रेड रिवर आहिस्ता-आहिस्ता बह रहा था। उसका पानी मटमैला था। जगह-जगह सरकंडे, झाड़ियां और काई-घास ने उगकर उसे और भी ज्यादा बीहड़ बना दिया था। उमस का वातावरण था। दूर कही इंजन के चलने की आवाज आ रही थी।
रिको ने माथे का पसीना पोंछा। वह एक छोटी सी नाव में बैठा था। वह इतनी कमजोर और सख्त नजर आती थी मानो उलटते ही टुकड़े-टुकड़े हो जाएगी। बेयर्ड उसको चला रहा था। उसके पास में ही भरी हुई एक मशीनगन रखी थी। वे किनारे-किनारे जा रहे थे।
बेयर्ड ने कहा- ‘तुम आवाज सुन रहे हो? वह वहीं से आ रही है, जहां हेटर काम कर रहा है ?’
‘वहां इस वक्त क्या हो रहा है?’
‘मशीनों के जरिये बीवर के नीचे जमी मिट्टी को निकाला जा रहा है।’
‘क्यों?’
‘ताकि पानी का बहाव ठीक रहे- उस जगह को ड्रेज कहते हैं।’
मच्छरों का हमला बराबर रिको के मुंह पर हो रहा था। वह जरा-सा हाथ हिलाता तो नाव डगमगाने लगती थी।
रिको ने कहा- ‘चारों तरफ पानी में घास-फूंस उगी है। नावों को आगे बढ़ाना भी मुश्किल हो रहा है। हम हेटर को लेकर कैसे आगे बढ़ेंगे?’
‘जब वह वक्त आएगा, तब सोचेंगे।’ उसने चेतावनी दी- ‘अपनी आवाज को धीमी रखो। हवा में आवाज जल्दी फैल जाती है।’
नाव जैसे-जैसे रेड रिवर के ऊपरी भाग की तरफ आगे बढ़ रही थी, रास्ता ज्यादा भयानक होता जा रहा था। रिको मन-ही-मन अपने को कोस रहा था कि उसने क्यों ऐसे खतरनाक काम में अपने को उलझाया।
तभी कटे पेड़ का तना-सा पानी में बहता बेयर्ड को नजर आया। बेयर्ड ने नाव को उससे बचाया और नाव खेने की रफ्तार तेज कर दी।
पानी की सतह पर तैरते पेड़ को देखकर रिको बोला-‘इस कटे पेड़ से बचना।’
‘यह पेड़ नहीं, मगरमच्छ है।’
‘क्या?’ रिको चौंका।
‘हां, वह सो रहा है। उसे जगाना मत। यह रेड रिवर ऐसे मगरमच्छों से भरा पड़ा है। इनसे बचना पड़ता है। ये साले देखते ही हमला करते हैं।’
थोड़ी दूर जाने पर बेयर्ड ने नाव को किनारे लगा दिया। किनारे की जमीन गीली और चिपचिपी थी। पहले रिको उतरा तो टखनों तक कीचड़ में जा घुसा। बेयर्ड ने सूटकेस किनारे पर फेंक दिया और उसके बाद वह खुद भी उतर पड़ा।
अब वे दोनों झाड़-झंखाड़ से भरी दलदली जमीन पर आगे बढ़ने लगे। वे तब तक चलते रहे, जब तक कि कुछ ऊंचे स्थान पर न पहुंच गए। बेयर्ड तो हर चीज से बेनियाज था, मगर रिको का सांस फूल गया था।
बेयर्ड ने कहा-‘अब हमें पेड़ों, झाड़ियों और घास-फूंस से होकर गुजरना है। मच्छरों से बचने के लिए कोट से अपना चेहरा ढक लो।’
रिको ने वैसा ही किया। कुछ समय चलने के बाद वे लकड़ी की एक केबिन में पहुंचे, जो चारों तरफ से पेड़ों से घिरी थी।
बेयर्ड ने कहा- ‘यही हमारी मंजिल है। आओ, अंदर चलें।
‘तुम यहां पहले आ चुके हो?’
‘हां, जब मैं इस इलाके का मुआयना करने आया था तो इसे साफ करके खाने-पीने की चीजें रख गया था।’
‘तुमने ये सब चीजें कहां से लीं?’
‘नौडी से।’
‘वह कौन है?’
‘वह कैदियों को ड्रेज पर खाने-पीने की चीजें सप्लाई करता है। मैंने उसे अपने साथ मिला लिया है। वह वेटर को छुड़ाने में हमारी मदद करेगा।’
‘क्या उसका भी हिस्सा होगा?’
‘चालीस हजार।’
‘क्या?’
‘मुफ्त में कौन काम करेगा। एक भेदिया तो चाहिए, जो हमारा साथ दे सके। आधा पैसा पहले और आधा पैसा काम होने पर उसे देना होगा।’
‘क्या हम उस पर यकीन पर सकते हैं?’
‘मेरे साथ धोखा करके जीना नामुमकिन है?’
रिको ने केबिन में घुसकर देखा। कुछ कम्बल और खाने का सामान वहां पड़ा था। बेयर्ड एक कम्बल बिछाकर वहां बैठ गया और टिन में बंद बियर को मुंह लगाकर पीने लगा। गर्मी से रिको की बुरी हालत हो गई थी। वह जगह कुछ ठंडी थी।
रिको ने कहा- ‘यहां कोई आ भी सकता है, तब हम क्या करेंगे?’
‘अब काम रेड रिवर के ऊपरी हिस्से पर हो रहा है। पहले यहां ओवरसीयर रहता था। अब वह ऊपर चला गया है। यह केबिन काफी समय से खाली पड़ी है, अब यहां कोई नहीं आएगा।’
इतना कहकर बेयर्ड खाना बनाने लगा। उसके पास एक छोटा सा स्टोव था। उसने उसी को जला लिया था। रिको अपने पर लानत भेजने लगा। कितनी अच्छी और खूबसूरत जिन्दगी छोड़कर वह इस जंगल में भटकने के लिए आ गया है। वह अभी सोच में ही डूबा था कि बेयर्ड ने खाना बना लिया। रिको को हैरत हुई कि उसने इतनी जल्दी सब कुछ कैसे तैयार कर लिया।
रिको और बेयर्ड ने खाना खाया, व्हिस्की पी और केबिन से बाहर आ बैठे। बेयर्ड बड़ी बेफिक्री से सिगरेट पीने लगा।
अब अंधेरा फैलने लगा था।
बेयर्ड ने मिट्टी के तेल का एक छोटा-सा दीया जलाया और केबिन की खिड़की पर रख दिया।
जब अंधेरा फैल गया तो नौडी आया। वह काले रंग का एक लम्बा-चौड़ा आदमी था। शक्ल से मक्कार और बातों से अविश्वनीय लगता था।
वह आते ही बोला
‘तो तुम आ गए। मैं पहले भी दो-तीन बार तुम्हें यहां देख गया था।’
बेयर्ड ने रिको का परिचय करवाया- ‘यह राल्फ रिको है, मेरा साथी।’
इसके बाद तीनों व्हिस्की पीने लगे। बेयर्ड ने पूछा- ‘हेटर का क्या हाल है?’
‘मजे में है। दूसरे कैदी उससे नफरत करते हैं, मगर वह बहुत सीधा-सादा है। बहुत कम बोलता है।’
‘हूं।’
नौडी ने पूछा- ‘तुमने यह तो बताया नहीं कि तुम उसका क्या करोगे? या मैं न पूछूं और अपने काम से काम रखूं।’
‘तुम अपने काम से काम रखो।’ बेयर्ड ने कहा।
नौडी ने पूछा- ‘काम कब शुरू करें?’
कल बारह बजे। सबको अपनी-अपनी जिम्मेदारी समझ लेनी चाहिए। मैं पहरेदारों से निपटूंगा। रिको खलबली पैदा करेगा और तुम नौडी हेटर को पकड़कर यहां ले आना।’
‘पहले भी यही प्लान बना था।’
रिको ने पूछा-‘खलबली से तुम्हारा मतलब?’
‘तुम ड्रेज पर धुएं के बम फेंकोगे जब चारों तरफ धुआं फैल जाएगा तो नौडी हेटर को पकडकर यहां घसीट लाएगा। मैं ड्रेज के पास बने बरगद के ऊपर चढकर पहरेदारों पर नजर रखूंगा।’
‘बम फेंकने के बाद मैं कहां जाऊं?’
‘तुम यहां केबिन में आ जाना। मैं तुम्हें यही मिलूंगा। नौडी हेटर को मेरे हवाले करके, अपना पैसा लेकर वापस चला जाएगा। उसके बाद मैं, तुम और हेटर तीनों यहां से वहां पहुंचेंगे जहां नाव बंधी है।’
रिको का मन शंका से भरा उठा। वह सोचने लगा कि हो सकता है बेयर्ड और नौडी यहां न आएं और उसे धोखा देकर सीधे नाव पर जा पहुंचे तो वह क्या करेगा? मान ले हेटर ने हो हल्ला किया तो वह उस नाव पर कैसे काबू कर सकेगा?
रिको ने पूछा- ‘मान लो पहरेदार हमारे पीछे आते हैं तो हम उनका मुकाबला कैसे करेंगे?’
‘मुझे यकीन है कि वे हमारे पीछे नहीं आएंगे, इसीलिए हम वापस इधर आ रहे हैं।’
‘क्यों?’
