खून में लिथड़ा जूता

राजेश को बड़ी मुश्किल से होश में लाया गया । होश में आने पर भी वह फटी-फटी नज़रों से चारों ओर देखने लगा और फिर बुझी हुई आवाज़ में बोला- " मैं ये मानने के लिए तैयार नहीं हूं कि मेरे चाचा की हत्या कर दी गई है। अगर ऐसे भद्र पुरुप की हत्या की जा सकती है तो फिर इस संसार का कोई भविष्य नहीं है।" 


इसके बाद उसने डाक्टर बनर्जी की ओर मुंह फेरते हुए कहा, "वे तो आज कश्मीर की मुहिम के बारे में आपसे मिलने वाले थे ? "


“हां, अब कश्मीर की मुहिम एक सपना बनकर रह जाएगी।” डाक्टर बनर्जी ने खिन्न स्वर में कहा |


"मिस्टर राजेश, लगभग साढ़े नौ बजे आपके चाचा के सिर पर जूम्बी मूर्ति गिर पड़ी । उनका सिर फट गया। मिस्टर डिक्सन साढ़े दस बजे आए तो उन्ह आपके चाचा को इस अलमारी के सामने मृत पड़ा पाया । ये इन्स्पेक्टर धर्मवीर हैंऔर यह सार्जेण्ट सोनिया है ।" मेजर ने उन दोनों की ओर संकेत करते हुए कहा । 


"में उस कुत्ते की गर्दन दबोचना चाहता हूं जिसने इतना बड़ा पाप किया है। मैं आपकी क्या सहायता कर सकता हूं ?"


"आपका यह क्रोध इस समय बिल्कुल बेकार है। आप अभी हमारी इतनी सहायता कीजिए कि हमें यह बताइए कि आप आज सुबह कितने बजे घर से बाहर गये थे ?"


"आठ पचपन पर ।"


"आप बाहर का दरवाजा खुला तो नहीं छोड़ गए थे ?”


"नहीं।"


"आप सीधे सर्वे विभाग में गए थे ? " 


"हां, मुझे वहां से कश्मीर के एक विशेष इलाके का नक्शा नकल कर लाना थो ।"


"क्या वह नक्शा बाप नकल करके लाए हैं ?” मेजर ने पूछा।


"हाँ।"


"इस समय सवा तीन बजे हैं। इसका मतलब यह है कि आप लगभग सवा 6 घण्टे तक घर से बाहर रहे हैं।"


मेजर ने अपनी जेब से एक छोटी-सी नोटबुक निकाली और जान-बूझकर अपनी जेबों में कुछ ढूंढ़ने लगा। फिर उसने बड़े ही कोमल स्वर में राजेश से कहा- “मेरी पेन्सिल खो गई है-आपके पास पेन्सिल तो नहीं है ?"


"है।" 


राजेश ने पेन्सिल निकालकर मेजर को दे दी। मेजर उस पेन्सिल पे छपा हुआ नाम पढ़ने लगा, "फवर 319, अच्छी पेन्सिल है। क्या आप हमेशा इस मार्क की पेन्सिल इस्तेमाल करते हैं ?"


"मुझे बस इसी मार्के की पेन्सिल पसन्द है ।"


मेजर ने पेन्सिल से नोटबुक में कुछ लिखा और पेन्सिल लोटा दी, "धन्यवाद ! आप बुरा न मानिएगा। आप ड्राइंग रूम में चलकर बैठिए | हम थोड़ी देर के बाद कुछ और सवाल पूछेंगे।"


राजेश कुर्सी पर से उठा और दरवाजे की ओर बढ़ा | 


मेजर ने आवाज दी "सिद्दीकू को कुछ देर के लिए यहां भेज दीजिएगा।"


सिद्दीकू आकर एक कोने में खड़ा हो गया ।


"सिद्दीकू, उस कुर्सी पर खड़े हो जाओ और हमें यह बताओ किं तुमने जुंबी की मूर्ति उठाकर अलमारी पर किस जगह रखी थी !" मेजर ने हुक्म दिया। 


सिद्दीक कुर्सी पर खड़ा हो गया ।


"देखो सिद्दीकू, अलमारी पर हाथ न रखना। अलमारी के पीछे का पर्दा भी न छूना ।" मेंजर ने कहा और दूसरी कुर्सी खींचकर सिद्दीकू के बराबर खड़ा हो गया ।


सिद्दीकू ने अलमारी के ऊपरी भाग के एक सिरे की ओर संकेत किया और बोला, "मैंने देवी जूम्बी की मूर्ति यहां रखी थी । आप देख सकते हैं कि इस जगह मूर्ति के पेंदे का निशान भी बना हुआ है।"


"हाँ, मैं देख रहा हूं।" मेजर ने कहा, "मैं समझता हूं कि आज सुबह जव दीवान साहब इस कमरे में आए थे तो जूम्बी की मूर्ति अलमारी के सिरे पर रखी हुई थी।"


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जाने लगा। उसने वह जूता अपने हाथ में लेकर डाक्टर बनर्जी को दिखाते हुए कहा, “डॉक्टर साहब, क्या यह जूता आपका है ?"


"जी हां, मेरा ही है।"


इन्स्पेक्टर ने चक्करदार सीढ़ी के पास खून के धब्बे पर वह जूता रखकर देखा जहां एक पैर का निशान बना हुआ था। वह जूता पैर के उस निशान पर बिल्कुल फिट बैठ गया | इन्स्पेक्टर ने वापस जाते हुए कहा, "डाक्टर साहब ! आपके विरुद्ध अब इतने प्रमाण जमा हो गए हैं कि अगर मैं आवश्यक कार्यवाही नहीं करूंगा तो अपने उच्चाधिकारियों की नजर में अपराधी बन जाऊंगा ।"


"मेरे ये जूते कल रात मेरे सोने के कमरे में थे । ये यहां कैसे आ गए ? न जाने रात इस घर में क्या कुछ होता रहा है !"


