेंसी दुनिया में कहीं भी, जब भी चाहे छेड़छाड़ कर सकती है। मेरे ख्याल से ये बात तुली को भी पता होगी।" धर्मा ने एस्ट्रा और राघव को देखा।

"क्यों नहीं, जरूर पता होगी।" राघव ने सिर हिलाया।

"तो उसने कैसे सोच लिया कि माइक का हाथ पकड़कर F.I.A. से अपने को बचा लेगा?"

"तुली बुरी तरह फंस चुका है।" एक्स्ट्रा ने गंभीर स्वर में कहा--- "F.I.A. उसे खत्म करना चाहती है तो तुली सिर झुकाए F.I.A. के सामने आने से तो रहा कि मुझे मार दो। हर इंसान ऐसे मौके पर अपनी जिंदगी बचाने का प्रयत्न करेगा। वही इस वक्त तुली कर रहा है। माईक का दामन थामना तुली की मजबूरी हो गई थी। वो एक चांस ले रहा है खुद को बचाने का।"

"मत भूलो कि हम भी F.I.A. के निशाने पर हैं।" राघव ने कहा।

R.D.X. की नजरें मिलीं।

"अगर हम तुली को मारने में सफल न हुए तो F.I.A. हमें मार देगी। सैवन इलैवन और हमारे बीच यही तय हुआ है।"

"हम सफल हो जाएंगे।" एक्स्ट्रा के दांत भिंच गए।

"पहले पता तो चले कि तुली कहां है?"

"इस बात की खबर सैवन इलैवन हमें देगा। तभी हमें हरकत में आना है।"

"हमें यहां आराम से बैठकर उस वक्त का इंतजार करना चाहिए, जब सैवन इलैवन हमें तुली के ठिकाने के बारे में बताएगा।"

बरबस ही राघव मुस्कुरा पड़ा।

"तेरे को क्या हुआ?" धर्मा ने पूछा।

"F.I.A. के बारे में सोच रहा हूं। यूं तो लोगों के सिरों पर हम तलवार बनकर लटकते हैं और आज F.I.A. हमारे सिर पर तलवार के रूप में लटक रही है।" राघव कह उठा।

"कोई बात नहीं। कभी-कभी ऊंट भी पहाड़ के नीचे आता है तो उसे दूसरे की ऊंचाई का पता चलता है। यही अब हमारे साथ हुआ है।"

"बुरा हुआ है।" एक्स्ट्रा गहरी सांस लेकर बड़बड़ा उठा।

■■■

वूस्टर में तुली को जहां ठहराया गया, वो शांत जगह पर बसी एक कॉलोनी का फ्लैट था। वूस्टर में हरियाली ज्यादा थी। यहां ज्यादातर किसान परिवार ही बसते थे, परंतु बाकी भी सब तरह के बिजनेस थे। अन्य जगहों के मुकाबले यहां शोर-शराबा न के बराबर था। यहां अच्छी जिंदगी बिताई जा सकती थी।

तुली का पूरा सफर आरामदेह और सुरक्षित रहा था।

हैरिसन साए की तरह उस पर नजर रखें रहा। पीछा करता रहा।

परंतु फ्लैट पर पहुंच कर वे इकट्ठे हो गए।

"तुम मेरे पास रहोगे?" तुली ने हैरिसन से पूछा।

"हां, माईक कहता है कि जब तक वो नहीं आता, तब तक मैं तुम्हारे पास रहूं।"

"माईक कहां है?"

"इंडिया से चल चुका है। कल दोपहर बाद उसकी फ्लाइट न्यूयॉर्क पहुंचेगी।" हैरिसन ने बताया।

"माईक यहां नहीं आ रहा?"

"अभी नहीं।" वो न्यूयॉर्क में सीधा अपने ऑफिस जाएगा। उसने इस बात का ध्यान रखना है कि F.I.A. वाले उसके पीछे न लगे हों। जब उसे तसल्ली हो जाएगी कि सब ठीक है, तब वो इधर आएगा। तुम यहां मजे से रहो। तुम्हें कोई खतरा नहीं इधर।"

"F.I.A. को मैं तुमसे ज्यादा अच्छी तरह जानता हूं। वो मुझे ढूंढ लेंगे।"

"वहम में मत पड़ो।"

"मेरी बात पर शक मत करो F.I.A. के हाथ बहुत लंबे हैं।" तुली ने गंभीर स्वर में कहा।

"C.I.A. से ज्यादा लंबे हैं?" हैरिसन ने पूछा।

"ये तो मैं नहीं जानता, परंतु इतना कह सकता हूं कि C.I.A. से कम लंबे नहीं है।"

"छोड़ो इन बातों को। दो-चार दिन में सब ठीक लगने लगेगा। बीती बातों को तुम भूल जाओगे।"

■■■

दो दिन बाद माईक का फोन है हैरिसन के फोन पर आया।

तुली ने माईक से बात की।

"तुम ठीक हो तुली?" उधर से माइक ने पूछा।

"हां।"

"अब तुम सुरक्षित हो चुके हो। F.I.A. को हवा भी नहीं मिल सकती कि तुम कहां हो। वो तुम्हें मुंबई में ढूंढ रहे होंगे।"

"अच्छा ही होगा, अगर ऐसा हो रहा है।" तुली बोला।

"ऐसा ही हो रहा है। तुम अब C.I.A. के हाथों में हो।"

तुली ने गहरी सांस ली।

"कुछ दिन आराम करो तुम। उसके बाद मैं तुम्हारे पास आऊंगा।"

"तुमने यहां पर मेरी सुरक्षा के लिए ज्यादा कुछ नहीं किया। हैरिसन ही है मेरे पास।" तुली ने कहा।

"डरो मत। वूस्टर में तुम्हें कोई खतरा नहीं है।"

"सच कह रहे हो?"