‘इसलिए कि अफरा-तफरी का फायदा उठाकर कैदी भागेंगे तो दलदल से बाहर निकलने के तीन ही रास्ते हैं। जिस रास्ते से हम जाएंगे, वह सिर्फ नाव के लिए बना है। कैदी इस रास्ते को नहीं बल्कि दूसरे रास्तों से भागेंगे। पहरेदार इधर का रुख करने के बजाय उनके पीछे जाएंगे।’
रिको कुछ बेचैन सा लग रहा था। वह बोला-
‘अगर हेटर ने उछल-कूद मचायी तो क्या करोगे? नाव भी उलट सकती है।’
‘तुम यह काम मुझ पर छोड़ो। मैं अपने आप उसे संभाल लूंगा।’
फिर उसने नौडी से कहा- ‘अगर हेटर तीन-पांच करे तो घूंसा मारकर उसे बेहोश कर देना और पीठ पर लादकर ले आना।’
‘मुझे मालूम है कि मैंने क्या करना है।’
बेयर्ड ने रिको से कहा- ‘इसे बीस हजार दे दो। बाकी कल काम होने पर।’
रिको ने सूटकेस खोलकर नौडी को रुपये दिए तो नौडी बोला- ‘अहा! इतने रुपये एक साथ मैंने कभी नहीं देखे।’
बेयर्ड बोला- ‘इतने ही कल मिलेंगे। और हां, याद रखो ... मेरे साथ कोई चाल मत चलना, वरना मैं आदमी को उल्टा लटकाकर भून देता हूं।’
नौडी ने हंसकर कहा- ‘तुम मुझ पर यकीन कर सकते हो। कल सुबह हेटर तुम्हारे कदमों में होगा।’
जब वह चला गया तो रिको बोला- ‘मुझे तो यह चालबाज नजर आता है।’
‘मुझे मालूम है कि तुम ऐसा क्यों कह रहे हों।’
कहकर बेयर्ड ने कम्बल से मुंह ढांप लिया।
* * *
ड्रेज के सत्तर कमद की दूरी पर बने बरगद के पेड़ पर पत्तों में बेयर्ड छिपा बैठा था। वहां से वह ड्रेज का दृश्य (जहां खुदाई का काम हो रहा था) साफ देख सकता था। पचास कैदी काम कर रहे थे। पांच पहरेदार खड़े थे जिनके पास आटोमैटिक मशीनगनें थीं। कुछ शिकारी कुत्ते भी थे जिनके गलों में जंजीरें बंधी हुई थीं।
मशीनें और बुलडोजर चल रहे थे। एक मशीन रेड रिवर के नीचे से मिट्टी निकालकर उसके मुहाने को चौड़ा कर रही थी।
उसी बरगद के पेड़ की निचली टहनी पर रिको बैठा था। उसके पास एक दर्जन स्मोक बम थे। पीसने से उसका बुरा हाल हो रहा था।
बेयर्ड ने एक बार फिर दूरबीन से सारे इलाके का जायजा लिया। तीन पहरेदार एक जगह बैठे थे और चौथा लकड़ी के बने एक कमरे के साथ टेक लगाए खड़ा था। इसी मकान में शिकारी कुत्ते बंधे हुए थे।
उसके बाद बेयर्ड ने देखा कि एक ट्रक पर नौडी खड़ा सिगरेट पी रहा है। उसी के पास हेटर खड़ा काम कर रहा है। वह मिट्टी की टोकरी भरता और ट्रक में फेंक देता था। वह बेहद थका हुआ था।
बेयर्ड ने पूछा- ‘क्या वक्त हुआ है?’
‘बारह बजने में पांच मिनट है।’
‘अब तुम नीचे उतरकर अपना मोर्चा संभालो। याद रहे कि तुम्हारा हर बम ड्रेज पर गिरे। अगर वह गीली जमीन पर गिरा तो चलेगा नहीं।’
रिको के डर के मारे पसीने छूटने लगे।
बेयर्ड ने कहा- ‘अगर तुम बम को ऊंचा हवा में उछालोगे तो पता नहीं चलेगा कि वह किधर से आया है। अब तुम शुरू करो।’
रिको पेड़ से नीचे उतरने लगा तो उसका रंग पीला था और सारा जिस्म कांप रहा था। बेयर्ड ने उसे झिड़का, ‘तुम्हारी जान क्यों निकल रही है? जाओ, तुम्हें कुछ नहीं होगा।’
पेड़ से उतरकर कंधों तक खड़ी जंगली घास के अंदर घुटनों के बल रिको चलने लगा। जैसे-जैसे वह आगे बढ़ता जाता था, जमीन गीली होती जा रही थी। ड्रेज के पास पुल था। उसी पर उसने बम फेंकना था।
ठीक बारह बजे अपनी मशीनगन से बेयर्ड ने फायर किया। निशाना चूका नहीं। जो गार्ड लकड़ी के केबिन से टेक लगाए खड़ा था, गोली उसको चीरती हुई गुजर गई। वह खून से लथपथ नीचे जा गिरा।
उसी के साथ रिको ने पहला बम फेंका जो पुल पर गिरने के बजाय दरिया में जा गिरा। धुएं की बजाय पानी में कुछ बुलबुले पैदा हुए।
उसके बाद उसने दो बम और फेंके जो पुल पर जाकर गिरे, धुएं का एक तूफान उठ खड़ा हुआ। चारों तरफ खलबली मच गई। इसी के साथ पहरेदारों ने हवा में फायर करने शुरू किए। रिको डर से थर-थर कांपने लगा। वह आगे बम ने फेंक सका।
बेयर्ड पेड़ से नीचे उतरा और भागता हुआ रिको के पास आया। उसने आते ही एक ठोकर रिको को मारकर कहा, 'चूहे का बच्चा, लाओ मुझे दो बम। मैं फेंकता हूं।’
कहकर उसने बमों का थैला उससे छीन लिया और निशाना लगाकर कई बम फेंके। बजरे पर एक पहरेदार खड़ा था और ताककर रिको के बाहर निकले सिर को निशाना बनाना चाहता था। उस पर बेयर्ड की नजर गई। उसने अपनी मशीनगन उठाई और गोली चला दी। पहरेदार चीख मारकर नीचे दरिया में लुढ़क गया।
अब चारों तरफ सायरनों की आवाजें गूंजने लगी थीं। बेयर्ड ने रिको से कहा- ‘अब तुम वापस जाओ।’
‘कहां?’
‘केबिन में।’
‘और तुम?’
‘मेरी फिक्र मत करो। अगर मैं पैंतालीस मिनट तक न आया तो तुम चले जाना।’
‘नाव?’
‘उसकी तुम चिन्ता मत करो....उसे ले जाना।’ कहकर उसने रिको को एक जोर का धक्का दिया और वह लुढ़कता हुआ दूर जा गिरा।
अब बेयर्ड वापस बरगद के पेड़ के पास आ गया था। उसकी आड़ लेकर उसने दो बम फेंके। अचानक दो गोलियां एक साथ आकर पेड़ के तने से टकराईं। अगर उसकी आड़ में बेयर्ड न होता तो उसकी लाश वहां तड़प रही होती।
वह जमीन पर लेट गया। कानों को फाड़ती हुई सायरन की आवाज जंगल में गूंज रही थी। उसकी आवाज तीन मील पर बनी जेल में भी जा रही थी। बेयर्ड ने सोचा, अगर नौडी जल्दी यहां न आ गया तो कुमक आ जाएगी और उसका काम और ज्यादा मुश्किल हो जाएगा।
‘नौडी न जाने साला कहां मर गया!’
बेयर्ड ने गाली दी।
तभी धुएं के बादल को चीरता हुआ नौडी बाहर निकला। उसकी आंखें लाल हो रही थीं। उसने हेटर को पकड़ रखा था, जो बेहद घबराया हुआ था।
हेटर ने जैसे ही बेयर्ड को देखा तो उसमें न जाने कहां से इतनी ताकत आ गई कि उसने नौडी को एक जोर का धक्का मारा और वापस भागा। बेयर्ड चिल्लाया- ‘पकड़ो! भागने न पाए।’
इससे पहले कि वह धुएं की चादर में दोबारा लिपट जाता, बेयर्ड ने उसको गर्दन से पकड़ लिया।
हेटर एक पागल आदमी की तरह उछल-कूद मचा रहा था। वह इतनी जोर से चीखा कि नौडी डरकर दूर जा खड़ा हुआ। फिर उसने अपने लम्बे नाखूनोें से बेयर्ड का मुंह नोंच लिया। बड़ी मुश्किल से बेयर्ड ने अपने चेहरे को उससे मुक्त करवाया और जोर का घूंसा हेटर को मारा। मुक्के की मार ने हेटर का दम तोड़ दिया, मगर वह बराबर चीख रहा था।
नौडी चीखा- ‘मारो...मारो इसे। इसकी आवाज बंद करवाओ।’
उधर बेयर्ड का मन किया कि गन की सारी गोलियां हेटर के सीने में उतार दे, क्योंकि वह काबू में नहीं आ रहा था और दोबारा हाथ छुड़ाकर भागने लगा था।
भागकर बेयर्ड ने फिर उसे पकड़ा। इस बार बेयर्ड ने मशीनगन का मुठ्ठा घुमाकर हेटर के सिर पर मारा। वह चीख मारकर बेयर्ड के कदमों में जा गिरा और खून की धारा उसके सिर से बह निकली।
बेयर्ड ने नौडी से कहा- ‘जल्दी से उठाकर इसे केबिन में ले चलो। मैं तुम्हारे पीछे आ रहा हूं।’
‘साला पागल है।’ नौडी ने कहा- ‘मैंने पहले ही कह दिया था कि सीधे ढंग से मानने वाला नहीं है।’
‘तुम इसे संभालो।’ कहकर बेयर्ड ने रुमाल से अपना चेहरा साफ किया। हेटर के नाखूनों से लगी गहरी खरोंचों से उसका चेहरा लहूलुहान हो गया था।
आधे रास्ते तो नौडी ने बेहोश हेटर को उठाकर रखा। उसके बाद उसे जमीन पर रखकर हांफता हुआ बोला- ‘मैं थक गया। अब इसे नहीं उठा सकता हूं।’
‘जल्दी करो। उठाओ इसे। तुम चाहते हो कि पहरेदार यहां आ जाएं और हम सबको दबोच लें?’
मगर नौडी का दम फूल चुका था। बेबस होकर बेयर्ड ने हेटर को पीठ पर लादा और हांफता हुआ केबिन तक आया।
हेटर को उसने केबिन के बाहर जमीन पर लिटा दिया और रिको की तरफ देखा, जो बाहर आ गया था। बेयर्ड उससे बोला- ‘नौडी को बाकी रुपये दो-हमें जल्दी ही नाव तक पहुंचना है।’
रिको ने कहा-
‘मगर तुमने कुछ वक्त यहां ठहरने के लिए कहा था। क्या रुकोगे नहीं?’
