बीस जून 2022

वह कुल जमा चार लोग थे, जो उस वक्त एक सेंटर टेबल के इर्द गिर्द रखी कुर्सियों पर बैठे थे। उनमें से दो के चेहरों पर गहन उत्सुकता के भाव थे, जबकि बाकी के दोनों पूरी तरह शांत दिखाई दे रहे थे।

उनके बीच अमृत फ्यूजन सिंगल मॉल्ट की एक बोतल और कांच के चार भरे हुए गिलास रखे थे, जिन्हें अभी तक किसी ने भी होठों से लगाने की कोशिश नहीं की थी।

सेंटर टेबल पर ही एक बड़ी सी प्लेट में वेज कबाब रखा हुआ था, मगर वह भी अभी तक तो उपेक्षा का ही शिकार बनता दिखाई दे रहा था, क्योंकि चारों में से किसी ने भी उसे हाथ लगाने की कोशिश नहीं की थी।

जिस कमरे में वे लोग इस वक्त बैठे थे, वह साउथ दिल्ली के नेहरू प्लेस इलाके में स्थित ‘रॉयल होटल’ का एक लग्जरी रूम था, जिसे अपनी भाभी के कहने पर आकाश अंबानी ने उस खास मीटिंग के लिए बुक किया था।

आकाश और शीतल वहाँ एक साथ पहुँचे थे, जबकि बाकी के दो लोग अलग-अलग आये थे, अलबत्ता जानते एक दूसरे को कई सालों से थे। बल्कि आकाश से तो उनकी जान-पहचान दस साल से भी ज्यादा पुरानी रही होगी।

उनमें से एक निशांत मौर्या था, जबकि दूसरा सत्यप्रकाश अंबानी का पीए अनंत गोयल। जिन्हें शीतल ने बहुत सोच समझकर, उनके बारे में सब कुछ जान लेने के बाद उस मीटिंग के लिए आमंत्रित किया था, साथ ही उसे इस बात का भी पूरा यकीन था कि दोनों को अपनी तरफ करने में कोई समस्या आड़े नहीं आने वाली थी।

उस यकीन की अहम वजह ये थी कि मौर्या और गोयल दोनों की ही अपनी बड़ी प्रॉबल्म्स थीं, जिन्हें शीतल चाहती तो एक ही झटके में दूर कर सकती थी। दूसरी अहम क्वालिफिकेशन उनकी ये थी कि दोनों ही सत्यप्रकाश से बहुत नफरत करते थे, इसलिए भी उन्हें सांचे में ढालना कोई मुश्किल काम साबित नहीं होने वाला था।

काफी देर तक एक दूसरे का चेहरा देखते रहने के बाद सबसे पहले मौर्या ने अपना गिलासा उठाया और एक तगड़ा घूंट भर कर आकाश अंबानी की तरफ देखता हुआ बोला- “शुरू करो भई, इंतजार किस बात का कर रहे हो। बताओ क्यों बुलाया है हमें यहाँ? या असल में उस वजह से बस मैं ही अंजान हूँ, क्योंकि तुम तीनों तो एक ही पार्टी के जान पड़ते हो।”

“ऐसा नहीं है मौर्या साहब।” अनंत गोयल बोला – “मैं खुद भी नहीं जानता कि यहाँ क्यों हूँ? आकाश ने एक जरूरी बात का हवाला देकर यहाँ पहुँचने को कहा तो मैं चला आया, मगर ज्यादा वक्त नहीं है मेरे पास, कभी भी अंबानी साहब का बुलावा आ सकता है। इसलिए जो बात करनी है जल्दी कीजिए ताकि मैं वापिस ऑफिस लौट सकूं।”

“मेरे पास वक्त की तो खैर कोई समस्या नहीं है।” मौर्या शीतल पर एक भरपूर निगाह डालकर बोला – “मगर उत्सुक बराबर हूँ, ये जानने के लिए कि तुम दोनों आखिरकार चाहते क्या हो।” फिर उसने आकाश की तरफ देखा – “बोलो भाई, खामोश क्यों हो?”

“भाभी बतायेंगी।” आकाश बोला।

“शीतल बतायेगी?” मौर्या को थोड़ी हैरानी सी हुई।

“जी हाँ, कोई ऐतराज है आपको?” शीतल ने पूछा।

“नहीं, क्यों होगा? फिर कौये की कांव-कांव सुनने से तो कहीं ज्यादा बेहतर होगा कोयल की कुहु-कुहु सुनना, क्यों गोयल सही कह रहा हूँ न?” कहकर उसने जोर से ठहाका लगाया।

“मौर्या साहब!” आकाश थोड़े रूखे स्वर में बोला – “आप यहाँ रूकने को मजबूर नहीं हैं।”

“जानता हूँ भई, नाराज क्यों होता है?”

“आपने मुझे कौआ कहा?”

“साथ में शीतल को कोयल भी तो कहा। जब एक बात पर ऐतराज नहीं है तुम्हें तो दूसरे से भी नहीं होनी चाहिये।”

“आपको किसी भी प्रकार के पर्सनल कमेंट की इजाजत नहीं है।”

“गोया तुम तो अपने भाई से भी चार हाथ आगे निकलते दिखाई दे रहे हो, सत्य ने कम से कम इस तरह से तो मेरा मुँह कभी नहीं पकड़ा होगा।”

“कभी उनके सामने भाभी को कोयल और मुझे कौआ कह कर देखिएगा, जवाब फौरन हासिल हो जायेगा। और वह जवाब कैसा होगा ये बात आप मुझसे कहीं बेहतर जानते हैं। अभी आपकी ऐसा कहने की मजाल इसलिए हो गयी क्योंकि आप खुद यहाँ नहीं पहुँचे हैं बल्कि हमने इनवाईट किया है आपको।”

“क्यों बात का बतंगड़ बना रहा है लड़के, तुझे इतना ही बुरा लग गया है तो समझ ले मैं सॉरी बोल रहा हूँ।”

“समझ लूं।”

“बोल रहा हूँ। सॉरी, अपनी कही दोनों बातें मैं वापिस लेता हूँ।”

“इट्स ओके।”

“थैंक यू।” कहकर उसने शीतल की तरफ देखा – “कहिए मैडम क्या बात है?”