"हां। और जरूरत पड़ी तो हैरिसन वूस्टर स्थित स्थानीय एजेंटों को बुला लेगा। हैरिसन जानता है कि उसे क्या करना है।"

"मैं डर नहीं रहा, लेकिन F.I.A. से हमें सतर्क रहने की जरूरत है।" तुली ने कहा।

"यही वजह है कि मैं फौरन तुम्हारे पास नहीं आया। हम पूरी तरह सतर्कता बरत रहे हैं। तुम वहां मजे करो।"

तुली ने फोन हैरिसन को वापस दे दिया।

हैरिसन ने माईक से बात करने के बाद फोन बंद करके जेब में रखा और कहा।

"आज रात हम डिनर के लिए बाहर चलेंगे। तुम्हें खुली हवा की जरूरत है। बदलाव चाहिए तुम्हें। पेट-भर कर वाइन लेंगे डिनर से पहले, नहीं मैं भी थक चुका हूं। आज हम दोनों मौज करेंगे तुली। माईक में हमें मौज-मस्ती की इजाजत दे दी है।"

तुली ने मुस्कुराने की चेष्टा की, परंतु सिर पर सवार F.I.A. के खौफ ने उसे मुस्कुराने नहीं दिया।

■■■

सैवन इलैवन ने कार को एक छोटे, किंतु खूबसूरत मकान के सामने पार्क किया। सड़क के दोनों तरफ एक कैसे खूबसूरत मकान कतार में बने आगे को जाते नजर आ रहे थे। दोपहर के ढाई बज रहे थे। इक्का-दुक्का लोग आते-जाते नजर आ रहे थे। कभी-कभार वहां से कोई कार भी निकल जाती थी। शांत जगह थी ये।

सैवन इलैवन कार में ही बैठा रहा। उसकी निगाह बार-बार सामने के मकान की तरफ उठ रही थी।

तभी उसका फोन बजा।

"कहो।" सैवन इलैवन ने बात की।

"स्कूल वैन आ रही है।"

"ठीक है।" सैवन इलैवन ने कहकर फोन वापस जेब में रखा और कार का दरवाजा खोलकर बाहर निकला।

ठीक इसी वक्त सामने के मकान का दरवाजा खुला और तीस वर्षीय युवती बाहर निकली। उसने पायजामा और स्कीवी पहन रखी थी। पांवों में स्लीपर थे। सैवन इलैवन को अपने घर के बाहर खड़े देखकर वो ठिठकी फिर आगे बढ़ आई।

"हैलो!" सैवन इलैवन ने मुस्कुराकर कहा--- "मैं माईक से मिलने आया हूं। उसका दोस्त हूं।"

"सॉरी।" युवती मुस्कुराई--- "माईक ऑफिस में है।"

"ओह!"

तभी सामने से स्कूल वैन आती दिखाई दी।

"एक मिनट।" वो बोली--- "मैं अपने बच्चे को ले लूं।" कहकर वो आगे बढ़ गई।

सैवन इलैवन बेहद शांत ढंग से खड़ा रहा।

तभी वैन पास आकर रुकी। दरवाजा खुला और छः बरस का बच्चा बैग हाथ में थामे नीचे उतरा। वैन का दरवाजा बंद हुआ और वो आगे बढ़ गई। युवती ने उसका बैग पकड़ लिया। सामने सैवन इलैवन को खड़े देखकर वो बोला।

"ये अंकल कौन हैं मम्मा?"

"तुम्हारे पापा के दोस्त हैं।"

वे दोनों सैवन इलैवन के पास पहुंचे।

"मैं आपको तकलीफ नहीं देना चाहता।" सैवन इलैवन बोला--- "पर क्या आप माईक से फोन पर मेरी बात करा सकती हैं?"

"क्यों नहीं, आइए।"

सैवन इलैवन उनके साथ घर के भीतर आ पहुंचा।

"आपका नाम क्या है?" सैवन इलैवन ने पूछा।

"लोला। मैं माईक की पत्नी हूं।"

"आपसे मिलकर खुशी हुई।" सैवन इलैवन की नजरें मकान के भीतर का माहौल देखने की कोशिश कर रही थीं।

"बैठिए। मैं अभी माईक से फोन पर बात कराती हूं, आपका नाम क्या है?"

"सैवन इलैवन?"

लोला के मस्तिष्क को तीव्र झटका लगा। वो चौंककर सैवन इलैवन को देखने लगी।

बच्चा दूसरे कमरे में जा चुका था।

लोला को चौंकते पाकर सैवन इलैवन के होंठ सिकुड़े। वो मुस्कुरा पड़ा।

दोनों की नजरें मिलीं।

"तुम इंडियन हो?" लोला की आवाज में हल्की-सी सख्ती आ ठहरी थी।

"हां।"

"F.I.A. से हो।"

"कैसे जाना?"

"माईक चार दिन पहले इंडिया से लौटा तो उसने सैवन इलैवन के बारे में मुझे बताया था।" लोला गंभीर स्वर में बोली--- "साधारण-सा जिक्र हुआ था, परंतु मैं तुम्हें पहचान गई हूं। तुम यहां क्यों आए हो?"

"मुझे तुली चाहिए।" सैवन इलैवन का स्वर सख्त हो गया।

"तुम्हारा यहां आने का कोई मतलब नहीं। जो बात करनी है माईक से करो।" लोला ने कहा।

"मुझे तुली चाहिए।" सैवन इलैवन का स्वर कठोर हो गया।

लोला कुछ पल सैवन इलैवन को देखती रही, फिर बोली।

"तुम्हारा नाम क्या है?"

"विक्रांत।" सैवन इलैवन बोला।

"मिस्टर विक्रांत!" लोला कह उठी--- "आप चले जाइए यहां से। मैं सोच सकती हूं कि आप क्या सोचकर यहां आए हैं।"

"क्या?"