बेयर्ड ने गुस्से से कहा-
‘तुम्हारी वजह से बड़ा वक्त बरबाद हो गया है। उन्हें पता चल गया है कि हम इस रास्ते से आये हैं। अब हम यहां एक मिनट भी नहीं ठहर सकते।’
‘मगर...।’
‘शटअप! नौडी को रुपये दो।’
रिको सूटकेस में से रुपये निकालने लगा।
तभी नौडी ने कहा- ‘सूटकेस वहीं रहने दो।’ उसके हाथ में पिस्तौल था। तुम दोनों हेटर को लेकर यहां से दफा हो जाओ। अगर तुम लोगों ने कुछ भी हरकत की तो मैं तुम दोनों को भूनकर रख दूंगा।’
नौडी का चेहरा सख्त हो गया था।
* * *
नौडी की हरकत पर रिको कांप उठा। वह पत्थर की मूर्ति बन गया था। सूटकेस में सात हजार डॉलर थे। अब सूटकेस पर रखा उसका हाथ थरथरा रहा था। उसने बेयर्ड को चेतावनी भी दी थी कि नौडी पर विश्वास नहीं किया जा सकता है, मगर वह नहीं माना। परिणाम उसके सामने था।
बेयर्ड चुपचाप खड़ा था। उसकी नजरें नौडी की पिस्तौल पर थी। नौडी चिल्लाया- ‘वापस मुड़ों।’ सुटकेस को जमीन पर गिरा दो और दोनों यहां से हेटर को लेकर फूट जाओ। अगर जरा भी चालाकी करने की कोशिश की तो भूनकर रख दूंगा।’
बेयर्ड घूमा और रिको ने देखा कि उसी के साथ बिजली की तेजी से उसने कोट में छिपाए कोल्ट (गन) को निकाल लिया। उसने तेजी से घूमकर नौडी को निशाना बनाना चाहा, मगर उससे पहले ही नौडी ने पिस्तौल चला दी।
उसका निशाना चूक गया।
उधर बेयर्ड ने एक के बाद एक तीन लगातार फायर किए। तीनों गोलियां नौडी के पेट में लगीं। वह जमीन पर गिरकर तड़पने लगा।
‘साला बदमाश! मुझसे लोहा लेने चला था। धोखेबाज!’ बेयर्ड बोला।
‘मैंने तो इसके बारे में पहले ही सचेत कर दिया था।’
‘उसका इनाम इसे मिल गया। अब तुम हेटर को उठाने में मेरा साथ दो।’
उसके बाद दोनों ने मिलकर हेटर के हाथ-पांव बांधे और एक कपड़े से उसका मुंह भी बंद कर दिया ताकि वह चीख न सके। इससे कुछ फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि वह अभी तक बेहोश पड़ा था।
सूटकेस और मशीनगन रिको ने उठा रखे थे। हेटर को बेयर्ड ने अपनी पीठ पर लादा हुआ था। वे तेजी से उधर चलने लगे, जहां नाव को छिपाकर आए थे। रास्ते के जंगली घास-फूस और गीली जमीन ने तो बेयर्ड की तेजी को खत्म नहीं किया था, पर जो भारी बोझ उसने हेटर का उठा रखा था, उसने उसकी चलने की गति को धीमी बना दिया था।
उधर शिकारी कुत्तों की आवाजें हर पल नजदीक आ रही थीं।
नाव से एक सौ कदम की दूरी पर बेयर्ड ने हेटर को उतारकर नीचे रख दिया और बोला।
‘उन्हें पता चल गया है कि हम इस रास्ते से जा रहे हैं।’
रिको ने कहा- ‘अब तो हम पहुंच गए है। सामने ही नाव है।’
‘नहीं, पहले इन कुत्तों का सफाया कर दें। अगर उनको पता चल गया कि हमारे पास नाव भी है तो वे इसे तबाह करके हमारा वापस जाने का रास्ता बंद कर देंगे।’
बेयर्ड ने इतना कहकर विंचेस्टर निकाला जो बड़ा ही खतरनाक हथियार था, और बिन आवाज किए गोली चलाता था।
‘यह तो अच्छा हुआ कि मैं इसे ले आया। मैं अभी उनको भूने देता हूं।’
तभी उसने पास ही जेल के एक पहरेदार को देखा। उसके एक हाथ में पिस्तौल थी और दूसरे हाथ में जंजीर से बंधा एक कुत्ता था। वह अलसेशियन डॉग था। वह एक खूनी भेड़िए की तरह नजर आ रहा था।
तभी पहरेदार ने बेयर्ड को देख लिया। वह पिस्तौल का फायर करने ही वाला था कि बेयर्ड ने कोल्ट से दो फायर किए वह जमीन पर गिरकर तड़पने लगा। मरते हुए पहरेदार का हाथ ढीला पड़ गया और कुत्ते ने जंजीर छुड़ाकर एक भूखे शेर की तरह बेयर्ड पर हमला कर किया।
बेयर्ड ने एक फायर किया जो कुत्ते को नहीं लगा। वह शोले की तरह उस पर लपका था। दूसरा फायर वह करना ही चाहता था कि कुत्ता उस पर झपट पड़ा। कोल्ट के हत्थे से बेयर्ड ने उसके हमले को रोका और उसी के साथ गन छूटकर दूर जा पड़ी। कुत्ते ने दोबारा झपटना चाहा। अब बेयर्ड के हाथ खाली थे। ज्योंही कुत्ता उस पर पुनः झपटा कि उसके खूनी पंजों से अपने को बचाने के लिए बेयर्ड ने उसे गले से पकड़ लिया। कुत्ता पहले से ही ज्यादा जोरदार ढंग से पंजों को हवा में हिलाकर अपने को छुड़ाने लगा। उसका निशाना बेयर्ड की छाती थी।
इंसान और कुत्ते में भयंकर संघर्ष हो रहा था। बेयर्ड जानता था कि अगर उसने कुत्ते की गर्दन पर अपने दोनों हाथों की पकड़ को जरा सा भी हल्का किया तो वह छूटते ही उसकी बोटी-बोटी नोंच डालेगा।
रिको सहमा-सहमा दूर खड़ा यह तमाशा देख रहा था। वह चाहता तो पीछे से आकर कुत्ते पर हमला करके बेयर्ड की सहायता कर सकता था, मगर वह भयभीत चुपचाप एक तरफ खड़ा हुआ था।
बेयर्ड ने अपनी पूरी ताकत से कुत्ते को मारना चाहा, मगर उसके गले पर मोटा-मोटा मांस था। वह शेर की तरह ताकतवर था। दोनों लड़ते हुए अब किनारे पर आ गये और उसी के साथ बेयर्ड ने जैसे ही कुत्ते को पानी में डुबोकर मारना चाहा कि वह उसके हाथ से छूट गया।
कुत्ता पानी से बाहर निकलने लगा, मगर बेयर्ड ने उसे फिर गर्दन से पकड़ लिया। दोनों पानी में ऊपर-नीचे होने लगे। बेयर्ड ने कुत्ते की गर्दन को पानी में डुबो दिया ताकि वह दम घुटकर मर जाये। अब कुत्ते की शक्ति क्षीण होने लगी थी। अचानक एक पल को बेयर्ड की पकड़ कुत्ते पर ढीली पड़ी ही थी कि उसने उछलकर बेयर्ड की मजबूत कलाई को अपने दांतों में दबा लिया। बेयर्ड ने खाली हाथ से चाकू निकाला और उसके पेट में भोंक दिया, लेकिन जब तक वह मरकर पानी में गिरता, उसके नुकीले दांत बेयर्ड की कलाई को लहूलुहान कर गये थे।
दूसरे ही पल सुबकता कुत्ता रेड रिवर के मटमैले पानी में डूब गया। बेयर्ड बाहर निकलकर बोला- ‘दरख्तों के जिस झुंड में हमने नाव को छिपा रखा है, हम भी वहीं कहीं जाकर छिप जाते हैं। अंधेरा होने पर हम चलेंगे।’
‘अगर वे देर तक यहां ठहरे?’
‘उन्हें हमारे बजाय उन पचास कैदियों का ज्यादा ख्याल है, जो दूसरे रास्तों से भाग रहे हैं।’
बेयर्ड ने हेटर को उठाया और तीनों नाव में जाकर छिप गये। सूटकेस खोलकर बेयर्ड ने फर्स्ट एड का बाक्स निकाला। कलाई में सख्त दर्द हो रहा था। उसने जख्म को धोया और आयोडीन लगाकर पट्टी बांध दी। उसके बाद कमीज और पेंट उतारकर पानी में साफ किए और नाव के तख्ते पर सूखने के लिए डाल दिये।
उसके पास व्हिस्की की एक बोतल थी। वह और रिको दोनों पीने लगे।
तभी कहीं दूर कुत्तों के भौंकने की आवाजें आईं।
रिको बोला- ‘वे कुत्ते हमें तलाश कर लेंगे।’
‘बकवास बंद करो।’ उसकी कलाई में तेज दर्द होने लगा था- ‘पानी में खड़े आदमी की गंध कुत्ते तक नहीं जा सकती। वे एक चक्कर काटकर वापस चले जाएंगे।’
थोड़ी देर बाद दो पहरेदार दो कुत्तों को लेकर बातें करते हुए वहां से गुजर गये।
एक बोला- ‘लगता है, वे इसी रास्ते से गये हैं।’
‘हां।’
‘उन्होंने सैम को गोली मार दी है।’
‘उसकी लाश को उठाकर ले चलें।’
‘हां, मगर उसका कुत्ता कहां गया?’
‘शायद उसे भी मार डाला हो।’
‘बास्टर्ड।’
उन्होंने गाली दी और वापस लौट गये।
उनके जाते ही बेयर्ड बोला- ‘अंधेरा हो जाए तो यहां से निकलेंगे।’
‘अगर इस बीच हेटर को होश आ गया तो।’
‘अब वह ऊधम नहीं मचायेगा।’
तभी रिको ने देखा कि अपनी बुझी-बुझी काली आंखों से हेटर उन दोनों को घूर रहा है।
रिको बोला- ‘होश में आ गया है।’
हेटर को होश में आया देखकर बेयर्ड मुस्कराया और बोला- ‘घबराओ नहीं, हम तुम्हारे दोस्त हैं।’
‘व्हिस्की पियोगे?’
‘तुम मुझे कहां लिये जा रहे हो?’
‘हमने तुम्हें छुड़ाया है। तुम्हारे कुछ दोस्त हैं, जो तुम्हें आजाद देखना चाहते हैं।’
‘मेरा कोई दोस्त नहीं है।’
‘अब तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं।’
‘मैं जानता हूं कि तुमने मुझे क्यों छुड़ाया है?’
‘हमें गलत मत समझो।’
‘मैं जानता हूं कि तुम क्या....चाहते हो। वह किसी को नहीं मिल सकते।’
बेेयर्ड ने उसे तसल्ली दी-
‘हमें कुछ नहीं चाहिए। अपने को इतना परेशान मत करो।’
हेटर ने आंखें बंद कर लीं। लगा कि वह फिर बेहोशी में जा डूबा है।
रिको ने पूछा- ‘जब पुलिस की हर यातना इसे मुंह खोलने पर राजी न कर सकी तो काईल को यह सब कुछ कैसे बता देगा?’
‘यह मेरा सिरदर्द नहीं है।’
‘अगर इसने काईल को भी न बताया तो महाराजा चालीस लाख कैसे देगा? ऐसी हालत में हमारे पल्ले क्या पड़ेगा?’
बेयर्ड ने कहा- ‘मैं इसे बोलने के लिए मजबूर कर दूंगा।’
‘तुम अभी इससे सब कुछ क्यों नहीं उगलवा लेते।’
‘मतलब?’
‘अगल यह सब कुछ बता दे तो हम इसे काईल के हवाले नहीं करेंगे।’
‘मगर मैं सोचता हूं कि अगर हमारे पास करोड़ों के हीरे आ भी गये तो हम उनको बेचेंगे कैसे?’
‘काईल कैसे बचेगा?
