9 सितम्बर, रविवार, दोपहर
“लेकिन ये भूल कैसे हो सकती है ! विक्की को उस दिन गौरव कालिया के दोस्तों की फोटो दिखाई गई थी । उसमें उसने साफ़ रोहित की फोटो पहचानी थी ।” रणवीर अपने आपसे बड़बड़ाता हुआ बोला ।
“इसमें विक्की का कोई कसूर नहीं है, जनाब ! वह जो लड़का है न, वह मोहित गेरा ! जब हॉस्पिटल में मैंने देखा था, तो बिलकुल रोहित जैसा ही लग रहा था । दोनों के जुड़वा होने की वजह से ही विक्की से ये गफलत हुई है ।” रोशन वर्मा ने विक्की को सपोर्ट करने की कोशिश की ।
“वो तो ठीक है, वर्मा जी ! अब कोर्ट इस गफलत को थोड़े ही न मानेगी । वह तो कहेगी कि पहले रोहित को तुम्हारे गवाह ने पहचाना, फिर मोहित पर उंगली रख दी । अब बताओ, कोर्ट से पुलिस किसकी कस्टडी माँगे । कृष्ण के दिये गए मोबाइल फ़ोन के रिकॉर्ड में से रोहित की ही मौका-ए-वारदात पर मौजूदगी कन्फर्म होती है । रोहित गेरा दुर्गा कॉलोनी की वारदात से पहले ही हॉस्पिटल में एडमिट है । इस हिसाब से तो वह लड़का शक के दायरे से बाहर हुआ !”
“सर ! ये भी तो हो सकता है, रोहित का फ़ोन लेकर मोहित गेरा ही दुर्गा कॉलोनी गया हो ।”
“होने को तो कुछ भी सकता है । पर आजकल के लड़के दो-दो सिम वाले फ़ोन रखते हैं । कई तो दो-दो फोन रखते हैं, विद पॉवर बैंक ! पता नहीं, उनका कौन-सा बिजनेस चलता है इससे । मुझे तो ये बात दूर की कौड़ी लगती है । लगता नहीं है कि कोई लड़का ज्यादा देर तक अपना फ़ोन किसी दूसरे को देगा । खैर, इस मोहित गेरा के फ़ोन नंबर की ट्रेसिंग के लिए भी कृष्ण को कहना पड़ेगा ।”
“अब सुरेन्द्र कालिया के यहाँ तो हम चल ही रहें हैं । शायद वहाँ से हमें कुछ पता चल जाए ।”
कुछ समय के बाद उनकी पीसीआर सुरेन्द्र कालिया के शोरूम के आगे रुकी, जिसमें से रणवीर और रोशन नीचे उतरे लेकिन कदम सिंह पीछे गाड़ी में ही बैठा रहा । सुरेन्द्र कालिया उस वक्त अपने काउंटर पर ही बैठा था । अब क्योंकि दोपहर का समय हो चला था, इसलिए ग्राहकों की दुकान में भीड़ कम थी ।
“वेलकम जी, इंस्पेक्टर साहब ! अज्ज दोपहरी विच ! इस बखत ऐत्थे आए हो तुसी । सब खैरियत ता हेग्गी ?”
“सब खैरियत है, कालिया साहब ! बस आपसे कुछ बातें करनी थी । इसलिए आपके पास चला आया । डिस्टर्ब तो नहीं किया आपको ?”
“ओ नहीं, साहब ! तुहाडी दूकान ए । जब मर्जी आओ । चलो, असी दुकान दे पिछले पासे चलदें हाँ, आओ ! ओत्थे बैठ के गलां करांगे ।” वह उनके साथ उठकर शोरूम में पीछे बने रिटायरिंग रूम की ओर बढ़ चला ।
“हुण दस्सो तुसी । की गल्लां करनी-सी गी मेरे नाल ?”
“आप हमें ये बताइये, शोरूम के बिज़नेस के अलावा गौरव कुछ और काम भी करता था ?”