"मेरे द्वारा आप माईक पर दबाव बनाएंगे कि वो तुली को आपके हवाले कर दे।"

"सही समझी आप मिसेज माईक--- मैं...।"

"मैं C.I.A. की बेहतरीन एजेंट रही हूं और ब्लैक बैल्ट हूं।" लोला कठोर स्वर में बोली--- "परंतु अपने बच्चे का ध्यान रखने के लिए मैंने नौकरी छोड़ दी। तुम मुझ पर काबू नहीं पा सकते।"

'इस गलतफहमी में मत रहो।"

"तुम इंडियन औरतों की इज्जत करते हो। मैंने सुना है।"

"मैं सिर्फ अपने फायदे की इज्जत करता हूं।" सैवन इलैवन का स्वर कठोर हो गया

लोला सतर्क-सी नजर आने लगी।

"सैवन इलैवन की खतरनाक निगाह लोला पर टिकी थी।

"मैं तुम पर काबू पाना चाहता हूं। यहां तुम्हारा बेटा भी है। वो भी मेरे काबू में रहेगा और मैं माईक से बात करूंगा।"

"तुम मुझ पर काबू नहीं पा सकोगे।" लोला ने सख्त स्वर में कहा।

सैवन इलैवन लोला की तरफ बढ़ा।

"वहीं रुक जाओ विक्रांत।"

सैवन इलैवन आगे बढ़ता रहा। नजरें लोला पर थीं।

"मेरा बेटा घर पर है।" लोला दांत भींचकर कहा--- "मैं उसे झगड़े नहीं दिखाना चाहती। रुक जाओ।"

सैवन इलैवन नहीं रुका।

उसके पास पहुंचते ही लोला ने अपने शरीर को बेहद तेजी से हरकत दी। उसके पांव की ठोकर सैवन इलैवन की टांग पर पड़ी। और हाथ का घूंसा चेहरे पर। सैवन इलैवन पलटकर पीछे जा गिरा।

उसी पल लोला ने उस पर छलांग लगाई और उसके ऊपर जा गिरी।

सैवन इलैवन के होंठों से कराह निकली।

लोला ने फुर्ती से अपनी बांह सैवन इलैवन की गर्दन के गिर्द लपेट ली थी।

"मिस्टर विक्रांत!" लोला भिंचे स्वर में कह उठी--- "मैं झगड़ा नहीं चाहती। मेरा-तुम्हारा कोई मतलब नहीं। तुमने जो बात करनी है, वो माईक से कहो। मैं नहीं चाहती कि मेरा बच्चा झगड़ा देखे। मैं तुम्हें आजाद कर सकती हूं अगर तुम यहां से जाने का वादा करो तो?"

"तुम मुझे अच्छी तरह जकड़ लो। तुम्हारे पास आखिरी मौका है?" सैवन इलैवन शांत स्वर में बोला।

"क्या मतलब?"

उसी पल सैवन इलैवन ने अपने ऊपर पड़ी लोला की कमर में कोहनी का तीव्र वार किया। लोला के होंठों से कराह निकली। गर्दन पर लिपटी बांह मात्र पल-भर के लिए ढीली पड़ी। सैवन इलैवन ने उसी पल का फायदा उठाते हुए उसकी बांह को फुर्ती से झटका देते हुए अपनी गर्दन से जुदा किया और करवट ले ली।

सैवन इलैवन सीधा हुआ तो लोला उस पर से हटकर नीचे जा गिरी।सैवन इलैवन उछल कर खड़ा हो गया।

लोला भी कम फुर्तीली नहीं थी। वो भी खड़ी हो चुकी थी।

दोनों ने एक-दूसरे को देखा।

अब लोला पूरी तरह लड़ने के मूड में थी। वो समझ गई कि ये इंडियन एजेंट यहां से जाने वाला नहीं।

सैवन इलैवन ने कठोर निगाहों से लोला को दिखा, फिर कह उठा--- "तुम बेकार की कोशिश कर रही हो। मुझसे जीत नहीं सकती।"

"अभी पता चल जाएगा।"

सैवन इलैवन लोला की तरह बढ़ा।

तभी लोला उछली और पैर का जबरदस्त वार सैवन इलैवन के चेहरे पर किया।

सैवन इलैवन सतर्क था और आसानी से उसके वार को बचा गया, साथ ही फुर्ती से लोला का पैर पकड़ा और तीव्र झटके के बाद छोड़ दिया। लोला कुर्सी से टकराती हुई नीचे जा गिरी। माथे से खून बह निकला।

सैवन इलैवन उसके पास पहुंचा और जूते की ठोकर उसकी कमर में मारी।

लोला चीखी पीड़ा से, साथ ही उसने सैवन इलैवन की टांग पकड़ी, परंतु तभी सैवन इलैवन का जोरदार घूंसा उसके सिर पर पड़ा तो उसने टांग छोड़कर दोनों हाथों से अपना सिर थाम लिया।

सैवन इलैवन उसके पास खड़ा रहा।

दो पल भी नहीं बीते कि लोला बैठे-बैठे उछली और सिर की जबरदस्त चोट सैवन इलैवन के पेट पर करने की चेष्टा की। ये ऐसा वार था कि कामयाब होने पर सैवन इलैवन दस मिनट के लिए बेकार हो जाता, परंतु सैवन इलैवन सतर्क था। लोला का सिर उसके पेट तक पहुंचा ही था कि खुद को बचाते हुए अपनी बांह उसने लोला की गर्दन के गिर्द लपेट ली। मात्र छोटा-सा झटका अब लोला की हड्डी तोड़ सकता था।

लोला ने हाथ के इशारे से उसे गर्दन छोड़ने को कहा।

सैवन इलैवन ने बांह की पकड़ जरा ढीली की तो लोला हांफते हुए बोली।

"मैं हार गई।"