“बताती हूँ, मगर उससे पहले मैं आप दोनों से एक सवाल पूछना चाहती हूँ। आगे हमारे बीच कोई वार्तालाप होगा या नहीं, ये पूरी तरह उस सवाल के जवाब पर डिपेंड करता है। इसलिए सच बोलिएगा, इस बात दरकिनार कर के बोलिएगा कि मैं सत्य की बीवी हूँ और आकाश उसका छोटा भाई है।”

“ऐसा क्या पूछने वाली हो?”

“मैं वहीं पहुँच रही हूँ, जरा सब्र कीजिए।” कहकर उसने अनंत गोयल की तरफ देखा – “पिछले कुछ महीनों में मैंने तुम्हारे बारे में बहुत सारी जानकारियां इकट्ठी कर ली हैं, जिनसे पता लगता है कि तुम्हारे ख्वाब, तुम्हारी जरूरतें बहुत बड़ी हैं। इतनी बड़ीं, जिन्हें महज अपनी नौकरी के जरिये पूरा नहीं कर सकते। तुम एक ही झटके में दुनिया फतह कर लेना चाहते हो, दौलतमंद बन जाना चाहते हो, जिसकी अहम वजह ये है कि तुम शादी करना चाहते हो। वह भी एक ऐसी लड़की से, जिसका बाप सत्य जैसा धनकुबेर भले ही नहीं है मगर करोड़पतियों में उसका नाम फिर भी शुमार होता है। इसलिए तुम्हारी मौजूदा औकात को देखते हुए तो वह अपनी बेटी का हाथ तुम्हारे हाथ में देने से रहा। हालांकि अपने ससुरे की बराबरी तो तुम सात जन्मों में भी नहीं कर पाओगे, मगर आधा पौना हैसियत बनाने में भी कामयाब हो गये तो शायद काव्या का हाथ वह तुम्हारे हाथ में देने को तैयार हो जाये, वरना तो बस उसके नाम की माला ही जपते रह जाओगे जिंदगी भर, जबकि साल दो साल बाद वह किसी और के बच्चे खिला रही होगी, कहो कि मैं गलत कह रही हूँ?”

“नहीं, आपकी बात एकदम सही है मैडम, मगर ये सोचकर हैरान जरूर हूँ कि अचानक आपको मुझमें इतना इंट्रेस्ट क्यों हो आया कि मेरी जिंदगी के बखिये उधेड़ने में लग गयीं, क्या चल रहा है आपके मन में? क्योंकि मैं नहीं समझता कि ऐसी कोई जांच पड़ताल करने के लिए आपको अंबानी साहब ने कहा होगा।”

“नहीं, सत्य का इस पूरे मामले से कोई लेना देना नहीं है।”

“फिर?”

“उसका जवाब मैं थोड़ी देर बाद दूँगी, पहले ये सुन लो कि मैं और क्या जानती हूँ तुम्हारे बारे में।”

“और क्या बाकी रह गया?” गोयल हैरानी से बोला।

“असल बात अभी जहाँ की तहाँ है अनंत। और वह ये है कि तुम सत्य से बहुत नफरत करते हो, अपने दोस्तों के सामने कई बार उसकी मौत की कामना तक कर चुके हो, बल्कि हमारे ऑफिस का एक स्टॉफ मेंबर तो यहाँ तक कहता है कि तुम्हें मौका मिल जाये तो सत्य को गोली मारने से एक पल को भी नहीं हिचकोगे, और ऐसा इसलिए है क्योंकि वह आये दिन पूरे स्टॉफ के सामने तुम्हें जलील करता रहता है, तुम्हें तुम्हारी औकात बताता रहता है, जो कि गलत है, इतना तो मैं भी खुद भी मानती हूँ।”

“ये कैसी बातें कर रही हैं मैडम आप?” अनंत गोयल हड़बड़ा सा गया – “मालिक लोग नौकर को डांट ही दिया करते हैं, उसका बुरा क्या मानना? इस हद तक क्यों मानना कि मैं अपने एम्प्लॉयर के मौत की कामना करने लगूं। मैं क्या आपको इतना बड़ा बेवकूफ दिखाई देता हूँ, जो गले में निवाला डालते हाथों को ही काट फेंकने पर उतारू हो जाये?”

“तुम्हारा मतलब है उस बारे में अभी-अभी मैं जो कुछ भी कहकर हटी हूँ, वह गलत है? तुम्हें सत्य से कोई नाराजगी नहीं है? तुम्हारे मन में उससे बदला लेने के विचार कभी नहीं उठते? मौका हासिल होने पर भी तुम उसके खिलाफ कोई कदम नहीं उठाने वाले?”

“सवाल ही नहीं पैदा होता मैडम।”

“ओके समझ लो कि मैं तुम्हारे बारे में गलत थी। अपना ड्रिंक खत्म करो और ऑफिस पहुँचकर अपना काम काज देखो। सत्य की गालियां सुनो, कुछ देर तक मन ही मन उस बात पर कुढ़ो, और बाद में सब-कुछ भुलाकर अपनी नौकरी में रम जाओ। समझ लो मुझे यकीन आ गया कि तुम बस ख्वाब ही देख सकते हो, उन्हें हकीकत में बदलने के लिए कोई जानमारी करना तुम्हारे वश की बात नहीं है। और काव्या को तो भूल ही जाओ, क्योंकि वह कभी भी तुम्हारी नहीं हो सकती।”

“अरे कोई वजह भी तो हो ऐसे सवालों की?”