“नहीं जी । गारमेंट्स दा ही साड्डा मेन काम हेगा । ऐत्थे ही बन्दे कम पड़ जांदे हेंगे । अब गौरव दे जाण तों बाद ऐत्थे ताँ रहया ही कुछ नई ।” बेटे की याद आते ही उसका चेहरा दुःख से भर उठा ।
“हमें दुर्गा कॉलोनी में मरहूम अनिकेत के घर से एक डायरी मिली है । उसमें कुछ नाम लिखे हुए हैं और कुछ लेन-देन का जिक्र है । उससे हमें पता चला है कि अनिकेत इन सब लड़कों का प्रॉपर्टी का काम देखता था । अनिकेत अभी तक गायब है । उसी डायरी से ऐसा लगता है कि ये चारों लड़के प्रॉपर्टी की खरीद-फरोख्त का काम करते थे ।”
“देखो जी, इस गल्ल दी कोई जानकारी ताँ मैनू नहीं हैगी । पर इक वारी इस्स गल्ल द जिकरा मेरे सामने जरूर होया सी । पर मैं गौरव नू मना कर दिता-सी गा । पहले ही वड्डे पंगे रहंदे ने जान नू । होर पंगे मैनू नहीं चाहिदे ।”
“आपकी बात तो ठीक है, कालिया साहब ! पर मुझे नहीं लगता कि गौरव ने आपकी बात मानी थी । क्या उसके पैसों के लेन-देन की जानकारी आपको हमेशा रहती थी ?”
“हाँ । सारी परचेस मेरी नालेज विच होंदी सी । चेक ते सदा मेरे ही दस्तखत होंदे ने ।”
“क्या कभी किसी से लेन-देन की वजह से आपका या गौरव का कोई झगड़ा या कहा-सुनी हुई हो ?”
“थोड़ी मोट्टी ताँ बिज़नस विच चलदी रेह्न्दी है । पर जिदा तुसी झगड़ा कहंदे हो, तो ऐसा कुच्छ साड्डा किसी दे नाल नई होया ।”
“फिर पिछले महीने ‘सिल्की गारमेंट्स’ के साथ आपका क्या पंगा था, जिसमें मुझे पता लगा है कि चालीस लाख रुपए का मामला था ?”
सुरेंदर कालिया हड़बड़ाया । पहली बार उसके निश्चिंत चेहरे पर परेशानी की छाया दिखाई दी ।
“तुहानू किवें पता ? ए गल्ल ताँ मेरे घर वाल्लों को भी नहीं मालूम !” वह आश्चर्यचकित स्वर में बोला ।
“कालिया साहब, होते हैं हमारे भी कुछ परिंदे जो उड़ती हुई ख़बरें हम तक पहुँचा जाते हैं ! आप कहते हैं कि आपको गौरव के प्रॉपर्टी के मामलों का नहीं पता, फिर आपका बेटा आपकी नाक के नीचे से चालीस लाख रुपये कैसे पार कर गया ?”
“मेरे विश्वास नू पहली बारी उस मुंडे ने ठेस पहुँचाई सी । चेक ते दस्तखत ताँ मेरे होंदे-सी पर चेक उत्ते कंपनी दा न ओही भरदा सी । उसने चेक सेल्फ लिख के खुद ई कैश करवा लित्ता और किसी जमीन दे मसले विच पैसे फसा दित्ते ।”
“आपसे पूछे बिना गौरव ने पैसे निकाल लिए तो आपको इस बात का पता कितने दिन के बाद चला ?”
“इस गल्ल द पता तो पिछले महीने ही मैंनु लगया सी । जदों सिल्की गारमेंट्स वाले ने साड्डा अगला आर्डर नोन-पेमेंट दे चलदे कैंसिल कर दित्ता । ओस वेल्ले मैं जब पड़ताल कित्ती तो उजागर होया कि पैसे ताँ उनके पास पहुँचे ई नहीं ! गौरव ने मेनू आख्या कि इक्क जमीं सस्ती मिलदी सी । ओसने सोच्चा कि जल्दी-जल्दी पैसे बनान लेई ओदे विच पैसे ला देंदे आँ, पर जमीन दे रेट बढ़े नहीं ताँ सारे पैसे उस सौदे विच फँस गए ।”
“ये सिल्की गारमेंट्स के साथ नोन-पेमेंट वाली बात कब की है ?”