‘वह बड़ा आदमी है। इसके लिए करोड़ों का हेर-फेर मामूली बात है।
बेयर्ड नाव में लेट गया और बोला, ‘रिको, मैं चंद घंटे सोना चाहता हूं। तुम मुझे दो-तीन घंटे बाद उठा देना। उसके बाद तुम आराम करना। मेरी कलाई में सख्त दर्द हो रहा है। रात को नाव के चप्पू शायद तुम्हें ही चलाने पड़े।’
कहकर उसने आंखें बंद कर लीं। थोड़ी ही देर में वे खर्राटे लेने लगे। रिको को हैरत हुई कि इतनी मुश्किल स्थिति में भी कोई सो सकता है।
उसने नजर उठाकर हेटर को देखा। कभी सारे देश में उसका दबदबा था। वह दुनिया भर में हीरों की चोरी, जालसाजी और स्मगलिंग का सम्राट माना जाता था, लेकिन वक्त ने उसे बेहद बदसूरत, सनकी और बेबस बना दिया था। उसने सोचा कि अगर उसे भी हेटर की तरह एक लम्बे अर्से तक जेल में रहना पड़े तो उसकी क्या हालत होगी? इस विचार के आते ही वह डर से कांप उठा।
* * *
लगातार पांच घंटे तक वे तीनों नाव में छिपे रहे थे। पहरेदारों ने उन्हें बहुत खोजा था, मगर वे बहते पानी के अंदर बने पेड़ों के एक ऐसे झुंड में छिपे थे कि किसी की भी उन पर नजर न पड़ी थी।
एक दो बार हेटर ने आंखें खोली थीं और फिर बंद कर ली थीं। सब कुछ लुट जाने पर भी रिको निराश नहीं हुआ था। अब उसकी नजर हेटर पर थी, उसने सोचा कि अगर हेटर मर गया तो वह कहीं का न रहेगा। उसकी मेहनत बेकार जाएगी।
उधर बेयर्ड की कलाई कुत्ते के काटने से भयंकर लाल हो गई थी। रिको को उसका कम, पर हेटर का ज्यादा ख्याल था। वह चाहता था कि जल्दी से दरिया का सफर खत्म हो तो उसे किसी डॉक्टर के पास ले जाएगा। वेटर की मौत उसके लिए तबाही का संदेश थी।
वह बार-बार बेयर्ड से कहता-
‘चलो, अब रास्ता साफ है।’
‘अभी नहीं।’
‘हमें जल्दी चलना चाहिए।’
‘अंधेरा होने दो।’
‘हेटर को किसी डाक्टर को दिखाना जरूरी है। यह मर गया तो मैं बरबाद हो जाऊंगा।’
‘बको मत।’
बेयर्ड ने उसे झिड़का। उसे मन-ही-मन गुस्सा आ रहा था कि रिको को उसके बजाय हेटर का ज्यादा ख्याल है।
जब अंधेरा फैल गया तो उन्होंने नाव खोल दी। सारी रात का सफर था। वेयर्ड ने कहा -
‘मेरी कलाई में सख्त दर्द है। नाव के चप्पू तुम्हें ही चलाने होंगे।’
रिको ने पानी में कुछ देर तक उल्टे-सीधे चप्पू चलाये, लेकिन थोड़ी देर के बाद वह नाव को संभालकर चलाने लगा। वह अक्सर नाव को दरिया के बीच में ले जाता तो बेयर्ड कहता- ‘किनारे-किनारे चलाओ। अगर कोई खतरा हुआ तो किनारे पर उगे पत्तों में छिप सकते हैं।
बेयर्ड अपनी कलाई के बारे में बेहद चिन्तित था। कुत्ते के काटने से उसकी कलाई विषाक्त हो गई थी। उसका सिर दर्द से फटने लगा था और जिस्म टूट रहा था। उसे संकट की ऐसी घड़ी में अपने हाथ के बेकार हो जाने का बेहद अफसोस था। वह रिको को भी नहीं बता सकता था कि उसका हाल बुरा हो रहा है। उसे दुःख हुआ कि उसने रिको जैसे बेहूदा आदमी पर विश्वास किया।
चूंकि पानी का बहाव नीचे को था, इसलिए नाव के चप्पू चलाने में ज्यादा मेहनत न करनी पड़ रही थी, फिर भी वह अब हांफने लगा था।
‘तेज! रिको, तेज चलाओ।’
रिको के हाथ थक चुके थे। उसका सांस फूल गया था। आकाश में चांद निकल आया था। सामने का रास्ता साफ नजर आ रहा था, मगर गर्मी और मच्छरों ने रिको को बेहाल कर दिया था।
उधर बेयर्ड सोच रहा था कि दरिया के सफर के बाद उसे शूटिंग लाउंज कार से पहुंचना होगा। वहां तक जाने के लिए पांच घंटे चाहिए थे। क्या वह वहां तक पहुंच पाएगा।
तभी आकाश में शोर हुआ। रिको ने बेयर्ड को हिलाकर पूछा- ‘सुनो-सुनो, यह कैसा शोर है?’
आकाश पर एक एयरक्राफ्ट घूम रहा था। थोड़ी देर बाद वह उनकी नाव पर से गुजर गया। बेयर्ड ने कहा- ‘शायद वे एयरक्राफ्ट से हमारी तलाश कर रहे हैं, मगर इतने अंधेरे में वे हमें नहीं देख सकते।’
‘हूं।’
‘तुम तेज चलाओ।’
‘मेरे हाथों में चप्पू चलाते-चलाते छाले पड़ गये हैं।’
‘रिको, हिम्मत मत हारो। सारे रास्ते नाव तुम्हें ही चलानी पड़ेगी। मेरा बाजू बेकार हो चुका है।’
रिको फिर जोर-जोर से चप्पू चलाने की कोशिश करने लगा, तभी फिर कहीं हल्का सा शोर हुआ।
बेयर्ड बोला- ‘अगर जहाज वापस आये तो नाव को किनारे लगाकर पेड़ों की पानी में झुकी टहनियों में छिपा देना।’
मगर आवाज अब आकाश में नहीं, बल्कि पानी में से आ रही थी।
बेयर्ड ने कान लगाकर सुना।
वह बोला-
‘मोटरबोट।’
‘क्या!’ रिको चौंका।
‘हां, जहाज में सवार लोगों ने लगता है, हमें नाव में जाते देख लिया है।’
‘अब क्या करें?’
‘नाव को किनारे लगा दो।’
उसने नाव को किनारे लगा दिया।
रिको ने पूछा- ‘क्या हम भी नीचे उतरे?’
‘हां!’ बेयर्ड किनारे पर कूदा तो उसे लगा मानो उसकी टांगें जवाब दे चुकी हैं।’
‘रिको!’ बेयर्ड ने धीमे से पुकारा।
‘क्या है?’
‘हेटर को भी उठाकर किनारे पर ले आओ। लगता है उनके पास मशीनगनें हैं।’
बड़ी मुश्किल से रिको ने हेटर को नाव से निकाला और किनारे पर लाया। नाव उलटते हुए बची।
अब तीनों ऊंची उगी घास में छिप गये थे। थामसन राइफल, विचेस्टर पिस्तौल तथा मशीनगन को सामने रखकर बेयर्ड ने कहा- ‘तुम राइफल को लेकर थोड़ी दूर पर बैठ जाओ। उन पर दो तरफ से हमला करेंगे।
मोटरवोट का रंग सफेद था। एक सर्चलाइट को उस पर फिट कर दिया गया था। उस पर तीन आदमी थे। दो मशीनगनेें लिए थे, तीसरा मोटरबोट में लगी सर्चलाइट के पास खड़ा था।
उन्होंने सर्चलाइट को उन पर फेंका और मोटरबोट को आगे ले गये। एक पल के बाद उन्होंने चक्कर काटा और फिर आ गये। इस वक्त वे बिल्कुल किनारे के पास थे। अचानक उनमें से एक चीखा- ‘वह रही नाव।’
अब मोटरबोट किनारे के पास था तथा सर्चलाइट को नाव पर फेंक रहा था। इससे पहले कि उनकी तरफ से शुरुआत होती, बेयर्ड ने पहला फायर किया। गोली डेक के तख्ते को चीरती हुई निकल गई और उसी के साथ दोनों गनमैन भी दरिया में जा गिरे।
बेयर्ड ने दूसरी गोली मारी और सर्चलाइट को बुझा दिया। मोटरबोट तेजी से आगे बढ़ गया। रिको ने कोई गोली नहीं चलाई। वह राइफल को सिर के नीचे रखकर औंधा लेट गया था और कांप रहा था।
बेयर्ड ने खड़े होकर देखा-मोटरबोट फिर वापस आ रहा था। दोनों गनमैनें, जो दरिया में गिर गये थे, तैरते हुए किनारे-किनारे पहुंच गये थे। मोटरवोट उनको लेने लगा था। बेयर्ड उठ खड़ा हुआ। वह एक पेड़ की आड़ लेकर खड़ा हो गया था। रिको बंदर की तरह घुटनों के बल उठकर बैठ गया था और अंधेरे में घूर रहा था।
मोटरबोट वापस मुड़ा। उन्होंने मशीनगन को डेक के ऊपर फिट कर रखा था। जैसे ही वे नाव के पास आए कि उन्होंने गोलियां चलानी शुरू कर दीं। गोलियों से पेड़ फट गया, किनारा हट गया और नाव के टुकड़े-टुकड़े होकर हवा में उड़ गये।
बेयर्ड पेड़ की जड़ में लेटा था। मोटरबोट आगे बढ़ा गोलियां बराबर चल रही थीं। जैसे ही गोली चलती तो घास-फूस पर गीली मिट्टी सरसराकर उड़ती। मोटरबोट ने जब उस हिस्से को अपनी चपेट में ले लिया, जहां रिको था तो वह घबरा गया। अगर वह पहले की तरह जमीन पर लेटा रहता तो कुछ न होता, मगर वह डर के मारे उठा ताकि कहीं दूर जाकर छिप जाए।
अचानक अंधेरे में एक गोली आकर उसकी टांग में लगी और चीरती हुई गुजर गई। रिको चीख मारकर नीचे लुढ़क गया।
बेयर्ड ने सोचा- आखिर कमबख्त मर ही गया। जब उसकी सख्त जरूरत थी, तभी उसने साथ छोड़ दिया।
अगरचे उसकी कलाई में दर्द था, मगर जैसे ही मोटरबोट फिर लौटा तो बेयर्ड ने देखा कि उस वक्त मशीनगन गोलियां नहीं फेंक रही थी। उसने थामसन और विचेस्टर दोनों को बारी-बारी इस्तेमाल करते हुए मोटरबोट पर आग बरसानी शुरू कर दी। उसी के साथ उसने कई जिस्मों को चीखें मारते हुए दरिया में गिरते देखा।
अब मोटरबोट बेकाबू हो गया था। उस पर कोई भी जीवित नहीं बचा था। वह चलता हुआ किनारे से आ टकराया। उसका अगला हिस्सा गीली मिट्टी में फंसकर घर्र-घर्र करने लगा। उसकी मशीनरी अभी तक चल रही थी।
आगे बढ़कर वह मोटरबोट पर जा चढ़ा। एक गार्ड जख्मी हालत में पड़ा था। उसने बेयर्ड को देखा और पास पड़ी मशीनगन उठाने लगा, मगर बेयर्ड ने कोल्ट निकालकर गोली उसके सिर में दे मारी। उसने चीखकर दम तोड़ दिया।
इसके साथ ही बेयर्ड ने मशीन को रिवर्स गियर में डालकर मोटरबोट को पीछे किया और ठीक से चलाता हुआ किनारे के साथ पीछे ले आया।
नाव टूटकर टुकड़े-टुकड़े हो चुकी थी। अब यही मोटरबोट थी, जो उसको अपनी मंजिल तक ले जा सकती थी। बेयर्ड का सारा शरीर दर्द से भारी हो चुका था। एक अज्ञात शक्ति मानो उसे सहारा दे रही थी। अगर किसी तरह वह हेटर को मोटरबोट में सवार करवाने में सफल हो जाता है तो उसकी ज्यादातर परेशानियां खत्म हो जाएंगी- उसने सोचा।
उसने अंधेरे में हेटर को तलाश करना शुरू किया। वह बेजान सा खामोश वहीं पड़ा था, जहां बेयर्ड ने उसे पटका था। बड़ी जानमारी के बाद बेयर्ड उसे मोटरबोट पर लादने में सफल हुआ। उसने सूटकेस और हथियार भी तलाश करके उसमें रख लिये।
‘बेयर्ड! बेयर्ड!’