“समझ लो अब कोई वजह नहीं है। है भी तो किसी ऐसे आदमी को बताने लायक बिल्कुल भी नहीं है, जिसकी सत्य से कोई अदावत न हो, जो उसका बुरा न चाहता हो, जो मौका मिलने पर उसके खिलाफ खड़े होने की कुव्वत न रखता हो अपने भीतर।”

“मतलब कि मैं अंबानी साहब के बारे में यहाँ बैठकर बुरे बोल बोलूं और आप जाकर उनके कान भर दें, हैं न? इतना बड़ा अक्ल का अंधा लगता हूँ मैं आपको?”

“नहीं, तुम उससे भी कहीं बड़े वाले बेवकूफ हो, जो इतनी सी बात तुम्हारे भेजे में नहीं घुस रही कि महज तुम्हारे मन की बात उगलवाने के लिए मैंने ये मीटिंग नहीं रखी हो सकती। ना ही सत्य को ऐसा कुछ जानने में इंट्रेस्ट हो सकता है। वह मालिक है इडियट, उसे तुम्हारे ऊपर कोई शक होगा तो सीधा नौकरी से निकाल बाहर करेगा, ना कि अपने बीवी और भाई को मोहरा बनाकर असलियत उगलवाने के लिए तुम्हारे पास भेजेगा।”

“यानि चक्कर कोई और है?”

“ऑफ़कोर्स है।”

तत्पश्चात कमरे में थोड़ी देर के लिए सन्नाटा छा गया। गोयल टुकर-टुकर शीतल और आकाश की शक्ल देखता रहा, जबकि मौर्या यूँ ड्रिंक चुसक रहा था जैसे कमरे में वह अकेला बैठा हो।

आखिरकार अनंत गोयल ने अपनी खामोशी तोड़ी, मन ही मन ये विचार कर के कि कल को शीतल ने अगर अंबानी से कोई शिकायत कर दी तो वह साफ कह देगा कि मैडम की बातों से उसे किसी बड़े षड़यंत्र की बू आ रही थी, इसलिए जानबूझकर उसके खिलाफ बोला ताकि उनके मन की बात उगलवाई जा सके।

“ठीक है।” प्रत्यक्षतः वह बोला – “मैं कबूल करता हूँ कि अंबानी साहब के हाथों बार-बार बेइज्जत होकर मैं अक्सर उनकी मौत की कामना किया करता हूँ, मगर मौका मिलने पर सच में उनका कुछ बुरा कर पाऊंगा या नहीं, मैं नहीं जानता। रही बात काव्या की, तो हाँ उससे शादी करने के लिए मुझे एक मोटी रकम की दरकार है, जो कहीं से भी हासिल होती नहीं दिखाई दे रही, जो कि अगर जल्दी ही नहीं हुई तो बेशक उसका बाप किसी और के साथ ब्याह देगा उसे। और यही सच्चा जवाब है मैडम, अब कहिए क्या कहने जा रही थीं आप?”

“इस तरह से देखो तो तुम्हारी दो बड़ी प्रॉब्लम हैं अनंत। पहली समस्या काव्या से शादी करने की है, जिसके लिए औकात बनाना बेहद जरूरी है, और दूसरा सत्य जैसे बॉस से पीछा छुड़ाना, जो कि होता इसलिए नहीं दिखाई दे रहा क्योंकि यूनिवर्सल फॉर्मा से बढ़िया पगार वाली नौकरी तुम्हें आसानी से नहीं मिलने वाली, बल्कि हो सकता है कि कभी मिल भी न सके।”

“मिल बराबर सकती है मैडम, मगर इस बात में कोई दो राय नहीं है कि अंबानी साहब के रहते कम से कम दिल्ली में तो अनंत गोयल को कोई अपने यहाँ काम पर नहीं रखने वाला। मैं जब भी कहीं नयी नौकरी के लिए ट्राई करता हूँ, टका सा जवाब मिल जाता है कि सत्यप्रकाश के पीए को वह नौकरी पर नहीं रख सकता, क्योंकि अंबानी साहब को बुरा लग जायेगा। एक दो लोग ऐसे भी मिले, जिन्होंने कहा कि अगर मैं साहब से एक लेटर लिखवा लाऊं कि उन्हें मेरे नौकरी बदलने पर कोई ऐतराज नहीं है तो वो फौरन मुझे अपने यहाँ रख लेंगे, मगर मैं अच्छी तरह से जानता हूँ कि अंबानी साहब ऐसा कुछ नहीं लिखकर देने वाले। ऐसे में मौजूदा पगार वाली दूसरी नौकरी तो समझ लीजिए सपना ही है।”

“जबकि मैं तुम्हें इन दोनों मुसीबतों से एक ही झटके में निजात दिला सकती हूँ। नंबर एक, मेरा कहा मानोगे तो पचास लाख की एकमुश्त रकम तुम्हारे हाथ में होगी। और नंबर दो, जहाँ चाहे नौकरी कर सकते हो, कोई तुम्हारे रास्ते में नहीं आयेगा। चाहो तो यूनिवर्सल फार्मास्युटिकल्स में भी बने रह सकते हो, जहाँ तुम्हारी तंख्वाह में पचास फीसदी का तत्काल इजाफा किये जाने की मैं गारंटी करती हूँ।”

“ऐसा चमत्कार क्योंकर होगा?” गोयल हैरानी से बोला।

“अरे क्यों दान की बछिया के दांत गिन रहा है गोयल।” बहुत देर से खामोश बैठा मौर्या अचानक ही बोल पड़ा – “तेरी जगह मैं होता तो तुरंत हामी भर देता, बाद में चाहे अंबानी का गला ही क्यों न काटना पड़ जाता, जो कि मुझे लगता है बस कटने ही वाला है।”