सैवन इलैवन ने उसकी गर्दन से बांह हटा ली तो लोला गहरी-गहरी सांसें लेने लगी।

"कोई चालाकी मत करना।" सैवन इलैवन बोला कठोर स्वर में बोला।

"नहीं करूंगी।"लोला ने सैवन इलैवन को देखा।

तभी उसका बेटा कपड़े चेंज करके वहां आ पहुंचा।

"मम्मा, खाना दो। ओह, तुम्हारे माथे से खून बह रहा है।" वो कह उठा।

"पांव फिसल गया था। मैं तुम्हारे लिए लंच तैयार करती हूं।" लोला ने सैवन इलैवन को देखा--- "मिस्टर विक्रांत! मुझे दस मिनट का वक्त दे दो, ताकि मैं टेम्स को लंच दे दूं।"

"जल्दी करो। मैंने तुम्हारे हाथ-पैर बांधने हैं।"

सामने ही ओपन किचन था।

लोला वहां पहुंची और नूडल बनाने की तैयारी करने लगी। छिपी निगाहों से वो कभी-कभार सैवन इलैवन को भी देख लेती थी। उसकी इरादे ठीक नहीं लग रहे थे। नूडल बनाते-बनाते उसने एक खाना खोलकर एक डिब्बा निकाला और उसे शैल्फ पर रखने के बाद खोला। उसके बीच में पिस्टल पड़ी नजर आई।

लोला गैस पर रखे बर्तन में नूडल्स डालती कह उठी।

"क्या तुम भी कुछ खाना पसंद करोगे मिस्टर विक्रांत?"

"नहीं।"

तभी लोला ने उस डिब्बे में से पिस्टल निकाली और फुर्ती से पलटी। चेहरे पर खतरनाक भाव थे।

परंतु अगले ही पल ठगी-सी रह गई।

सैवन इलैवन के चेहरे पर मुस्कान नाच रही थी। उसके हाथ में रिवाल्वर दबी थी, जिसकी नाल उसके बेटे टेम्स के सिर से सटी हुई थीम टेम्स के चेहरे पर हैरानी थी।

लोला का पिस्टल वाला हाथ नीचे झुकता चला गया।

"तुम मुझसे नहीं जीत सकती। अपनी पिस्टल मेरी तरफ फेंक दो।" सैवन इलैवन ने कठोर स्वर में कहा।

लोला ने ऐसा ही किया।

"तुम सच में बहुत खतरनाक हो विक्रांत! माईक तुम्हारे बारे में ठीक ही कहता था।" वो हारे स्वर में कह उठी।

■■■

लोला के हाथ-पांव बंधे हुए थे। वो फर्श पर पड़ी थी। रह-रहकर वो खा जाने वाली नजरों से सैवन इलैवन को देख रही थी। उसके पास ही टेम्स बैठा नूडल्स खा रहा था। उसकी टांगें बंधी थीं, परंतु खाने के लिए हाथ आजाद थे।

सैवन इलैवन की निगाह उन पर थी और वो हाथ में दबे मोबाइल पर भी व्यस्त था।

"तुम भीतर आ जाओ।" सैवन इलैवन ने फोन पर कहा उसे बंद करके, जेब में रखा।

"तुम ठीक नहीं कर रहे विक्रांत! परिवार और काम दोनों अलग बातें हैं।" लोला गुस्से से कह उठी।

"मैं जिस काम के लिए निकलता हूं, उसे पूरा करके रहता हूं। बेशक इसके लिए मुझे जो भी करना पड़े, कोई एतराज नहीं। मेरे सब रिश्ते, सब धर्म, फर्ज, सब कुछ मेरा देश है। इंडिया सलामत है तो मैं सलामत हूं।" सैवन इलैवन ने मुस्कुराते हुए कहा और पास पड़े फोन का रिसीवर उठाकर नंबर मिलाने लगा।

"तुम क्या सोचते हो कि ये सब करके तुम C.I.A. के हाथों से बच जाओगे।" लोला दांत भींचकर बोली।

"मैं काम के वक्त काम करता हूं और सिर्फ काम के बारे में सोचता हूं। मेरा मिशन हर चीज से बड़ा होता है, यही सोचता हूं मैं, तभी तो हमेशा सफल रहता हूं।" सैवन इलैवन के चेहरे पर सामान्य भाव थे।

"तुम बुरा भुगतोगे।" लोला गुस्से से बोली।

"शांत रहो, इस तरह बोलते रहने का कोई फायदा नहीं। मुझे जो करना है, वो करना ही है।"

सैवन इलैवन ने रिसीवर कान से लगा लिया।

तभी एक आदमी ने भीतर प्रवेश किया। सैवन इलैवन ने उससे कहा।

"ये बच्चा, टेम्स नाम है इसका। जब नूडल खा ले तो इसे यहां से ले जाना।"

उस व्यक्ति ने सिर हिलाया।

"तुम ऐसा नहीं कर सकते।" लोला तेज स्वर में कह उठी।

"अपना मिशन पूरा करने के लिए, मैं सब कुछ कर सकता हूं, इस बच्चे की जान भी ले सकता हूं।"

"नहीं।" लोला चीखी।

सैवन इलैवन मुस्कुराया, तभी उसके कानों में आवाज पड़ी।

"यस, C.I.A. ऑफिस।"

"माईक से मेरी बात कराएं।" सैवन इलैवन बोला।

"तुम कौन हो?"

"सैवन इलैवन।"

"ये नाम नहीं हो सकता।" उधर से कहा गया।

"ये मेरा नंबर है। माईक पहचानता है मुझे। उसे लाइन दो।" सैवन इलैवन ने कहा।

"होल्ड करो।"

सैवन इलैवन ने लोला को देखा, जो गुस्से से उसे देख रही थी।

टेम्स के नूडल्स खत्म होने वाले थे। वो आदमी पास खड़ा था उसके।

तभी माईक की आवाज कानों में पड़ी।

"तो तुम अमेरिका पहुंच गए सैवन इलैवन?"