उसने सुना- यह रिको की आवाज थी। उसे हैरत हुई कि वह अभी तक जीवित है। वह झाड़ियों के बीच रिको को ढूंढ़ने के लिए आगे बढ़ा। जरा-सा चलने पर उसे रिको औंधा पड़ा मिल गया। दर्द से उसका रंग सफेद हो गया था।
रिको सिसकता हुआ बोला- ‘मैंने समझा कि तुम मुझे भूल गये हो। मैंने सोचा कि तुम मुझे यहां मरने को छोड़े जा रहे हो।’
‘उठो-उठो! चूहे के बच्चे। तुम यहां लेटे क्या कर रहे थे?’
‘मेरी टांग में गोली लगी है।’
‘टांग में।’
‘मेरी टांग टूट गई है। खून बह रहा है।’
‘......।’
‘बेयर्ड मेरी मदद करो।’
‘जब गोलियां चल रही थी तो तुम उठकर क्यों भागे?’
‘बेयर्ड, मेरी मदद करो। मुझे मरने के लिए यहां छोड़कर मत जाओ।’
एक पल को बेयर्ड के दिमाग में विचारों की एक नई तरंग उभरी। उसने सोचा- वह इसे क्यों न छोड़ जाये? शुरू से आखिर तक रिको उसके लिए निरर्थक साबित हुआ है। अब उसकी टांग टूट चुकी है। अब तो वह और भी ज्यादा परेशान करेगा। वह कहां उसे कंधे पर उठाये घूमेगा।
‘अच्छा-अच्छा! चिल्लाओ मत। मैं अभी वापस आता हूं। मुझे हेटर को तो तलाश करने दो।’
रिको समझ गया कि बेयर्ड झूठ बोल रहा है।
वह चीखा- ‘नहीं-नहीं, मुझे इस तरह छोड़कर मत जाओ। मैं मर जाऊंगा।’
‘शटअप।’
वह वापस मुड़ा।
रिको उसको आवाजें देता रहा, मगर वह रुका नहीं। टूटी टांग के साथ वह उसके पीछे घिसटने लगा। उसका शरीर दर्द ने तोड़ डाला था। अपने पंजों को गीली मिट्टी में गड़ाकर वह घिसटता रहा।
‘बेयर्ड मैं आ गया।’
‘.....।’
‘बेयर्ड, मेरा इंतजार करो।’
सहसा चलते चलते बेयर्ड के पांव रुक गये। उसने सोचा, क्यों न एक गोली मारकर वह रिको को इस यातना से हमेशा के लिए मुक्ति दिला दे, मगर यह सोचकर कि हो सकता है कि कोई गार्ड आसपास हो और उसके गोली चलाने से चौकन्ना हो जाए। उसने पिस्तौल जेब में डाल लिया।
रिको अब तक घिसटकर किनारे तक आ गया था।
उधर मोटरबोट पर सब सामान रखकर हेटर मशीन शुरू करने जा ही रहा था कि उसके कानों में रिको के चिल्लाने का स्वर पुनः गूंजा।
‘वापस आओ। वापस आओ।
‘.....।’
‘रुको-रुको। मैं आ गया हूं।’
वह एक पागल कुत्ते की तरह घिसटता हुआ किनारे पर आ गया था।
उधर मोटरबोट धीरे-धीरे हरकत में आ चुका था और किनारे से दूर होने लगा था।
रिको ने राइफल उठा ली। वह चीखा, बेयर्ड लौट आओ। मैं कहता हूं लौट आओ, वरना मैं तुम्हें गोली मार दूंगा।
बेयर्ड ने मोटरबोट की गति तेज कर दी थी। वह रिको की चीखे और धमकियों की सीमा से बाहर निकल चुका था। अब वह पूरी तरह उससे बेखबर हो चुका था। उसके लिए रिको अब एक कीड़े-मकोड़े की तरह था जो कभी भी दम तोड़ सकता था।
रिको ने राइफल उठा ली। उसने घोड़ा दबाया, मगर कुछ भी न हुआ। उसने अंगूठे से सेफ्टी कैच को पीछे करना चाहा कि एक धच्के के साथ राइफल पानी में जा गिरी। उसने गिरती राइफल को पकड़ना चाहा तो अपना संतुलन भी खो बैठा। उसी के साथ वह भी कमर तक पानी में जा गिरा।
बेयर्ड मोटबोट के साथ नजरों से ओझल हो चुका था।
रिको की टूटी टांग नीचे से मुड़ी और वह पानी में डूबने लगा। उस पर बेहोेश छाने लगी थी। पानी उसके मुंह तक आया तो कुछ हद तक उसकी बेहोशी कम हुई। वह छपाके मारता हुआ किनारे की तरफ बढ़ा।
उसकी सांस फूल चुकी थी। टांग में मानो किसी ने दर्द का पैबंद लगा दिया था। वह आधा जमीन पर और आधा पानी में पड़ा था। उसने डर और आतंक से दूर अंधेरे में मोटरबोट को गायब होते देखा।
खून बड़ी तेजी से बहकर पानी में मिल रहा था। उसने चांद की रोशनी में देखा कि खून के आसपास का पानी लाल हो गया था।
इस पर भी उसे विश्वास था कि वह मरेगा नहीं। उसने अपने को समझाया कि रिवर पुलिस यहां उनको तलाश करती आयेगी और उसे बचा लेगी।
उसने अपनी आंखें बंद कर लीं और ईश्वर से जान की भीख मांगने लगा। अटपटे शब्द उसके मुंह से निकल रहे थे और वह सुबक रहा था।
थोड़े फासले पर ही एक भयंकर मगरमच्छ का सिर बाहर निकला। पानी में खून उसके मुंह को जा लगा था और धीरे-धीरे वह अपने शिकार पर झपटने के लिए आगे बढ़ने लगा।
रिको इस खतरे से बेखबर था।
मगरमच्छ ने नजदीक आकर पानी की सतह पर एक जोर की पूंछ मारी। पानी के छींटे उड़कर रिको के मुंह पर पड़े। उसने अपनी आंखें खोलीं। चंद गज दूर उसने पानी में हलचल देखी।
कोई चीज उसकी तरफ बढ़ रही थी।
उसने हैरत से उसकी तरफ देखा और सोचा। वह क्या हो सकता है? दर्द ने उसके डर को कुछ कम कर दिया था। पानी में उठते बुलबुलों ने उसे भयभीत नहीं किया था। वह दुविधा और हैरत से उस तरफ देखने लगा।
अचानक मगरमच्छ ने उस पर हमला किया और अपने जबड़ों में उसे दबोच लिया। जब तक उसे पता चलता कि वह मगरमच्छ का शिकार हो चुका है, उस वक्त तक बहुत देर हो चुकी थी।
मगरमच्छ उसको घसीटता हुआ गहरे पानी में ले जा रहा था।
* * *
एडम गिलिस एक पेड़ के नीचे खड़ा था। बारिश हो रही थी। पत्तों से गिरता पानी उसे भिगो रहा था। सड़के धीमी रोशनी में गोली होकर चमकने लगी थी। कभी-कभार कोई कार आती और सरसराती हुई सरपट गुजर जाती थी।
वह रुजवेल्ट गुलबर्ग का इलाका था जहां काईल का बंगला बना हुआ था। गिलिस थोड़े ही फासले पर खड़ा था। उसकी नजर कभी-कभार काईल के बंगले पर उठ जाती थी।
बारिश तेज होने लगी थी। गिलिस अपने मैले-से कोट की जेब में हाथ डाले खड़ा था। उसे इस बात की परवाह नहीं थी कि बारिश ने उसे सिर से पांव तक भिगो दिया था।
वह खुश था।
जो वह चाहता था, वह होने वाला था।
थोड़ी देर पहले उसने एक पब्लिक टेलीफोन बूथ से जॉर्ज को एक गुमनाम टेलीफोन करके बता दिया था कि जीन ब्रूस की चेन प्रिस्टन काईल की सेफ में पड़ी है।
इससे पहले कि जॉर्ज वहां पहुंचता, वह काईल का तमाशा देखने के लिए वहां आ खड़ा हुआ था। जॉर्ज को पहुंचने में बीस मिनट लग गये थे। गिलिस को हैरत हो रही थी। कि जॉर्ज ने क्यों आने में देर लगा दी थी, पर उसे मालूम नहीं था कि तलाशी के वारंट पर एक जज से दस्तखत करवाने में उसे समय लग गया था।
अचानक एक कार रुकी। उसमें से गुप्तचर विभाग के दो जासूस और जॉर्ज उतरा। वे सीढ़ियां चढ़ते हुए काईल के बंगले में गये और दरवाजा बंद हो गया।
बाहर सड़क पर एक पुलिस जीप खड़ी थी जिसमें पुलिस के कई सिपाही बैठे थे। गिलिस काईल के बंगले के नजदीक जाकर खिड़की से देखना चाहता था कि अंदर क्या हो रहा है, मगर पुलिस ने उसे आगे बढ़ने से रोक दिया था, इसलिये वह पेड़ के नीचे खड़ा काईल के बाहर निकलने की प्रतीक्षा कर रहा था।
गिलिस को ज्यादा देर तक इंतजार नहीं करना पड़ा। आधे घंटे बाद ही काईल सिर झुकाये जॉर्ज के साथ बाहर निकला। उसके साथ गुप्तचर विभाग के दोनों अफसर भी थे।
काईल की चाल में संतुलन नहीं था। वह शक्ल से बहुत थका और बूढ़ा नजर आ रहा था। वह पुलिस कार में जाकर जॉर्ज के साथ बैठ गया। दोनों अफसर वापस अंदर चले गए।
कार चल पड़ी।
काईल को पुलिस के साथ कार में जाते देखकर उसको बेहद खुशी हुई। एक का तो उसने पत्ता काट दिया था।
टेलीफोन करने और टैक्सी पर आने पर गिलिस ने अंतिम डॉलर भी खर्च कर दिया था, मगर उसे इसकी परवाह नहीं थी। उसने काईल की इज्जत का जनाजा अपनी आंखों से निकलते देख लिया था।
वह जानता था कि ईव अपने फ्लैट में होगी और इसके पास रुपये होंगे। वह रोक्स बोरो एवेन्यू में रहती थी, जो वहां से काफी दूर था। मगर वह खुशी के मूड में था, सो वह पैदल ही चल पड़ा था। उसने सोचा, शायद आज की रात के बाद उसे कभी पैदल नहीं चलना पड़ेगा। उसकी अपनी कार होगी। उसने भविष्य के बारे में जो योजना बनाई थी, उसको लेकर वह काफी आशावादी जान पड़ता था।
ईव के फ्लैट पर पहुंचकर उसने दरवाजा खटखटाया। ईव ने दरवाजा खोला और हैरत से बोली।
‘ओह, एडम! तुम इस वक्त यहां? तुम तो सिर से पांव तक भीग गये हो। तुम अंदर आ जाओ।
‘मैं भी यही सोच रहा था।’
‘तुम पैदल ही आये लगते हो, तभी सारे भीग गये हो।’
‘रास्ते में कोई टैक्सी मिली ही नहीं।’
गिलिस कमरे में आ गया। उसके कपड़ों से पानी रिस रहा था और जूते कीचड़ से भरे थे। वह बोला- ‘मैं बाथरूम में जाकर इन्हें उतारता हूं, वरना सारा ड्राइंगरूम खराब हो जाएगा।
‘शाम को प्रिस्टन का फोन आया था। वह आने वाला होगा। जब तुमने दरवाजा खटखटाया तो मैं समझी कि शायद वह आ गया है। तुम यहां से...।’
‘तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है।’
‘क्यों?’