गोयल ने हैरानी से उसकी तरफ देखा।

“अपने आप दुनिया में कुछ नहीं होता गोयल।” शीतल बोली – “उसके लिए एफर्ट करने पड़ते हैं। और हासिल जितना बड़ा हो, मेहनत भी उसी अनुपात में बढ़ जाती है। मौजूदा स्थिति में कुछ तुम करोगे और कुछ मैं, बल्कि हम चारों मिलकर करेंगे, क्योंकि फायदा तो हम सभी को पहुँचने वाला है।”

“क्या करना होगा?” अनंत ने पूछा।

“वेट करो, अभी पता लग जायेगा।” कहकर उसने मौर्या की तरफ देखा – “अब आप बताइए साहब कि हेल्थ फॉर्मा को यूनिवर्सल हेल्थ फॉर्मा बनाने और कंपनी में फॉर्टी फाइव परसेंट का मालिकाना हक हासिल करने के लिए आप क्या कर सकते हैं?”

“कुछ भी कर सकता हूँ।” वह निःसंकोच बोला – “किसी भी हद तक जा

सकता हूँ। जो कहोगी कर के दिखाऊंगा। तुम कोई रास्ता तो सुझाओ, मैं साला लाशों का ढेर लगाने से भी पीछे नहीं हटूंगा। बोलो क्या चाहती हो?”

“पहले ये बताइए कि सत्य के प्रति आप अपने मन में कैसे ख्यालात रखते हैं?”

“वह तुम्हारा पति है और आकाश का बड़ा भाई भी, इसलिए उस बारे में सवाल ना ही करो तो अच्छा है, बुरा लग जायेगा तुम दोनों को। और मैं दोबारा किसी को सॉरी बोलने के लिए तैयार नहीं हूँ।”

“नहीं लगेगा, इस बारे में मैं आकाश की तरफ से भी गारंटी करती हूँ।”

“पक्का?”

“सौ फीसदी पक्का समझिए।”

“ठीक है सुनो, तुम्हारा पति एक नंबर का कमीना है।” कहकर उसने एक ही सांस में हाथ में थमा गिलास खाली कर दिया – “मेरा बस चले तो कुतुब के ऊपर खड़ा कर के धक्का दे दूँ उसे। जरा देखो तो सही, अपने बाप की आखिरी इच्छा तक पूरी करने को तैयार नहीं है। धिक्कार है ऐसी औलाद पर, जिसे दौलत के आगे बाकी सब-कुछ गौड़ दिखाई देता हो। ज्यादा से ज्यादा दौलत कमाना मेरा भी सपना है, बल्कि हर किसी का होता है, मगर उसके लिए मैं अपने बाप की अंतिम इच्छा को नजरअंदाज तो हरगिज भी नहीं कर सकता।”

“बढ़िया।” तब पहली बार शीतल पूरी तरह संतुष्ट दिखाई दी – “अब मैं मुद्दे पर आती हूँ। असल बात ये है कि हमें सत्यप्रकाश अंबानी का नामोनिशान मिटाना होगा, इसलिए मिटाना होगा क्योंकि उसके बिना हममें से कोई भी अपने सपनों को साकार नहीं कर सकता, और उस काम में आकाश हर तरह मेरे साथ है।”

सुनकर मौर्या तो ज्यों का त्यों बना रहा मगर अनंत बुरी तरह चौंक उठा।

“हैरान होने की जरूरत नहीं है। मैं जो कुछ भी कह रही हूँ, बहुत सोच समझ कर कह रही हूँ। अब सवाल ये है कि इस काम में आप लोग मेरा साथ देंगे या नहीं देंगे? अगर आप दोनों हामी भरते हैं, तो आपकी तमाम ख्वाहिशें पूरी हो जायेंगी, इस बात की गारंटी मैं अभी किये देती हूँ।”

“एक बात समझ में नहीं आई मैडम।” अनंत गोयल हिचकिचाता हुआ बोला – “मेरे और मौर्या साहब के पास तो फिर भी कोई न कोई वजह है सत्य सर से खुंदक खाने की, लेकिन आप दोनों क्यों? महज उनकी दौलत हड़पने के लिए तो ऐसा नहीं करना चाहते होंगे, क्योंकि वह तो पहले से ही आप दोनों के पास है।”

“ठीक समझे। नहीं, दौलत का इसमें कोई रोल नहीं है। असल वजह ये है कि मैं भी वही सब झेल रही हूँ, जो तुम सालों से झेलते आ रहे हो। फर्क बस इतना है कि तुम्हें वह ऑफिस में जलील करता है और मुझे घर में। रही बात आकाश की, तो यह एक ऐसा कांटा है, जो मेरे पति की आँखों में चुभने लगा है। जिससे निजात पाकर वह बाप की दौलत पर अकेला काबिज होने के मंसूबे बांध रहा है।”

“कमाल है।” कहकर मौर्या बोतल से एक नया पैग तैयार करने लगा।

“है तो कमाल ही साहब।” आकाश गहरी सांस लेकर बोला – “बहुत हैरानी हुई थी मुझे भाभी के मुँह से उस बारे में जानकर, मगर अभी पिछले ही हफ्ते तमाम धुंध उस वक्त छंट गयी, जब एक तेज रफ़्तार ट्रक ने मेरी कार को रौंद देने में कोई कसर नहीं छोड़ी। आम हालात में मैं उसे इत्तेफाक मान लेता, मगर अभी हरगिज भी मानने को तैयार नहीं हूँ।”

“इतना नीचे गिर सकते हैं अंबानी सर, मैं कभी सोच भी नहीं सकता था। मैं तो चलिए उनका एम्प्लाई हूँ, मगर अपनी बीवी और भाई के साथ; ये तो हद ही हो गयी।” टेबल से एक गिलास उठाता हुआ अनंत बोला – “एनी वे, मैं आपके साथ हूँ।”

“थैंक यू।”

“लेकिन एक छोटा सा डाउट बराबर है मेरे मन में। अगर बुरा न मानने का वादा करें तो पूछ लूं?”