“असी पिछले साल दी पेमेंट उन्हाँ नू अमूमन अप्रैल विच दे देंदे हेंगे । इस साल भी दित्ती-सी पर गौरव ने बीच में गड़बड़ कर दित्ती ।”
“चलिए, एक तो हमें आपके अकाउंट की डिटेल चाहिए अगर आपको ऐतराज न हो । अपने आदमी को इस बारे में कहिए, जो अकाउंट संभालता हो कि हमें आपके अकाउंट का प्रिंट आउट निकाल कर दे दे ।”
“नहीं, मेनू कोई ऐतराज नहीं है । बाकी मैं अपने सी॰ ए॰ नाल भी गल्ल कर लांगा । आगे काउंटर पर मेरा बंदा बैठा होगा वह आपको प्रिंट दे देगा ।”
“रोशन, अकाउंट के साथ-साथ गौरव कालिया के कॉन्टेक्ट लिस्ट भी अगर कहीं सेव मिल जाए तो उसका भी प्रिंट आउट निकलवा लेना ।”
इंस्पेक्टर रणवीर ने रोशन को इशारा किया तो वह तुरंत अपनी जगह से उठकर बाहर काउंटर की तरफ चल दिया ।
“तो इतनी बड़ी अमाउंट के बारे में आपकी उससे बात नहीं हुई कि वह पैसा किसके पास उसने इन्वेस्ट किया ?”
सुरेंदर कालिया पहले तो कुछ झिझका मगर फिर बोला, “हुण इस बात नु करने दा की फायदा ! जद्दों वह खुद इस दुनिया तों ही चला गया । इस पैसे दा हुण मैनु की करना हेगा ।”
“क्या इस जमीन के मामले में उसकी पार्टनरशिप शमशेर गेरा के लड़कों के साथ थी ? उसका उनसे कभी कोई झगड़ा या कोई विवाद हुआ हो ?”
सुरेन्द्र कालिया कुछ झिझका और फिर उसने इस मामले में अपनी अनभिज्ञता जाहिर कर दी । रणवीर को वह साफ़-साफ़ उसके प्रश्न से बचता हुआ लगा । उसने इस बात पर फिर ज्यादा जोर नहीं दिया । वह इस बात के लिए निश्चिन्त था, आखिर बल्लू को उसने इस काम पर लगा रखा था ।
आगे के उसके प्रश्नों के जवाब उसे कालिया से मिलने की उम्मीद नहीं थी, इसलिए उसने वहाँ से विदा ली । दोनों जब शोरूम के सामने काउंटर पर पहुँचे तो रोशन उनके अकाउंट की डिटेल्स प्रिंट करवा रहा था ।
तभी रणवीर के मोबाइल की घंटी बजने लगी । उसके एक खबरी, जिसे वह हरिया नाम के कोड से बुलाता था, वह लाइन पर था ।
जो बात हरिया ने उसे बताई, वह बात सुन रणवीर तुरंत अपनी जगह छोड़कर खड़ा हो गया । रोशन वर्मा भी बस वहाँ से अब फारिग था । इसके बाद वह लोग वहाँ से विदा लेकर तुरंत ‘मेट्रो हॉस्पिटल’ की तरफ रवाना हो गए ।
इस्पेक्टर रणवीर की पीसीआर सीधा उस ब्लाक के सामने रुकी जहाँ डॉक्टर्स का चेंजिंग रूम था और रिटायरिंग रूम-कम-मेस थी । उसको मिली सूचना के अनुसार रोहित वर्मा का इलाज कर रहा डॉक्टर शैलेन्द्र उसे वहीं पर मिलना था । एक नर्स से पूछने पर उसने डॉक्टर शैलेंद्र का रूम बता दिया । वह चेंजिंग रूम से निकल ही रहा था, जब रणवीर के कदम वहाँ पर पड़े । रणवीर ने रोशन वर्मा और कदम सिंह को कुछ निर्देश दिए जिनकी वजह से वह हॉस्पिटल के बाहर ही रुक गए थे ।
“डॉक्टर शैलेन्द्र ?” रणवीर ने उसको निशाना साधते हुए आवाज लगाई ।
“यस ।” डॉक्टर शैलेन्द्र ने आवाज की दिशा में मुड़ते हुए प्रश्न भरी निगाहों से रणवीर को देखा ।
“मैं इंस्पेक्टर रणवीर कालीरमण । सिटी पुलिस स्टेशन से स्टेशन हाउस ऑफिसर !”