"हां, मैंने कहा था कि इंडिया में कोई गड़बड़ की तो अमेरिका पहुंच कर तुम्हें मारूंगा।" सैवन इलैवन बोला।

उधर से माईक के हंसने की आवाज आई।

सैवन इलैवन ने बेहद शांत भाव से उसकी हंसी सुनी।

"तुम बेकार हो। कुछ नहीं कर सकते सैवन इलैवन! वैसे मैंने तो तुम्हारे इंडिया में कुछ भी नहीं किया।"

"तुली को मेरे हवाले कर दो।" सैवन इलैवन ने शांत स्वर में कहा।

माईक की तरफ से आवाज नहीं आई।

सैवन इलैवन ने भी कुछ नहीं कहा।

"तो तुम्हें पता चल गया।" माईक का संभला स्वर कानों में पड़ा।

"तभी तो मुझे अमेरिका तक आना पड़ा।"

"सुनो सैवन इलैवन! तुली अब C.I.A. कस्टडी में है। वो अमेरिकी विदेश मंत्री ड्यूक हैरी की हत्या का सच बताएगा और गवाही भी देगा सामने आकर कि 'ऑपरेशन टू किल' ड्यूक हैरी को मारने के लिए, मिशन का नाम था। जिसे कि क्रोशिया में मारा गया था आठ साल पहले। तुम्हारे देश को इस बात का जवाब देना पड़ेगा कि ड्यूक हैरी की हत्या क्यों की गई?"

"क्योंकि वो ब्रिगेडियर छिब्बर से, हमारे देश के राज में लग रहा था।"

"अमेरिका इस तरह बनाकर ये मामला पेश करेगा कि ब्रिगेडियर छिब्बर इस मामले से हट जाएगा। ये सब करना है C.I.A. को। तुम भी एजेंट हो और जानते हो कि ये सब काम करने पड़ते हैं। तुली को भूल जाओ।वो अब पूरी तरह C.I.A. के साथ है और तुम्हें नहीं मिल सकता।"

"टेम्स?" उधर से माईक के चौंकने की आवाज आई--- "क्या किया है तुमने टेम्स को? वो कहां...?"

"इस वक्त मैं तुम्हारे घर पर हूं।"

"ओह!"

"टेम्स नूडल खा रहा है। नूडल खत्म करते ही, मेरा आदमी उसे ले जाएगा। तुम्हारे पत्नी लोला के हाथ-पांव बंधे हुए हैं और वो मुझे घूरे जा रही है। उसने बहुत अच्छी तरह मेरा मुकाबला करने की कोशिश क, परंतु मुझ पर काबू नहीं पा सकी। तुम तुली को मेरे हवाले नहीं करोगे तो मैं टेम्स की लाश तुम्हें भिजवा दूंगा।"

"तुम ऐसा नहीं कर सकते।" उधर से माईक के चीखने की आवाज आई--- "तुम टेम्स को...।"

"माईक! मैं सब कुछ कर सकता हूं। हम एजेंट हैं और अपने देश के लिए काम करते हैं। हमारा कोई धर्म नहीं होता। हमारे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात होती है, मिशन को पूरा करना, बेशक कैसे भी पूरा करें। टेम्स की जिंदगी मेरी नजरों में महत्व नहीं रखती। अगर तुम्हारे लिए रखती है तो तुम तुली को मेरे हवाले करके टेम्स को वापस ले लो।"

"तुम पागल हो गए...।"

"तुम पागल हो गए...।"

"तुली, माईक। तुली...।"

टेम्स ने नूडल खत्म कर लिए थे।

उसके पास खड़े व्यक्ति ने टेम्स की टांगें खोलीं।

"तुम मुझे कहां ले जा रहे हो?" टेम्स ने उस व्यक्ति से पूछा।

"सैर करने जा रहे हैं हम।" वो व्यक्ति बोला।

"मुझे होमवर्क करना है।"

"तुम्हारा होमवर्क अब माईक करेगा।" उस व्यक्ति ने उसकी बांह पकड़कर उसे उठाते हुए कहा।

"सुन रहे हो माईक! अब टेम्स को ले जाया जा रहा है।"

"ऐसा मत करो। वो बच्चा है।"

"मुझे सिर्फ अपने मिशन से प्यार है माईक!" सैवन इलैवन ने फोन पर कहा।

"तुम बुरे लोग होते हो।" टेम्स ने सैवन इलैवन को देखकर कहा।

"प्लीज टेम्स को यहीं रहने दो।" लोला थके स्वर में कह उठी--- "मैं माईक से बात करूंगी कि वो तुली को तुम्हारे हवाले कर दे।"

सैवन इलैवन ने अपने आदमी को इशारा किया।

"वो आदमी टेम्स से कह उठा।

"तुम्हारा आराम से मेरे साथ चलोगे या तुम्हें बेहोश करूं?"

"मुझे बेहोश मत करो, मैं आराम से चलूंगा।"

वो टेम्स को लिए बाहर की तरफ बढ़ गया।

"प्लीज!" लोला की आंखों में आंसू आ गए--- "टेम्स को मत जाओ।"

वो आदमी टेम्स के साथ बाहर निकल गया।

"अब टेम्स यहां नहीं है माईक!" सैवन इलैवन हंसकर कह उठा।

"तुम बहुत गलत हरकत कर रहे हो सैवन इलैवन! मेरे परिवार की तरफ तुम्हें देखना नहीं चाहिए...।"

"तुमने ही अभी कहा था कि हम एजेंट हैं और हमें सब कुछ करना पड़ता है। लोला यहां बंधी पड़ी है, आकर इसे खोल लेना और टेम्स की लाश दुनिया के जिस देश में चाहोगे, उसी देश में डिलीवर कर दूंगा।"

"सैवन इलैवन! तुम मेरी बात सुनो--- मैं...।"