‘काईल नहीं आएगा।’
‘तुम्हें कैसे मालूम?’
‘यहां आने की बजाय उसे कुछ और जरूरी बातों पर ध्यान देना पड़ रहा है।’
‘मतलब?’
‘मैं पहले अंदर जाकर गर्म पानी से नहा लूं, फिर तुम्हें आकर बताऊंगा। मुझे कहीं सर्दी न लग जाये।’
कहकर वह बाथरुम में चला गया। उसने काईल के सेफ्टी रेजर से शेव बनाई, खूब साबुन मलकर नहाया, अपने कपड़ों को सूखने के लिए खूंटी पर लटका दिया और वहीं पर लटकता ईव का गाउन पहनकर बाहर निकला।
कमरे के एक कोने में हीटर रखा था। वह उसके सामने आकर बैठ गया। उसने पूछा- ‘कुछ पीने के लिए है?’
‘क्या?’
‘व्हिस्की।’
ईव अलमारी में से उसके लिये व्हिस्की निकाल लाई। गिलिस पीने लगा।
‘प्रिस्टन को क्या हुआ?’
‘मुझे शक है कि वह मुसीबत में फंस गया है।’
‘कैसी मुसीबत?’
‘मैंने कहा न, किसी मुसीबत में फंस गया है। तुम क्यों घबराती हो? अब वह तुम्हें कभी परेशान नहीं करेगा।’
‘मतलब?’
‘तुम भी तो उससे उकता चुकी थी।’
‘वह कैसे मुसीबत में फंसा?’
‘पुलिस ने जीन ब्रूस की चेन को उसके घर से बरामद कर लिया।’
‘तुमने पुलिस को खबर दी होगी?’
‘नहीं, कई दफा सोचा, पर हर बार अपना इरादा बदल लिया। मैंने पुलिस को खबर नहीं दी थी।’ गिलिस ने झूठ बोला।
‘पुलिस अब उसके साथ कैसा सलूक करेगी?’
‘मेरा ख्याल है कि वह दस साल के लिये जेल की हवा खायेगा। खैर, तुम फिक्र क्यों कर रही हो? वह अब तुम्हारे रास्ते से हट चुका है। तुम भी तो यही चाहती थी।’
उसने शराब के गिलास दोबारा भरे।
‘ईव, यही जिन्दगी है। मैं कई बार सोचता हूं काश! मैं भी लड़की होता तो किसी बूढ़े करोड़पति को बेवकूफ बनाकर आराम ही जिन्दगी गुजारता।’
ईव उसकी बात सुनकर कांप उठी, मगर कुछ कहा नहीं।
एडम ने कहा- ‘खैर, क्या तुम्हें काईल ने बताया था कि शूटिंग लाउंज पर क्या हुआ?’
‘उसने कुछ खास तो बताया नहीं। बस इतना कहा कि उसे सफलता नहीं मिली।’
‘लगता है कि तुम्हें उसकी नाकामी से कोई खास सदमा नहीं पहुंचा।’
‘मुझे क्यों पहुंचता ?’
‘तुमको भी तो उसके माल में हिस्सा मिलता।’
‘मुझे क्यों मिलता? मैं शुरू से ही इस योजना के खिलाफ थी, पर लगता है तुम्हें उसकी नाकामी से बेहद खुशी हुई है।’
‘मैं तुम्हें बताता हूं कि शूटिंग लाउंज पर क्या हुआ था?’ काईल वहां ठीक समय पर पहुंच गया था। वह ऊपर नीचे बड़ी परेशानी में घूम रहा था। मुझे बुखार था, फिर भी मैं एक झाड़ी में छिपा देख रहा था। वक्त गुजर गया, मगर वह नहीं आया, तब उसने रेडियो खोला, खबर आई कि बेयर्ड पुलिस की मोटरबोट को लेकर भाग निकला है। हमने बहुत देर तक इंतजार किया, मगर बेयर्ड नहीं आया।
ईव उठ खड़ी हुई और कमरे में इधर-उधर घूमने लगी। उसकी खामोशी से चिढकर गिलिस बाला- ‘लगता है तुम्हें जैसे इस मामले से कोई सरोकार ही न हो। यह क्यों भूलती हो कि हम इस मामले को लेकर एक साथ काम कर रहे थे।’
‘यह गलत है। मैं कभी भी इस मामले में तुम्हारे साथ नहीं थी। तुमने जो मुझे कुछ करने के लिए मजबूर किया, वह मैंने कर दिया। मैं तो शुरू से इस योजना को एक हिमाकत मानती थी।’
‘तुम भी अजीब लड़की हो।’ गिलिस ने सिगरेट का धुआं हवा में उड़ाते हुए कहा।
‘लाखों हाथ में आते-आते फिसल गए हैं। तुम्हें कुछ फर्क ही नहीं पड़ा। उन रुपयों से जिन्दगी बदल सकती थी।’
‘मुझे मालूम है कि मैंने क्या खोया और क्या पाया है।’
‘खैर, जो कुछ मैंने बेयर्ड के बारे में सोचा था, ठीक निकला।’
‘तुम उसकी बहादुरी की तारीफ कर रहे हो?’
‘इसमें बुराई क्या है?’
‘उसकी वजह से आठ आदमियों की जानें जा चुकी हैं। तुम्हारे लिए इसका कोई अर्थ ही नहीं।’
‘जो आदमी जेल का पहरेदार बनता है, उसे मौत के लिए भी तैयार रहना चाहिए। जिन्दगी बिना खतरों के बेमानी नजर आती है।’
ईव ने पूछा- ‘तुम क्या सोचते हो, हेटर का क्या हुआ होगा?’
‘वह बेयर्ड के साथ होगा। हो सकता है कि बेयर्ड महाराजा से सीधा सौदा करे। अगर उसने ऐसा किया तो पुलिस उसको छोड़ेगी नहीं। नरैटन के खून के इल्जाम में जॉर्ज उसको पकड़ लेगा।’
‘तुम्हारा क्या ख्याल है, राजा उससे बात करेगा।’
‘तुम्हारा मतलब है- बेयर्ड से?’
‘हां।’
‘जरूर करेगा।’
‘वैसे तुम्हें कब अहसास हुआ कि बेयर्ड तुम्हें चकमा दे गया है और काईल अब तुम्हारे मतलब का नहीं रहा है?’
‘तुम्हें जानकर खुशी नहीं होगी?’
‘फिर भी मैं जानना चाहती हूं।’
‘तुम अगर प्रिस्टन के बारे में जानना चाहती हो तो सुनो। जब तुमने कहा कि तुम उससे तंग आ चुकी हो तो मैंने जॉर्ज को फोन कर दिया कि जीन ब्रूस की चेन काईल की सेफ में पड़ी है।’
‘इसके लिए तुम मुझे ही दोषी ठहरा रहे हो।’
‘अगर तुम काईल से तंग न आ गई होती तो मैं शायद पुलिस को फोन न करता।’
ईव चुप हो गई। वह जानती थी कि बेयर्ड ने उसे धोखा दिया था और काईल से उसे कुछ मिलने वाला नहीं था, इसलिए उसने पुलिस को फोन कर दिया था। पर गिलिस के दिमाग में कुछ और ही था। वह अपने किसी और स्वार्थ के लिए काईल को राह से हटाना चाहता था। मगर उस समय चुप था।
ईव ने कहा मैं सोने जा रही हूं। तुम चाहो तो रात को यहीं ठहर जाओ।
‘मैं भी यही कहने वाला था, मगर इतनी जल्दी मत भागो। मैंने तुमसे एक जरूरी बात करनी है।’
वह समझी कि शायद वह कुछ रुपये मांगना चाहता है, सो बोली, ‘कितने चाहिए?’
‘तुम्हारे पास कितने हैं मुझे देने के लिए नहीं बल्कि अपना गुजर-बसर करने के लिए। अब काईल तो रहा नहीं। कब तक इस फ्लैट में रह सकोगी?’
ईव ने कुछ सोचकर कहा- ‘मैं वापस फोलीज थियेटर में चली जाऊंगी।’
‘अगर उन्होंने तुम्हें वापस न लिया तो? मेरी राय में वापस जाने में कोई तुक तो है नहीं। वैसे मैं तुम्हें एक बात कहना चाहता था।’
‘क्या?’
‘महाराज तुमको पसंद करने लगा है।’
ईव चौंककर खड़ी हो गई। यह बोली- ‘क्या कहा तुमने?’
‘राजा तुम्हें चाहने लगा है। वह तुम्हें अपनी रियासत चित्तौड़ में ले जाना चाहता है। मैंने उनसे वायदा किया था कि मैं तुमसे इस मामले में बात करूँगा।’
‘मैं समझी नहीं? क्या तुम राजा को जानते हो? तुम उससे कैसे मिले?’