“मुझे आपसे मिलकर बहुत खुशी हुई, सर ! मैं... मेरे बारे में तो आप पहले से ही जानते हैं ।”
“मुझे अच्छा लगा कि आपको मुझसे मिलकर खुशी हुई । ये बात दूसरी है डॉक्टर साहब कि आपके चेहरे से झलक नहीं रही वह... खुशी !” रणवीर विनोदपूर्ण स्वर में बोला ।
डॉक्टर शैलेंद्र सकपकाकर रणवीर की तरफ देखने लगा और फिर ठहाका लगाकर हँसा ।
“सही कहते हो, इंस्पेक्टर रणवीर ! पुलिस को देखकर एक बार तो साँस अटकती ही है । कहिए, क्या कहना चाहते हैं ?”
“यूँ ही खड़े-खड़े ! हमें थोड़ा वक्त लगेगा और यहाँ खड़ा रहना अटपटा भी ।”
“ओह, सॉरी ! आइए, मेरे केबिन में चलते हैं ।”
केबिन में पहुँचते ही उसने एक वार्ड बॉय को कॉफ़ी के लिए बोल दिया ।
“असल में आज बड़ा ही हेक्टिक स्केड्यूल था । मैंने बस अभी लंच किया है । आप कुछ… ।”
“नहीं, बस कॉफ़ी ठीक है ।”
“ठीक । अब कहिए ! सब खैरियत तो है ?”
“हमें आपसे रोहित गेरा की मेडिकल स्टेटस के बारे में जानकारी लेनी थी । अगर आपको ऐतराज न हो तो ?”
“भला मुझे ऐतराज क्यों होगा ! आप पूछिए ।” हालाँकि डॉक्टर शैलेंद्र ऊपर से पूरी तरह सामान्य दिखाई दे रहा था पर आने वाले सवालों को लेकर उसकी उत्कंठा रणवीर से छिप न सकी ।
“आपकी रिपोर्ट कहती है कि उसकी टाँग की हड्डी टूटी हुई है और सिर में चोट है । क्या यह सही है ? अगर आपको ऐतराज न हो तो क्या मैं यह बयान मोबाइल में रिकॉर्ड कर सकता हूँ ? इससे आपको थाने में आकर आपकी स्टेटमेंट पर सिर्फ सिग्नेचर करने पड़ेंगे । आपका टाइम भी बच जाएगा । अगर हमारे लायक कोई काम की बात नहीं हुई तो मैं इसे रखूँगा, नहीं तो मैं उसे यहीं आपके सामने डिलीट कर दूँगा और फिर हमें आपके किसी बयान की जरूरत भी नहीं होगी ।”
“क्या रोहित गेरा किसी लीगल केस में उलझा हुआ है ? मैं उसकी स्टेटमेंट क्यों रिकॉर्ड करवाऊँ, अगर उसपर कोई केस नहीं है तो ? आप मुझ पर यूँ जबरदस्ती दबाव नहीं बना सकते ।”
“मैं आप पर कोई दबाव नहीं बना रहा हूँ । मैंने सिर्फ आपकी इजाजत माँगी है कि उस मामले में आप हमारी तहकीकात में सहयोग करें तो आपको जहमत नहीं होगी वर्ना आपसे जो प्रश्न मैं यहाँ पूछूँगा, वही प्रश्न आपसे पुलिस स्टेशन में दोबारा पूछे जाएँगे, आपका कीमती समय जाया होगा । चलिये, वीडियो से आपको आपत्ति है तो सिर्फ ऑडियो रिकॉर्ड कर लेते हैं । अगर आपका मन न माने तो ।”
डॉक्टर ने हिचकिचाते हुए हामी भर दी । अब रणवीर का फ़ोन ऑडियो रिकॉर्डिंग के मोड़ पर था ।
“डॉक्टर शैलेन्द्र, क्या आप बता सकते हैं कि रोहित को किस दिन और कितने बजे मेट्रो हॉस्पिटल में दाखिल किया गया था ?”
