उफ !
यह सब क्या था - क्या यह दैवी प्रकोप था ?
स्टान के लड़के का जिस्म धीरे-धीरे लाल होता जा रहा था। वह चीख रहा था, मानो उसे कोई अंदर से जला रहा हो, उसका जिस्म गरम लोहे की भांति लाल हो चुका था और वह बड़े भयानक ढंग से मचल रहा था, चिल्ला रहा था, किंतु निरर्थक । चीखता-चीखता वह लड़का नीचे बहने वाले रक्त जैसे लाल पानी में जा गिरा । |
और फिर !
स्टान के कानों से उसकी अंतिम हृदयविदारक चीख टकराई !
लाल रक्त-सा बहता पानी उबल रहा था और इस उबलते पानी में गिरकर जीवित बचने का कोई प्रश्न ही नहीं था ।
सहसा स्टॉन ने अपने अंदर गरदी-सी महसूस की, मानो अंदर से उसे कोई जला रहा हो ।
लकड़ी के मकान लाल होने के बाद अब आग की लपटों में घिर गए थे ।
स्टान ने अपने जिस्म पर नजर डाली तो एक भयानक चीख उसके कंठ से निकल गई ।
उसका जिस्म भी उसके बेटे की भांति दहककर लाल होता जा रहा था ।
बाहर से देखने में जिस्म ऐसा लगता था, मानो अंदर किसी ने शक्तिशाली टॉर्च जला रखी हो, जिसके प्रकाश से उसका जिस्म लाल दीख रहा था ।
उसके जिस्म में आग-सी लग रही थी ।
उसने अन्य इंसानों को देखा । सभी की दशा एक जैसी थी ।
और अचानक !
वायुमंडल में एक युवती की खिलखिलाहट, मानो कोई युवती व्यूमिरान के इस दृश्य को देखकर अत्यंत प्रसन्न हो। सब लोगों ने आकाश की ओर देखा, लेकिन वह रिक्त था ।
ब्यूमिरान के निवासियों !" सहसा वायुमंडल में जैक्सन की आवाज पूंजी-- 'आपको मर्डरलैंड की शहजादी का मर्डरलैंड के निवासियों सहित प्रणाम ! मैं आप लोगों की बहुत अधिक कृतज्ञ हूं कि आप लोगों ने मेरे लिए जान गंवाई । अब इस दुनिया को पता लग जाएगा कि यह दुनिया गलत ढंग से चल रही है । यहां के कानून गलत हैं छोटी-सी धरती के इतने टुकड़े कर दिए गए।'' जैक्सन ने सांस लिया और फिर आगे बोली ।
रूस, अमेरिका, जापान, भारत, ब्रिटेन इत्यादि अनेक नामों में इस धरती को बांटा - इसका अपमान किया है । धरती उसी समय धरती कहलाएगी जब इस धरती के ये टुकड़े एक हो जाएंगे और समस्त धरती की सत्ता सिर्फ एक इंसान के हाथ में होगी! समस्त धरती पर मर्डरलैंड के कानून होंगे ।
- धरती के किसी भी देश से मेरी शत्रुता नहीं है, किंतु अगर किसी ने भी मेरे रास्ते में आने का प्रयास किया तो उसे ब्यूमिरान की भांति जलाकर राख कर दिया जाएगा । अब सारी धरती का नाम सिर्फ एक होगा और वह होगा मर्डरलैंड ।
- ब्यूमिरान के निवासियों, मैं अब अपनी रिसर्च का अंतिम परिणाम देखना चाहती हूं । अंत में ब्यूमिरान के निवासियों की आत्मा की शांति के लिए भगवान से प्रार्थना करती हूं।" और फिर जैक्सन की खिलखिलाहट ।
इस बीच स्टान आदि का बुरा हाल हो गया ।
लाल तप्त लोहे जैसा रंग अपनी चरम सीमा पर पहुंच चुका था। उनके जिस्म तेजी के साथ जल रहे थे ।
अब तक बर्फ पानी में परिवर्तित हो रही थी ।
सहसा लकड़ी के मकानों को आग की लपटों ने घेर लिया। लपटें लपलपाकर ऊंची उठ रही थी ।
आश्चर्य यह था कि तूफान अब भी अपने पूर्ण वेग से चल रहा था, किंतु वह बर्फीला न होकर आग की भांति गरम हो चुका था ।
कुछ देर बाद वहां इंसानी मांस जलने की दुर्गंध फैल गई । स्टान की चीख निकल गई ।
उसने सामने खड़ी अपनी बीवी को देखा जो उसी की भांति चीख रही थी। अचानक उनके जिस्मों से आग की लपटें उठने लगी और देखते ही देखते वे दोनों भी आग की लपटों में घिर गए ।
उसी क्षण !