‘तुम्हें हैरत क्यों हुई? मैं उसे जानता हूं। पहली बार मैं उसे भारत में मिला था। वहां उसके लिए कुछ किया था, तभी से वह मुझसे प्रभावित है।’
‘मतलब यह है कि तुमने राजा को कुछ औरतों से मिलवाया था, जो उसकी बात मान गई थीं?’
गिलिस ने गंभीर होकर कहा- ‘ताना देने की क्या जरूरत है? मुझे तो यह भी पता नहीं कि मैंने उसके लिए क्या किया था, तभी राजा से बात हुई थी।’
‘किसके बारे में?’
‘हीरों के बारे में। तभी हमने योजना बनाई थी कि बेयर्ड की सहायता से हेटर को छुड़ाया जायें।’
‘ओह, यह बात थी। अगर ऐसा था तो तुमने मुझे और काईल को क्यों बीच में उलझाया था?’
‘मैंने यह सोचकर काईल को पकड़ा था कि अगर पासा हमारे खिलाफ पड़ा तो उसे ही बलि का बकरा बनाया जा सकता है।’
‘क्या उस बलि के बकरे में मैं भी शामिल थी?’
‘क्या बक रही हो? पुलिस को तुमसे क्या लेना-देना था?’
‘अगर काईल पुलिस को बता देता कि यह मेरी योजना थी तो क्या होता?’
‘मैं जानता हूं कि काईल इतना बुरा नहीं, जो तुम्हें इस मामले में फंसाता। काम तो ठीक से चला था, पर बदकिस्मती से ऐन वक्त पर चौपट हो गया। खैर, इस बात के बारे में अब क्या सोचना। अगर तुम चाहो तो राजा तुम्हारी जिन्दगी बना सकता है।’
ईव ने कोई जवाब नहीं दिया।
गिलिस ने कहा- ‘तुमने सुना नहीं, मैंने क्या कहा?’ उसका स्वर गुस्से से भरा था।
ईव बोली, ‘सुन लिया।’
‘मैंने राजा से बात की है। वह काफी कुछ करने को तैयार है। यह सही है कि भारत में औरतों को इतनी आजादी नहीं है, फिर भी और दूसरे ऐशो-आराम हैं। राजा के पास महल है, हीरे-जवाहरात है। सब तुम्हें पहनने को मिलेंगे।
ईव ने कहा-
मेरा ख्याल था कि उसकी शादी हो चुकी है।’
गिलिस हंसा- ‘तुम तो इन राजाओं से वाकिफ ही हो। इनके लिए क्या शादी और क्या प्यार। उसकी कोई पत्नी हो भी तो तुम्हें क्या फर्क पड़ता है? उसकी वर्तमान पत्नी से तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं है।’
ईव चुप रही।
‘वह एक हफ्ता यहां और ठहरेगा। इस उम्मीद में कि शायद बेयर्ड उससे सम्पर्क करे। वह यहां से तीस को जाएगा। हम भी उसके साथ चलेंगे। वह तुम्हें एक बड़ी मोटी रकम दे देगा, ताकि तुम अच्छे-अच्छे कपड़े खरीद सको। वह जिसे पसन्द करता है, उस पर दौलत पानी की तरह लुटाता है।’
‘क्या वह तुम्हें भी कोई सर्विस देगा।’
‘मैं उसका प्राइवेट सैक्रेटरी होऊंगा। खूब पैसा मिलेगा। यह मामला ज्यादा लम्बा चलने वाला नहीं हैं। जिस ढंग से वह पैसा खर्च कर रहा है, उस हिसाब से पांच-छः साल ही चल पाएगा, तब तक हम खूब माल उससे ऐंठ लेंगे।
‘मुझे खुशी है, एडम। तुम्हें एक अच्छी जगह मिल गई है। तुम खुश रहोगे और खूब कमाओगे।’
‘अबकी बार मैं यह मौका हाथ से नहीं जाने दूंगा। खैर, छोड़ो इसे। मैंने राजा से कहा था कि तुम कल उसे होटल में मिलोगी और उसी के साथ लंच लेगी। वह जल्दी-से-जल्दी तुम्हारी राय जानना चाहता है।
‘सॉरी, मैं नहीं जा सकूंगी।’
‘क्यों, तुम्हें क्या ऐसा जरूरी काम है, जो तुम वहां नहीं जा सकती? तुम्हें हर हालत में जाना होगा।’
‘तुम्हें मालूम है कि तुम क्या कह रहे हो? तुम्हें मालूम है कि राजा ‘कलर्ड’ है, एक गोरी लड़की एक काले एशियाई से कैसे शादी कर सकती है?’
गिलिस ने गुस्से से कहा- ‘क्या बकती हो। राजा ऊंचे वंश के लोग होते हैं। वह राजा ऐटन और कैम्ब्रिज में पढ़ा है।’
‘मुझे इससे कुछ फर्क नहीं पड़ता। अगर वह कलर्ड न भी होता तो भी मेरा जवाब इंकार में था। मैं वापस फोलीज जा रही हूं। मैं इस तरह से जिन्दगी को काफी देख चुकी हूं।’
‘जब फोलीज को पता चलेगा कि काईल जेल में है तो क्या वह उसकी प्रेमिका को अपने थियेटर में जगह देना पसंद करेंगे? इस स्कैंडल में मत फंसो, वरना तुम्हें पछताना पड़ेगा।’
ईव ने दांतों के नीचे अपना होंठ दबाया।
गिलिस बोला- ‘अक्ल से काम लो। कल राजा से मिल लो। हम जहाज से जाएंगे। शिप जर्नी बड़ी अच्छी रहेगी। शिप पर तो तुम्हें उसकी बात माननी ही होगी।’
ईव ने गुस्से से कहा- ‘मुनासिब यही है कि तुम यहां से चले जाओ।’
‘तुम चाहती क्या हो?’
‘अब कभी मेरे पास न आना। मैं तुमसे मिलना भी नहीं चाहती। मैं काफी दिनों से सोच रही थी कि तुमसे कहूं कि मैं अब तुमसे कोई रिश्ता रखना नहीं चाहती, पर साहस न बटोर पाई थी। आज वह समय आ गया है, जब मैं तुमसे कह दूं कि मैं तुम्हारी हरकतों से तंग आ चुकी हूं। मुझे खुशी है कि तुम्हें सर्विस मिल गई है और तुम भारत जा रहे हो।’
‘डोंट बी सिली। हिमाकत का सबूत मत दो। ऐसा मौका जीवन में बार-बार नहीं आता। अगर हमने इसका लाभ उठाया तो हमारी जिन्दगी बन जाएगी।’
‘मैं कहती हूं, यहां से तुम चले जाओ।’
अगरचे इर्वे की आवाज कांप रही थी, मगर उसमें दृढ़ता थी, इसका गिलिस को तुरन्त आभास हो गया। उसका मन एक अकथनीय कड़वाहट से भर आया था।
वह गंभीर स्वर में बोला- ‘तुम मेरे प्रति एकाएक ऐसी क्रूर हो गई? राजा मुझे सर्विस सिर्फ तुम्हारी वजह से दे रहा है। अगर तुमने इंकार कर दिया तो मुझे भी कुछ नहीं मिलेगा। उसने मेरे कहने से ही हीरों को वापस लेने की योजना बनाई थी। उसका ख्याल है कि मैंने ही बेयर्ड को धोखा देने के लिए प्रेरित किया था। मैंने उसकी चैक बुक में से दो-तीन चेक फाड़कर उसके हस्ताक्षर करके कुछ रुपया बैंक से निकलवा लिया था। उसे पता चल गया है। अगर तुमने इंकार कर दिया तो वह मुझे जेल भिजवा देगा। उसने इसी शर्त पर कोई कानूनी कार्यवाही न करने का वायदा किया है कि तुम मान जाओगी।’
‘दफा हो जाओ यहां से।’ ईव ने गुस्से से कहा- ‘मैं कभी तुम्हारी शक्ल तक नहीं देखना चाहती।’
‘ओह, नहीं। तुम मुझसे इतनी बदतमीज़ी की बात मत करो। मैं जब चाहूंगा, तब जाऊंगा। अगर तुमने मेरी बात न मानी तो तुम्हें पछताना पड़ेगा।’
‘अगर तुम चुपके से नहीं चले गए तो मैं बिल्डिंग में रहने वाले चपरासी को बुला लूंगी। वह तुम्हें यहां से धक्केे मारकर निकाल देगा।’
‘तुम यह हरकत करोगी तो मैं तुम्हारी चमड़ी उधेड़ दूंगा।’ फिर जरा नर्मी से बोला- ‘जरा सोचो तो सही कि तुम्हारी वजह से मेरी कितनी अच्छी सर्विस हाथ से निकली जा रही है। तुम आदमी के रंग को लेकर यों ही झगड़ा कर रही हो। यह सिर्फ एक बहाना है।’
‘अगर तुम मेरे भाई न होते तो मैं तुम्हें एक गाली देती, पर अब मजबूर हूं। तुम जाओगे या मैं टेलीफोन करके नीचे से चपरासी को बुलाऊं। वह नीचे रिसेप्शन पर से एक मिनट में आ जाएगा।’
‘नहीं, मैं नहीं जाऊंगा। रिसीवर वापस रख दो, वरना तुम्हें पछताना पड़ेगा।’ गिलिस चीखा।
ईव ने जैसे ही जल्दी से नीचे रिसेप्शन का नम्बर मिलाना चाहा कि गिलिस झपटकर उसके पास पहुंचा और रिसीवर उसके हाथ से छीन लिया। उसके ऐसा करते ही ईव ने कसकर एक चांटा गिलिस के मुंह पर दे मारा।
उसका मुंह लाल हो उठा। वह गुस्से से थर-थर कांपने लगा, उसकी मुट्ठियां भिंच गईं। उसने खा जाने वाली नजरों से ईव को देखा। अचानक उसकी नजर मेज पर पड़ी शराब की बोतल पर गई। उसने वह उठाकर पूरी ताकत से ईव के सिर पर दे मारी।
फिजां में एक दर्दनाक चीख गूंज उठी।
* * *
काली पैकार्ड कार तेजी से भाग रही थी।
बेयर्ड कार को एक हाथ से ड्राइव कर रहा था। उसका बायां बाजू नाकाम हो चुका था। वह सूजकर बहुत मोटा हो गया था। कलाई का अगला हिस्सा नीला पड़ गया था।
कार खुली सड़क पर भाग रही थी। एक हाथ से कार चलाना आसान नहीं था। उसका सारा जिस्म पसीने से तर हो रहा था। एक अज्ञात शक्ति उसे खींचे लिए जा रही थी।
रात के तीन बजे थे। सड़क पर आवागमन न के बराबर था। वह कार को चौथे गेयर में डाले आसानी से लिए जा रहा था।
उसके सारे बाजू में जहर फैल गया था। फिर भी वह आगे ही बढ़ रहा था। वह चाहता तो रुककर कहीं से मेडिकल सहायता हासिल कर सकता था, मगर उसे फैसला कर लिया था कि रुकने से मरना बेहतर है।