“शायद तीन सितम्बर का दिन था और अंदाजन साढ़े ग्यारह बजे के आसपास का टाइम रहा होगा । उसकी एंट्री रिसेप्शन पर रिकॉर्ड में होगी । एक्जेक्ट टाइम आप वहाँ से देख सकते हैं ।”
“उसके पिता ने हमें उसकी टाँग में फ्रैक्चर बताया है । क्या आप उसकी सही मेडिकल कंडीशन हमें बता सकते हैं ?”
“हाँ । उसके फादर ने आपको सही बताया है । उसके दायें पैर के लोअर साइड में फ्रैक्चर है । टिबिया और फिबुला में से टिबिया में फ्रैक्चर है । उसके सिर पर चोट है पर ज्यादा गहरी नहीं है । बाकी कमर पर रगड़ की वजह से कई जगह गहरे जख्म हैं ।”
“क्या उसके शरीर पर जलने के निशान हैं ? क्या आप उसकी मेडिकल रिपोर्ट की कॉपी हमें दे सकते हैं ?”
“अगर ये मेडिको लीगल केस नहीं है तो आपको हमारे हॉस्पिटल के सीईओ से बात करनी पड़ेगी । अगर मेडिको लीगल केस होता तो फिर आपको सारी इन्फॉर्मेशन मिल ही जानी थी ।”
“हम्म ! लगता है आपका हॉस्पिटल अपने पेशंट की प्राइवेसी और अपने प्रोसीजर को पूरी तरह से फॉलो करता है । रोहित गेरा का ट्रीटमेंट क्या पूरी तरह से आपकी देखरेख में हो रहा है डॉक्टर शैलेन्द्र ?”
“नहीं । मेरे अंडर सिर्फ उसका ऑर्थिपेडिक कंसल्टेशन है । ओवर ऑल के ट्रीटमेंट के लिए मेडिसिन के डॉक्टर उसे मॉनिटर कर रहें होगे । हमारे हॉस्पिटल में पूरा पैनल होता है पेशेंट की कंडीशन के हिसाब से । रोहित गेरा की हालत को देखते हुए उसे मल्टिपल एटैन्शन की जरूरत है ।”
“उसकी मेडिकल रिपोर्ट में या अभी तक मेरे पूछने के बावजूद भी आपने उसके शरीर के ऊपर किसी भी तरह के जलने के जख्मों का जिक्र नहीं किया ।”
डॉक्टर शैलेद्र एक बार तो सकपकाया, फिर तुरंत ही वह संभला ।
“मैं समझा नहीं ! आप क्या कहना चाहतें हैं ?”
“मैं यह कहना चाहता हूँ कि अभी तक आप ने जो मुझे बताया है, उसमें उसके किसी प्रकार से जलने का कोई जिक्र नहीं किया है । रोहित गेरा के इलाज के लिए बने मेडिकल पैनल में आप और एक एम डी डॉक्टर है, फिर साथ में एक बर्न और स्किन स्पेशलिस्ट । या यूँ कहें डर्मेटोलॉजिस्ट डॉक्टर सुमित मित्तल की क्या आवश्यकता पड़ गई ?”