“जरूर पूछो।”

“इस बात की क्या गारंटी कि काम हो जाने के बाद आप अपने वादे पर खरा उतर कर दिखा ही देंगी?” वह संदेह भरे लहजे में बोला – “बाद में मुकर गयीं तो मैं आपका क्या बिगाड़ लूंगा?”

“कुछ नहीं बिगाड़ पाओगे, क्योंकि आगे हम जो कुछ भी करने वाले हैं, उसके बारे में मुँह फाड़ना तो हम चारों में से कोई भी अफोर्ड नहीं कर पायेगा बाद में। इसलिए पचास लाख की रकम तुम्हें काम होने से पहले ही सौंप दी जायेगी, साथ ही मेरा और आकाश का साइन किया हुआ इंक्रीमेंट लेटर भी, जो कि पोस्ट डेटेड होगा, तुम्हारे पास पहुँच जायेगा। इसी तरह मौर्या साहब के साथ भी हम एडवांस में वह अनुबंध साइन करेंगे, जिसे कभी पापा जी करने वाले थे। और उस एग्रीमेंट पर भी सत्य की मौत के एक महीने बाद की तारीख दर्ज होगी।”

“तुम क्यों?” मौर्या ने हैरानी से पूछा – “तुम्हें भला क्या अधिकार है ऐसी कोई डील साइन करने का? जबकि कंपनी में पार्टनर भी नहीं हो। हाँ, आकाश का साइन करना बनता है क्योंकि वह कंपनी में सत्य के बराबर का हिस्सेदार है। मगर अकेले इसके भी करने से क्या हो जायेगा?”

“आप हमेशा एक पैग में ही होश खो बैठते हैं मौर्या साहब?” शीतल ने मुस्कराते हुए सवाल किया।

“नहीं।” वह सकपकाया – “क्यों पूछ रही हो?”

“अगर नहीं खोते तो यूँ अहमकों जैसी बात क्यों कर रहे हैं?”

“मैं अभी भी नहीं समझा।”

“मामूली सी बात है। कल को जब सत्य दुनिया से चलता बनेगा, तो आज जो पोस्ट डेटेड अनुबंध मैंने आपके साथ किया होगा, वह क्या बाद में अपने आप लीगल नहीं मान लिया जायेगा? आखिर बीवी हूँ उसकी, जो कि सत्य की मौत के बाद उसका लीगल हॉयर बनकर रहेगी। हाँ, कागजी कार्रवाई पूरा होने में थोड़ा वक्त लग सकता है, जिसके लिए हम एग्रीमेंट पर महीना भर बाद की तारीख डाल देंगे। और दूसरा सिग्नेचर तो फौरन ही वैलिड होगा क्योंकि आकाश आज भी यूनिवर्सल फॉर्मा का पार्टनर है, और कल भी रहेगा।”

“ओह अब समझा, दिमाग कमाल का पाया है तुमने। ठीक है, समझ लो मैं हर हाल में तुम दोनों के साथ हूँ। बस इतना और बता दो कि जिस काम को तुम दोनों में से कोई एक जना भी पूरी सफलता के साथ कर सकता है, उसके लिए तुम्हें पार्टनर्स क्यों चाहियें?”

“इसलिए चाहियें क्योंकि सत्यप्रकाश अंबानी कोई आम आदमी नहीं है। उसकी मौत पर इतना बड़ा हंगामा खड़ा हो जायेगा, जिसे झेलना आसान काम नहीं होगा। जबकि मैं चाहती हूँ कि इंवेस्टिगेशन के वक्त पुलिस का खास ध्यान हमारी तरफ न जाने पाये। इसलिए कत्ल एक की बजाय चार लोग करेंगे। वार भी चार ही होंगे, जिससे पुलिस उलझ कर रह जायेगी। उन लोगों के लिए इस बात का फैसला करना ही मुश्किल हो जायेगा कि कातिल कोई एक ही जना है या चार अलग-अलग लोगों ने उस पर हमला किया था, फिर केस क्या खाक सॉल्व कर पायेंगे?”

“हमला भले ही चार जुदा तरीकों से हो, मगर कर तो उसे फिर भी कोई एक ही जना सकता है। मसलन पहले सत्य को गोली मार दे, फिर उसके सीने में खंजर भोंक दे, उसके बाद किसी छोटे फल वाले चाकू से उसका गला रेत दे और आखिरी वार किसी डंडे से कर के उसका सिर फोड़ दे। इस तरह भी तो वही स्थिति सामने होगी, फिर चार आदमी क्यों?”

“बताया तो इंवेस्टिगेशन को भटकाने के लिए। असल में ज्यादा आदमियों की जरूरत इसलिए है ताकि बाद में पुलिस की पूछताछ के दौरान केस में नये सस्पेक्ट परोसे जा सकें। ऐसे दो नाम हमने पहले से चुन रखे हैं, जिनकी तरफ बाद में पुलिस का फोकस बनाना होगा। बन इसलिए जायेगा क्योंकि उन सभी की सत्य के साथ कोई ना कोई रंजिश सालों से चली आ रही है, मगर उनकी तरफ सिर्फ एक आदमी के इशारा करने से बात नहीं बनने वाली। हाँ, हम चारों लोग जब अलग-अलग तरह से उंगली उठायेंगे तो पुलिस का संदेह उन पर गहरा कर रहेगा। सस्पेक्ट्स की भीड़ सामने खड़ी हो मौर्या साहब तो उसमें से असल अपराधी को छांट पाना बेहद मुश्किल काम होता है। वह भी तब, जबकि उनमें से हर एक के पास अपराध करने की पुख्ता वजह हो।”

“यानि असल में तुम हमें कत्ल में इंवॉल्व करके अपनी तरफ से फोकस हटाना चाहती हो?”