सैवन इलैवन ने रिसीवर रखा और उठ खड़ा हुआ। लोला को देखा।

"तुम बच नहीं सकोगे।" लोला ने दांत भींचकर कहा।

"टेम्स चाहिए तो मुझे तुली दे दो।" सैवन इलैवन ने कहा और बाहर की तरफ बढ़ गया।

तभी फोन बजने लगा।

यकीनन वो माईक का फोन होगा।

परंतु सैवन इलैवन बाहर निकलता चला गया। उसके चेहरे पर किसी तरह का भाव नहीं था।

■■■

माईक ने अपने पड़ोस में फोन किया कि वो घर जाकर, लोला के बंधन खोल दे। माईक के चेहरे पर परेशानी का समुद्र नाच रहा था। सैवन इलैवन टेम्स को ले गया है, जो कि खतरनाक बात थी। टेम्स की वापसी के बदले वो तुली को चाहता है जो कि वूस्टर में सुरक्षित बैठा हुआ है।

माईक अपने केबिन से निकलकर तेजी से चीफ टॉम लैरी के केबिन की तरफ बढ़ गया।

सामने से विक्टर आता दिखा। वो उसे देखते ही बोला।

"क्या हो गया?"

"भारी मुसीबत आ गई है।" माईक ने आगे बढ़ते हुए कहा।

"लेकिन हुआ क्या?"

"सैवन इलैवन ने मेरे बेटे थे टेम्स का अपहरण कर लिया है।"

"सैवन इलैवन, तुम्हारा मतलब कि F.I.A.।" विक्टर उसके साथ ही वापस चलने लगा।

"हां, इंडिया की फेडरल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी। सैवन इलैवन उसी एजेंसी का खतरनाक एजेंट है।"

"ओह, लेकिन उसने ऐसा क्यों किया माईक?"

"क्योंकि मैं इंडिया में F.I.A. के एक एजेंट तुली को अमेरिका ले आया था। वो हमें ड्यूक हैरी की हत्या के बारे में बताना चाहता है।"

"ये बात मुझे तो नहीं पता थी। अब तुम क्या करोगे?"

"मैं तुमसे बाद में मिलता हूं विक्टर! पहले चीफ से बात कर लूं।"

विक्टर वहीं ठिठक गया क्योंकि सामने ही चीफ का कमरा था। फिर पलटकर वापस चल पड़ा।

माईक ने चीफ के कमरे में प्रवेश किया।

टॉम लैरी किसी से फोन पर बात कर रहा था, परंतु माईक का चेहरा देखते ही फोन पर बोला।

"मैं तुमसे बाद में बात करता हूं।" कहने के साथ ही रिसीवर रखा और माईक से बोला--- "क्या हुआ?"

और माईक सैवन इलैवन के बारे में सब बताता चला गया।

टॉम लैरी गंभीर दिखा।

"मैंने तुम्हें पहले ही कहा था कि सैवन इलैवन खतरनाक एजेंट है।"

"वो मेरे बेटे को ले गया है चीफ। कहता है तुली नहीं दिया तो टेम्स को मार देगा। वो सच में मार देगा। ये धमकी नहीं है।"

"F.I.A. को बहुत जल्दी ये खबर मिल गई कि तुली C.I.A. के पास है।"

"मैं खुद हैरान हूं।"

"तुमने ये बात किसको बताई थी?"

"किसी को भी नहीं। हमारे यहां से बात बाहर नहीं निकल सकती चीफ! ये F.I.A. का नेटवर्क है, जो कि काफी तेज है। आपने ये बात किसी से की क्या? F.I.A. के एजेंट हम लोगों में भी हो सकते हैं।"

"मैंने ऊपर अवश्य तुली के बारे में बात की थी, परंतु वहां से बात बाहर नहीं जा सकती। सच में F.I.A. बहुत तेज है।"

"मुझे टेम्स के बारे में चिंता है।" माईक ने परेशानी से कहा।

टॉम लैरी ने माईक को देखा, फिर सिर हिलाकर कहा।

"तुली की खैरियत जानो पहले।"

माईक ने टेबल पर पड़ा फोन अपनी तरफ किया और हैरिसन को फोन किया।

जल्दी ही बात हो गई।

"तुम ठीक हो?"

"हां, यहां सब ठीक है, क्यों क्या बात है?" हैरिसन ने उधर से पूछा।

"कुछ नहीं, यूं ही पूछा, मुझे बुरा सपना आया था, फिर फोन करूंगा।" माईक ने रिसीवर रख दिया।

टॉम लैरी ने इंटरकॉम पर एक एजेंट को कहा।

"माईक के बेटे का F.I.A. के एजेंट सैवन इलैवन ने अपहरण कर लिया है। पेट्रोल कारों को फौरन खबर कर दो कि कार में कोई बच्चा चीखता मिले तो उस कार का पीछा करके उसे पकड़ा जाए।"

"इससे टेम्स की जान को खतरा हो सकता है चीफ!" माईक ने व्याकुल स्वर में कहा।

"तुम अपने पर काबू रखो। सैवन इलैवन अमेरिका में है, वो बचेगा नहीं।" चीफ टॉम लैरी ने रिसीवर उठाया और नंबर मिलाकर बात की--- "F.I.A. के जो एजेंट न्यूयॉर्क में नजर में हैं, उन्हें उठा लो। उसके बाद मुझे खबर करना।" कहकर उसने रिसीवर रखा।

"इस तरह तो टेम्स को खतरा बढ़ जाएगा।"

"तो तुम बताओ माईक कि मैं क्या करूं?"

माईक होंठ भींचे सोचता रहा।

"मुझे हैरानी है कि लोला उस पर काबू नहीं पा सकी। वो लड़ने में माहिर है।"

"उसने कोशिश की थी, परंतु सैवन इलैवन तेज निकला--- वो...।"

तभी टेबल पर पड़ा फोन बजा।

टॉम लैरी ने बात की, फिर रिसीवर माईक की तरफ बढ़ाया।

"लोला से बात करो।"

माईक ने तुरंत बात की।

"तुम ठीक हो लोला!"