हेटर पिछली सीट पर पड़ा था। वह दरिया के बाहर हेटर को उस जगह लाने में सफल हो गया था, जहां पर रिको ने पैकार्ड को छिपा रखा था। बड़ी मुश्किल से उसने हेटर को कार में पिछली सीट पर पटका था। अब वह वहां गुमसुम पड़ा था। उस पर बेयर्ड ने एक कम्बल डाल दिया था।
हाईवे पर कार को चलाते हुए उसे बुखार ने आ दबोचा था। सारा शरीर सर्दी से कांपने लगा था। हाईवे से जो दायें सड़क लूसीनिया से मुड़ती थी, वह सीधी शूटिंग लाउंज सी जाती थी। एकाएक उसने शूटिंग लाउंज जाने का इरादा छोड़ दिया क्योंकि रास्ता बेहद ऊबड़-खाबड़ था। उस पर कार को चलाना उसके वश से बाहर था।
अचानक उसे अहसास हुआ कि मौत नजदीक है। वह मरने से पहले अनिता जैक्सन को देखना चाहता था। उसकी आंखें बुखार से धुंधली पड़ने लगी थीं और उसकी कल्पना में अनिता की तस्वीर उभर आई थी।
एक के बाद दूसरा घंटा बीतता गया। वह कार को सिर्फ पेट्रोल पम्प पर पेट्रोल के लिए रोकता और आगे बढ़ जाता था। पम्प पर उसको गहरी दृष्टि से देखा जाता था मगर अब वह उन सब खतरों से अपने दिमाग को मुक्त करवा चुका था।
अब बेयर्ड के बाजू से बदबू आने लगी थी। एक-दो पेट्रोल पम्प के आदमियों ने सोचा भी कि वह पुलिस को उसके बारे में सूचित करें, मगर फिर यह सोचकर चुप कर गए कि उनको इससे क्या लेना-देना है।
लगातार सत्रह घंटे कार चलाने के बाद वह शहर की सीमा पर पहुंचा। उसका बुखार पहले से भी ज्यादा तेज हो गया था। अब उस पर मौत की तन्द्रा छाने लगी थी। वह यह भी भूल गया था कि पिछली सीट पर हेटर पड़ा है। उसे यह भी याद नहीं रहा था कि उसका बाजू कैसे जख्मी हुआ था? उसकी आंखें के सामने सिर्फ एक ही तस्वीर थी ...वह थी अनिता जैक्सन की।
बारिश होने लगी थी और गीली सड़क पर जाते हुए उसे ऐसा लगता था मानो वह कहीं समुद्र में तैरने लगा हो। कई बार तो सड़क पर दुर्घटना होते-होते बची थी, फिर भी वह एक मशीन की तरह कार को चला रहा था।
अब उसने कार की गति धीमी कर दी थी। उसके बाजू से बदबू ऐसी आ रही थी, जैसे सड़ी-गली लाश से आती है। अगरचे कार सिर्फ पन्द्रह मील प्रति घंटा की रफ्तार से चल रही थी, फिर भी उसको सीधा ड्राइव करना बेयर्ड के लिए कठिन हो गया था।
अचानक उसने अपनी कार के पीछे पुलिस जीपे का सायरन सुना तो तन्द्रा में डूबा उसका दिमाग सचेत हो गया। उस पर छाई बेहोशी अचानक दूर हो गई थी। उसने ड्राइविंग शीशे में देखा कि मोटर साइकिल पर कोई उसका पीछा कर रहा है।
उस पर एक कांस्टेबल था।
जल्दी ही वह कार के बराबर आ गया और बेयर्ड को कार रोकने के लिए कहा। बेयर्ड ने एक झटके के साथ कार को सड़क के किनारे रोक दिया।
कांस्टेबल ने पास आकर पूछा- ‘क्या हुआ तुम्हें? क्या शराब पी रखी है? कैसे गाड़ी चला रहे हो?’
इसी बीच बेयर्ड का हाथ कोल्ट पर चला गया था।
कांस्टेबल ने टॉर्च की रोशनी बेयर्ड के मुंह पर डालकर पूछा- ‘क्या हुआ तुम्हें? तुम तो बीमार नजर आते हो?’
‘हां, मेरी तबियत ठीक नहीं है। मैं अपनी एक दोस्त के पास जा रहा हूं।
‘तुम इस हालत में गाड़ी क्यों चला रहे हो?’
‘मजबूरी है। मैं अपनी दोस्त के पास जा रहा हूं। हां, वह लड़की मेरी देखभाल करेगी।’
‘तुम्हें हुआ क्या है? क्या बीमारी है।’
‘मेरे बाजू में चोट लगी है। तुम्हारी मेहरबानी होगी, अगर तुम मुझे जाने दो।’
‘तुम इस हालत में गाड़ी नहीं चला सकते। मैं तुम्हें अस्पताल लेकर चलता हूं।’ कहकर उसने कार के दरवाजे को हैंडिल खींचा।
बेयर्ड कार के दरवाजे का सहारा लेकर बैठा था। वह नीचे गिरते-गिरते बचा। मगर कांस्टेबल ने उसे सहारा देकर नीचे गिरने से बचाया। बेयर्ड ने पिस्तौल निकालकर दो बार उसका घोडा दबाया। गोलियां कांस्टेबल के पेट में उतर गई। वह पछाड़ खाकर सड़क पर गिरा। दूसरे हपल उसका शरीर बेजान हो गया था।
अचानक उसे चक्कर आ गया। वह जैसे-तैसे संभला मगर उसका पिस्तौल छिटककर दूर जा गिरा। उसने दरवाजा बंद कर लिया। उसको वह पिस्तौल (कोल्ट) बेहद पसंद था। मगर उस पर तन्द्रा छाने लगी थी। बस उसे इतना जरूर अहसास था कि उसका कुछ खो गया है।
बड़ी मुश्किल से उसने इंजन स्टार्ट किया। कार दोबारा भागने लगी। कुछ देर जाने पर वह भूल गया कि सड़क पर दुर्घटना भी हुई थी। उसके तन्द्रायुक्त दिमाग में सिर्फ अनिता की तस्वीर थी।
अव वह बेखबरी के आलम में कार चला रहा था। दो बार उसने रेड लाइट को पार किया यह अच्छा ही हुआ कि कोई दुर्घटना नहीं हुई। थोड़ी देर में वह वहां पहुंच गया, जहां अनिता का कमरा था।
गली सुनसान थी। बिल्डिंग के कुछ कमरों में रोशनी थी। जैसे ही उसने कार को बिल्डिंग के सामने खड़ा किया, मूसलाधार बारिश होने लगी।
कुछ पल तक वह कार में चुपचाप बैठा बिल्डिंग को घूरता रहा। उसके कमरे में अंधेरा था। इस वक्त नौ बजे थे। उसे आने में अभी एक घंटा या कुछ और ज्यादा था। उसने सोचा-‘क्या वह एक-डेढ़ घंटा जीवित रह सकेगा?
उसने अपना जलता हुआ सिर कार के दरवाजे पर रख दिया। उसे लगा कि वह शीघ्र की कोमा (बेहोशी) में चला जाएगा, फिर वह उस कोमा से कभी नहीं जाग सकेगा। उसने फैसला किया वह ऊपर जाएगा और अनिता के कमरे के बाहर बैठकर उसके आने की प्रतीक्षा करेगा। अगर वह कार में मर गया तो शायद अनिता को देखने की उसकी आखिरी इच्छा कभी पूरी नहीं होगी।
उसने कार का दरवाजा खोला।
जैसे ही उसने जमीन पर कदम रखा तो उसको चक्कर आ गया। बड़ी मुश्किल से उसने कार का सहारा लेकर अपने को संभाला, उसको एक कदम भी चलना मुश्किल हो रहा था। बारिश तेज हो चली थी।
वह खड़ा होकर अपनी हिम्मत बटोरने लगा। उसके लिए एक कदम चलना भी मुश्किल हो रहा था। कैसे सीढ़ियां चढ़ सकेगा? उसने सोचा। चाहे जान रहे या जाये-वह अनिता के कमरे तक जरूर जाएगा। दुनिया की कोई ताकत उसे नहीं रोक सकती।
जैसे ही वह कार का दरवाजा बंद करने लगा तो उसकी नजर थामसन गन पर पड़ी जो ड्राइविंग सीट पर पड़ी हुई थी। उसने उसे उठा लिया। उसे अपने कंधे पर लटकाया और लड़खड़ाते कदमों से आगे बढ़ने लगा। उसने दरवाजा भी खुला छोड़ दिया था।
तभी एक कार उस पर रोशनी डालती हुई गुजर गई।
वह आगे बढ़ा। उसने दरवाजा खोला और अंधेरी लॉबी में चलने लगा। सामने ही सीढ़ियों का सिलसिला चला गया था। रेलिंग को पकड़कर वह एक के बाद दूसरी सीढ़ी पर लड़खड़ाता हुआ चढ़ने लगा। उसका सारा शरीर आग का जलता हुआ पुतला बन गया था। उसकी आंखों के सामने अंधेरा छाने लगा था।
जब वह फर्स्ट फ्लोर पर पहुंचा तो उसका सांस फूल गयी थी। सारा शरीर थकन से चूर-चूर हो चुका था। वह रेलिंग का सहारा लेकर बैठ गया। उसे शक होने लगा कि क्या कभी वह फोर्थ फ्लोर पर पहुंच भी पाएगा।
मगर एक अज्ञात शक्ति उसे आगे बढ़ने के लिए बेबस कर रही थी। वह फिर खड़ा हुआ। वह फिर घिसट-घिसटकर सीढ़ियां चढ़ने लगा।
जैसे ही वह तीसरे फ्लोर पर पहुंचा, एक दरवाजा खुला और एक औरत ने बाहर झांका।
बेयर्ड ने उसकी तरफ देखा। उसके पांव लड़खड़ाये। औरत ने उसकी गन को देखा और साथ ही उसके भयानक चेहरे को। उसने घबराकर दरवाजा बंद कर लिया।
चौथे फ्लोर पर वह कहानियों और घुटनों के बल रेंगता हुआ पहुंचा। अब उसकी सांस धौंकनी की तरह चल रही थी।
आखिर उसने अपना रास्ता तय कर ही लिया था। चन्द कदम की दूरी पर अनिता जैक्सन का कमरा था, जो बंद था। बस, उसके आने में एक घंटा बाकी रह गया था।
उससे दोबारा मिलने की उत्सुकता से बेयर्ड अपने दर्द को भूलने लगा था। हो सकता है कि उसके बारे में वह अपनी राय बदल ले। उसने एक बार पहले भी उसे मौत के मुंह से बचाया था। शायद आज भी वह उसे मरने से बचा लेगी।
वह कमरे की दीवार का सहारा लेकर बैठ गया। अनिता की स्मृति अब उसकी आंखों के सामने धुंधली पड़ने लगी थी।
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