“इस मामले में तो आपको हॉस्पिटल के एडमिनिस्ट्रेटर ही अच्छे तरीके से बता सकते हैं । आपको पता ही होगा कि इस हॉस्पिटल में स्थानीय एमएलए. रामचरण वर्मा की पार्टनरशिप है और उसका दामाद शिवेंदर पाल यहाँ का एडमिनिस्ट्रेटर हैं । मेरे ख्याल से ये अच्छा होगा कि आप इस मामले में उनसे बात करें ।”
“अच्छा हुआ आपने मुझे बता दिया, वर्ना हमें इस बात की जानकारी कहाँ होनी थी ! इस इलाके का एसएचओ होता हूँ मैं, डॉक्टर शैलेन्द्र ! कोई... ।” उसने अपनी बात को अधूरा छोड़ दिया ।
“खैर, उसके बर्न्स, यानी जलने की जानकारी तो हमें मिल ही जायेगी । हाँ, अगर आपको कुछ याद आए तो अवश्य मुझे बता दीजियेगा । आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि ये मामला दो कत्ल से जुड़ा हुआ है और इसके तार आगे कहाँ तक जुड़े होंगे, इसका शायद आपको अंदाजा नहीं । आपके बयान की हमें जरूरत पड़ेगी तो आप अपने इसी बयान पर कायम रहिएगा ।”
इतने में वार्ड-बॉय काफी ले आया । दोनों कॉफ़ी लेने लगे तो बीच में डॉक्टर शैलेन्द्र ने दो कत्ल के जिक्र के बारे में पूछा । रणवीर ने उसे सविस्तार बताया । पूरी कहानी सुनने के बाद डॉक्टर के चेहरे पर चिंता की लकीरें उभर आईं ।
इतने में रोशन वर्मा का फ़ोन रणवीर के मोबाइल पर आया । फोन पर जो रोशन वर्मा ने बताया, उससे रणवीर के चेहरे पर एक राहत भरी मुस्कान झलकने लगी ।
रोशन वर्मा ने डॉक्टर सुमित मित्तल से पूछताछ कर ली थी । उसने रोहित गेरा के शरीर पर जलने से बने जख्मों की तसदीक कर दी थी ।
“आपकी कॉफ़ी के लिए शुक्रिया, डॉक्टर साहब !” वह अचानक अपनी जगह से जाने के लिए उठता हुआ बोला, “मुझे उम्मीद है, आप इस मामले की गंभीरता को शायद अब समझ गए होंगे । वैसे एक बात और आपको बता दूँ कि एमएलए रामचरण के साथ-साथ शमशेर सिंह गेरा भी यहाँ का हिस्सेदार है । क्योंकि ये जमीन, जिस पर ये हॉस्पिटल बना है, उसी की है ।”
अपनी बात कहकर रणवीर, डॉक्टर शैलेंद्र को उसके केबिन में चिंतित मुद्रा में छोड़ बाहर निकल आया ।
जब रणवीर सिटी पुलिस स्टेशन के ऑफिस में अपनी सीट पर पहुँचा तो एक फॉरेंसिक रिपोर्ट को अपना इन्तजार करते पाया । अनिकेत के घर में जो गोलियाँ बरामद हुई थीं, जो एक कमरे में गद्दे में और दूसरे कमरे में मृत पाये गए संजय बंसल के जिस्म में पैवस्त मिली थीं, वह पॉइंट 32 बोर की स्मिथ एंड वेसन रिवॉल्वर के कारतूस थे । उसने मुंशी रतनलाल से इलाके में सभी लाइसेंस शुदा हथियारों के लाइसेंस धारकों की लिस्ट मँगवाई, जो उसके इलाके में रजिस्टर्ड थें । उसने सरसरी तौर पर उस लिस्ट पर नजर घुमाई । जैसी कि उसे उम्मीद थी, शमशेर सिंह गेरा के नाम पर भी स्मिथ एंड वेसन रिवॉल्वर का लाइसेंस दर्ज था ।
उसने सरकारी वकील जसवीर राणा को फ़ोन लगाया और उसके सामने सारी बात रखी और उसे बताया कि वह उससे क्या चाहता था ।
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