“पूरी तरह नहीं, क्योंकि वह चाहकर भी नहीं हटने वाला, मगर बाजरिया आप दोनों जो नये नाम सामने आयेंगे, वह हमें यकीनन फायदा पहुँचायेंगे।”

“तो भी कत्ल कोई एक जना ही क्यों नहीं कर सकता? बाद में जो तुम चाहती हो हम कर दिखायेंगे, क्योंकि तुम्हारा ऑफर तो हम पहले ही कबूल कर चुके हैं।”

“नहीं, हमला हम चारों को मिलकर ही करना होगा। उसकी पहली वजह ये है कि मैं नहीं चाहती बाद में हममें से कोई एक या आप दोनों किसी दबाव में आकर पुलिस के सामने अपना मुँह फाड़ दें। उस बात की गारंटी तभी हो सकती है जब कत्ल में चारों की बराबर भागीदारी हो। इसी तरह इंवेस्टिगेशन के दौरान पुलिस का शक भी हम चारों की तरफ जायेगा। मैं उसकी बीवी हूँ, जिसे सत्य की मौत का तगड़ा फायदा पहुँचता दिखाई देगा। आकाश उसका भाई है, जिसके पास कत्ल की कोई वजह नहीं है, मगर फिर भी होगी, जिसे ये खुद पैदा करेगा। अपने हाव भाव से पुलिस के सामने यूँ जाहिर कर के दिखायेगा, जैसे मेरे और इसके बीच कोई चक्कर चल रहा है, जो कि पुलिस की निगाहों में इसे बतौर सस्पेक्ट लाने के लिए पर्याप्त होगी।”

“कहीं सच में ही तो नहीं चल रहा?” मौर्या हँसता हुआ बोला।

“आप गुठलियां गिनने वाले बेवकूफों में से हैं मिस्टर मौर्या?”

“नहीं, बिल्कुल भी नहीं, तुम आगे बढ़ो।”

“अनंत की तरफ पुलिस का शक इसलिए जायेगा क्योंकि पूरा ऑफिस स्टॉफ इस बात का गवाह होगा कि सत्य आये दिन इसे सबके सामने जलील करता रहता था। और आप क्योंकि अपनी कंपनी को यूनिवर्सल फॉर्मा के साथ मिलाकर बिजनेस करने के लिए मरे जा रहे हैं, जिसके लिए सत्य तैयार होकर राजी नहीं है, इसलिए उनकी शक भरी निगाहें आप पर भी ठहर कर रहेंगी।”

“और चार लोगों को पुलिस चाहकर भी फांसी पर नहीं लटका सकती।”

“एग्जैक्टली, फिर उनकी इंवेस्टिगेशन को भटकाने के लिए हम केस में नये सस्पेक्ट भी तो परोसेंगे, जिनके साथ सत्य की रंजिश जगविदित बात होगी। और एक ही बात जब चार लोग कहेंगे, बार-बार कहेंगे, तो कोई मतलब ही नहीं बनता कि पुलिस उनके कहे को अनसुना कर दे।”

“तुम बार-बार किन्हीं दूसरे लोगों की बात कर रही हो, कौन हैं वो?”

“दो नामों के बारे में हम जानते हैं, बाकियों के बारे में अनंत को बखूबी पता होगा। आखिर पीए है मेरे पतिदेव का।”

“यस ऑफ़कोर्स। ऐसे दर्जनों नाम गिना सकता हूँ, जिनके आगे सत्य साहब के साथ मेरी रंजिश तो किसी गिनती में भी नहीं आती।”

“गुड, ऐसे लोगों की एक लिस्ट तैयार करना, ताकि हम ये फैसला कर सकें कि उनके बारे में पुलिस को क्या और कैसे बताना है, किसने बताना है और कितना बताना है।”

“नो प्रॉब्लम मैम, हो जायेगा।”

“वारदात को अंजाम कब देना होगा?” मौर्या ने पूछा।

“उन्नीस जुलाई को।”

“कोई खास वजह?”

“बहुत खास है। उस रोज हमारी मैरिज एनिवर्सरी है। पिछले साल बड़ी पार्टी रखी थी सत्य ने, इसलिए इस साल भी यकीनन वैसा कोई इंतजाम होकर रहेगा। किसी वजह से उसने हाथ पीछे भी खींच लिया तो मैं और आकाश वैसा नहीं होने देंगे। यानि उस रात हमारा घर मेहमानों से भरा हुआ होगा। अनंत बेशक वहाँ मौजूद होगा, मगर आपको सत्य हरगिज भी नहीं बुलाने वाला, लेकिन आना क्योंकि जरूरी है इसलिए बाद में पूछताछ होने पर आप कह सकते हैं कि आपको आकाश ने आमंत्रित किया था, उस बात की जरूरत पड़ने पर ये हामी भी भरेगा। साथ ही हम कोशिश करेंगे कि सत्य से दुश्मनी मानने वाले लोगों में से भी कुछ को पार्टी में बुलाया जा सके। ऐसे लोगों को देखकर उसे गुस्सा तो आयेगा मगर भरी पूरी पार्टी में गेट आउट तो कहने से रहा।”

“फिर भी उन्हें निकाल बाहर किया।” आकाश बोला – “तो उससे हमारा नुकसान कोई नहीं होगा, उल्टा फायदा ही पहुँचेगा क्योंकि ऐसा कोई शख्स सहज ही पुलिस की सस्पेक्ट लिस्ट में पहुँच जायेगा।”

“योजना तो बहुत शानदार है तुम दोनों की।” मौर्या फिर से गिलास खाली करता हुआ बोला – “अब लगे हाथों ये भी बता दो कि हममें से कौन किस हथियार से उस पर हमला करेगा?”