"हां, माईक!" लोला का भर्राया स्वर कानों में पड़ा--- "लेकिन टेम्स...।"

"हम कोशिश कर रहे हैं। टेम्स को हम बचा लेंगे। C.I.A. हरकत में आ चुकी है।"

"अगर विक्रांत पर दबाव बनाया गया तो...।"

"कौन विक्रांत?" माईक के होंठों से निकला।

"सैवन इलैवन का नाम विक्रांत है। उसने मुझे बताया था।"

"ओह!"

"अगर उस पर दबाव बनाया गया तो वो गुस्से में आकर टेम्स की जान ले लेगा।"

"उसे तुली चाहिए लोला! मुझे पूरा यकीन है कि वो सब्र के साथ काम लेगा। उसने तुम्हें अपना फोन नंबर बताया?"

"नहीं।"

"इसका मतलब वो जल्दी ही फोन पर बात करेगा। तुम फिक्र मत करो। मैं जल्दी ही घर आऊंगा। टेम्स वापस आ जाएगा। सब ठीक हो जाएगा। बार-बार मुझे फोन मत करना। मैं तुम्हें फोन करूंगा।" कहकर माईक ने रिसीवर रखा और टॉम लैरी से बोला--- "उसका नाम विक्रांत है। लोला को उसने अपना नाम बताया था।"

टॉम लैरी के चेहरे पर सोचें दौड़ रही थीं।

माईक उठते हुए बोला।

"कुछ करो चीफ!"

"कुछ ही देर में उसके कई एजेंट हमारे कब्जे में होंगे। वे बताएंगे कि सैवन इलैवन कहां है और टेम्स को कहां रखा गया है?"

"मैं अभी आता हूं।" माईक पलटकर बाहर निकलता चला गया। गैलरी पार करके हॉल में पहुंचा तो वहां स्टाफ बैठा दिखा।

"क्या हुआ माईक?" विक्टर ने पूछा--- "मैं तुम्हारी कोई सहायता कर सकता हूं?"

"तुम्हारे बस का कुछ नहीं।" माईक ने कह कर आगे बढ़ना चाहा।

"पैग लोगे छोटा-सा?"

"ठीक है।" माईक ठिठका और कुर्सी पर बैठता बोला--- "छोटा-सा बनाओ। मैं टेम्स के बारे में चिंतित हूं।"

टेबल की ड्राज में से बोतल और गिलास निकालकर विक्टर ने दो छोटे पैग बनाए। एक उसकी तरफ सरकाया।

"तुमने मुझे नहीं बताया कि इंडिया से F.I.A. के एजेंट को साथ ले आए हो।"

"इसमें बताने को कुछ था ही नहीं।"

विक्टर ने भी घूंट भरा।

"मुझे भी टेम्स की चिंता हो रही है, तुमने F.I.A. के उस एजेंट को कहां रखा है?" विक्टर ने पूछा।

माईक ने विक्टर को देखा।

"तुम क्यों पूछ रहे हो?"

"यूं ही, उत्सुकता... सैवन इलैवन की कोई तस्वीर है C.I.A. के पास?"

"नहीं।"

"ये तो समस्या वाली बात है, वो सामने भी आ जाए तो कैसे पहचाना जाएगा उसे?"

माईक ने एक ही सांस में गिलास खाली किया और उठते हुए बोला।

"मुझे काम है विक्टर! फिर बात करूंगा।"

माईक अपने केबिन में पहुंचा और इंटरकॉम पर चीफ टॉम लैरी से बात की।

"चीफ!" माईक ने कहा--- "विक्टर संदिग्ध है।"

"कैसे?"

"उसने मुझे व्हिस्की ऑफर की, फिर बातों-बातों में तुली के बारे में पूछा कि उसे कहां रखा है। ये एक ऐसा सवाल है, जो विक्टर को किसी भी कीमत पर नहीं पूछना चाहिए था। उसका अंदाज मुझे पूरी तरह शक से भरा लगा।"

"तुम्हारा मतलब कि वो F.I.A. को खबरें देता हो सकता है?"

"हां।"

"मैं तुम्हें एक पता बताता हूं।" चीफ टॉम लैरी की आवाज कानों में पड़ी--- "तुम विक्टर के साथ एक पैग और पियो और उसे वो पता बता कर कहो कि तुली को वहां रखा है। अगर विक्टर डबल एजेंट है तो ये बात सामने आ जाएगी।"

"ठीक है।"

■■■

इंडिया में आधी रात का समय!

दीवान का फोन बजा। तब वो नींद में एक कमरे में बेड पर था।

"हैलो!" दीवान ने कॉलिंग स्विच दबाकर फोन कान से लगाया।

"नींद में हो।" उधर से विक्टर की आवाज आई।

"यहां आधी रात हो रही है 776।"

"खबर है तुम्हारे काम की।"

"कहो।"

"मेरे पैसे तुम मेरे अकाउंट में डाल रहे हो न? मैं गोवा में फ्लैट खरीदने की सोच रहा हूं।"

"तुम्हारे बैंक अकाउंट में इतना पैसा इकट्ठा हो चुका है कि तुम बढ़िया फ्लैट ले सको।" दीवान ने कहा।

"शुक्रिया! अब जो खबर मैं तुम्हें बताने जा रहा हूं। उससे खुश होकर तुम काफी पैसा मेरे बैंक अकाउंट में डालोगे।"

"खबर बोलो।"

"सैवन इलैवन अमेरिका में है। तुम्हें पता ही होगा। वो तुली को ढूंढ रहा है, तुली का पता-ठिकाना जानने के लिए उसने माईक के बेटे का अपहरण कर लिया है, लेकिन मैं तुली का पता बता सकता हूं।"

"तो देर क्यों लगा रहे हो?"

"मैं तुम्हें समझा रहा हूं कि मैं तुम्हें महत्वपूर्ण खबर दे रहा हूं।"

"तुम्हारी खबर ठीक निकली तो तुम्हारे अकाउंट में ज्यादा पैसे डाले जाएंगे।"

"न्यूयॉर्क का पता नोट करो।" कहकर उधर से विक्टर ने एक पता बताया।

"थैंक्स!" दीवान बोला--- "मैं तुमसे एक बात कहना चाहता हूं 776।"

"क्या?"