"यही तो मैं जानना चाहता हूं कि इस घर में क्या कुछ होता रहा है और आगे क्या कुछ होगा ?" मेजर ने कहा ।


"देखिए मेजर साहब आप डाक्टर साहब को अपराधी नहीं मान रहे हैं, लेकिन अब मैं अपना कर्तव्य पूरा किए बिना नहीं रह सकता।" इन्स्पेक्टर धर्मवीर ने कहा और सब-इन्स्पेक्टर गुरुदयाल को हुक्म दिया, "डाक्टर साहब को हिरासत में ले लो। इनके विरुद्ध दीवान सुरेन्द्रनाथ की हत्या के अभियोग में मुकदमा दर्ज कर लो ।"


मेजर बलवन्त गम्भीर हो गया। फिर अपने सिर को झटका दिया और अलमारी के निकट चला गया। वह खड़ा कुछ सोचता रहा । मुड़ा और इन्स्पेक्टर धर्मवीर से बोला, "जरा मुझे रबड़ का वह जूता दिखाइए ।"


इन्स्पेक्टर ने बड़े गर्व से खून में सना हुआ वह जूता मेजर के हवाले कर दिया। मेजर ने मुस्कराते हुए कहा, "डॉक्टर साहब के दो पैर हैं। उनके दूसरे पैर का जूता कहां है ?"


“वह तो हमें नहीं मिला।" सव-इन्स्पेक्टर ने कहा।


"जब तक इस जूते का दूसरा पैर न मिले, डाक्टर साहब को अभियोगी नहीं ठहराया जा सकता । इन्स्पेक्टर साहब, क्या आप यह नहीं महसूस कर रहे कि आप हत्यारों के हाथों में खेल रहे हैं ? जिस व्यक्ति ने दीवान साहब की हत्या की है, वह वही चाहता था, जो इस समय आप कर रहे हैं। मैं सच कहता हूं कि जितने प्रमाण इस समय तक आपको है, वे डाक्टर साहब को अपराधी सिद्ध नहीं कर सकेंगे।" 


"क्या आप डॉक्टर साहब की सफाई में यह चीज तो पेश नहीं करना चाहते जो चीज़ आपने अलमारी के ऊपर से उठाकर अपनी जेब में डाल ली थी ?"


"आप जरा देखते जाइए कि मैं डाक्टर साहब की सफाई में क्या कुछ पेश करता हूं। मैं पहले आप को दो मिनट के लिए डाक्टर साहब के पढ़ने के कमरे में ले जाना चाहता हूं।" 


यह कहकर मेजर चक्करदार सीढ़ी की ओर बढ़ा । डाक्टर भी सीढ़ी की ओर बढ़ने लगा तो मेजर ने कहा, "डाक्टर साहब, आप सब यही रहिए ।"


उस कमरे में चारों ओर शेल्फों में पुस्तकें लगी हुई थीं। बीच में एक लम्बी मेज थी। उस पर लिखने और नक्शे बनाने का सामान पड़ा था। मेज के सामने खिड़की थी जिस पर पर्दा पड़ा हुआ था।


मेजर बोला, "अगर सव-इन्स्पेक्टर गुरुदयाल डाक्टर साहब के सोने के कमरे में जाएं तो उन्हें अवश्य ही जूते का दूसरा पैर मिल जाएगा।"


सब-इन्स्पेक्टर गुरुदयाल डाक्टर बनर्जी के सोने के कमरे में चला गया। दो मिनट के बाद वह वापस आया जो उसके हाथ में रबड़ के जूते का बायां पैर था और उसमें कहीं भी खून लगा हुआ नहीं था ।


"अब आप ही कहिए कि क्या डाक्टर साहब जूते का एक पैर पहनकर दीवान साहब की हत्या करने गए थे ? आप देखते नहीं हैं कि हत्यारा जान-बूझकर डाक्टर साहब के जूते का एक पैर उठाकर ले गया और दूसरा सोने के कमरे में छोड़ गया ?" इन्स्पेक्टर का विश्वास मेजर के तर्क के सामने ढीला पड़ गया ।


"अगर आप अब भी डाक्टर साहब को निर्दोष समझने के लिए तैयार नहीं हैं तो मैं उनके निर्दोष होने का एक और प्रमाण देने के लिए तैयार हूं।" मेजर ने कहा और वह सोने के कमरे में जाकर डाक्टर बनर्जी की छोटी मेज पर रखा हुआ कॉफ़ी का खाली प्याला उठा लाया | मेजर ने वह खाली प्याला इन्स्पेक्टर को दिखाते हुए कहा "अगर आप इस प्याले को सूंघकर देखें और इसकी तलछट पर नजर डालें तो आपको तुरन्त पता चल जाएगा कि डाक्टर साहब की कॉफ़ी में अफीम का पाउडर मिला दिया गया था।"


इन्स्पेक्टर धर्मवीर खाली प्याले की तह को देखने लगा और उसे विश्वास है गया कि मेजर ठीक कह रहा था। क्षण भर की चुप्पी के बाद मेजर ने कहना शुरू किया "आपको यह भी याद रखना चाहिए कि नशे के लिए अफीम का पाउडर अधिकतर इटली में इस्तेमाल किया जाता है।"


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