उसने अपने जिस्म से निकलती आग की लपटें देखीं ! ब्यूमिरान के प्रत्येक निवासी के जिस्म से आग की लपटें निकल रही थीं ।
वे आग की लपटों से घिरे चीखते-चिल्लाते इधर-उधर भाग रहे थे, किंतु हर तरफ माहौल रक्त की भांति लाल और दहकती आग की भांति गरम था।
हर तरफ चीख पुकार !
देखते ही देखते सब इंसान आग की लपटों में घिरकर लाल - सुर्ख दर्रे में बहते रक्त-समान उबलते पानी में जा गिरे, जहां चीखते-चीखते उनका अंत हो गया ।
रघुनाथ ने ठाकुर साहब को सब कुछ बता दिया था, इसीलिए आज समस्त केंद्रीय खुफिया विभाग रघुनाथ की कोठी पर ही उमड़ आया था ।
ठाकुर साहब की अनुभवी जासूसी आंखें प्रत्येक चेहरे को परख रही थीं । एक बार घूमती-घूमती उनकी और विजय की आंखें मिली तो विजय भी सकपका गया और तुरंत ही उनकी नजरों से बचने हेतु भीड़ में विलुप्त हो गया ।
रैना खुश थी-उसे आज होने वाले कांड का कुछ पता नहीं था।
विकास दोस्तों में ठहाके लगा रहा था, किंतु उसके चारों ओर किसी-न-किसी रूप में सीक्रेट एजेंट अशरफ, विक्रम, नाहर और आशा इत्यादि उपस्थित थे। स्वयं विजय की दृष्टि भी विकास पर जमी हुई थी ।
किंतु एक विकास था- जो हर ओर से अनभिज्ञ कहकहे लगा रहा था ।
प्रोग्राम चलता रहा !
ऑर्केस्ट्रा की मादक ध्वनि ने वातावरण को रंगीन बनाए रखा ।
मेहमान निरंतर आते रहे । उपहारों में निरंतर वृद्धि होती रही ।
किसी भी मेहमान के आते ही सैकड़ों दृष्टियां उसका निरीक्षण करती थीं- चाहे वह पुरुष रहा हो अथवा स्त्री !
बेयरों को पहले ही चैक कर लिया गया था ।
अचानक विजय चौंका !
उसकी समझ में नहीं आया कि यह चक्कर क्या है? उसके गले में लटकी चेन के ट्रांसमीटर की छोटी-सी सुई रह-रहकर उसके गले में चुभ रही थी। जिसका मतलब था कि कोई उससे संपर्क स्थापित करना चाहता है ।
चौंकने का कारण यह था कि इस ट्रांसमीटर के विषय में सिर्फ सीक्रेट सर्विस के सदस्य ही जानते थे और वे सभी यहां मौजूद थे-तो ट्रांसमीटर पर कौन ?
विजय को अपने प्रश्न का उत्तर नहीं मिला ।
वह तेजी के साथ बाथरूम की ओर बढ़ा और !
बाथरूम का दरवाजा बंद करने के बाद ट्रांसमीटर ऑन करके बोला ।
- "हैलो, विजय हियर-ओवर ।"
- "तो प्यारे जासूस महोदय-काफी सख्त इंतजाम किया है।" आवाज अलफांसे की थी ।
- - "अबे साले लूमड़ मियां, तुम ?