“सबसे पहला मर्डर अटेम्प्ट साइलेंसर लगी पिस्टल से करना होगा, ताकि वह फौरन दम तोड़ दे। हमारे पास रिवाल्वर नहीं है, क्या आप दोनों में से किसी के पास है?”

“सत्य साहब के पास एक लाइसेंस वाली गन तो पहले से मौजूद है।” अनंत गोयल बोला – “मेरे सामने ही खरीदा था। उसी को क्यों नहीं इस्तेमाल कर लेतीं

आप?”

“नहीं कर सकती, उस गन को इस्तेमाल करने का सीधा मतलब होगा पुलिस को ये बताना कि कातिल कोई भीतर का ही आदमी है। इतना तगड़ा फोकस खुद पर या आकाश पर नहीं बनने दे सकती मैं।”

“नो प्रॉब्लम।” मौर्या बोला – “गन का इंतजाम हो जायेगा, तुम आगे बढ़ो।”

“आपके नाम से रजिस्टर्ड नहीं होनी चाहिए।”

“अब मैं इतना बड़ा भी मूर्ख नहीं हूँ, मगर उससे गोली मैं नहीं चलाऊंगा।”

“वजह?”

“सुनकर तुम लोगों को अजीब लगेगा।”

“नहीं लगेगा, आप बोलिए तो सही?”

“मैं किसी तेजधार हथियार से धीरे-धीरे, पूरे मजे के साथ उस शख्स का गला रेतना चाहता हूँ। समझ लो दिली ख्वाहिश है मेरी, जो अब पूरी होती दिखाई दे रही है तो मैं उसका मोह त्याग नहीं सकता।”

“जरूर पूरी कीजिए, पिस्टल आप अनंत को दे दीजिएगा।” कहकर शीतल ने अंनत गोयल की तरफ देखा – “कोई ऐतराज?”

“नहीं, जब वार करना ही है तो क्या फर्क पड़ता है?”

“गुड, तो ये तय रहा कि गोली अनंत चलायेगा।”

“आगे?”

“आकाश उसके दिल में खंजर उतारेगा, मैं सत्य का गला दबाऊंगी, उसके बाद आप किसी धारदार हथियार से सत्य की गर्दन रेत देंगे।”

“क्या कहने तुम्हारे, खुद को सेफ रखने का इंतजाम पहले से ही सोचे बैठी हो?” मौर्या हँसता हुआ बोला।

“मतलब?”

“तुम एक लाश का गला घोंटोगी, जिसके बाद मैं उसकी गर्दन रेत दूँगा। ऐसे में गला घोंटे जाने का तो कल को कोई निशान तक नहीं मिलने वाला। बाद में मामला बिगड़ता दिखाई दिया तो तुम बड़ी आसानी से अपना पीछा छुड़ा लोगी और हम तीनों बेचारे बली के बकरे की तरह जिबह हो जायेंगे।”

“आपकी सोच ही घटिया है तो मैं क्या कर सकती हूँ। अरे ऐसा कहने से पहले कम से कम ये तो सोच लिया होता कि पूरी योजना मेरी है इसलिए मैं चाहकर भी खुद को पाक-साफ नहीं साबित कर सकती। क्या जवाब दूँगी इस बात का कि मैंने सत्य की मौत से पहले ही आपके साथ डील कर ली थी? या इस बात का कि कंपनी पर कोई अधिकार न होने के बावजूद मैंने अनंत को इंक्रीमेंट लेटर जारी कर दिया था। क्या उतना ही काफी नहीं होगा कत्ल में मेरी इंवॉल्वमेंट

साबित करने के लिए?”

“हो सकता है काफी हो, मगर ये गला घोंटने वाली बात नहीं चलने वाली, कुछ और सोचो। कुछ ऐसा, जिससे तुम्हारा किया धरा भयानक नजर आने लगे, जैसा कि हम तीनों करने वाले हैं।”

“हम सब गोली ही क्यों न मार दें उन्हें?” अनंत ने पूछा।

“नहीं, गोली मारने की बजाय अलग-अलग हथियारों से उस पर वार करना ज्यादा भटकाने वाला कदम होगा। पुलिस ये तक सोचने पर मजबूर हो सकती है कि कहीं ये इत्तेफाक तो नहीं कि एक ही रोज चार दुश्मनों ने अलग-अलग योजना बनाकर उस पर हमला किया और उसकी जान ले ली।”

“फिर तो गला घोंटने वाली बात वैसे ही आउट हो जाती है, क्योंकि वह चौथा वार तो उन्हें ढूंढे से भी नजर नहीं आने वाला।”

“आप ही कोई और रास्ता क्यों नहीं बता देते?”

“तेजाब कैसा रहेगा?” अनंत गोयल बोला।

“मतलब?”

“ढेर सारा तेजाब उड़ेल दीजिएगा आप उनके चेहरे पर, तब पुलिस को इस बात का भी यकीन आ जायेगा कि किसी ने भारी नफरत के चलते वह कांड किया था।”

“मुझे कोई आपत्ति नहीं है।” कहकर उसने मौर्या की तरफ देखा – “अगर आपको मंजूर हो तो।”

“मंजूर ही मंजूर है।”

“गुड, उन्नीस जुलाई याद रखिएगा।”

“वह तो याद रख ही लेंगे, मगर उसके बाद क्या?”