"सतर्क रहो। जितनी तेजी से तुम खबरें दे रहे हो, उससे तुम्हारे फंस जाने का खतरा ज्यादा है।"

"मैं सावधान हूं। मेरी चिंता मत करो।"

"ये तो अच्छी बात है।" दीवान ने कहा और फोन बंद कर दिया।

■■■

न्यूयॉर्क!

सैवन इलैवन का फोन बजा।

"हैलो!"

"मैं दीवान... तुम न्यूयॉर्क में तुली के पीछे हो?" दीवान की आवाज कानों में पड़ी।

"हां।" सैवन इलैवन के होंठ सिकुड़े--- "तुम्हें कैसे पता चला?"

"एक पता नोट करो। यहां पर तुली हो सकता है।" इसके साथ ही दीवान ने न्यूयॉर्क का पता बताया।

पता सुनकर सैवन इलैवन ने फोन काटा और एक्स्ट्रा को फोन किया।

"हैलो!" उधर से एक्स्ट्रा की आवाज कानों में पड़ी।

"तुली के एक जगह होने की खबर है, पता नोट करो और वहां जाकर तुली को खत्म करो।" सैवन इलैवन ने कहा और दीवान का बताया पता बताया--- "तुली खत्म तो तुम तीनों F.I.A. से बच गए, नहीं तो तुम नहीं बच सकते।"

"तुली को खत्म ही समझो।" उधर से एक्स्ट्रा की आवाज आई और फोन बंद हो गया।

■■■

जो पता एक्स्ट्रा को बताया गया था, वो आठ मंजिला एक इमारत का था, जहां हर फ्लोर पर चार फ्लैट थे। व्यस्त सड़क के साथ लगती गली के भीतर जाकर वो इमारत थी।

R.D.X. वहां पहुंचे।

राघव की बांह पर जख्म लगभग ठीक ही था। दर्द खत्म हो चुका था। जख्म भर चुका था। जो थोड़ी-बहुत कमी थी, वो दो-तीन दिन में ठीक हो जानी थी। अब कोई काम करने में उसे परेशानी नहीं थी।

शाम के छः बज रहे थे।

न्यूयॉर्क इस वक्त बेहद व्यस्त नजर आ रहा था। सड़कों पर कारों की लंबी कतारें नजर आने लगी थीं। दिन की ड्यूटी वालों की ड्यूटी खत्म हो गई थी और शाम की ड्यूटी वाले अपने ठिकाने की तरफ बढ़ रहे थे। वैसे भी न्यूयॉर्क ऊंची इमारतों और कारों का शहर है। इंसान तो वहां चीटियों जैसे भागते नजर आते हैं।

"515 नंबर फ्लैट है।" एक्स्ट्रा बोला।

"पांचवी मंजिल पर।" राघव ने उसे देखा।

"वहां C.I.A. के लोग भी होंगे। तुली अकेला नहीं होगा।" धर्मा बोला।

"फ्लैट है। एक-दो लोग ही होंगे और वे सोच भी नहीं सकते कि वहां हमला होगा। वे निश्चिंत होंगे।"

"इतने भी निश्चिंत नहीं होंगे कि हमें काम करने में कोई परेशानी न हो।" धर्मा बोला--- "हमारे लिए वहां समस्या भी हो सकती है। ये न्यूयॉर्क है। इस काम में हमें हर हाल में सफल होना है, ताकि खुद को बचा सकें। काम के दौरान हम अलग हो गए तो रमेश रस्तोगी के होटल में ही मिलेंगे।"

"काम अभी करें या अंधेरा होने का इंतजार करें?" एक्स्ट्रा बोला।

"अभी।" राघव ने कहा--- "शाम के वक्त हर कोई थका-सा होता है और कम-से-कम किसी हमले के होने के बारे में सोच भी नहीं सकता। लापरवाह होता है। ये वक्त ठीक है।

राघव की निगाह उस इमारत के गेट की तरफ उठी।

वहां एक गार्ड खड़ा था, परंतु आने-जाने वाले आ-जा रहे थे। गेट पर खड़ा गार्ड इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दे रहा था कि कौन आ-जा रहा है।

"वो हमें भीतर जाने देगा।"

"आओ चले। अगर गार्ड ने रोका तो फिर भीतर जाने का दूसरा रास्ता तलाश करेंगे।" धर्मा बोला।

तीनों कुछ दूर नजर आ रहे गेट की तरफ बढ़ गए।

गार्ड खुले गेट के साथ टेक लगाए खड़ा था। अपनी ड्यूटी की तरफ उसका ध्यान नहीं था।

R.D.X. भीतर प्रवेश कर गए।

■■■

गार्ड ने फोन निकाला और नंबर मिलाया।

"कहो।" दूसरी तरफ से आवाज आई।

"अभी-अभी तीन ने गेट से भीतर प्रवेश किया है। वे इंडियन हैं और संदिग्ध लग रहे हैं।" गार्ड बोला।

"ठीक है।" इसके साथ ही उधर से फोन बंद कर दिया गया।

■■■

दस मिनट बाद ही R.D.X. 515 नंबर फ्लैट के बंद दरवाजे पर खड़े थे। चौथी मंजिल तक वे लिफ्ट से आए थे, उसके बाद पांचवी मंजिल तक सीढ़ियों से आए।

फ्लैट दूर-दूर बने हुए थे।

इस वक्त पांचवे फ्लैट पर पूरी तरह शांति थी।

R.D.X. की नजरें मिलीं।

आंखों-ही-आंखों में इशारे हुए, फिर वे फ्लैट के दरवाजे पर पहुंचे और बेल स्विच दबा दिया।

भीतर बेल बजने की आवाज बाहर सुनाई दी।

■■■