"यस बेटे !"
"लेकिन तुम्हें इस ट्रांसमीटर के विषय में कैसे मालूम ?
"मेरा नाम अलफांसे है प्यारे जासूस महोदय ।"
- "लेकिन प्यारे लूमड़ भाई, इस बार तुम सफल नहीं हो पाओगे।"
"बेटे विजय !" अलफांसे का सख्त लहजा सुनाई पड़ा ' 'तुम्हारी ये सीक्रेट सर्विस और तुम्हारे पिता के ये केंद्रीय खुफिया विभाग के सादे लिबास वाले हवा को गिरफ्तार कर सकते हैं, लेकिन अलफांसे को कदापि नहीं । तुम्हारी जानकारी के लिए बता दूं कि मैं हॉल में आ चुका हूं, अगर अब भी कुछ बुद्धि है तो मुझे खोजो बेटे! वैसे इस बात से निश्चिंत रहना कि मैं विकास को किसी गलत राह पर डालूंगा। मैं सिर्फ ये चाहता हूं कि विकास सनसनाती गोलियों के बीच कहकहे लगाना सीखे । धधकती हुई तोपों के मुंह पर सीना तानकर खड़ा होने वाला इंसान हो।''
- "लेकिन प्यारे लूमड़ भाई तुम्हें विकास में क्या दिलचस्पी है? "
- "तुम्हें ही क्या दिलचस्पी है? "
"वह मेरा भतीजा है।"
" भतीजा मेरा भी है, जितना प्यार तुम्हें उससे है, उससे कहीं अधिक मुझे भी है ।'
"तो मतलब ये कि तुम पार्टी में उपस्थित हो !"
-"निस्संदेह ! "
"तुम हो पूरे बदमाश साले लूमड़ ! "
" मैंने तुम्हें ये खबर इसलिए दे दी, ताकि तुम बाद में न कहो कि आने से पूर्व खबर न दी। अपनी एड़ी से लेकर चोटी तक की शक्ति लगा लेना, लेकिन अलफांसे को रोक नहीं पाओगे ।
"अच्छा, अब मुझे बाहर खोजने की कोशिश करो।"
और शब्दों के अंत के साथ संबंध-विच्छेद हो गया ।
विजय ट्रांसमीटर ऑफ करके शीघ्रता से बाहर आया । बाहर महफिल उसी रंग पर थी । कोई विशेष परिवर्तन उसने महसूस नहीं किया । उसने विकास को देखा, जो उसी प्रकार कहकहे लगा रहा था ।
अब विजय को पता था कि अलफांसे इसी हॉल में उपस्थित है, अत: अब वह उसे पहचानने का प्रयास कर रहा था । सहसा उसके दिमाग को एक झटका लगा । उसके दिमाग में एक नया विचार आया। कहीं अलफांसे सीक्रेट सर्विस के किसी सदस्य के रूप में तो नहीं है?