“अगली सुबह किसी जरूरी काम के बहाने से अनंत बंगले में पहुँचकर सत्य से मिलने की बात कहेगा, फिर मैं उसे जगाने के लिए बेडरूम में जाऊंगी, और जोर-जोर से चिल्लाना शुरू कर दूँगी। तब ये खुद भी वहाँ पहुँच जायेगा और लाश को उठाकर यूँ बाहर की तरफ दौड़ेगा, जैसे एक मिनट की भी देरी से सत्य की जान जा सकती थी, जबकि मर तो वह पहले चुका होगा। फिर मैं और आकाश इसके साथ अंबानी नर्सिंग होम पहुँचेंगे, जहाँ डॉक्टर अपने हाथ खड़ा कर देंगे और किस्सा खत्म।”

“लाश को हॉस्पिटल ले जाने का फायदा?”

“वह तो बहुत जरूरी है मौर्या साहब। उससे ये बात खुद ब खुद जाहिर हो जायेगी कि हम किस हद तक उसे बचाने की कोशिशों में जुटे हुए थे।”

“सत्य के खुद के नर्सिंग होम में ही क्यों?”

“क्योंकि बंगले से सबसे करीबी अस्पताल वही है, फिर अनंत से उम्मीद भी यही की जाती है कि अपने घायल बॉस को लेकर वहीं पहुँचे। इसलिए वह बात हमारे हक में जायेगी।” कहकर क्षण भर को रूकने के बाद वह बोली – “लेकिन एक बात आप दोनों कान खोल कर सुन लीजिए। उस कांड के बाद हम एक-दूसरे से अपने किये धरे के बारे में कोई बात नहीं करेंगे, ना फोन पर ना ही आमने सामने बैठकर। अनंत का हमसे मिलना-जुलना तो फिर भी आम बात होगी क्योंकि ये सत्य का पीए है, मगर आपसे हमारी मुलाकात या बातचीत का कोई मतलब नहीं बनता। इसलिए दूरी बनाकर रखिएगा। और इस होटल में कभी भी हमारे बीच कोई मीटिंग नहीं हुई। मैं आपसे पहली और आखिरी बार अपने घर की पार्टी में ही मिली थी। कोई फोन कॉल्स नहीं, कोई सलाह मशविरा नहीं। इत्तेफाक से अगर पुलिस का खास ध्यान हममें से किसी की तरफ चला जाता है और वे लोग उस शख्स को उठा लेते हैं तो आगे उसे खुद उस मुसीबत से निबटना होगा, उसके लिए किसी से कैसी भी सहायता लेने की कोशिश नहीं करेगा, ना ही कोई अपनी तरफ से उसकी हेल्प करने के लिए आगे आयेगा।”

“भले ही ऐसा कोई शख्स जेल चला जाये?” अनंत ने हड़बड़ाकर पूछा।

“चला जाये, कोई उसकी मदद नहीं करेगा।”

“फिर तो मामले की सबसे कमजोर कड़ी मैं ही हुआ, क्योंकि आप तीनों की तरह मैं कोई रूतबे वाला इंसान नहीं हूँ। यानि पुलिस की जो गाज गिरेगी वह मुझ पर ही गिरेगी।”

“कोशिश करना कि न गिरे। फिर काव्या को क्यों भूल जाते हो, आखिर उसका बाप एमपी है, वह क्या तुम्हारी मदद नहीं करेगी?”

“मेरे होने वाले ससुरे को भनक भी लग गयी कि मेरा नाम अपने एम्प्लॉयर के मर्डर से जुड़ा है तो शादी करता हो तो भी नहीं करने वाला। तब होगा ये कि उसके कहने पर काव्या मेरी सूरत भी पहचानने से इंकार कर देगी।”

“कमाल है, मैंने तो सुना था लोग बाग मोहब्बत के लिए अपनी जान तक दे देते हैं, और वह तुम्हारी मदद भी न करे, ऐसे भला कैसे हो सकता है?”

“कौन से जमाने की बात कर रही हैं मैडम, आज का हाल तो ये है कि सुबह और शाम के बीच ब्वाय फ्रेंड, गर्लफ्रेंड बदल जाया करते हैं। फिर काव्या को क्या लड़कों की कमी है। ऊपर से मेरी उम्र तो देखिए, चालीस का हो चुका हूँ, जबकि वह महज तीस की है। अभी तक रिश्ता कायम रखे हुए है, यही कोई कम बड़ी बात नहीं है मेरे लिये।”

“खुद को कमतर कर के मत आंको अनंत, क्योंकि तुम्हारे भीतर कम से कम एक ऐसी खूबी जरूर है, जो काव्या अग्रवाल में नहीं है।”

“क्या?”

“वह डिवोर्सी है, जबकि तुम अभी तक अनमैरिड हो।”

“तो भी वह मेरा साथ नहीं देने वाली, उसका बाप तो हरगिज भी नहीं देगा।”

“वो तुम्हारी प्रॉब्लम है। मैं आपस में कोई छुपाव नहीं रखना चाहती इसलिए साफ कह दिया कि कोई किसी की मदद नहीं करेगा, अगर नहीं कहती तो तुम्हारे मन में सवाल भी नहीं उठ रहे होते। और जरा सोचकर देखो कि अगर तुम हमारे साथ इस खेल में शामिल नहीं भी होते, तो क्या पुलिस तुम्हें बख्श देती? क्या वही सवाल तब भी नहीं पूछे जाते, जो घटना को अंजाम दे चुका होने के बाद तुमसे पूछे जायेंगे। क्या तब तुम्हारी हालत जुदा होती अनंत?”

सुनकर वह निरूत्तर हो गया।

“अब बोलो क्या जवाब है तुम्हारा?”

“वही, जो पहले था।” गोयल के लहजे से इस बार उत्साह पूरी तरह गायब हो चुका था – “मैं आप लोगों के साथ हूँ।”

“गुड, तो अब चियर्स बोलते हैं, क्योंकि अभी तक जाम नहीं टकराया हमने आपस में।”

“चियर्स।” सब ने एक साथ गिलास टकराये।

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