वास्तव में ब्यूमिरान के निवासियों की मृत्यु भी कितनी भयानक थी । उनकी लाशें भी उसी पानी में विलुप्त हो चुकी थी।
माहोल अभी तक भी लहूलुहान था ।
क्षण-प्रतिक्षण माहौल की लाली प्रगतिशील थी ।
वहां कोई जीवित प्राणी न था ।
लकड़ी के मकानों से लपटें निकल रही थी ।
पानी का उबाल चरम सीमा तक पहुंच चुका था ।
तूफान यूं र्हा जारी था ।
और फिर बर्फ से भी आग की लपटें फूटने लगीं । धीरे-धीरे बर्फ भी आग की लपटों में घिरने लगी, ऐसा लगता था, मानो बर्फ पर पेट्रोल डालकर आग लगा दी गई हो । हर तरफ आग-ही-आग ज्वाला-ही-ज्वाला ।
हर तरफ धुआं-ही-धुआं ! हर तरफ गरमी-ही-गरमी । औरदेखते-ही-देखते समस्त ब्यूमिरान आग की लपटों में घिर गया । अब ब्यूमिरान में बर्फ का नहीं, बल्कि आग की लपटों का साम्राज्य था ।
न जाने कब तक ये आग की लपटें ब्यूमिरान को घेरे रहीं ।
***
आज की पार्टी ।
विकास के दसवें जन्मदिन की पार्टी ।
बड़े-बड़े अफसर उपस्थित थे, कुछ बिन बुलाए मेहमान भी थे । ये कुर्ते ऐसे लोग थे जिन्होंने सुना था कि विकास के प्रत्येक जन्मदिवस पर अपराध जगत की ऐसी-ऐसी महान हस्तियां विचित्र-विचित्र ढंगों से आती है, जिन्होंने संसार-भर के कानूनों के दांतों तले पसीना ला रखा है। जो हंसते-हंसते बड़े-से-बड़ा नरसंहार कर डालते हैं, जो अगर कहकहे लगाए तःए अंतर्राष्ट्रीय अदालत की इंसाफ की कुर्सी डगमगाने लगती है । इंटरपोल के जासूस कांपने लगते हैं । ऐसे ही कुछ महान क्रिमिनल्स, विकास के जन्मदिवस पर उसे आशीर्वाद देने आते उनमें प्रमुख हैं- अलफांसे, सिंगही और प्रिंसेज ऑफ मर्डरलैंड जैक्सन |
कुछ रिपोर्टर भी उपस्थिति थे, ताकि अपने अखबार के लिए चटपटा-सा मसाला एकत्रित कर लें ।
और विजय !
ऐसा लगता था, मानो वह अत्यधिक प्रसन्न हो उसे किसी बात की कोई चिंता न हो, किंतु वास्तव में वह बहुत ही व्यस्त था । उसे मालूम था कि अलफांसे अपने चैलेंज के अनुसार विकास के अपहरण का पूर्ण प्रयास करेगा । वह यहां अवश्य आएगा और संभव है कि वह यहां आ भी चुका हो ।
किंतु विजय भी पूर्णतया सतर्क था ।
***
सीक्रेट सर्विस !
भारत की सर्वोच्च जासूस संस्था ।
जिसका प्रत्येक एजेंट से भी खतरनाक होता था । छलावे से भी अधिक फुर्तीला, लोमड़ी से भी अधिक चालाक और बब्बर शेर से भी खूंखार व शक्तिशाली होता था ।
उसी सीक्रेट सर्विस के समस्त सदस्य आज यहां उपस्थित थे, किंतु मेकअप में। कोई मोटा थुलथुल लाला बना हुआ था तो किसी के मुख पर चेचक के दाग उभर आए थे।
इन्हीं में किसी मेकअप में सीक्रेट सर्विस का चीफ पवन भी उपस्थित था । वे सभी अलफांसे से टकराने के लिए पूर्णतया तैयार और लैस थे। उन्हें सख्त आदेश थे कि किसी भी तरह अलफांसे विकास का अपहरण करने में सफल न हो जाए, चाहे अलफांसे को मौत के घाट ही क्यों न उतारना पड़े।
विजय मेकप में नहीं था, किंतु वह भी पूर्णतया लैस था । उसका दृढ़ निश्चय था कि इस बार वह अलफांसे को इस दुनिया से विदा का परमिट दे देगा । वह प्रत्येक व्यक्ति को अपनी तीक्ष्ण निगाहों से देख रहा था, ताकि पहचान सके कि वास्तविक चेहरे पर मेकअप की परतें तो नहीं हैं... और अगर हैं तो वास्तविक चेहरा किसका है?
यह तो था विजय का और सीक्रेट सर्विस का सुदृढ़ जाल !
और दूसरी ओर !
विजय के पिता ठाकुर साहब के नेतृत्व में !
चप्पे-चप्पे पर सादे लिबास वाले किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को गोली से भून सकते थे। केंद्रीय खुफिया विभाग का जटिल जाल! एक-से-एक दिग्गज जासूस !
हॉल के अतिरिक्त कोठी के बाहर और छत पर भी सादे लिबास वाले चप्पे-चप्पे पर लगे हुए थे।
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